Sunday, May 31, 2009

''अटल के जमाने की समरसता नहीं रही

बिहार में राजग का नेतृत्व कर रहा जद (यू) भाजपा पर धीरे-धीरे दबाव बढ़ाने की कोशिश में जुटा है। थोड़ी दूरी भी रख रहा है और थोड़ी नजदीकी भी। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक के अंत में पार्टी अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि राजग में समरसता का अभाव रहा है। बड़ी पार्टी होने के नाते भाजपा की जिम्मेदारी सबसे अधिक थी। इस समेत दूसरे कई विषयों को वह राजग की बैठक में उठाएंगे। दिल्ली में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और शरद यादव समेत दूसरे वरीय नेताओं की मौजूदगी में दो दिनों तक चली बैठक में राजनीतिक, आर्थिक या अंतरराष्ट्रीय प्रस्ताव में मुद्दे तो पुराने ही थे, लेकिन तेवर कुछ तीखे थे। बिहार में हुई बड़ी जीत का आत्मविश्वास भी भरपूर था, ज्यादा था। शायद यही कारण था कि बैठक खत्म होने के बाद खुद शरद यादव ने भी कहा कि राजग में उस समरसता का अभाव रहा जो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी के समय दिखा था। उन्होंने सीधे तो भाजपा पर कोई आरोप नहीं लगाया, लेकिन अलग-अलग तरह से यह जरूर कहा कि कुछ मुद्दे हैं जिन्हें राजग की बैठक में सुलझाना पड़ेगा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने इससे इन्कार किया कि फिलहाल भाजपा से अलग होने पर कोई चर्चा हुई है। इधर, कार्यकारिणी की बैठक के बाद संसदीय दल की बैठक में सबसे वरिष्ठ सांसद राम सुंदर दास को संसदीय दल का नेता चुना गया। बाकी पदाधिकारियों की नियुक्ति के लिए शरद को अधिकृत किया गया है। माना जा रहा है कि राजीव सिंह लल्लन को मुख्य सचेतक बनाया जाएगा। इधर एक सवाल के जवाब में शरद ने कहा कि लोकसभा उपाध्यक्ष के लिए पार्टी ने भाजपा के सामने कोई मांग नहीं रखी है।

मुख्यमंत्री का चायपान पर पहुंचा विपक्ष

महाराष्ट्र विधान मंडल के आज से शुरू विशेष सत्ता पक्ष के लिए घोषणाओं का सत्र साबित होने वाला है। इस सत्र में पहले विपक्षी नेता रामदास कदम ने मुख्मंत्री की चाय पार्टी में शामिल होकर यह संकेत दिया कि कामकाज चलने दिया जाएगा और विरोध जारी रखेंगे। इसका कारण इस अधिवेशन के चुनाव होने है, लिहाजा सत्तापक्ष को कार्यों की बौछार आम जनता तक पहुंचाना है। तो विपक्ष सरकार की नाकामियों को सत्र के मार्फत जनता तक पहुंचाने का प्रयास करेगा। वैसे चायपान के समय मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने कहा कि इस अधिवेशन में १४ नए विधेयक पेश किए जाएंगे, साथ ही प्रलंबित विधेयकों को भी पास कराने का प्रयास किया जाएगा। मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने बताया कि विपक्ष मुंबई पर २६ नवंबर २००८ में हुए आतंकी हमले की जांच करने वाली राम प्रधान समिति की रिपोर्ट पर शोर शराबा मचाने का प्रयास कर रहा है, जबकि उक्त रिपोर्ट अभी तक किसी ने देखी नहीं है। इस रिपोर्ट पर मुख्य सचिव व अतिरिक्त सचिव रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं और उसे बाद में सत्र में पेश किया जाएगा। बता दें कि विपक्षी नेता रामदास कदम ने सदन में रामप्रधान समिति की रिपोर्ट पर सरकार से जवाब मांगने की बात कही थी। और पुलिस व सरकार को क्लीन चिट दिए जाने पर सवाल खड़ा किया था। साथ ही कदम ने इस हमले के आरोपी अजमल कसाब को तत्काल फांसी दिए जाने की भी मंाग की है। मुख्यमंत्री ने कसाब के मुद्दे पर कहा कि यह मामला अदालत में चल रहा है, अदालत का निर्णय आने पर उस पर तत्काल अमल किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने मराठा आरक्षण के मुद्देको संवेदनशील बताया और कहा कि इस पर सोचं समझ कर निर्णय लिया जाएगा।

विधानसभा चुनाव शिवसेना-भाजपा साथ लड़ेंगे

महाराष्ट्र में शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव के बाद अब विधानसभा का भी चुनाव एक साथ लडऩे की घोषणा की है।संवाददाताओं को आज संयुक्त रूप से विधानसभा में विपक्ष के नेता रामदास कदम और भाजपा के राज्य इकाई के अध्यक्ष नितिन गडकरी ने बताया कि दोनों पाॢटयों ने महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा का चुनाव संयुक्त रूप से लडऩे का निर्णय किया है।एक प्रश्न के जवाब में दोनों नेताओं ने कहा कि दोनों पाॢटयों के बीच कोई मनमुटाव नहीं है और कांग्रेस तथा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को हराने के लिए संयुक्त रूप से चुनाव लड़ेंगे।हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव के संबंध में कदम ने कहा, हम लोग हारे नहीं है हमारा मत प्रतिशत ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस और राकांपा की तुलना में बढ़ा है।

नजारा काफी बदला बदला

सोमवार से शुरू हो रही पंद्रहवीं लोकसभा की बैठक का नजारा काफी बदला बदला नजर आएगा, क्योंकि नए सदन में जहां अनेक दिग्गज नहीं होंगे, वहीं पिछली लोकसभा के तकरीबन 175 सदस्य ही नई लोकसभा में दिखाई देंगे। इस बार विपक्षी खेमे की अगली पंक्ति में लालकृष्ण आडवाणी के अलावा जसवंत सिंह, यशवंत सिन्हा, सुषमा स्वराज, मुरली मनोहर जोशी और राजनाथ सिंह जैसे भाजपा के प्रमुख नेता होंगे, जबकि पिछली बार आडवाणी के साथ विजय कुमार मल्होत्रा ही भाजपा की तरफ से कमान संभालते थे। दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता बन जाने के बाद मल्होत्रा ने इस बार लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा था। वहीं, राजग के प्रमुख घटक जनता दल (यू) के खेमे में 20 सांसद विराजमान होंगे जो बिहार से चुन कर आए हैं। पिछली बार जदयू के सिर्फ आठ सदस्य होते थे और सदन में पार्टी की कमान उसके मुखर नेता प्रभुनाथ सिंह के हाथों में होती थी। इस बार प्रभुनाथ सिंह सदन में नजर नहीं आएंगे क्योंकि वह बिहार के महराजगंज से चुनाव हार गए है। इस बार वाममोर्चा भी पूरी तरह विपक्ष की भूमिका में नजर आएगी, हालांकि पिछली बार के मुकाबले उसके सदस्यों की संख्या इस बार करीब आधी रह गई है और उसके मुखर वक्ता मोहम्मद सलीम भी सदन में नहीं होंगे। पिछली लोकसभा में सत्ता पक्ष की पहली कतार में अकसर संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी के बगल में बैठे नजर आने वाले राजद के लालू प्रसाद की इस बार उनसे दूरी बढ़ जाएगी, क्योंकि हाल के चुनाव में उनकी पार्टी के सदस्यों की संख्या 24 से घटकर मात्र चार रह गई है और पार्टी का संप्रग सरकार को बाहर से ही समर्थन है। वैसे सदन में जोरदार आवाज में अपनी बात रखने और ज्यादातर समय सदन में उपस्थित रहने वाले राजद के रघुवंश प्रसाद सिंह अब संभवत: अपने पुराने रंग में नजर आएंगे और हर तरह की चर्चाओं में हिस्सा लेंगे। पिछली लोकसभा में केंद्रीय मंत्री रहने के कारण सदन में उन्हें बोलने का बहुत ही कम मौका मिलता था। उधर हर चर्चा में हिस्सा लेने वाले राजद के दूसरे प्रमुख नेता देवेन्द्र प्रसाद यादव और रामकृपाल यादव जैसे नेता इस बार सदन में नहीं होंगे।

आपदा पीडितों के गुस्से का शिकार बुद्धदेव भट्टाचार्य

दक्षिण 24 परगना जिले के तूफान प्रभावित इलाके के दौरे में मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य को रविवार को आपदा पीडितों के गुस्से का शिकार होना पडा। पीडितों ने तूफान गुजरने के सात दिन बाद भी राहत सामग्री नहीं मिलने का आरोप लगाकर दो अलग अलग इलाकों में मुख्यमंत्री का घेराव किया।गोसाबा व पाथर प्रतिमा के पीडितों का कहना था कि उन्हें पर्याप्त राहत नहीं मिली है। मुख्यमंत्री को गोसाबा अंचल के सोनाखाली के गुस्साए लोगों के विरोध का सामना करना पडा। पीडितों ने मुख्यमंत्री के काफिले को देखते ही शोरगुल मचाना शुरू किया। मुख्यमंत्री ने काफिला रूकवा कर उनसे बातचीत की तो लोगों ने शिकायतों की झडी लगा दी। लोगों ने कहा कि उन्हें पानी भी ठीक से नहीं मिल रहा है। पीडितों ने आरोप लगाया कि सरकारी अधिकारियों ने राहत सामग्रियों के वितरण के मामले में भारी लापरवाही बरती है। बासंती ब्लॉक कार्यालय व विजयनगर बीडीओ कार्यालय के सामने भी मुख्यमंत्री से लोगों ने जमकर शिकायत की। इधर, गोसाबा में राहत सामग्री इकट्ठा करने गए लोगों को जिला प्रशासन की ओर से बंधक बनाए की भी खबर सामने आई है। बताया जा रहा है कि लोग मुख्यमंत्री से राहत कार्यो की धीमी गति की शिकायत न कर पाए इसी कारण उन्हें बंधक बनाया गया है। सरकारी अधिकारियों ने उन्हें सुरक्षा कारणों से एक घर में कैद किया।आईजी (दक्षिण बंगाल) सुरजीत कर पुरकायस्त का कहना है एक कमरे में कुछ लोगों को बंद करने का आरोप सामने आया है। हालांकि कैद किए गए लोग श्रमिक हैं। वे आपदा पीडित नहीं है। उन्हें वहीं ठहराया गया है। मुख्यमंत्री ने बासंती बीडीओ कार्यालय में डीएम, बीडीओ सहित मंत्री सुभाष नस्कर, रजाक मोल्ला सहित आला अधिकारियों के साथ बैठक की तथा पूरी स्थिति की समीक्षा की।

रामसुन्दर दास जद-यू संसदीय दल के नेता

लोजपा प्रमुख राम विलास पासवान को हराकर सांसद बने वयोवृद्ध समाजवादी नेता रामसुंदर दास को जनता दल-यू संसदीय दल का नेता चुना गया है। जद-यू की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद रविवार को पार्टी अध्यक्ष शरद यादव ने बताया कि पार्टी के नव निर्वाचित सांसदों की बैठक में दास को सर्वसम्मति से संसदीय दल का नेता चुना गया। उन्होंने बताया कि बाकी पदाधिकारियों के चयन के लिए उन्हें अधिकृत किया गया है। बुजुर्ग दलित नेता दास बिहार के मुख्यमंत्री भी रह चुके है।

आडवाणी भाजपा संसदीय दल के नेता

लालकृष्ण आडवाणी रविवार को सर्वसम्मति से भाजपा संसदीय दल के नेता चुने गए। वे लोकसभा में विपक्ष के नेता होंगे। भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई पार्टी संसदीय दल की बैठक में आडवाणी के नाम का प्रस्ताव पार्टी के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह ने पेश किया और अनुमोदन पूर्व अध्यक्ष डॉ. मुरली मनोहर जोशी तथा सुषमा स्वराज ने किया। राज्य सभा में वरिष्ठ नेता एम. वेंकैया नायडू ने आडवाणी के नाम का प्रस्ताव किया। समर्थन अरूण जेटली ने किया।बैठक के बाद स्वराज ने बताया कि पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने लोकसभा में उप नेता तथा राज्य सभा में विपक्ष का नेता और उप नेता मनोनीत करने तथा संसदीय दल की नई कार्यकारिणी गठित करने का अधिकार आडवाणी को देने का प्रस्ताव किया।

Saturday, May 30, 2009

डायन प्रथा हमारी संस्कृति का अपमान : किरण

भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं विधायक किरण माहेश्वरी ने कहा कि भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म परम्परा में डायन प्रथा का कोई स्थान नहीं है। यह हमारी संस्कृति का अपमान है। किरण ने डायन प्रथा के नाम पर निर्दोष महिलाओं पर अत्याचार एवं उनके मान भंग की भत्र्सना की । अविनाशी आत्मा मृत्यु पर विराट में विलीन हो जाती है। पूनर्जन्म पर वह विराट से पृथक होकर शरीर में प्रविष्ठ होती है। आत्मा अपने मूल स्वरूप में किसी का भी अनिष्ठ चिंतन नहीं करती है। गीता एवं रामायण का हमें यह संदेश है। सामाजिक जागरूकता एवं विवेक से ही इस कुप्रथा को समूल नष्ट किया जा सकता है। उदयपुर तथा राजसमंद जिले में एक के बाद एक महिला को डायन बताकर अत्याचार करने की घटनाओं पर महिला समाज सोसायटी की अध्यक्ष माया कुंभट ने आक्रोश व्यक्त किया है। माया कुंभट ने कहा कि राजसमंद के केसर गांव की झवेरी बाई को डायन बताकर प्रताडि़त करने वाले पंचों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए । उन्होंने कहा कि इस कुप्रथा के खिलाफ केन्द्र सरकार को अध्यादेश लाकर सजा का प्रावधान किया जाना चाहिए ।माया कुंभट ने कहा कि उदयपुर संभाग में लगातार बढ़ रही इस तरह की घटनाओं के विरूद्ध जन जागृति लाने के लिए स्वयंसेवी संगठनों को आगे आना चाहिए ।

राष्ट्रपति अभिभाषण को मंजूरी

प्रधानमंत्री मनमोहन ङ्क्षसह की दूसरी पारी के नये मंत्रिपरिषद की प्रथम बैठक आज यहां हुई जिसमें १५वीं लोकसभा के प्रथम सत्र के शुरू होने पर राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा संसद के संयुक्त अधिवेशन में दिये जाने वाले अभिभाषण को मंजूरी दी गई।प्रधानमंत्री के निवास पर आज सुबह साढ़े ११ बजे डा. ङ्क्षसह की अध्यक्षता में हुई यह बैठक लगभग दो घंटे चली जिसमें नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल के अलावा मंत्रिपरिषद के सभी सदस्य मौजूद थे। बैठक में नई सरकार की भावी नीतियों और कार्यक्रमों पर भी चर्चा हुई। समझा जाता है कि इसमें राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारन्टी योजना प्रमुख थी।हालांकि बैठक में लिये गये विषयों की आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी नहीं दी गई है लेकिन भरोसेमंद सूत्रों ने बताया कि इसमें राष्ट्रपति द्वारा आगामी तीन जून को संसद के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन में दिये जाने वाले अभिभाषण को मंजूरी दी गई।सूत्रों ने बताया कि बैठक में सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों से जुड़े मुद्दों पर भी विचार किया गया जिसमें अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करना, सुरक्षा उपायों और सामाजिक क्षेत्र के कार्यक्रम शामिल है।समझा जाता है कि सिंह ने अपनी टीम के साथ नई सरकार के पहले सौ दिन के कार्यक्रम को लागू करने के बारे में बातचीत की। सिंह ने हर मंत्री को उनके संबद्ध मंत्रालयों द्वारा पहले सौ दिन के दौरान हासिल किए जाने वाले लक्ष्य समझाए।

भाजपा के कारण राजग हारा : जद (यू)

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के घटक जद (यू) ने राजग की हार का ठीकरा भारतीय जनता पार्टी के सर पर फोड़ते हुए उसके साथ रिश्तों में ''खटास" की बात स्वीकार की है। पर उसने अभी उससे संबंध तोडऩे का फैसला नहीं किया है। जद (यू) ने यह भी माना है कि भाजपा के कारण लोकसभा चुनाव में उसे कुछ स्थानों पर नुकसान भी हुआ है।जद (यू) की आज से शुरू हुई दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शिवानंद तिवारी ने पत्रकारों से बातचीत में इस आशय की टिप्पणी की। लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार हो रही पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारणी में राजग की हार के लिए भारतीय जनता पार्टी को जिम्मेदार ठहराया गया।तिवारी ने पत्रकारों से कहा, संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार को जो जनादेश मिला है. वह सकारात्मक नहीं है, बल्कि विपक्ष द्वारा जनता के मुद्दों को नहीं उठाए जाने से उसकी जीत हुई है। भारतीय जनता पार्टी राजग का सबसे बड़ा घटक दल है, इस नाते यह उसकी जिम्मेदारी बनती थी पर वह इसे मुद्दा नहीं बना पायी और चुनाव के ऐन मौके पर ऐसे सवाल उठाए जिससे भ्रम की स्थिति पैदा हुई और राजग को नुकसान हुआ।यह पूछे जाने पर कि क्या जद (यू) ऐसे में भाजपा से नाता तोड़ेगी, तिवारी ने कहा कि भाजपा के साथ संबंध तोडऩे को कोई विचार नहीं है। लेकिन भाजपा ने लोकसभा चुनाव में झारखंड और उत्तर प्रदेश में हमें सहयोग नहीं किया। अलबत्ता, उसके कार्यकर्ताओं ने हमारा विरोध किया। झारखंड में तो उसने हमारे विरूद्ध चुनाव प्रचार किया जिससे हम दो सीट हार गए। बिहार में भी कुछ सीटों पर हमारा तजुर्बा अच्छा नहीं रहा और हमें वह समर्थन नहीं मिला। उन्होंने कहा कि भाजपा के साथ उसके रिश्तों में कुछ ''खटास" भी आई है।तिवारी ने यह भी कहा कि जद (यू) के नेता भाजपा से इस संबंध में बात करेंगे। यह पूछे जाने पर कि वह कौन से सवाल थे जिनके कारण चुनाव के ऐन वक्त भ्रम की स्थिति पैदा हुई, तिवारी ने कहा, आप लोग जानते हैं। मीडिया में इसके बारे में काफी कुछ छपा भी है। तिवारी का इशारा वरूण गांधी तथा गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरफ था।यह पूछे जाने पर कि जिस तरह उड़ीसा में नवीन पटनायक ने भाजपा से नाता तोड़ लिया क्या उसी तह नीतीश कुमार भाजपा से संबंध तोडऩा चाहेंगे, जद (यू) प्रवक्ता ने कहा कि बिहार में भाजपा के साथ कोई विवाद नहीं है। नवीन पटनायक का उड़ीसा में भाजपा के साथ कोई विवाद रहा होगा।

