Sunday, November 29, 2009

अमर सिंह ने साधा मुलायम पर निशाना

समाजवादी पार्टी के महासचिव अमर सिंह ने फिरोजाबाद लोकसभा सीट पर उपचुनाव में पार्टी की पराजय के लिए पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव के अतिविश्वास को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि इस सीट पर मुलायम सिंह ने मायावती की तर्ज पर प्रचार किया।अमर सिंह ने न्यूज 24 को साक्षात्कार में कहा कि मुलायम सिंह और उनके परिवार के अतिविश्वास के कारण सपा प्रमुख की पुत्रवधु डिंपल यादव को कांग्रेस उम्मीदवार राज बब्बर के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा।चैनल की विज्ञप्ति में कहा गया है कि इन लोगों ने यह सोचकर भारी भूल की कि यह सीट उसी प्रकार उनका गढ़ है जैसे रायबरेली या अमेठी इंदिराजी, सोनिया गाँधी या राहुल गाँधी का गढ़ हुआ करता है।उन्होंने कहा कि लेकिन इन कांग्रेस नेताओं की ओर इन क्षेत्रों में बिताए गए समय को ध्यान में दें। मुलायम सिंह ने चुनाव अभियान के दौरान मायावती की तरह सांकेतिक रूप से व्यवहार किया और पूरी तरह से अभियान में हिस्सा नहीं लिया। यह हमारी निश्चिंतता का परिचायक था।जब उनसे पूछा गया कि क्या अखिलेश यादव ने फिरोजाबाद उपचुनाव में पराजय की पूरी जिम्मेदारी स्वयं ली और किसी अन्य को वह इसमें शामिल नहीं करना चाहते थे तब अमर सिंह ने कहा कि कई बार लोगों को लगता है कि यह मेरा क्षेत्र है और मुझे किसी की जरूरत नहीं है। बाहरी लोग केवल औपचारिकता पूरा करने के लिए हैं।हालाँकि मैं बचने का प्रयास नहीं कर रहा हूँ कि वहाँ हमारे कुछ स्थानीय नेताओं के प्रति जनता में रोष था। यह पूछे जाने पर कि क्या फिरोजाबाद सीट पर पराजय अखिलेश यादव के अतिआत्मविश्वास का प्रतीक था, सपा महासचिव ने कहा कि केवल अखिलेश ही नहीं बल्कि मुलायम सिंह और उनके पूरे परिवार के अलावा मेरी बीमारी के कारण भी हम हारे।

४ सत्रों में होगी मंत्रिमंडल बैठक

राज्य में नगर निकाय चुनावों में कांग्रेस को मिली शानदार सफलता के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कल ३० नवबंर से मंत्रिमंडल की दो दिवसीय विशेष बैठक बुलाई है।आधिकारिक सूत्रों के अनुसार सोमवार को सुबह दस बजे से पहला सत्र होगा। कल तीन सत्र होंगे जिसमें मंत्रिमंडल के सदस्य शामिल होंगे। बैठक में संबंधित विभाग के प्रमुख शासन सचिव अथवा सचिव को बुलाकर कांग्रेस के घोषणा पत्र में किये गये वादे कहां तक सफल हुए, कितना काम पूरा हुआ तथा बकाया रहने के कारणों की समीक्षा की जाएगी। इसके साथ ही सुशासन को लेकर उठाये गये कदम के बारे में विस्तृत चर्चा की जाएगी।सूत्रों के अनुसार एक दिसम्बर को बैठक का चौथा और अंतिम सत्र होगा। इसके बाद गहलोत मीडिया के समक्ष मुखातिब होकर अपनी सरकार के करीब एक साल के कार्यकाल में जनहित में उठाये गये कदमों और किये गये विकास कार्यों के बारे में पत्रकारों को बतायेंगे।सूत्रों के अनुसार मंत्रिमंडल के अधिकांश सदस्य आज अवकाश के बावजूद अपने विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक की तैयारियों में जुटे रहे।

कोड़ा को कांग्रेस ने भ्रष्ट बनाया: अरुण जेटली

बीजेपी के महासचिव अरुण जेटली ने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी ने ही झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को भ्रष्ट बनाया है, लिहाजा कोड़ा के खिलाफ जांच की दिशा भटक सकती है। जेटली ने बताया, 'कांग्रेस ने कोड़ा को भ्रष्ट बनाया। कोड़ा जब बीजेपी में थे तो वह नियंत्रण में थे। कोड़ा के खिलाफ जांच मंद पड़ गई है और वह दिशा से भटक सकती है।' जेटली ने कहा, 'किसी भी जांच में, चाहे वह स्थानीय पुलिस कर रही हो या सीबीआई, कोड़ा
मामले में इस तरह की किसी भी एजंसी को रुचि नहीं है। कांग्रेस सूचना का अधिकार (आरटीआई) की बात करती है, लेकिन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार कोड़ा की डायरी सार्वजनिक क्यों नहीं कर रही?' जेटली ने कहा, 'कांग्रेस ने झारखंड में राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी (वर्तमान में असम के राज्यपाल) की नियुक्ति की और मधु कोड़ा को मुख्यमंत्री बना दिया। दोनों व्यक्ति भ्रष्टाचार के केंद्र में हैं।' जेटली ने कहा, 'व्यवस्था में निर्दलीयों की कोई भागीदारी नहीं है और बीजेपी इस तरह के लोगों का कभी समर्थन नहीं लेगी।' जेटली ने कहा, 'हम मतदाताओं से अपील करते हैं कि वे एक ऐसी स्थिर, विश्वसनीय सरकार के लिए मतदान करें, जो राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति को बरकरार रख सके।'

Friday, November 27, 2009

नक्सलियों ने भाजपा कार्यकर्ताओं को धुना, दहशत

बरवाडीह प्रखंड के छिपादोहर में शुक्रवार की रात नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के हथियारबंद नक्सलियों ने वोट बहिष्कार के नारे को अमलीजामा पहनाते हुए दर्जन भर से अधिक भाजपा कार्यकर्ताओं की जमकर धुनाई कर दी।
नक्सलियों के हाथों मार खानेवाले कार्यकर्ताओं में सुरेश प्रसाद, नीलेश कुमार व राजेश प्रसाद की हालत गंभीर बनी हुई है। इनका इलाज सदर अस्पताल डालटनगंज में किया जा रहा है। शेष कार्यकर्ताओं को मामूली चोट आई है। अन्य घायलों में अरुण प्रसाद, विजय प्रसाद, चंद्रिका प्रसाद, कैलाश साव, बूटन प्रसाद, डा. अनिल प्रसाद व वेद प्रकाश गुप्ता समेत कई अन्य लोग शामिल थे।
जानकारी के अनुसार माओवादी भाजपा के पंचायत अध्यक्ष रावल साव व राजेश प्रसाद को भी खोज रहे थे। घटना के संबंध में बताया जाता है कि लगभग एक सौ हथियारबंद नक्सली छिपादोहर में पहुंचे व वैसे ग्रामीणों को पकड़ा, जिनके घरों में भाजपा के पोस्टर व बैनर लगे थे।
इस घटना की निंदा करते हुए भाजपा मंडल अध्यक्ष सह सांसद प्रतिनिधि जयव‌र्द्धन सिंह ने कहा कि विपक्ष के लोग माओवादियों से मिलकर इस प्रकार की घटना को अंजाम दिलवाया है। इस घटना के बाद से छिपादोहर समेत आसपास के इलाकों में रहने वाले राजनीतिक दल के लोगों में दहशत व्याप्त है।

लोकायुक्त ने भेजा मुख्यमंत्री को नोटिस

भले ही विधानसभा चुनावों से पहले दिल्ली सरकार ने गरीब तबके के लोगों के लिए 'राजीव रत्न आवास योजना' के तहत 60 हजार फ्लैट तैयार होने व कुछ दिनों में उनके आवंटित होने का प्रचार प्रसार किया था। लेकिन चुनावों के बाद सरकार का वादा हवाई साबित होने पर दिल्ली की लोकायुक्त अदालत ने मामले को गंभीरता से लिया है। लोकायुक्त अदालत में अब तक हुई सुनवाई के दौरान जो तथ्य सामने आएं हैं, उसे आधार मानते हुए शुक्रवार को जस्टिस मनमोहन सरीन ने मुख्यमंत्री शीला दीक्षित तथा दिल्ली सरकार के शहरी विकास विभाग के सचिव को नोटिस किया है। साथ ही विस्तृत ब्योरा मांगा है कि योजना के तहत दिल्ली के जिन अलग-अलग इलाकों में कुल 60 हजार फ्लैट तैयार होने के बारे में जनता के बीच प्रचारित किया था इसके बारे में विस्तृत रिपोर्ट सौंपे।
लोकायुक्त ने सुनीता भारद्वाज नामक एक याचिकाकर्ता की शिकायत पर सुनवाई करते हुए यह नोटिस जारी किया है। शुक्रवार को जब मामले की सुनवाई लोकायुक्त के समक्ष चली तो मुख्यमंत्री की तरफ से पेश अधिवक्ता ने इस बात पर एतराज किया कि सुनवाई के दौरान मीडिया क्यों उपस्थित है। मगर जस्टिस मनमोहन सरीन ने साफ किया है मीडिया पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता और इससे केस का कोई लेनादेना नहीं है। लोकायुक्त द्वारा जारी नोटिस का जबाव 16 दिसंबर तक देने को कहा है। उसी दिन मामले की अगली सुनवाई।
पेश मामले में याचिकाकर्ता सुनीता भारद्वाज जो पेशे से वकील हैं। लोकायुक्त से याची ने एक आरटीआई को आधार मानते हुए मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ शिकायत की थी। अधिवक्ता भारद्वाज ने दिल्ली सरकार से सितंबर माह में आरटीआई के तहत राजीव रत्न आवास योजना के नाम पर दिल्ली के किन हिस्सों में कितनी जमीन फ्लैट बनाने के लिए हासिल किया है? इसकी जानकारी मांगी। वहीं उन्होंने पूछा कि इस योजना के तहत पांच सितंबर तक कुल कितने फ्लैट लोगों को आवंटित किए गए हैं। इसके साथ ही योजना के प्रचार प्रसार में कितना खर्च हुआ? साथ ही याचिकाकर्ता ने इस योजना के तहत सन 2000 से लेकर अबतक क्या कार्रवाई की इसकी भी जानकारी मांगी थी।
इसके जबाव में दिल्ली राज्य औद्योगिक एवं अवसंरचना विकास निगम व अन्य विभागों ने जो जबाव दिए वह चौंकाने वाले थे। डीएसआईआईडीसी के अधिकारियों ने बताया कि राजीव रत्न आवास योजना के तहत दिल्ली भर में सिर्फ 9436 फ्लैट बनकर तैयार हुए हैं। इसमें भी सिर्फ बाहरी दिल्ली स्थित पूठ खूर्द गांव में एक प्लाट इस योजना के तहत फ्लैट निर्माण के लिए दिए गए थे। बाकी अन्य फ्लैट अन्य योजना के लिए स्वीकृत जमीन पर बने हैं। जबकि योजना जिसके तहत 5 अगस्त से 5 सितंबर 2008 के बीच निम्न आयवर्ग के लोगों से आवेदन मांगे गए थे। सौ रूपये के आवेदन पत्र के साथ कुल 2,77,518 आवेदकों ने फ्लैट की चाह में फार्म भरा था। इसके अलावा एमसीडी के स्लम विभाग और शहरी विकास विभाग ने भी आरटीआई के तहत जो जबाव दिया था उसे याचिकाकर्ता संतुष्ट नहीं हुई और इसकी शिकायत लोकायुक्त से करना बेहतर समझा।

''अटल भी शामिल थे मंदिर आंदोलन में''

विश्व हिन्दू परिषद ने शुक्रवार को कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी राम जन्मभूमि आंदोलन में शामिल थे जिसकी परिणति छह दिसंबर, 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के रूप में सामने आई।लिब्रहान आयोग रपट में वाजपेयी सहित 68 व्यक्तियों का नाम लिए जाने के बारे में पूछे जाने पर विहिप प्रमुख अशोक सिंघल ने संवाददाताओं से कहा कि वाजपेयी मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे थे और उन्हें एक बार लखनऊ में गिरफ्तार भी किया गया था। मैं नहीं कहूंगा कि वह इसमें शामिल नहीं थे। उन्होंने कहा कि विवादास्पद ढांचा गिराए जाने को काला अध्याय कहने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को प्रतिकूल टिप्पणी करने से मना किया जाएगा।बाबरी मस्जिद विध्वंस को काला अध्याय बताने की आडवाणी की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर सिंघल ने कहा कि छह दिसंबर ऐतिहासिक शौर्य दिवस है और मैं चाहूंगा कि आडवाणी ऐसा नहीं बोले। मैंने उन्हें मना किया और इस पर फिर बातचीत करूंगा। उन्होंने दावा किया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव मंदिर आंदोलन से सहानुभूति रखते थे और मेरी धीरूभाई अंबानी के सौजन्य से राव से तीन बार मुलाकात हुई थी। हालांकि उनकी (राव) ओर से मस्जिद तोड़े जाने की बात कहना बड़ा झूठ है।

नक्सलियों ने सीपीएम नेता की हत्या की

पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले के झारग्राम इलाके में शुक्रवार रात संदिग्ध नक्सलियों ने सीपीएम के एक स्थानीय नेता करुणा महतो की गोली मारकर हत्या कर दी। वह सीपीएम ग्राम पंचायत के सदस्य थे। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि महतो का शव शनिवार सुबह कालबोनी वन्य क्षेत्र के समीप नैशनल हाइवे नंबर 9 से बरामद किया गया। शव के पास नक्सलियों के कुछ पर्चे भी बरामद किए गए, जिसमें लिखा था कि महतो पुलिस मुखबिर थे।

Wednesday, November 25, 2009

महंगाई के खिलाफ मायावती की हुंकार

उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने महंगाई से बेहाल प्रदेश की जनता को तत्काल राहत दिलाने के निर्देश दिए। उन्होंने दैनिक उपयोग की वस्तुओं की दिन पर दिन बढ़ रही कीमतों के लिए केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा किया। साथ ही अधिकारियों को यह निर्देश दिया कि आम जनता को रोजमर्रा के इस्तेमाल की वस्तुएं सस्ती दरों पर मुहैया कराई जाएं। उन्होंने तमाम विभाग के अफसरों को आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश खासतौर पर दिए। वहीं उन्होंने किसानों को बाजार मूल्य के हिसाब से गन्ने की उचित कीमत दिलाने का भी निर्देश दिया। मायावती ने महंगाई के खिलाफ अभियान छेड़ते हुए कहा कि प्रदेश की जनता को कर्मचारी कल्याण निगम के डिपो से आवश्यक घरेलू वस्तुएं नियंत्रित मूल्यों पर उपलब्ध कराई जाएंगी, ताकि पब्लिक को जीवन-यापन में किसी तरह की कठिनाई का सामना न करना पड़े। निगम राज्य के 100 जिला अस्पतालों में दवाओं की बिक्री करेगा। इससे निगम को हर महीने लगभग 15 लाख रुपये का मुनाफा होने का अनुमान है। 7 जनपदों में निगम के 61 डिपो में अरहर की दाल व चीनी की बिक्री की जा रही है। उप्र में कर्मचारी कल्याण निगम के 140 डिपो तथा 23 विस्तार पटल है। उन्होंने बताया कि यूपी कर्मचारी कल्याण निगम के डिपो ने अक्टूबर के अंत तक लगभग 53 करोड़ की आवश्यक वस्तुओं की बिक्री कर 4 करोड़ 50 लाख का मुनाफा कमाया है। निगम अपने बिजनेस पार्टनर की मदद से प्रदेश के चार मेडिकल कॉलेजों में दवा का कारोबार कर रहा है। मायावती ने बताया कि 2009 में कर्मचारी कल्याण निगम द्वारा 12.96 करोड़ की लागत से दैनिक उपयोग की वस्तुओं की आपूर्ति की गई। इसके अतिरिक्त निगम द्वारा बाल विकास एवं पुष्टाहार, सर्व शिक्षा अभियान तथा नरेगा में भी यथासंभव सहयोग किया गया। इस वर्ष अब तक निगम द्वारा इन विभागों को 9.21 करोड़ रुपये की सामग्री की आपूर्ति की जा चुकी है, जिससे निगम को 18 लाख का मुनाफा हुआ है।

चिदंबरम ने लिया महिला पत्रकार की बाइट का सहारा

लिबरहान आयोग की रिपोर्ट भले सार्वजनिक हो गई हो, पर उसे 'लीक' किए
जाने का मुद्दा अब भी कायम है। संसद में रिपोर्ट पेश करने के बाद बुधवार को गृह मंत्रालय ने एक बार फिर यह कहा कि रिपोर्ट हमारी ओर से लीक नहीं की गई। गृह मंत्रालय ने बुधवार को बयान जारी किया। इसमें एक महिला पत्रकार के बयान का उल्लेख है। गृह मंत्रालय के मुताबिक, एक टीवी चैनल से जुड़ी इस महिला पत्रकार ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि हम अपने सोर्स के बारे में तो नहीं बताएंगे, हां हम इतना जरूर कहेंगे कि लिबरहान आयोग की रिपोर्ट हमें गृह मंत्रालय से नहीं मिली थी। हमने इस 'लीक' के लिए गृह मंत्रालय में किसी को भी जिम्मेदार नहीं बताया है। गृह मंत्रालय का कहना है कि महिला पत्रकार की यह स्वीकारोक्ति बीजेपी के उन नेताओं के आरोपों का स्पष्ट जवाब है जो यह कह रहे हैं कि लिबरहान आयोग की रिपोर्ट गृह मंत्री या उनके मंत्रालय की ओर से लीक की गई है। इस बयान से एक बार फिर आयोग के अध्यक्ष जस्टिस मनमोहन सिंह लिबरहान कटघरे में हैं। गृह मंत्री पी. चिदंबरम पहले ही संसद में यह कह चुके हैं कि इस रिपोर्ट की एक कॉपी आयोग के पास थी और एक गृह मंत्रालय के पास। गृह मंत्रालय की कॉपी पूरी तरह सुरक्षित थी। उन्होंने यह भी कहा था कि मैं इतना मूर्ख नहीं हूं कि खुद रिपोर्ट को लीक करूं और शर्मशार होऊं । उधर, जस्टिस लिबरहान ने भी यह कहा था कि मैं चरित्रहीन नहीं हूं। मैने रिपोर्ट नहीं लीक की है। गृह मंत्रालय के इस बयान के साथ ही 'लीक' का जिन्न फिर सिर उठाता नजर आ रहा है, क्योंकि भले ही गृह मंत्रालय किसी की ओर इशारा नहीं कर रहा हो, पर इतना साफ है कि गेंद एक बार फिर जस्टिस लिबरहान के पाले में डाल दी गई है। महिला पत्रकार के बयान का सहारा ले रहा गृह मंत्रालय कम से कम पूर्व न्यायाधीश पर विश्वास करता नजर नहीं आ रहा है।

