भाकपा महासचिव ए.बी. बर्धन आज दिल्ली में न किसी से मिले न फोन पर बात किए। वजह जानने की कोशिश की गई, तो बडा ही रोचक संदर्भ सामने आया। पता चला कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और नेताप्रतिपक्ष लालकृष्ण आडवाणी के चक्कर में साढे तीन घंटे के इंतजार से ऎसी थकान पैदा हुई कि उसे मिटाने के लिए उन्हें एकांतवासी बनना पडा।वाक्या अमृतसर का है। ये दोनों नेता आज वहां पहुंचने वाले थे। बर्धन को शायद इस बात का अहसास नहीं था कि प्रधानमंत्री और नेताप्रतिपक्ष के आने पर सुरक्षा का तामझाम इतना बढ जाएगा कि उन्हें भी भारी पड जाएगा। सो, सुबह के विमान से दिल्ली लौटने के लिए साढे 8 बजे एयरपोर्ट जा पहुंचे। वहां जाने पर मालूम हुआ कि सारे विमान विलम्ब से उडेंगे। वजह प्रधानमंत्री और नेताप्रतिपक्ष के सुरक्षा बताई गई। वहां कोई यह भी नहीं बता पा रहा था कि देरी होगी तो कितनी। ऎसे में बर्धन के लिए एयरपोर्ट छोडना भी कठिन था। सो मन मारकर प्रतीक्षालय में बैठ गए। उनके करीबी लोगों ने बताया कि दो घंटे बीतते-बीतते बर्धन का सब्र जवाब देने लगा। जाकर तफ्तीश करनी चाही तो वहां दो टूक कहा गया कि मामला दो प्रमुख हस्तियों की सुरक्षा का है और जब तक वहां से हरीझंडी नहीं होती उडान असंभव है। अब बर्धन के समक्ष प्रतीक्षा के अलावा कोई रास्ता नहीं था। साढे तीन घंटे के लम्बे इंतजार के बाद दोपहर 12 बजे उनके विमान ने उडान भरी। ढाई घंटे बाद दिल्ली पहुंचकर आफिस गए। सभी को सख्त निर्देश जारी हो गया कि बर्धन न आज किसे से मिलेंगे न फोन पर बात करेंगे। यह फरमान दफ्तर वालों को भी परेशान करने वाला था, क्योंकि बर्धन को जानने वालों का कहना है कि वह चाहे जितनी भाग दौड किए हों, दिल्ली में मिलने-जुलने का क्रम कभी नहीं थमा। इसे कहते हैं वक्त-वक्त की बात। केन्द्र में जिन वामपंथियों के इशारे पर पूरी सरकार प्रतीक्षा करती थी, कामरेड को यह इंतजार तो अखरेगा ही।
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