Tuesday, March 31, 2009

जो कहा, कर दिखाया : मायावती

उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री एवं बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने देश में समतामूलक समाज की स्थापना के लिए केन्द्र में बसपा की सरकार बनाने में सहयोग देने की अपील की है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने जनता से जो वादा किया वह पूरा किया है और आगे भी करेगी। मंगलवार को शहर के कांकरिया स्थित फुटबॉल मैदान में चुनाव प्रचार का शंखनाद करते हुए मायावती ने कहा कि आजादी के इतने वर्ष बाद भी देश में भय, भूख, भ्रष्टाचार व बेरोजगारी की हालत आज भी ज्यों के त्यों है। महंगाई अपने चरम पर है। उन्होंने इसके लिए अब तक सत्ता में रही कांग्रेस व भाजपानीत सरकारों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी देश के तथाकथित धन्नासेठों के हाथों बिक चुकी है। यही कारण है कि आज भी दलित और पिछडा वर्ग लगातार संघर्षों का सामना कर रहा है। इसके विपरीत उत्तर प्रदेश में दलित और पिछडा वर्ग को आज पूरा सम्मान मिल रहा है। इतना ही नहीं उच्च जातियों के गरीब परिवारों का भी बसपा पूरा ध्यान रख रही है। यही कारण है कि आज उत्तर प्रदेश तीव्र विकास के पथ पर चल पडा है। उन्होंने कहा कि बहुजन समाज पार्टी ही एकमात्र ऎसी पार्टी है, जिसने जनता से जो-जो वादे किए हैं उन्हें पूरा किया है और आगे भी करती रहेगी। लोकसभा चुनाव के लिए विभिन्न दलों की ओर से गठबंधन के लिए प्रस्ताव आए, लेकिन बसपा ने हर प्रस्ताव को ठुकरा दिया। उनकी पार्टी अकेले दम पर चुनाव लड रही है और केन्द्र में भी सरकार बनाकर दिखाएगी। ...तो आर्थिक आधार पर आरक्षण की वृहद नीतिउन्होंने घोषणा की कि यदि देश में बसपा को सरकार बनाने का मौका मिलता है तो पार्टी आर्थिक आधार पर आरक्षण देने के लिए वृहद नीति तैयार करेगी। अल्पसंख्यक समाज के बारे में उन्होंने कहा कि जब भी चुनाव आते हैं तब भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस को अल्पसंख्यकों की याद आती है और चुनाव सम्पन्न होते ही यही पार्टियां अल्पसंख्यको को भूल जाती है। इससे पूर्व पार्टी के गुजरात प्रभारी प्यारेलाल जाटव ने सभी लोगों से बसपा के पक्ष में मतदान करने की अपील की। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है, जब परिवर्तन ही एकमात्र विकल्प रह गया है। लोग अब तक की सभी सरकारों को देख चुके हैं और अब बहुजन समाज पार्टी को मौका देना चाहते हैं। इस अवसर पर अहमदाबाद पश्चिम के बसपा प्रत्याशी नलिन भट्ट ने अपने संबोधन में भारतीय जनता पार्टी की कडी आलोचना की और कहा कि भाजपा की नीतियों के चलते ही उन्हें उसका साथ छोड बसपा के साथ होना पडा क्योंकि बसपा की नीतियां समतामूलक है।

चुनाव का मुद्दा बनेगी बिजली

गर्मी की आहट के साथ ही जबरर्दस्त बिजली संकट से जूझ रहे उत्तर प्रदेश में बिजली लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से चुनावी मुद्दा बनने को तैयार है।देश की सर्वाधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में बिजली दशकों से एक जटिल समस्या के रूप में जानी जाती है।राज्य की कमान संभालने वाले सभी दलों ने राज्य को बिजली संकट से निजात दिलाने का वादा किया, लेकिन हर दल की सरकार का कार्यकाल इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर कोई खास असर नहीं छोड सका और बिजली को तरसता यह राज्य प्रत्येक चुनाव में अपनी तकदीर संवरने की बाट जोहता रहा। राजनीतिक दलों की कमजोर इच्छाशक्ति के कारण पिछले कई सालों से यहां कोई नया विद्युत संयंत्र स्थापित नहीं हुआ।हालांकि इस दौरान अनपरा और परीछा समेत कुछ विद्युत संयंत्रों का विस्तार अवश्य हुआ, लेकिन रखरखाव के अभाव में 1442 मेगावाट के ओबरा ताप विद्युत गृह समेत अनेक विद्युत संयंत्रों की उत्पादन क्षमता लगातार घटती रही। विद्युत विभाग से जुडे विषेषज्ञों की मानें तो वर्ष 1962 में अलीगढ के हरदुआगंज क्षेत्र में कोयले और तेल से बिजली बनाने का संयंत्र लगाया गया था। इस कवायद के तहत यहां 30 मेगावाट की दो इकाइयों की स्थापना की गईं थी। इसके बाद राज्य बिजली के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने के कदम बढाता चला गया। वर्ष 1994 में राज्य की कुल उत्पादन क्षमता 4634 मेगावाट थी। उसके बाद इस क्षेत्र में पतन का जो सिलसिला चला वह आज भी थमता नजर नहीं आ रहा है।

आडवाणी के पोस्टर के साथ समां बांधा स्टार फुटपाथी बच्चों ने

चुनाव मैदान में अपने दुश्मन नम्बर एक कांग्रेस को परास्त करने के लिए आक्रामक प्रचार अभियान छेड रही भाजपा ने भय हो शीर्षक से व्यंग्य भी तैयार किया है। कांग्रेसी गान जय हो की इस पैरोडी का फिल्मांकन रेलगाडी में गाकर आजीविका कमाने वाले बच्चों नागार्जुन, ब्रrोन्द्र और दुर्गा पर किया गया है। पहले ही इस टीवी कमर्शियल को दिखा चुके भाजपा रणनीतिकारों ने मंगलवार को तीनों बच्चों को मुख्यालय बुलाकर मीडिया के सामने ला खडा किया।संवाददाताओं से खचाखच भरे कमरे में इन्हें बुलाया गया तो इनके चेहरे पर हवाइयां उडने लगीं। पचासों कैमरों के सामने पहुंचकर ये थोडा घबराए लेकिन, कुछ ही पल में अहसास हो गया कि वे अब सामान्य नहीं रह गए बल्कि उनका रूतबा स्टार सरीखा हो गया है।इसके बाद उनके चेहरे से तनाव गायब हो गया और भोली सी मुस्कान खिल उठी। नागार्जुन ने हारमोनियम संभाला तो ब्रrोंद्र और दुर्गा ने खडताल व ढपली। प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार लालकृष्ण आडवाणी के पोस्टर के साथ खडे होकर तीनों ने ऎसा समां बांधा कि लोग दंग रह गए। मीडिया की तरफ से बार-बार फरमाइश हुई और बच्चों ने बार-बार पूरा किया।झिझक टूटी और घबराहट उडन छू हो गई। नन्हीं सी दुर्गा की मुश्किल यह थी कि वह कैमरे के फ्रेम से बाहर निकल जाती थी। फोटोग्राफरों ने आवाज लगाई तो सकुचाई सी बीच में आकर खडी हो गई। ये बच्चे शायद नहीं जानते थे कि उनके इस गाने से भाजपा को फायदा होगा या कांग्रेस को नुकसान लेकिन यह जरूर समझ गए थे कि जिंदगी उन्हें फुटपाथ से उठाकर एक खुशहाल मोड पर अवश्य ले आई है।भाजपा प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने बताया कि अब इस टीवी कमर्शियल का पार्टी देश भर में इस्तेमाल कर सकेगी क्योंकि चुनाव आयोग से मंजूरी मिल गई है। भय हो के अलावा भाजपा ने रेडियो पर बजाए जा रहे काका हाथरसी के दो और व्यंग्य तैयार कराए हैं। एक में आंतरिक सुरक्षा का हवाला देकर आईपीएल मैच को देश से बाहर ले जाने पर मजबूर करने वाली सरकार पर हमला बोला गया है तो दूसरे में भी पोटा हटाने के संप्रग सरकार के फैसले को आधार बनाया गया है।

भाजपा पर साधा निशाना

कांग्रेस ने मंगलवार को भाजपा पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि भाजपा साम्प्रदायिकता का सहारा लेकर चुनाव जीतने की कोशिश में लगी है, जिसमें उसे सफलता नहीं मिलेगी। कांग्रेस प्रवक्ता अश्वनि कुमार ने कहा कि पीलीभीत से वरूण गांधी का केवल एक एजेण्डा है जिसको आधार बनाकर वे कोशिश कर रहे हैं कि धर्म-जाति को हथियार बनाकर देश को कैसे खंडित किया जाए। कुमार ने कहा कि जो मजबूत नेता और मजबूत पार्टी होने का नारा देती है हम उससे पूछना चाहते हैं कि उसकी मजबूती तब कहां थी जब उसके नेता कंधार में स्वयं को समर्पित किए हुए थे। उनकी मजबूती तब कहां थी जब कारगिल में पाकिस्तान की फौजों ने कब्जा जमाया था। ऑपरेशन पराक्रम में भाजपा के नेताओं का पराक्रम एवं उनकी शक्ति कहां खो गई थी।उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से अपील करते हुए कहा कि वे दुबारा देश के लोगों को देश की सुरक्षा और अखंडता के नाम पर भ्रमित न करें। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी किसी तरह की सांप्रदायिक भावनाओं को स्वीकार नहीं करती है।लखनऊ से प्रत्याशी उतारेंगेसंजय दत्त के मामले में दिए गए न्यायालय के निर्णय के आदेश पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि हम न्यायालय के आदेश का स्वागत करते हैं। लखनऊ से कांग्रेस प्रत्याशी खडा किए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि हमने संजय दत्त के विरूद्ध पार्टी प्रत्याशी खडा न करने का निर्णय किया था, अब नई परिस्थिति में कांग्रेस पार्टी लखनऊ से अपना प्रत्याशी खडा करेगी। आडवाणी द्वारा विदेशों में जमा कालेधन के बारे में सवाल किए जाने पर उन्होंने कहा कि हमारा स्पष्ट विचार है कि कोई भी कालाधन जो विदेशों में रखा गया है उसको देश में वापस लाने के लिए यूपीए सरकार प्रयास करती रही है तथा आगे भी करती रहेगी।शरद पवार द्वारा प्रधानमंत्री के मुद्दे पर सवाल खडा किए जाने के प्रश्न पर कहा कि यूपीए प्रधानमंत्री चुनाव के पpात तय करेगी, उन्होंने कहा कि यूपीए के प्रधानमंत्री डा. मनमेाहन सिंह हैं, कांग्रेस पार्टी के प्रधानमंत्री पद के दावेदार भी वही हैं और लोकसभा चुनाव के बाद भी दावेदार वही रहेंगे। लालकृष्ण आडवाणी द्वारा चुनावी बहस की चुनौती दिए जाने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि हमने कभी किसी बहस को नकारा नहीं है, हम किसी बहस से पीछे नहीं हटे हैं, हम भारतीय जनता पार्टी को चुनौती देते हैं कि वह आए और हमारे भ्रष्टाचार व सांप्रदायिकता पर बहस करे।

राजस्थान का प्रभार अम्बिका को

कांग्रेस ने अम्बिका सोनी को राजस्थान का प्रभार सौंपा है। राज्य के प्रभारी मुकुल वासनिक के लोकसभा चुनाव लडने के कारण कुछ समय के लिए यह जिम्मेदारी दी गई है। अम्बिका पहले भी राजस्थान की प्रभारी रह चुकी हैं।वासनिक महाराष्ट्र से लोकसभा का चुनाव लड रहे हैं। उनकी सीट पर पहले चरण में ही 16 अप्रेल को मतदान होना है। उनका दिल्ली का प्रभार आस्कर फर्नाडीस को सौंपा गया है। पार्टी के अनुसार वासनिक मतदान के बाद वापस फिर से अपनी पुरानी जिम्मेदारी सम्भाल लेंगे। मोइली लडेंगे चुनावकर्नाटक के लिए मंगलवार को घोषित पांच प्रत्याशियों में मीडिया विभाग के अध्यक्ष वीरप्पा मोइली का भी नाम है। मोइली चिक्कबलापुर से अपना भाग्य आजमाएंगे। राज्य में विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण में गडबडी के आरोप लगा चुकीं मारग्रेट अल्वा को उत्तर कन्नड से प्रत्याशी बनाया गया है।