मुन्ना बजरंगी ने कस्टडी में कई अहम राज उगले

मुन्ना बजरंगी ने दिल्ली पुलिस की कस्टडी में कई अहम राज उगले हैं। अगर उसकी बात सही मानी जाए तो बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड का आरोपी और सात लाख रुपये का इनामी क्रिमिनल अताउर्रहमान उर्फ बाबू इस समय नेपाल में छिपा है। यह जानकारी हाथ लगने के बाद यूपी पुलिस अब नए सिरे से अताउर्रहमान की तलाश में जुट गई है। कृष्णानंद राय हत्याकांड के मुख्य आरोपी और बाहुबली माफिया मुन्ना बजरंगी की गिरफ्तारी के बाद इस मामले का दूसरा आरोपी अताउर्रहमान सीबीआई और यूपी पुलिस के सीधे निशाने पर है। यूपी शासन ने उसके ऊपर दो लाख रुपये और सीबीआई ने पांच लाख रुपये का इनाम घोषित कर रखा है। वह गाजीपुर जिले के महरूपुर का रहने वाला है। सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली पुलिस के रिमांड में मुन्ना बजरंगी ने पचास हजार के इनामी बदमाश संतोष उर्फ किट्टू को अपने गैंग का सदस्य बताया है। किट्टू इस समय बिहार में है। इसी ने जेल में बजरंगी के शूटर अन्नू त्रिपाठी की हत्या की थी। इसी कारण मुन्ना बजरंगी अपने बयान से उसे फंसाना चाहता था। बजरंगी ने गाजीपुर जेल में बंद पूर्वांचल के एक बाहुबली माफिया समेत तीन लोगों के बारे में अहम जानकारियां दी थीं। इसी आधार पर पुलिस ने इफ्तिखार उर्फ बबलू काने और मेराज को गिरफ्तार किया था। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने बजरंगी के साथ पूर्वांचल के एक बाहुबली माफिया पर मकोका लगाया। यूपी की एक जेल में बंद इस माफिया को अब दिल्ली पुलिस अपनी जेल में शिफ्ट करवाने के लिए अदालती कार्रवाई में जुटी है। इतना सच है कि ज्यों-ज्यों मुन्ना बजरंगी का रिमांड बढ़ रहा है, पूर्वांचल के माफिया गिरोहों में खलबली तेज होती जा रही है।

अटल पर कोर्ट जाने से बीजेपी का इनकार

बीजेपी लिबरहान आयोग की रिपोर्ट में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का नाम शामिल किए जाने को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाने के बारे में अभी फैसला नहीं कर सकी है। बीजेपी को शिकायत है कि वाजपेयी को अपनी बात कहने का मौका दिए बिना लिबरहान कमिशन ने उनका नाम रिपोर्ट में शामिल कर लिया। कांग्रेस का कहना था कि अगर बीजेपी को कोई शिकायत है तो वह अदालत का दरवाजा खटखटा सकती है। लोकसभा में पार्टी की उपनेता सुषमा स्वराज ने इस बात से इनकार किया है कि पार्टी इस संबंध में अदालत का दरवाजा खटखटाएगी। उनका कहना था कि पार्टी का अभी ऐसा कोई इरादा नहीं है। पार्टी संसद में रिपोर्ट पर 1 दिसंबर को होने वाली चर्चा में अपनी बात रखेगी।
एक अन्य सवाल पर उनका कहना था कि सरकार की ओर से अभी ऐसी कोई बात सामने नहीं आई है कि रिपोर्ट में आए 'दोषियों' के खिलाफ केस सीबीआई को दिया जाएगा। उनका आरोप था कि कांग्रेस की ओर से इस तरह की बातें उछाली जा रही हैं, लेकिन सरकार की ओर से इस बारे में कुछ कहे जाने तक बीजेपी कोई टिप्पणी नहीं करेगी। अयोध्या में विवादित ढांचे को ढहाए जाने संबंधी मामले की जांच करने वाले लिबरहान कमिशन ने अपनी रिपोर्ट में बीजेपी के सीनियर नेताओं - लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी आदि को दोषी ठहराया है। बीजेपी का कहना है कि अटल का नाम शामिल किया जाना नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है। रिपोर्ट मंगलवार को संसद में पेश की गई थी।



Monday, November 23, 2009

लिब्रहान ने मीडिया से कहा, दफा हो जाओ

सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस लिब्रहान ने मीडिया से बात करने से इनकार कर दिया लेकिन जब पत्रकारों ने जबरदस्‍ती सवाल पूछने की कोशिश की तो उन्‍होंने उन्‍हें दफा हो जाओ तक कह दिया।मामला यही नहीं था। जब एक संवाददाता ने उनसे पूछ लिया कि क्या उन्होंने रिपोर्ट लीक की है तो वह आग-बबूला हो उठे। उन्होंने चिल्लाते हुए कहा, मैं ऐसा चरित्रहीन इंसान नहीं हूं। लिब्रहान ने कहा कि मीडिया उनके साथ जैसा सुलूक कर रहा है वह उससे बेहद दुखी हैं।लिब्रहान आयोग का सच6 दिसबंर 1992 को बाबरी मस्सिद को गिराए जाने के बाद लिब्राहन आयोग का गठन हुआ था। आयोग को इस बात की जांच करनी थी कि किन परिस्थितियों में बाबरी मस्जिद ढहाई गई। आयोग को 16 मार्च, 1993 तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी लेकिन उसके बाद लगातार इसकी अवधि बढ़ाई जाती रही। इस आयोग ने 400 बैठकें कीं और भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के बयान दर्ज किए थे।लिब्रहान आयोग ने संसद के बजट सत्र से ऐन पहले अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह को सौंप दी थी। 17 साल की लंबी कवायद, 8 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च और 48 बार आयोग का कार्यकाल बढ़ाए जाने के बाद यह रिपोर्ट तैयार हुई है। संभवत: विश्व इतिहास में किसी आयोग के इतने लंबे समय तक चलने की यह अनोखी दास्तान है। सन 92 से अब तक कांग्रेस, एनडीए और फिर यूपीए कई सरकारों के कार्यकाल में आयोग का कार्यकाल बढ़ता रहा। अंतिम बार मार्च 09 में आयोग को तीन माह का समय और दिया गया था।दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद का ढांचा ढहाए जाने के बाद देश में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे। विध्वंस के संबंध में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह व उमा भारती जैसे शीर्ष भाजपा नेताओं के खिलाफ आपराधिक मामलों में चार्जशीट दाखिल की गई थी। आयोग ने इस मामले की जांच के बाद मंगलवार को अपनी चार खंड की लंबी रिपोर्ट प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सुपुर्द कर दी। इस दौरान गृह मंत्री पी चिदंबरम भी मौजूद थे। चार वर्ष पहले आयोग ने मामले में सुनवाई पूरी कर ली थी। दो वर्ष पूर्व आयोग के वकील अनुपम गुप्ता ने अध्यक्ष से मतभेद के चलते अपने को जांच से अलग कर लिया था।

लिबरहान लीकेजः आज स्ट्रैटिजी तय करेगी बीजेपी

बीजेपी ने आरोप ल गाया है कि मीडिया में लिबरहान रिपोर्ट की सिलेक्टिव लीकेज राजनीति से प्रेरित है। इसका मकसद विपक्ष की एकता को तोड़ना और झारखंड चुनावों में राजनीतिक लाभ लेना है। सरकार इस रिपोर्ट पर संसद में संपूर्ण चर्चा से बचना चाह रही है, लेकिन बीजेपी के पास तथ्य हैं जिनसे सरकार को घेरा जाएगा। मंगलवार को होने वाली संसदीय बोर्ड की बैठक में बीजेपी अपनी रणनीति तय करेगी। लोकसभा में बीजेपी की उपनेता सुषमा स्वराज ने संकेत दिया कि गृह मंत्री के खिलाफ पार्टी विशेषाधिकार का नोटिस भी दे सकती है। स्वराज ने आरोप लगाया कि आयोग ने रिपोर्ट में तत्कालीन नरसिंह सरकार पर भी उंगली उठाई है, इसलिए सरकार आयोग की पूरी रिपोर्ट संसद में पेश करने से कतरा रही है। गन्ना कीमतों पर विपक्ष की एकता को तोड़ने और संसद में मधु कोड़ा व टूजी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले से देश का ध्यान बंटाने की कोशिश है। ये ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें संसद में विपक्ष उठाने की योजना बना रहा है। यह झारखंड चुनावों में भी राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश है। उपनेता ने कहा कि रिपोर्ट की दो कॉपी में से एक जस्टिस लिबरहान के पास है और दूसरी गृह मंत्रालय के पास। सरकार ने यदि स्पष्ट नहीं किया कि रिपोर्ट कैसे लीक हुई, तो बीजेपी सीधे यह आरोप लगाएगी कि गृह मंत्रालय ने लीक की है। चिदंबरम इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताकर जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। यह संसद की अवमानना है। यदि रिपोर्ट लीक नहीं होती तो बीजेपी समयसीमा से पहले रिपोर्ट पेश किए जाने पर जोर नहीं देती। क्या बीजेपी रिपोर्ट की अंग्रेजी कॉपी संसद में पेश किए जाने से संतुष्ट हो सकती है? सुषमा ने पिछली रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए कहा कि पहले भी आयोगों की रिपोर्ट अंग्रेजी में सरकार ने पेश की है, लेकिन उनकी हिंदी कॉपी कुछ समय बाद जरूर पेश की जाती रही है। सरकार यदि यह आश्वासन दे कि कितने समय में हिंदी कॉपी संसद में पेश की जाएगी तो कार्यवाही रिपोर्ट के साथ आयोग की रिपोर्ट की अंग्रेजी कॉपी पेश किए जाने भर से बीजेपी संतुष्ट हो सकती है, लेकिन हिंदी कॉपी पेश किए जाने की समयसीमा लोकसभा अध्यक्ष तय करें। सुषमा ने रिपोर्ट में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का नाम शामिल किए जाने पर अचरज जताया और कहा कि वाजपेयी को समन तक नहीं किया गया। रिपोर्ट पर बीजेपी के रुख का खुलासा करने से इनकार करते हुए उन्होंने कहा कि संसद में रिपोर्ट पेश होने के बाद ही हम कुछ कहेंगे।

झारखंड में दागी बने सबकी आंख के तारे

झारखंड विधानसभा चुनाव में धन और बाहुबल का जलवा दिखने के आसार हैं। लगभग सभी पार्टियों ने दागी लोगों को अपना उम्मीदवार बनाया है। 16 पर्सेंट उम्मीदवार तो ऐसे हैं जिन पर हत्या, हत्या की कोशिश, लूटपाट जैसे गंभीर आरोप हैं। दोबारा चुनाव लड़ रहे 16 विधायकों की परिसंपत्ति में औसतन 224 परसेंट की बढ़ोतरी हुई है। पहले चरण में 25 नवंबर को झारखंड विधानसभा की 26 सीटों के लिए वोटिंग होनी है, जिसके लिए 302 उम्मीदवार मैदान में हैं। नैशनल इलेक्शन वॉच ने उम्मीदवारों के हलफनामों के आधार पर बताया कि पहले चरण में 108 उम्मीदवार ऐसे हैं जिन पर आपराधिक मामले चल रहे हैं। यानी 36 पर्सेंट उम्मीदवार दागी हैं। सभी मुख्य पार्टियों ने तमाम संगठनों की अपील को दरकिनार करते हुए आपराधिक छवि के लोगों को टिकट दिया है। जेएमएम ने ऐसे 19, कांग्रेस ने 11, बीजेपी ने 9, आरजेडी ने 7 और एआईटीसी ने 9 लोगों को अपनी पार्टी का उम्मीदवार बनाया है। 2 उम्मीदवार ऐसे हैं जिन्होंने अपनी संपत्ति शून्य दिखाई है वहीं 27 उम्मीदवारों के पास करोड़ों की संपत्ति है। पहले चरण में सबसे अमीर उम्मीदवार कांग्रेस के टिकट पर झरिया से चुनाव लड़ रहे सुरेश सिंह है। इनके पास 9.42 करोड़ रुपये की संपत्ति है। राजनीति में धनबल की घुसपैठ का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दोबारा चुनाव लड़ रहे विधायकों की संपत्ति 5 साल में जबर्दस्त रूप से बढ़ी है। 16 विधायकों की परिसंपत्ति में औसतन 224 पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई है। यूथ फॉर इक्वैलिटी के प्रेजिडेंट डॉ. कौशल कांत मिश्रा कहते हैं कि पांच साल में विधायकों की संपत्ति में हुई बढ़ोतरी की जांच होनी चाहिए कि उनका इनकम सोर्स क्या था। हमने चुनाव आयोग से मांग की है कि हलफनामे में संपत्ति के जिक्र के साथ सोर्स ऑफ इनकम बताना भी जरूरी होना चाहिए। असोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के नैशनल को-ऑर्डिनेटर अनिल बेरवाल कहते हैं कि हर पार्टी कई मंचों पर यह स्वीकार कर चुकी है कि आपराधिक छवि के लोगों को टिकट नहीं मिलना चाहिए लेकिन जब वक्त आता है तो दागी लोगों को टिकट देने से कोई पीछे नहीं रहता। वह यह देखकर टिकट देते हैं कि किसके पास कितना पैसा और कितनी मसल पावर है। यह पब्लिक की भावनाओं की नजरअंदाज करना है। लोगों को सावधान करने की हमारी मुहिम जारी है।

एक बदलाव बर्लिन से बंगाल तक

क्या आपको क्रिस्टीन मोंग्यू की फिल्म '4 मंथ्स, 3 वीक्स एंड 2 डेज' याद है? यह फिल्म तानाशाह निकोलॉय चौशेस्कू के वक्त की कहानी है। फिल्म में यह दिखाने की कोशिश की गई है कि किस तरह यूनिवर्सिटी की दो लड़कियों का गर्भपात कराने के लिए वहां के तानाशाह ने खास इंतजाम किया। उस समय के कम्युनिस्ट शासित रोमानिया में इस तरह के गर्भपात को गैरकानूनी माना जाता था। कांस फिल्म फेस्टिवल 2007 में इस फिल्म को प्रतिष्ठित पाम दि'ओर पुरस्कार मिला। फिल्म की कहानी के मुताबिक ओटिलिया और गैब्रीएला नाम की वही दोनों यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स आखिर में इस तानाशाह के अंत का कारण बनीं। यह एक ऐसे कम्युनिस्ट तानाशाह का अंत था जो लोगों की जिंदगी के हर पहलू पर अपना कब्जा चाहता था। फिल्म के मुताबिक, ओटिलिया अपना गर्भपात कराने में सफल तो रही, लेकिन इसकी कीमत उसे उस आदमी के साथ सेक्स करके चुकानी पड़ी, जिस शख्स ने अपने देश में गर्भधारण पर रोक लगाई थी।
इस साल साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित जर्मन लेखिका हेर्टा मुलर ने चौशेस्कू राज की कैफियत सिर्फ एक लाइन में बयान की है -'सुबह से एक ऐसा डर सताता था जो शाम होने तक आपके अस्तित्व को ही खत्म कर डालता था।' यूरोप के कुछ अन्य देशों की तरह रोमानिया पर नियंत्रण के नाम पर सोवियत संघ काल में जो तंत्र विकसित किया गया, उसमें सबसे ज्यादा अत्याचार रोमानिया के लोगों पर हुए। सोवियत संघ के कठपुतली शासकों के खिलाफ जब भी कोई जनांदोलन चला, उसे सोवियत टैंकों के नीचे नेस्तनाबूद कर दिया गया। आज से 20 साल पहले 9 नवंबर की रात को जब बर्लिन की दीवार गिरी थी तो पूरे यूरोप में खुशी की लहर दौड़ गई और लोग भारी संख्या में दोनों जर्मनी के एक होने की खुशी मनाने सड़कों पर निकल पड़े। लोगों ने उस दीवार के कंकड़-पत्थर तक अपने पास यादगार के रूप में सहेज कर रखे ताकि वे उन ऐतिहासिक लम्हों के गवाह रहें।
1989 की उस आधी रात के जश्न की तस्वीरें पूरी दुनिया में लोगों के जेहन में आज भी ताजा हैं। यह अलग मुद्दा है कि कम्युनिस्ट राज के खात्मे के बाद यूरोप ने आर्थिक या सामाजिक रूप से क्या तरक्की की है, लेकिन सदियों से कम्युनिस्ट राज के तहत किसी देश की हर संस्था (जिसमें कला और संस्कृति भी शामिल है) जिन बातों से बेचैनी महसूस कर रही थीं, उसने उन्हें ऐसे शासन से मुक्ति पाने के लिए प्रेरित किया। सदियों से ऐसे शासन की दहशत में जी रहे लोग हिंसक रास्ता अपनाने के लिए मजबूर हो गए। इस तरह वहां कम्युनिस्टों के खात्मे का इतिहास लिखा गया। पश्चिम बंगाल में कम्युनिस्टों ने जो प्रयोग किया, उस पर कुछ-कुछ पूर्वी यूरोप में किए गए प्रयोगों की छाया दिखाई देती है। पश्चिम बंगाल में कम्युनिस्ट राज की शुरुआत भी तमाम उम्मीदों के साथ हुई थी। इसे अपने आम कार्यकर्ताओं का पूरा समर्थन हासिल था, इसे आम लोगों (यहां इसका मतलब गरीब है) की सरकार बताया गया लेकिन 32 साल के इस स्वच्छंद शासनकाल में पश्चिम बंगाल के कम्युनिस्ट अपनी दिशा भूल गए। वे जमीन से जुड़े उन लोगों से दूरी बनाने की भूल कर बैठे, जो उन्हें सत्ता तक लाए थे। राज करने और धोखा देने में काफी फर्क है। लोगों द्वारा चुनी गई सरकार हो सकता है कि आम आदमी की बुनियादी जरूरतों को न पूरा कर सके। लेकिन अगर वह कुछ करने के नाम पर उन्हें धोखा दे तो इसे क्या कहेंगे? आखिरकार पश्चिम बंगाल के लोग जिन हालात का सामना कर रहे थे, उनके सब्र का पैमाना नंदीग्राम, सिंगूर और लालगढ़ में छलक उठा। इसी तरह पश्चिम बंगाल के कुछ और इलाके भी रणभूमि में तब्दील हो गए। अभी हाल में ब्लादिमीर पुतिन ने जब कहा कि उनकी पार्टी फिर सत्ता में लौटेगी, तो इस पर मिखाइल गोर्बाचॉव ने एक टीवी इंटरव्यू में टिप्पणी की कि किसी भी पार्टी को लंबे समय तक सत्ता में नहीं बने रहना चाहिए। सोवियत संघ में गोर्बाचॉव के सुधारों से ही दशकों पुराने कोल्ड वार और यूरोप में कम्युनिस्ट राज का खात्मा हुआ था। किसी भी देश में अगर सत्ता किसी एक पार्टी के हाथ में लंबे समय तक रहती है तो वह उस देश के लिए बहुत घातक साबित होती है। इससे सिर्फ भ्रष्टाचार ही नहीं पनपता, बल्कि सरकार की कार्यकुशलता पर भी असर पड़ता है। 1980 के आखिरी महीनों में यूरोप में बदलाव की जो लहर चली, उसने न सिर्फ इतिहास को फिर से लिखा बल्कि इसने पूरे विश्व पर इन अर्थों में असर डाला कि जिस सोवियत संघ की कम्युनिस्ट सत्ता को अजेय समझता जाता था, वह पूरी तरह खत्म हो गई। इधर, पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने खुद स्वीकार किया है कि प्रदेश में बदलाव की हवा बह रही है। उन्हें बदलाव का यह संकेत पंचायत चुनाव, लोकसभा चुनाव और उपचुनावों के नतीजों से मिला है। विचारधारा के तौर पर कम्युनिज्म को बार-बार परिभाषित करने की जरूरत पड़ती रही है। जब तक जोर इस बात पर रहा कि पश्चिम बंगाल की सरकार जमीन से जुड़ी हुई है, तब तक यह वहां मजबूती से जमी रही। लेकिन जैसे ही वामपंथियों ने अपने मूल सिद्धांतों से समझौता करते हुए अपने फैसले जनता पर थोपने की कोशिश शुरू की, तभी से इनका विरोध भी शुरू हो गया। अगर यह सरकार वहां के किसानों से बुरी तरह पेश नहीं आती तो शायद इसका नियंत्रण वहां कभी खत्म नहीं होता। किसी भी किसान के लिए उसकी जमीन से कीमती कुछ भी नहीं होता। उद्योग जगत को खुश करने के लिए किसानों की जमीन के सौदे से हालात बिगड़ने ही थे। पश्चिम बंगाल में यही हुआ है। किसानों की जमीनों पर स्पेशल इकनॉमिक जोन बनाने की नीति का जो नतीजा निकला, उसने कम्युनिस्ट सरकार की चूलें हिला दीं। सत्ता में इतने सालों तक बतौर सरकार कम्युनिस्टों ने चाहे जितने अच्छे और लोक हितकारी काम किए हों, लेकिन हाल की उनकी नीतियों से पाटीर् और सरकार की बनी बनाई विश्वसनीयता खत्म हो गई।

Friday, November 20, 2009

कांग्रेस की स्टियरिंग कब संभालेंगी प्रियंका?