संसदीय सचिव को पीटा

अजमेर से करीब चालीस किलोमीटर दूर विजयनगर कस्बे में आज अजमेर संसदीय सीट से चुनाव जीत कर संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री बने सचिन पायलट की सभा में राज्य के संसदीय सचिव ब्रह्म देव कुमावत को मंच से धक्का देकर कुछ युवकों ने कथित तौर पर मारपीट की। कुमावत ने कहा, कांगे्रस के पराजित उम्मीदवार रामचन्द्र चौधरी के इशारे एवं पूर्वनियोजित षड्यंत्र के तहत मुझे मंच से धक्का देकर मारपीट की गई जिससे मुझे अन्दरूनी चोटें आई हैं।कुमावत को उस समय मंच से धक्का देकर मारपीट की गई जब सचिन पायलट के अजमेर लोकसभा सीट से जीतने के बाद केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करने की खुशी में कांगे्रस पार्टी ने उनके अभिनंदन में स्वागत सभा रखी थी। कुमावत के सहयोगी के अनुसार, संसदीय सचिव कुमावत के साथ मारपीट के वक्त सचिन पायलट मंच पर मौजूद थे।पुलिस सूत्रों के अनुसार कुमावत के साथ मारपीट के बाद सभा में भदगड़ मच गई। इसी दौरान कुमावत और कांगे्रस के रामचन्द्र चौधरी के समर्थकों के बीच हाथापाई होने पर पुलिस ने समझा बुझाकर लोगों को तितर बितर किया। कुमावत ने आरोप लगाया, मुझे पहले से ही आभास था कि रामचन्द्र चौधरी कोई हरकत कर सकते हैं। चौधरी अपनी हार नहीं पचा पा रहे हैं। अपनी हार से बौखला कर उन्होंने यह हमला करवाया है।उन्होंने कहा, यह घटना पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है। चौधरी कांगे्रस के पदाधिकारी हंै। मैं चौधरी के खिलाफ जल्दी ही पुलिस में मुकदमा दर्ज करवाउंगा। संसदीय सचिव ने कहा कि घटना के वक्त सचिन पायलट मौजूद थे। इस घटना के बाद पायलट सभा को सम्बोधित किए बिना नसीराबाद के लिए रवाना हो गए। उन्होंने कहा कि घटना के वक्त स्थानीय प्रशासन के अधिकारी भी मौजूद नहीं थे।अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) हिम्मत अभिलाष टांक ने फिलहाल इस बारे में कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। पुलिस सूत्रों ने सभा के दौरान कुमावत के साथ मारपीट होने तथा हंगामा होने की घटना की पुष्टि करते हुए कहा, रिपोर्ट मिलने के बाद ही इस बारे में कुछ कहा जा सकता है। अभी तक किसी पक्ष ने रिपोर्ट नहीं दी है। गौरतलब है कि अभी हाल ही में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव में मसूदा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार कुमावत ने कांग्रेस प्रत्याशी रामचंद चौधरी को पराजित किया था। चुनाव में कांगे्रस को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने पर ब्रहम देव कुमावत ने कागे्रस को समर्थन दिया था।इधर, विजयनगर के थानाधिकारी कैलाश चन्द्र ने कहा, सचिन पायलट की मौजूदगी में अजमेर डेयरी संघ के रामचन्द्र चौधरी के कार्यकर्ताओं ने संसदीय सचिव कुमावत को मंच से धक्का देने के बाद उनसे मारपीट की। घटना के वक्त सचिन पायलट मंच पर मौजूद थे। कैलाश चंद के अनुसार, चौधरी और कुमावत समर्थकों में हाथापाई होने के बाद पुलिस ने सचिन पायलट और रामचन्द्र चौधरी को सुरक्षा घेरे में निकाल कर नसीराबाद रवाना कर दिया गया। घटना की जानकारी मिलते ही कुमावत के समर्थकों ने चौधरी समर्थकों पर पथराव किया और मारपीट की। उन्होंने बताया कि कुमावत समर्थकों ने संसदीय सचिव के साथ मारपीट के विरोध में विजयनगर कस्बा बंद करने का आह्वान कर व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद करवा दिए। उन्होने कहा कि फिलहाल किसी की ओर से मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है।

प्रत्येक जिले में लगेंगे रोजगार मेले : श्रम मंत्री

श्रम नियोजन एवं शिक्षामंत्री भंवरलाल मेघवाल ने कहा कि विभाग की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को जन जन तक पहुंचाने एवं बेरोजगारों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिये राज्य के प्रत्येक जिले में अगस्त माह से रोजगार मेले आयोजित किये जाएंगे। श्रम मंत्री शनिवार को उदयपुर के टीआरआई सभागार में आयोजित संभाग के श्रम, ईएसआई, रोजगार एवं बायलर्स से जुडे अधिकारियों की समीक्षा बैठक को सम्बोधित कर रहेे थे। चिकित्सा, श्रमिक रोजगार एवं इस आदिवासी अंचल में कामगारों की जिलेवार समीक्षा करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य भर में एक अगस्त से 31 मार्च के मध्य राज्य भर के सभी जिलों में '' रोजगार मेले '' लगाये जाएंगे। इन मेलों में वे स्वंय या श्रम राज्यमंत्री मांगीलाल गरासिया स्वंय उपस्थित रहेंगे। कामगारों के ''श्रमिक परिचय पत्र'' बनाने वाला पहला राज्य :- श्रम एवं शिक्षामंत्री ने कहा कि राजस्थान से बाहर जाकर रोजगार चाहने वाले सभी कामगारों के लिये राज्य सरकार ने परिचय पत्र जारी कर राजस्थान पहला राज्य बन गया है। उन्होंने कहा कि '' श्रमिक परिचय पत्र '' दिखाकर पत्र धारी कोई भी श्रमिक राज्य के बाहर नि:शुल्क ईलाज करवा सकता है। उन्होनें कहा कि सडक किनारे फुल बेचने वालों, ठेले पर सब्जी बेचने सहित इसी प्रकार के अन्य धन्धों से जुडे लोगों के लिये राज्य सरकार ने विश्वकर्मा अंशदायी पेंशन योजना प्रारम्भ की है। इस योजना में यदि कोई व्यक्ति एक वर्ष में एक हजार रुपये निवेश करता है तो राज्य सरकार अंशदान के रुप में एक हजार रुपये देकर पेंशन प्रारम्भ करेगी। इसी राशि से उसे आजीवन पेंशन मिलती रहेगी। बैठक में श्रम एवं नियोजन राज्यमंत्री मांगीलाल गरासिया ने अधिकारियों से कहा कि यह विभाग जनसेवा का महत्वपूर्ण विभाग है इसलिये विभागीय एवं समझौता अधिकारी श्रमिकों की समस्याओं को प्राथमिकता से निपटाएं।श्रम आयुक्त अंजना दीक्षित एवं मुख्य निरीक्षक (फैक्ट्री एवं बायलर्स) एल.एल. आर्य ने विभागवार उपलब्धि की जानकारी मुख्य अतिथि को दी। बैठक में रोजगार निदेशक हनुमंत सिंह भाटी संयुक्त श्रम आयुक्त सत्यव्रत शर्मा एवं इएसआई निदेशक कुसुम माथुर सहित उदयपुर संभाग के अधिकारीगण मौेजूद थे।


Friday, May 29, 2009

भारतीयों पर हमले से मनमोहन चिंतित ऑस्ट्रेलियाई को किया आगाह

मेलबोर्न में भारतीयों पर बढ़ रहे हमलों से चिंतित प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने शुक्रवार को अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष के साथ विद्यार्थियों का मुद्दा उठाया। इस बीच भारत ने कूटनीतिक गतिविधियाँ तेज करते हुए ऑस्ट्रेलियाई को आगाह किया कि इससे शिक्षा के क्षेत्र पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री केविन रूड ने मनमोहनसिंह को दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने पर बधाई देने के लिए शुक्रवार को फोन किया। सिंह ने इस मौके का इस्तेमाल वहाँ भारतीय छात्रों पर हो रहे हमलों के प्रति अपनी चिंता जताने के लिए किया। विदेश मंत्रालय ने भी वहाँ भारतीय छात्रों पर लगातार हमलों पर अपनी चिंता दर्ज कराने के लिए ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त जॉन मैक्कार्थी को तलब किया।विदेशमंत्री एसएम कृष्णा को उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष स्टीफन स्मिथ का फोन आया तो कृष्णा ने भारत की तरफ से चिंता जताई। स्मिथ ने उन्हें आश्वस्त किया कि उनकी सरकार इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कदम उठा रही है।दस मिनट की बातचीत के दौरान कृष्णा ने स्मिथ से कहा कि ऑस्ट्रेलिया में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जाए। उन्होंने पिछले कुछ दिन में भारतीय छात्रों पर हमलों में शामिल लोगों पर कड़ी कार्रवाई के लिए भी दबाव बनाया।बाद में कृष्णा ने बताया कि स्मिथ ने आश्वासन दिया कि अब ऐसी कोई घटना नहीं होगी। हम भारतीय नागरिकों विशेष तौर पर छात्रों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि इस संबंध में भारतीय सरकार ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में हैं। मेलबोर्न में पिछले कुछ दिनों में भारतीय छात्रों पर हमले की घटनाओं के बाद कृष्णा के बयान आए हैं। इनमें से एक छात्र मेलबोर्न के एक अस्पताल में जीवन के लिए संघर्ष कर रहा है, जिस पर किशोरों के एक समूह ने चाकू से वार किया था।विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) एन. रवि ने मैक्कार्थी को तलब किया था। मैक्कार्थी ने कहा कि उनकी सरकार इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठा रही है।विदेश मंत्रालय में बैठक के बाद मैक्कार्थी ने कहा मुझे ऑस्ट्रेलियाई में भारतीय छात्रों पर हाल ही में हुए हमलों पर बातचीत के लिए विदेश मंत्रालय बुलाया गया था। मिस्टर रवि ने बहुत स्पष्ट तरीके से भारत की तरफ से चिंता जताई और अनुरोध किया कि हम इस तरह की घटनाओं को नहीं होने देने के लिए कदम उठाएँ।उन्होंने भारतीय छात्रों पर हमलों को आपराधिक गतिविधि करार दिया। मैक्कार्थी ने माना कि उनके देश में नस्लवाद है, लेकिन इस बात पर भी जोर दिया कि इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि भारतीयों पर हुए हमले नस्लीय थे। उन्होंने कहा मेरा खुद का नजरिया है कि यह आपराधिक गतिविधि है। मैंने नस्लीय होने के सबूत नहीं देखे हैं।

उप्र में विस की 12 सीट पर उपचुनाव जल्द

लोकसभा चुनाव की हलचल अभी खत्म ही हुई है कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 12 और लोकसभा की एक सीट पर जल्द ही उपचुनाव होंगे। लोकसभा चुनाव में विधानसभा के आठ सदस्य चुनाव जीते हैं जिनमें सपा के तीन, कांग्रेस के दो और एक-एक बहुजन समाज पार्टी, भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के विधायक हैं। विधानसभा के चार सदस्यों ने दूसरे दलों में शामिल होने के कारण इस्तीफा दिया है। समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव कन्नौज और फिरोजाबाद दोनों सीट से लोकसभा चुनाव जीते हैं। उन्होंने कहा है कि चूंकि उन्हें कन्नौज में ज्यादा मत मिले हैं लिहाजा वह फिरोजाबाद सीट से त्यागपत्र देंगे। दो केंद्रीय मंत्री बने लोकसभा चुनाव में सपा ने 17, बसपा ने सात, भाजपा ने चार और कांग्रेस ने दो विधायकों को प्रत्याशी बनाया था। इनमें कांग्रेस के दोनों विधायक सांसद और मंत्री हो गए। सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव मैनपुरी लोकसभा सीट से जीते और भरथना विधानसभा सीट से त्यागपत्र दे दिया। मुगलसराय सीट से सपा विधायक रामकिशुन चंदौली सीट से लोकसभा के लिए चुने गए। शाहजहांपुर लोकसभा सीट से जीतने वाले मिथिलेश कुमार पुयांवा सीट से विधानसभा सदस्य थे।रालोद की प्रत्याशी अनुराधा चौधरी हारींलखनऊ पश्चिम से विधायक लालजी टंडन लखनऊ लोकसभा सीट से जीते हैं। रारी विधानसभा सीट से जनतादल (यू) के टिकट पर जीते बाहुबली धनंजय सिंह ने बसपा के टिकट पर लोकसभा का चुनाव जौनपुर सीट से लडा और जीत गए। रालोद के टिकट पर विधानसभा के पिछले चुनाव में मौराना सीट से जीते कादिर राणा ने लोकसभा चुनाव के पहले पार्टी से त्यागपत्र दे दिया और बसपा के टिकट पर कैराना सीट से लडे और जीत गए। उन्होंने रालोद की अनुराधा चौधरी को हराया।इन्हें हार का मुंह देखना पडाभाजपा के टिकट पर कोलअसला सीट से विधानसभा का पिछला चुनाव जीते अजय राय ने सपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव वाराणसी सीट से लडा। भाजपा ने दलबदल विरोधी कानून के तहत उन्हें नोटिस दिया और विधानसभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर ने उन्हें 30 मई तक जवाब देने को कहा, लेकिन राय ने 28 मई को ही विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया। सपा के मलीहाबाद से विधायक गौरीशंकर ने बसपा में शामिल होने के बाद विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया था। बसपा ने उन्हें इटावा सीट से लोकसभा प्रत्याशी बनाया लेकिन वह चुनाव हार गए। इसी तरह विधूना सीट से सपा विधायक धनीराम वर्मा ने भी बसपा में शामिल होने के बाद विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया था। मुरादाबाद पश्चिम से भाजपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीते राजीव चन्ना ने विधानसभा सीट से इस्तीफा देने के बाद मुरादाबाद लोकसभा सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव लडा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पडा।

समानीकरण में बरतें पारदर्शिता

शिक्षामंत्री मा. भंवरलाल मेघवाल ने कहा कि पारदर्शिता से काम नहीं करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने स्कूलों में रिक्त पद भरने के लिए समानीकरण का कार्य 30 जून तक निपटा लेने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि इसमें रिश्तेदारी व पहुंच के बजाय नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। इस संबंध में सरकार की ओर स्पष्ट दिशा निर्देश शीघ्र जारी कर दिए जाएंगे।शिक्षामंत्री शुक्रवार को उदयपुर के राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के सभागार में उदयपुर संभाग के शिक्षा अधिकारियों की प्रशासनिक बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि समानीकरण में शिक्षक को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पद सहित स्थानान्तरित किया जाएगा। कक्षा दस तक के विद्यालयों में न्यूनतम पांच विषय अध्यापक रखे जाएं, लेकिन जहां एक ही विषय के अधिक शिक्षक हैं तो उन्हें हटाने की कार्यवाही भी की जाएगी।एक जुलाई के बाद कोई शिक्षक प्रतिनियुक्ति पर पाया गया तो संबंधित ब्लॉक शिक्षा अधिकारी, शिक्षा अधिकारी एवं उपनिदेशक के खिलाफ संयुक्त रूप से कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने प्रवेशोत्सव कार्यक्रम कागजी पाए जाने पर भी कार्यवाई करने की बात कही। हर स्कूल में पेयजल व शौचालयों की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए भी अघिकारियों को पाबंद किया गया।रिक्त पदों का मुद्दा छाया रहासंभाग के छहों जिलों उदयपुर, राजसमन्द, बांसवाडा, डूंगरपुर, चित्तौडगढ व प्रतापगढ में रिक्त पदों का मुद्दा सबसे ज्यादा चर्चा में रहा। इन जिलों में प्रधानाचार्य, प्रधानाध्यापक, व्याख्याताओं, वरिष्ठ अध्यापकों, अध्यापकों के एक तिहाई से ज्यादा पद खाली हैं।बीईईओ का कद बढेगाशिक्षा मंत्री ने गांवों में ठहराव के लिए बीईईओ के पद को प्रधानाचार्य कैडर में अपग्रेड करने की बात कही।भुगतान रोकने के निर्देशसर्व शिक्षा अभियान के तहत उदयपुर जिले में लगे हैण्डपम्पों के खराब होने के संबंध में उन्होंने उपनिदेशक सुरेश दवे को निर्देश दिए कि वह संबंधित ठेकेदार का भुगतान रोकें व इस मामले की जांच कराएं। बैठक में शिक्षा राज्यमंत्री मांगीलाल गरासिया, शिक्षा विभाग के प्रमुख शासन सचिव आर.पी.जैन, माध्यमिक शिक्षा निदेशक भास्कर सांवत तथा प्रारंभिक शिक्षा निदेशक आलोक गुप्ता व संभाग के सभी शिक्षा अधिकारी मौजूद थे।

कोलकाता लौटे पांच मंत्री

केन्द्रीय राज्य मंत्री सौगत राय, मुकुल राय, सुल्तान अहमद, शिशिर अधिकारी और सी.एम.जाटुआ शुक्रवार शाम दिल्ली से कोलकाता लौटे। गुरूवार को दिनेश त्रिवेदी सहित इन मंत्रियों ने शपथ ली थी।शुक्रवार को दिल्ली में अपने विभाग का पदभार ग्रहण करने के बाद शाम को विमान से कोलकाता लौटते ही अपने विभागों की प्राथमिकताओं के सम्बन्ध में बातचीत की। पांचों मंत्रियोंं का एयरपोर्ट पर भव्य स्वागत किया गया। प्राथमिकता: डायमंड हार्बर से दार्जिलिंग तक पर्यटन सर्किट बनाना और कोलकाता से गया तक जलमार्ग सेवा शुरू करना। पर्यटकों के लिए 24 घंटे हेल्प लाइन शुरू करना तथा धार्मिक पर्यटन और समुद्री किनारों का विकास करना।-सुल्तान अहमद, पर्यटन राज्य मंत्रीप्राथमिकता: राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना तथा 100 दिनों के कार्य का क्रियान्वयन करना। ग्रामीण विकास पर जोर -शिशिर अधिकारी,ग्रामीण विकास राज्य मंत्रीप्राथमिकता : बांग्ला भाषा के विकास पर जोर देना तथा बाढ की समस्या के स्थायी समाधान के लिए कदम उठाना।-सी.एम.जाटुआ सूूचना-प्रसारण राज्य मंत्रीप्राथमिकता: कोलकाता एवं हल्दिया बंदरगाह की ड्रेजिंग की समस्या का निपटारा तथा इनका विकास। -मुकुल राय, जहाजरानी राज्य मंत्रीप्राथमिकता : ईस्ट-वेस्ट मेट्रो कोरिडोर का निर्माण, कोलकाता से आसनसोल के लिए 1200 बसों का परिचालन। 1200 बसों में से कुछ एसी बसें भी रहेंगी।-सौगत राय, शहरी विकास राज्य मंत्री


सपा के प्रदेश सचिव पार्टी से निष्कासित

समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में पार्टी के प्रदेश सचिव शेख कमरूद्दीन को लोकसभा चुनाव में पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने के आरोप में 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया।सपा के प्रदेश प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने शुक्रवार को बताया कमरूद्दीन पर आरोप था कि उन्होंने लोकसभा चुनाव में अपने गृहनगर गोंडा में कांग्रेस प्रत्याशी को जिताने में मदद की। इसके अलावा चुनाव प्रचार के दौरान पार्टी महासचिव अमर सिंह के खिलाफ बयानबाजी भी की। इन आरोपों की जांच के बाद प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव ने गुरूवार रात कमरूद्दीन को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित करने का फैसला किया।


सोनिया जल्द बनाएंगी अपनी नयी टीम

गहन मंथन के बाद केन्द्र में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के गठन का काम पूरा हो जाने के बाद अब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी जल्द ही पार्टी संगठन में फेरबदल कर अपनी नई टीम तैयार करेंगी। पार्टी के चार महासचिवों गुलाम नबी आजाद, मुकुल वासनिक, वी नारायण सामी और पृथ्वीराज चव्हाण के मनमोहन सरकार में शामिल हो जाने के बाद पार्टी संगठन में बदलाव जरूरी हो गया है। यद्यपि इनमें से नारायणसामी और चव्हाण पिछली सरकार में रहते हुए पार्टी का कामकाज संभाल रहे थे। कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख जनार्दन द्विवेदी ने शुक्रवार को यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि पार्टी संगठन में जल्द ही कुछ बदलाव किए जाएंगे। उन्होंने यह बताने से इनकार कर दिया कि यह काम कब तक पूरा होगा लेकिन ऎसी उम्मीद की जा रही है कि 15वीं लोकसभा के पहले सत्र के अंत तक श्रीमती गांधी की नई टीम बन जाएगी।

