Thursday, January 1, 2009

राजनैतिक साल गिरह पर संकटों में घिरे राजनाथ सिंह

अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी के बाद भाजपा अध्यक्ष का तीन साल कार्यकाल पूरा कर के राजनाथ सिंह ने एक रिकॉर्ड तो बना दिया है लेकिन इस राजनैतिक साल गिरह पर भी वे काफी संकटों में घिरे हुए थे।पहला संकट तो भाजपा मुख्यालय से करोड़ों रूपए की रहस्यमय चोरी का था जिस मामले में अब तक भाजपा ने कोई पुलिस रिपोर्ट तक नहीं लिखवाई है। भाजपा कार्यालय के मुख्य अकाउंटेंट नलिन टंडन को बर्खास्त कर दिया गया है मगर रहस्य अब भी बरकरार है। इसके अलावा राजनैतिक मोर्चे पर गुजरात, हिमाचल, मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़ में भाजपा की जीत का सेहरा भी पार्टी अध्यक्ष के नाते राजनाथ सिह के सिर पर बधा हैं लेकिन खुद उनके राज्य उत्तर प्रदेश में पार्टी की स्थिति कोई बहुत अच्छी नहीं हैं। खुद राजनाथ सिंह अपने इलाके पूर्वांचल से चुनाव लड़ने की हालत में नहीं हैं। उन्हें पश्चिमी उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़वाया जा रहा है। फिर भी आम तौर पर तिक्कड़मों से दूर माने जाने वाले राजनाथ सिंह ने जो कीर्तिमान बनाया है वह तो भारतीय राजनीति के इतिहास में दर्ज हो ही गया है। जिन्ना प्रकरण के बाद आडवाणी के अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद 31 दिसंबर 2005 को राजनाथ को भाजपा अध्यक्ष बनाने का ऐलान हुआ था। 28 दिसंबर 2006 को अगले तीन साल के लिए वह अध्यक्ष घोषित कर दिए गए। भाजपा में अभी तक बतौर अध्यक्ष तीन साल अपने पद पर बने रहने का कीर्तिमान सिर्फ अटल और आडवाणी के नाम दर्ज है। इस दौरान उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और दिल्ली के निकाय चुनाव, उत्तराखंड, हिमाचल, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब में भाजपा चुनाव जीती।सबसे बड़ी उपलब्धि दक्षिण के राज्य कर्नाटक में भाजपा की सरकार पहली बार बनी। दिल्ली और राजस्थान में पार्टी का हार का सामना करना पड़ा। बतौर अध्यक्ष राजनाथ की सबसे बड़ी विफलता उत्तर प्रदेश है। यहां गत वर्ष भाजपा को चुनाव में न सिर्फ करारी हार का सामना करना पड़ा बल्कि गुटबाजी अभी तक खत्म नहीं हुई है। बकौल राजनाथ, उत्तर प्रदेश की स्थिति को लेकर उनकी पीड़ा बढ़ रही है। लोक सभा चुनाव और उत्तर प्रदेश में पार्टी की स्थिति को सुधारना उनकी सबसे बड़ी चुनौती है।भाजपा मुख्यालय से कथित तौर पर गायब हुए ढाई करोड़ रूपये संबंधी पड़ताल जारी है। बात शीर्ष नेतृत्व तक पहुंच गई है। भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह और लालकृष्ण आडवाणी भी उस कमरे का मुआयना करेंगे जहां से पैसे गायब हुए। चोरी की पुष्टि होने पर रिपोर्ट दर्ज कराई जाएगी। गत शनिवार से पार्टी मुख्यालय से पैसे गायब होने की चर्चा है। पार्टी कोषाध्यक्ष रामदास अग्रवाल के मुताबिक अभी यह कहना गलत होगा कि पैसे गायब या चोरी हुए हैं। पैसे जिस आलमारी में रखे जाते हैं न तो उसका ताला टूटा है न ही वह खुला हुआ मिला है।पैसे का पूरा हिसाब करने में अभी दो-तीन दिन और लग सकते हैं। पार्टी नेताओं का कहना है कि मीडिया में जिस तरह से यह बात आ रही है उससे पार्टी की छवि को नुकसान पहुंच रहा है। शीर्ष नेतृत्व ने इस बात से इंकार किया है कि इस प्रकरण को लेकर कोषाध्यक्ष को हटाने कार्रवाई होगी। यदि कोई दोषी पाया जाता है तो उस पर कानून के तहत कार्रवाई की सिफारिश की जाएगी।

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