प्रियंका गांधी वॉड्रा राजनीति में कब आएंगी, इसका जवाब उनके सिवाय किसी के पास नहीं
है। मगर शुक्रवार को उन्होंने अमेठी पहुंचते ही ड्राइविंग सीट संभाल ली। जी हां, फुरसतगंज हवाई अड्डे पर उतरते ही प्रियंका अपने परिवार की पुरानी गाड़ी ग्रीन क्वॉलिस की ड्राइविंग सीट पर बैठ गईं। अमेठी से सांसद राहुल गांधी बगल की सीट पर बैठे। फुरसतगंज से गौरीगंज के अंगरावा गांव तक की यात्रा प्रियंका ने गाड़ी ड्राइव करते हुए पूरी की। अमेठी-रायबरेली में इससे पहले लोगों ने प्रियंका को गाड़ी चलाते नहीं देखा था। अमेठी और रायबरेली दोनों संसदीय क्षेत्रों में बिटिया, दीदी और कहीं-कहीं 'भैया' के नाम से लोकप्रिय प्रियंका को गाड़ी चलाता देख इलाके के पुराने लोगों को राजीव गांधी की याद आ गई। राजीव को खुद गाड़ी चलाने का बहुत शौक था। वह गाड़ी तेज भी बहुत चलाते थे।
प्रियंका और राहुल लंबे अरसे के बाद एक साथ अमेठी आए हैं। प्रियंका को स्टियरिंग वील संभाले देख लोगों में तमाम तरह की चर्चाएं शुरू हो गईं। इस दृश्य को देखकर खुश और उम्मीद से भरे लोग कह रहे थे कि अगर प्रियंका कांग्रेस की राजनीति की स्टेयरिंग संभाल लें तो कांग्रेस का कायाकल्प होने में देर नहीं लगेगी। तेज-तर्रार प्रियंका में लोग इंदिरा की छवि देखते हैं, जबकि राहुल में उन्हें राजीव की सौम्यता और नाप-तौल के कदम रखने वाले गंभीर शख्स की इमेज नजर आती है। भाई-बहन के बीच बेहद स्नेह के साथ गजब का राजनीतिक तालमेल है। इसकी मिसाल गौरीगंज से आगे के सफर में मिल गई। अब ड्राइविंग सीट पर राहुल थे और प्रियंका बगल वाली सीट पर। नेहरू-गांधी परिवार के वारिसों के हर कदम में राजनीतिक संकेत ढूंढने वालों का कहना है कि बच्चों के थोड़े बड़े हो जाने के बाद प्रियंका के सार्वजनिक जीवन में ज्यादा समय देने के इरादे नजर आ रहे हैं। इन दिनों प्रियंका, राहुल गांधी फाउंडेशन के कामों में भी फिर से दिलचस्पी लेने लगी हैं। 2004 में जब राहुल गांधी पहली बार अमेठी से चुनाव लड़े थे तो उन्हें इंट्रोड्यूस करवाने प्रियंका ही आई थीं। प्रियंका उम्र में राहुल से छोटी हैं। मगर वे पिछले 20 साल से अमेठी-रायबरेली लगातार आ रही हैं। अमेठी-रायबरेली में सेल्फ हेल्प ग्रुपों का जाल प्रियंका ने ही बिछाया है। अभी वह राहुल के साथ उन्हीं के कामों की समीक्षा करने आईं थी। ग्रुप कितने कामयाब हैं और इनके जरिए महिलाओं की जिंदगी में कितना बदलाव आया है, इसका उदाहरण मडेरिका, जिसके हिज्जे पूछने पर औरतों ने कहा 'मडेरिका लाइक अमेरिका।' वहां चल रहे गणपति स्वयं सहायता समूह (सेल्फ हेल्प ग्रुप) की सदस्य बुजुर्ग महिला गंगापति कहती हैं कि हम आर्थिक रूप से स्वावलंबी हो गए। पहले अगर हम 20 रु. मांगने के लिए भी गांव के संपन्न घरों में जाते थे तो वे कहते थे कि कुछ गिरवी रखने के लिए लाओ और साथ में मोटा ब्याज लेते थे। अब हम हजारों रुपए नाममात्र के ब्याज पर महिलाओं को देते हैं। यहां महिलाओं ने राहुल और प्रियंका को अपनी नई योजना बताते हुए कहा कि वे गांव में इंगलिश मीडियम स्कूल खोलना चाहती हैं। सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती है। एक युवा महिला प्रतिभा ने बताया कि राहुल और प्रियंका ने कहा कि आप लोगों के नए स्कूल के बच्चों के साथ मारपीट नहीं होनी चाहिए। उन्हें प्यार से पढ़ाया जाए और रटने के बदले चीजों को समझाने पर जोर होना चाहिए। दोनों ने स्कूल के लिए हर संभव मदद देने का भरोसा दिलाया। राहुल शुक्रवार शाम को ही वापस चले गए। उन्हें शनिवार को झारखंड में चुनाव प्रचार के लिए जाना है। प्रियंका यहां रात को अपने दिल्ली स्थित दफ्तर के एक कर्मचारी की शादी में शामिल हुईं। शनिवार को प्रियंका यहां लालगंज में बाल कांग्रेस के अध्यक्ष अभिषेक के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त करने जाएंगी। अभिषेक ने लोकसभा चुनाव के दौरान बाल कांग्रेस बनाई थी। प्रियंका के दोनों बच्चों ने भी बाल कांग्रेस की सदस्यता ली थी और चुनाव प्रचार किया था। 14 साल का अभिषेक आग लगने की एक दुर्घटना में अपनी जान गंवा बैठा।

आडवाणी 5 साल तक नेता विपक्ष नहीं रहेंगे : नायडू

बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष वेंकैया नायडू ने कहा कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने पार्टी नेताओं से कहा है कि वह इस पद पर पांच साल तक नहीं रहना चाहते। उल्लेखनीय है कि बीजेपी में आजकल नए अध्यक्ष और आडवाणी के उत्तराधिकारी को लेकर अटकलबाजियों का दौर जारी है। इसी बीच नायडू ने कहा है कि पार्टी आडवाणी का नेतृत्व और मार्गदर्शन चाहती है और उनके उत्तराधिकारी का चयन समय के हिसाब से उनके ऊपर छोड़ दिया गया है। उन्होंने कहा कि आडवाणी के न चाहते हुए भी 15वीं लोकसभा में उन्हें नेता प्रतिपक्ष के पद पर चुना गया था। नायडू ने कहा, उन्होंने हमें बताया कि वह 15वीं लोकसभा के अंत तक इस पद पर नहीं रहना चाहते और अपनी जिम्मेदारी किसी अन्य साथी के हाथों में सौंपना चाहते हैं।

गुस्से का उफान था

शिवसैनिकों के शुक्रवार को मराठी न्यूज चैनल 'आईबीएन-लोकमत' के मुंबई और पुणे के ऑफिसों पर हमले की शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे ने खुलकर हिमायत की है। ठाकरे ने शिवसेना के मुखपत्र सामना में लिखा है कि शिवसैनिकों ने जो भी किया वह हमला नहीं, उनके गुस्से का उफान भर था। पिछले दिनों सचिन पर बयान को लेकर हुई फजीहत से गुस्साए ठाकरे ने 'सामना' में लिखा है कि मीडिया कोई भगवान नहीं है। गौरतलब है कि शुक्रवार को शिवसैनिकों ने चैनल के दफ्तर में मारपीट और तोड़फोड़ की थी। इसके बाद करीब 17 शिवसैनिकों को गिरफ्तार किया गया था। शिवसेना नेता संजय राऊत ने हमले की जिम्मेदारी लेते हुए आरोप लगाया था कि चैनल शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे को लेकर आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल कर रहा था।

Wednesday, November 18, 2009

भावी प्रधानमंत्री न समझें: राहुल गांधी

कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने कहा कि उन्हें भावी प्रधानमंत्री न समझें, क्योंकि भविष्य में क्या होने वाला है यह कोई नहीं जानता। राहुल गांधी ने यहां एक कॉलेज में करीब 1500 स्टूडेंट्स से बातचीत करते हुए कहा कि प्लीज आप लोग मुझे फ्यूचर पीएम न समझें, कोई भी प्रधानमंत्री बन सकता है। राहुल ने तब यह बात कही जब कुछ छात्रों ने उन्हें भावी प्रधानमंत्री कहा। राहुल ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अच्छा काम कर रहे हैं। आतंकवाद पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि देश कानून के अनुरूप मुद्दे से निपट रहा है। राहुल ने ग्लोबल वॉर्मिंग और आरक्षण जैसे मुद्दों पर पूछे गए सवालों के जवाब भी दिए।

करकरे की पत्नी ने उठाए राज्य सरकार पर सवाल

मुंबई में हुए 26 /11 के आतंकवादी हमलों में शहीद हुए एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (एटीएस) प्रमुख हेमंत करकरे की पत्नी कविता करकरे का मानना है कि अगर देश में एटीएस का प्रमुख ही सुरक्षित नहीं है, तो आम आदमी के लिए कोई सुरक्षा नहीं है। कविता ने राज्य सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि 26 /11 को मारे गए मेरे पति और दो अन्य सीनियर अफसरों को वक्त रहते मदद क्यों नहीं दी गई। इस तरह दिवंगत अफसर के परिवार ने पहली बार माना कि उन्हें जरूरत के वक्त मदद नहीं मिली थी। कविता ने कहा कि पहले छह महीने के दौरान मुझे कुछ पता नहीं चला। राजनेता, मीडिया के लोग और अन्य लोग मेरे पास आए, लेकिन मुझे पता नहीं चला कि क्या चल रहा है। आज तक किसी सीनियर अफसर ने मुझे नहीं बताया कि मेरे पति के साथ क्या हुआ। मैंने सिर्फ मीडिया के लोगों, मैगजीनों और अखबारों से जानकारी हासिल की। लेकिन जब राजनीतिज्ञों ने सवाल उठाना शुरू किया कि उन्होंने जल्दबाजी में काम किया तो हमने घटना के बारे में तथ्य जुटाने शुरू किए। हमें पता चला कि काम्टे, करकरे, सालस्कर कामा हॉस्पिटल में 40 मिनट तक रणनीति बनाते रहे। लेकिन 40 मिनट में उनके पास मदद क्यों नहीं पहुंची, इसका जवाब मुझे कोई नहीं दे रहा। कविता ने आरोप लगाया कि हेमंत करकरे को 40 मिनट से ज्यादा समय तक घायल स्थिति में छोड़ दिया गया और उन्हें अस्पताल नहीं ले जाया गया। कुछ दिन पहले कविता ने आरोप लगाया था कि मेरे पति का बुलेटप्रूफ जैकिट गायब हो गया है। पुलिस फोर्स में भ्रष्टाचार के विषय पर आधारित एक म्यूजिक विडियो जारी करने के मौके पर कविता ने सवालिया अंदाज में कहा कि यह इतना हास्यास्पद है कि एटीएस प्रमुख सुरक्षित नहीं है और इस तरह मारा जाता है। ऐसे में इस देश में आम आदमी कैसे खुद को सुरक्षित महसूस करेगा। 'यही सच है' शीर्षक वाले ऐल्बम का डाइरेक्शन और निर्माण पूर्व आईपीएस अधिकारी वाई. पी. सिंह व उनकी पत्नी आभा ने किया है। आंखों में आंसू लिए कविता ने कहा कि मैं यह नहीं समझ पा रही हूं कि हमारी सुरक्षा व्यवस्था में क्या गड़बड़ है। अडिश्नल पुलिस कमिश्नर अशोक काम्टे के माता-पिता भी इस मौके पर मौजूद थे। वह भी 26 नवंबर को ड्यूटी पर आतंकवादियों का मुकाबला करते शहीद हो गए थे। लेकिन उनके माता-पिता ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।

चर्चा की पुष्टि

दो दिन से जिस बात की चर्चा जोरों से चल रही थी, उसकी पुष्टि करीब करीब हो ही गई है। हमें मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार देर शाम बीजेपी प्रेजिडंट राजनाथ सिंह के पॉलिटिकल अडवाइजर मुरली धर राव ने संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की। इस मुलाकात में राजनाथ की इस्तीफे की घोषणा का पूरा मास्टरप्लान डिस्कस किया गया। साथ ही यह भी तय गया है कि किस तरह राजनाथ इस्तीफे की घोषणा करेंगे, उस दौरान उनकी भाषा और शैली क्या होगी और उसके बाद राजनाथ की पार्टी में क्या जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। वैसे यह भी चर्चा है कि 26 नवंबर 2006 को बीजेपी के प्रेजिडंट बने राजनाथ के लिए शायद यही डेडलाइन की तारीख हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार निर्धारित कार्यकाल से पहले राजनाथ के इस्तीफे की रणनीति इसलिए बनाई गई ताकि संघ की आंखों की किरकिरी बने लाल कृष्ण आडवाणी को मात दी जा सके। राजनाथ के जल्दी इस्तीफे की रणनीति के पीछे दो कारण बताए जा रहे हैं-पहला नितिन गडकरी को जल्दी ही पार्टी की बागडोर देना ताकि उनके नाम पर ज्यादा चर्चा और विश्लेषण न हो सके और दूसरा, आडवाणी के नेता प्रतिपक्ष के इस्तीफे के बाद उस जगह पर राजनाथ को फिट किया जा सके। वैसे इस पद के लिए सुषमा स्वाराज भी दौड़ में बनी हुई है, लेकिन जिस तरह संघ ने प्रेजिडंट के दौड़ में से उन्हें बाहर किया है, उससे यहीं अंदेशा है कि संघ दिल्ली के इन हाईप्रोफाइल नेताओं को अब कोई भी हाइप्रोफाइल पोस्ट नहीं देना चाहता है। भगवा बिग्रेड से मिल रही जानकारी के अनुसार अभी भी भगवा परिवार नितिन गडकरी के प्रेजिडंट बनने को पूरी तरह पचा नहीं पा रहा है और ऐसे में बीजेपी के चार धुरंधर हर तरह से नितिन गडकरी को मात देना चाहते हैं। इस वक्त अगर नितिन गडकरी को कोई मात दे सकता है तो वह हैं हिंदु ह्दय सम्राट के तौर पर जाने वाले गुजरात के सीएम नरेन्द्र मोदी। भगवा बिग्रेड में अहम स्थान रखने वाले एक वरिष्ठ नेता ने इशारों ही इशारों में बताया है कि बीजेपी के चार बड़े धुरंधर आजकल नरेन्द्र मोदी को मनाने में जुटे हुए हैं। यह नेतागण जानते हैं कि मोदी की दमदार शख्सियत के दम पर नितिन गडकरी को आसानी से मात दी जा सकती है। क्योंकि जो गडकरी का सबसे कमजोर पक्ष है, वही मोदी का सबसे मजबूत पक्ष यानी खुद के राज्य में चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन। नितिन गडकरी के कार्यकाल में बीजेपी जहां महाराष्ट्र में लगातार विफलता का घूंट पी रही है, वहीं मोदी का गुजरात बीजेपी की सफलता का एकमात्र उदाहरण है। वैसे सूत्र यह भी बता रहे हैं कि बीजेपी के पोस्टर बॉय मोदी जल्द ही दिल्ली आकर सबके चौंका भी सकते हैं। और इसी रणनीति को देखते हुए संघ अब कोई रिस्क लेना नहीं चाहता और जल्दी ही नितिन को बीजेपी की कमान सौंपकर अपने हाथ में रिमोट रखना चाहता है। मंगलवार को संघ प्रमुख के साथ राजनाथ सिंह के राजनैतिक सलाहाकार राव की मुलाकात भी इसी बात का संदेश दे रही है कि बस अब चंद दिनों में ही राजनाथ सिंह नाटकीय अंदाज में अपने इस्तीफे की घोषणा कर सकते हैं। सूत्रों से मिल रही खबर के मुताबिक राजनाथ के इस्तीफे की तिथि भी तय हो गई है, लेकिन किसी को भी इस डेट की भनक तक नहीं लगने दी जा रही है। संघ नहीं चाहता है कि अब वह अपनी किसी भी रणनीति में बीजेपी के हाई प्रोफाइल चेहरों को कोई भी ऐसा मौका दे, कि वे अपना कोई खेल खेल सकें।