भाजपा को एजेंडा बदलना होगा-ब्रजेश मिश्र

राजग सरकार में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे ब्रजेश मिश्र का मानना है कि भाजपा को अति हिन्दुत्व के अपने ऎजेंडे को बदलना होगा।मिश्र ने एक हिन्दी पत्रिका के ताजा अंक को दिए इंटरव्यू में कहा कि उनका मानना है कि इस देश के हिन्दू को अति पसंद नहीं है। पीलीभीत में जो हुआ वह अति थी और भाजपा ने उसका साथ दिया। भाजपा को समझना होगा कि अति का क्या नुकसान है। उनसे पूछा गया था कि क्या आप मानते हैं कि भाजपा ने अपने प्रचार में अति हिन्दुत्व को अपनाया था, उन्होंने कहा-बिल्कुल। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि क्या कांग्रेस या संप्रग को सिर्फ मुसलमानों ने वोट दिया। उन्हें हिन्दुओं के वोट ने जिताया।उनकी जीत की तीसरी वजह यह रही कि लोगों को लगा मनमोहन सिंह की सरकार देश को आगे ले जाना चाहती है, देश को बांटना नहीं चाहती है। मनमोहन सिंह को कमजोर प्रधानमंत्री कहना नकारात्मक प्रचार था। मजबूत नेता निर्णायक सरकार के नारे से उसने यही साबित करने की कोशिश की कि सामने वाला कमजोर है।लोगों को यह पसंद नहीं आया। भाजपा को चुनाव के नतीजों से कुछ सबक लेकर अपनी दिशा तय करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रहित में दो दलीय व्यवस्था अनिवार्य है।

Thursday, May 28, 2009

स्वागत के साथ शिक्षा मंत्री को बताई समस्याएं

शिक्षा मंत्री भंवरलाल मेघवाल का गुरूवार को बडग़ांव व लोसिंग पहुंचने पर कार्यकर्ताओं ने गर्मजोशी से स्वागत किया। इस दौरान खेल मंत्री मांगीलाल गरासिया भी मौजूद थे।शिक्षा मंत्री के बडग़ांव पहुंचने पर आज उप सरपंच भुवनेश व्यास, जिला परिषद सदस्य विद्या शर्मा, इंटक नेता मणीभाई के नेतृत्व में स्वागत किया गया। इस दौरान ग्रामीणों ने शिक्षा मंत्री से राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय की चारदिवारी बनाने तथा स्कूल में छात्र अनुपात में शिक्षक लगाने की मांग की।स्वागत कि समय जिला प्रमुख केवलचन्द लबाना, हेमंत श्रीमाली, रमेश पालीवाल, लक्ष्मण शर्मा, लेहरी गमेती, हेमशंकर गायरी सहित कई कार्यकर्ता मौजूद थे।इसी क्रम में लोसिंग पहुंचने पर सरपंच बाबुलाल श्रीमाली, भगवानलाल श्रीमाली, चेनसिंह चंदाणा, रामलाल मेघवाल के नेतृत्व में शिक्षा मंत्री का स्वागत किया गया। इस दौरान ग्रामीणों ने सर्वशिक्षा अभियान में विद्यालय विकास प्रबंधन समितियों को सही तरीके से गठित करने व स्कूलों में शिक्षकों की पर्याप्त व्यवस्था करने की मांग की।

राहुल की दाडी की चर्चा

राहुल गांधी गुरूवार को कुछ बदले हुए नजर आए। जहां 6 दिन पहले मंत्रिमंडल गठन के दिन वे क्लिन सेव और पत्रकारों से कम बातें कर रहे थे वहीं गुरूवार को वे बदले हुए थे। नेताजी वाली वेशभूषा और स्टाइलिश हल्की बढी हुई दाडी में गंभीर नजर आ रहे थे। अग्रिम पंक्ति में बीएल जोशी के समीप बैठ कर राहुल ने शपथ ग्रहण को देखा और उसके बाद जलपान में पहुंचे। वहां पहुंचते ही पत्रकारों ने उन्हें घेरे में ले लिया। उन्होंने सभी सवालों के जवाब देने की कोशिश की। इस दौरान वहां आए मेहमानों में उनसे मिलने की उत्सुकता तो थी ही, साथ ही उनकी दाडी भी चर्चा का विषय बनी थी।मैं भी पूछ लूं सवालराहुल को घेरे पत्रकार उस समय चौंक गए जब पीछे से आवाज आई में भी सवाल पूछ लूं। जैसे ही पत्रकारों ने उस तरफ देखा तो सामने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी थी। पत्रकारों ने उनसे सवाल पूछने की कोशिश की तो उन्होंने कहा कि राहुल से पूछें। कांग्रेस अध्यक्ष शायद चिंतित हो गई थी कि काफी समय बीत गया पत्रकार राहुल को क्यों नहीं छोड रहे हैं। सवाल पूछने के बहाने उन्होंने पत्रकारों का ध्यान बांटा और उसी का लाभ उठाते हुए राहुल अपनी मां के साथ घर के लिए निकल पडे।जयराम रमेश, सामी और सौगात जल्दी मेंपिछली बार कमलनाथ जल्दी में थे तो इस बार जयराम रमेश, नारायण सामी और सौगात राय जल्दी में थे। हुआ यूं कि जयराम रमेश ने शपथ ली और वहां पर औपचारिकताएं पूरी करने के बजाए वापस लौटने लगे। बुलाने पर उन्हें गलती का अहसास हुआ। इसके बाद सामी और राय तो इतनी जल्दी में थे कि राष्ट्रपति के बोलने से पहले ही शपथ पढने लगे। राष्ट्रपति द्वारा ध्यान दिलाने पर दोनों ने सॉरी बोल फिर शपथ ली। उनकी इस हरकत पर राष्ट्रपति भी अपनी हंसी नहीं रोक पाई। खंडेला ने मिलाया पत्नी कोकांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मंत्री बने नेता अपने परिवार वालों को मिलाने का कोई मौका नहीं छोड रहे थे। सचिन को तो अपने परिवार वालों को मिलाने में कोई परेशानी नहीं हुई क्योंकि उनको सोनिया गांधी पहले से जानती थीं। खंडेला ने मौके का फायदा उठाया और अपनी पत्नी और बेटे को भी सोनिया गांधी से मिलवाया। सोनिया गांधी सभी से स्नेह से मिल रही थी। खंडेला ने राष्ट्रपति से मुलाकात कर उनके साथ परिवार समेत फोटो भी खिंचवाया। मुख्यमंत्री गहलोत की बधाई भी स्वीकार की।

मंदी में बहुत उम्मीद नहीं रखें-ममता

रेल मंत्री ममता बनर्जी मनमोहन कैबिनेट में शामिल नए मंत्रियों के शपथ ग्रहण के बाद गुरूवार को रेल मंत्रालय पहुंचीं। उन्होंने चिरपरिचित मंत्रालय का जायजा लिया और मीडिया से बातें की। केंद्रीय मंत्री का ओहदा पाने के बाद ममता के व्यक्तित्व में बडा बदलाव नजर आया। वे पहले के मुकाबले ज्यादा शांत और संतुलित दिखीं।रेलवे के कामकाज, घोषणाओं से जुडे सवालों का सुलझे ढंग से जवाब देते हुए उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि लालू की रेल ने उदारीकरण के दौर में मुनाफा कमाया था किन्तु अब आर्थिक मंदी के दिन हैं। रेलवे के कंधे पर अन्य कई जिम्मेदारियां भी हैं लिहाजा उनसे फिलहाल ज्यादा उम्मीद न रखी जाए।ममता ने जिम्मेदारियों का ब्योरा देते हुए कहा कि रेलवे को सबसे पहले छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के कारण केन्द्र सरकार पर पडे बोझ को हल्का करना है। इस मद में 14 हजार करोड रूपए की भारी-भरकम राशि देनी है। इसके अलावा लाभांश अदा करना और रेल बजट पेश करना है। उनके लिए यह मंत्रालय नया नहीं लेकिन लगभग आठ-नौ साल बाद वे यहां दोबारा आई हैं। कोई भी नई घोषणा अथवा फैसला करने से पहले वे रेलवे की प्रशासनिक, वित्तीय स्थिति और बुनियादी ढांचे की जानकारी लेना चाहेंगी। रेलवे के आधुनिकीकरण का श्रेय लेती ममता ने कहा कि उनके कार्यकाल में ही इस दिशा में पहल की गई थी। इस सवाल पर उनके पूर्ववर्ती लालू प्रसाद यादव लगभग 90 हजार करोड रूपए की अतिरिक्त आय रेलवे के खाते में छोड गए हैं, फिर उन्हें काहे की चिन्ता! ममता बनर्जी ने कहा कि लालू क्या दे गए हैं और क्या ले गए हैं, बजट आने दीजिए सब कुछ खुद ही सामने आ जाएगा। आर्थिक मंदी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि तमाम परियोजनाओं में विदेशी निवेश की स्थिति क्या है, यह पता करना बेहद जरूरी होगा। मंदी की मार निश्चित तौर पर यहां भी पडी होगी।

सरकार से रिश्ते बनाने में जुटे नीतीश

विरोध में जब लड़े तो लड़े, अब तो वक्त है कांग्रेस और केंद्र से दोस्ती, बल्कि एक कदम आगे बढ़कर दोस्ती का। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नया फार्मूला कुछ ऐसा ही है। शायद इसीलिए गुरूवार को केंद्रीय कैबिनेट के विस्तार के साथ ही नीतीश ने सभी मंत्रियों को फूलों का गुलदस्ता भेजकर अपना संदेश दे दिया है। गुरुवार को जहां शपथ ग्रहण के घंटों बाद तक मंत्रियों के बीच विभागों के बंटवारे को लेकर असमंजस था, नीतीश के दूत काम पर थे। बताते हैं कि बुधवार को मंत्रियों की सूची तय होने के साथ ही नीतीश ने दिल्ली स्थित अधिकारियों को सभी मंत्रियों तक गुलदस्ता और शुभकामना का संदेश भेजने का निर्देश दे दिया था। गुरूवार की शाम तक अधिकतर गुलदस्ते उन तक पहुंच भी गए। मुख्यमंत्री की शुभकामना साथ थी। मंत्रियों को किसी मुख्यमंत्री की ओर से मिलने वाला संभवत: यह पहला गुलदस्ता था। यानी नीतीश ने पहला कदम बढ़ा दिया है। इस गुलदस्ते के सहारे भविष्य के संबंध स्थापित करने की कोशिश होगी। जाहिर तौर पर नीतीश की यह पहल बिहार के विकास के मद्देनजर है, लेकिन सहयोगी भाजपा में थोड़ी परेशानी भी है। गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों में नीतीश और कांग्रेस के संबंधों को लेकर कुछ चर्चाएं होती रही हैं। हालांकि नीतीश इसे नकार चुके हैं लेकिन उड़ीसा में बीजू जनता दल के रूख के बाद पार्टी का विश्वास थोड़ा डिगा है। बिहार में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं। जाहिर है कि भाजपा में थोड़ा संशय है। हालांकि पार्टी के राज्य सभा सांसद राजीव प्रताप रूडी ने इसे सकारात्मक रूप से लिया। उन्होंने कहा कि राज्य के विकास के लिए केंद्र के साथ अच्छे संबंध जरूरी हैं। नीतीश ने गुलदस्ते भेजकर शुभकामनाएं दी हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं।

अनुभव व युवा ऊर्जा का मिश्रण : मनमोहन

उत्तर प्रदेश को केंद्रीय मंत्रिपरिषद में समुचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलने के विचार को खारिज करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बृहस्पतिवार को कहा कि मंत्रिमंडल का गठन करते समय योग्यता जैसे कारकों को ही प्रमुखता दी गई है। सिंह ने कहा कि उनका नया मंत्रिमंडल ''अनुभव और युवा ऊर्जा का मिश्रण" है। संवाददाताओं द्वारा यह पूछे जाने पर कि उत्तर प्रदेश जहां पार्टी ने अपने सांसदों की संख्या दस से बढ़ा कर 21 कर दी, उसे मंत्रिमंडल में समुचित प्रतिनिधित्व क्यों नहीं मिला, सिंह ने कहा, योग्यता और बहुत से अन्य कारक होते हैं जो महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प्रधानमंत्री राष्ट्रपति भवन में अपने मंत्रिमंडल के दूसरे चरण के विस्तार के तहत 59 मंत्रियों को शपथ दिलाए जाने के बाद संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। जब सोनिया गांधी से उत्तर प्रदेश को केंद्रीय मंत्रिपरिषद में समुचित प्रतिनिधित्व नहीं दिए जाने की बात कही गई तो उन्होंने राहुल गांधी की ओर इशारा कर कहा, उन्होंने मंत्री बनने से इनकार कर दिया। वह पार्टी के लिए काम करना चाहते हैं और यही इसका कारण है। यह पूछे जाने पर कि उत्तर प्रदेश से एक भी कैबिनेट मंत्री क्यों नहीं है, सोनिया ने कहा, क्या स्वतंत्र प्रभार के राज्य मंत्री पर्याप्त नहीं हैं। दो-दो स्वतंत्र प्रभार के राज्य मंत्री बनाए गए हैं। अपनी बात के पक्ष में दलील देते हुए उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश से लोकसभा की 80 सीटों के मुकाबले कांग्रेस को वहां केवल 21 सीटें मिली हैं। राहुल गांधी ने भी कहा कि उत्तर प्रदेश को समुचित प्रतिनिधित्व दिया गया है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान पाने से ज्यादा जरूरी है राज्य में बुनियादी परिवर्तन लाना। मंत्रिमंडल के गठन में हुए विलंब के बारे में सिंह ने कहा कि हम गहराई से विचार करना चाहते थे और अनुभव एवं योग्यता का पता लगा रहे थे। उन्होंने इस सवाल का कोई सीधा जवाब नहीं दिया कि अर्जुन सिंह और शिवराज पाटिल जैसे नेताओं को मंत्रिमंडल में क्यों नहीं शामिल किया गया और कहा, उनके अनुभवों का उपयोग करने के अन्य रास्ते भी हैं।यह पूछे जाने पर कि क्या 206 का आंकडा प्राप्त करने के बाद कांग्रेस में अपने सहयोगियों के प्रति अंहकार की भावना आ गई है, उन्होंने इसे सिरे से नकारते हुए कहा, राजनीति में आप अहंकार नहीं रख सकते। मुझे नहीं लगता कि कांग्रेस में किसी तरह का घमंड है। यह पूछे जाने पर कि धुआंधार प्रचार के बाद क्या वह कुछ आराम करेंगे, उन्होंने तपाक से जवाब दिया, अगर आप कर लेने देंगे तो।

मंत्रिमंडल का विस्तारः शपथ समारोह जारी

राष्ट्रपति भवन के अशोक हॉल में शपथ ग्रहण जारी है। वीरभद्र सिंह, फारूक अब्दुल्ला, ए.राजा, दयानिधि मारन, विलासराव देशमुख, पवन कुमार बंसल, मुकुल वासनिक, कुमारी शैलजा, एम.के.अझआगिरी, जी.के.वासन समेत 14 कैबिनेट मिनिस्टर ने शपथ ली।

पानी का मोल समझना होगा : अशोक गहलोत

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वर्तमान में पेयजल व्यवस्था को प्रदेश की सबसे बड़ी चुनौती बताते हुए कहा है कि सभी को पानी का मोल समझना होगा। इसके साथ ही पर्यावरण संरक्षण के लिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण कर राजस्थान को हरित प्रदेश बनाने में सकारात्मक भूमिका निभानी होगी।मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को प्रताप जयंती अवसर पर महाराणा प्रताप की राजतिलक स्थली गोगुन्दा में महाराणा प्रताप की प्रतिमा के अनावरण समारोह में यह बात कही।गहलोत ने कहा कि प्रदेश में भूजल स्तर लगातार गिर रहा है । यह चिंता का विषय है ऐसे में सभी की जिम्मेदारी बनती है कि जल का संरक्षण करें। उन्होंने कहा कि इस मामले में हमने सभी अधिकारियों को भी पाबंद किया है कि वे पेयजल व्यवस्था के लिए समय पर कदम उठाए , तथा पेयजल से संबंधित योजना समय पर लागू करें।इस अवसर पर गहलोत ने अधिक से अधिक वृक्षारोपण कर राजस्थान को हरित प्रदेश बनाने में भी सभी से आह्वान किया।विधानसभा के बाद लोकसभा में मिले जनादेश पर उपस्थित जन समूह का आभार जताते हुए गहलोत ने कहा कि आपने (जनता) अपना काम पूरा कर दिया है अब हमारी (सरकार) बारी है कि हम आपकी सेवा करें । जनता की सेवा करने में सरकार कोई कमी नहीं रखेगी।वीर शिरोमणी महाराणा प्रताप को याद करते हुए गहलोत ने कहा कि महाराणा प्रताप का नाम आते ही इतिहास के वो पन्ने याद आ जाते है, जिससे प्रेरणा मिलती है। प्रताप के संघर्ष की कहानी सुनने मात्र से रोंगटे खड़े हो जाते हैं। आज हमें उनके बताए मार्ग पर चलने की जरूरत है।गहलोत ने विश्वास दिलाया कि मेवाड़ कॉम्पलेक्स योजना के तहत जो भी काम बाकी रह गए है उन्हें समय रहते पूरा किया जाएगा।समारोह में पर्यटन मंत्री बीना काक, खेल मंत्री मांगीलाल गरासिया, उदयपुर सांसद रघुवीर मीणा, विधायक पुष्कर डांगी, सज्जन कटारा, जिला प्रमुख केवलचन्द लबाना, गोगुन्दा प्रधान लालसिंह झाला, कांग्रेस के शहर जिलाध्यक्ष डा. मधुसूदन शर्मा, मनोहर सिंह कृष्णावत, लक्ष्यराज सिंह, रोहीताज सिंह, जिला कलेक्टर आनंद कुमार, एसपी अनिल पालीवाल, पर्यटन निदेशक सुनीता सरोच, जिला पर्यटन अधिकारी विकास पण्ड्या सहित कई गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।झीलें देख व्यथित हुए गहलोतउदयपुर । सलूम्बर से गोगुन्दा जाते वक्त हेलीकॉप्टर में सवार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आसमान से उदयपुर की झीलों की हालत देख व्यथित हो गए। इस दौरान उदयपुर सांसद रघुवीर मीणा भी गहलोत के साथ थे।गहलोत ने बुधवार को महाराणा प्रताप की प्रतिमा के अनावरण समारोह (गोगुन्दा) में इस व्यथा का जिक्र करते हुए कहा कि आज मैंने हेलीकॉप्टर से देखा कि उदयपुर की झीलें सुख कर सपाट हो चुकी है तो बड़ा दु:ख हुआ। गहलोत ने कहा कि वास्तव में पानी नहीं तो कुछ नहीं । उन्होंने एक बार फिर उदयपुर का जिक्र करते हुए कहा कि उदयपुर में हर सड़क पर वृक्षारोपण करने वाली संस्था 'पानी राम' के बोर्ड लगे हुए है । इस 'पानी राम' की भावना राजस्थान के हर गांव में पहुंचनी चाहिए ।गहलोत ने कहा कि प्रताप के राज तिलक स्थल पर भी सघन वृक्षारोपण होना चाहिए ।कैचमेंट में अतिक्रमण ठीक नहींउदयपुर । आसमान से रीती झीलें देख व्यथित हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उदयपुर की झीलों के कैचमेंट में अतिक्रमण या अवैध निर्माण नहीं होने की पैरवी की है।गोगुन्दा में बुधवार को महाराणा प्रताप की प्रतिमा अनावरण समारोह के ठीक बाद पत्रकारों से औपचारिक बात के दौरान गहलोत ने यह भावना व्यक्त की।गहलोत ने कहा कि पानी के बिना झीलें कुछ नहीं है, सबको इसकी चिंता करनी चाहिए ।मुख्यमंत्री का जब ध्यान दिलाया गया कि उदयपुर की पिछोला झील के कैचमेंट में अतिक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है मगर कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं हो रही है। इस पर चिन्ता जताते हुए गहलोत ने कहा ऐसा मामला हमारे ध्यान में लाओगे तो निश्चित तौर पर कार्यवाही होगी।गहलोत ने कहा कि झीलों के कैचमेंट में किसी प्रकार के अतिक्रमण नहीं होने चाहिए । एक अन्य सवाल के जवाब में गहलोत ने कहा कि उदयपुर की झीलों के विकास से संबंधित जितनी भी योजना है उनको समय रहते पूरा करने के प्रयास किये जाएंगे।अब आंगनवाड़ी ऑन डिमाण्डउदयपुर । प्रदेश में जनता की डिमाण्ड (मांग) पर आंगनवाड़ी खोली जाएगी।पर्यटन मंत्री बीना काक ने बुधवार को गोगुन्दा में महाराणा प्रताप की प्रतिमा के अनावरण समारोह में यह घोषणा की। काक ने देहाती अंदाज में बोलते हुए कहा कि 'जटे जतरी जरूरत वटे वतरी आंगनवाड़ी' ।उन्होंने कहा कि प्रदेश में ६ हजार आंगनवाड़ी तथा ३ हजार मिनी आंगनवाड़ी और खोली जाएगी। ताकि गांव-गांव, ढाणी-ढाणी तक छोटे बच्चों को लाभ मिल सके ।राजतिलक स्थली पर हुए कार्यों का जिक्र करते हुए बीना काक ने कहा कि यहां एक करोड़ १७ लाख के काम हुए है तथा जो भी काम बाकी रह गया उसे शीघ्र पूरा करवाया जाएगा।इस अवसर पर बीना काक ने महाराणा प्रताप से जुड़े स्थलों मायरा की गुफा का जिक्र करते हुए कहा कि मैं स्वयं वहां का मौका मुआयना करूगी उसके बाद वहां का विकास भी करवाया जाएगा।इस अवसर पर काक ने विधानसभा-लोकसभा में कांग्रेस को बड़ी जीत दिलाने के लिए मेवाड़ का आभार भी जताया ।

