कर्म प्रधान है की राजनीति के सिद्धांत को प्रतिपादित करने की मंशा के साथ लोकसभा के चुनावी दंगल में किस्मत आजमा रहे निर्दलीय प्रत्याशियों ने भले ही चुनाव आयोग को व्यस्त रखा हो लेकिन पिछले चुनाव की तरह इस बार भी यह तबका राजकीय खजाने को भरने में अहम भूमिका अदा करेगा 115वीं लोकसभा के लिये बिछी चुनावी बिसात को समेटने की तैयारी शुरू हो चुकी है1 गठबंधन सरकार की आशंका के बीच समीकरणो को अपने पक्ष में करने केलिये जोड़तोड़ की राजनीति जोर पकड़ने लगी है और इन सबके बीच लगभग हर चुनाव में करारी शिकस्त का अंदेशा होने के वावजूद निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने के जज्बे में कोई कमी नही आयी है1देश में अब तक हुये 14 लोकसभा चुनावों में 66 हजार 524 प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमायी जिसमें निर्दलीय प्रत्याशियों की संख्या 37 हजार 440 थी जबकि इनमे से केवल 214 ही संसद भवन का दरवाजा लांघ पाये जबकि 34 हजार 640 प्रत्याशी तो अपनी जमानत तक नहीं बचा पाये1
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