Wednesday, May 13, 2009

ज्ञानवान-चरित्रवान होना जरूरी-लाहोटी

प्रजातंत्र में प्रत्येक को ज्ञानवान और चरित्रवान होना चाहिए। यह और भी जरूरी है कि जिन्हें हम पांच वर्ष शासन का पट्टा देकर भेजते हैं वे इस कसौटी पर खरे उतरें। उच्चतम न्यायालय के पूर्व प्रधान न्यायाधीश रमेशचंद्र लाहोटी देसराज चौधरी स्मृति व्याख्यानमाला के अंतर्गत फिक्की सभागार में गणमान्य नागरिकों को संबोधित कर रहे थे।उन्होंने भरोसा दिया कि भारत की न्यायपालिका संवेदनशील है और बेबसों का दर्द समझने में अव्वल है। लेकिन न्याय की प्राप्ति आसानी से नहीं होती, इसके लिए संघर्ष करना पडता है। पूरी दुनिया में केवल भारत के न्यायालय पत्र याचिका की सुविधा देते हैं। उ“ातम न्यायालय ने कतिपय अवसरों पर पोस्ट कार्ड से प्राप्त मामलों का संज्ञान लेकर सुनवाई की है। जनहित याचिकाओं के जरिए प्रदूषण और पर्यावरण सरंक्षण के विषय में परमादेश जारी किए। दिल्लीवासी अगर आज साफ हवा में सांस ले रहे हैं तो इसका श्रेय उ“ातम न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णयों की श्रृंखला को है।उन्होंने कहा कि दुनिया की अन्य न्यायपालिकाएं भारत की न्यायपालिका द्वारा अपनाए गए उपायों का अनुसरण करने पर अब विचार कर रही हैं। दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष डा. योगानंद शास्त्री ने समारोह की अध्यक्षता की।

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