वरूण नहीं तो मेनका लडेंगी

रासुका में बंद वरूण गांधी के बारे में भाजपा तमाम विकल्पों पर विचार कर रही है। रासुका लगाने के निर्णय की कडी आलोचना करते हुए पार्टी का आरोप है कि वरूण के मुद्दे पर बसपा-सपा और कांग्रेस एक हैं। सपा अध्यक्ष ने मुस्लिम वोट बैंक पूरी तरह मायावती के हाथ में न खिसक जाए सिर्फ इस डर से रासुका का विरोध किया है। वरूण पर पार्टी रणनीति का खुलासा करते सूत्रों ने कहा कि सलाहकार बोर्ड से लेकर अदालत तक से राहत लेने की कोशिश होगी। रासुका में नजरबंद वरूण को चुनाव लडने से रोका नहीं जा सकता क्योंकि वे आरोपी नहीं हैं लेकिन किन्हीं कारणों से ऎसे हालात आए तो उनकी मां और आवंला से पार्टी प्रत्याशी मेनका गांधी को दो सीटों यानी वरूण की पीलीभीत सीट से भी चुनाव लडाया जा सकता है।इससे पूर्व पार्टी महासचिव और उत्तर प्रदेश के प्रभारी अरूण जेटली ने आरोपी संजय दत्त को चुनाव लडने की अनुमति न देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए वरूण पर रासुका लगाए जाने को सत्ता का दुरूपयोग करार दिया। जेटली के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि संजय दत्त को सजा के निर्णय पर रोक नहीं लगाई जा सकती।इस फैसले के बाद कानून की स्थिति बिल्कुल स्पष्ट हो गई है कि सजा के बाद कोई भी व्यक्ति चुनाव नहीं लड सकता। निश्चित तौर पर चुनाव प्रक्रिया में अब आम जनता का विश्वास बढेगा। यदि इस मुकदमे में छूट दी जाती तो गंभीर आपराधिक मामले वाले तमाम लोग जो राहत के लिए हाइकोर्ट पहुंचे हैं, इसका उदाहरण देकर न्यायपालिका से खुद के लिए भी अनुमति मांगते। संजय दत्त के लिए दरवाजा खुलने का परिणाम लोकतांत्रिक परम्परा पर से भरोसा उठने के रूप में सामने आता। संजय दत्त के मुकाबले से हटने के बाद लखनऊ से भाजपा प्रत्याशी लालजी टंडन को चुनावी फायदा होगाक् इस पर जवाब मिला कि टंडन नुकसान में कब थे। वरूण गांधी के बाबत उठे सवाल पर जेटली ने कहा कि किसी भी हाल में यह रासुका का मामला नहीं था। राजनीतिक विरोधी के खिलाफ सत्ता के अधिकतम दुरूपयोग का इससे बडा उदाहरण दूसरा कोई न होगा। आश्चर्य की बात है कि कसाब से लेकर तमाम अपराधियों पर रासुका नहीं लगाया गया लेकिन कथित तौर पर भडकाऊ भाषण देने के लिए वरूण को नजरबंद कर दिया गया।

कांग्रेस नेता भी असमंजस

जहां भारतीय जनता पार्टी ने जूनागढ को छोडकर अपने सभी लोकसभा प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है, वहीं कांग्रेस अभी तक अपने पांच प्रत्याशियों की सूची जारी नहीं कर सकी है। माना जाता है कि सूची जारी में करने में इस देरी का कारण राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) से तालमेल का मुद्दा है।प्रत्याशियों की घोषणा नहीं होने से वे नेता भी असमंजस में पडे हुए हैं, जिन लोगों ने इन पांच सीटों पर अपनी दावेदारी की है। कई क्षेत्रों में प्रत्याशियों ने चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया है और काफी हद तक अपने मतदान क्षेत्र में प्रचार भी कर चुके हैं। घर-घर जाकर एवं मीटिंगों के जरिए मतदाताओं तक पहुंच रहे हैं। जिन लोगों के अभी तक नामों की घोषणा नहीं हुई है वे भी मानते हैं कि चुनाव प्रचार के लिए कम समय मिलेगा। सूत्रों के अनुसार महाराष्ट्र में तो कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के बीच सीटों को लेकर समझौता हो चुका है, लेकिन राज्य में सीटों के बंटवारे को लेकर अभी कोई भी फैसला नहीं हुआ है। जहां राकांपा नवसारी, अहमदाबाद (पूर्व) एवं राजकोट सीटों पर चुनाव लडने पर अडी हुई है, वहीं प्रदेश कांग्रेस सिर्फ नवसारी की ही सीट देना चाहती है।

Monday, March 30, 2009

मुकदमेबाजी से भी सहानुभूति बटोरना चाहती है भाजपा

वरूण के जरिए भाजपा अब यूपी में अपना भविष्य संवारना चाहती है। रामजन्मभूमि मन्दिर के मुद्दे पर अब लोग इस पार्टी का भरोसा नहीं करते इसलिए पार्टी वरूण के पूरे मामले को अपने लिए सहारा मानकर चल रही है। पीलीभीत की सीजेएम अदालत में शनिवार को समर्पण के दौरान लोगों ने जो उग्र प्रदर्शन किया उससे यही बात साफ होती है। वरूण पर रासुका लगाने के विरोध में सोमवार को भारतीय जनता युवा मोर्चा ने राजधानी लखनऊ समेत प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किए। लखनऊ में कहीं पीलीभीत के घटनाक्रम की पुनरावृत्ति न हो जाए, इसलिए प्रदेश भाजपा कार्यालय पर दिनभर पुलिस का घेरा बना रहा। मोर्चा कार्यकर्ताओं ने कार्यालय परिसर में ही काली पटि्टयां बांधकर विरोध दिवस मनाया। यूपी के जिला मुख्यालयों पर मोर्चा कार्यकर्ताओं ने काला दिवस मनाते हुए प्रदर्शन किया। इस तरह भाजपा वरूण प्रकरण को लोकसभा चुनाव के दौरान जीवंत रखना चाहती है। पीलीभीत के पिछले शनिवार के घटनाक्रम को लेकर पार्टी के प्रदेश चुनाव प्रभारी कलराज मिश्र एवं कुछ पूर्व विधायकों के खिलाफ भी मुकदमें दर्ज किए गए हैं।भाजपा इस मुकदमेबाजी से भी सहानुभूति बटोरना चाहती है। पार्टी का कहना है कि उसके नेताओं का उत्पीडन किया जा रहा है और उसके चुनावी कार्यक्रमों में बाधा डाली जा रही है। भाजपा को उम्मीद है कि वह इस प्रकरण के सहारे पीलीभीत और उसके आसपास की लोकसभा सीटों पर कब्जा कर सकती है। इस प्रकरण के जरिये प्रदेशभर में यह संदेश ठीक तरह से चला गया है कि वरूण गांधी ने हिन्दुत्व का मुद्दा ही उठाया है और किसी अन्य धर्म सम्प्रदाय के खिलाफ कुछ नहीं कहा है। फिर भी उन्हें निशाने पर रखा जा रहा है।

वैचारिक राजनीति का दौर नहीं रहा

सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने सोमवार को बडी संख्या में वकीलों को अपनी पार्टी में शामिल करते हुए कहा कि मौजूदा समय में वैचारिक राजनीति का दौर नहीं रहा है। इसकी जगह भ्रष्ट, चापलूस और दलालों ने ले ली है। मुलायम ने इस सैद्धान्तिक बात के जरिए प्रदेश की बसपा सरकार की ओर इशारा किया और वकीलों से अपील की कि वे परिवर्तन के वाहक बने। यहां पार्टी के प्रदेश कार्यालय में वकीलों की सभा को सम्बोघित करते हुए मुलायम ने कहा कि वकीलों ने आजादी की लडाई लडी है। इस सिलसिले में उन्होंने पं. मोती लाल नेहरू के स्वतंत्रता आन्दोलन में योगदान को याद किया। उन्होंने कहा कि राजनीति अब धन व चापलूसी पर निर्भर हो गयी है।ऎसे दौर में राजनीति के प्रति वकीलों की उदासीनता ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि वे माकपा पर बडा भरोसा करते थे, लेकिन उसने बसपा जैसी पार्टी से समझौता कर लिया। समाजवादी पार्टी का लक्ष्य सत्य का साथ और अन्याय के खिलाफ संघष्ाü का है। उन्होंने बसपा सरकार पर सीधे प्रहार किए। इससे पहले सपा ने शामिल हुए वकीलों ने मुलायम सिंह और सपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव का स्वागत किया। इसके अलावा समाजवादी पार्टी अघिवक्ता सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेन्द्र भाटिया का भी स्वागत किया गया। वीरेन्द्र भाटिया और वकील विशाल दीक्षित के नेतृत्व में ही समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। "रक्षा मंत्री न बनता तो लोग मुझे गवई ही समझते" सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह ने यहां सोमवार को कहा कि यदि वे रक्षा मंत्री न बनते तो उन्हें लोग गवई ही समझते रहते। मुलायम ने कहा कि रक्षा मंत्री पद पर रहते हुए उन्होंने कहा था कि भारत एक शांतिप्रिय और मानवतावादी देश है। लेकिन यदि युद्ध थोपा गया तो वह पाकिस्तान की जमीन पर होगा। इसके बाद ही शहरी लोगों ने उनका सम्मान किया। मुलायम ने कहा कि रक्षा मंत्री पद पर रहते हुए उन्होंने कई महत्वपूर्ण सुधार किए।

राहुल के अभियान से युवा पार्टी से अधिक जुडेंगे

आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व राहुल गांधी अलग-अलग प्रचार करेंगे। दोनों नेताओं के संयुक्त कार्यक्रम इस बार नहीं बनाए जा रहे हैं। राहुल कांग्रेस अध्यक्ष के मुकाबले अधिक चुनावी दौरे करेंगे। कांग्रेस को लग रहा है कि राहुल के अभियान से युवा पार्टी से अधिक जुडेंगे। जिस तरह के संकेत मिल रहे हैं उनमें यह तय हो गया है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सफल प्रधानमंत्री के रूप में पेश कर पार्टी उनके कार्यकाल में किए गए फैसलों को प्रमुख मुद्दा बनाएगी। राहुल मंगलवार से चुनाव अभियान की शुरूआत महाराष्ट्र से करने जा रहे हैं।यहां तक कि राहुल गांधी के चुनाव अभियान में परमाणु करार, रोजगार गारंटी, सूचना का अधिकार व भारत निर्माण जैसे कार्यक्रमों को जमकर उजागर किया जाएगा। साथ ही यह जताने की कोशिश की जाएगी कि राजग के मुकाबले संप्रग के शासन में देश का सबसे ज्यादा विकास हुआ। आर्थिक मंदी का जहां दुनिया पर असर हुआ मनमोहन सिंह की नीतियों के चलते देश पर कोई असर नहीं पडा। राहुल गांधी एक प्रकार से विकास को ही अपना प्रमुख मुद्दा बनाएंगे। ऎसे भी संकेत हैं कि राहुल पीलीभीत को छोड बाकी देश के सभी इलाकों में प्रचार पर निकलेंगे। वरूण के खिलाफ वे ही नहीं कांग्रेस भी ज्यादा नहीं बोलेगी। कांग्रेस यह भी बताएगी कि संप्रग में कोई टूट नहीं हुई है। सब एकजुट हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार में रणनीति के तहत ही चुनाव लडा जा रहा है। दोनों प्रदेशों में कांग्रेस की पहली कोशिश अधिक सीटें जीतने की है। हालांकि वह फिलहाल अभी अपने पत्ते खोल किसी को नाराज नहीं करना चाहती है। नाराज न करने वाले दलों में बसपा भी है। बसपा के खिलाफ कांग्रेस सीधे कुछ भी बोलने से बच रही है।

भाजपा वरूण के साथ लेकिन....

