संघ परिवार चाहता है कि भाजपा हिंदू राष्ट्र की राह पर चले। भाजपा की दिक्कत यह है कि ऐसा करने से एनडीए का कतई विस्तार नहीं हो पाएगा और अगली बार सरकार बनाने और सनातन भावी प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी को सत्ता में लाने का रास्ता भी कठिन हो जाएगा।फिर भी संघ परिवार समझौते की कोई राह पकड़ने को तैयार नहीं हैं। संघ के बड़े नेताओं का मानना है कि भारतीय जनता पार्टी अगर सत्ता के शॉटकर्ट के तौर पर अगर हिंदुत्व का अपना रास्ता छोड़ता है तो वह संघ के दायरे से दूर चला जाएगा और ऐसे में संघ परिवार ने अपना वह विकल्प खुला छोड़ा है जिसके अनुसार वह अपने सिध्दांतों मे विश्वास रखने वाली किसी भी पार्टी को मदद दे सकता है और उसे अपना राजनैतिक मंच बना सकता है।संघ के मुखिया के सुदर्शन भाजपा के लिए पहले भी ऐसी दिक्कते खड़ी करते रहे हैं और खास तौर पर अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में जब एनडीए सरकार चल रही थी तो संघ परिवार ने उसे अपने तरीके से चलाने की कोशिश की थी। श्री वाजपेयी ने तब भी के सुदर्शन से सीधे मुकाबला किया था और अब श्री आडवाणी के पास एक मात्र विकल्प यह है कि वे वाजपेयी की ही मदद और परामर्श इस तरह के मुकाबले के लिए ले। लालकृष्ण आडवाणी के निवास पर शुक्रवार को संघ नेताओं के साथ बातचीत में सामंजस्य शब्द पर व्यापक चर्चा हुई। बैठक में आडवाणी के अलावा राजनाथ सिंह, वेंकैया नायडू, मुरली मनोहर जोशी, अरूण जेटली, सुषमा स्वराज और संघ की तरफ से सर कार्यवाह मोहन भागवत, सह कार्यवाह मदन दास देवी तथा सुरेश सोनी मौजूद थे।सूत्रों का कहना है कि संघ नेताओं ने भाजपा नेतृत्व से दो टूक कहा है कि गठबंधन की कीमत भाजपा ने अपनी विचारधारा से चुकाई है और अब भी यही हो रहा है। विचारधारा को किनारे कर बेमेल गठबंधन ने भाजपा को कई राज्यों में इतना नीचे पहुंचाया है कि उसके लिए उबरना कठिन हो गया है। मसलन, उत्तर प्रदेश और बिहार। यूपी में गद्दी के लिए मायावती के साथ जाने की गलती कर भाजपा हाशिए पर पहुंच गई। बिहार में 10 साल पहले भाजपा मुख्य विपक्षी दल थी और समता पार्टी के छह विधायक थे, लेकिन आज भाजपा यहां जनता दल-यू की सहयोगी बन कर रह गई है।उड़ीसा और महाराष्ट्र में भी कमोबेश यही स्थिति है। सूत्रों का कहना है कि आडवाणी और राजनाथ ने इस मुद्दे पर विचार करने का आश्वासन दिया है। संघ ने भाजपा नेताओं को कहा है कि गठबंधन को लेकर विचारधारा से कहां तक समझौता किया जा सकता है इसके लिए लक्ष्मण रेखा खिंची जाए।
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