राज्य सरकार क्षुद्र मनोवृति से ग्रस्त : किरण

भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं विधायक राजसमंद किरण माहेश्वरी ने कहा कि राज्य में सत्तारूढ कांग्रेस सरकार संकीर्ण मानसिकता एवं क्षुद्र मनोवृति से ग्रस्त है। यह वसुंधरा राजे सरकार द्वारा प्रारंभ किए गए जनहितकारी विकास कार्यो को रोक कर जनता के साथ अत्याचार कर रही है। राष्ट्रीय अध्यक्ष माहेश्वरी मंगलवार को पत्रकार वार्ता में यह बात कही।उन्होंने कहा कि राजसमंद का दुग्ध संयंत्र भी इसी मानसिकता की भेंट चढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि राजसमंद में तीन करोड 75 लाख रुपए के परिव्यय पर दुग्ध संयंत्र परियोजना वसुंधरा राजे सरकार ने स्वीकृत की थी। केरोट गांव में दस बीघा भूखण्ड पर इस परियोजना का अधिकांश कार्य हो चुका है। ऐसे में नये स्थान पर नया संयत्र बनाना अव्यावहारिक है। उन्होंने कहा कि सयंत्र के लिए वैकल्पिक योजना का बहाना बनाकर राज्य सरकार जिले में दूध उत्पादन सयंत्र बंद करने का षडयंत्र रच रही है। उन्होंने कहा कि राजसमंद झील में जल आवक काएक मात्र स्रोत गोमती नदी है। अल्प वृष्टि एवं जल आवक क्षेत्रों में छोटे-छोटे बांधों के निर्माण के कारण पर्याप्त जल इस माध्यम से नहीं आ पा रहा है। राजसमंद झील को भरे रखने का एकमात्र विकल्प देवास परियोजना से पानी लाना है। उन्होंने बताया कि देवास के तृतीय व चतुर्थ चरणों में बने बांधों से पानी की सुरंग बना कर चिकलवास फीडर के माध्यम से राजसमंद झील में पानी लाया जा सकता है। वसुंधरा राजे सरकार ने इस योजना को आगे बढ़ाया था लेकिन सरकार इस योजना का पानी चित्तौडगढ़ ले जाने का षडयंत्र कर रही है। उन्होंने कहा कि गुरू गोवलकर सहभागिता योजना को राज्य सरकार ने मृत प्राय कर दिया है। सहभागिता के रूप में जनता का करोडों रूपया अंशदान सरकार के पास जमा है।माहेश्वरी ने कहा कि बालिका शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए माध्यमिक स्तर पर साईकिल का वितरण भी नहीं हो पाया है। यह बालिका शिक्षा के प्रति संवेदनहीनता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि राजसमंद नगर में पेयजल की सूचारू आपूर्ति एक बड़ी समस्या है। इसके समाधान के लिए वसुंधरा राजे सरकार ने नगरीय विकास एवं उन्नयन योजना में डेढ़ करोड रुपयों की महत्ती योजना स्वीकृत की थी लेकिन राज्य सरकार ने इसे भी ठण्डे बस्ते में डाल दिया। इस अवसर पर भाजपा जिलाध्यक्ष हरिओम सिंह राठौड़, जिला महामंत्री महेश पालीवाल, नगरपालिका चैयरमेन अशोक रांका, उपाध्यक्ष सत्यप्रकाश काबरा, ग्रामीण मण्डल अध्यक्ष श्रीकृष्ण पालीवाल भी उपस्थित थे।

११ माह में क्या दिया गहलोत ने : कटारिया

आसन्न परिषद चुनाव में भाजपा गहलोत सरकार द्वारा मेवाड़ की उपेक्षा किये जाने के मुद्दे को भुना कर जनता की सहानुभूति बटोर परिषद में एक बार फिर अपना बोर्ड बनाने की कवायद में है।सभापति पद की भाजपा प्रत्याशी रजनी डांगी की ओर से मंगलवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में शहर विधायक गुलाबचन्द कटारिया ने इसी मुद्दे को मीडिया के सामने प्रमुखता से रखते हुए कहा कि गहलोत सरकार ने ११ माह में अपने खजाने से ११ पैसे भी मेवाड़ को नहीं दिए । आज उसी पार्टी के लोग परिषद चुनाव में वोट मांगने घर-घर पहुंच रहे है।कटारिया ने कहा कि अशोक गहलोत ने मेवाड़ व उदयपुर की ११ माह में हर मामले में उपेक्षा की है । झील संरक्षण योजना का गहलोत सरकार के पास पैसा पड़ा होने के बावजूद उसका उपयोग नहीं हो पा रहा है ।कटारिया ने कहा कि नगर परिषद में भाजपा के तीन बोर्ड बने और तीनों ने विकास के ऐतिहासिक काम किए । उसी के परिणाम स्वरूप चौथा बोर्ड भी भाजपा का होगा।कटारिया ने दावा किया कि परिषद चुनाव में भाजपा करीब ४५ सीटों पर विजय दर्ज करेगी। परिषद चुनाव में बगावत कर रहे प्रत्याशियों से जुड़े सवाल के जवाब में कहा कि हमें बागियों से कोई नुकसान होने की संभावना नजर नहीं आ रही है।मेरा कद घटा नहीं सलूम्बर उप चुनाव परिणाम के बाद मीडिया में आई खबरों पर टिप्पणी करते हुए कटारिया ने कहा कि मीडिया लिख रहा है कि सलूम्बर चुनाव परिणाम से कटारिया का कद घटा है। लेकिन मैं (कटारिया) कहता हूं कि इस परिणाम से मेरा कद घटा नहीं है ।कटारिया ने कहा कि सलूम्बर विधानसभा क्षेत्र व सराड़ा में आजादी के बाद से कांग्रेस का दबदबा रहा और गत चुनावों में सलूम्बर में कांग्रेस करीब २३ हजार वोटों से विजयी हुई । जीत का यह अंतर उप चुनाव में तीन हजार में सिमट गया। ऐसे में मेरा कद घटा नहीं है ।महंगाई मुद्दे पर कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कटारिया ने कहा कि महंगाई को लेकर लोगों में भारी आक्रोश है इसका परिणाम सलूम्बर चुनाव में साफ नजर आ गया।पत्रकार वार्ता में सभापति रविन्द्र श्रीमाली, उप सभापति विरेन्द्र बाफना, पूर्व सभापति युधिष्ठिर कुमावत व शहर जिलाध्यक्ष ताराचंद जैन भी उपस्थित थे।उदयपुर को व्हाइट सिटी बनाएगी रजनीउदयपुर । सभापति पद की भाजपा प्रत्याशी रजनी डांगी की मंशा है कि उदयपुर व्हाइट सिटी (सफेद शहर) के रूप में नजर आए ।रजनी ने मंगलवार को पत्रकार वार्ता में कहा कि जयपुर शहर जिस तरह गुलाबी रंग लिये हुए है वैसे ही उदयपुर शहर एक रूप लिये व्हाइट सिटी के रूप में नजर आए । उन्होंने कहा कि सभापति पद पर काबिज होने का अवसर मिला तो वे (रजनी) इस काम को प्रमुखता से करवाएगी।हेरिटेज संरक्षण, हरा-भरा स्वच्छ शहर, बेहतर परिवहन व्यवस्था, पर्यटन विकास, पार्किंग सुविधाओं का विकास, माकूल सफाई व्यवस्था जैसे काम प्रमुखता से कराने का विश्वास दिलाते हुए रजनी ने कहा कि मैं जिम्मेदारी निर्वहन करने इस मैदान में आई हूं तथा जनता ने आशीर्वाद दिया तो जन सेवा में कहीं कोई कमी नहीं आएगी।पत्रकार वार्ता में रजनी डांगी खुलकर अपनी तीन प्राथमिकता तो गिना नहीं सकी मगर उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि मेरी यह कल्पना है कि शहर के लिए जो संभव हो वह सहयोग कर सकूं ।

Monday, November 16, 2009

सचिन के बयान पर ठाकरे के कमेंट के खिलाफ देश एकजुट

सचिन तेंडुलकर को बाल ठाकरे की फटकार पड़ी तो पूरा देश एकजुट होकर सचिन के साथ खड़ा हो गया है। सचिन ने कहा था कि मैं मराठी हूं लेकिन पहले भारतीय हूं और मुंबई पूरे भारत की है। इस पर शिव सेना के अखबार सामना में बाल ठाकरे ने सचिन पर बाउंसरों की बरसात करते हुए कहा कि सचिन राजनीति में न घुसें, अपने खेल पर ध्यान दें। सचिन ने यह बयान देकर मराठी भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। इस महान खिलाड़ी को कठघरे में खड़ा करने के ठाकरे के बयान पर न सिर्फ बीसीसीआई बल्कि हर पार्टी और हर तबके के लोग एकजुट हो गए हैं। यहां तक कि शिव सेना की साथी पार्टी बीजेपी भी इस मसले पर बाल ठाकरे के खिलाफ नजर आ रही है। चारों तरफ से आलोचनाओं की बौछार देख शिव सेना के एक नेता सुभाष देसाई को सफाई देने के लिए आगे आना पड़ा। उन्होंने कहा कि यह सचिन की आलोचना नहीं, एक बुजुर्ग की सलाह थी। सचिन को हर मुद्दे पर बोलने का हक है। ठाकरे ने सामना में कहा - ऐसा बयान देकर फालतू रन लेने की जरूरत नहीं थी उन्हें (सचिन को)। तुम ऐसा बयान देकर मराठियों के दिलोदिमाग की पिच से रन आउट हो गए हो। तुम तो तब पैदा भी नहीं हुए थे, जब मुंबई के लिए 105 मराठियों ने बलिदान देकर मुंबई को पाया था। ठाकरे यहीं नहीं रुके। बाउंसर फेंका - सचिन क्रीज छोड़कर पॉलिटिक्स की पिच में घुस गए हैं, जिससे मराठियों का दिल दुखा है। 'सामना' के इग्जेक्यूटिव एडिटर संजय राउत और शिव सेना कार्यकर्ता राहुल नवलकर का कहना था कि तेंडुलकर को ऐसा बयान देने से पहले मराठियों की भावनाओं का खयाल करना चाहिए था। ठाकरे के इस बयान पर सबसे पहला रिएक्शन आया बीसीसीआई की ओर से। प्रवक्ता राजीव शुक्ला ने नई दिल्ली में कहा कि यही भाषा मोहम्मद अली जिन्ना बोलते थे। शिव सेना और राज ठाकरे की पार्टी के नेताओं को छोड़कर पूरा महाराष्ट्र और पूरा भारत सचिन के साथ हैं। शिव सेना को यह बयान नहीं देना चाहिए था। सचिन नैशनलिस्ट हैं। वह मराठी हैं, वह भारतीय हैं। अगर कोई खुद को इंडियन कहता है तो यह क्राइम है क्या? अगर ठाकरे ऐसी बात करेंगे तो शिव सेना को कोई सपोर्ट नहीं करेगा। कुछ वोट पाने के लिए लोगों की भावनाएं भड़का रहे हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। बाल ठाकरे के बयान पर हर पार्टी की ओर से रिएक्शन आए। कांग्रेस, एनसीपी के अलावा उसकी साथी पार्टी बीजेपी ने तक सचिन के खिलाफ इस बयान की आलोचना की। महाराष्ट्र के सीएम अशोक चव्हाण ने कहा कि सचिन का बयान सच्ची खेल भावना का प्रतीक है। हालांकि वह मराठी हैं, लेकिन पूरे देश के लिए खेलते हैं। उनके बयान से देश एक होगा। शिव सेना के राजनीतिक खेल को लोग समझ जाएंगे। बीजेपी की ओर से मुख्तार अब्बास नकवी और अरुण जेटली के बयान आए। आरजेडी नेता लालू प्रसाद यादव और लेफ्ट के नेता भी बाल ठाकरे पर जमकर बरसे। गौरतलब है कि शिव सेना और एमएनएस अक्सर मराठी मानूस का कार्ड खेल चुके हैं। उत्तर भारतीयों के खिलाफ कैम्पेन में राज ठाकरे की पार्टी काफी आगे है। बाल ठाकरे के बयान पर बरसे नेता क्रिकेट के भगवान माने जाने वाले सचिन का बयान कि 'मुंबई सबके लिए है' शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे को नागवार गुजरा। ठाकरे ने उन्हें 'राजनीति की पिच पर उतरने की बजाय खेल पर ध्यान देने' की नसीहत दे डाली। लेकिन ठाकरे की इस बिन मांगे दी गई सलाह की देश के हर हिस्से और तबके में आलोचना हुई। इनमें से कुछ चुनिंदा प्रतिक्रियाएं हैं: सचिन का बयान सच्ची खेल भावना का प्रतीक है। हालांकि वह एक मराठी हैं लेकिन पूरे देश के लिए खेलते हैं। उनके बयान से देश एक होगा। मैं उनसे पूरी तरह सहमत हूं। लोग शिवसेना के राजनैतिक खेल को समझ जाएंगे। - अशोक चव्हाण, सीएम महाराष्ट्र सचिन का बयान उनकी देशभक्ति का प्रतीक है। कोई भी जिम्मेदार देशभक्त उनकी बात का विरोध नहीं कर सकता क्योंकि सबसे पहले देश और उसके बाद राज्य या क्षेत्र आता है और सबसे आखिर में व्यक्ति खुद होता है। सचिन के बयान पर कोई विवाद ठीक नहीं है। - मुख्तार अब्बास नकवी, बीजेपी नेता सचिन ने एक बहुत ही सरल बयान दिया है। कोई भी भारतीय यही कहेगा। सभी जानते हैं कि सचिन मराठी हैं। सचिन को इस पचड़े में मत डालो। सचिन ने देश के लिए काफी कुछ किया है। वह देश के महानतम दूतों में से एक है। - किरण मोरे, चयन समिति के पूर्व अध्यक्ष

शिव सेना ने करीना को भेजी साड़ी

बॉलिवुड ऐक्ट्रिस करीना कपूर और शिवसेना के बीच वार-पलटवार का दौर जारी है। जुबानी जंग को आगे बढ़ाते हुए शिवसैनिकों ने करीना कपूर को साड़ी भेजी है ताकि वह अपनी 'खुली पीठ' ढक सकें। करीना ने इसपर कोई कॉमेंट करने से मना कर दिया है। गौरतलब है कि कुर्बान फिल्म के पोस्टरों में खुली पीठ की वजह से शिवसेना ने करीना को निशाना बनाया था। शिवसैनिकों ने इन पोस्टरों पर अपना गुस्सा निकाला था और कुछ को साड़ी भी पहनाई थी। मुम्बई में पार्टी के नेता जितेंद्र जनावले ने कहा था कि हम जल्द करीना के घर जाकर उन्हें साड़ी भेंट करेंगे। इसके बाद करीना ने जवाबी हमला करते हुए कहा था कि उन्हें अभी तक साड़ी नहीं मिली है और उन्होंने जोर देकर कहा है कि अगर वे साड़ी भेजना चाहते हैं तो थोड़ा कायदे की और अच्छी भेजें।

नक्सली हिंसा छोड़ें, आरजेडी से चुनाव लड़ें: लालू

आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद ने यहां कहा कि अगर नक्सली हिंसा छोड़ देते हैं तो उनकी पार्टी चुनाव लड़ने के लिए उन्हें टिकट देगी। लालू ने कहा, 'अगर वे हिंसा का रास्ता छोड़ मुख्यधारा में शामिल होते हैं तो हम उन्हें टिकट देंगे। अहिंसा का रास्ता सर्वश्रेष्ठ है। उन्होंने कहा कि नक्सली समाज के हिस्सा हैं और हमें नक्सलवाद की जड़ में जाना चाहिए।' लालू ने कहा कि कई माओवादी हैं जो हिंसा का रास्ता छोड़ना चाहते हैं क्योंकि कोई भी उस रास्ते को पसंद नहीं करता।

संसद के समक्ष विश्वसनीयता का गंभीर संकट : सोमनाथ

लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने आज कहा कि संसद के समक्ष विश्वसनीयता का गंभीर संकट है और उन्होंने दुख जताया कि संसद के चरित्र और योग्यता में धीरे-धीरे गिर रही है। चटर्जी ने यहां 22वें जवाहरलाल नेहरू स्मृति इफ्को व्याख्यान में कहा, 'राजनीति की केंद्र और हमारी राष्ट्रीय एकता की प्रतीक संसद आज विश्वसनीयता और भरोसे के गंभीर संकट का सामना कर रही है।' उन्होंने कहा, 'लोकसभा के पूर्व पीठासीन अधिकारी और करीब चार दशक तक सदन से जुड़े रहे पूर्व सदस्य के तौर पर मुझे यह अत्यंत पीड़ा के साथ स्वीकार करना होगा कि समग्र मंच और महान संस्था के रूप में संसद के चरित्र और योज्ञता में धीरे-धीरे गिरावट हुई है।'

Sunday, November 15, 2009

माया मेहरबान, फिर मंत्री बनाए गए मौर्या

केंद्रीय मंत्री आर.पी.एन. सिंह की राजमाता मोहिनी देवी को हराने वाले स्वामी प्रसाद मौर्या को सीएम मायावती ने पुरस्कृत कर उन्हें दोबारा मंत्रिमंडल में शामिल किया है। ढाई साल में मंत्रिमंडल का छठा विस्तार करते हुए रविवार शाम राजभवन में गवर्नर बी.एल. जोशी ने मौर्या को शपथ दिलाई। मौर्या इससे पहले यूपी सरकार के सहकारिता-संसदीय मामलों के मंत्री रह चुके हैं। लोकसभा चुनाव में हार से मौर्या को एक साथ दो कुर्सियों से हाथ धोना पड़ा था। पडरौना असेंबली सीट के उप चुनाव में बीएसपी के अच्छे प्रदर्शन से उत्साहित और एक महारानी को चुनाव में रेकॉर्ड अंतर से हराने के कारण मौर्या को फिर से कैबिनेट मिनिस्टर बनाने का निर्णय लिया गया। इस विस्तार से साफ है कि माया मंत्रिपरिषद के अगले फेरबदल के दौरान कुछ मंत्रियों को ड्राप करेंगी। कहते हैं कि भ्रष्टाचार के अत्यधिक आरोप लगने से अनंत कुमार मिश्रा, नकुल दुबे, राकेश धर त्रिपाठी एवं नंद कुमार गुप्ता उर्फ नंदी को हटाने का मन मायावती बना चुकी थीं। इससे सतीश चंद मिश्र के नाराज होने का खतरा ज्यादा था। इसी नाते ऐसे लोगों को सुधरने का एक मौका और दिया गया है।

