Wednesday, April 29, 2009

यूपीए का शासनकाल घोर अव्यवस्था, अराजकता और विफलता का काल

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री मदन लाल खुराना ने बुधवार को दिल्ली की विभिन्न जनसभाओं को संबोघित करते हुए कहा कि सात मई को होने वाले लोकसभा के इस चुनाव का देश के भविष्य के लिए बहुत महत्व है।उन्होंने कहा कि देशवासियों ने 1998 से 2004 तक एनडीए का शासन देखा है और 2004 से 2009 तक यूपीए का।एनडीए के शासनकाल में देश को आर्थिक स्थिरता प्राप्त हुई, आर्थिक विकास की दर में वृद्धि हुई, राष्ट्रीय राजमार्गो का निर्माण हुआ, जरूरी वस्तुओं के मूल्य नियंत्रित रखे गए, गांवों को कस्बों और शहरों से जोडने के लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक योजना प्रांरभ की गई, गरीबों को दो रूपए किलो गेहूं और तीन रूपए किलो चावल उपलब्ध कराया गया, काम के बदले अनाज योजना लागू की गई, किसानों को किसान क्रेडिट दिए गए। सभी को शिक्षा देने के उद्देश्य से सर्वशिक्षा अभियान चलाया गया, पोखरण-द्वितीय ने भारत को आणविक देशों की पंक्ति में स्थान दिलाया और आतंकवाद से निपटने के लिए पोटा कानून बनाया गया।अराजकता बढीदूसरी ओर यूपीए का शासनकाल घोर अव्यवस्था, अराजकता और विफलता का काल रहा है। आर्थिक विकास की दर गिर रही है। बेरोजगारी बढ रही है। लाखों छंटनी का शिकार हुए हैं, आर्थिक मंदी की काली छाया मंडरा रही है। दूध, गेहूं, चावल, दालें, चीनी, खाद्य तेल, रसोई गैस जैसी आम आदमी के जरूरत की चीजें आसमान छू रही हैं, कृषि उत्पादन और औद्योगिक उत्पादन घट रहाहै।आतंकवाद, नक्सलवाद और माओवाद ने देश के बडे भूभाग में अपने पांव पसार लिए हैं, आतंरिक सुरक्षा ध्वस्त होती जा रही है। पांच वर्षो का यूपीए का शासनकाल नकारापन की जीती जागती मिसाल है।

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