कांग्रेस ने जोरदार ढंग से अपने नेता का बचाव करते हुए कहा है कि एंडरसन के भारत
से भागने के मामले में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की कोई भूमिका नहीं थी। कांग्रेस कोर ग्रुप ने शुक्रवार को भोपाल गैस कांड के राजनीतिक पहलुओं पर चर्चा की। मुख्य विषय था बीजेपी द्वारा इस मामले में राजीव गांधी पर सवाल उठाना और मामले की आंच राजीव पर आने से रोकना। कोर ग्रुप ने यूनियन कार्बाइड के पूर्व प्रमुख वॉरेन एंडरसन की गिरफ्तारी, उसकी जमानत, राज्य सरकार के विमान से दिल्ली जाने और फिर भारत छोड़ने के नए खुलासों से निपटने के तौर तरीकों पर विचार किया। बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, प्रणव मुखर्जी, पी. चिदंबरम, ए. के. एंटनी और अहमद पटेल मौजूद थे। सूत्रों ने बताया कि ऐसे कठिन समय में कुछ वरिष्ठ नेताओं द्वारा अपने हिसाब बराबर करने के लिए इस संवेदनशील मामले का इस्तेमाल करना कांग्रेस के लिए और बड़ी समस्या बन गया है। पार्टी के कुछ नेता सारी जिम्मेदारी तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह पर डालने की जिस तरह कोशिश कर रहे हैं, उससे भी पार्टी नेतृत्व सशंकित है। हालांकि नेतृत्व को अर्जुन सिंह पर पूरा भरोसा है, लेकिन यह शंका भी बनी हुई है कि अगर पार्टी में हाशिए पर पड़े अस्वस्थ अर्जुन सिंह को ज्यादा भड़काया तो उनकी चुप्पी टूट भी सकती है। किसी समय पार्टी में बेहद ताकतवर रहे अर्जुन सिंह को नेहरू- गांधी परिवार के अनन्य वफादारों में माना जाता है।
पार्टी की नियमित प्रेस ब्रीफिंग में संवाददाताओं के ढेर सारे सवालों के जवाब में प्रवक्ता जयंती नटराटजन ने कहा कि एंडरसन के मामले में न तो तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की कोई भूमिका थी और न ही केन्द्र सरकार की। जयंती ने कहा कि सचाई सामने आना चाहिए। इसीलिए केन्द्र सरकार ने एक मंत्री समूह (जीओएम) का गठन किया है। सारे तथ्य इसके जरिए सामने लाए जाएंगे। लेकिन जयंती ने बीजेपी की इस मांग पर कोई टिप्पणी करने से इनकार दिया कि अर्जुन सिंह को सारे तथ्य सामने रखना चाहिए। जयंती से यह भी पूछा गया कि क्या कांग्रेस के कुछ नेता अर्जुन सिंह को बोलने के लिए उकसा रहे हैं? जयंती ने कहा कि ऐसा नहीं है। उधर अपनी पत्नी के इलाज के सिलसिले में अमेरिका गए दिग्विजय ने स्पष्ट किया है कि उन्होंने कभी भी केन्द्र सरकार को जिम्मेदार नहीं कहा। एंडरसन की जमानत और भागने के मामले में दिग्विजय ने कहा वे इस घटनाक्रम से अवगत नहीं हैं। इन सारे मामलों के जवाब उस समय के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह, चीफ सेक्रेटरी ब्रह्मस्वरुप, कलेक्टर मोती सिंह और एसपी स्वराज पुरी ही दे सकते थे। ब्रह्मस्वरुप का निधन हो चुका है। दिग्विजय उस समय अर्जुन मंत्रिमंडल के सदस्य थे। लेकिन लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए मंत्री पद से इस्तीफा दे चुके थे। दिग्विजय ने कहा कि गैस कांड के बाद राजीव गांधी अपने चुनावी दौरे को बीच में छोड़कर भोपाल आए थे और गैस प्रभावित क्षेत्रों में जाकर पीड़ितों से मिले थे। उस समय राजीव ने गैस त्रासदी के लिए यूनियन कार्बाइड को दोषी ठहराया था। उस समय राजीव के पिंसिपल सेक्रेटरी रहे पी. सी. अलेकजेंडर ने कहा है कि मुझे नहीं लगता कि इस मामले में राजीव गांधी की कोई भूमिका थी। उसी दौरान राजीव के निजी सचिव रहे आर. के. धवन ने भी कहा कि राजीव गांधी को एंडरसन के मामले में कोई जानकारी नहीं थी। एक आदमी जो सारे जवाब दे सकता है वह अर्जुन सिंह हैं।