मुलायम धोखेबाज-कल्याण सिंह

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने रविवार को समाजवादी पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को धोखेबाज करार देते हुए उनसे दोस्ती को अपनी बडी राजनीतिक भूल बताया है। साथ ही यह भी कहा कि उन्होंने भाजपा में वापसी का विकल्प खुला रखा है।
कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह ने सपा छोडने की घोषणा करते हुए कहा कि जिस दल में मेरे पिता का अपमान हो उसमें रहने का कोई औचित्य नहीं है। कल्याण सिंह ने रविवार को संवाददाता सम्मेलन में मुलायम पर पलटवार करते हुए कह कि धोखा देना मुलायम सिंह की पुरानी फितरत है। हाल के विधानसभा उपचुनाव के बाद उन्होंने अपना मानसिक संतुलन खो दिया है।
मुलायम ने ही मुझे सपा में शामिल होने का निमंत्रण दिया था, मैं कभी उनके दरवाजे पर नहीं गया। उल्लेखनीय है कि एक दिन पहले ही मुलायम ने कहा था कि कल्याण çंसंह को सपा न कभी थे और न होंगे। कल्याण ने माना कि भाजपा छोडना उनके राजनीतिक जीवन की पहली तथा सपा अध्यक्ष का साथ देना दूसरी बडी गलती थी।
भाजपा छोडना उस वक्त की सच्चाई थी और अब उसमें शामिल होने की पहल करना आज की सच्चाई है। उन्होंने भाजपा में जाने का विकल्प खुला रखा है। हालांकि अभी इस बारे में न तो फैसला लिया है और न ही किसी भाजपा नेता से बात हुई है लेकिन समर्थकों से विचार विमर्श के बाद जल्द ही निर्णय करेंगे। उल्लेखनीय है कि लोकसभा की बुलंदशहर सीट से अशोक प्रधान को उम्मीदवार बनाने के विरोध में सिंह ने भाजपा से त्यागपत्र दिया था।

राहुल का उप्र दौरा 24 से

लखनऊ। मिशन-2012 के मद्देनजर कांग्रेस को मजबूती से खडा करने के लिए शुरू किए गए यूथ कांग्रेस के सदस्यता अभियान का जायजा लेने खुद कांग्रेस महासिचव राहुल गांधी उत्तर प्रदेश आएंगे। उनका आगामी 24 नवम्बर से तीन दिवसीय प्रदेश दौरा प्रस्तावित है। तीन दिवसीय दौरे में राहुल कहां जाएंगे अभी यह तय नहीं हैं।
प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता द्विजेंद्र त्रिपाठी ने रविवार को बताया कि दौरे की शुरूआत राहुल सम्भवत: अलीगढ से करेंगे। उसके बाद कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद, वाराणसी, और पूर्वाचल के जिलों में यूथ कांग्रेस के सदस्यता अभियान का जायजा लेंगे।

राजग के रास्ते भाजपा में आने की कोशिश

नई दिल्ली। भाजश अध्यक्ष उमा भारती ने राजग का हिस्सा बनने की इच्छा जतातक हलचल पैदा कर दी है। उमा ने इस बारे में शनिवार को भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह तथा राजग संयोजक शरद यादव को चिठ्ठी भेजी थी। खास बात यह है कि भारती ने आडवाणी को लिखी चिट्ठी में भाजपा और भाजश की एक विचारधारा का हवाला दिया है।
राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि उमा ने सीधे भाजपा वापसी में कई रूकावटों को देखते हुए घर वापसी के लिए राजग का रास्ता चुना है। उमा ने शरद यादव को मार्गदर्शक की श्रेणी दे उन्हें यह जताने की कोशिश की कि जिन मुद्दों के लिए वह लड रही हैं उसके सारे दांव-पेंच उन्हीं के सिखाए हुए हैं।

Friday, November 13, 2009

राज बब्बर का अमर-अखिलेश पर निशाना

नई दिल्ली. फिरोजबाद से जीतकर आए कांग्रेस सांसद राज बब्बर ने सपा महासचिव अमर सिंह और मुलायम सिंह के पुत्र अखिलेश यादव को आड़े हाथों लिया है।

राहुल से अखिलेश की तुलना पर व्यंग्य करते हुए राज बब्बर ने कहा कि मैं भी अपनी तुलना मर्लिन ब्रांडो या राबर्ट डी-नीरो से कर सकता हूं। अखिलेश द्वारा खुद को युवराज कहे जाने संबंधी सवाल पर बब्बर ने कहा कि मैं नहीं जानता कि उन्हें कौन युवराज कहता है लेकिन मेरे नेता राहुल गांधी हैं।

सपा महासचिव अमर सिंह पर इशारों में हमला करते हुए राज बब्बर ने कहा कि लगता है कि अमर सिंह अब सपा के लिए उपयोगी साबित नहीं हो रहे हैं। उन्होंने अमर सिंह की टिप्पणियों के बारे में पूछे गए सवाल पर कहा कि मैँने देखा कि वे मास्क लगाए हुए थे। इससे लगता है कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि स्वाभाविक तौर पर जब व्यक्ति की तबीयत ठीक नहीं होती है तो वह ठीक सोच भी नहीं पाता।

थोड़ा इतिहास पढ़ो राज ठाकरे: हिंदी विद्यापीठ

हिंदी विद्यापीठ प्रयाग के अध्यक्ष सुनीत व्यास ने राष्ट्रभाषा के खिलाफ राज ठाकरे के बयान को बेहद आपत्तिजनक और राष्ट्रहित के खिलाफ बताया है। व्यास ने याद दिलाया कि महाराष्ट्र के शीर्ष नेताओं लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, गोपाल कृष्ण गोखले, वीर विनायक दामोदर सावरकर, काका कालेवकर आदि ने भी हिंदी का समर्थन किया था और इसे राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार करने का अथक प्रयास किया था। व्यास ने ठाकरे से आग्रह किया कि वे ऐतिहासिक तथ्यों को स्वीकार करें और उन राष्ट्रीय नेताओं को सहयोग प्रदान करें जो हिंदी के प्रचार के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या राठ ठाकरे अब यह मांग करेंगे कि महाराष्ट्र में हिंदी फिल्मों को बनाना बंद किया जाए।

मूर्ति मुद्दे पर माया की अपील खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती की उस अपील को खारिज कर दिया जिसके तहत लखनऊ में 26 अरब रुपये की लागत वाले विवादास्पद आंबेडकर स्थल में रखरखाव और कुछ दूसरे काम जारी रखने की इजाजत मांगी गई थी। 6 दिसंबर को डॉ. आंबेडकर की पुण्यतिथि को देखते हुए सरकार ने यह दलील दी है। जस्टिस एच. एस. बेदी और जे. एम. पंचाल ने पाया कि राज्य सरकार को राहत देने के लिए हालात में कोई बदलाव नहीं हुआ है। गौरतलब है कि कोर्ट ने इससे पहले, इस जगह पर राज्य सरकार की किसी भी तरह की गतिविधि पर रोक लगा दी थी। कोर्ट का कहना है कि, इस मुद्दे से जुड़ा मुख्य मामला जब 30 नवंबर को सामने आएगा, तब वह गुणदोष के आधार पर इसकी जांच करेगा। अपीलकर्ता मिथलेश कुमार सिंह और गोमती नगर संस्था की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने इस तरह की किसी भी राहत का विरोध किया था। उनका कहना था कि राज्य सरकार पर भरोसा नहीं किया जा सकता क्योंकि वह पहले ही इस जगह पर निर्माण कार्य नहीं करने के बारे में सुप्रीम कोर्ट को दिया वादा तोड़ चुकी है।

क्या बीजेपी की कलह मिटा पाएंगे गडकरी?

अगले बीजेपी प्रमुख के तौर पर पार्टी की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष नितिन गडकरी के नाम की चर्चा ने कुछ नए सवाल पैदा कर दिए हैं। कार्यकर्ताओं के मनोबल को उठाने और विभिन्न गुटों को एक करने की उनकी क्षमता को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। ये सवाल इसलिए भी हैं कि जब लोकसभा में विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी और राजनाथ सिंह जैसे राष्ट्रीय स्तर के ऊंचे कद के नेता अंतर्कलह के कैंसर का इलाज नहीं कर पाए तो गडकरी जैसे प्रदेश स्तर के नेता पार्टी की गुटबाजी को नेस्तनाबूद करने में कहां तक सफल हो पाएंगे! मोहन भागवत द्वारा आरएसएस की कमान संभालने के बाद से ही तस्वीर कुछ साफ होने लगी थी। इस नियुक्ति के बाद से संघ ने आडवाणी के बाद पार्टी में शक्तिशाली माने जाने वाले चारों नेताओं - अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, वेंकैया नायडू और अनंत कुमार में से किसी को भी बीजेपी की कमान सौंपने की संभावना को नकार दिया था। इससे संकेत मिले थे कि इस साल के अंत में राजनाथ का अध्यक्ष पद से कार्यकाल खत्म होने पर प्रदेश में से किसी की बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर ताजपोशी की जा सकती है।
इसके लिए बीजेपी शासित प्रदेशों - गुजरात, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों के नाम चर्चा में आए पर बीजेपी अपने मुख्यमंत्रियों में से किसी को बदलकर उसके विकल्प के लिए विवाद का नया पिटारा नहीं खोलना चाहती थी। इसके बावजूद गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम बीच-बीच में चर्चा में आता रहा, पर बिहार में जेडीयू के साथ सरकार चला रही बीजेपी नीतीश कुमार की मुसलमानों के प्रति सोच को लेकर चाहते हुए भी उस चर्चा को आगे नहीं बढ़ा पाई। ऐसे में इस पद के लिए गडकरी का नाम चर्चा में आ गया। गडकरी को इस बारे में संकेत भी दे दिए गए हैं। वैसे भी नागपुर कनेक्शन के कारण गडकरी संघ प्रमुख के नजदीकी माने जाते हैं। वह शिवसेना-बीजेपी के शासन में पीडब्ल्यूडी मंत्री रहे हैं और तब मुंबई और नागपुर में हुए विकास के कारण उनका नाम प्रकाश में आया था। सूत्रों का मानना है कि गडकरी का खुद को दिल्ली से दूर रखना ही उनके पक्ष को मजबूत करता है। राजनाथ के उत्तराधिकारी की जिम्मेदारी संभालने पर यदि वह सूझबूझ से चले तो गुटबाजी की बीमारी को दूर करना उनके लिए संभव हो सकता है। वैसे भी 'गडकरी' का अर्थ 'दुर्ग की रक्षा करने वाला' होता है। हो सकता है कि गडकरी अपने नाम को सार्थक कर सकें। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव थावरचंद गहलोत अध्यक्ष पद के चुनाव अधिकारी हैं। पार्टी प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर के अनुसार 35 प्रदेश इकाइयों में से कम से कम 20 में चुनाव प्रक्रिया पूरी होने पर चुनाव अधिकारी चुनाव कार्यक्रम घोषित करेंगे। अभी कई राज्यों में तो चुनाव प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है पर जावड़ेकर का कहना है कि राज्य इकाइयों की चुनाव प्रक्रिया जल्दी ही गति पकड़ेगी। उम्मीद की जा रही है कि 15 दिसंबर से प्रदेश स्तर पर राज्यों में चुनाव प्रक्रिया शुरू हो सकती है। उसी के बाद ही गहलोत राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव कार्यक्रम घोषित करेंगे।

Thursday, November 12, 2009

अधिकारी को थप्पड़ मारा, महिला मंत्री के खिलाफ वॉरंट

मंत्री के अधिकारिक दौरे के लिए पुरानी कार भेजने पर एक वरिष्ठ अधिकारी को थप्पड़ जड़ने वाली नेपाल की उस मंत्री के खिलाफ पुलिस ने गिरफ्तार वॉरंट जारी किया है। परसा जिला पुलिस प्रमुख के हवाले से स्थानीय मीडिया ने कहा, 'राज्यमंत्री करीमा बेगम के खिलाफ एक मामला दर्ज किया गया है लेकिन उन्हें गिरफ्तार कर जमानत पर छोड़ दिया जाएगा।' गौरतलब है कि करीमा ने मुख्य जिला प्रशासक दुर्गा प्रसाद भंडारी को सार्वजनिक तौर पर सिर्फ इसलिए पांच थप्पड़ मारे क्योंकि भंडारी ने देश के दक्षिणी जिले के उनके अधिकारिक दौरे के लिए एक पुरानी कार भेज दी थी। हालांकि, मधेशी पार्टी की सांसद करीमा बेगम को इस घटना पर अफसोस नहीं है और उनका कहना है कि अधिकारी ने उन्हें अपमानित किया। करीमा ने कहा, 'मैंने उन्हें इसलिए थप्पड़ मारे ताकि उन्हें अपने कर्त्तव्य और जिम्मेदारी का एहसास हो सके।' इस घटना के बाद सैकड़ों नौकरशाहों ने बुधवार को राजधानी काठमांडो में रैली निकाली और मंत्री को गिरफ्तार करने की मांग की जबकि परसा जिले के अधिकारी इस घटना को लेकर हड़ताल पर हैं।

नितिन गडकरी होंगे बीजेपी के अगले बॉस

महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी जल्दी ही राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के प्रमुख बन सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, आरएसएस के समर्थन के चलते गडकरी, बीजेपी अध्यक्ष बनने की रेस में सबसे आगे चल रहे हैं। गुरुवार को गडकरी राजधानी दिल्ली पहुंचे और पार्टी मुख्यालय में पत्रकारों से मुखातिब भी हुए। हालांकि, इस बारे में अंतिम फैसला अभी तक नहीं लिया गया है, लेकिन खुद गडकरी ने इस सवाल का खंडन नहीं किया कि क्या अगले पार्टी अध्यक्ष वहीं होंगे? गडकरी ने बताया कि वह, अभी तक, दिल्ली में ही ठहरे आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से नहीं मिले हैं। उन्होंने कहा, 'मैं पार्टी का समर्पित सिपाही हूं और जो भी जिम्मेदारी मुझे दी गई, मैंने उसे निभाया है चाहे वह एबीवीपी में मेरे राजनीतिक करियर की शुरुआत में पोस्टर चिपकाने का काम ही रहा हो...। मैं किसी रेस का हिस्सा नहीं रहा और न ही मैंने किसी रेस में शामिल होने की कोशिश की।'
गडकरी का पार्टी अयह आरएसएध्यक्ष चुना जाना आरएसएस प्रमुख के उस बयान की भी पुष्टि करेगा जिसमें उन्होंने कहा था कि बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के नेता जैसे सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, वेंकैया नायडू और अनंत कुमार पार्टी अध्यक्ष नहीं बनेंगे। पार्टी के जेन-नेक्स्ट नेताओं में किसी नाम पर सहमति न बन पाने की वजह से ही संघ ने दिल्ली से बाहर के नेता का विकल्प सुझाया। नितिन गडकरी को पार्टी में टॉप जॉब देने की अटकलें सितंबर से ही लग रही हैं। संघ में गडकरी की छवि साफ-सुथरी है और उन्हें विकास उन्मुख नेता के रूप में देखा जाता है। यह छवि तब और मजबूत हुई जब सबूतों के अभाव में समाजसेवी अन्ना हजारे ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का केस वापस लिया था। गडकरी जो कभी-कभार ही दिल्ली में नजर आते हैं, का कहना था कि वह एक बिजलीघर परियोजना से सिलसिले में राजधानी आए हैं। महाराष्ट्र में शिवसेना-बीजेपी की सरकार में गडकरी पीडब्ल्यूडी मंत्री थे और उन्हें मुंबई और नागपुर में विकास कार्यों के लिए काफी सराहना मिली थी। हालांकि, यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या गडकरी, राष्ट्रीय स्तर पर चीजों को संभाल पाएंगे? गडकरी बहुत अच्छे वक्ता नहीं माने जाते और उत्तर भारत में उन्हें कोई नहीं जानता। उत्तर प्रदेश राजस्थान में पार्टी की हालत बेहद खराब है और उन्हें इसमें नई जान फूंकनी पड़ेगी। गडकरी के हिंदी ज्ञान के अलावा एक 'जूनियर' नेता को पार्टी के बड़े नेता कितना सहयोग देंगे, यह भी ध्यान देने वाली बात होगी।

लोग कांग्रेस से त्रस्त

कोटा। महापौर के लिए भाजपा प्रत्याशी अरू णा अग्रवाल के सब्जीमंडी स्थित चुनाव कार्यालय का उद्घाटन चुनाव प्रभारी सतीश पूनिया ने गुरूवार को किया। इस अवसर पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए पूनिया ने कहा कि आज प्रदेश की जनता कांग्रेस की नीतियों से त्रस्त है। इसका उदाहरण टोडाभीम में पार्टी को मिली जीत है। सलूम्बर में भी पार्टी को अच्छा समर्थन मिला है। उन्होंने कहा कि भाजपा प्रत्याशी को नगर निगम का अच्छा अनुभव है। वे बरसों से राजनीति में सक्रिय हैं, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी का दूर-दूर तक राजनीति से कोई वास्ता नहीं है।
इस अवसर पर पूर्व मंत्री मदन दिलावर, पूर्व मंत्री हरिकुमार औदिच्य, विधायक चंद्रकान्ता मेघवाल, शहर अध्यक्ष मनमोहन जोशी, महापौर मोहनलाल महावर, पूर्व नगर विकास न्यास अध्यक्ष हरिकृष्ण जोशी और श्याम शर्मा ने भी विचार रखे। पार्टी प्रत्याशी अरू णा अग्रवाल ने सभी का आभार व्यक्त किया।

महंगाई के खिलाफ भाजपा का दिल्ली बंद आज

नई दिल्ली। बढती महंगाई के विरोध में भारतीय जनता पार्टी ने आज दिल्ली बंद का ऎलान किया है। बंद को कामयाब बनाने के लिए सुबह से ही पार्टी के कार्यकर्ता सडकों पर उतर गए। बंद से आवश्यक सेवाओं और ट्रांसपोर्ट को मुक्त रखा गया है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के अनुसार के अनुसार इस बंद को दिल्ली के व्यापारियों के अलावा सभी वगोंü का पूरा समर्थन मिल रहा है। उन्होंने कहा कि राजधानी के वाशिंदे सरकार की नीतियों की वजह से कराह रहे हैं। खाने-पीने की वस्तुओं के दाम पहले ही आसमान छू रहे थे, अब सरकार ने डीटीसी, मेट्रो और बिजली के दाम बढाकर जनता का दिल्ली में रहना मुश्किल कर दिया है।बीजेपी की मांग है कि डीटीसी और मेट्रो के बढे हुए किरायों को वापस लिया जाए, चीनी घोटाले की जांच कराई जाए और सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत बनाया जाए।

विधायक रामचन्द्रसिंह अगवा

रांची। विधानसभा चुनावों से ठीक पहले नक्सलियों ने राष्ट्रीय जनता दल के निवर्तमान विधायक का अपहरण कर लिया है। नक्सलियों ने विधायक रामचन्द्र सिंह को उस वक्त अगवा किया जब वे अपने समर्थकों के साथ वाहन में सवार होकर जा रहे थे।
पहले उन्हें कुछ अज्ञात बंदूकधारियों ने घेरा और उसके बाद उन्हें अपने साथ ले गए। सिंह के साथ उनके एक समर्थक को भी अगवा किया गया है। रामचन्द्र सिंह मणिका विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं तथा इस बार भी यहीं से प्रत्याशी हैं।