राज्य सरकार पर भरोसा नहीं : ममता बनर्जी

रेल मंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को कहा कि उन्हें राज्य सरकार पर भरोसा नहीं है। तूफान से निपटने के लिए कोई आर्थिक सहायता राज्य को नहीं दी जानी चाहिए। राज्य सरकार केन्द्रीय सहायता का समुचित इस्तेमाल नहीं करती। केन्द्र सरकार के सम्बन्घित विभागों से मिलकर वह साफ-साफ कहेंगी कि प्रभावित इलाकों के बेघरों को घर बनाकर दिए जाएं।नष्ट हुई फसल का मुआवजा दिया जाए। पानी की कमी से जूझ रहे इलाकों में डीप ट्यूबवेल लगाए जाएं। पुनर्वास के सारे काम पंचायतों के जरिए होने चाहिए। ममता ने ब्ाताया कि राज्य को आर्थिक सहायता दिए जाने की बजाए वह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से बाढ नियंत्रण के मास्टर प्लान बनाने व लागू करने की बात कहेंगी। गुरूवार को पार्टी के आधे दर्जन सांसदों के मंत्री पद पर शपथ लेने के कार्यक्रम में दिल्ली जाने से पहले ममता ने कहा कि मंत्री शपथ ग्रहण समारोह के बाद जल्द से जल्द तूफान प्रभावित इलाकों के दौरे में जाएंगे। राज्य सरकार को आडे हाथों लेते हुए ममता ने कहा कि सचिवालय में बैठकर बयान देने से समस्या का हल नहीं निकलने वाला है। हर साल बारिश के समय नदियों के तटबंध दुरूस्त किए जाते हैं। इस काम में जमकर भ्रष्टाचार होता है।आपदा से निपटने के लिए न तो राज्य में संसाधन हैं और न ही राज्य सरकार के पास इच्छाशक्ति है। राज्य सरकार के आपदा प्रबंधन, सिंचाई, परिवहन विभाग हाथ पर हाथ धर कर बैठा है। माकपा पर बरसते हुए ममता ने कहा कि पार्टी की हरमत वाहिनी केवल हिंसा फैलाने के काम में आती है। रास्तों से पेड हटाने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है।उन्होंने दोहराया कि राज्य के हर ब्लॉक में आपदा पुनर्वास के केन्द्र होने चाहिए। ममता ने कहा कि राज्य सरकार को अपनी मशीनरी का युद्धस्तर पर इस्तेमाल करना चाहिए। पहुंच विहीन इलाकों में हेलीकॉप्टर से गिराई जा रही राहत सामग्री की मात्रा बढाई जानी चाहिए। कोलकाता नगर निगम व सी.ई.एस.सी. पर राहत कार्यो में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए ममता ने कहा कि कोलकाता व आस-पास के कई इलाकों में तूफान के 72 घंटे गुजर जाने के बाद भी बिजली, पानी नहीं पहुंचा है। लोग परेशान होकर सडकों पर उतर रहे हैं। दोनों एजेंसियों को युद्धस्तर पर राहत कार्य शुरू करना चाहिए।


विकास यात्रा पर निकलेंगे नीतीश कुमार

विकास से प्रभावित चुनाव परिणामों से उत्साहित मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर विकास यात्रा पर निकलेंगे। इस बार यात्रा का स्वरू प बदला हुआ रहेगा। इसकी रू परेखा बनाई जा रही है। बहुत संभव है कि इस बार गांव में कैम्प नहीं बनें इसलिए कि बरसात में कैम्प लगाने से परेशानी हो सकती है।मुख्यमंत्री की यह यात्रा उन इलाकों में होगी जहां वे पिछली यात्राओं में नहीं जा सके थे। इन यात्राओं में मुख्यमंत्री लोकसभा चुनावों के दौरान एनडीए उम्मीदवारों को विजयी बनवाने के लिए लोगों को धन्यवाद भी देंगे। मुख्यमंत्री सचिवालय विकास यात्रा का स्वरू प बनाने में जुट गया है। पहले की विकास यात्राओं में जनता के व्यापक समर्थन से नीतीश कुमार बेहद उत्साहित हैं। पिछली यात्राओं में इन्होंने गांवों में कैम्प लगाकर योजनाओं की समीक्षा बैठकें कीं।शुरू की गई योजनाओं का ब्यौरा लिया। इस दौरान उन्होंने जनता दरबार में लोगों की शिकायतें सुनीं। वह लीक से हटकर असहाय और कमजोर लोगों से मिलकर उनकी समस्याएं जानने के लिए चर्चित हुए। इस बीच मुख्यमंत्री को अफसरी-तंत्र की गडबडियां खूब सुनने को मिलीं। उन्होंने कई अफसरों को फटकार लगाई और कुछेक को निलम्बित भी कर दिया।नए दौर की विकास यात्राएं पहले का विस्तार होंगी। इस दफा चुनाव परिणामों पर विकास के प्रभाव से नीतीश कुमार उत्साहित हैं। अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों तक वह विकास का सिलसिला बनाए रखते हुए आमजनों पर इसका सकारात्मक प्रभाव कायम रखना चाहते हैं। खासकर दलित और महादलित समाज को लाभान्वित कर एनडीए सरकार अपनी साख बरकरार रखने के मूड में है।

पुलिस प्रशासन में व्यापक फेरबदल

लोकसभा चुनाव के बाद द्रमुक सरकार ने बुधवार को पुलिस प्रशासन में व्यापक फेरबदल किया है। इनमें चुनाव के दौरान आयोग के निर्देश पर मदुरै से हटाए गए पुलिस आयुक्त के.नंदबलन को पुन: मदुरै का पुलिस आयुक्त बनाया गया है। नंदबलन को चुनाव आयोग के आदेश पर तमिलनाडु पुलिस अकादमी का महानिरीक्षक बनाया गया था।इसके साथ ही एक साल पहले चेन्नई पुलिस आयुक्त बनाए गए राधाकृष्णन का तबादला कर उन्हें अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) बनाया है। इसी प्रकार अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) टी.राजेंद्रन को चेन्नई का पुलिस आयुक्त बनाया गया है। गौरतलब है कि सितम्बर 2008 में डा.अम्बेडकर विधि महाविद्यालय में विद्यार्थियों के दो समूहों में हुए झगडे पर पुलिस आयुक्त आर.शेखर की आलोचना के बाद राधाकृष्णन को पुलिस आयुक्त पद पर पदस्थापित किया था। इस झडप में तीन विद्यार्थी गंभीर रूप से घायल हो गए थे तथा 30 को गिरफ्तार किया था। इसी प्रकार चेन्नई के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त ए.के.विश्वनाथन को मुख्यालय का महानिरीक्षक बनाया है वहीं जे.के त्रिपाठी अब प्रवर्तन के आईजी होंगे।



लाव-लश्कर के साथ रेल भवन पहुंचेंगी ममता बनर्जी

कोलकाता में रेल मंत्रालय का कार्यभार संभाल चुकी ममता बनर्जी गुरूवार को पूरे लाव-लश्कर के साथ रेल भवन पहुंचेंगी। वे मनमोहन की कैबिनेट में तृणमूल कोटे से शामिल किए गए छह राज्य मंत्रियों के शपथ ग्रहण के बाद उन्हें साथ लेकर पहले रेल भवन आएंगी। कार्यभार संभालने के साथ ही उन्होंने गरीबों के लिए सस्ते पास की घोषणा कर यह जता दिया है कि उनके जमाने में भी रेल सामाजिक दायित्व का भार ढोती रहेगी।उनके आने की खबर से मंत्रालय में गहमागहमी तेज हो गई है। वर्षो बाद बिहार का दबदबा खत्म हुआ है जिसके कारण माना जा रहा है कि प्रशासनिक स्तर पर भारी बदलाव होगा। ममता के ओएसडी के रूप में गौतम सान्याल जबकि निजी सचिव पद पर बंगाल के एक आईपीएस अधिकारी के नाम की चर्चा है। पहले भी रेल मंत्री रह चुकीं ममता के लिए मंत्रालय नया नहीं है लेकिन, वर्षो बाद इसकी जिम्मेदारी बिहार के अलावा किसी दूसरे राज्य के हिस्से आई है जिसके चलते उन्हें नयापन जरूर लगेगा। रामविलास पासवान, नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव ने बतौर रेल मंत्री बिहार को प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर रखा। निश्चित है कि ममता बंगाल का ख्याल रखेंगी लेकिन उनकी सबसे बडी चुनौती लालू के करिश्माई रेल मंत्री की छवि को टक्कर देने की होगी।लालू ने लगातार रेल किराया न बढाकर रिकार्ड कायम किया। साथ ही करोडों रूपयों का मुनाफा कमाकर भारतीय रेल को विश्वस्तरीय बनाने का दावा भी ठोका। अब देखना यह है कि लालू के कायाकल्प की कहानी में कितना दम था। यह वास्तविकता के करीब हुआ तो ममता के लिए भी जनप्रिय घोषणाएं करते रहना आसान होगा वरना कठोर फैसले लेना मजबूरी हो जाएगी।

मंदी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को संकट से उबारना प्राथमिकता : प्रणव मुखर्जी

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए पिछली सरकार के दौरान वामपंथियों के दबाव में लम्बित पडे आर्थिक सुधारों को लागू करने की बात कही है। प्रणव ने कहा है कि संप्रग सरकार के वादे के मुताबिक जुलाई के पहले सप्ताह में बजट पेश कर दिया जाएगा। मुखर्जी ने कहा कि वैश्विक मंदी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को वर्तमान संकट से उबारना उनकी प्राथमिकता है, हालांकि ऎसा करते समय वित्तीय अनुशासन का भी ध्यान रखा जाएगा। बजट "आम आदमी" पर केन्द्रित : वित्त मंत्रालय का कार्यभार सम्भालने के बाद अपनी पहली प्रेस कांफ्रेंस में प्रणव ने कहा कि पार्टी के घोषणा पत्र के मुताबिक सरकार गठन के 45 दिन के भीतर बजट पेश करना है और वे जुलाई के पहले हफ्ते में बजट पेश कर देंगे। मुखर्जी ने कहा कि आगामी बजट "आम आदमी" पर केन्द्रित होगा और इसमें मंदी से प्रभावित उद्योगों का भी ध्यान रखा जाएगा। कपडा, रत्न एवं आभूषण और लघु उद्योगों की समस्याओं पर गौर किया जाएगा। सरकार ढांचागत क्षेत्र की निवेश प्रक्रिया को मजबूत बनाएगी। ढांचागत परियोजनाओं की सूची की समीक्षा होगी और उन पर अमल तेज किया जाएगा। जहां जरूरत होगी, नीतियों और प्रक्रियाओं में सुधार भी होगा। कालेधन की रोकथाम : मुखर्जी ने कहा कि कालेधन की रोकथाम के लिए बना "प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉडिं्रग एक्ट" में संशोधन का विधेयक संसद में पारित हो चुका है। इस संशोधित कानून को जल्द अमल में लाया जाएगा।दस्तावेज सरकारी नहींएक भारतीय के स्विटजरलैंड के बैंक में जमा भारी भरकम राशि की वापसी के लिए भारत सरकार द्वारा फर्जी दस्तावेज भेजे जाने के सवाल पर मुखर्जी ने कहा कि वह सरकारी दस्तावेज नहीं हैं। जो भी दस्तावेज भेजे गए थे, वे संबंधित व्यक्ति के घर से छापे में जब्त दस्तावेज थे। इसमें सरकार की तरफ से कोई अतिरिक्त दस्तावेज नहीं भेजे गए।

Tuesday, May 26, 2009

भाजपा को बचायेंगे या निपटायेंगे नरेन्द्र मोदी

एनडीए घटक दल के नेता शरद यादव ने हार का ठीकरा गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी पर मढ़ दिया चंदन मित्रा ने भी एनडीए की हार में मोदी का नाम जोड़ दिया अब सवाल यह उठ खड़ा हुआ है कि क्या मोदी के किले की दीवार दरक रही है? यूपीए के पक्ष में नतीजे आने के बाद मोदी दो दिन अपने निवास स्थान में एंकातवास हो गए और मीडिया के समक्ष कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की लेकिन दो दिन बाद जब वे दिल्ली जाने को रवाना हुए तो बहुत चतुराई से मीडिया पर सारा आरोप मढ़ दिया और कहा कि मैं नही मीडिया उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट कर रहा था। अगला प्रधानमंत्री गुजरात से होगा? भाजपा का यह सपना भी धरा का धरा रह गया जनवरी 2009 में आयोजित वायब्रेंट सम्मेलन में उद्योगपति मोदी को भावी प्रधानमंत्री के रूप में प्रमोट कर रहे थे तो क्या मोदी जरूरत से ज्यादा महत्वाकांक्षी हो गए थे? या उनके विवादास्पद वक्तव्य ने एनडीए की हवा निकाल दी? लेकिन एनडीए को जिस तरह मुंह की खानी पड़ी है उससे पार्टी के भीतर ही मोदी राग शुरू हो गया है तो क्या मोदी के मोदीत्व का तिलिस्म टूट रहा है? कारण चाहें कुछ भी हो लोकसभा चुनाव में भाजपा के स्टार प्रचारक मुख्यमंत्री मोदी की तीन सौ से ज्यादा सभाओं की मेहनत पार्टी को मुश्कल से 37 सीटें दिलाने में कामयाब हो पाई है। जहां तक अगर मोदी मैजिक की बात की जाए तो नाम मात्र का करिश्मा गुजरात, कर्नाटक और हिमाचल में ही चल पाया।पिछले लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को मुंह की खानी पड़ी थी तब अप्रत्यक्ष तौर पर अटलबिहारी बाजपेयी और चंद्राबाबू नायडू ने खुलेआम गोधरा दंगों को लेकर मोदी पर आरोप लगाए थे। लेकिन मोदी के किले की दीवार उस समय तो इतनी नहीे दरकी थी जितनी आज। सवाल यह उठता है कि क्या गोधरा दंगों का जख्म अभी तक नहीं भर पाया? जिस गोधरा दंगों के रथ पर सवार मोदी ने गुजरात की चुनावी वैतरणी पार की थी और बाबरी मिस्जद के विध्वंस के बाद गुजरात को कटृर हिंदुत्व की प्रयोगशाला बना दिया तो क्या यह कटृर बनाम नरम हिंदुत्व भाजपा की हार है? मोदी गोधरा दंगों पर मौन रहकर भले ही विकास का दावा करें लेकिन दंगों के दंश से वे अब तक मुक्ति नहीं पा सके है। लेकिन जनता ने जो जनादेश दिया है मोदी समेत भाजपा के नेता इस नतीजे से अचंभित है उन्हें आत्ममंथन तो करना होगा। 2007 के विधानसभा चुनाव में मोदी को 126 सीटों पर तीसरी बार अप्रत्याशत जीत हासिल की थी तब से ही मोदी का मोदीत्व भाजपा में और मुखर हो उठा था। और शायद इस अप्रत्याशत जीत से अडवानी के लिए मोदी एक कीमती मोहरा बन गए थे तो क्या इस चुनाव ने सिध्द कर दिया है कि मोदी का जादू मात्र उसके गृहराज्य गुजरात तक ही सीमित है? लेकिन पिछले सात वर्षों र्से गुजरात की सत्ता पर विराजमान भाजपा इस लोकसभा चुनाव में सिर्फ अपनी साख बचाने में ही सफल रही है। गुजरात में भाजपा को 15 और कांग्रेस को 11 सीटें मिली है। इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस जहां एक ओर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई और कांग्रेस के दो दिग्गज एवं मंत्री रह चुके शंकरसिह वाघेला और, नारायण राठवा को पराजय का मुंह देखना पड़ा। हांलाकि मोदी मंडली ने अडवानी को भावी प्रधानमंत्री बनाने के लिए गुजरात से 20 सीटों का दावा किया था लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में सिर्फ एक सीट पर ही बढ़त हासिल हुई है और कांग्रेस को एक सीट का घाटा हुआ है। स्टार प्रचारक के रूप में उभरे मोदी ने अडवानी को गुजरात की राजधानी गांधीनगर की संसदीय सीट पर तो बिठा दिया लेकिन देश की राजधानी दिल्ली उनसे कोसों दूर हो गई जिससे भाजपा के शीर्ष नेताओं एवं राज्य में मोदी के विरोधियों में सुगबुगाहट शुरू हो गई है। इतना ही नहीं गुजरात में अपने हिंदुत्ववादी बनाम विकासवादी चेहरे के करिश्मे से मात्र एक सीट ज्यादा ले सके। जबकि मोदी ने पूरे आत्मविश्वास से भरपूर गुजरात में करीबन 70 सभाएं की थी। बोफोर्स घोटाले में इटली के भाई को बेल और गुजरात के बेटे को जेल कहकर भुनाया लेकिन उनका यह करिश्मा भी काम नहीं आ सका। भाजपा के लिए अगर यह झटका है तो गुजरात में कांग्रेस के लिए भी यह कम दुखदायी नहीे है। गुजरात में कांग्रेस वैसे भी आंतरिक गुटबाजी की राजनीति से जूझ रही है। कांग्रेस में जान फूंकने के लिए गुजरात में आंतरिक चुनाव करवाए गए और कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने एक महीने में तीन यात्राएं भी की लेकिन गुजरात में कांग्रेस ने अब तक अपनी पिछली गलतियों से सबक नहीे सीखा यही कारण है गुजरात लोकसभा में ना ही राहुल का करिश्मा चला और ना ही मोदी का मैजिक चल पाया। लेकिन भाजपा के शीर्ष नेता जो मोदी को 2014 का प्रधानमंत्री घोषित कर रहे थे इस चुनाव के बाद अगलें बगले झांकने लगे हैं। गुजरात के चुनावी परिणाम भाजपा के लिए आघात हैं लेकिन जो नतीजे आए हैं उससे यह स्पष्ट है कि भाजपा के असंतुष्टों को सफलता मिली है। भाजपा के बागियों के कारण ही कांग्रेस को राजकोट, पाटन, दाहोद और बनासकांठा की चार सीट जीतने में सफलता मिली है। राजकोट को भाजपा का गढ़ कहा जाता था करीबन 20 साल बाद कांग्रेस के कुंवरजी बावलिया की इस सीट से जीत हुई है। कांग्रेस की इस विजय में भाजपा के वरिष्ठ नेता वल्लभ भाई कथीरिया का सहयोग रहा है। पाटन सीट के लिए भाजपा ने कांग्रेस विधायक अपराधिक छवि के उम्मीदवार भावसिंह राठौड़ को टिकट दी थी जिससे भाजपा में बगावत की स्थिति पैदा हो गई थी और कांग्रेस के जगदीश ठाकोर की जीत हुई। बनासकांठा बैठक की सीट को लेकर भाजपा पूरी तरह से आश्वस्त थी लेकिन भाजपा के विधायक लीलाधर वाघेला ने अपनी पार्टी के विरूध्द खुलेआम प्रचार किया और कांग्रेस के मुकेश गढ़वी की जीत हुई। दाहोद सीट के लिए भाजपा ने कांग्रेस के सोमजी डामोर को टिकट दी थी लेकिन वहां भी भाजपा ने अंदर ही बगावत कर कांग्रेस की उम्मीदवार डा. प्रभा तावियाड़ की मदद की। सवाल यह उठता है कि क्या अब मोदी के विरोधी सक्रिय हो गए हैं? क्योकि सवाल इस बात का भी है कि मोदी ने जिन अपराधिक चेहरों को चुनावी मैदान में खड़ा किया उसमें भावसिंह राठौड़, सोमजी डामोर और बैंक घोटाले में शामिल दीपक साथी चुनाव हार गए।लेकिन बैंक घोटाले में शामिल प्रभातसिंह चौहान गोधरा से और सी.आर.पाटिल नवसारी से चुनाव जीत गए। लेकिन सवाल इस बात का है कि जिस तरह से मोदी के विरोध में सुर उठ खड़े हुए हैं वह गुजरात में आने वाले दिनों में कहीं तूफानी साबित ना हो?