वरूण गांधी पर भाजपा गहरी दुविधा में फंस गई है। वरूण आधिकारिक प्रत्याशी हैं इसलिए उनके दुख-सुख में साथ देना नैतिक दायित्व। रासुका लगाए जाने के बाद पार्टी उनके पीछे मजबूती से खडी भी हो गई है लेकिन, वह वरूण नीति के राष्ट्रव्यापी अमल के पक्ष में फिलहाल नहीं है। चुनाव प्रबंधन संभाल रही टीम का मानना है कि वरूण का मामला जितनी जल्दी ठंडा होगा, भाजपा के लिए स्थिति उतनी आसान होगी। कारण यह कि इस बार के आम चुनाव विपक्षी पार्टी कांग्रेस विरोधी लहर, संप्रग में बिखराव, मनमोहन सरकार की नाकामियों, कमजोर प्रधानमंत्री के मुकाबले निर्णायक सरकार देने में सक्षम आडवाणी सरीखे मजबूत नेता को आगे करके लडने जा रही है। वरूण नीति इसमें कहीं फिट नहीं बैठ रही।उसे यह भी आशंका है कि वरूण गांधी का मामला जितने दिन गरमाया रहेगा उतने दिनों तक राजग में मतभेद की खबरें भी तूल पकडेंगी। जद (यू) जैसे धर्मनिरपेक्षता में विश्वास रखने वाले राजग के घटक निश्चित तौर पर आक्रामक हिंदुत्व की बात करने वाले वरूण का विरोध करेंगे जबकि भाजपा को अपने प्रत्याशी का साथ देना पडेगा। परस्पर विरोधाभासी बयान छपेंगे या प्रसारित होंगे तो प्रतिस्पर्धी इसे राजग में बिखराव बताकर राजनीतिक फायदा उठाने की भरपूर कोशिश करेंगे। एकजुट रहकर अच्छे नतीजे लाने की उम्मीद कमजोर पड सकती है लिहाजा बेहतर होगा कि वरूण को जल्द छोड दिया जाए ताकि मतदान शुरू होने तक हालात सामान्य हो सकें।लालकृष्ण आडवाणी और राजनाथ सिंह का वरूण को समर्थन के साथ अन्य प्रत्याशियों से सामाजिक सौहार्द बनाए रखने और भाषण में संयम बरतने की अपील इसी सोच का हिस्सा बताई गई।इसके उलट, उत्तर प्रदेश के लिए पार्टी के चुनाव प्रभारी कलराज मिश्र ने पत्रिका से कहा कि वरूण गांधी सिर्फ पीलीभीत के लिए नहीं बल्कि पूरे देश के लिए मुद्दा बन चुके हैं। वरूण को फंसाया गया है। उन्होंने मुसलमानों के खिलाफ एक शब्द नहीं कहा। दरअसल पीलीभीत में गो हत्या, बलात्कार जैसे मामले बहुत बढ गए थे। ऎसी ही एक घटना के बाद वरूण वहां गए और अत्याचारियों के खिलाफ पीडितों का साथ देने की बात कही। कई माह पहले की इस घटना को ही रिकार्ड करके सीडी बनाई गई। इसे आठ मार्च की चुनावी सभा में दिया गया भाषण बताया जा रहा है जबकि यह महीनों पुरानी बात है। सीडी को वरूण बार-बार झुठला चुके हैं लेकिन चुनाव आयोग मानने को राजी नहीं। आयोग से उनकी अपील है कि निष्पक्ष रवैया अपनाए। जो कुछ भी हुआ वह शासन के दबाव में किया गया। मायावती मुस्लिम वोटबैंक अपने पक्ष में करना चाहती हैं जबकि कांग्रेस को गांधी परिवार के किसी और सदस्य का आगे बढना रास नहीं आ रहा। यही वजह रही कि प्रधानमंत्री से लेकर राहुल-प्रियंका व तमाम दिग्गजों ने वरूण के खिलाफ टिप्पणियां कीं। क्या रासुका में बंद रहकर भी वरूण चुनाव लड सकते हैंक् कलराज ने हां कहते हुए बताया कि रासुका के तहत बस नजरबंद किया जाता है। वे आरोपी नहीं हैं इसलिए चुनाव लडेंगे। पार्टी उनका हर कदम पर साथ देगी। वे खुद प्रयास करेंगे कि आडवाणी और राजनाथ वरूण के क्षेत्र में प्रचार करें।


Sunday, March 29, 2009

कांग्रेस कार्यकर्ताओं के दो गुटों के बीच हाथापाई

अलवर के राजगढ माचाडी चौक पर रविवार शाम कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं के दो गुटों के बीच हाथापाई हो गई। जिससे बाजार में हंगामा हो गया और पुलिस ने लाठी भांज भीड को तितर-बितर किया। घटना को लेकर कांग्रेस संगठन के पदाधिकारी किसी भी टिप्पणी से इनकार कर रहे हैं।जानकारी के अनुसार दोपहर में कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ताओं के बीच रैणी क्षेत्र के ईंटोली में विवाद हो गया था। इसके बाद शाम करीब पांच बजे कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी जितेन्द्र सिंह के कार्यक्रम के सिलसिले में कांग्रेस कार्यकर्ता माचाडी चौक बाजार में एकत्र हो रहे थे। इसी बीच कुछ लोग उनमें से एक कार्यकर्ता को जबरन खींच कर ले जाने लगे और कार्यकर्ताओं के दो समूह आमने-सामने हो गए। मौके पर खडे पुलिस उप निरीक्षक ने डंडे मारकर पकडे गए युवक को मुक्त कराया और भीड को तितर बितर करने के लिए लाठियां भांजी। जिससे विवाद बढने से पहले ही टल गया। घटना की सूचना पाकर कोतवाल जयशंकर बडगुर्जर अतिरिक्त पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंच गए। दोनों पक्षों के बीच समझाइश की गई। विवाद के बाद कांग्रेस प्रत्याशी का अग्रवाल धर्मशाला में रखा गया कार्यक्रम रद्द कर दिया गया। मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि दूसरे गुट ने खण्डेलवाल धर्मशाला में शाम को कार्यक्रम रखा था।

एक शेरनी, सौ लंगूर-चिकमंगलूर, चिकमंगलूर गुजरे चुनावों के नारे

वह जमाने गए जब राजनीतिक दलों के नारे राजनीतिक दलों के स्तर पर ही तय हो जाते थे। अब इसके लिए बाकायदा पेशेवरों की सेवाएं ली जाती हैं। इस बार के लोकसभा चुनावों के लिए न केवल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) अपने पेशेवरों का चुनाव कर चुके हैं, बल्कि "जय हो....." तथा "मजबूत नेता, निर्णायक सरकार" के रूप में इनके पेशेवरों का काम भी सामने आ चुका है। अब देखना यह है कि मतदाता को क्या भाता है। चुनावी नारा कितना जिताऊ हो सकता है यह तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन यह जरूर है कि हर चुनाव में आम आदमी की जुबान पर चढने वाला नारा जरूर उभर आता है।कांग्रेस इस बार परसेप्ट, जे.डब्लू.टी. व क्रेयोन्स क्रिएटिव-एड एजेन्सी की सेवाएं ले रही है तो भा.ज.पा. ने मध्यप्रदेश विधानसभा में सेवाएं दे चुकी यूटोपिया और "ओनली विमल" से भारतीय विज्ञापन जगत में विशिष्ट पहचान बना चुके फ्रेंक सिमोएस को चुना है। साथ ही चुनाव सम्बन्धी फिल्मों व जिंगल्स आदि के लिए पेशेवर गायकों जैसे सुखविन्दर, शान व रूप कुमार राठौड जैसे कलाकारों को जुटाया गया है।परसेप्ट ने पिछले दिनों दुनिया भर में झंडे गाडने वाली मूवी स्लमडॉग मिलियनीयर के "जय हो..." के अधिकार खरीद रखे हैं। मूल रूप से संगीतकार ए.आर. रहमान रचित व सुखविन्दर का गाया हुआ "जय हो...." खासा लोकप्रिय हो चुका है। वैसे, भा.ज.पा. की तरफ से "जय हो..." आधारित पैरोडी भी चुनाव मैदान में है, लेकिन फिलहाल "जय हो....." का पलडा भारी नजर आ रहा है। "भारत निर्माण" के लिए फिल्में बना चुकी परसेप्ट कांग्रेस के लिए "जय हो..." आधारित विभिन्न संस्करणों की तैयारी में है। दूसरी तरफ भा.ज.पा. ने अपने चुनाव अभियान के लिए "मजबूत नेता, निर्णायक सरकार" का जुमला चुना है। जानकारों के अनुसार भा.ज.पा. के इस चुनाव में पेशेवर चुनाव विश्लेषक जी.वी.एल. नरसिंह राव की अहम भूमिका है। गत लोकसभा चुनाव की बात की जाए तो प्रमोद महाजन के "शाइनिंग इण्डिया" पर कांग्रेस का "कांग्रेस का हाथ, आम आदमी के साथ" भारी पडा। सत्तर से लेकर अस्सी के दशक के पूर्वार्द्ध तक भारतीय राजनीति पर श्रीमती इन्दिरा गांधी की छवि पूरी तरह हावी रही और नारे उन्हीं के इर्द-गिर्द घूमते रहे। सन् 1971 में विपक्ष ने "इन्दिरा हटाओ, देश बचाओ" गढा तो कांग्रेस की तरफ से साहित्यकार श्रीकांत वर्मा का जवाब आया "वो कहते हैं इन्दिरा को हटाओ, मैं कहती हूं गरीबी हटाओ"। यह अलग बात है कि आपातकाल के बाद "सिंहासन खाली करो कि जनता आती है" की बारी आई। यह राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की रचना की लाइन थी और निर्णायक साबित हुई। सन 1979 में जब कर्नाटक के कांग्रेसी सांसद वीरेन्द्र पाटिल ने श्रीमती इन्दिरा गांधी के लिए चिकमंगलूर सीट खाली की तो "एक शेरनी, सौ लंगूर-चिकमंगलूर, चिकमंगलूर" आम आदमी की जुबान पर था। श्रीमती इन्दिरा गांधी की हत्या के बाद 1985 के चुनाव में राजीव गांधी भारी बहुमत के साथ सत्ता में आए, लेकिन जब विश्वनाथ प्रताप सिंह बोफोर्स को लेकर जनता के बीच गए तो "राजा नहीं फकीर है, जनता की तकदीर है" ने परिदृश्य बदल डाला। इसके बाद गूंजा "बच्चा-बच्चा राम का, जन्मभूमि के काम का" और "जय श्रीराम" ने भा.ज.पा. को पहली बार केन्द्र में पहुंचा दिया। इसी तरह भारतीय राजनीति में अहम भूमिका रखने वाले उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी के उभरने पर "तिलक, तराजू और तलवार... सामने आया।

वरूण पर बोलना-"आ बैल मुझे मार" जैसी स्थिति

विदिशा से भाजपा उम्मीदवार और मध्यप्रदेश की चुनाव प्रभारी सुषमा स्वराज ने पार्टी के नेताओं को वरूण गांधी के जिक्र को पार्टी के खिलाफ मानते हुए इस मुद्दे पर बिलकुल चुप्पी साधने के निर्देश दिए हैं।यहां रविवार देर रात पार्टी की बैठक में सुषमा ने स्पष्ट कर दिया कि वरूण का मुद्दा प्रदेश में पार्टी का अहित कर सकता है। इसलिए उन्होंने मंचों से इस मुद्दे पर नहीं बोलने और इस पर किसी भी तरह की प्रतिक्रिया देने से बचने के निर्देश पार्टी नेताओं को दिए। बैठक के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इस मुद्दे पर चर्चा की और कहा कि वरूण के मामले का मध्यप्रदेश में पार्टी पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पडेगा।मध्यप्रदेश भाजपा वरूण गांधी मुद्दे से दूर रहेगी। नीति निर्धारण समिति की बैठक में राष्ट्रीय नेता व मध्यप्रदेश की चुनाव प्रभारी सुषमा स्वराज ने दो टूक लहजे में कहा कि इस मुद्दे पर बोलना-"आ बैल मुझे मार" जैसी स्थिति निर्मित कर देगा। रविवार की देर रात बैठक में राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व प्रदेश अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर भी मौजूद रहे। सुषमा ने नेताओं को निर्देश दिए कि वे वरूण गांधी के मुद्दे पर चुप्पी साध लें। इस मसले पर मंच से बोलने से सीधे तौर पर भाजपा का नुकसान हो सकता है। सागर, भोपाल और विदिशा में दिक्कत आ सकती है। उन्होंने उन्हें राष्ट्रीय मुद्दों के साथ स्थानीय मुद्दों पर ध्यान देने की सलाह दी। सुषमा ने उन्हें केंद्र की विफलता और शिवराज सिंह के काम जैसे अन्य कई मुद्दे जनता के बीच ले जाने के निर्देश भी दिए। सुषमा ने सुन्दरलाल पटवा, कैलाश सारंग सरीखे वरिष्ठ नेताओं से कहा है कि नामांकन प्रक्रिया के दौरान बागियों पर नजर रखें व समय से पहले उन्हें बिठाएं। फिर भी बागी फार्म भर दे तो उसे वापस कराएं।उन्होंने कहा कि पुराने कार्यकर्ताओं को सम्मानित भी किया जाए।संगठन महामंत्री रामलाल ने अधिकाधिक वोट लेने और सुनिश्चित करने के टिप्स बताए। उन्होंने यह भी कहा कि घोषणा-पत्र रामनवमी को जारी होगा। इसमें मध्यप्रदेश की भी योजनाएं शामिल है। उन्होंने नेताओं से कहा कि मप्र में जीत की संख्या 25 सीटों से कम न हो।

