Friday, January 2, 2009

गायब हुए करोडो रुपए ने भाजपा की कलह उजागर की

कुछ दिनों पहले भाजपा मुख्यालय से करोड़ रुपए गायब होने के बाद पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह द्वारा लिए गए कुछ निर्णयों के फल स्वरुप पार्टी के भीतर युद्ध छिड़ गया है। पूर्व प्रचार एवं एनडीए शासन के कटु आलोचक मुरलीधर राव का संगठन में समावेश, करोड़ रुपए गायब होने के बाद भी कोषाध्यक्ष रामदास अग्रवाल के खिलाफ कोई कार्रवाई न होने एवं मुख्य अकाउटंट नलिन टंडन के कार्यालय में प्रवेश पर पाबंदी के फैसले ने अंदरुनी झगड़े की चिंगारी को हवा देने का काम किया है। भगवा खेमे में अंर्तकलह पूरे उफान पर है। पार्टी के मुरली मनोहर जोशी सरीखे कुछ नेता पहले भी चुनावों की तैयारियों एवं संगठन की कार्यशैली पर सवाल उठा चुके हैं। मंगलवार को पूरे दिन पार्टी के दिग्गज नेता झगड़े को खत्म करने के उपाय पर नाथापच्ची करते रहे। विवादित मुद्दों की सूची में सबसे उपर राजनाथ सिंह के सहायक के रुप में मुरलीधर राव को शामिल किया जाना रहा। सूत्रों के अनुसार एनडीए शासन के दौरान भाजपा एवं उसकी आर्थिक नीतियों की आलोचन करनेवाले संघ परिवार के स्वदेशी जागरण मंच से राव जुड़े रहे हैं इसलिए कुछ वरिष्ठ पार्टी नेता इस फैसले से खासे नाराज हैं। हालांकि राव की नियुक्ति को आरएसएस में पार्टी प्रमुख की पकड़ मजबूत करने के लिए उठाए गए कदम के तौर पर देखा जा रहा है। राव आरएसएस के संयुक्त महासचिव मदनदास देवी के करीबी माने जाते हैं जो वरिष्ठ संघ नेता मोहन भागवत के खास है। मोहन भागवत को अगला संगठन प्रमुख बनाए जाने की खबर है। यह धड़ा एक और वरिष्ठ संघ नेता सुरेश सोनी के खिलाफ रहा है। यूं तो सोनी राजनाथ के करीबी माने जाते हैं लेकिन विरोधी गुट को शांत करने के लिए ही जानबूझकर राव की नियुक्ति की गई। संघ में राजनाथ सिंह के खास पार्टी उपाध्यक्ष बाल आप्टे की खूब चलती है लेकिन वे भी पिछले कुछ महीनों से व्यक्तिगत समस्याओं के चलते सक्रिय नहीं है। इसलिए पूर्व प्रचारक व युवा तुर्क मानेजानेवाले राव पार्टी अध्यक्ष सिंह के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। भाजपा का एक और गुट सिंह के करीबी रामदास अग्रवाल को संगठन का एकाउंट संभालने में लापरवाही बरतने का आरोप लगा कोषाध्यक्ष पद से हटाने के लिए दबाब बना रहा है। कुल मिलाकर चिंगारी दबी हुई थी बस हवा देने की जरुरत थी। हवा मिली पार्टी मुख्यालय से पैसे गायब होने से अब आग लग चुकी है। पार्टी के वरिष्ठ नेता अंर्तकलह की आग बुझाने में लगे हुए है। चाल, चरित्र, चेहरा की बात करने वाली भाजपा के किसी एक नेता की गलत चाल से सभी नेताओं का चरित्र सामने आ रहा है और अब सभी चेहरा बचाने में लगे हैं। भाजपा के इमान पर इसलिए भी शक होता हे क्योंकि करोड़ो गायब होने के बाद भी पार्टी ने पुलिस में रिपोर्ट करने के बजाय जासूसों से जांच करवाना अच्छा समझा।

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