मंत्रिमंडल विस्तार कल

मंत्रिमंडल के २८ मई को होने वाले विस्तार को अंतिम रूप देने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन ङ्क्षसह और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की अध्यक्ष सोनिया गांधी के मध्य आज शाम मैराथन बातचीत के बीच इस बात के ठोस संकेत मिले हैं कि ५० से ५५ सदस्यों को मंत्रिपरिषद में शामिल किया जाएगा।राष्ट्रपति भवन की प्रवक्ता अर्चना दत्ता के अनुसार मनमोहन मंत्रिमंडल के विस्तार के लिये नये मंत्रियों को २८ मई को सवेरे साढ़े ११ बजे शपथ दिलाई जाएगी।कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि सहयोगी दलों के साथ मंत्रिपरिषद की सीटों का मामला तय हो गया है और अब विभिन्न क्षेत्रों, राज्यों और समूहों के बीच संतुलन साधने की कवायद चल रही है। डा. ङ्क्षसह समेत २० सदस्यीय मंत्रिमंडल में अभी तक अनुभव को तरजीह दी गयी थी जबकि बृहस्पतिवार के विस्तार में हर प्रकार का संतुलन देखने को मिलेगा।मंत्रिमंडल को संतुलित रूप देने के लिए कांग्रेस में सघन विचार मंथन जारी है। कांग्रेस अध्यक्ष के निवास पर आज पार्टी के शीर्ष नेताओं की बैठक हुई और शाम को श्रीमती गांधी और डा. ङ्क्षसह के बीच लम्बी मंत्रणा चली। इस बैठक में पार्टी के भीतर मंत्रिपद के बंटवारे को लेकर चर्चा हुई। पार्टी के कोटे के मंत्रियों और उनके विभागों को लेकर जबर्दस्त खींचतान जारी है और इसी के चलते अब तक कांग्रेस के १३ कैबिनेट मंत्रियों को विभाग नहीं दिए जा सके हैं जिन्होंने २२ मई को शपथ ग्रहण की थी।सूत्रों ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को मंत्रिमंडल में मिलने वाले स्थानों का फैसला हो चुका है और अब प्रधानमंत्री एवं पार्टी अध्यक्ष के बीच कांग्रेस के संभावित मंत्रियों और उनके विभागों का निर्णय किया जा रहा है। विस्तार में कांग्रेस के ३५ सदस्यों के शामिल होने की सम्भावना है। द्रमुक को सात, तृणमूल कांग्रेस को छह और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को दो मंत्री पद मिलने की सम्भावना है।विस्तार में क्षेत्रीय और राज्यों की भावनाओं को समुचित स्थान दिया जाएगा और महिलाओं एवं युवाओं को भी बेहतर प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश, केरल और पश्चिम बंगाल को समुचित प्रतिनिधित्व मिलने की उम्मीद की जा रही है जो कांग्रेस के लिए भविष्य का रास्ता तय करेंगे।महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश को भी पुरस्कृत किया जाएगा जहां कांग्रेस ने अपने दुर्ग बचाए रखे हैं और राजस्थान को खास तवज्जो दी जाएगी जहां कांग्रेस ने विपक्षी भाजपा का लगभग सफाया कर दिया।खबरें ये भी हैं कि तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने आठ मंत्री पद मांगे हैं जिनमें से एक कैबिनेट और सात राज्य मंत्री के हैं। उनकी पार्टी को एक कैबिनेट और छह राज्यमंत्री देने का फैसला पहले ही हो चुका है। सूत्रों ने हालांकि कहा कि तृणमूल कांग्रेस के साथ कोई विवाद नहीं है। बैठक के बाद सूत्रों ने बताया कि राकांपा नेता प्रफुल्ल पटेल को फिर से नागर विमानन मंत्रालय दिया जा सकता है। कांग्रेस के भीतर भी मंत्रालय आवंटन को लेकर खींचतान देखने को मिल रही है लेकिन सूत्रों ने कहा कि ऐसे मसलों का समाधान हो गया है।

जहानाबाद से प्रारंभ धन्यवाद यात्रा

बिहार में लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की भारी सफलता के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब "धन्यवाद यात्रा" करेंगे। इसके जरिए वह राज्य की जनता का आभार प्रकट करेंगे। जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय प्रवक्ता शिवानंद तिवारी ने मंगलवार को बताया कि धन्यवाद यात्रा 27 मई को जहानाबाद से प्रारंभ होगी। इस यात्रा में मुख्यमंत्री के साथ उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी तथा राजग के वरिष्ठ नेता शामिल होंगे। जहानाबाद के बाद 29 मई को नीतीश नालंदा संसदीय क्षेत्र जाएंगे जहां वह इस्माइलपुर प्रखंड के तिलहारा गांव में एक सभा को संबोधित करेंगे। सांसदों की सुविधानुसार अन्य संसदीय क्षेत्रों के कार्यक्रम भी तय किए जाएंगे और फिर मुख्यमंत्री मतदाताओं का आभार व्यक्त करेंगे। लोकसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ने न्याय तथा विकास यात्रा के दौरान कई गांवों का दौरा किया था।

आपदा प्रबंधन में सरकार विफल-ममता

राज्य सरकार आपदा प्रबंधन में विफल साबित हुई है। राज्य सरकार के मंत्रियों के दौरे से नहीं राहत पैकेज घोषित करने से पीडितों का भला होगा। तूफान आइला से सर्वाधिक प्रभावित ईश्वरीपुर इलाके के दौरे के बाद संवाददाताओं से बातचीत में रेल मंत्री ममता बनर्जी ने यह बात मंगलवार को कही। तृणमूल सुप्रीमो ने कहा कि केन्द्रीय बलों की तैनातगी की मांग भी उन्होंने केन्द्रीय गृह मंत्री से की थी। राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारियों से मुंह छिपा रही है। उसके मंत्री प्रभावित इलाकों में जाने की बजाए सिर्फ दौरे कर रहे हैं। दूरदराज के इलाकों में अब तक पीने का पानी भी नहीं पहुंचा है। तूफान से हुए नुकसान को राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग के माथे मढते हुए ममता ने कहा कि सिंचाई विभाग को समय रहते हुए इस तरह की स्थितियों से निपटने की योजना बनानी चाहिए। तृणमूल शासित जिला परिषद की पीठ थपथपाते हुए ममता ने कहा कि राहत कार्यो में परिषद ने युद्धस्तर पर काम शुरू कर दिया है। अब तक 37 हजार तिरपाल बांटे जा चुके हैं।50 हजार तिरपालों की और आवश्यकता है। ममता ने बताया कि नामखाना में जिला परिषद की ओर से 32 राहत शिविरों में दस हजार और पाथरप्रतिमा के सौ राहत शिविरों में तीस हजार बेघर लोग शरण लिए हुए हैं। मिड डे मील का तीस हजार क्विंटल चावल तूफान प्रभावितों को दिए जाने पर सहमति बन गई है। 30 हजार फूड पैकेट अब तक बांटे जा चुके हैं। तूफान के कारण अब तक दक्षिण 24 परगना जिले की सात हजार एकड जमीन खराब हो गई है। तूफान प्रभावित संदेशखाली, पाथेरखाली, ईश्वरीपुर, मदनगंज इलाकों में हेलीकाप्टर से राहत सामग्री गिराई जा रही है। राज्य सरकार पर बरसते हुए ममता ने कहा कि तूफान में सबसे ज्यादा प्रभावित पांच ब्लॉकों में राज्य सरकार ने महज दो राहत शिविर स्थापित किए हैं। उन्होंने जिला परिषद से जिले में स्थायी राहत व पुनर्वास केन्द्र के लिए जमीन तलाशने के निर्देश दिए। ममता ने कहा कि स्थायी केन्द्र के लिए पार्टी के सांसद अपनी सांसद निधि से राशि देंगे।

मसौदा प्रस्ताव श्रीलंकाई तमिलों के हित में नहीं

मुख्यमंत्री एम. करूणानिधि ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद को श्रीलंका सरकार द्वारा प्रस्तुत मसौदा प्रस्ताव श्रीलंकाई तमिलों के हित में नहीं है। प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह को मंगलवार को लिखे पत्र में करूणानिधि ने कहा है कि यद्यपि यह किसी भी देश के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप करने का प्रश्न नहीं है जिससे कि देश की स्वतंत्रता, सम्प्रभुता तथा एकता प्रभावित हो, लेकिन श्रीलंका को एक विशेष मामले की तरह देखना होगा।करूणानिधि ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि श्रीलंकाई तमिलों की भावनाओं तथा उनके भविष्य में कल्याण को ध्यान में रखते हुए इस मामले में वे उचित निर्णय लें।

आडवाणी की वेबसाइट बदली

लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार ने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की बेवसाइट को भी बदल डाला है। चुनाव से पहले देश के भावी प्रधानमंत्री के रूप में पेश किए जाने वाले आडवाणी की वेबसाइट एलकेआडवाणी.इन का नया शीर्षक है "अ लाइफटाइम ऑफ सर्विस टू द नेशन" (लालकृष्ण आडवाणी: सम्पूर्ण जीवन राष्ट्र की सेवा में )। जबकि चुनाव से पहले वेबसाइट का का मुख्य शीर्षक हुआ करता था, "आडवाणी फॉर पीएम"।

चेतना का प्रवाह और जागरूकता दोनों ही जरूरी : सीपी जोशी

केन्द्रीय मंत्री सीपी जोशी ने कहा कि भूमंडलीयकरण के इस दौर में समन्वय की चेतना का प्रवाह और जागरूकता दोनों ही जरूरी हैं। दिल्ली में मंगलवार को उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी द्वारा किए गए द ट्रांजीशन टू ए ग्लोबल कांसीयशनेस पुस्तक के लोकार्पण समारोह में बोलते हुए उन्होंने सुझाव दिया कि इलेक्ट्रानिक मीडिया को अपना कोड ऑफ कंडक्ट बनाना चाहिए कि कौन विजुअल आम जनता के बीच में जाना चाहिए और कौन सा नहीं। विएना के गुरूद्वारा में हुई हिंसात्मक घटना पर चिंता प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि इस प्रकार की घटनाएं लोकतांत्रिक देशों के लिए चुनौती हैं। इन घटनाओं को कवर करने के दौरान इलेक्ट्रानिक मीडिया को इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि समाज में हिंसा व उत्तेजना का वातावरण न बनाएं। विएना घटना के बाद पंजाब में हुआ बवाल इस बात का प्रमाण है। उपराष्ट्रपति अंसारी ने कहा कि ग्लोबल कांसीयशनेस शब्द में एक प्रकार की अंब्रेला टर्म है, जो कई प्रश्न खडे करती है लेकिन अगर ग्लोबल कांसीयशनेस तैयार होती है तो जागरूकता का क्षितिज बढता है। उन्होंने कहा कि भूमण्डलीकरण का अर्थ बाजार से लेकर मनुष्य के भाग्य तक जुड गया है। दु:ख की बात यह है कि भूमण्डलीकरण को संकुचित तरीके से देखा जा रहा है।

Monday, May 25, 2009

खासी मशक्कत करनी पड़ रही है यूपी के नामों पर

केंद्रीय कैबिनेट के विस्तार में उत्तर प्रदेश से आधा दर्जन सांसदों को मंत्री बनाया जा सकता है। जिन नामों पर अभी तक सहमति बनने की खबर है, उनमें बेनी प्रसाद वर्मा, सलमान खुर्शीद, श्रीप्रकाश जायसवाल, डॉ. संजय सिंह, जितिन प्रसाद और पी. एल. पुनिया अहम हैं। हालांकि राजकुमारी रत्ना सिंह, जफर अली नकवी और जगदंबिका पाल भी चर्चा में हैं। यूपी के नामों पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। इन दोनों की इस बारे में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी बात हुई है। तीनों की राय है कि मंत्री ऐसे हों जो राजनीतिक तौर पर मजबूत होने के साथ ही प्रशासनिक कामकाज में भी दक्ष हों और जो यूपी में पार्टी को और मजबूत बनाने में अहम भूमिका अदा करें। राहुल के सुझाव पर राज्य के हर वर्ग को प्रतिनिधित्व देने की तैयारी है। राहुल चाहते हैं कि यूपी से ऐसे मंत्री बनाए जाएं, जिसका फायदा कांग्रेस पार्टी को 2012 में प्रस्तावित विधानसभा चुनावों में मिल सके। इसीलिए ब्राह्माण, ठाकुर, मुस्लिम, वैश्य, पिछड़े और दलित सभी वर्ग से एक-एक मंत्री बनाने की तैयारी है।

खासी मशक्कत करनी पड़ रही है यूपी के नामों पर

केंद्रीय कैबिनेट के विस्तार में उत्तर प्रदेश से आधा दर्जन सांसदों को मंत्री बनाया जा सकता है। जिन नामों पर अभी तक सहमति बनने की खबर है, उनमें बेनी प्रसाद वर्मा, सलमान खुर्शीद, श्रीप्रकाश जायसवाल, डॉ. संजय सिंह, जितिन प्रसाद और पी. एल. पुनिया अहम हैं। हालांकि राजकुमारी रत्ना सिंह, जफर अली नकवी और जगदंबिका पाल भी चर्चा में हैं। यूपी के नामों पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। इन दोनों की इस बारे में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी बात हुई है। तीनों की राय है कि मंत्री ऐसे हों जो राजनीतिक तौर पर मजबूत होने के साथ ही प्रशासनिक कामकाज में भी दक्ष हों और जो यूपी में पार्टी को और मजबूत बनाने में अहम भूमिका अदा करें। राहुल के सुझाव पर राज्य के हर वर्ग को प्रतिनिधित्व देने की तैयारी है। राहुल चाहते हैं कि यूपी से ऐसे मंत्री बनाए जाएं, जिसका फायदा कांग्रेस पार्टी को 2012 में प्रस्तावित विधानसभा चुनावों में मिल सके। इसीलिए ब्राह्माण, ठाकुर, मुस्लिम, वैश्य, पिछड़े और दलित सभी वर्ग से एक-एक मंत्री बनाने की तैयारी है।

मध्यप्रदेश से लेकर दिल्ली तक लॉबिंग

दो बडे चुनावी समर के बीतने के बाद भारतीय जनता पार्टी में संगठनात्मक सरगर्मी बढने लगी है। प्रदेश अध्यक्ष से लेकर राज्यसभा और निगम-मण्डलों के पदों को पाने के लिए नेता प्रदेश संगठन के दिग्गजों के चक्कर लगाने लगे हैं। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल खत्म होने में काफी समय शेष है, लेकिन कई बडे नाम इसके लिए अभी मध्यप्रदेश से लेकर दिल्ली तक लॉबिंग में जुटे हैं। प्रमुख बडे नामों में राष्ट्रीय महासचिव थावरचन्द गेहलोत, पूर्व सांसद डॉ. सत्यनारायण जटिया, पूर्व संगठन महामंत्री व महाराष्ट्र के प्रभारी कप्तान सिंह सोलंकी, पूर्व संगठन महामंत्री कृष्ण मुरारी मोघे, राष्ट्रीय सचिव प्रभात झा, कैलाश सारंग व प्रदेश उपाध्यक्ष विजेन्द्र सिंह सिसोदिया शामिल हैं। ये नेता दिल्ली से लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी संपर्क में हैं। प्रदेश अध्यक्ष पद के कुछ दावेदारों का तो यह भी कहना है कि संगठन नाम नहीं भी बढाता है तो वे चुनाव लडेंगे। संगठनात्मक सरगर्मी के पीछे प्रमुख कारण यह भी है कि इसी सप्ताह से सदस्यता अभियान शुरू हो रहा है जिसमें दावेदार रूचि ले रहे हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक सारंग के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा रूचि ले रहे हैं।राज्यसभा या प्रदेश अध्यक्ष, दोनों में से एक की मांग रखी जा रही है। प्रदेश अध्यक्ष पद के एक दावेदार गेहलोत का नाम राज्यसभा के लिए भी आगे बढाया जा रहा है। सोमवार को शाजापुर जिले के कुछ विधायक व जिलाध्यक्ष इसी सिलसिले में प्रदेश सह संगठन महामंत्री भगवतशरण माथुर से मिले। उन्होंने इस मुलाकात में कुछ प्रशासनिक फेरबदल करने की भी बात रखी। बाद में ये नेता मुख्यमंत्री से भी मिलने गए। उल्लेखनीय है कि नगर निकायों के चुुनाव के आसपास ही भाजपा संगठन के चुनाव प्रस्तावित हैं। इसीलिए कोई भी शून्यकाल के दौर में आराम करने के मूड में नहीं है। निगम-मण्डलों की कुर्सी पाने के लिए भी जोड-तोड जारी है। चन्द्रमणि भी पहुंचे मुख्यालयरीवा संसदीय सीट से करारी शिकस्त खाने वाले भाजपा उम्मीदवार व पूर्व सांसद चन्द्रमणि त्रिपाठी सोमवार को पार्टी प्रदेश मुख्यालय में प्रदेश सह संगठन महामंत्री भगवतशरण माथुर से मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक त्रिपाठी ने संक्षिप्त मुलाकात में माथुर को लोकसभा चुनाव में हार के कई कारणों से अवगत कराया। उल्लेखनीय है कि रविवार को रीवा से सटी सतना लोकसभा से विजयी रहे भाजपा उम्मीदवार गणेश सिंह ने भी प्रदेश पदाधिकारियों से भेंट की थी।