मंदी में एक करोड लोगों की नौकरी गई-माकपा

माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने देश में विश्वव्यापी आर्थिक मंदी के असर पर रिपोर्ट कार्ड जारी करते हुए कहा है कि मंदी से देश में संगठित एवं असंगठित क्षेत्र के करीब एक करोड लोग अब तक नौकरी से हाथ धो बैठे हैं और विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से 78 हजार 800 करोड रूपए वापस खींच लिए।पार्टी ने रिपोर्ट कार्ड में कहा है कि गत वर्ष अक्टूबर नवम्बर में कम से कम पांच लाख लोग छंटनीग्रस्त हुए। इस वर्ष जनवरी में एक लाख लोग बेरोजगार हुए। इसमें सर्वाधिक हीरे-जवाहरात, परिवहन तथा आटोमोबाइल एवं कपडा क्षेत्र के लोग हैं। केवल गुजरात से हीरा उद्योग के चार लाख 13 हजार लोग बेरोजगार हुए। रिपोर्ट कार्ड पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पोलित ब्यूरो सदस्य सीताराम येचुरी ने जारी किया।घरेलू उत्पाद गिरकर 5.3 प्रतिशत रिपोर्ट कार्ड में कहा गया है कि गत वर्ष अक्टूबर-दिसम्बर की तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद गिरकर 5.3 प्रतिशत हो गया और कृषि एवं औद्योगिक निर्माण क्षेत्र में विकास दर में क्रमश: 2. 2 तथा 0. 2 प्रतिशत की गिरावट हुई। रिपोर्ट कार्ड में आरोप लगाया गया है कि आर्थिक मंदी से निपटने के लिए सरकार ने योजना खर्च में 20 हजार करोड रूपए की वृद्धि की थी जो सकल घरेलू उत्पाद का 0. 5 प्रतिशत थी।जबकि सऊदी अरब ने अपने सकल घरेलू उत्पाद का 3. 3 प्रतिशत, चीन ने दो प्रतिशत, अमरीका ने 1. 9 प्रतिशत, रूस ने 1. 7 प्रतिशत, कनाडा ने 1. 5 प्रतिशत खर्च किए।

विपक्ष के मतों को काटने के लिए दोस्ताना मुकाबला

संप्रग में हो रहा बिखराव क्या चुनावी रणनीति का हिस्सा हैक् कांग्रेस व उसकी सहयोगी राकांपा के रूख से तो यही लग रहा है। कांग्रेस भी जहां बराबर दोहरा रही है कि गठबंधन नहीं टूटा है, वहीं राकांपा नेता शरद पंवार भी इसी तरह का बयान दे रहे हैं। जानकारों की मानें तो यह सब चुनावी रणनीति का ही हिस्सा लगता है। उत्तर प्रदेश और बिहार में जो कुछ हो रहा है उससे यही लगता है कि दोस्ताना मुकाबला कर विपक्ष के मतों को काटने के लिए चुनाव लडा जा रहा है। दरअसल बिहार में इस बार राजद नेता लालू यादव के फिर से 2004 वाले करिश्मा के दोहराने की उम्मीदें नहीं के बराबर थीं। इसके बाद ही राजद नेता लालू ने जहां पासवान की सभी शर्तें मानी, वहीं कांग्रेस को भी एक प्रकार से अकेले चुनाव लडने के लिए छोड दिया। इसके पीछे की रणनीति यही मानी जा रही है कि जहां पर लालू-पासवान का प्रत्याशी मजबूत होगा वहां पर कांग्रेस जातिगत आधार पर विपक्ष के मतों को काटने वाला प्रत्याशी खडा करेगी। इसी प्रकार कांग्रेस को दोनों नेता फायदा पहुंचाएं। उत्तर प्रदेश में तो सपा के साथ पहले ही दोस्ताना मुकाबला तय हो गया था। कांग्रेस व सपा की कोशिश इतनी भर है कि बसपा को अघिक सीटें न जीतने दी जाएं। यही वजह है कि दोनों तरफ से प्रत्याशी मैदान में उतारे जाने के बाद भी एक दूसरे के खिलाफ कोई बयानबाजी नहीं की जा रही है। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व राहुल गांधी भी उन्हीं सीटों पर प्रचार के लिए जाएंगे जहां पर कांग्रेस के मजबूत प्रत्याशी होंगे। प्रत्येक सीट पर दोनों नेता नहीं जाएंगे। इसी प्रकार मुलायम भी अपनी मजबूत सीटों तक ही प्रचार सीमिति रखेंगे। बिहार में भी कमोबेश प्रचार की यही रणनीति रहेगी।

विदेशी खाते उजागर करना अनिवार्य बनाने का आग्रह

राजग के घटक दल जद (यू) प्रमुख शरद यादव के बाद भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद के दावेदार लालकृष्ण आडवाणी ने भी रविवार को स्विस बैंकों में जमा कालेधन का मुद्दा उठा दिया। आडवाणी ने वादा किया कि बेनामी स्विस खातों में जमा भारतीयों के 25 लाख करोड रूपये का कालाधन भारत लाया जाएगा। आडवाणी ने इन खातेदारों के नाम उजागर किए जाने की मांग की। भाजपा मुख्यालय पर रविवार को संवाददाताओं से बातचीत में आडवाणी ने कहा कि आर्थिक मंदी के दौर में अमरीका ने स्विस बैंकों से अपने नागरिकों के खातों का खुलासा करने को कहा है। पीएम मनमोहन सिंह को भी लन्दन में होने जा रहे जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान विदेशों में जमा कालेधन का मसला उठाना चाहिए। सरकार ने टालाआडवाणी ने कहा कि उन्होंने जर्मनी में पिछले साल इस बारे में आग्र्रह किया था और प्रधानमंत्री को भी लिखा था। भाजपा नेता ने बताया कि बाद में वित्तमंत्री की ओर से इस मुद्दे पर मिले पत्र में सवाल को टालने की कोशिश की गई। बोले- एक अनुमान के मुताबिक स्विस बैंकों में भारतीय नागरिकों के 500 से 1400 अरब डॉलर तक जमा हैं। आडवाणी ने दावा किया कि इस पैसे को भ्रष्टाचार, अपराध और आतंककारी गतिविधियों के जरिए जुटाया गया है। बोले- अगर यह पैसा आ जाए तो देश का सारा अभाव और पिछडापन दूर किया जा सकता है। साथ ही आडवाणी ने कहा कि वे चुनाव आयोग से उम्मीदवारों को अपने विदेशी खाते उजागर करना अनिवार्य बनाने का आग्रह करेंगे। एक चैनल से इन्टरव्यू में आडवाणी ने पार्टी के उम्मीदवारों से भाषणों में संयम बरतने के लिए कहा है। वरूण पर चुनाव आयोग के सुझाव को लेकर अप्रसन्नता जाहिर की। उग्र हिन्दुत्व के सवाल पर बोले- मीडिया अपने हिसाब से बातों को तोड-मरोड कर पेश कर रही है। कहा, आम चुनाव के बाद तेदेपा और बीजद राजग में लौटेंगे।

Saturday, March 28, 2009

आजा आजा झूठे मूठे वादे के तले....भय हो

भाजपा ने कांग्रेस सरकार की उपलब्धियों से भरे गान "जय" हो की काट में उसकी नाकामियां गिनाने वाली पैरोडी "भय हो" तैयार कराई है। कापीराइट व चुनाव आयोग की अनुमति जैसे झंझटों से बचने के लिए विपक्षी पार्टी आधिकारिक रूप से फिलहाल इस रचना से खुद को अलग रखे हुए है। उसका कहना है कि हैदराबाद से एक समर्थक ने पार्टी के पक्ष में प्रचार के लिए साठ सैकेंड का टीवी कमर्शियल भेजा है। इसके बोल इतने दमदार हैं कि सुनने वाला प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता लिहाजा चुनावी सभाओं में इसे बजाने का मन बनाया गया है। आगे की रणनीति पार्टी प्रबंधन समिति में चर्चा के बाद तय की जाएगी। भाजपा प्रवक्ता व अरूण जेटली की चुनाव प्रबंधन टीम के सदस्य सिद्धार्थ नाथ सिंह की मौजूदगी में आज पार्टी मुख्यालय में मीडिया को कांग्रेस के जय हो की पैरोडी सुनाई गई। शुरूआत टे्रन के एक कंपार्टमेंट से होती है जिसमें चार-पांच यात्री बैठे हैं। उनके बगल में फुटपाथ पर रहने वाले बच्चे हारमोनियम पर भय हो गीत गा रहे हैं जिसके बोल हैं भय हो, भय हो, भय हो....फिर भी जय हो। आजा आजा वोटर इस झांसे के तले... आजा आजा झूठे मूठे वादे के तले....भय हो। सिद्धार्थ नाथ से पत्रकारों ने जानना चाहा कि इसे तैयार कराने में कितनी लागत आई! जवाब मिला कि कोई जानकारी नहीं क्योंकि चुनाव मैदान में इस्तेमाल कर सकने लायक सामग्रियां निरंतर समर्थकों की तरफ से भेजी जा रही हैं। यह कमर्शियल भी इसी तरह उनके पास पहुंचा। इसमें निहित व्यंग्य को देखकर पार्टी ने इस्तेमाल का निर्णय किया है।इसे पहले चुनाव प्रबंधन समिति के सामने रखा जाएगा। वहां हरी झंडी मिली तो देखेंगे कि किस तरह आदर्श आचार संहिता के दायरे में रहते हुए इसे चलाया जाए। उन्होंने यह भी बताया कि सब कुछ ठीक रहा तो एकाध दिन के अंदर इन बच्चों को भी यहां बुलाकर सबसे बात कराई जाएगी। लेकिन, मीडिया को कमर्शियल दिखाने से पहले इन औपचारिकताओं को पूरा करना जरूरी न थाक् इस पर कहा गया कि पैरोडी के लिए ऎसी कोई बाध्यता नहीं है।ऎसा होता तो बहुत से फिल्मी संगीतकार-गायक इसकी जद में घेरे जाएंगे जो आए दिन इधर-उधर से गीतों की कापी करते हैं। इस बीच सूत्रों ने बताया कि इस गीत को तैयार करने वाले और कोई नहीं बल्कि निशीथ शरण हैं जिनकी कंपनी यूटोपिया भाजपा नेताओं की फिल्म- टीवी कमर्शियल बना रही है।

बगावती किरोडी लाल मीणा ने फिर खटखटाया भाजपा का दरवाजा

राजस्थान विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंककर उसके माथे पर शिकस्त की रेखा खींचने में अहम भूमिका निभाने वाले किरोडीलाल मीणा एक बार फिर पुराने घर का दरवाजा खटखटा रहे हैं। हालांकि उनकी पत्नी और विधायक गोलमा देवी गहलोत सरकार में मंत्री पद पर आसीन हैं लेकिन मनचाही लोकसभा सीटों की मांग कर रहे किरोडी को अब तक कांग्रेस से कोरा आश्वासन ही मिला है। इधर, पुरानी गलती से सबक लेते हुए भाजपा उन्हें कुछ ज्यादा महत्व देने का मन बना रही है। यह खबर सूंघते ही किरोडी भी सक्रिय हो गए। सूत्रों के अनुसार पिछले दस-पन्द्रह दिन में उन्होंने दो-चार बडे भाजपा नेताओं से मुलाकात भी की जिनमें महासचिव अरूण जेटली भी शामिल हैं।जेटली का बेशक राजस्थान से सीधा कोई संबंध न हो लेकिन भाजपा के मुख्य चुनाव प्रबंधक होने के नाते टीम आडवाणी के लिए जीत की रणनीति बनाना उन्हीं के जिम्मे है। किरोडी की जेटली से पहली मुलाकात 13 मार्च को केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के रोज बताई गई जिस दिन जेटली ने पहली बार बहिष्कार किया था। सूत्रों ने बताया कि पार्टी महासचिव बैठक में नहीं गए थे किंतु अन्य जिम्मेदारियां बाखूबी निबटाई। इसी बीच किरोडी ने उनसे भेंट की। इसके बाद भी उनके बीच दो-तीन बार बातचीत की खबर है। हार-जीत में निर्णायक मीणा वोटबैंक पर मजबूत पकड रखने वाले किरोडी की आडवाणी-राजनाथ से मुलाकात की पुष्टि तो नहीं हुई लेकिन सूत्रों ने ऎसा दावा किया कि पुराने साथी को लेकर कुछ खिचडी जरूर पक रही है। इस सवाल पर कि किरोडी तो पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष वसुंधरा राजे व प्रदेश अध्यक्ष ओम माथुर को हराने की कसम खाए बैठे हैं। वसुंधरा के अडने के कारण ही उन्हें अपेक्षित विधानसभा सीटें नहीं दी गई थीं जिसके बाद जो कुछ भी हुआ वह इतिहास बन चुका है। भला ऎसे में खुद किरोडी या फिर वसुंधरा एक साथ मैदान में कैसे उतरेंगे! वह भी तब जब गोलमा गहलोत के पीछे खडी हैं! इनका समाधान एक वाक्य से करते हुए सूत्रों ने कहा कि राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं होता। फिर जब मामला आम चुनावों में पार्टी की हार-जीत से जुडा हो तो समझौता किसी भी स्तर तक हो सकता है। इस नाटकीय घटनाक्रम में सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि भाजपा ने अभी तक दस लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी तय नहीं किए हैं जिनमें जयपुर, जयपुर ग्रामीण, सवाई माधोपुर, दौसा व अजमेर जैसी सीटें भी शामिल हैं जिन पर किरोडी हक जता रहे हैं। कांग्रेस नेताओं से बातचीत के दौरान उन्होंने इनके अलावा करौली धौलपुर, भीलवाडा, अलवर, झालावाड-बारां व कोटा पर भी दावा किया था। चूंकि इन सीटों पर भाजपा प्रत्याशी उतार चुकी है इसलिए बच गई सीटों में से कुछ पर सुनिश्चित जीत के लिए उनसे बात हो सकती है। भाजपा की प्रत्याशी सूची एकाध दिन में जारी होने की संभावना है।