Wednesday, November 11, 2009

पुलिस की सलाह पर विधानसभा नहीं गए आजमी

महाराष्ट्र विधानसभा का तीन दिवसीय सत्र सपा नेता अबू आसिम आजमी के नाम रहा है। अब नागपुर के शीतकालीन सत्र में फिर गर्माहट होने की आशंका है। सत्र के पहले दिन हिन्दी में शपथ लेने पर मनसे का हमला, दूसरे दिन बाल ठाकरे पर दिए बयान पर शिवसेना की तरफ से चेतावनी और तीसरे दिन फिर हंगामा। मनसे के बाद शिवसेना ने बुधवार को आजमी के लिए सदन के अंदर और बाहर निबटने की तैयारी की थी लेकिन आजमी बुधवार को विधानसभा आए ही नहीं। पुलिस और सरकार की तरफ से कुछ विधायकों ने सपा नेता अबू आसिम आजमी से विधानसभा में न आने की अपील की थी, ताकि किसी अनहोनी घटना को टाला जा सके। पुलिस ने आजमी से कहा कि आपके सदन में जाने से यदि शिवसेना की तरफ से कुछ हरकत की जाती है तो मुम्बई में कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है। आजमी के अनुसार, उन्होंने शहर में शांति बनाए रखने के लिए विधानसभा न जाने की अपील मंजूर की। पुलिस को शंका थी कि मनसे के बाद शिवसेना लीड लेने के लिए आजमी पर हमला कर सकती है। शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने बुधवार को विधान भवन के समक्ष आजमी का पुतला जलाने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने लाठी चार्ज कर उन्हें खदेड़ दिया। आजमी ने कहा, 'सरकार अपने एक विधायक की सुरक्षा करने में नाकाम नजर आ रही है। यदि सरकार उनसे कह दे कि वह सुरक्षा नहीं कर सकती तो वे विधायक पद से इस्तीफा देने तक के लिए तैयार हैं। मनसे और शिवसेना बारी बारी से अपने राजनीतिक लाभ के लिए हंगामा करने पर उतारू हैं। दोनों ही दल के नेता किसी को कुछ भी कह दें। किसी के संबंध में कुछ भी लिख दें, सब उचित है। राज ठाकरे ने पिछले साल जया बच्चन के संबंध में कहा था कि गुडि़या अब बुढि़या हो गई है। सामना में मेरे खिलाफ लिखा गया। उस पर मैंने प्रतिक्रिया व्यक्त की और इससे भी यदि किसी की भावना आहत हुई है तो उसके लिए मैं माफी मांगता हूं ताकि शहर में अमन चेन बना रहे।' आजमी ने कहा कि वे बाल ठाकरे की नेता के तौर पर इज्जत करते हैं। शिवसेना ने सपा की वैचारिक लड़ाई है। वे बुजुर्गों का हमेशा आदर करते हैं।

लोकसभा चुनाव में कोड़ा ने बांटीं 600 गाड़ियां

झारखंड के पूर्व सीएम मधु कोड़ा से बुधवार को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की पूछताछ में बड़े अहम खुला से हुए। पता चला है कि कोड़ा ने इस साल लोकसभा चुनाव के दौरान अपने सपोर्टरों के बीच सैकड़ों बाइक्स और कारें बांटीं। यही नहीं, अपने खजाने में और इजाफा करने के लिए माइन डिपार्टमेंट और बिजली बोर्ड का भी जमकर दुरुपयोग किया। इस साल हुए लोकसभा चुनाव में कोड़ सिंहभूम संसदीय क्षेत्र से बतौर निर्दलीय उम्मीदवा जीते थे। इनकम टैक्स अधिकारियों का कहना है कि कोड़ा ने अपने सपोर्टरों को 600 बाइक्स, 25 से 30 स्कॉर्पियो, बोलेरो और दूसरी फोर वीलर गाड़ियां खरीद कर बांटीं। आईटी अधिकारियों ने मोटर बाइक्स के दो शोरूमों में भी छानबीन की। एक शोरूम से एक दिन में ही 200 बाइक्स खरीदी गईं। अब आईटी विभाग ट्रांस्पोर्ट डिपार्टमेंट की मदद से इन गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन की डिटेल मांगेगा।
कोड़ा पर माइन और जिऑलजी मिनिस्टर और बाद में सीएम के तौर पर अपने पद का दुरुपयोग करने का भी इल्जाम है। खानों के आवंटन के नाम पर कोड़ा ने केंद सरकार को कच्चे लोहे की 17 खानों को लीज पर देने के लिए अपनी ओर से कंपनियों के नामों की लिस्ट भेजी थी। कोयले की खदानों के लिए कुछ प्राइवेट ग्रुप्स को फेवर देने का आरोप भी कोड़ा पर है। फरवरी 2008 में सिर्फ एक दिन में खानों से जुड़ी 40 फाइलें इधर से उधर करने का आरोप भी है। गौरतलब है कि 2004 के बाद से सभी खदान सौदों की जांच आईटी डिपार्टमेंट कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि कोड़ा के साथियों ने गल्फ की एक कंपनी को लाइमस्टोन बिजनेस के लिए भी अप्रोच किया था। कोड़ा ने लाइबेरिया में भी एक माइन खरीदी थी और अपने पार्टनरों से थाइलैंड में भी जमीन खरीदवाई थी।

हमारे विधायकों का निलंबन रद्द हो : MNS

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस)ने अपने चार विधायकों के चार साल के निलंबन को वापस लेने की मांग की और कहा कि वह महाराष्ट्र विधानसभा में पहले ही माफी मांग चुकी है। एमएनएस ने सपा विधायक अबू आसिम आजमी पर हमले का कोई उल्लेख नहीं किया। विधानसभा में वक्तव्य देते हुए एमएनएस विधायक दल के नेता बाला नंदगांवकर ने एसपी विधायक आजमी पर हमले का उल्लेख किए बगैर कहा कि हमने हमेशा सदन का सम्मान किया है और हम ऐसा करते रहेंगे। अगर अनजाने में पीडब्ल्यूपी विधायक मीनाक्षी पाटिल का निरादर हुआ है तो हम इस बारे में पहले ही सदन में माफी मांग चुके हैं। गत सोमवार की घटना में जब मीनाक्षी ने हस्तक्षेप की कोशिश की तो उन्हें एमएनएस विधायकों का धक्का लगा था। नांदगांवकर ने कहा कि निलंबन निरस्त किया जाना चाहिए या कम से कम निलंबन का कार्यकाल कम किया जाना चाहिए।

हिटलर, गांधी से प्रेरणा लेते हैं राज ठाकरे

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के प्रमुख राज ठाकरे हिटलर और महात्मा गांधी, दोनों से कैसे प्रेरित हैं, इसका जवाब यह है कि दोनों नेताओं ने समाज को हिलाकर रख दिया और एक तरह से नया हल्लाबोल पैदा किया। एमएनएस की आधिकारिक वेबसाइट तो यही कहती है। हालांकि सोमवार को महाराष्ट्र असेंबली में जो दिखा वह फ्यूरर की प्रेरणा से था। गौरतलब है कि हिटलर जब जर्मनी का नेता चुना गया तो उसे फ्यूरर कहा जाने लगा था। वेबसाइट में कई सारे रोचक सवाल-जवाबों का मिश्रण है। जैसे कि सवाल पूछा गया है कि जब आप अहिंसा के पुजारी गांधी को मानते हैं, तो आपके अनुयायी हिंसक क्यों होते हैं? इसके
जवाब में कहा गया कि आपको अपने विपक्षियों से उसी भाषा में बात करने की जरूरत होती है, जो वह महसूस करते हैं। राज यह जवाब देकर अपने लोगों को यही बताना चाहते हैं कि आजमी हिंसा की भाषा ही समझते हैं। हिटलर के लोगों ने यहूदियों और उन लोगों का दमन किया जिन्होंने हिटलर का विरोध किया। एमएनएस ने जबसे उत्तर-भारतीयों के खिलाफ हल्ला बोला, तबसे ही राज और आजमी एक-दूसरे के कट्टर विरोधी हैं। 2005 में एक इंटरव्यू में राज ने कहा था कि यहूदियो के दमन को छोड़ दें तो हिटलर में कई ऐसी खासियत रही हैं, जिन्हें किसी भी नेता को अपनाना चाहिए।

Monday, November 9, 2009

महिलाएं आगे आएं

भाजपा विधायक सिद्धी कुमारी ने कहा है कि समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने में महिलाएं महती भूमिका निभा सकती हैं। बदलते समय में महिलाओं को आगे आना होगा।
रविवार को क्षत्रिय सभा व क्षत्रिय ट्रस्ट के तत्वावधान में बीदासर हाउस में हुए मातृशक्ति एवं प्रतिभा सम्मान समारोह में उन्होंने कहा कि समाज की महिलाओं को आगे बढने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
सभा के अध्यक्ष मांगू सिंह लोहा ने क्षत्रिय सभा की ओर से करवाए जा रहे विकास कार्याे की जानकारी देते हुए कहा कि राजपूत महिला छात्रावास के लिए सभी को एकजुट हो कर काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने पूर्व अध्यक्ष भीम सिंह झझू की उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला। समारोह में शान्ता कंवर, प्रेम कंवर, डॉ.संगीता भाटी विशिष्ट अतिथि थे।
विधायक सिद्धी कुमारी व सभा अध्यक्ष मांगू सिंह ने मलेशिया में इंटरनेशनल अवार्ड से नवाजे गए डॉ.अमर सिंह शेखावत का सम्मान किया गया। साथ ही समाज की वरिष्ठ महिलाओं ,शिक्षा, चिकित्सा व राजनीति के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करने वाली प्रतिभाओं को प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिह्न देकर व शॉल ओढाकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में ब्रिगेडियर जगमाल सिंह, कमाण्डेन्ट कान सिंह बोगेश, अजीत सिंह, महावीर सिंह, अखिलेश प्रताप सिंह, भंवर सिंह आदि ने विचार रखे।

कांग्रेस के चुनाव प्रत्याशी घोषित

जयपुर। चुनाव में प्रत्याशी घोषित करने के मामले में कांग्रेस ने एक बार फिर बाजी मार ली है, जबकि भाजपा सोमवार शाम तक कुछ प्रत्याशियों की सूची जारी कर सकती है। कांग्र्रेस विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भी प्रत्याशी उतारने के मामले में भाजपा से आगे रही है। हालांकि सूची जारी होते ही कांग्र्रेस में उबाल आ गया है और सोमवार को चुनाव प्रभारी चंद्रभान का कुछ लोगों ने घेराव भी किया।
निकाय चुनाव की घोषणा होते ही कांग्र्रेस और भाजपा सहित अन्य दल प्रत्याशियों को लेकर गुणा-गणित में जुट गए। भाजपा ने प्रत्याशी घोषित करने में कांग्रेस को मात देने के लिए चुनाव की घोषणा के साथ ही पर्यवेक्षक तक नियुक्त कर दिए। पार्टी इस बार कांग्रेस से पहले जेएमसी के लिए प्रत्याशियों की घोषणा करना चाहती थी, लेकिन कांग्र्रेस दो कदम आगे चलते हुए रविवार रात ही 75 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी।
खींचतान में उलझी सूची भाजपा में चल रही खींचतान अभी खत्म नहीं हुई है। यही वजह है, पिछले सप्ताह हुई किसी भी बैठक में प्रदेश चुनाव समिति के सभी सदस्य शामिल नहीं हुए। यह भी खबर आ रही है कि प्रत्याशियों के नाम को लेकर विधायकों से विवाद चल रहा है। यही वजह है कि भाजपा अभी तक सूची को अंतिम रूप नहीं दे पा रही है।
आज रात तक आधी अधूरी सूची सूत्रों के अनुसार सोमवार शाम तक भाजपा भी सूची जारी कर देगी, लेकिन इस सूची में जेएमसी के 77 वार्ड के उम्मीदवार नहीं होंगे। माना जा रहा है कि भाजपा दो चरण में उम्मीदवारों की सूची जारी करेगी।
सूची पर विवाद, प्रभारी का घेराव रविवार रात उम्मीदवारों की सूची जारी होते ही कांग्र्रेस में विवाद शुरू हो गया। सोमवार सुबह पार्टी के लोगों ने चुनाव प्रभारी पूर्व मंत्री चंद्रभान का घेराव किया। आरोप लगाया कि पार्टी विरोधी लोगों को टिकट दे दिया गया है, जबकि वफादारों पर कैंची चला दिया गया। वार्ड एक के पार्टी कार्यकताओं के अनुसार पार्टी के प्रत्याशी घोषित हुए छीतरमल शर्मा ने विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी का साथ दिया था।

वलसे पाटील हो सकते हैं विधानसभा अध्यक्ष

महाराष्ट्र में सरकार गठन के बाद अब विधानसभा अध्यक्ष को लेकर अटकलबाजियों का दौर शुरू हो गया है। इस दौड़ में फिलहाल वरिष्ठ एनसीपी नेता वलसे पाटील सबसे आगे दिखाई दे रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक वलसे पाटील और वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष कूपेकर 12वीं विधानसभा के अध्यक्ष की दौड़ में शामिल हैं। पाटील का मंत्रिमंडल में न चुना जाना उनके विधानसभा अध्यक्ष बनाए जाने के कयासों को और ज्यादा बल देता है। वर्तमान अध्यक्ष कूपेकर ने भी अपने पद पर बने रहने की इच्छा जताई है, लेकिन यह भी कहा है कि उनके पद पर बने रहने की संभावना आसान नहीं है। गौरतलब है कि पिछली सरकार में पाटील राज्य के वित्तमंत्री थे। इससे पहले भी उन्होंने ऊर्जा मंत्रालय जैसा महत्वपूर्ण पद का निर्वहन किया है। उन्हें सर्वश्रेष्ठ विधायक के पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। सूत्रों ने बताया कि एनसीपी नेता अजीत पवार के असंतोष के कारण पैदा हुए हालात को देखते हुए पाटीर् को किसी मजबूत नेता को अध्यक्ष के पद पर नियुक्त करना होगा, ताकि आपात स्थिति को संभाला जा सके। पाटील अगर विधानसभा अध्यक्ष नहीं बनते हैं, तो उन्हें राज्य एनसीपी की बागडोर सौंपी जा सकती है, लेकिन इसके लिए वरिष्ठ नेता मधुकर पिचाड के नाम की भी प्रमुख रूप से चर्चा है।

विधायक ने अबू आजमी को थप्पड़ जड़ा

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की दबंगई की गवाह आज महाराष्ट्र विधानसभा भी बनी। विधायकों के शपथ ग्रहण के दौरान हिंदी में शपथ लेने पर एमएनएस विधायक हाथापाई पर उतर आए। एमएनएस के एक विधायक, राम कदम ने हिंदी में शपथ ले रहे समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी को थप्पड जड़ दिया। महाराष्ट्र विधानसभा में आज विधायकों का शपथ ग्रहण चल रहा था। एसपी के विधायक अबू आजमी ने जैसे ही हिंदी में शपथ लेना शुरू किया, एमएनएस विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया। गैलरी में बैठे एमएनएस समर्थकों ने भी विधानसभा में पर्चे फेंके और नारेबाजी करने लगे। इस बीच MNS के विधायक अबू आजमी की तरफ बढ़ गए और हाथपाई पर उतर आए। एक विधायक राम कदम ने अबू आजमी को थप्पड़ जड़ दिया।
इसी बीच दूसरी पार्टियों के विधायक बीच-बचाव के लिए आ गए और उन्होंने अबू आजमी को एमएनएस के विधायकों से अलग किया। अबू आजमी ने इस मामले में राज ठाकरे की गिरफ्तारी की मांग की है। उधर, एसपी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने भी इस घटना की निंदा की है और एमएनएस को देशद्रोही संगठन बताया है। यादव ने कहा कि राष्ट्रभाषा का विरोध करने वाली पार्टी की लोकतंत्र में कोई जगह नहीं है। बीजेपी ने भी इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा की है और कहा है कि सबको अपनी भाषा बोलने का हक है। उधर, कांग्रेस का कहना है कि इस मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। विधानसभा में हुई घटना के बाद राज्य में पुलिस सतर्क हो गई है। मुंबई के पुलिस कमिश्नर ने सभी थानों को अलर्ट रहने के लिए कहा है। अबू आजमी अल्पसंख्यक समुदाय से हैं और मुंबई से सटे भिवंडी में उनका खासा प्रभाव है। इसलिए इस मामले के सांप्रदायिक रंग लेने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

Friday, November 6, 2009

एसपी के निशाने पर माया-नफीसा

एसपी ने उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार पर एक निर्दलीय विधान परिषद सदस्य को धमकाने का आरोप लगाया है। एसपी का कहना है कि विधान परिषद सदस्य सुनील सिंह को लखनऊ का उनका घर खाली करने के लिए धमकाया जा रहा है। एसपी महासचिव अमर सिंह ने सुनील सिंह को प्रेस के सामने पेश किया और कहा कि सुनील सिंह का पैतृक बंगला मुख्यमंत्री मायावती के बंगले के नजदीक स्थित है। मायावती उसे अपने बंगले में मिलाना चाहती हैं, इसलिए वह सरकारी अधिकारियों के जरिए धमका रही हैं। सुनील सिंह के मुताबिक उन्होंने इस संबंध में हाई कोर्ट में एक याचिका भी दायर की है।
अमर सिंह ने एसपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुईं नफीसा अली को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि नफीसा का चित्त अस्थिर है। जब वह कांग्रेस से एसपी में आई थीं तब उन्होंने कहा था कि कांग्रेस लोगों का इस्तेमाल कपड़े की तरह करती है। जब जरूरत होती है पहन लेती है और बाद में उतार कर फेंक देती है। नफीसा को दोस्त बताते हुए अमर ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अब वह जिस पार्टी में गई हैं उसी के साथ रहेंगी। उल्लेखनीय है कि पूर्व मिस इंडिया नफीसा अली को एसपी ने लखनऊ लोकसभा क्षेत्र से उस समय अपना प्रत्याशी बनाया था जब सुप्रीम कोर्ट ने संजय दत्त को चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं दी थी। नफीसा अली कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सॉरी बोलकर गुरुवार को ही कांग्रेस में वापस लौटी हैं।

'नेताजी' का सामान गायब

हरियाणा के एक कांग्रेसी नेता को कनॉट प्लेस स्थित एक होटल में ठहरना काफी महंगा
पड़ गया।
नेता जी जब सो रहे थे, उसी
दौरान चोर बाथरूम की खिड़की से उनके कमरे में घुस गए और अपनी करामात दिखाकर चलते बने। सुबह
जब नेता जी की नींद खुली तब उन्होंने पुलिस को वारदात की जानकारी दी।

पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के
मुताबिक रोहतक के रहने वाले कांग्रेसी नेता सुरेंद्र दलाल (50) कुछ दिनों पहले किसी काम से दिल्ली आए थे।
वे कनॉट प्लेस इलाके में जनपथ माकेर्ट के पिछले हिस्से में बने एशियन होटल के सेकंड
फ्लोर पर रूम नंबर 204 में
ठहरे। बुधवार सुबह वह यह देखकर हैरान रह गए कि उनकी अटैची बाथरूम में पड़ी हुई थी
और उनके 2 मोबाइल फोन,
करीब 50 हजार रुपये और सोने की एक चेन गायब थी, जबकि रूम का दरवाजा अंदर से बंद ही था।
पुलिस ने मौके पर पहुंचकर देखा कि बाथरूम की खिड़की खुली थी। पुलिस
ने होटल के कर्मचारियों से पूछताछ भी की, लेकिन कोई सुराग हाथ नहीं लग पाया।