भाकियू के हरपाल गुट का धरना

भारतीय किसान यूनियन के हरपाल सिंह गुट ने यहां सोमवार को विधानसभा पर एक दिन का धरना देकर गेहूं और गन्ने की खरीद का भुगतान शीघ्र कराने की मांग की। यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौ. हरपाल सिंह ने बताया कि प्रदेश के सभी जिलों में गेहूं की सरकारी खरीद बन्द कर दी गई। राज्य सरकार को व्यापारियों द्वारा की जा रही खरीद बन्द करवा सरकारी खरीद शुरू करवानी चाहिए। इसके अलावा शीतगृहों में रखे आलू का भाडा भी नियंत्रित करवाना चाहिए। उन्होंने कहा कि चुनाव के समय बिजली के बिल बढाकर बिजली आपूर्ति बन्द कर दी गई। स्टाम्प कर बढाकर रजिस्ट्री महंगी कर दी गई है। नहरों में पानी नहीं और घरों में बिजली नहीं है। धरना पच्चीस जून को लोकतंत्र रक्षक सेनानी संगठन द्वारा मुख्यमंत्री मायावती के इस्तीफे की मांग को लेकर आगामी 25 जून को प्रदेश के जिला मुख्यालयों पर धरना दिया जाएगा। पहले यह तिथि 25 मई तय की गई थी। संगठन के महासचिव लोलारख उपाध्याय ने बताया कि प्रारम्भिक तौर पर 25 मई को ही धरना आयोजित करने का फैसला किया गया था, लेकिन अब 25 जून की तिथि तय की गई है। इससे तैयारियों के लिए पर्याप्त समय मिल सकेगा।

इंतजार कर रहे हैं जोशी व सांसद

राजस्थान हाउस भी इन दिनों राजनीति का केन्द्र बिन्दु बना हुआ है। एक तरफ जहां केंद्रीय मंत्री बनाए गए सी.पी. जोशी विभाग का इंतजार कर रहे हैं वहीं कुछ सांसद इस उम्मीद से ठहरे हुए हैं कि मंत्रिमंडल विस्तार में शायद उनको भी मौका मिल जाए। जोशी को अभी सरकार की तरफ से कोई सुविधा नहीं दी गई है। विभाग मिलने के बाद ही उनको मंत्री के रूप में मिलने वाली सुविधाएं मिल सकेंगी। तीन दिन से वे कमरा नम्बर 102 में बधाइयां स्वीकार करने में लगे हैं। सोमवार को उन्हें राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसंुधरा राजे ने भी फोन पर बधाई दी। इस बीच उन्होने वरिष्ठ नेता रामनिवास मिर्धा से उनके आवास पर जाकर मुलाकात की।सांसद सचिन पायलट भी उनसे सोमवार को मिले। पायलट भी मंत्री पद दौड में सबसे आगे चल रहे हैं। इनके साथ ताराचंद भगोरा और महादेव खंडेला भी पूरी तरह से कोशिश में लगे हैं। इन तीनों के साथ पार्टी के वरिष्ठ नेता शीशराम ओला और नमोनारायण मीणा भी चर्चा में हैं। पार्टी का संकट यह है कि दावेदार ज्यादा हैं और पद कम हैं। राज्यसभा से प्रभा ठाकुर, संतोष बागडोदिया और अभिषेक सिंघवी भी रेस में बने हैं। कुल मिलाकर राजस्थान से ही आधा दर्जन दावेदार हैं। यह सभी सांसद दिल्ली में ही हैं। किसको प्रधानमंत्री मौका देते हैं इसका पता विस्तार के दौरान ही चल पाएगा। राजस्थान हाउस में ठहरे हुए खंडेला और भगोरा मंत्री बनाए जाने के सवाल पर अभी पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए हैं। इन सांसदों के साथ चुनकर आए बाकी सांसद वापस लौट गए हैं। ज्योती मिर्धा और चंद्रेश कुमारी राजस्थान हाउस में नहीं ठहरती हैं, उनके अपने आवास हैं। यह दोनों नेत्री भी अपनी तरफ से कोई कमी नहीं रख रही हैं। इस संबंध में प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जोशी कहते हैं कि उन्हें नहीं पता कौन मंत्री बन रहा है। प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार है कि वह किसे मंत्री बनाते हैं। उन्हें उन्होंने मौका दिया है उस पर वे खरा उतरेंगे। विभाग मिलते ही अपना काम काजशुरू कर दूंगा। उन्हें बधाई देने वालों का सिलसिला लगातार जारी है।

सुरक्षा के लिए वह नई पारी में नए तरीके की लडाई

केन्द्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम ने चिंता और चुनौती की नाव में सवार होकर सोमवार से अपनी दूसरी पारी का सफर शुरू कर दिया। पाक के प्रति तल्ख तेवर, आतंक एवं नक्सलवाद पर पुरानी आक्रामकता और देश के सुरक्षा तंत्र को दुरूस्त करने की चिंता जाहिर कर उन्होंने यह जताने का भरपूर प्रयास किया कि सुरक्षा के लिए वह नई पारी में नए तरीके की लडाई छेडने जा रहे हैं।मुम्बई हमले पर पाकिस्तान को कठघरे में खडा करने की अपनी कूटनीतिक सफलता से उत्साहित चिदम्बरम ने दो टूक कहा कि अब उस पर किसी और सबूत की जरूरत नहीं है। भारत की ओर से दिए गए तीन डोसियर में इतने प्रमाण हैं कि उसके आधार पर पाक कसाब पर कार्रवाई कर सकता है। चिदम्बरम ने साफ किया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ हर वह कदम उठा रहा है जिससे उसे मिटाया जा सके। उनके अनुसार आतंकवाद विरोधी कानून के प्रभावी होने के बाद सुरक्षा प्रणाली को बेहतर करने की दिशा में काम तेज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार की देश में एनसीटीसी खोलने की योजना है, लेकिन यह काम मैक के पूरी तरह कार्य करने के बाद किया जाएगा। फांसी पर नया फंदाअफजल गुरू की फांसी को लेकर हो रही राजनीति पर चिदम्बरम ने तोड ढूंढ लिया है। उन्होंने अपने मंत्रालय के आला अफसरों को निर्देशित कर दिया है कि मर्सी के लंबित केसों का जल्द निपटारा कर उस मामले को आगे बढाएं। केन्द्रीय गृहमंत्रालय में फांसी के 28 मामले लंबित हैं जिसमें अफजल का मामला 22 वें स्थान पर है। नक्सल पर लगेगी लगामनक्सलवाद से निपटने के लिए केन्द्र सरकार और सख्त कदम उठाने जा रही है। चिदम्बरम ने बताया कि विकास विरोधी नक्सलियों के विरूद्ध कडी पुलिस कार्रवाई करने के बाद उस क्षेत्र का समुचित विकास कर नक्सलियों के मंसूबों को खत्म करने का काम किया जाएगा।भरे जाएंगे पदकेन्द्र सरकार ने लम्बे समय से खाली पडे आईपीएस के पदों पर भर्ती की योजना बना ली है। इस काम को तीन साल में पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। चिदम्बरम ने कहा कि सारी भर्ती एक साथ इसलिए नहीं हो सकती क्योंकि उससे पदोन्नति में दिक्कत आएगी।

तय नहीं हो सके मंत्री व विभाग

यह तय नहीं हो सका कि कहां से कितने मंत्री और किसे क्या विभाग दिया जाएक् प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से मंगलवार को विस्तार की घोषणा तो की गई, लेकिन हालात दिखाई नहीं दे रहे हैं। विस्तार के संबंध में देर शाम तक न तो प्रधानमंत्री कार्यालय और ना ही राष्ट्रपति भवन के सूत्र विस्तार के बारे में कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं थे। उनका कहना था कि जैसे ही उन्हे आदेश मिलेगा उस हिसाब से तैयारी कर देंगे। सोमवार को मंत्रिमंडल विस्तार और विभागों को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल और वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के बीच दिन भर बैठकें चलती रही। कांग्रेस के सामने द्रमुक के सात मंत्रियों को उनकी पसंद के विभाग सौंपे जाने के साथ दूसरे बडे सहयोगी तृणमूल को भी 5 और विभाग देने हैं। सपं्रग में शामिल घटक दल भी मंत्रालय की उम्मीद लगाए हैं।नेशनल कांफे्रंस तो गठन के समय शामिल न किए जाने से नाराजगी जता चुकाहै। केरल कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा, एआईएमआईएम समेत अन्य छोटे दल भी मंत्रालय पर नजर लगाए हुए हैं। कुल मिलाकर 15 से 17 मंत्रालय सहयोगियों को देने होंगे। सहयोगियों के चलते गत 22 तारीख को शपथ लेने वाले आधे से ज्यादा मंत्री अभी विभागों की बाट देख रहे हैं। उस दिन प्रधानमंत्री समेत 19 मंत्रियों ने शपथ ली थी। इसके साथ राज्यवार प्रतिनिधित्व देने का भी कांग्रेस पर भारी दबाव है। कांग्रेस अध्यक्ष के राज्य उत्तर प्रदेश से ही आधा दर्जन सांसद कैबिनेट की उम्मीद पाले हुए हैं। राजस्थान से भी तीन से चार मंत्री बनाए जाने हैं। हरियाणा, पंजाब व उत्तराखंड जैसे राज्यों से भी कई दिग्गज उम्मीद लगाए हुए हैं। कांग्रेस तय नही कर पा रही है कि अभी किन राज्यों को महत्व दिया जाए। पिछली सरकार में उत्तराखंड, छत्तीसगढ जैसे छोेटे राज्यों की उपेक्षा की गई थी। कांग्रेस अध्यक्ष इस बार सभी राज्यों को मौका देने के मूड में है। इसलिए माना जा रहा है कि विस्तार एक दिन के लिए टल भी सकता है या एक और विस्तार बाद में किया जाए।

Sunday, May 24, 2009

राजनीतिक करिअर खत्म तो नहीं हो गया अर्जुन सिंह का

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और नेहरू-गांधी परिवार के प्रति निष्ठावान रहे अर्जुन सिंह को हाल ही में गठित केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल नही करने के बाद ऐसी आशंका जताई जा रही है कि कहीं उनका राजनीतिक करिअर खत्म तो नहीं हो गया। विश्लेषकों की मानें तो इसमें कोई दो राय नही है कि उनके राजनैतिक कार्यकाल का सबसे अच्छा समय 1980 से लेकर 1985 तक रहा जब वे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, लेकिन चुरहट कांड के चलते उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ा था। अर्जुन सिंह की गिनती हमेशा प्रदेश के सफल मुख्यमंत्रियों में की जाएगी। जब वे इस पद पर थे तो 1984 के लोकसभा चुनावों में अविभाजित मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने प्रदेश की 40 में से 40 सीटें जीत ली थी। हालांकि, यह चुनाव पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के तुरन्त बाद हुए थे, लेकिन फिर भी इनमें सिंह की भूमिका को कम करके आंका नही जा सकता। अर्जुन सिंह मध्य प्रदेश के ऐसे अकेले मुख्यमंत्री है जो एक बार तो इस पद पर केवल एक ही दिन के लिए रहे थे। हुआ यूं कि 1985 के विधानसभा चुनाव जीतने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ तो दिलाई गई लेकिन अगले ही दिन उन्हें पंजाब का राज्यपाल बनाकर भेज दिया गया। पंजाब के राज्यपाल के रुप में भी उनके कामकाज की सराहना की गई। कहा जाता है कि राजीव-लोंगोवाल समझौता करवाने में उनकी अहम भूमिका थी। राजीव गांधी की हत्या के बाद पी.वी. नरसिंहराव प्रधानमंत्री बने और उनसे अर्जुन सिंह की कभी नही बनी। उन्हें कांग्रेस से बाहर होना पड़ा। उन्होंने एन.डी. तिवारी की अध्यक्षता में तिवारी कांग्रेस का गठन किया। तिवारी कांग्रेस ज्यादा सफल नहीं हो सकी और उसके टिकट पर अर्जुन सिंह खुद 1996 में लोकसभा का चुनाव मध्यप्रदेश में सतना से हार गए। इसके बाद सिंह कांग्रेस में वापस लौट आए और 1998 का लोकसभा चुनाव उन्होंने होशंगाबाद संसदीय क्षेत्र से लड़ा। लेकिन इस बार भी वह हार गए। सन 2000 में अर्जुन सिंह राज्यसभा के लिए मध्य प्रदेश से चुने गए और जब 2004 में यूपीए सरकार का गठन हुआ तो वे उसमें मानव संसाधन विकास मंत्री बनाए गए। लेकिन यह वर्ष सिंह के लिए परेशानियों और तकलीफों से घिरा रहा। उन्हें सबसे ज्यादा नुकसान शायद उस वक्त हुआ जब उनकी जीवनी पर लिखी गई एक पुस्तक में उनकी पत्नी के हवाले से कथित तौर पर कहा गया कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उन्हें देश का राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री नहीं बनवाकर गलती की। वर्तमान लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने उनके पुत्र अजय सिंह और उनकी बेटी वीणा सिंह को टिकट नहीं दिया। वीणा ने सीधी से निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में चुनाव लड़ा और हार गईं । जब वे मानव संसाधन विकास मंत्री थे तो उनके प्रयासों से ही इंदौर एक ऐसा शहर बना जहां पर आई.आई.टी. और आई.आई.एम. दोनों है। उनके प्रयासों से मध्य प्रदेश में कई बड़े संस्थान खुले और केंद्रीय विद्यालयों की संख्या भी बढ़ी।

नेतृत्व परिवर्तन की आस में बेठे कई भाजपा नेताओं के मंसूबे ढेर

लोकसभा चुनाव में राजस्थान में करारी हार के बाद भाजपा में शीतयुध्द शुरू हो गया है। प्रदेशाध्यक्ष ओम प्रकाश माथुर व पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को हटवाने के लिए प्रदेश के कई नेता सक्रीय हो गए है। यहां तक की कुछ नेता दिल्ली जाकर भी अपनी मांग उठा चुके है, इस बीच वसुंधरा राजे व ओमप्रकाश माथुर को भी दिल्ली तलब किया जहां उन्होने प्रदेश में हार के कारणों की जानकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह व लालकृष्ण आडवाणी को देकर आए।
चुनाव प्रचार के दौरान ही भाजपा के वरिष्ठ नेता पीएम इन वेटिंग लालकूष्ण आडवाणी ने घोषणा की थी कि यदि प्रधानमंत्री नहीं बन सके तो राजनीति से संन्यास ले लेंगे और इसी अनुरूप उन्होने परिणामों के बाद लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता का पद संभालने से भी इंकार कर दिया। भाजपा में अभी ऐसा कोई अन्य नेता नहीं है जिसे आडवाणी के उत्तराधीकारी के रूप में सर्व सम्मति से स्वीकारा जा सके। इसलिए उनका पद संभालने के लिए कई नेताआें के दिल में हिलोरे उठने लगे। आपसी फूट रोकने के लिए सभी नेताओं ने आडवाणी से अपना फैसला बदलने का आग्रह किया और लोह पुरूष पिघल गए तथा अपना निर्णय बदल कर पद संभालना मंजूर कर लिया।
आडवाणी के फैसले से विभिन्न्न रायाें के प्रांतीय नेताआें को भारी राहत मिलेगी। प्राय: हर पार्टी में कोई भी चुनाव हारने के बाद महत्वकांक्षी नेता स्थापित नेतृत्व पर आक्रमण कर उसे पद से हटवाने की मांग करते ही हैं ओर राजस्थान भाजपा में भी यही हुआ। अब सवाल यह है कि क्या राजस्थान में वसुंधरा राजे को विपक्ष की नेता व ओमप्रकाश माथुर को प्रदेश अध्यक्ष से हटाया जा सकता है? उन्हें हटाने के बाद ऐसा कौन नेता है जो अगले चुनावाें में खोई हुई सत्ता वापस दिलाने की क्षमता रखता हो। यूं तो प्रदेश में हरिशंकर भाभडा,ललित किशोर चतुर्वेदी, भंवरलाल शर्मा जैसे दिग्गज भैरोसिह शेखावत के मंत्रिमंडल में रह उनके उत्तराधिकारी के रूप में माने जाते थे। किंतु शेखावत के उप राष्ट्रपति बनने के बाद पार्टी के राष्ट्रीय नेताओ ने इन में से किसी को भी प्रदेश की बागडोर नहीं सौंपी और वसुंधरा राजे को नेतृत्व सौंपा। जिन्होने अपने दम पर भाजपा को स्पष्ट बहुमत दिला सत्ता हासिल की। पांच साल में कई नेताआें के मन में यह बात आई कि उनको प्रदेश का नेतृत्व मिल जाए तो वे सीएम बन सकते हैं। इनमें एक ओमप्रकाश माथुर है जो गुजरात के प्रभारी थे तब नरेन्द्र मोदी की सत्ता वापसी में खुद ही योग्यता का दम भरने लगे। मोदी के कारण उन्हें वसुंधरा को पूछे बिना प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया। आपसी संदेह के कारण विधानसभा चुनावाें में दोनो की पटरी नहीं बैठी और चुनाव हार गए लोकसभा चुनावाें में भी यही हस्र हुआ तो दोनो को हटाने की मांग उठ गई। पार्टी आलाकमान के पास अभी वसुंधरा राजे जैसा कोई सशक्त नेतृत्व नहीं है। वह अकेली नेता है जिसके प्रति सम्पूर्ण प्रदेश में कार्यकर्ताओ का रूझान देखा जा सकता है। उनकी तुलना में ओमप्रकाश माथुर काफी पीछे हैं। किन्तु उन्हें गुजरात के मुख्यमंत्री नेरन्द्र मोदी का वृहदहस्त प्राप्त होने से उन्हें राष्ट्रीय नेता छेडने की स्थिति में नहीं है वैसे भी जब आडवाणी ने ही संन्यास की अपनी घोषणा को नजरअंदाज कर विपक्ष का नेता बनना स्वीकार कर लिया तो अब वे प्रादेशिक नेतृत्व को बदलने की स्थिति में नहीं है। उत्तराखंड में मुख्यमंत्री को हटाने की मांग भी इसीलिए खारिज कर दी गई। अगले पांच साल विपक्ष में रहकर कांग्रेस सरकार का मुकाबला करने के लिए वसुंधरा के अलावा कोई नेता दिखाई नहीं देता। क्याेंकि कांग्रेस ने उन पर जो भ्रष्टाचार के आरोप लगाए उनका सामना व जवाब देने का काम वहीं कर सकते। लोकसभा चुनावाें में कांग्रेस राहुल गांधी के युवा शक्ति को अधिक तवाो देने के कारण यादा समर्थन हासिल कर सके। इसकी तुलना में भाजपा हरिशंकर भाभडा, ललित किशोर चतुर्वेदी, भंवरलाल शर्मा या रामदास अग्रवाल जैसे नेताआें को आगे कर प्रदेश में वोट बैंक नहीं बढा सकती। यदि इनमें इतनी क्षमता होती तो पार्टी वसुंधरा को केन्द्र से नहीं भेजती। आज प्रदेश नेतृत्व 50 से 60 साल के नेता को सौंपा जाता है तो वह युवा शक्ति को भी आकर्षित कर सकेगा। बुजुर्गों को भी साथ लेकर उनके मार्गदर्शन में सफलता प्राप्त कर सकता है। पूर्र्व उप राष्ट्रपति शेखावत ने लोकसभा चुनावाें से पूर्व अपने दामाद नरपतसिंह राजवी को प्रतिपक्ष का नेता बनवाने के लिए वसुंधरा राजे पर कांगेस द्वारा लगाए भ्रष्टाचार के आरोपाें को उछाला था। लेकिन राजवी में जनता को अपने प्रति बांधे रखने की क्षमता होती तो विधानसभा चुनावाें में उन्हें चित्तोड छोडकर जयपुर नहीं जाना पडता। कैलाश मेघवाल व गुलाबचंद कटारिया भी प्रदेश का नेतृत्व करने की क्षमता रखते हैं। किन्तु उनकी वसुंधरा से पटरी नहीं बैठती। इसलिए जेसा अभी तनाव दिखाई दे रहा वैसा बना रहेगा। भाजपा में अभी राजेन्द्र सिंह राठौड, डॉ सांवरमल जाट, किरण माहेश्वरी, श्रीचन्द्र कृपलानी, रामलाल जाट जैसे चेहरे ही ऐसे है जो वसुंधरा के साथ अपनी सक्रीयता से प्रदेश भर में पुन: संगठन में जान फूंक सकते हैं। हालांकि गुटबाजी में उलझे नेता किरण व कृपलानी को हारे हुए नेताआें की संज्ञा देकर उनके नाम का विरोध करेेंगे लेकिन चुनाव हार कर ही कांगेस भी पुन: सत्ता में लौटी है और वे सभी मंत्री भी वापस जीतकर आए जो हजाराें वोटो से हारे थे। भैरोसिंह शेखावत 93 में श्रीगंगानगर से न सिर्फ विधानसभा चुनाव हारे अपितु तीसरे स्थान पर रहने के बावजूद मुख्यमंत्री बने।