टाइटलर राहत मिलने से प्रसन्न

लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को एक बडी राहत मिली है। समझा जाता है कि सीबीआई ने 1984 के सिख विरोधी दंगों से सम्बन्धित एक मामले में मुख्य आरोपी व वरिष्ठ कांग्रेसी नेता जगदीश टाइटलर को क्लीन चिट दे दी है। सीबीआई ने इस मामले की अंतिम जांच रिपोर्ट शनिवार को कडकडडूमा अदालत में पेश की। हालांकि सीबीआई की तरफ से अभी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई है। अदालत दो अप्रेल को इस मामले पर सुनवाई करेगी। सूत्रों के मुताबिक सीबीआई को टाइटलर के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है। सीबाआई ने रिपोर्ट में कहा है कि 1984 के दंगों में अहम गवाह कैलिफोर्निया निवासी जसबीर सिंह के बयानों पर भरोसा नहीं किया जा इस बीच, सीबीआई ने टाइटलर को निर्दोष करार दिए जाने सम्बन्धी सवाल पर टिप्पणी से इनकार कर दिया। सीबीआई प्रवक्ता हर्ष माल ने बताया कि रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राम लाल मीणा के समक्ष रिपोर्ट सौंपी गई। न्यायालय ने अभी इसे देखा भी नहीं है। दो अप्रेल को न्यायाधीश इसे देखेंगे। यह है मामला1984 में इंदिरा गांधी गांधी की हत्या उनके सुरक्षा गार्डो ने कर दी थी। इसके बाद दिल्ली में सिख विरोधी दंगे भडक उठे थे। कांग्रेस के कई नेताओं पर दंगों को भडकाने का आरोप लगा था। इनमें जगदीश टाइटलर का नाम भी सामने आया था।

तेलंगाना के मुद्दे पर कांग्रेस असमंजस में

आंध्र प्रदेश में लगभग सभी दल तेलंगाना को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग के समर्थन में उतर आए हैं। केवल सत्ताधारी कांग्रेस ही अभी तक इस मुद्दे पर अपना पक्ष साफ नहीं कर पाई है। हालांकि राज्य के मुख्यमंत्री वाई.एस.राजशेखर रेड्डी ने मंगलवार शाम संवाददाताओं से कहा कि हमें तेलंगाना के गठन में कोई आपत्ति नहीं है लेकिन हम इस मुद्दे को उठाई गई मांग के अनुसार हल करना चाहते हैं। वहीं टीडीपी अपने पूर्व दृष्टिकोण के ठीक विपरीत अब अलग तेलंगाना राज्य की मांग और इस मांग को लेकर आंदोलन का नेतृत्व कर रही तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के पक्ष में आ खडी हुई है। संभवत: वह अपने चुनावी घोषणा पत्र में भी इस वादे को शामिल करेगी। तेलंगाना क्षेत्र, राज्य विधानसभा में 294 सदस्यों में से 119 सदस्यों को चुन कर भेजता है, जबकि राज्य की 42 लोकसभा सीटों में से 18 सीटें इस क्षेत्र में आती हैं।

गंभीर नहीं महिलाओं के प्रति राजनीतिक दल

महिलाओं के उचित प्रतिनिधित्व और उत्थान की वकालत करने वाले राजनीतिक दलों की बातों में कितना दम है, इसकी एक बानगी बिहार में देखी जा सकती है। इस बार सभी दलों ने टिकट देने के मामले में महिलाओं की अनदेखी की है। अब तक 40 लोकसभा सीटों वाले इस राज्य में महज 13 महिलाएं ही किस्मत आजमाने के लिए चुनावी मैदान में उतरी हैं।राज्य में सत्ताधारी जनता दल-युनाइटेड (जद-यू) ने दो महिलाओं को प्रत्याशी बनाया है तो उसकी सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मात्र एक महिला को ही टिकट दिया है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) तथा लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने दो-दो महिलाओं को अपना उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) महिलाओं की टिकट देने के मामले थोडी बीस साबित हुई हैं। दोनों पार्टियों ने तीन-तीन महिला प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने बिहार में 37 संसदीय सीटों से चुनाव लडने का ऎलान किया है, जिसमें सासाराम, नवादा तथा जहानाबाद संसदीय क्षेत्र से महिलाओं को टिकट दिया गया है। राजद ने बाहुबली मोहम्मद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब को सीवान से और काराकाट से कांति सिंह को टिकट दिया है। लोजपा ने वीणा सिंह को नवादा से तथा रंजीता रंजन को सुपौल से चुनावी मैदान में उतारकर महिलाओं की उपेक्षा करने के आरोप से बचने का प्रयास किया है। राजद के प्रवक्ता श्याम रजक का कहना है कि महिलाओं को राजद उचित प्रतिनिधित्व देने की पक्षधर है और उनकी पार्टी ने अभी सभी 28 सीटों के लिए प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। जद-यू ने दो महिलाओं अश्वमेध देवी (उजियारपुर) तथा मीना सिंह (आरा) को अपना प्रत्याशी बनाया है। जद-यू के प्रवक्ता विजय चौधरी ने कहा कि उनकी पार्टी ने महिलाओं को हर समय आगे बढाने का काम किया है। प्रत्याशी के चयन को इससे जोडकर नहीं देखना चाहिए। भाजपा ने महिला प्रत्याशी के रूप में मात्र शिवहर से रमा देवी को चुनावी मैदान में उतारा है। बसपा ने आरा, औरंगाबाद तथा गया से क्रमश: रीता सिंह, अर्चना चंद्र तथा कलावती देवी को अपना उम्मीदवार बनाया है। उल्लेखनीय है कि राजद 28, लोजपा 12, भाजपा 15, जद-यू 25, कांग्रेस 37 तथा बसपा ने सभी 40 सीटों पर चुनाव लडने का ऎलान किया है। इसमें कांग्रेस और राजद ने अभी सभी प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है।

गुजरात में मतदाता कर सकते है उलटफेर

यदि हार-जीत के अंतर पर भरोसा करें, तो आगामी चुनाव में गुजरात के मेहसाणा, पंचमहाल, दाहोद और वडोदरा के मतदाता उलटफेर कर सकते हैं। गुजरात में पिछले तीन लोकसभा चुनावों के परिणामों और हार-जीत के अंतर के अध्ययन का जो निष्कर्ष निकलता है, वह यही कहता है कि मेहसाणा, पंचमहाल, दाहोद और वडोदरा में इस बार उलटफेर हो सकता है। उलटफेर का तात्पर्य यही है कि पिछले चुनाव-2004 में मेहसाणा में कांग्रेस और पंचमहाल (गोधरा), दाहोद व वडोदरा में भाजपा को मिली जीत 1999 के मुकाबले कमजोर थी। यदि इस कमजोरी को सुधारा नहीं गया, तो 2009 में परिणाम बदल भी सकते हैं। हार-जीत के अंतर के आंकडे यही संकेत करते हैं कि मेहसाणा में कांग्रेस के जीवा पटेल, पंचमहाल में भाजपा के प्रभातसिंह चौहाण, दाहोद में भाजपा के सोमजी डामोर और वडोदरा में भाजपा के बालू शुक्ल के लिए डगर मुश्किल हो सकती है। दरअसल मेहसाणा में जीवा पटेल 1999 में 55 हजार 735 मतों से जीते थे, जबकि 2004 में उन्हें यह जीत महज 14 हजार 611 मतों से मिली। इसी प्रकार गोधरा में भाजपा के भूपेन्द्रसिंह सोलंकी 1999 में 95 हजार 22 मतों से मिली जीत 2004 में 53 हजार 719 मतों तक गिर गई। अब यह सीट पंचमहाल हो गई है और यहां मुख्य मुकाबला केन्द्रीय कपडा मंत्री शंकरसिंह वाघेला व भाजपा के प्रभातसिंह चौहाण के बीच है। दाहोद में 2004 में हार-जीत का अंतर सबसे कम 361 मतों का था। 1999 में भाजपा के बाबू कटारा यह सीट 12 हजार 431 मतों से जीते थे। इस बार भाजपा ने यहां सोमजी डामोर को मैदान में उतारा है। वडोदरा में भी हार-जीत का आंकडा भाजपा के लिए खतरे की घण्टी बना हुआ है। भाजपा की जया ठक्कर 1999 में 92 हजार 6 49 मतों से जीती थीं, लेकिन 2004 में यह अंतर भारी गिरावट के साथ 6 हजार 603 पर आ गया। संभवत: इसीलिए भाजपा ने इस बार ठक्कर का टिकट काट कर महापौर बालू शुक्ल को उम्मीदवार बना दिया। सूरत में भी भाजपा की जीत का अंतर लगातार तीन चुनावों से घट रहा है। हालांकि यह खतरे की घण्टी नहीं लगता। इसके बावजूद पार्टी ने काशीराम राणा का टिकट काट कर दर्शना जरदोश को उम्मीदवार बनाया है। राणा 1998 में 3 लाख 4 हजार 22 मतों से जीते थे, तो 1999 में यह अंतर घट कर 2 लाख 49 हजार 197 और 2004 में 1 लाख 50 हजार 563 रह गया। भाजपा बात समझ न सकी और परिणाम भी भुगतना पडा घटता अंतर वास्तव में किसी भी पार्टी के लिए अगले चुनाव में चेतावनी होता है, लेकिन पिछले चुनाव में भाजपा शायद यह बात समझ न सकी और उसे इसका परिणाम भी भुगतना पडा। भाजपा ने पिछले चुनाव में पांच ऎसी सीटें गंवाई, जहां पिछले दो चुनावों से उसकी जीत का अंतर लगातार घट रहा था या बहुत कम रह रहा था। इनमें जूनागढ भी शामिल है। 2004 के चुनाव में जूनागढ सीट से भाजपा की भावना चिखलिया को हार का सामना करना पडा। चिखलिया 1998 में यहां 90 हजार 311 मतों से जीती थीं और 1999 में जीत का यह अंतर घट कर 46 हजार 848 पर आ गया था। इसी प्रकार जामनगर में चंद्रेश पटेल 1998 में 60 हजार 119 मतों से जीते, तो 1999 में उन्हें 35 हजार 769 मतों से ही जीत मिली। परिणाम यह हुआ कि 2004 में विक्रम माडम के हाथों उन्हें हार का सामना करना पडा। अमरेली में 2004 में दिलीप संघाणी को हार का सामना करना पडा, क्योंकि 1998 में उनकी जीत का अंतर 1 लाख 22 हजार 173 था, जो 1999 में भारी गिरावट के साथ 36 हजार 324 पर आ गया। बनासकांठा में भी 1998 में भाजपा के हरीभाई चौधरी को 84 हजार 755 मतों से जीत मिली, जबकि1999 में उनकी जीत का अंतर 25 हजार 976 रह गया। परिणामत: 2004 में वे हार गए। उधर वलसाड में भी भाजपा संभली नहीं। मणिभाई चौधरी यहां 1998 और 1999 में बहुत कम अंतर से जीते। 98 में उन्हें 17 हजार, 276, तो 99 में 26 हजार 786 मतों से जीत मिली। यही कारण था कि 2004 में चौधरी को किशन पटेल के हाथों हारना पडा।

Friday, March 27, 2009

संकल्प समारोह में उल्टा कमल झंडा!