बीजेपी के राज ठाकरे बने शिवराज चौहान

पार्टी के क्षत्रप बीजेपी के लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं। इस कड़ी में नया नाम जुड़ गया है मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का। उन्होंने सतना में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में राज ठाकरे की तर्ज पर कहा कि यहां लगने वाले कारखानों में बिहार के लोगों को नौकरी ना दी जाए। हालांकि जब मामले ने तूल पकड़ लिया तो चौहान ने कहा कि उन्होंने ऐसा कोई बयान ही नहीं दिया, जो प्रदेश में रोजगार देने में प्रांतीय आधार पर पैरवी करता हूं। गुरुवार को अपने भाषण के दौरान चौहान स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया कराने के नाम पर इतने जोश में आ गए कि बोलते ही गए। हद तो तब हो गई जब वह यह कह गए कि कारखाने सतना में लगें और नौकरी बिहार के लोगों को मिले, ऐसा हम नहीं होने देंगे। मुख्यमंत्री ने कहा, 'मैंने उद्योगपतियों से कह दिया है कि यह नहीं चलेगा। अगर हमारे प्रदेश के लोग ट्रेंड नहीं हैं तो आप उन्हें ट्रेंड कीजिए, पर नौकरी में स्थानीय लोगों को ही दीजिए।'
शुक्रवार को शिवराज ने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि मैंने किसी भी राज्य के लोगों के मध्य प्रदेश आने पर रोक लगाने की बात नहीं कही थी। मैने सिर्फ यह कहा था कि कारखानों में स्थानीय लोगों को ज्यादा से ज्यादा काम दिलवाने की व्यवस्था की जाएगी। इस बीच राजनीतिक हलकों में चौहान के बयान का विरोध शुरू हो गया है। आरजेडी प्रमुख लालू यादव ने कहा, 'यह बयान देश को तोड़ने वाला है। लगता है कि शिवराज चौहान अपना दिमागी संतुलन खो बैठे हैं।' उन्होंने कहा कि देश के भीतर कोई भी नागरिक कहीं भी नौकरी कर सकता है। लोकजनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान ने चौहान के इस्तीफे की मांग की है। बिहार और झारखंड में बीजेपी की सहयोगी जेडी (यू) के नेता ललन सिंह ने कहा है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठकर इस तरह का बयान कतई नहीं देना चाहिए। हम इस मुद्दे पर बीजेपी के सीनियर नेताओं से बात करेंगे। बीजेपी को चाहिए कि वह शिवराज से जवाब तलब करके मामले को साफ करे। कभी राजस्थान, कभी कर्नाटक की इकाइयों को संभालने में लगे बीजेपी के आलाकमान के सामने शिवराज के बयान ने एक और मुसीबत खड़ी कर दी है। गौरतलब है कि झारखंड में इसी महीने की 25 तारीख से चुनाव शुरू हो रहे हैं और बिहार में अगले साल चुनाव होने हैं। शायद इसी का असर है कि पार्टी ने अपने मुख्यमंत्री के बयान को कोई खास तवज्जो नहीं दी है। पार्टी के प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा,'हर राज्य की अपनी प्राथमिकताएं होती हैं। चौहान की तुलना राज ठाकरे से नहीं की जा सकती है।'

नगर निगम चुनाव

जयपुर। नगर निगम चुनाव के लिए नामांकन शनिवार प्रात: 10.30 से दोपहर 3 बजे तक भरे जा सकेंगे। अंतिम तिथि 11 नवम्बर है। रविवार को कार्य नहीं होगा। ऎसे में उम्मीदवारों को मात्र चार दिन का समय मिलेगा। जिला निर्वाचन कार्यालय ने शुक्रवार को सभी तैयारियां पूरी कर लीं। निगम के 77 वार्डो के लिए 16 सहायक रिटर्निग अधिकारियों को पांच-पांच वार्डो की जिम्मेदारी सौंपी गई है। महापौर पद के लिए नामांकन रिटर्निग अधिकारी अतिरिक्त कलक्टर (प्रथम) एम.पी. स्वामी लेंगे। जिला कलक्टर कुलदीप रांका ने बताया कि नामांकन प्रक्रिया की वीडियोग्राफी कराई जाएगी। कलक्ट्रेट परिसर में उम्मीदवार के साथ समर्थकों की भीड नहीं आ सकेगी। सहायक रिटर्निग अधिकारी के कक्ष में उम्मीदवार के साथ पांच से अधिक व्यक्तियों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा।

सुषमा, जेटली, नायडू, अनन्त नहीं होंगे भाजपा अध्यक्ष

जयपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने स्पष्ट कर दिया है कि भारतीय जनता पार्टी का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष दिल्ली से बाहर का कोई नेता होगा। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि सुषमा स्वराज, अरूण जेटली, अनंत कुमार व वैंकेया नायडू के अलावा कोई अध्यक्ष होगा, यह उन्हें बताया गया है।
दिसम्बर में होने वाले पार्टी के संगठन चुनाव को देखते हुए भागवत का यह बयान बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। निजी टीवी चैनल के साक्षात्कार में मोहन भागवत ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के मामले में यही तय हुआ था दिल्ली से बाहर का कोई नेता लाया जाएगा और मुझे यकीन है कि इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई होगी।

Monday, November 2, 2009

राज ठाकरे की चेतावनी, सभी विधायक मराठी में लें शपथ

मराठी मानुष के अपने एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे ने नए विधानसभा के सभी विधायकों को चेतावनी दी कि मराठी में शपथ लें या पार्टी के आक्रोश का सामना करने को तैयार रहें। राज ने संवाददाताओं से कहा, कोई अन्य भाषा में शपथ लेता है तो सदन में देखेगा कि मेरे विधायक क्या करते हैं। 288 सदस्यीय विधानसभा में मनसे के 13 विधायक हैं। राज ने कहा, कर्नाटक विधानसभा में मराठी बोलने वाले विधायकों को सदन से निकाल दिया गया क्योंकि वह कन्नड़ में नहीं बोल सकते थे। क्या हमारे विधायक मराठी के प्रति ऐसा ही रुख अपनाएंगे?
समाजवादी पार्टी के विधायक अबु आसिम आजमी की मांग के बाद राज ठाकरे का यह बयान आया है। आजमी ने सदन का एजेंडा हिंदी में चलाने की मांग की थी। उत्तर भारतीय विरोधी अभियान के लिए चर्चित और आजमी की मांग से नाराज राज ठाकरे ने कहा, आजमी सदन का एजेंडा हिंदी में चलाना चाहते हैं तो उन्हें उत्तरप्रदेश जाना चाहिए। बाद में आजमी ने कहा था, मैं मराठी के खिलाफ नहीं हूं। मैं भाषा का सम्मान करता हूं और उसे समझता हूं, लेकिन बोल नहीं सकता क्योंकि मेरी मातृभाषा हिंदी है। फिर भी मैं मराठी सीखने की कोशिश करूंगा।


महाराष्ट्र में कल तक नयी सरकार नहीं बनती तो राष्ट्रपति शासन लागू हो : भाजपा

भाजपा ने आज आरोप लगाया कि महाराष्ट्र की जनता कमर तोड़ मंहगाई और बिजली की किल्लत से परेशान है लेकिन कांग्रेस और राकांपा आपस में मंत्रालयों के लिए लड़ रहे हैं। उसने यह मांग फिर दोहराई कि कल तक अगर नयी सरकार का गठन नहीं होता तो नियमों के अनुसार राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए। भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस समय राज्य की जनता मंहगाई और बिजली संकट से जूझ रही है, कांग्रेस और राकांपा मलाईदार मंत्रालयों के आवंटन को लेकर चल रहे मतभेद के कारण नयी सरकार के गठन में विफल रहे। यह पूछने पर कि गतिरोध जारी रहने की स्थिति में भाजपा क्या राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने का दबाव बनाएगी, उन्होंने कहा, नियमों के मुताबिक यदि सरकार का गठन तीन नवंबर तक नहीं होता तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। जावड़ेकर ने कहा कि लोकतांत्रिक नियम स्थापित करने के लिहाज से महाराष्ट्र के मौजूदा राजनीतिक हालात विरोधाभासी हैं। कांग्रेस और राकांपा ने जनादेश के साथ धोखाधडी की है। उन्होंने लोकतांत्रिक नियमों की अनदेखी की है।

टिकट फैसला जयपुर में

बीकानेर। पूर्व मंत्री तथा नगर निगम चुनाव के लिए बीकानेर के कांग्रेस पर्यवेक्षक हीरालाल इंदौरा ने कहा है कि विधानसभा चुनाव में भले ही पार्टी के उम्मीदवार बीकानेर की दोनों सीटें हार गए हों, लेकिन अब माहौल बदल गया है। महापौर के चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार ही विजयी होगा। इंदौरा ने सोमवार को यहां शहर कांग्रेस पार्टी के डागा चौक कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत के दौरान यह दावा किया।
उन्होंने कहा कि पार्टी को महापौर तथा पार्षद चुनाव लडने वाले दावेदारों के बडी संख्या में फार्म मिले हैं। इनमें से सबसे जिताऊ व टिकाऊ का चयन कर टिकट दी जाएगी। पार्टी के स्थानीय संगठन से चर्चा कर दावेदारों का पैनल बनाया जाएगा। उम्मीदवारी पर अंतिम मुहर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ही लगाएगी।
आगामी सात नवम्बर तक सभी तय उम्मीदवारों के नाम सामने आ जाएंगे। उनके चयन में सभी पहलुओं का ध्यान रखा जाएगा। टिकट वितरण में युवा व महिला वर्ग को समुचित प्रतिनिधित्व मिलेगा। एक सवाल के जवाब में इंदौरा ने कहा कि बीकानेर में दावेदारी के लिए फार्म वितरण तथा जमा करने का काम एक ही कार्यालय में हुआ है। इसके समानांतर कार्यालय को उन्होंने खारिज कर दिया। उनका कहना था कि पार्टी में स्थानीय स्तर पर नेताओं-कार्यकर्ताओं में यदि कोई मनमुटाव हैं तो उसे दूर कर लिया जाएगा। महापौर चुनाव के लिए सामान्य सीट पर किसी अन्य वर्ग के व्यक्ति को टिकट देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि पहली प्राथमिकता तो यही रहेगी कि सामान्य को ही मैदान में उतारा जाए। इस वर्ग में यदि कोई जिताऊ व टिकाऊ उम्मीदवार नहीं मिला तो अन्य वर्ग के व्यक्ति पर भी विचार किया जा सकता है।

भाजपा नेता सुराना अस्वस्थ

बीकानेर। पूर्व वित्त मंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता मानिकचंद सुराना को पी. बी. एम. अस्पताल के आईसीयू में भर्ती किया गया है। रविवार रात तेज बुखार व बैचेनी के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया। सोमवार सुबह भी उनके स्वास्थ्य की जांच की गई। उनकी तबीयत में कुछ सुधार हुआ है। सुराना को डायबिटीज है।
पी.बी.एम. अस्पताल अधीक्षक डॉ.विनोद बिहाणी ने बताया कि उनके स्वास्थ्य की देखभाल के लिए चिकित्सकों की तीन सदस्यीय टीम का गठन किया गया है। इनमें मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. के. सी. नायक, डॉ. आर. पी. अग्रवाल व डॉ. वीर बहादुर सिंह शामिल हैं। विधायक डॉ. गोपाल जोशी ने पीबीएम अस्पताल में राज्य वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष मानिकचंद सुराना की कुशलक्षेम पूछी। जोशी ने इलाज के बारे में विस्तार से जानकारी ली।

Sunday, November 1, 2009

भाजपा में दंगल की तैयारी

भारतीय जनता पार्टी की अजमेर इकाई में दंगल की तैयारी शुरू हो गई है। रविवार को संगठन के अजमेर जिला चुनाव प्रभारी अजमेर आए। प्रभारी के आने की सूचना विधायक तक को ऐन मौके पर मिली। उधर पार्टी अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा जिला प्रभारी का इंतजार करने के बाद घर चले गए। बाद में प्रभारी ने हेड़ा से उनके घर जाकर चर्चा की। भाजपा में संगठन चुनाव जल्द होने हैं। इस बार बड़ा परिवर्तन यह है कि सबसे निचली इकाई बूथ स्तर पर होगी। अब तक वार्ड इकाई सबसे नीचे होती थी। इसी की जानकारी देने और पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं आदि से विचार विमर्श के लिए चुनाव प्रभारी सुरेन्द्र पारीक रविवार को अजमेर आए थे। उन्होंने अपने कार्यक्रम की जानकारी दो दिन पहले शहर अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा को दे दी थी। पार्टी सूत्रों के मुताबिक हेड़ा ने दोपहर एक से डेढ़ बजे तक का समय कुछ गिने चुने पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को ही बताया। नतीजतन बैठक स्थल अग्रवाल स्कूल में हेड़ा समर्थक ही पहुंच पाए। लेकिन पारीक समय पर नहीं पहुंचे तो हेड़ा अग्रवाल स्कूल से चले गए। पारीक तीन बजे बाद पहुंचे। बताया जाता है कि पारीक के आने की जानकारी विधायक वासुदेव देवनानी सहित कई नेताओं को रविवार की दोपहर को ही हेड़ा से मिली। पारीक से मिलने वासुदेव देवनानी, विधायक अनिता भदेल, नगर निगम के महापौर धर्मेन्द्र गहलोत, नगर सुधार न्यास के पूर्व सदर धर्मेश जैन, संगठन के महामंत्री कैलाश कच्छावा, तुलसी सोनी, उपाध्यक्ष सुरेश चारभुजा, सुरेश दवे, मंत्री दीपक जीनगर, रमेश शर्मा, मनोज जैन, महिला मोर्चा की डॉ. कमला गोखरू, सरोज देवी जाटव सहित कई पदाधिकारी और प्रमुख नेता पहुंचे। बैठक के बाद सुरेन्द्र पारीक शिवशंकर हेड़ा के घर पहुंचे और उनसे वार्ता के बाद जयपुर रवाना हो गए। पारीक मंडल चुनाव प्रभारियों आदि की घोषणा जल्द ही करेंगे।हेड़ा इस बार लाइन में नहींशिवशंकर हेड़ा इस बार अध्यक्ष पद की दौड़ में नहीं रह पाएंगे। पार्टी के नए संविधान के मुताबिक अब तीन साल के लिए एक ही बार अध्यक्ष रहा जा सकता है। एक बड़ा परिवर्तन यह है कि इस बार सबसे निचली इकाई बूथ स्तर की होगी। इसमें कम से कम 50 सदस्य होने जरूरी हैं। बूथ इकाइयों से वार्ड इकाई बनेगी और वार्ड से मंडल इकाई। मंडल चुनाव प्रभारियों की घोषणा जल्द होगी। इसी पर बहुत कुछ निर्भर करेगा कि अगला अध्यक्ष कौन या किस गुट का बनेगा।दो दिन पूर्व सुरेन्द्र पारीक ने अजमेर आने का कार्यक्रम बताया था। सभी को सूचित कर दिया गया था। उन्हें अजमेर आने में देरी हो गई। मैंने दोपहर में मिलने के लिए किसी को समय दे रखा था, लिहाजा सुरेन्द्र पारीक से बात कर मैं चला गया। बाद में पारीक मेरे घर आए और संगठन चुनाव की चर्चा की।

मंत्री ने देखे हालात

दीगोद (कोटा)। कोटसुआं गांव में शनिवार को खरंजा निर्माण को लेकर हुए विवाद के बाद रविवार को शांति रही। दिनभर पुलिस गांव में गश्त करती रही। पुलिस ने इस मामले में 11 जनों को गिरफ्तार किया, जिन्हें न्यायाधीश ने 13 नवम्बर तक जेल भेजने के आदेश दिए। उधर रविवार शाम पंचायतीराज व ग्र्रामीण विकास मंत्री भरत सिंह ने मौके पर स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने पीडित परिवारों से जानकारी ली तथा दोनों पक्षों से शांति बनाए रखने की अपील की।
सिंह ने कहा कि मामूली विवाद को लेकर आगजनी की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। गांव में शांति व भाईचारा कायम करने के लिए बैठकर प्रयास किए जाएं। उन्होंने विद्यालय भवन में दोनों पक्षों के लोगों की बैठक ली तथा मुकदमेबाजी से बचने व बातचीत से मनमुटाव दूर करने की सलाह दी। बैठक में पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों सहित बडी संख्या में ग्र्रामीण उपस्थित थे।
यह था मामला कोटसुआं में खरंजा निर्माण को लेकर विवाद के बाद कुछ लोगों ने समुदाय विशेष के चार घरों में आग लगा दी थी। जिससे घर व उनमें रखे सामान जल गए थे। पुलिस ने इस संबंध में दोनों पक्षों की ओर से मामले दर्ज किए थे।

कांग्रेस-एनसीपी में अब तक समझौता नहीं

मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन ने जीत तो दर्ज कर ली। लेकिन, मंत्रिमंडल में मलाईदार पदों को लेकर दोनों के बीच खींचतान चरम पर पहुंच गई है। मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 3 नवंबर को खत्म हो रहा है। फिर भी गठबंधन अभी तक नई सरकार बनाने का दावा पेश नहीं कर पाया है। सरकार बनाने का दावा आज पेश करना ही होगा।
चव्हाण करते रहे इंतजारमुख्यमंत्री अशोक चव्हाण अपनी दूसरी पारी खेलने की तैयारी कर चुके हैं। लेकिन, जो कुछ हो रहा है, उससे उनकी राह आसान नहीं दिख रही है। कल रात वे मंत्रालय को लेकर सबकुछ साफ करने की तैयारी में थे। लेकिन, एनसीपी वाले मूड में नहीं थे। चव्हाण अपने बंगले पर इंतजार करते रहे। एनसीपी के नेता पहुंचे ही नहीं।
नई सरकार में किसके खाते में कितनी और कौन सी कुर्सी जाएगी इस बात का फैसला फिर टल गया। मंत्रिमंडल के बंटवारे को लेकर मुख्यमंत्री के बंगले वारशा में कांग्रेस और एनसीपी के नेताओं की बैठक होनी थी। लेकिन, एनसीपी नेता छगन भुजबल नहीं आए। सूत्रों का कहना है कि मंत्रिमंडल को लेकर एनसीपी के भीतर ही मतभेद है।

