टीआरएस के चंद्रशेखर राव के समर्थन के बाद भाजपा ने टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू और अन्नाद्रमुक सुप्रीमो जयललिता को भी राजग से जोडने के लिए शतरंज की बिसात बिछा दी है। लालकृष्ण आडवाणी को प्रधानमंत्री बनाने का लक्ष्य भेदने के लिए नायडू और जया राजग का ब्रह्मास्त्र बन सकते हैं। उधर, कांग्रेस भी अम्मा पर लगातार डोरे डाल रही है लिहाजा वक्त जाया न करते हुए भाजपा ने मान-मनुहार का जिम्मा तेजतर्रार नरेंद्र मोदी को सौंपने का मन बनाया है। सूत्रों के अनुसार, गुजरात के मुख्यमंत्री मोदी और जया के परस्पर अच्छे संबंध हैं जिनका लाभ सरकार बनाने की निर्णायक घडी में उठाया जा सकता है। लुधियाना की रैली में मोदी ने जिस तरह तमिलनाडु का मसला उठाया वह इसी रणनीति का हिस्सा था। मोदी का साथ आंध्र प्रदेश का एक औद्योगिक घराना और दक्षिणी राज्यों के प्रभारी वेंकैया नायडू देंगे जो पहले से इस कवायद में जुटे हैं।नरेंद्र मोदी को चुनाव से पहले भी अन्नाद्रमुक को साथ लेने की मुहिम में लगाया गया था। वे इस सिलसिले में जया से मिले भी। पोएस गार्डन में उनके राजसी स्वागत सत्कार की खूब चर्चा भी हुई लेकिन जिस काम के लिए गए थे यानी चुनाव पूर्व गठबन्धन वह सिरे न चढ सका। बावजूद इसके मोदी और जयललिता के संबंधों में खटास न आई। दोनों अब भी एक दूसरे का सम्मान और सराहना करते हैं। इस बीच वेंकैया, औद्योगिक घराने के मालिक के अलावा चो रामास्वामी व एस गुरूमूर्ति ने भी सारे पत्ते खोल दिए लेकिन अम्मा खुलकर सामने नहीं आई। उधर, जम्मू-कश्मीर के पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद के पिछले दस-पन्द्रह दिनों से चेन्नई में डेरा डालने की खबर मिली, जिससे भाजपा के कान खडे हो गए। जया को प्रतिस्पर्धी खेमे में जाने से रोकने के लिए ही मोदी को आगे कर दिया गया। टीडीपी का दिल जीतने के लिए वेंकैया लगातार कोशिश कर रहे हैं। इस मुहिम में कभी नायडू के साथ तीसरे मोर्चे में गए इनेलो नेता ओमप्रकाश चौटाला और पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल भी योगदान दे रहे हैं। यह मानकर कि संप्रग ने वामपंथियों को साथ लिया तो बंगाल में ममता छिटक जाएंगी भाजपा ने राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष व दार्जिलिंग सीट से पार्टी उम्मीदवार जसवंत सिंह को इस मोर्चे पर लगा रखा है जबकि सपा के कांग्रेस का हाथ थामने पर बसपा के छिटकने की आशा में खुद मुख्य चुनाव प्रबंधक अरूण जेटली मायावती को साध रहे हैं। जेटली और बसपा महासचिव सतीशचंद्र मिश्रा के अच्छे संबंध इस मुहिम में मददगार साबित हो सकते हैं लेकिन, रोडा भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह के बनने की संभावना हैं। राजनाथ कतई नहीं चाहते कि भाजपा फिर बसपा को साथ लेने की भूल करे किंतु, रणनीतिकार सरकार बनाने के लिए कोई कोना खाली छोडने को तैयार नहीं।
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