भारतीय जनता पार्टी के शुक्रवार शाम खोखरा पुल के समीप पंडित दीनदयाल की प्रतिमा के समक्ष आयोजित संकल्प समारोह में प्रतिमा के समीप करीब कमल के 65 झंडे लगाए गए। सुबह से ही चल रही स्टेज बनाने की प्रक्रिया के बीच साज सज्ाा करने वाले कर्मचारियों ने भाजपा के कमल के तीन झंडे उल्टे लगा दिए।सूत्रों के अनुसार दोपहर करीब साढे 12 बजे के करीब वहां से गुजरे एक यात्री ने जब कमल (भाजपा का चुनाव चिन्ह) के झंडे को उल्टे फहराते देखा तो कर्मचारियों का ध्यान आकृष्ट कराया। कर्मचारियों ने तत्काल सभी कार्य छोड पार्टी के झंडे को सीधा किया। यह तीनों ही झंडे दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा के समीप ही लगाए गए थे। तैयारियों के बीच ही गलती ध्यान में आ जाने से कर्मचारी काफी खुश थे। उनका कहना था यदि समारोह के बीच यह ध्यान में आता तो शामत आ जाती।भारतीय जनता पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री पद के घोषित प्रत्याशी लालकृष्ण आडवाणी ने शुक्रवार को पंद्रह हजार रूपए के रंग-बिरंगे फूलों की महक के बीच प्रदेश में अपने चुनावी प्रचार का आगाज किया। कांकरिया फुटबॉल मैदान पर चुनावी जनसभा और खोखरा पुल के समीप पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा के समीप मंच और द्वार पर 15 हजार रूपए के गेंदा, डेजी, लीली के फूल और आसोपालव की माला व बंदनवार लगाए गए। फूलों से साज सज्ाा करने वाले पीयुष परमार ने बताया कि दोनों ही जगह करीब 15 हजार के फूल लगाए गए हैं।

मध्यप्रदेश सुषमा स्वराज का आखिरी पडाव

भाजपा की राष्ट्रीय नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि मध्यप्रदेश उनका आखिरी पडाव है। विदिश उनका स्थायी ठिकाना होगा और भविष्य में वे सभी लोकसभा चुनाव यहीं से लडेंगी। भोपाल स्थित निवास पर शुक्रवार को प्रेस से बातचीत में सुषमा ने कहा कि वे न तो अब बेल्लारी जाएंगी, न हरियाणा और न ही दिल्ली। वे अपने चुनावी जीवन में बहुत घूम चुकी हैं। मप्र की राजनीति में सक्रियता पर उन्होंने दोहराया कि वे न विधानसभा चुनाव लडेंगी और न ही उनकी नजर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है। सुषमा ने दावा किया कि मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ और झारखंड में भाजपा पिछले आमचुनावों से ज्यादा सीटें जीतेगी। इसके अलावा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल हुए तीन नई क्षेत्रीय पार्टियां इंडियन नेशनल लोकदल, असमगढ परिषद और राष्ट्रीय लोकदल से भी सीटों की संख्या बढेगी। लालकृष्ण आडवाणी और राजग फैक्टर दोनों इस बार फायदा देंगे। छोटे दलों का बडी पार्टियों से मोह भंग होने के प्रश्न पर सुषमा ने कहा कि इससे सबसे बडा नुकसान केन्द्र की संप्रग सरकार को है।एक सवाल के जवाब में सुषमा ने यह भी दोहराया कि वे प्रधानमंत्री पद की होड में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा में आडवाणी सबसे वरिष्ठ नेता हैं और वही प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार हैं। संप्रग के घटक दल रोज टूट रहे हैं। घटक दल का हर नेता प्रधानमंत्री बनना चाहता है। यूपीए का नाम तो "असीमित प्रधानमंत्री गठबंधन" (अनलिमिटेड प्राइममिनिस्टर एलायंस) होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस का "जय हो" नारा नहीं चलेगा। संप्रग सरकार के पिछले पांच वर्ष के कार्यकाल की असफलता कांग्रेस को ले डूबेगी। आम चुनाव में तीसरे मोर्चे के असर पर उन्होंने कहा कि यह तो अभी जन्म ही नहीं ले पा रहा है। कभी मायावती तो कभी जयललिता इसे पंक्चर कर देती हैं। पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोसिंह के मसले पर उन्होंने कहा कि पार्टी हाईकमान उन्हें समझा देगा। वरूण गांधी के मुस्लिम विरोधी तथाकथित भडकाऊ भाषण के बारे में पूछे जाने पर सुषमा स्वराज ने कहा कि वरूण ने वरिष्ठ नेताओं को बताया है कि उनके बयान के आधे हिस्से को मीडिया ने तोड-मरोडकर दिखाया है। यदि मीडिया सही है तो वे भी वरूण से असहमत हैं।

सरकार समाजवादी पार्टी के समर्थन के बिना नहीं बन सकेगी।

मुलायम सिंह यादव ने यहां शुक्रवार शाम को कहा कि केन्द्र में भाजपा अथवा कांग्रेस की सरकार समाजवादी पार्टी के समर्थन के बिना नहीं बन सकेगी। उन्होंने कल्याण सिंह और मो.आजम खां को लेकर समाजवादी पार्टी की स्थिति पर जारी चर्चाओं को विराम देने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि कल्याण सिंह के मामले में बात का बतंगड न बनाया जाए क्योंकि वे बाबरी मस्जिद विध्वंस के मामले में अपनी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे चुके थे। उन्होंने कहा कि कल्याण सिंह के मामले में आजम खां के साथ उनकी बातचीत हुई है। मुलायम ने महराजगंज लोकसभा सीट का प्रत्याशी बदलते हुए श्याम नारायण तिवारी की जगह मधुमिता शुक्ला हत्याकाण्ड में सजायाता अमरमणि त्रिपाठी के भाई अजीतमणि त्रिपाठी को प्रत्याशी घोषित किया। मुलायम ने कहा कि अमर सिंह ने आजम खां के बारे में कुछ नहीं कहा है। वे कांग्रेस को राज्य में 17 सीटें देने को तैयार थे, लेकिन कांग्रेस से समझौता नहीं हो सका। मुलायम ने कहा कि फिर भी केन्द्र ने भाजपा और कांग्रेस की सरकार समाजवादी पार्टी के समर्थन के बिना नहीं बन पाई है। उन्होंने कहा कि बिहार में समाजवादी पार्टी चुनाव नहीं लडेगी और उत्तर प्रदेश में लालू प्रसाद तथा राम विलास पासवान अपने प्रत्याशी नहीं उतारेंगे। सपा अध्यक्ष ने कहा कि मायावती लखनऊ में 1500 एकड कीमती जमीन पर कब्जा कर चुकी हैं। अब नई जेल के निर्माण के नाम पर अरबों रूपए की 500 एकड जमीन पर कब्जा करने का उनका इरादा है। इधर, मुलायम सिंह यादव की मौजूदगी में कई नेता सपा में शामिल हो गए। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री डा. राम आसरे कुशवाहा, बसपा के नेता जयभद्र सिंह भाजपा महिला मोर्चा की नेता मंजू मिश्रा, बेगम शबीह कमाल एडवोकेट, पीस पार्टी ऑफ इण्डिया की आसमां सिद्दीकी और कई वकील सपा में शामिल हुए।

वैश्य समुदाय को एकजुट करने की मुहिम

देशभर के वैश्यों को एकजूट करने के लिए हर वर्ष राष्ट्रीय स्तर पर नव वर्ष प्रतिपदा को वैश्य दिवस का आयोजन किया जाएगा। अखिल भारतीय वैश्य महासम्मेलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद गिरीश कुमार सांघी ने शुक्रवार को यहां आयोजित संवाददाता सम्मेलन में इस आशय की घोषणा की। उन्होंने बताया कि इसका उद्देश्य देशभर के वैश्य समुदाय को एक मंच पर लाकर उन्हें अपनी ताकत का अहसास कराना है। राष्ट्रीय हित में सामाजिक व आर्थिक मोर्चे पर असाधारण भागीदारी के बावजूद यह समुदाय कई मामलों में उपेक्षा का शिकार है। कई प्रदेशों में अच्छी-खासी संख्या के बावजूद एकजुटता के अभाव में राजनीतिक दलों की ओर से वैश्य समुदाय को तरजीह नहीं दी जाती है। इसी का परिणाम है कि राजनीति स्तर पर इस समुदाय से जुडी समस्याओं को मंच नहीं मिल पाता है। सांघी ने बताया कि वैश्य दिवस का आयोजन दिल्ली के समानांतर देशभर में किया जा रहा है। अगले चरण में राष्ट्रव्यापी स्तर पर वैश्य स्वाभिमान चेतना यात्रा भी निकाली जाएगी। यात्रा बिहार के बोधगया से शुरू होकर 11 दिन में 46 शहरों में जाएगी।

जदयू साम्प्रदायिक नहीं-लेफ्ट

साम्प्रदायिकता के पैमाने पर मप्र., गुजरात, छत्तीसगढ की आपेक्षाकृत बिहार सरकार को अधिक अंक देकर प्रकाश कारत ने एक तरह से साफ कर दिया कि भाजपा का सबसे पुराना मित्रदल जद-यू उनकी नजर में साम्प्रदायिक नहीं है। बदलते राजनीतिक समीकरणों में वाम-जद-यू के बीच बढ रही नजदीकी की परतें धीरे-धीरे खुलने लगी हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का वरूण गांधी के प्रति हमलावर होना, शरद यादव का लेफ्ट के स्विस बैंक मुद्दे पर साथ खडे होने की घटनाओं को अब सारी स्थितियों से जोडकर देखा जाने लगा है। लोकसभा चुनाव में कभी भी कुछ भी हो सकता है। शरद भी मानते हैं कि चुनाव के वक्त पार्टियों का तथा पार्टी नेताओं का आना-जाना प्रक्रिया का हिस्सा है। क्या यही मिजाज जद-यू भी अपना सकता हैक् इसका शरद ने जिस कूटनीतिक अंदाज में जवाब दिया उससे भविष्य में कुछ भी हो सकने की संभावनाएं बढ जाती हैं। शरद का कहना है कि अभी हम राजग में हैं। भविष्य पर उन्होंने पत्ता नहीं खोला। लेकिन इतना जरूर कहा कि उनके दल की धर्मनिरपेक्षता पर सवाल नहीं उठना बडी बात है। वामदल और जद-यू के बीच राजनीतिक खिचडी पकने की अभी तक छनकर आ रही बातों में अब दम दिखने लगा है। शुक्रवार को माकपा महासचिव प्रकाश कारत ने साम्प्रदायिकता के मामले में भाजपा शासित राज्यों मप्र., छत्तीसगढ, गुजरात को कठघरे में खडा करते हुए बिहार सरकार को जिस तरह से क्लीन चिट दी है उससे भविष्य में कुछ नया खेल होने की संभावनाएं दिखने लगी हैं। आडवाणी को प्रेसिडेंसियल सिंड्रोम हो गया है। यह चुटकी माकपा महासचिव कारत ने लालकृष्ण आडवाणी की मनमोहन सिंह को बहस के लिए दी गई चुनौती पर ली। आडवाणी पर हमले का लेफ्ट कोई भी मौका नहीं छोडता। पत्रकार वार्ता में कारत से जब यह सवाल किया गया तो उन्होंने तपाक से कहा कि आडवाणी को पता होना चाहिए कि यहां लोकसभा चुनाव हो रहा है और भारत में अभी ऎसी व्यवस्था कायम नहीं हुई है। स्विस बैंक के खातेदारों के नाम उजागर करने की लेफ्ट की मांग पर जद (यू) भी साथ आ गया है। माकपा ने एक माह पूर्व इस मामले को उठाते हुए केन्द्र सरकार से यूनाइटेड देशों की तरह स्विस बैंक में जमा भारतीय धन का ब्योरा और जमा करने वालों को नाम सामने लाने की मांग की थी। शुक्रवार को शरद यादव की तरफ से वही मांग उठाए जाने से मामला गरमा सकता है। शरद ने बताया कि इस समय स्विस बैंक में सबसे अधिक धन भारतीयों का है। उनके अनुसार 27 लाख 8 हजार करोड का कालाधन बैंक में जमा है जिसे लाकर जनता के हित में लगाना चाहिए।

