महिला आरक्षण विधेयक पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पत्ते नहीं खोले। इस बिल के समर्थक और विरोधी सरकार का रूख सामने आने की उम्मीद लगाए हुए थे, लेकिन संसद के अंदर इस मुद्दे का जिक्र नहीं कर प्रधानमंत्री ने मन की आशंका को और बल दे दिया है। मजेदार बात ये है कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर संसद के दोनों सदनों में धन्यवाद भाषण में प्रधानमंत्री ने 100 दिन के कार्यक्रम के सभी बिन्दुओं को छुआ, लेकिन महिला आरक्षण विधेयक पर वह बडी चतुराई से कन्नी काट गए।मन को समझना कठिनराष्ट्रपति के अभिभाषण पर 16 घंटे की चर्चा में जिन 78 सांसदों ने हिस्सा लिया उसमें हर किसी ने इस मुद्दे पर पक्ष-विपक्ष के रूप में अपनी राय जाहिर की। जद (यू) अध्यक्ष शरद यादव, सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव, राजद अध्यक्ष लालू यादव ने इसकी मुखालफत करने में कोई कसर नहीं छोडी, वहीं कुछ आपत्तियों के साथ भाजपा, लेफ्ट इसके समर्थन में खुलकर सामने आए। चर्चा में महिला विधेयक को लेकर जिस तरह शंका और उसके समाधान के रास्ते बताए गए उससे सदस्यों को उम्मीद थी कि सरकार इस पर अपना रूख सामने लाएगी परन्तु सरकार के सौ दिन के एजेंडे में शामिल होने के बावजूद इस बिल पर सरकार की चुप्पी से साफ हो गया कि मनमोहन के मन को समझना कठिन है।
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