से भागने के मामले में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की कोई भूमिका नहीं थी। कांग्रेस कोर ग्रुप ने शुक्रवार को भोपाल गैस कांड के राजनीतिक पहलुओं पर चर्चा की। मुख्य विषय था बीजेपी द्वारा इस मामले में राजीव गांधी पर सवाल उठाना और मामले की आंच राजीव पर आने से रोकना। कोर ग्रुप ने यूनियन कार्बाइड के पूर्व प्रमुख वॉरेन एंडरसन की गिरफ्तारी, उसकी जमानत, राज्य सरकार के विमान से दिल्ली जाने और फिर भारत छोड़ने के नए खुलासों से निपटने के तौर तरीकों पर विचार किया। बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, प्रणव मुखर्जी, पी. चिदंबरम, ए. के. एंटनी और अहमद पटेल मौजूद थे। सूत्रों ने बताया कि ऐसे कठिन समय में कुछ वरिष्ठ नेताओं द्वारा अपने हिसाब बराबर करने के लिए इस संवेदनशील मामले का इस्तेमाल करना कांग्रेस के लिए और बड़ी समस्या बन गया है। पार्टी के कुछ नेता सारी जिम्मेदारी तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह पर डालने की जिस तरह कोशिश कर रहे हैं, उससे भी पार्टी नेतृत्व सशंकित है। हालांकि नेतृत्व को अर्जुन सिंह पर पूरा भरोसा है, लेकिन यह शंका भी बनी हुई है कि अगर पार्टी में हाशिए पर पड़े अस्वस्थ अर्जुन सिंह को ज्यादा भड़काया तो उनकी चुप्पी टूट भी सकती है। किसी समय पार्टी में बेहद ताकतवर रहे अर्जुन सिंह को नेहरू- गांधी परिवार के अनन्य वफादारों में माना जाता है।
पार्टी की नियमित प्रेस ब्रीफिंग में संवाददाताओं के ढेर सारे सवालों के जवाब में प्रवक्ता जयंती नटराटजन ने कहा कि एंडरसन के मामले में न तो तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की कोई भूमिका थी और न ही केन्द्र सरकार की। जयंती ने कहा कि सचाई सामने आना चाहिए। इसीलिए केन्द्र सरकार ने एक मंत्री समूह (जीओएम) का गठन किया है। सारे तथ्य इसके जरिए सामने लाए जाएंगे। लेकिन जयंती ने बीजेपी की इस मांग पर कोई टिप्पणी करने से इनकार दिया कि अर्जुन सिंह को सारे तथ्य सामने रखना चाहिए। जयंती से यह भी पूछा गया कि क्या कांग्रेस के कुछ नेता अर्जुन सिंह को बोलने के लिए उकसा रहे हैं? जयंती ने कहा कि ऐसा नहीं है। उधर अपनी पत्नी के इलाज के सिलसिले में अमेरिका गए दिग्विजय ने स्पष्ट किया है कि उन्होंने कभी भी केन्द्र सरकार को जिम्मेदार नहीं कहा। एंडरसन की जमानत और भागने के मामले में दिग्विजय ने कहा वे इस घटनाक्रम से अवगत नहीं हैं। इन सारे मामलों के जवाब उस समय के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह, चीफ सेक्रेटरी ब्रह्मस्वरुप, कलेक्टर मोती सिंह और एसपी स्वराज पुरी ही दे सकते थे। ब्रह्मस्वरुप का निधन हो चुका है। दिग्विजय उस समय अर्जुन मंत्रिमंडल के सदस्य थे। लेकिन लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए मंत्री पद से इस्तीफा दे चुके थे। दिग्विजय ने कहा कि गैस कांड के बाद राजीव गांधी अपने चुनावी दौरे को बीच में छोड़कर भोपाल आए थे और गैस प्रभावित क्षेत्रों में जाकर पीड़ितों से मिले थे। उस समय राजीव ने गैस त्रासदी के लिए यूनियन कार्बाइड को दोषी ठहराया था। उस समय राजीव के पिंसिपल सेक्रेटरी रहे पी. सी. अलेकजेंडर ने कहा है कि मुझे नहीं लगता कि इस मामले में राजीव गांधी की कोई भूमिका थी। उसी दौरान राजीव के निजी सचिव रहे आर. के. धवन ने भी कहा कि राजीव गांधी को एंडरसन के मामले में कोई जानकारी नहीं थी। एक आदमी जो सारे जवाब दे सकता है वह अर्जुन सिंह हैं।
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