सरकार पर महिला आरक्षण विधेयक सौ दिन के अंदर लाकर पारित कराने का दबाव बना रही भाजपा के घर में ही विरोध शुरू हो गया है। पार्टी महासचिव विनय कटियार ने महिला आरक्षण का किसी भी रूप में समर्थन करने को तैयार भाजपा से अलग लाइन लेते हुए स्पष्ट कहा कि विधेयक को मौजूदा स्वरूप में कतई स्वीकार नहीं करेंगे। देशव्यापी संघर्ष छेडेंगे। तमाम राजनीतिक दलों से उनकी बातचीत जारी है। उनकी अपील है कि विधेयक पर संसद में वोटिंग के दौरान पार्टियां व्हिप जारी न करें बल्कि सांसदों को अंतरात्मा की आवाज पर वोट डालने की छूट दी जानी चाहिए। दूसरी ओर, भाजपा प्रवक्ता राजीव प्रताप रूडी ने फिर दोहराया कि सरकार बिल जल्दी लाए। जब उन्हें कटियार के रूख से अवगत कराया गया तो बोले कि सार्वजनिक बयानबाजी से पहले पार्टी फोरम पर अपनी बात उठाना बेहतर विकल्प है। इससे पूर्व पत्रिका से बातचीत में रामराज्य का हवाला देते कटियार ने कहा कि हर जाति, वर्ग, समाज को बराबर प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए जबकि यह विधेयक रामराज्य की अवधारणा को ही खंडित करता है। इसमें न तो राम की शबरी के लिए कोई जगह है और न ही कृष्ण की गोपियों के लिए। इतना ही नहीं कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी की कलावती और लीलावती भी सिरे से गायब हैं। उनका सवाल है कि यदि यह बिल लागू हो गया तो आदिवासी, जनजाति, वनवासी, पिछडे, दबे-कुचले और वंचित वर्ग से ताल्लुक रखने वाली महिलाओं का क्या होगा! कटाक्ष करते कटियार ने कहा कि संसद के अंदर बैठी गिनती की महिलाएं मीरा कुमार के लोकसभा अध्यक्ष बनने पर ताली बजा रही हैं लेकिन उन्हें यह सच स्वीकार करना होगा कि मीरा को यह पद मिलने के पीछे बडी वजह दलित और महिला होने के अलावा उनका जगजीवन राम की बेटी होना भी है।महिला आरक्षण विधेयक की तुलना महाभारत काल के लाक्षागृह से करते कटियार ने कहा कि पाडंवों के लिए बनाए गए लाक्षागृह में तो बचने के लिए सुरंग भी थी लेकिन इसमें कोई रास्ता नहीं छोडा गया है। वे न तो महिला आरक्षण के विरोधी हैं और न किसी जाति-धर्म अथवा समुदाय के लेकिन, उनका यह संकल्प है कि रामराज्य की अवधारणा को खंडित और शबरी के अस्तित्व को खत्म नहीं होने देंगे। इसे पूरा करने के लिए वे देशव्यापी संघर्ष छेडेंगे। सडक पर उतरेंगे, रैलियां व सभाएं करेंगे। इस सवाल पर कि आंदोलन किस बैनर के तहत होगाक् कटियार ने कहा कि वे अपने-आप में एक बडा बैनर हैं। तमाम राजनीतिक दलों से उनकी बातचीत हो रही है लेकिन वे नाम नहीं बताएंगे। यह पूछने पर कि वे किस रूप में आरक्षण को समर्थन देंगेक् जवाब मिला कि बिहार सरकार का फार्मूला लागू किया जाए जिसमें सबके साथ न्याय किया गया है।
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