सोनिया-मनमोहन के नाम पर मिलेंगे वोट

केन्द्रीय खान मंत्री शीशराम ओला ने दावा किया कि राजस्थान में कांग्रेस टारगेट 25 अवश्य हासिल करेगी। उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार की पांच साल की उपलब्धियां और प्रदेश सरकार के 100 दिन में किए गए फैसलों से राज्य में कांग्रेस की लहर चल रही है। पत्रिका से बातचीत में उन्होंने बताया कि वे रविवार को अपने चुनाव क्षेत्र झुंझुनूं में चुनाव अभियान की शुरूआत करेंगे। इसी दिन वे कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर रणनीति बनाएंगे। उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार द्वारा किसानों के हित में उठाए गए कदम तो उनके प्रमुख मुद्दे होंगे ही, साथ ही प्रदेश स्तर पर किसानों के लिए की गई घोषणाओं को भी वे उठाएंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी के संयुक्त अभियान का पार्टी को निश्चित तौर पर लाभ मिलेगा। प्रदेश में कांग्रेस पूरी तरह से एकजुट है। ओला ने कहा कि उनकी अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मुकाबले विपक्ष के पास कोई नेता नहीं है। इन नेताओं के नाम पर कांग्रेस को बहुमत मिलना तय है। उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री ने पिछले पांच साल में जिस तरह से आम आदमी को लेकर फैसले किए उससे उनकी छवि आम आदमी के बीच उभरी है। किसानों का कर्जा माफी मामला हो, गांवों का विकास हो या रोजगार गारंटी जैसी योजनाएं यह सब ऎसे फैसले हैं जिनका लाभ कांग्रेस को मिलना तय है। ओला ने कहा कि इस समय जो हालात हैं उनमें यह नारा एकदम सही है "भाजपा में दम नहीं, तीसरे मोर्चे में नेता नहीं।" इन दोनों दलों की कमोबेश एक ही स्थिति है। भाजपा अपने अंदरूनी झगडों के चलते तय नहीं कर पा रही है कि क्या करना हैक् आडवाणी अकेले ही ऎसे मुद्दे उठा रहे हैं जिनका कोई मतलब नहीं है। वे अपना कार्यकाल भूल गए और प्रधानमंत्री को कमजोर कह रहे हैं। जबकि मनमोहन सफल प्रधानमंत्री के रूप में उभरे हैं। तीसरा मोर्चा बिना एजेंडे और नेता के चल रहा है।

Thursday, March 26, 2009

गुजरात में भाजपा का प्रचार आज से

भाजपा शुक्रवार से चुनाव प्रचार का शुभारम्भ करेगी। भाजपा की ओर से कांकरिया में आयोजित की जाने वाली पहली जनसभा के मौके पर पार्टी के वरिष्ठ नेता व गांधीनगर सीट से प्रत्याशी लालकृष्ण आडवाणी एवं मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी भाजपा को विजय दिलाने का संकल्प कराएंगे व खुद भी पार्टी को विजय दिलाने का संकल्प लेंगे। जानकारी के अनुसार राज्य मे दूसरे क्रम के प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस सहित कई अन्य पार्टियां अभी तक लोकसभा चुनाव के प्रत्याशी घोषित करने का काम भी पूरा नही कर सकीं। वहीं भाजपा अपने उम्मीदवारों के समर्थन में चुनाव प्रचार के लिए पूरी तरह से तैयार हो गई है। इसकी शुरूआत के रूप में शुक्रवार शाम पौने छह बजे पार्टी के घोषित उम्मीदवार चुनाव का एकजुट होकर मुकाबला करने का संकल्प लेंगे। भाजपा के संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा के समक्ष आयोजित कार्यक्रम में भाजपा के उम्मीदवार व पदाधिकारी विजय संकल्प लेंगे। उसके बाद शाम साढे छह बजे निकट के कांकरिया फुटबाल ग्राउण्ड में भाजपा की पहली चुनावी जनसभा आयोजित होगी। पार्टी के घोषित उम्मीदवारों की एक साथ उपस्थिति में आयोजित की जाने वाली जनसभा में भाजपा अपने प्रत्याशियों के समर्थन में चुनाव प्रचार का शुभारंभ करेगी। सादगी पूर्ण ढंग से प्रचार: भाजपा ने इस बार सादगी पूर्ण तरीके से चुनाव प्रचार की नीति शुरू की है। इसके तहत जहां दीनदयाल की प्रतिमा के निकट सकंल्प कार्यक्रम के लिए उम्मीदवारों व पदाधिकारियों सहित पचास-साठ जनों के लिए सीढी नुमा छोटा मंच बनाया गया है। जिस पर खडे होकर संकल्प करने की व्यवस्था की गई है। वहीं कांकरिया फुटबाल ग्राउण्ड में आयोजित की जाने वाली चुनाव प्रचार की जनसभा के लिए भी सिर्फ आमंत्रितों व नेताओं के लिए मंच बनाया गया है।विशेष सुरक्षाखुफिया विभाग की ओर से मिली सूचना के बाद शहर पुलिस भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी एवं मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की शुक्रवार को यहां प्रस्तावित चुनावी रैली को लेकर विशेष सतर्कता बरत रही है। आडवाणी और मोदी की शुक्रवार को यहां कांकरिया स्थित फुटबॉल ग्राउण्ड में चुनाव सभा है, जिसे देखते हुए पुलिस की ओर से शहर में हर आने-जाने वाले वाहनों की कडाई से जांच की जा रही है। चुनाव सभा को लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। हर संदिग्ध गतिविधि पर पूरी नजर रखी जा रही है। बम निरोधक दस्ता एवं विशेष सुरक्षा दल जांच कर रहा है। केन्द्रीय खुफिया विभाग ने राज्य खुफिया विभाग को सूचना दी है कि भारतीय जनता पार्टी के नेता लालकृष्ण आडवाणी एवं मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आतंककारियों के निशाने पर हैं। जहां तक संभव हो उनकी रैली या सभा को आयोजित करने से रोका जाए। जरूरी होने पर उनके रैली या सभा स्थलों पर विशेष सुरक्षा मुहैया कराई जाएगा।

सियासी समीकरण बदल यूपी में

यूपी की हवा में लोकसभा चुनाव को लेकर परिवर्तन के मामले में गंध नहीं है, लेकिन अन्दर ही अन्दर सियासी समीकरण बदल रहे हैं। सपा और बसपा में मुस्लिम वोटों के लिए जबरदस्त जोर आजमाइश चल रही है। यूपी के पूर्वांचल, पश्चिम और रूहेलखण्ड में कई सीटों पर मुस्लिम असरकारी है। मुस्लिम और यादव गठजोड के बूते पर ही समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव सत्ता पर काबिज हुए थे। इसके बाद करीब डेढ दशक की लम्बी पारी पूरी कर अब मुलायम सिंह राजनीति में नए प्रयोग कर रहे है। उन्होंने मुस्लिम वोट बैंक की परवाह न करते हुए पिछले वर्ष परमाणु करार के मुद्दे पर कांग्रेस के नेतृत्व में वाली केन्द्र की यूपीए सरकार को समर्थन दिया था। इसी मुद्दे पर बसपा नेता मायावती ने करार का पुरजोर विरोध करते हुए मुस्लिम वोट बैंक को अपने पक्ष में मोडने का प्रयास शुरू कर दिया था। मुलायम ने मायावती के इस रूख की कोई परवाह नहीं की और इसके बाद फिर एक नया प्रयोग करते हुए भारतीय जनता पार्टी छोडने वाले रामजन्मभूमि आन्दोलन के नायक और बाबरी मस्जिद विध्वंस के मामले में अभियुक्त कल्याण सिंह से दोस्ती की और उनके पुत्र राजवीर को पार्टी में राष्ट्रीय महासचिव बनाया। मुलायम ने प्रदेश के तीन से चार फीसदी लोध वोट अपने पक्ष में करने के लिए यह प्रयोग किया। कल्याण सिंह चूंकि स्वयं लोध है इसलिए मुलायम को उम्मीद है कि प्रदेश का लोध मतदाता उनके पक्ष में मुडेगा। कल्याण सिंह से दोस्ती के कारण कई मुस्लिम नेता मुलायम की पार्टी छोडकर बहुजन समाज पार्टी में चले गए। उधर, मायावती मुस्लिम वोट बैंक को अपने पक्ष में करने के लिए कभी राष्ट्रीय मुस्लिम सम्मेलन आयोजित करती हैं और कभी दलित, मुस्लिम और ईसाई को आरक्षण दिलाने का वायदा करती है। हालत यह है कि सपा और बसपा के बीच मुस्लिम वोट बैंक का बंटवारा कितना-कितना होगा निश्चित तौर पर कोई नहीं बता सकता। बहरहाल कांग्रेस ने भी अपने से नाराज मुस्लिम मतदाता को मनाने के प्रयास जारी रखते हुए बार-बार दोहराया है कि बाबरी मस्जिद विध्वंस के मामले में अपनी जिम्मेदारी को लेकर कांग्रेस माफी मांग चुकी है, लेकिन मुस्लिम नेतृत्व इस बात पर मौन ही है कि उसने कांग्रेस को माफी दी है या नहीं। अब चुनाव ही बता सकता है कि कितना मुस्लिम कांग्रेस के पक्ष में गया है। समाजवादी पार्टी की तरह ही इस बार राष्ट्रीय लोकदल ने भी मुस्लिम वोट बैंक की परवाह नहीं की है और भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबन्धन कर लिया है। रालोद के भाजपा के इस गठबन्धन के विरोध में रालोद के मुस्लिम नेता पलायन कर गए। रालोद का प्रभाव क्षेत्र पश्चिमी यूपी है और वहां भी मुस्लिम मतदाता असरकारक होने के कारण उसे मुस्लिम भावनाओं का ध्यान रखना होता था। लेकिन इस बार लोकदल ने इस बात की परवाह नहीं की और भाजपा के साथ गठजोड कर लिया।

पीएमके ने थामा अन्नाद्रमुक का हाथ

अमावस्या" को किसी भी महत्वपूर्ण कार्य के लिए "शुभ" मानने वाले तमिलनाडु के राजनेताओं ने इसी दिन गुरूवार को चुनावी गठबंधन संबंधी अपनी स्थिति को पूरी तरह से साफ कर दिया। हालांकि इस "शुभ" दिन पर होने वाला कोई भी निर्णय कांग्रेस और द्रमुक गठबंधन के लिए शुभ नहीं रहा। तमिलनाडु में यूपीए गठबंधन की सभी उम्मीदों पर पानी फेरते हुए पीएमके ने यूपीए गठबंधन को "तलाक" देकर अन्नाद्रमुक का दामन थाम लिया। पीएमके ने गुरूवार को अपनी गठबंधन संबंधी स्थिति को साफ कर दिया है। आठ साल के लम्बे अंतराल के बाद अन्नाद्रमुक का दामन थामने की "औपचारिक" घोषणा भी पीएमके की आम परिषद की बैठक के बाद कर दी गई।बैठक में पीएमके के यूपीए और अन्नाद्रमुक में से किसी एक को चुनने के लिए पार्टी के सदस्यों से वोट देने को कहा गया। बताया गया है कि बैठक में शामिल 2,453 लोगों ने अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन का पक्ष लिया जबकि यूपीए के साथ गठबंधन चाहने वाले केवील 117 सदस्य ही रहे। पार्टी के दस सदस्यों ने इस मामले में किसी का पक्ष न लेने का निर्णय लिया। हालांकि पार्टी की बैठक से पहले ही पीएमके संस्थापक एस. रामदास ने बुधवार को द्रमुक पर आरोपों की झडी लगाकर यह साफ कर दिया था कि उनका यूपीए गठबंधन में शामिल होने का कोई इरादा नहीं है। उल्लेखनीय है कि अन्नाद्रमुक की तरफ से पीएमके को सात लोकसभा सीटों और एक राज्यसभा सीट का प्रस्ताव दिया गया था, जबकि द्रमुक गठबंधन पीएमके को एक राज्यसभा सीट के साथ 6 लोकसभा सीटें ही देने को तैयार था। लोकसभा चुनाव के लिए अपने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी करने के साथ ही डीएमडीके संस्थापक विजयकांत ने अकेले ही चुनाव लडने की "औपचारिक" घोषणा भी कर दी है। विजयकांत के प्रत्याशियों की पहली सूची में मा फोई फाउंडेशन मैनेजमेंट कंसल्टेंट्स के संस्थापक पांडीय राजन भी शामिल हैं, जो विरूदुनगर निर्वाचन क्षेत्र से डीएमडीके के टिकट पर चुनाव लडेंगे। डीएमडीके की स्थापना के बाद अन्नाद्रमुक छोडकर डीएमडीके में शामिल होने वाले तत्कालीन राज्यसभा सदस्य एस. आस्टिन को पार्टी ने कन्याकुमारी से टिकट दिया है। डीएमडीके प्रत्याशियों की पहली सूची में कुल 9 लोगों के नाम शामिल हैं।