जमीनी सच्चाई से दूर हो गए थे

माकपा के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी ने स्वीकार किया है कि पश्चिम बंगाल और केरल में पार्टी जमीनी सच्चाइयों से दूर हो गई थी। इसीलिए हम बुरी तरह हारे। एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में येचुरी ने कहा कि पार्टी चुनाव नतीजों के सभी पहलुओं पर चर्चा करेगी। नेतृत्व में यदि कोई कमी रह गई तो इस बारे में भी चर्चा होगी। जून मध्य तक हम किसी निर्णय पर पहुंच जाएंगे। उन्होंने हार के लिए माकपा महासचिव प्रकाश कारत के इस्तीफे से इनकार करते हुए कहा कि इस्तीफा देना अपनी जिम्मेदारी से दूर भागना है। पार्टी हार के कारणों की सामूहिक रूप से समीक्षा करेगी। उन्होंने कहा कि येचुरी ने कहा कि इस सच्चाई से हम इनकार नहीं कर सकते कि चुनाव में हमारी भारी पराजय हुई है। पिछले दो दशकों में पहली बार ऎसा हुआ है, बगैर हमारे समर्थन के केन्द्र में धर्मनिरपेक्ष सरकार बनी हो।

किसी मंत्री के खिलाफ कार्रवाई नहीं-बसपा

बहुजन समाज पार्टी ने साफ किया है कि लोकसभा चुनाव में पार्टी का अपेक्षित प्रदर्शन नहीं होने पर किसी मंत्री के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई है और जल निगम के अध्यक्ष ने खुद ही पद छोडने का आग्रह किया था। बसपा प्रवक्ता ने कहा कि रविवार को कुछ समाचार पत्रों में मंत्री के खिलाफ कार्रवाई की छपी खबर मनगढंत हैं। नकुल दुबे ने खुद ही जल निगम के अध्यक्ष का पद छोडने तथा संगठन से जुडने का आग्रह पार्टी प्रमुख और मुख्यमंत्री मायावती से किया था। मुख्यमंत्री ने दुबे के आग्रह को स्वीकार करते हुए उन्हें मलिहाबाद विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में जुट जाने का निर्देश दिया और सहगल को जल निगम का अध्यक्ष बनाने का उनका आग्रह मान लिया।

बाला साहेब के अहसान मत भूलो राज-उद्धव

शिवसेना के कार्यकारी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने अपने चचेरे भाई और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे पर बरसते हुए कहा कि राज उन पर और उनके पिता बाल ठाकरे पर अपने भाषणों में आरोप लगाना बंद करें।उद्धव ने राज ठाकरे को याद दिलाते हुए कहा कि जब वह रमेश किणी हत्याकाण्ड मामले में फंस गए थे तब बाल ठाकरे ने प्रसिद्ध वकील राम जेठमलानी की सेवा उपलब्ध कराई थी जिसकारण वह बच गए। राज को बुरे दिनों में मिली इस सहायता को भूलना नहीं चाहिए। बाल ठाकरे उन्हें इतनी ऊपर लाए और अब ऎसा लग रहा है वह एक बडी तोप बन गए हैं। उन्होंने पिछली सारी बातें भुला दी हैं और एक बाहरी की तरह बर्ताव कर रहे हैं।

संप्रग सरकार में शामिल होने के लिए मान गए करूणानिधि

द्रमुक सुप्रीमो एम. करूणानिधि संप्रग सरकार में शामिल होने के लिए मान गए हैं। समझा जाता है कि द्रमुक अपने तीन केबिनेट और चार राज्य मंत्री बनाए जाने की शर्त पर सहमत हुई है। द्रमुक के मंत्रियों के नामों की घोषणा सोमवार को की जाएगी। उम्मीद है कि मनमोहन सरकार के मंगलवार को सम्भावित विस्तार में द्रमुक के मंत्रियों को भी शपथ दिलाई जाएगी। पिछले तीन दिन से जारी वार्ताओं से जुडे सूत्रों के मुताबिक करूणानिधि के बडे बेटे एम.के. अझागिरी, द्रमुक प्रमुख के भतीजे के बेटे दयानिधि मारन और ए. राजा केबिनेट मंत्री होंगे। इसके अलावा पार्टी के चार राज्य मंत्री भी केन्द्रीय मंत्रिमण्डल में शामिल होंगे। चर्चा है कि बालू इस बार मंत्री नहीं बन पाएंगे। उन्हें लोकसभा उपाध्यक्ष पद की पेशकश की गई है। वरिष्ठ द्रमुक नेता आरकॉट वीरास्वामी ने बताया कि पार्टी संप्रग सरकार में शामिल हो रही है। करूणानिधि ने रविवार को पार्टी की कोर कमेटी के नेताओं से एक-एक कर चर्चा की। इस चर्चा के बाद उन्होंने सरकार में शामिल होने का फैसला किया। माना जा रहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एम.के.नारायणन की रविवार सुबह करूणानिधि से शनिवार रात और फिर रविवार सुबह हुई मुलाकातों के बाद द्रमुक के रूख में नरमी आई है। उल्लेखनीय है कि द्रमुक चार केबिनेट मंत्री पदों की मांग कर रही थी, जबकि कांग्रेस उसे तीन से अधिक केबिनेट पद देने को तैयार नहीं थी। इस गतिरोध के चलते ही करूणानिधि 22 मई को मनमोहन सरकार के शपथ ग्रहण समारोह से पहले ही अपने ज्यादातर सहयोगियों के साथ चेन्नई लौट गए थे और उन्होंने सरकार को बाहर से समर्थन देने की घोषणा की थी।कनीमोझी पर विरोधाभासकरूणानिधि की बेटी कनीमोझी को लेकर विरोधाभासी खबरें हैं। पहले कुछ सूत्रों ने दावा किया था कि कनीमोझी मनमोहन सरकार में राज्य मंत्री बनने जा रही हैं। लेकिन बाद में बताया गया कि उन्होंने केन्द्रीय मंत्रिमण्डल में शामिल होने का इराद छोडकर फिलहाल संगठन पर ध्यान देने का फैसला किया है। लेकिन कनीमोझी ने अपने निवास के बाहर पत्रकारों से कहा कि उन्होंने अपना दावा छोडा नहीं है, मगर फिलहाल वह इस बारे में कुछ कहना नहीं चाहतीं।

Saturday, May 23, 2009

तृणमूल कांग्रेस के छह और सदस्यों को मंत्री पद मिल सकता

कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ले चुकीं तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने संकेत दिया कि मंगलवार को यूपीए सरकार के पहले मंत्रिमंडलीय विस्तार में उनकी पार्टी के छह और सदस्यों को मंत्री पद मिल सकता है। उन्होंने कहा, 'मंत्रिमंडल में मेरी पार्टी से छह और सदस्यों का प्रतिनिधित्व हो सकता है।' ममता ने कहा कि चूंकि उनकी पार्टी यूपीए में कांग्रेस के बाद सबसे बड़ी पार्टी है इसलिए वह और मंत्री पद की मांग कर सकती थीं लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। एक बांग्ला न्यूज़ चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा, 'पद के लिये हमने तोल-मोल नहीं किया। लोगों की सेवा के लिये हम मंत्री पद की जिम्मेदारी ले रहे हैं। मंत्रालय हमारे लिये मायने नहीं रखता। पैसा बनाने के लिये सरकार में शामिल होने की हमारी मंशा नहीं है।'

मंत्री 5 दिन रहेंगे राज्य में

तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल के मैदान को खाली नहीं छोडना चाहती हैं। भले ही पार्टी के कोटे के आधे दर्जन मंत्रियों ने अभी अपने पद की शपथ नहीं ली हो, लेकिन तृणमूल नेत्री का सख्त फरमान सामने आ गया है। गौरतलब है कि तृणमूल कांग्रेस के छह सांसद मंगलवार को मंत्री पद की शपथ लेंगे। दिल्ली से लौटीं ममता बनर्जी ने अपने कालीघाट स्थित आवास में शनिवार रात कहा कि मंत्रियों को सप्ताह में पांच दिन बंगाल में रहना होगा। वे स्वयं पांच दिन बंगाल में रहेंगी। ममता ने दोहराया कि मंत्री पद उनके लिए कोई मायने नहीं रखता है। मां, माटी, मानुष की लडाई उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण है। माकपा पर अत्याचार का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश के कई हिस्सों में माकपा समर्थक तृणमूल कर्मियों पर अत्याचार कर रहे हैं। माकपा यह न सोचे कि ममता दिल्ली चली गई हैं और उनकी मनमर्जी चलती रहेगी। वह बंगाल नहीं छोडने वाली हैं। उनका संघष्ाü जारी रहेगा। इससे पहले पार्टी की जीत को उन्होंने आम आदमी की जीत बताया। उन्होंने पार्टी कर्मियाें से कहा कि वे आम आदमी की लडाई में बढ चढकर हिस्सा लें। उन्हें साथ लेकर काम करें। उनके सम्मान के लिए आए समर्थकों से ममता ने कहा कि मंगलवार को अन्य मंत्रियों के शपथ लेने के बाद सामूहिक रूप से सम्मान का कार्यक्रम आयोजित किया जाना चाहिए। मुकुल रविवार को जाएंगे रायना बर्दवान जिले के रायना में माकपा कर्मियों की हिंसा से प्रभावित तृणमूल समर्थकों के परिवारों से मिलने पार्टी के महासचिव मुकुल राय रविवार को रायना जाएंगे। उनके साथ पार्टी का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी होगा।

इस्तीफों पर फैसला कल

लोकसभा चुनाव में अपेक्षित परिणाम न मिलने से खफा मुख्यमंत्री और बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती सोमवार को राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त बोर्डों और आयोगों के उपाध्यक्षों और सदस्यों के इस्तीफों पर फैसला कर सकती हैं। बसपा को लोकसभा चुनाव के लिए तैयार करने के उद्देश्य से मायावती ने कई कार्यकर्ताओं को वर्ष 2007 में ही विभिन्न प्राप्त बोर्डों और आयोगों का उपाध्यक्ष बनाते हुए राज्यमंत्री का दर्जा दिया था। इन राज्यमंत्रियों को अपनी संस्था से प्रतिमाह करीब तीस हजार रूपए तक वेतन लेकर पार्टी के लिए काम करना था। लोकसभा चुनाव में अपेक्षित परिणाम न मिलने पर मायावती ने इन करीब 125 राज्यमंत्रियों के इस्तीफे ले लिए हैं। अब सोमवार को होने वाली बैठक में मायावती इन इस्तीफों पर फैसला करेंगी।

गंभीर आत्ममंथन का समय

अखबार के संपादक बलदेवभाई शर्मा ने अपने हस्ताक्षर से लिखे विशेष संपादकीय में कहा है कि चुनाव परिणामों की चेतावनी और चुनौतियां यदि किसी के लिए सबसे ज्यादा गंभीर रूप से उभरकर आई है तो वह है भाजपा और भाजपा के लिए यह गंभीर आत्ममंथन का समय है। चुनाव में हार-जीत एक सहज प्रक्रिया है। हार निराशा का कारण नहीं बननी चाहिए। उस पर आत्ममंथन तथा आत्मशोधन कर प्रगति के पथ पर आगे बढना ही अभीष्ट है।जनभावनाएं साथ संघ ने कहा है कि जनभावनाओं के अपने साथ होने और पिछले कई चुनावों में भाजपा की जनस्वीकार्यता लगातार बढने के बावजूद पार्टी जनता की पहली पसंद क्यों नहीं बन सकी यह एक गंभीर प्रश्न है।

युवा नेतृत्व को उभारने की आवश्यकता

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की अनपेक्षित हार के मद्देनजर अब पार्टी में युवा मन को समझने वाले युवा नेतृत्व को उभारने की आवश्यकता पर जोर दिया है। संघ का कहना है कि भाजपा की ऎसी पराजय के बारे में किसी ने सोचा नहीं था और न ही कांग्रेस की इतने अंतर से जीत की किसी को कल्पना थी। पार्टी को इसका जवाब खोजना ही चाहिए कि वह कौन सा माद्दा था जिसने पार्टी को 2 से 182 सांसदों तक पहुंचाया और अब वे कौन से कारण हैं कि पार्टी 138 से 116 पर आ गई।आरएसएस के मुखपत्र साप्ताहिक "पांचजन्य" के ताजा अंक के संपादकीय में चुनाव नतीजों को बेहद चौंकाने वाला बताते हुए भाजपा को अपनी संगठनात्मक कार्यशैली का पुनरीक्षण करने की जरूरत पर जोर दिया गया है। संघ ने कहा कि नेतृत्व के साथ कार्यकर्ताओं का नीचे तक संवाद, उनका प्रोत्साहन, नियोजन, पूरे संगठन में नीचे से ऊपर तक अपनत्व भरा समन्वय, संगठनात्मक शक्ति के रूप में भारतीय जनसंघ के समय से ही पार्टी की विशेषता रही है और इसके पुनरावलोकन की आवश्यकता है। संघ ने किसी व्यक्ति विशेष का बिना कोई उल्लेख किए भाजपा के वर्तमान में कारपोरेट और प्रबंधकीय कार्यशैली पर कटाक्ष करते हुए कहा कि संगठनात्मक कार्यशैली का पुनरीक्षण किया जाना चाहिए कि कहीं उसकी खामियोंं के कारण अंदर ही अंदर कुछ दरक तो नहीं रहा। संघ का मानना है कि किसी भी दल में ऊपर बैठे लोग कार्यकर्ताओं और सामान्य जन के मन को समझने और उससे जुडने के बजाय प्रबंधकीय कौशल से पार्टी का संचालन करेंगे तो निश्चित ही प्रबंधन का गणित गडबडा जाएगा।

भाजपा के नवनिर्वाचित सांसदों की बैठक 31 मई को

भाजपा के नवनिर्वाचित सांसदों की बैठक 31 मई को यहां होगी जिसमें वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को पार्टी संसदीय के दल नेता और लोकसभा में विपक्ष का नेता चुना जाना तय माना जा रहा है। आडवाणी की मौजूदगी में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में शनिवार को यहां पार्टी मुख्यालय में पार्टी संसदीय बोर्ड की बैठक हुई जिसमें एक जून से शुरू संसद के सत्र के मद्देनजर 31 मई को पार्टी संसदीय दल की बैठक बुलाने का निर्णय किया गया। बाद में पार्टी महासचिव अरूण जेटली ने संवाददाताओं को पार्टी संसदीय दल की बैठक के बारे में जानकारी दी।

Friday, May 22, 2009

कांग्रेस और डीएमके के रिश्ते तो खराब नहीं होंगे : मनमोहन

मुझे सरकार चलानी है और मुझे इस बात की भी चिंता करनी है कि सरकार असरदार हो। यह बात प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने डीएमके बॉस एम. करुणानिधि ने गुरुवार को देर शाम कही। आमतौर पर बेहद शालीन रहने वाले मनमोहन सिंह के ये कड़े शब्द डीएमके की मलाईदार मंत्रालयों की मांगों के सामने कांग्रेस के न झुकने के रुख की ओर ही संकेत करते हैं। प्रधानमंत्री के संदेश को करुणानिधि की बेटी और केंद्र में अहम मंत्रालय की दावेदार कनिमोझी ने तमिल में तर्जुमा कर अपने पिता को सुनाया। संदेश की तासीर घाघ राजनेता करुणानिधि को समझ में आ गई। मौके की नजाकत को भांपते हुए अपने प्रशंसकों-समर्थकों के बीच कलिंजर के नाम से मशहूर करुणानिधि ने अपने सांसदों के साथ शुक्रवार को 10.10 बजे चेन्नै जाने वाली सुबह की फ्लाइट पकड़कर जाने की योजना पर अमल करने का फैसला किया। पद और गोपनीयता की शपथ लिए जाने के बाद शुक्रवार शाम प्रधानमंत्री ने यह साफ कर दिया कि महत्वपूर्ण मंत्रालय कांग्रेस अपने पास रखेगी। पीएम ने कहा, हमें डीएमके द्वारा कैबिनेट बर्थ के लिए प्रस्तावित टी.आर.बालू और ए. राजा के नामों पर कोई ऐतराज नहीं है। यह किसी व्यक्ति विशेष का मसला नहीं हम आधारभूत ढांचे पर जोर देना चाहते हैं, इसलिए कुछ मंत्रालयों को लेकर फेरबदल की जा रही है। बुनियादी ढांचों से जुड़े मंत्रालयों को लेकर कांग्रेस के कड़े रुख को देखते हुए यह साफ था कि डीएमके या तो कांग्रेस की शर्त पर मंत्रिमंडल में रहे या फिर बाहर। प्रधानमंत्री से जब पूछा गया कि इस तरह के टकराव से कहीं कांग्रेस और डीएमके के रिश्ते तो नहीं खराब होंगे, पीएम ने कहा कि यह दौर बीत जाएगा। मुझे मालूम है कि वह वापस आएंगे।

