राजधानी के सियासी फिजां में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धरामय्या के विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष चयन में पार्टी के कुछ नेताओं की महात्वाकांक्षा से टकराव की स्थिति पैदा होने, पर सोनिया गांधी के निर्देश के कारण किसी के मुखर न होने की बातों को सिरे से खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि इस पद पर वे सर्वसम्मति से आसीन हुए हैं, इसलिए इस तरह की बातें महज बकवास हैं।सोमवार को संवाददाताओं से उन्होंने कहा कि पार्टी को नए सिरे से सांगठनिक तौर पर मजबूत किए जाने की जरूरत है। इसके लिए एक कार्ययोजना बनाई जाएगी। साथ ही सरकार के भ्रष्टाचार व नाकाम व जन विरोधी नीतियों को जनता तक पहुंचाया जाएगा। विधानसभा मे इन मुद्दों पर सरकार को घेरा जाएगा। इसमें जनता दल-ध को साथ लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि विधान सभा, फिर विधानसभा उपचुनाव व लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के कईकारण हैं। पार्टी ने पहले जनता दल (ध) के साथ समझौते को लेकर समय बर्बाद किया, उम्मीदवारों के चयन में देरी की और प्रमुख नेताओं ने चुनाव प्रचार में भाग नहीं लिया। कांग्रेस की हार के पीछे ये सब कारण रहे हैं। इसके अलावा चुनावों के दौरान पार्टी में नेतृत्व विहीनता भी इसके कारणों मे से एक है। नेता प्रतिपक्ष की मान्यताविधानसभा के अध्यक्ष जगदीश शेट्टर ने सिद्धरामय्या को विधान सभा के नेता प्रतिपक्ष की मान्यता दे दी। इससे पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष आर.वी. देशपांडे ने शेट्टर से मुलाकात कर सिद्धरामय्या को सर्वसम्मति से विधायक दल का नेता चुने जाने का पत्र दिया।
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