समाजवादी पार्टी में दूसरी पंक्ति के नेता अमर और आजम खां की रार मिटने का नाम नहीं ले रही। पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के लिए यह सब संभालना मुश्किल हो रहा है। एक तरफ अमर सिंह पार्टी के प्रबन्धन के मामले में अपनी धाक जमाए हुए है तो दूसरी ओर आजम खां पार्टी का मुस्लिम चेहरा हैं। इस रार की शुरूआत तो मुलायम सिंह और कल्याण सिंह की दोस्ती के साथ हुई थी, लेकिन बीच में रामपुर से सांसद जयाप्रदा भी निशाना बन गईं। अब हाल यह है कि रामपुर लोकसभा सीट से प्रत्याशी जयाप्रदा को विरोध का सामना करना पड रहा है। आरोप यह लगाया जा रहा है कि आजम खां के लोगउनके इशारे पर जयाप्रदा के चुनाव प्रचार में बाधा डाल रहे हैं। शुक्रवार दोपहर भी जयाप्रदा का प्रचार करने पहुंचे सपा के महाराष्ट्र के नेता अबू आसिम आजमी के काफिले पर करीब डेढ सौ लोगों ने हमला कर दिया। अबू आसिम आजमी को किसी तरह लोगों ने बचाया।इसके बाद पुलिस ने हमलावरों पर मुकदमा दर्ज किया। इस घटना का सीधा मतलब है कि मुलायम सिंह ने आजम को काबू में करने के लिए अबू आसिम को रामपुर क्षेत्र की कमान सौंपी थी, यह बात आजम को नागवार गुजरी है। अब आसिम और आजम आमने-सामने है। जानकारों का कहना है कि आजम खां, जयाप्रदा को चुनाव हराने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। वे जनसम्पर्क जमकर कर रहे हैं और लोगाें से कह रहे हैं कि वे चाहे जिसे वोट दें। जयाप्रदा को अमर सिंह ही राजनीति के मैदान में लाये थे। वे स्वयं जयाप्रदा के लिए प्रचार में जुटे हैं। अब अमर सिंह को आजम खां का विरोध बर्दाश्त नहीं हो पा रहा है। आजम खां कल्याण सिंह से दोस्ती का विरोध करने के साथ-साथ जयाप्रदा का विरोध इसलिए कर रहे है क्योंकि वे कल्याण सिंह से दोस्ती कराने वाले अमर सिंह को परेशान करना चाह रहे हैं। इधर, अमर सिंह ने भी लोकसभा चुनाव के बाद समाजवादी पार्टी छोडने का फैसला करने की बात कही है। अब तक अमर-आजम विवाद पर चुप्पी साधे रहे मुलायम सिंह ने भी आजम को गलत करार दिया है। उनका कहना है कि अमर सिंह की तरह आजम खां भी राष्ट्रीय महासचिव हैं। यदि उन्हें कोई समस्या है तो वे मीडिया के जरिये बयानबाजी करने के बजाय सीधे उनसे मिलकर अपनी बात रख सकते हैं। उल्लेखनीय है कि इससे पहले राजबब्बर और बेनी प्रसाद वर्मा, अमर सिंह से मतभेदों के चलते समाजवादी पार्टी छोड चुके हैं।
No comments:
Post a Comment