नगर निकाय चुनाव पर्यवेक्षक दो व तीन को बैठक लेंगे

राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष एवं केन्द्रीय मंत्री डा. सी पी जोशी ने आगामी २३ नवम्बर को होने वाले ४६ स्थानीय निकाय चुनाव के लिये नियुक्त किये गये पर्यवेक्षकों को दो तथा तीन नवम्बर को संबंधित नगर निकाय में बैठकें आयोजित करके चार नवम्बर तक अपनी रिपोर्ट प्रदेश कांग्रेस कमेटी को प्रस्तुत करने के निर्देश दिये है।पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता सत्येन्द्र ङ्क्षसह राघव ने आज यहां जारी विज्ञप्ति में बताया कि ४६ निकायों के महापौर सभापति अध्यक्ष एवं पार्षदों के चयन की प्रक्रिया दो नवम्बर से प्रारंभ हो जायेगी। प्रदेश कांग्रेस की ओर से चयन प्रक्रिया को लेकर प्रदेश पर्यवेक्षक जिला एवं ब्लॉक कांग्रेस कमेटियों के अध्यक्षों के लिये आवश्यक निर्देश दिये गये है जिनके आधार पर पार्टी उम्मीदवारों का चयन करेगी। सभी जिला एवं ब्लॉक कांग्रेस कमेटियों को निर्देश दिये गये है कि प्रदेश पर्यवेक्षक के मार्गदर्शन में ही पार्टी प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया चलायें।सभी पर्यवेक्षकों को कहा गया है कि वे संबंधित जिला कांग्रेस अध्यक्ष के लोकसभा चुनाव एवं २००८ के विधानसभा चुनाव लड़े पार्टी प्रत्याशियों ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्षों संबंधित निकायों के निवर्तमान महापौर सभापति अध्यक्षों एवं नेता प्रतिपक्ष पद पर रहे कांग्रेसजनों पार्टी के अग्रिम संगठनों के जिलाध्यक्षों सहित महत्वपूर्ण कांग्रेसजनों से पार्टी प्रत्याशी के लिये विचार विमर्श करें।राघव ने बताया कि पार्षदों एवं अध्यक्ष के प्रस्तावित नामों पर अंतिम फैसला प्रदेश कांग्रेस द्वारा किया जायेगा। अधिकृत प्रत्याशियों की घोषणा प्रदेश कांग्रेस द्वारा ही की जायेगी। प्रदेश कांग्रेस के निर्णयानुसार जिनको पार्टी अपना उम्मीदवार बनायेगी उनके खिलाफ कार्य करने वालों को प्रदेश कांग्रेस पर्यवेक्षकों एवं जिला कांग्रेस की अनुशंषा पर तत्काल छह वर्ष के लिये पार्टी से निष्कासित कर दिया जायेगा।

कोड़ा के जयपुर ठिकाने पर भी छापा

आयकर विभाग ने झारखंड के मुख्यमंत्री और सांसद मधु कोड़ा एवं उनके सहयोगियों के ठिकानों और प्रतिष्ठानों पर देशभर में मारे गए छापों के तहत जयपुर में भी छापा मारा। यह जानकारी आयकर विभाग के सूत्रों ने दी। उन्होंने इस बारे में कोई और ब्यौरा देने से यह कहकर इंकार कर दिया कि छापे की कार्रवाई दिल्ली स्तर की है, इसलिए वहीं से जानकारी मिल सकती है।

मैं अन्याय के खिलाफ लड़ती रहूंगी : वसुंधरा

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा है कि वे भाजपा के आम कार्यकर्ता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रदेश में होने वाले हर तरह के अन्याय के खिलाफ लड़ती रहेंगी। वे पार्टी के साथ रहेंगी।भाजपा में अपने विरोध की बातों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि जब वे हर किसी की मदद करेंगी और हर किसी के संकट में साथ देंगी तो कोई उनके विरोध में कैसे हो जाएगा। नेता प्रतिपक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद वसुंधरा राजे ने भास्कर से लंबी बातचीत करते हुए अपने मन की गुत्थियों को पूरी तरह खोला। भाजपा में हर जगह लड़ाई छिड़ी है। नफरत और मारकाट। लोग आपसे भी लड़ रहे हैं?मैंने पाया है कि प्यार के बंधन में बांध कर ही राजनीति की जा सकती है। जाति या नफरत से नहीं। मैं मानती हूं, प्यार ही पोटेंट वैपन (कारगर हथियार) है। हाउ कैन यू फाइट मी, इफ आई लुक आफ्टर यू, इफ आई केयर फॉर यू? अगर मैं सच्चे दिल से किसी का भला सोचती हूं और उसकी खैरखबर रखती हूं, बुरे वक्त में मदद करती हूं, खुशियों में शरीक होना चाहती हूं तो कोई मुझसे कैसे लड़ सकता है। अदृश्य लड़ाई का आप क्या इलाज देखती हैं? राजनीति तो राजनीति है। अलग-अलग लोग हैं। अलग ट्रीटमेंट हैं। भाजपा ने जब कहा तो तत्काल इस्तीफा नहीं दिया? कहां देर की? कहते ही तो दे दिया। लेकिन इतने महीने लग गए पार्टी को आप तक पहुंचने में?विधानसभा से मेरे कुछ विधायकों को निलंबित कर दिया था। आरक्षण का इश्यू था। कैसे छोड़ देती उसको? उनको बहाल करवाना था। और फिर कोई समय सीमा नहीं थी। मुझे जब बोले इस्तीफा दे दो तो दे दिया। क्या भाजपा में कोई है, जो आपको नुकसान पहुंचाना चाहता है? मैं ऐसा नहीं सोचती। मेरी पार्टी में डायवर्स काफी हैं। बड़ी पार्टी है। सबकी अलग-अलग जगह है। एक नेता के लिए मुश्किल घड़ी होती है जब वह समर्थकों की रक्षा नहीं कर पाता। क्या आप ऐसे ही दौर से नहीं गुजर रही हैं? मेरा एक्जिस्टेंस नेता प्रतिपक्ष से ही नहीं है। मैं तो समझती हूं जब साथ काम कर रहे हैं तो दिक्कत ही क्या है? मैं अन्याय के खिलाफ हमेशा लड़ती रही हूं। आगे भी लडूंगी। अन्याय बर्दाश्त ही नहीं कर सकती। अपने समर्थकों को अब तक प्रोटेक्ट करती रही हूं तो आगे भी करूंगी। विभाजन तो साफ दिख रहा है? मेरे लिए तो सभी 78 विधायक मेरे अपने हैं। राजनीति भले संकरी गली की तरह हो, लेकिन इसमें बड़ा दिल रखकर काम करने और सबको साथ लेकर चलने की जरूरत है। जब जन्मदिन या सालगिरह होती है तो मैं भाजपा के ही नहीं, कांग्रेस, माकपा सहित सभी विधायकों को फोन करती रही हूं। सात के लिए तो करना और सत्तर के लिए नहीं करना, ये ओछी बात मैं नहीं सोचती। और आज कह देती हूं, किसी के साथ अन्याय होगा तो मैं उसके साथ खड़ी रहूंगी।

बजरंगी अगले विधानसभा चुनाव में

मलाड में दिल्ली पुलिस के हाथों मुन्ना बजरंगी की सकुशल गिरफ्तारी ने सवाल खड़े कर दिए हैं। बीएसपी के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी को बजरंगी का आका माना जाता है। डॉन के सेफ अरेस्ट से लगता है अंसारी ने दिल्ली-मुंबई में पकड़ मजबूत कर ली है और अपराध की दुनिया में उसका रसूख भी बढ़ा है। बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के आरोपी बजरंगी को अगले विधानसभा चुनाव में उतारने की भी योजना है। मां की तमन्ना है : बजरंगी के जौनपुर स्थित आलीशान मकान में रौनक है। उसकी बुजुर्ग मां लीलावती इस बात से खुश हैं कि बेटे को मुंबई-दिल्ली पुलिस ने सकुशल गिरफ्तार कर उसे नया जीवन दिया। उनका कहना है कि अगर यूपी पुलिस के हत्थे चढ़ता तो पता नहीं, जिंदा होता या नहीं। बड़ा से बड़ा वकील करके मैं उसे बरी करवाने की कोशिश करूंगी। मेरी तमन्ना है कि लाड़ला एलएलए-एमपी और मिनिस्टर बने। उसकी पहले से राजनीति में आने की इच्छा रही है। वह जौनपुर अथवा आसपास के जिलों में जहां से चाहेगा, जीतकर दिखा सकता है। उसके दोस्त हर राजनीतिक पार्टी में हैं और सभी उसे चाहते हैं। मुन्ना ने पांचवीं के बाद अपराधियों की पाठशाला को जॉइन कर लिया था। पूर्व नियोजित गिरफ्तारी? सवाल उठता है कि क्या मुंबई-दिल्ली पुलिस द्वारा मुन्ना की सुरक्षित गिरफ्तारी पूर्व-नियोजित तो नहीं थी? प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी के बारे में पुलिस रेकॉर्ड बताता है कि 16 लोगों की अत्याधुनिक हथियारों से हत्या करने वाले मुन्ना गिरोह का जाल एनसीआर से लेकर महाराष्ट्र तक फैला है। उसे मुंबई में जौनपुर कनेक्शन का फायदा मिला है। विभिन्न पार्टियों के सीनियर नेता मुन्ना के संपर्क में हैं, जिन पर पुलिस की नजर है। इन नेताओं में जौनपुर के मुंबई स्थित बड़े कांग्रेसी नेता और लखनऊ में कांग्रेस से एमएलसी रह चुके जौनपुर के बिल्डर भी हैं। राय मर्डर से मिली थी कुख्याति बजरंगी ने सबसे पहले एके-47 का इस्तेमाल बीजेपी नेता रामचंद्र सिंह के गनर के मर्डर में किया था। जौनपुर के जमालपुर ब्लॉक प्रमुख कैलाश नाथ दूबे सहित तीन लोगों की निर्मम हत्या, बीजेपी विधायक रह चुके अजय राय के छोटे भाई सुनील की हत्या, काशी विद्या पीठ के रामप्रकाश पांडेय सहित तीन लोगों के कत्ल में भी आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल हुआ था। लेकिन 2005 में अंसारी के विरोधी और बीजेपी के बाहुबली विधायक कृष्णानंद राय और उनके आधा दर्जन समर्थकों की नृशंस सामूहिक हत्या के बाद मुन्ना बजरंगी का नाम चर्चा में आया। इस घटना के बाद बीजेपी नेता राजनाथ सिंह ने वाराणसी में अनशन तक किया था। बीवी को भी नहीं थी भनक मुन्ना बजरंगी दो साल से मुंबई के मलाड स्थित एक फ्लैट में अपनी पत्नी सीमा के साथ रह रहा था। वह शादी के बाद दिल्ली में भी 1998 तक रहा। कहा जाता है कि क्राइम की भनक वह पत्नी सीमा को भी नहीं लगने देता था। दिल्ली में एनकाउंटर के बाद ही सीमा को पता चला कि मुन्ना बड़ा डॉन है। दिल्ली पुलिस के अधिकारी राजवीर सिंह ने जब मुन्ना का एनकाउंटर किया था तो उसके शरीर में नौ गोलियां लगी थीं। इसके बाद ही राजवीर सिंह की हत्या हो गई। कहा तो यह भी जाता है कि मुंबई में उसने डी-गैंग से सीधे रिश्ते जोड़ लिए थे और यूपी पुलिस को आशंका है कि उसने मुंबई में यूपी-बिहार और दिल्ली के कई अपराधियों का अपने मिशन में इस्तेमाल किया।

पर्यवेक्षक करेंगे प्रत्याशी चयन

जयपुर। स्थानीय निकाय चुनाव में प्रत्याशियों के चयन के लिए कांग्रेस ने पर्यवेक्षक नियुक्त किए हैं। ये पर्यवेक्षक दो-तीन नवम्बर तक सम्बन्धित नगर निकायों में बैठकें करेंगे और कांग्रेसजनों की राय जानेंगे और चार नवम्बर तक सम्भावित प्रत्याशियों की सूची प्रदेश कांग्रेस को सौंपेंगे। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सत्येन्द्र राघव ने बताया कि प्रदेशाध्यक्ष डॉ.सी.पी.जोशी ने सभी जिला अध्यक्षों को दो व तीन नवम्बर को चुनाव वाले स्थानों का दौरा करने के निर्देश दिए हैं। इन दौरों में जिले के प्रभारी मंत्री, कांग्रेस पर्यवेक्षक, लोकसभा चुनाव के प्रत्याशी और अग्रिम संगठनों के जिला अध्यक्ष भी साथ रहेंगे। इस दौरान ही ब्लॉक अध्यक्षों की बैठकें भी होंगी। प्रस्तावित नामों पर अंतिम फैसला प्रदेश कांग्रेस द्वारा किया जाएगा।
ये बने पर्यवेक्षकनगर निगम: जयपुर-डॉं, चंद्रभान, रतनलाल ताम्बी, सलीम भाटी, जोधपुर- प्रमोद जैन भाया, पुखराज पाराशर, अश्क अली टाकबीकानेर- हीरालाल इंदौरा, भंवरू खान, जगदीश शर्मा, प्रभा सिंघवी, कोटा- गोपाल सिंह ईडवा, कैलाश त्रिवेदी, निजामुद्दीन छबडानगर परिषद: पाली-रघु शर्मा, मोहम्मद अनवर, उदयपुर- हरिमोहन शर्मा, अनिल डांगी, ब्यावर-रामपाल शर्मा, सम्पत सिंह, टोंक-नरेन्द्र बुढानिया, श्रवण तंवर, स्वर्णलता व्यास, चूरू- भगवान सहाय सैनी, सुरेन्द्र दादरी, हनुमानगढ-रणदीप धनखड, मुकेश वर्मा, श्रीगंगानगर- भंवरलाल मेघवाल, राजीव अरोडा, अलवर-भरतसिंह कुंदनपुर, शंकर डंगायच, भरतपुर- मुमताज मसीह, मुकेश शर्मा, सीकर-चिंरजीलाल बडाया, शफी मोहम्मद, झुंझुनूं- भंवरलाल शर्मा, रशीदन बेगम।
नगर पालिका: बाडमेर- मलखान सिंह, रतन देवासी, बालोतरा- शांति मेहता, सुनील परिहार, जैसलमेर- राजेन्द्र सोलंकी, गणपत सिंह चौहान, जालोर-डॉ.विज्ञान मोदी, नीरज डांगी, सिरोही- सोमेन्द्र गुर्जर, आबू पर्वत- लाल सिंह झाला, सुमेरपुर- वीरेन्द्र पूनिया, बांसवाडा-प्रेम पाटीदार, सुरेश श्रीमाली, चित्तौडगढ- अक्षय त्रिपाठी, निम्बाहेडा- गोपाल बाहेती, भंवरू खान (उपाध्यक्ष सहकारी बैंक भीलवाडा), मकराना- रामेश्वर डूडी, कौसर खान, भिवाडी- सीताराम अग्रवाल, मोहम्मद माहिर आजाद- फलोदी- गोवर्धन कल्ला, सालेह मोहम्मद, भीनमाल- अजीत डग, शारदाकांत शर्मा, शिवगंज-अजय सिंह कछावा, रणवीर डूडी, नाथद्वारा- वीरेन्द्र वैष्णव, आमेट- शिवदयाल शर्मा, पुष्कर- महेन्द्र चौधरी, निघि शर्मा, डीडवाना- डॉ.खानूखान, बनारसी मेघवाल, राजगढ चूरू- मंगलाराम गोदारा, नवीन शर्मा, सूरतगढ- ममता शर्मा, मेजर ओ.पी.यादव, पिण्डवाडा-गोपाराम मेघवाल, कानोड- राइया मीणा, रावतभाटा- रामकिशन वर्मा, धर्मेन्द्र पुरोहित, सांगोद- सी.एल.प्रेमी, कैथून- राजकुमार माथुर, छबडा- प्रेमचंद नागर, मांगरोल- गिरिराज उपाध्याय, अरूणा आकोदिया, नीमकाथाना-महेश पारीक, निर्मला चौधरी, पिलानी- सुचित्रा आर्य, चक्रेश्वरी दाधीच, बिसाऊ- गोविंद मेहनसरिया, शकुन्तला रावत।
वार्ड निवासी को ही टिकटजयपुर। स्थानीय निकाय चुनाव में कांग्रेस सम्बन्धित वार्ड के निवासी को ही टिकट देगी। विशेष परिस्थितियों में ही प्रत्याशी को वार्ड परिवर्तन की अनुमति दी जाएगी। प्रत्याशियों के बारे में फीडबैक लेने जा रहे पर्यवेक्षकों को प्रदेश कांग्रेस द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों में यह बात कही गई है। पर्यवेक्षकों को कहा गया है कि वे वार्ड के जातिगत समीकरण, राजनीतिक परिस्थिति और जीत की सम्भावना को देख कर प्रत्याशी का चयन करें। प्रत्याशी चयन के लिए में युवाओं को प्राथमिकता देने की बात कही गई है।
बागी होंगे छह वर्ष के लिए बाहर दिशा-निर्देशों में कहा गया है जो कांग्रेसजन बागी प्रत्याशी के रूप में चुनाव लडेंगे, उन्हें जिला कांग्रेस समितियां प्रदेश कांग्रेस की सहमति से तुरंत छह वर्ष के लिए निष्कासित कर सकेंगी। ऎसे नेता न संगठन चुनाव लड सकेंगे और न ही इन्हें राजनीतिक नियुक्तियों में कोई लाभ दिया जाएगा।
गहलोत-जोशी में हुई चर्चा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ.सी.पी.जोशी के बीच शनिवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में एक-डेढ घंटे लम्बी चर्चा हुई। दोनों ने यहां कांग्रेस के स्थानीय निकाय अध्यक्षों से भी बात की और चुनाव के सम्बन्ध में फीडबैक लिया। साथ ही आश्वस्त किया कि प्रत्याशी चयन में उनकी राय को भी महत्व दिया जाएगा।
अभियान समितियां प्रदेश अध्यक्ष डॉ.सी.पी.जोशी ने बताया कि निकाय चुनाव के लिए राज्य और जिला स्तर पर अभियान समितियां बनाई जाएंगी। इन समितियों में प्रचार के लिए स्थानीय और राज्यस्तरीय नेताओं को जोडा जाएगा।
दावेदारों की भीडजयपुर। नगर निगम चुनाव लडने के इच्छुक दावेदारों की भीड शनिवार को भाजपा कार्यालय में उमड पडी। आवेदन जमा कराने की अंतिम तिथि के कारण भाजपा कार्यालय में तो मेले जैसा माहौल था। सुबह दस बजे से ही भाजपा कार्यालय में बडी संख्या में दावेदार हाथों में बायोडाटा लेकर पहुंचने लगे। समर्थकों के साथ पहुंचे दावेदारों ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी, चुनाव प्रभारी ओंकार सिंह लखावत समेत भाजपा जयपुर शहर, युवा मोर्चा व महिला मोर्चा के पदाधिकारियों एवं वहां मौजूद विधायकों को बायोडाटा सौंपे। शाम पांच बजे तक पांच सौ से अधिक दावेदारों ने बायोडाटा सौंपे। बडी चौपड स्थित शहर कांग्रेस कार्यालय में बडी संख्या में दावेदार बायोडाटा देने पहुंचे। पार्षदों के लिए अब तक आठ सौ से अधिक व महापौर के लिए चौदह आवेदन आ चुके है।