Thursday, June 11, 2009

लालू का आदेश पलटना तय

आम चुनावों के नतीजों की घोषणा के बाद गत 19 मई को लालू ने केंद्रीय रेल मंत्री को मिलने वाले गोल्डन पास की सुविधा में संशोधन का आदेश जारी किया था। लालू चाहते थे कि पूर्व रेल मंत्री को वन प्लस वन के बजाय वन प्लस थ्री का गोल्डन पास मिले। इसके लिए उन्होंने चलते-चलते आदेश जारी कर दिया जिसका सीधा लाभ उन्हें होता किंतु, भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री राम नाईक को इसकी भनक लग गई। नाईक ने ममता बनर्जी को पत्र लिखकर अनुरोध किया कि लालू ने अपने पद का दुरूपयोग कर स्वहित में आदेश जारी किया है जिसे रद्द करें। ममता ने गुरूवार को औपचारिक चर्चा के दौरान लालू के आदेश और नाईक के पत्र दोनों की बात स्वीकारी। साथ ही यह भी कहा कि वे नाईक से सहमत हैं। रेल मंत्री खुद ही चार सीटें अपने लिए सुरक्षित कर लेंगे तो आम यात्री का क्या होगा। इस सवाल पर कि लालू का आदेश रद्द करेंगी! सीधा जवाब न देते हुए ममता ने कहा कि उन्होंने संकेत दे दिया है।औचक दौरा करेंगे रेल राज्य मंत्री ममता ने रेलवे के खाते में लालू के छोडे नब्बे हजार करोड रूपए के मुनाफे पर फिलहाल कुछ कहने से इनकार किया लेकिन, ज्यादा कमाई के चक्कर में साइड में लगाई गई तीन बर्थ, रेलवे स्टेशनों पर शौचालय-स्नानगृहों की सुविधा के लिए वसूले जाने वाले शुल्क, प्लेटफार्म पर खाने-पीने की परंपरागत सस्ती वस्तुओं के बदले मल्टीनेशनल कंपनियों को दिए गए ठेके, रेल यात्री निवासों पर कारपोरेट का कब्जा, टे्रन लेट होने पर पेंट्री कार से खाना मुहैया न कराया जाना, पूछताछ के लिए शुरू की गई 139 नंबर की निजी सेवा पर बैठने वाले ज्यादा खर्च, तत्काल सुविधा से ज्यादा पैसा लेकर भी वेटिंग टिकट जारी करने जैसी शिकायतों पर चुप न रह सकीं। आम यात्रियों को रोजना पेश आने वाली इन दिक्कतों को न सिर्फ गंभीरता से सुना बल्कि रेलवे बोर्ड के सदस्य (यातायात) को बुलाकर नोट लेने का आदेश भी दिया। ममता ने वादा किया कि वे इन्हें दूर कर देंगी। साथ ही रेल राज्य मंत्रियों से कहेंगी कि वे औचक दौरा कर यात्री सुविधाओं की निगरानी भी करें।बंगाल ही नहीं पूरे देश से प्यार रेल बजट की तैयारियों में जुटीं ममता ने इस बारे में कोई भी खुलासा करने से इनकार किया लेकिन, इस सवाल पर व्यथित हो गई कि बजट के लिए वे अपेक्षित समय नहीं दे पा रही हंै। उन्होंने उल्टा सवाल दागा कि सिर्फ उनसे यह सवाल क्यों पूछा जाता है। दूसरे मंत्री भी अपने मंत्रालय नहीं आते उन लोगों से कोई कुछ क्यों नहीं कहता। वे बंगाल से हैं इसलिए उनसे भेदभाव ठीक नहीं। जाहिर सी बात है कि जिन लोगों ने उन्हें चुना है वे उन्हें धोखा नहीं दे सकतीं। वे सभी राज्यों से प्यार करती हैं किंतु यह भी सच है कि बंगाल को कुछ ज्यादा समय देना उनकी नैतिक बाध्यता है।

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