Monday, February 2, 2009

मुखर्जी और नारायणन के बीच तलवारें खिच गई

विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एमके नारायणन के बीच तलवारें खिच गई है। इसकी एक वजह यह है कि या तो नारायणन को पाकिस्तान की नीतियों के बारे में कुछ पता नहीं हैं या फिर वे जानबूझ कर प्रणब मुखर्जी को गफलत में रखना चाहते हैं। वैसे भी नारायणन ने अपने बयान में यहां तक कह दिया है कि पाकिस्तान की वर्तमान सरकार से तो परवेज मुशर्रफ ही अच्छे थे जिनसे कम से कम बात तो की जा सकती थी।प्रणब मुखर्जी एक तरफ कह चुके हैं कि पाकिस्तान ने भारत द्वारा दिए गए डोजियर का कोई जवाब नहीं दिया और भारत सरकार अब भी पाकिस्तान द्वारा दी जाने वाली जानकारी और भारतीय सबूतों के आधार पर पाकिस्तान की कार्रवाई जानने का इंतजार कर रही है। दूसरी ओर एमके नारायणन ने एक टीवी चैनल से कहा है कि पाकिस्तान में भारत द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर सवाल पूछे थे और उनके जवाब भी दे दिए गए हैं।प्रणब मुखर्जी से कल शाम एमके नारायणन के बयान के बारे में पूछा गया। उन्होंने कहा कि नारायणन साहब बड़े आदमी है और वे सीधे प्रधानमंत्री से बात करते है। अगर पाकिस्तान ने कोई संदेश भेजा है तो इसकी जानकारी नारायणन के पास होगी या प्रधानमंत्री के पास। कम से कम मुझे इस बारे में कुछ नहीं बताया गया।नारायणन की किस्मत खराब थी कि शाम को पी चिदंबरम के कार्यालय से निकलते वक्त साउथ ब्लॉक की कार पार्किंग में वे मुखर्जी के सामने पड़ गए। मुखर्जी पार्किंग में खड़े होकर भी फाइलें निपटा रहे थे और पत्रकार उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे। नारायणन ने भावी डांट से बचने के लिए खुद मुखर्जी के पास जाकर हाथ बढ़ाया मगर मुखर्जी के हाथ में फाइलें थी इसलिए वे हाथ नहीं मिला सके। इसके बाद नारायणन ने श्री मुखर्जी से कहा कि उन्हें कुछ जरूरी बात करनी है। मुखर्जी ने व्यंग भरे अंदाज में याद दिलाया कि अब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इलाज करवा कर वापस लौट आए हैं और अगर कोई जरूरी बात करनी है तो उनसे ही की जाए। संदेश साफ था और नारायणन चुप हो गए। इसके पहले मुखर्जी नारायणन के बयान का जवाब यह कह कर दे चुके थे कि जहां तक मेरी जानकारी है, पाकिस्तान ने भारत के किसी संदेश का कोई जवाब नहीं दिया है और सुरक्षा सलाहकार को अगर कोई जानकारी है तो कम से कम मुझे नहीं बताई गई। नारायणन अब शायद प्रधानमंत्री के जरिए सफाई देने का मौका खोजेंगे।

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