पहली प्राथमिकता मध्यप्रदेश

शपथग्रहण के बाद कमलनाथ ने कहा कि उनकी कर्मभूमि होने के कारण मप्र स्वाभाविक रूप से उनकी प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर है। उन्होंने कहा कि निवेश कम होने के कारण मध्यप्रदेश अभी बाकी राज्यों से पिछडा हुआ है। उनका प्रयास होगा कि वह राज्य सरकार के साथ तालमेल बिठाकर प्रदेश में अघिक से अघिक निवेश करवाएं। मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के केन्द्र पर राज्य के साथ भेदभाव के आरोप पर उन्होंने कहा कि सभी आरोप झूठे और राजनीतिक हैं जो चुनाव के साथ ही खत्म हो गए। कमलनाथ ने कहा कि यूपीए सरकार की प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर कृषि क्षेत्र में क्रांति लाना है।

सपा-बसपा और कांग्रेस में चलेगा शीतयुद्ध

बहुजन समाज पार्टी का दलित और पिछडे का फार्मूला भी फायदेमंद होना मुश्किल है। आरक्षण के मुद्दे पर दलित और पिछडा वर्ग आमने-सामने खडा है। मुख्यमंत्री मायावती ने ही वर्ष 2007 में पूर्व बहुमत से प्रदेश की सत्ता हासिल करने के बाद मुलायम सरकार द्वारा मछुआरा वर्ग की 16 अति पिछडी जातियों को अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल करने के लिए जारी की गई अघिसूचना रद्द कर दी थी। इससे पहले जब बहुजन समाज पार्टी सत्ता में नहीं थी तब इस अघिसूचना के खिलाफ उच्च न्यायालय से स्थगन लिया गया था। इसके अलावा भी सुविधाओं के मुद्दे पर पिछडा और दलित वर्ग एक-दूसरे के आमने-सामने बना रहा है। हाल के लोकसभा चुनाव में अपेक्षित सफलता न मिलने पर अपनी समीक्षा में मुख्यमंत्री एवं बसपा नेता मायावती ने यह स्वीकार कर लिया है कि सर्वजन की नीति सफल नहीं रही है और पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा को मिली सफलता के पीछे मुलायम सरकार के प्रति उपजा जनाक्रोश था। चूंकि यह आक्रोश समाप्त हो गया तो बसपा को लोकसभा चुनाव में पिछले विधानसभा चुनाव की तरह सफलता नहीं मिल पाई। भविष्य की राजनीति के लिए मायावती ने दलित और पिछडा वर्ग में आधार बनाने पर जोर दिया। यदि मायावती ने पिछडा वर्ग में पैठ बनाने का काम तेज किया तो सपा और बसपा के बीच धमासान भी तेज होगा। इसका कारण यह है कि समाजवादी पार्टी और इसके नेता मुलायम सिंह यादव पिछडा और मुस्लिम गठजोड की राजनीति करते रहे हैं। इधर, भाजपा छोडने वाले नेता कल्याण सिंह से दोस्ती के चलते मुस्लिम सपा और मुलायम से पलायन कर गया है। ऎसे में सपा का दारोमदार पिछडा वर्ग पर ही है। प्रदेश में दलित वर्ग करीब 22 प्रतिशत और पिछडा वर्ग करीब 52 फीसदी है।मुलायम सिंह ने मायावती के सर्वजन के फार्मूले के मुकाबले अपने पिछडा वर्ग को ही एकजुट करने का फैसला किया था और इसीलिए उन्होंने मुस्लिम वोट बैंक की परवाह न करते हुए कल्याण सिंह से दोस्ती कर ली। इस दोस्ती का बडा खामियाजा मुलायम सिंह को भुगतना पडा है और उनकी लोकसभा सीटों की संख्या इस चुनाव में घट गईं। पिछडा वर्ग में बसपा को सफलता मिलना भी संदिग्ध है। उधर, कांग्रेस अपना खोया हुआ जनाधार फिर से बनाने में जुटने की तैयारी में है। मुस्लिम समर्थन खुलकर मिलने से कांग्रेस नेता बाग-बाग हैं। इस दृष्टि बसपा-सपा-कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय शीतयुद्ध शुरू होने के आसार है। तीन साल बाद होने वाले विधानसभा चुनावों पर इन तीन दलों की गम्भीर नजर हैं। भारतीय जनता पार्टी का मतदाता वर्ग इन तीनों दलों से भिन्न है, लेकिन उसकी तरफ से भी इन वर्गों में जनाधार की तलाश चलती रहती है।

भाजपा संसद सत्र के लिए रणनीति तैयार करने में जुट गई

नई सरकार के शपथ ग्रहण के साथ ही भाजपा आगामी संसद सत्र के लिए रणनीति तैयार करने में जुट गई। 2 जून से सत्र शुरू होने की संभावना को ध्यान में रखते हुए पार्टी संसदीय दल की बैठक एक जून को बुलाई गई है। इसमें लोकसभा में नेता-उपनेता प्रतिपक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष का चुनाव किया जाएगा। चौदहवीं लोकसभा में लगातार सरकार की टांग खिंचाई करने वाले वामपंथियों ने मुख्य विपक्ष की भूमिका हथिया रखी थी किन्तु पन्द्रहवीं लोकसभा में भाजपा अपनी जगह वापस पाने की कोशिश करेगी। संप्रग सरकार को घेरने के लिए उसने पहला तीर महिला आरक्षण को निशाने पर रखकर छोडा है। भाजपा का कहना है कि अब आरक्षण विरोधी लालू-मुलायम की ताकत घट गई है लिहाजा कांग्रेस बिल लाए, वह पारित करा देगी। इस मुद्दे पर लेफ्ट पहले से ही साथ है।पार्टी महासचिव अरूण जेटली के अनुसार, राज्य विधानसभाओं और संसद में महिलाओं के लिए तैंतीस फीसदी आरक्षण सुनिश्चित करने वाला विधेयक कई सालों से लालू-मुलायम के विरोध के नाम पर लंबित है। पन्द्रहवीं लोकसभा में कांग्रेस के सामने इन्हें संतुष्ट रखने की कोई मजबूरी नहीं होगी लिहाजा वह सत्र की शुरूआत में ही बिल लाए और भाजपा-लेफ्ट के समर्थन से पारित कराए।लोकसभा चुनाव के नतीजों से सबक लेने की बात करते जेटली ने कहा कि भविष्य में कट्टरपंथी विचारधारा के लिए ज्यादा गुंजाइश नजर नहीं आ रही। अब मतदाता बहुत परिपक्व हो चुका है। राजनीतिक दलों से लेकर मीडिया तक सबने तमाम मुद्दों की बात कही-सुनी लेकिन संप्रग के पक्ष में मतदान स्थिर सरकार के मुद्दे पर हुआा। मनमोहन सिंह के बारे में जनता ने जाना कि वह काम करना चाहते थे लेकिन वामपंथियों और अन्य दलों ने करने नहीं दिया। उनकी पीडित प्रधानमंत्री की छवि का लाभ कांग्रेस को मिला जबकि लेफ्ट-लालू-पासवान-मुलायम को खामियाजा भुगतना पडा। भाजपा भी घाटे में रही। चौदहवीं लोकसभा में पार्टी के 138 सांसद थे। उम्मीद थी कि बीस की बढोतरी होगी जो कि कम हो गए। फिर भी उन्हें यकीन है कि फिर हालात अनुकूल होंगे।उत्तराखंड पर बोर्ड की बैठक आजउत्तराखंड में पार्टी सरकार बचाने की कोशिशों के बाबत जेटली ने बताया कि पर्यवक्षेक के तौर पर पार्टी उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी और महासचिव थावरचंद गहलोत को देहरादून भेजा गया है। शनिवार को वे अपनी रिपोर्ट देंगे जिस पर संसदीय बोर्ड की बैठक में चर्चा के बाद नए मुख्यमंत्री के नाम का ऎलान कर दिया जाएगा। संसदीय बोर्ड की बैठक शाम पांच बजे बुलाई गई है।

राज्य हितों पर देंगे विशेष ध्यान-जोशी

राजस्थान से नवनियुक्त केन्द्रीय मंत्री सीपी जोशी ने कहा कि उनके पास यूं तो पूरे देश की जिम्मेदारी है, फिर भी वे राज्य से संबंधति मुद्दों पर विशेष ध्यान देंगे और जो भी राज्य के हित में होगा उसे करने की कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा कि उनके नेताओं ने उन पर जो भरोसा जताया है उस पर वे खरा उतरने की कोशिश करेंगे। उन्होंने मंत्री बनाए जाने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी का आभार जताया। पत्रिका से बातचीत में जोशी ने कहा कि वह सुबह से टीवी पर मंत्रिमंडल संबंधी खबरें देख रहे थे। जैसे ही टीवी पर छोटा मंत्रिमंडल बनाए जाने की खबर आई उन्होंने मंत्री बनने की उम्मीद छोड दी थी। लेकिन तभी दोपहर में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तरफ से उनके पास फोन से सूचना आई। उन्हें एक बार के लिए भरोसा नहीं हुआ, उनके साथ बैठे साथियों को जैसे ही पता चला वे बधाई देने लगे। मेरे नेताओं ने मुझ पर भरोसा कर इतना बडा सम्मान दिया है जिसके लिए मैं उनका जीवन भर आभारी रहूंगा। जोशी इन दिनों प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं। विधानसभा का चुनाव एक मत से हारने के बाद पार्टी में उनके प्रति खासी सहानुभूति थी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ उन्होंने लोकसभा चुनाव में अपने संसदीय क्षेत्र के साथ पूरे प्रदेश का दौरा किया था। पार्टी को प्रदेश में मिली भारी सफलता के लिए मुख्यमंत्री के साथ उन्हें भी श्रेय दिया गया। राजस्थान हाउस के कमरा नंबर 102 में ठहरे जोशी दोपहर बाद से बधाई लेने में ही लगे थे। पहली बधाई राज्य के ही सांसदों ने उन्हें दी। उसके बाद बधाई देने वालों का तांता लग गया। उन्होंने कहा कि सुशासन देना उनकी प्राथमिकता होगी। संगठन की जिम्मेदारी को भी वे निभाने की कोशिश करेंगे। विशेष राज्य का दर्जा और राजस्थानी भाष्रा जैसे मुद्दे पर उन्होंने सीधे बोलने से परहेज किया। शपथ लेने के बाद उन्होंने कहा कि उनकी जिम्मेदारी राज्य के प्रति बढ गई है। वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ ही राष्ट्रपति भवन पहुंचे और वापसी में भी उनके ही साथ गए। उन्होंने मुख्यमंत्री का भी आभार जताया।गहलोत ने जोशी को दी बधाईराजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने डॉ. सी.पी. जोशी को शुक्रवार को केन्द्रीय मंत्रिमण्डल में शामिल किए जाने पर बधाई दी। गहलोत जयपुर से दिल्ली स्थित जोधपुर हाउस पहुंचे, डॉ. सी.पी. जोशी ने आगे ब$ढकर उनसे शुभकामनाएं स्वीकार कर उनसे आशीर्वाद ग्रहण किया। राजस्थान के सूचना एवं जनसम्पर्क राज्यमंत्री अशोक बैरवा ने सी. पी. जोशी को केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने का स्वागत किया। बैरवा ने शुक्रवार को सी. पी. जोशी से राजस्थान हाउस में भेंट कर उन्हें बधाई दी।

सीपी को मंत्री बनाने में गहलोत की महत्वपूर्ण भूमिका रही

राजसमन्द। भीलवाडा से सांसद सीपी जोशी को मनमोहन सिंह सरकार में केबिनेट मंत्री के रूप में शामिल किए जाने से यह स्पष्ट हो गया कि कांग्रेस आलाकमान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में उनके द्वारा पार्टी में लाई गई सक्रीयता एवं विधानसभा, लोकसभा चुनावाें में मिली सफलता से प्रसन्न हैं और इसी प्रसन्नता के चलते उन्हें केन्द्रीय मंत्री का पद पुरस्कार के रूप में दिया है। किसी भी राय के सांसद को मंत्री बनाने से पूर्व उस राय के मुख्यमंत्री की स्वीकृति होती ही है लिहाजा जोशी को केबिनेट मंत्री बनाने में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की भूमिका से भी इंकार नहीं किया जा सकता। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं डॉ सीपी जोशी दोनो का राजनीतिक जीवन 1980 में शुरू हुआ। गहलोत आपातकाल के बाद हुए लोकसभा चुनावाें में जोधपुर से लोकसभा सदस्य चुने गए, जबकि सीपी जोशी विधानसभा चुनाव में नाथद्वारा से विधायक बनें। इस तरह गहलोत इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में समय रहते हुए केन्द्रीय राजनीति में सक्रीय रहे तो जोशी प्रदेश की राजनीति में। अशोक गेहलोत 84 में दूसरी बार सांसद बने और रायमंत्री भी सीपी जोशी मार्च 85 में दुबारा विधायक बने। इस तरह गहलोत उनसे हमेशा आगे रहे। इस दोरान अशोक गहलोत प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। सांसद रहते हुए कुछ महीने प्रदेश के गृहमंत्री भी रहे। इस दशक में अशोक गहलोत व सीपी जोशी एक दूसरे के काफी नजदीक आ गए और गहरे दोस्त बन गए। सीपी हमेशा से गहलोत समर्थक रहे। सितम्बर 07 में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रहते गहलोत ने डॉ सीपी जोशी को प्रदेश अध्यक्ष बनाने में खास भूमिका निभाई। नवल किशोर शर्मा व अन्य नेताओं ने भी उनकी लॉबींग की। विधानसभा चुनावाें में टिकट बंटवारे के समय एक रंणनीति के तहत उन्होने अपनी अलग अलग नीतियां बनाई। चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए भी इसी तरह नाम उछाले। एक वोट से चुनाव हारने के बाद में सीपी जोशी ने जब यह व्यक्तव्य दिया कि मुख्यमंत्री बनने के लिए विधायक होना जरूरी नहीं है, तो सभी यही समझे कि उन्होने स्वयं की दावेदारी रखते हुए गहलोत के समक्ष ताल ठोक दी है। जबकि यह व्यक्तव्य जाट नेता परसराम मदेरणा व शिशराम ओला को खुश करने वाला था। इससे अलग अलग दावेदारी से जाट विधायक दो खेमे में बंट गए। सीपी जोशी चौथे दावेदार दिखे तो शिशराम ओला को रोकने मदेरणा ने उन्हें समर्थन दे दिया। जबकि वास्तव में कांग्रेस आलाकमान चुनाव हार जाने के कारण उनके लिए तैयार नहीं था। इस बीच जोशी ने अपने मेवाड के समर्थक विधायकाें को गहलोत के साथ भेज दिया। सीपी व गहलोत की यह लडाई जाट नेता को मुख्यमंत्री पद के लिए रोकने के लिए ही थी। सीपी के हारने से गहलोत भी काफी व्यथित हुए। यदि वे उनके विरोधी होते तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से ही इस्तीफा दिला देते। किन्तु दोनो एक दूसरे के सहयोगीं जोडी के रूप मे सक्रीय हो गए। नाथद्वारा के एक समारोह में मुख्यमंत्री गहलोत ने घोषणा की थी कि सीपी जोशी को आगे पीछे विधायक या सांसद बनना ही है। लोकसभा चुनाव के दौरान दोनो ने सत्ता व संगठन में तालमेल रखते हुए सभी क्षेत्राें में प्रचार के लिए गए। भीलवाडा में सीपी जोशी के नामांकन भरने से पूर्व ही मुख्यमंत्री गहलोत ने दो तीन जगह सभाए ली और रोड शो किए। अशोक गहलोत ने पहली बार सांसद बने सीपी जोशी को राजस्थान से अकेले मंत्री के रूप में शपथ दिलाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जबकि उनसे कई वरिष्ठ सांसद मंत्री पद के दावेदार थे। उनका अकेले शपथ लेना यह साबित करता है कि अशोक गहलोत उन्हें कितना आगे देखना चाहते हैं।

चुनाव व्यय लेखे प्रस्तुत नहीं करने पर नोटिस

राजसमन्द। लोकसभा आम चुनाव में चुनावा में रहे चार प्रत्याशिया द्वारा 17 मई तक निर्वाचन व्यय सम्बन्धी लेखे प्रस्तुत नहीं करने पर रिटर्निंग अधिकारी (कलक्टर) ओंकार सिंह ने नोटिस जारी किए हैं। सिंह ने बताया कि लोक जनशक्ति पार्टी के अभ्यर्थी महेन्द्र सिंह को नोटिस जारी किया है। इसी प्रकार इण्डियन जस्टिस पार्टी के देवराम, निर्दलीय प्रत्याशी सुखलाल गुर्जर तथा गिरधारीसिंह को नोटिस दिया है। नोटिस के अनुसार शीघ्र व्यय लेखे प्रस्तुत नहीं किए जाते हैं तो इनके विरूध्द विधि के सुसंग प्रावधानाें के तहत कार्रवाही की जाएगी।

डॉ सीपी जोशी को केबिनेट मंत्री के रूप में शामिल करने पर हर्ष

राजसमन्द। मेवाड के नेता डॉ सीपी जोशी को प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह द्वारा अपने मंत्रीमंडल में केबिनेट मंत्री के रूप में शामिल करने पर नवनिर्वाचित सांसद गोपालसिंह शेखावत ने प्रधानमंत्री, सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी का आभार व्यक्त किया है। शेखावत ने कहा कि डॉ जोशी विकास के पर्याय है केन्द्र सरकार में मेवाड का ठोस प्रतिनिघित्व मिला है जो आने वाले समय में विकास के नए आयाम तय करेंगे। डीसीसी चेयरमेन एवं जिला प्रमुख नारायणसिंह भाटी, वरिष्ठ नेता हरिसिह राठौड, पूर्व प्रमुख रघुवीरसिह राठौड, प्रधान गणेशलाल, पूर्व प्रधान गुणसागर कर्णावट, शांतिलाल कोठारी, जिला उपाध्यक्ष प्रदीप पालीवाल, पूर्व विधायक बंशीलाल गहलोत, प्रवक्ता अतुल पालीवाल, ब्लॉक अध्यक्ष रमजान खान पठान, विधि प्रकोष्ठ के अशोक पालीवाल, भोपालसिंह राव, महेश सेन, बालकृष्ण शेषमल गाडरी, अनिल बागोरा, लक्ष्मीलाल, प्रवीण, एससीएसटी प्रकोष्ठ के गणपत लाल खटीक, सुरेश खटीक, नरेश खटीक, रतननाथ, शंकरलाल, गोकुलराम सहित कई पंच सरपंच, नेतागण एवं कार्यकर्ताआें ने डॉ सीपी जोशी को केबिनेट में शामिल करने पर प्रसन्नता व्यक्त की है।
आतिशबाजी एवं मिठाई वितरण : जिला कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं नगर पार्षद प्रदीप पालीवाल के नेतृत्व में कार्यकतर्ा्रआें ने कांकरोली चौपाटी पर भव्य आतिशबाजी कर मिठाई वितरीत की। करीब एक घंटे तक आतिशबाजी करने से चौपाटी पर लोगो का हुजुम इकट्ठा हो गया। वहीं गगनभेदी कांग्रेस और सीपी जोशी जिन्दाबाद के नारे लगते रहे। इस अवसर पर नगर अध्यक्ष गोविन्द सनाढय, भगवत सिंह गुर्जर, दिनेश नन्दवाना, दीपक पालीवाल, जयदेव कच्छारा, प्रकाश सोनी, वरिष्ठ नेता एवं व्यापार प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष घनश्याम पालीवाल, अरविन्द नन्दवाना, सत्यनारायण पालीवाल, अख्तर मंसूरी, हकीम चुडीगर आदि उपस्थित थे।