कांग्रेस को याद आया महिलाओं का 33 प्रतिशत आरक्षण

चुनावी मौसम में कांग्रेस को महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने की याद एक बार फिर आ गई। कांग्रेस ने वादा इस तरह से किया कि इस चुनाव में कम से कम उसका लाभ मिल सके। कांग्रेस प्रवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि 16 वीं लोकसभा में 33 प्रतिशत महिलाएं संसद पहुंचेंगी। यह हक उन्हें कांग्रेस दिलाएगी। इस वादे के साथ कांग्रेस ने गुरूवार को भाजपा को तो निशाने पर लिया ही साथ ही अपने पुराने साथी तीसरे मोर्चे को भी नहीं छोडा। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि वामदल जो तीसरे मोर्चे की अगुवाई कर रहे हैं। उनके पास न तो कोई एजेंडा है और न ही कोई नेता है। तेलगुदेशम को साथ लेने वाले यही वामदल पहले उसकी बुराई करते थे। कांग्रेस ने कहा कि यह मौकापरस्त गठबंधन है। न कोई नीति है न कोई सिद्वांत।यहां तक कि इनका प्रधानमंत्री कौन होगा, इसका भी पता नहीं है। सिब्बल ने कहा कि कांग्र्रेस ने इस बात प्रधानमंत्री घोषित कर दिया है, पहले के बारे में वे कुछ नहीं कहेंगे। राजग के बारे में उन्होंने कहा कि उस के साथी साथ छोड कर चले गए। अब नाम मात्र का राजग रह गया है। संप्रग के बिखरने पर सिब्बल सिर्फ इतना कह पाए कि ऎसा नहीं हैं। संप्रग अब भी बरकरार है और चुनाव बाद सब सामने आ जाएगा। ये पूछे जाने पर कि लालू, पासवान यहां तक तमिलनाडु में भी बिखराव हो रहा है उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कहा कि सब को चुनाव लडने की आजादी है।

जॉर्ज का भाजपा सहारा टूटा

संप्रग के बिखराव पर प्रसन्न हो रही भाजपा अपने घर में मचे घमासान को थामने में बेबस है। राजग के संयोजक रहे जार्ज फर्नाडीस को उनकी पार्टी जद (यू) ने मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट से फिर लडाने से इनकार कर दिया तो भाजपा ने भी पल्ला झाड लिया। वर्षो पुराने संबंधों की दुहाई देते हुए जार्ज ने भरोसा जताया था कि वे निर्दलीय लडेंगे और भाजपा उनका साथ देगी परंतु वे गलत थे। पार्टी प्रवक्ता बलबीर पुंज ने दो-टूक कहा कि भाजपा का गठजोड जद (यू) के साथ है इसलिए पार्टी उसके प्रत्याशी का ही समर्थन करेगी। इधर, जद (यू) जार्ज पर नरम पडने को कतई तैयार नहीं। दिल्ली आए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नए सिरे से सफाई देते हुए कहा कि जद (यू) ने कभी भी जार्ज का टिकट नहीं काटा। उन्हें नहीं लडाने का फैसला सिर्फ खराब स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर किया गया। वे इस हाल में नहीं हैं कि लोकसभा चुनाव लड सकें।अगर जार्ज ने निर्दलीय लडने का दम भरा है तो इसके पीछे लालू की पार्टी राजद का हाथ है। राजद उन्हें उकसा रही है ताकि जद (यू) के चुनावी नतीजे प्रभावित हो सकें। भाजपा महासचिव और बिहार के प्रभारी अरूण जेटली जार्ज से सहानुभूति तो रखते हैं, लेकिन इस फैसले में वे नीतीश के साथ हैं। उन्होंने कहा कि लोग स्वार्थवश उन्हें बहका रहे हैं जबकि उन्हें राज्यसभा सांसद बनाने का आश्वासन दिया था।नीतीश ने केंद्र में आडवाणी के नेतृत्व में राजग की सरकार बनने का दावा करते हुए कहा कि जद (यू) की कांग्रेस से सांठ-गांठ की बात बेमानी है। उनकी पार्टी के लिए सिर्फ एक विकल्प है वह राजग। वामपंथी सांसद सीताराम येचुरी की जद (यू) अध्यक्ष और राजग के सह संयोजक शरद यादव से मुलाकात को गंभीरता से न लेते हुए उन्होंने कहा कि उनकी अक्सर मुलाकात होती है। जहां तक सवाल लालू-पासवान और मुलायम की दोस्ती का है तो लगातार लडने वाले साथ हो रहे हैं, यह तमाशा भी देख लीजिए। बिहार में बिखरा हुआ संप्रग राजग को कोई टक्कर नहीं दे सकेगा।इससे पहले भाजपा प्रवक्ता ने भी राजग की मजबूती का दावा करते हुए कहा कि लालू-पासवान-मुलायम के बाद आज पीएमके ने भी कांग्रेस से नाता तोड लिया जबकि भाजपा का सात राज्यों में गठजोड बरकरार है। चुनावी बेला में कांग्रेस का अलग-थलग पडना उसके नतीजों को प्रभावित करेगा।

नेता के पुत्र-पुत्री नहीं अपितु अच्छा कार्यकर्ता ही भाजपा की पहचान

भाजपा में नेता पुत्र और पुत्रियों का भविष्य अच्छा नहीं। लोकसभा अथवा विधानसभा का टिकट चाहिए तो पहले खुद को साबित करना होगा। पार्टी के आम कार्यकर्ता की भांति वर्षो मेहनत करेंगे तब उनके नाम पर विचार किया जाएगा। सिर्फ बडे नेता का बेटा या बेटी होने का कारण पैरवी करने वालों का वैसा ही हश्र होगा जैसा दिल्ली में प्रवेश साहिब सिंह वर्मा और महाराष्ट्र में पूनम महाजन का हुआ। नेता पुत्र और पुत्रियों को संगठन को मजबूत बनाने वाले पार्टी कार्यकर्ता पर तरजीह देने की सोच के खिलाफ आवाज उठाने वाले भाजपा महासचिव और प्रमुख रणनीतिकार अरूण जेटली हैं।सूत्रों के अनुसार, साहिब सिंह के बेटे प्रवेश वर्मा ने अनुनय-विनय से लेकर धरना प्रदर्शन के जरिए दबाव बनाने की कोशिश की, लेकिन टिकट नहीं ले सके। पार्टी ने पश्चिमी दिल्ली सीट से साहिब के उत्साही बेटे के बजाए अनुभवी जगदीश मुखी पर भरोसा करना पसंद किया। इसके बाद महाराष्ट्र में उत्तर-पूर्वी मुंबई सीट पर प्रमोद महाजन की बेटी पूनम महाजन को लेकर खींचतान शुरू हो गई। पूनम के लिए दबाव बनाने का काम महासचिव गोपीनाथ मुंडे कर रहे थे जो रिश्ते में उनके फूफा लगते हैं जबकि प्रदेश अध्यक्ष नितिन गडकरी पार्टी सांसद किरीट सोमैया के पीछे खडे थे। मुंडे ने महाजन के योगदान की दुहाई देकर जबर्दस्त माहौल बनाया, लेकिन चल न सकी। फैसला सोमैया के पक्ष में हुआ और वे पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार घोषित कर दिए गए। महाराष्ट्र में सीधा दखल न होने के बावजूद सूत्रों ने बताया कि जेटली ने इस निर्णय में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने पार्टी से जुडे व अन्य क्षेत्रों के तमाम लोगों से मुंबई बात कर किरीट और पूनम के बीच तुलनात्मक छानबीन की।अधिकांश ने पूनम को यह कहकर खारिज कर दिया कि लंबे समय से किरीट पार्टी के लिए जी-जान से लगे हुए हैं लिहाजा दोनों का कोई जोड ही नहीं है। इसके बाद जेटली ने पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह और शीर्ष नेता लालकृष्ण आडवाणी के सामने लोगों की यह राय रखी, नतीजा सबके सामने है। अब, तीसरा मामला राजस्थान से आ रहा है। राज्य की जयपुर लोकसभा सीट से सांसद रहे गिरधारी लाल भार्गव के निधन के बाद उनके बेटे मनोज आगे आए हैं। नेता प्रतिपक्ष वसुंधरा राजे, प्रदेश अध्यक्ष ओम माथुर आदि के सामने अर्जी लगाने के बाद वे बुधवार को जेटली के पास दिल्ली आए।

Wednesday, March 25, 2009

तमिलनाडु में परिसीमन ने राजनीतिक दलों की नींद उडा दी

परिसीमन ने राजनीतिक दलों की नींद उडा दी है। परिसीमन के चलते कई लोकसभा क्षेत्र प्रभावित हुए हैं। कई नए क्षेत्र बनाए गए हैं तो कई समाप्त कर दिए गए हैं। तमिलनाडु में शहरी आबादी तेज गति से बढ रही है। ग्रामीण इलाकों से शहरों में भागने की प्रवृत्ति के चलते शहरी इलाकों में नए सीमांकन का असर भी दिखा है और वहां लोकसभा क्षेत्रों की संख्या भी बढी है। उधर ग्रामीण इलाकों में कई क्षेत्र समाप्त करने पडे हैं या फिर शहरी क्षेत्र में मर्ज कर दिए गए हैं।परिसीमन के बाद कई लोकसभा क्षेत्रों में बदलाव हुआ है। कई क्षेत्र जहां समाप्त कर दिए गए हैं तो कई नए उदित हुए हैं। परिसीमन के बाद से राजनीतिक दलों को समझ में नहीं आ रहा है कि वे इसका गणित किस तरह बिठाएं। मौजूदा सांसद पिछला चुनाव जिस क्षेत्र से जीतकर आए थे, उनके लिए भी इस बार स्थितियां अलग हैं। उन्हें अब अपना क्षेत्र ढूंढना पड रहा है। कई इलाके हटा देने तथा कई नए इलाके जोड देने के चलते चुनाव में खडे होने वाले संभावित उम्मीदवार अब तक अपने क्षेत्र की नाप-जोख करने में ही जुटे हैं। तमिलनाडु में 39 लोकसभा क्षेत्र हैं। परिसीमन के बाद सभी क्षेत्रों को लगभग बराबर करने की कवायद की गई है। इससे पहले कोई लोकसभा क्षेत्र बहुत बडा था (मतदाताओं की संख्या के आधार पर) और कोई बहुत छोटा। परिसीमन के आधार पर एक संतुलन कायम हुआ है। दक्षिण चेन्नई लोकसभा क्षेत्र वर्ष 2004 के चुनाव के अनुसार प्रदेश में सबसे बडा लोकसभा क्षेत्र था यहां उस समय दो मिलियन से भी अधिक मतदाता थे। अब परिसीमन के बाद यहां मतदाता करीब 10 लाख ही रह गए हैं। तमिलनाडु देश का ऎसा राज्य है जहां शहरी आबादी अन्य राज्यों की अपेक्षा ज्यादा है। वर्ष 2001 के आंकडों के अनुसाार इसकी कुल आबादी 6.21 करोड में से 2.72 करोड आबादी शहरों में निवास कर रही है। शहरी आबादी अधिक होने के चलते परिसीमन के बाद शहरी इलाकों में लोकसभा क्षेत्र की संख्या जहां बढ गई वहीं ग्रामीण इलाकों में कम हो गई। चेन्नई एवं इसके आसपास के जिले कांचीपुरम तथा तिरूवल्लूर में कई औद्योगिक इकाइयां हैं। इसके चलते यहां आबादी बढी है। परिसीमन के बाद यहां दो नए लोकसभा क्षेत्र अस्तित्व में आ गए। इनमें एक नया क्षेत्र तिरूवल्लूर (आरक्षित) बनाया गया। इसमें आवडी, माधावरम, पूंदमल्ली, गुम्मिुडीपुडी, तिरूवल्लूर एवं पुन्नेरी शामिल किए गए हैं जबकि वर्ष 2004 में हुए चुनाव के समय तिरूवल्लूर श्रीपेरम्बुदूर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा था।श्री पेरम्बुदूर अनूसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है। इस क्षेत्र में ताम्बरम, पल्लावरम, आलंदूर, अम्बत्तूर, मदुरावाइल एवं श्रीपेरूम्बुदूर शामिल किए गए हैं। तिरूपुर वर्ष 1980 में एक छोटा कस्बा था और कोयम्बत्तूर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा था। हाल ही तिरूपुर को जिला मुख्यालय का दर्जा दिया गया है। अब यह अलग लोकसभा क्षेत्र हो गया है। इसी प्रकार पुदुकोट्टै जो जिला मुख्यालय भी है, लेकिन यहां कोई लोकसभा क्षेत्र नहीं है।

कैलाश जोशी ने संन्यास लेने का मन बना लिया

15वीं लोकसभा के लिए भोपाल संसदीय सीट का चुनाव पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी का अंतिम आम चुनाव होगा। इसके बाद उन्होंने संन्यास लेने का मन बना लिया है।भाजपा में पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के बाद जोशी दूसरे ऎसे दिग्गज हैं जिन्होंने इस तरह की घोषणा की है। गौर ने विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद घोषणा की थी, जबकि जोशी ने लोकसभा चुनाव से पहले अपनी मंशा जाहिर की है। उन्होंने कहा है कि वे संगठन के साथ जुडे रहेंगे। अपने आखिरी चुनाव को लेकर जोशी बेहद गंभीर हैं। रिकॉर्ड जीत के साथ वे पारी समाप्त करना चाहते हैं। इसलिए उन्होंने टिकट की घोषणा के बाद से ही कार्यकर्ताओं से मिलना-जुलना प्रारंभ कर दिया। बुधवार को उन्होंने रोड-शो प्रारंभ कर दिया। इस दौरान उनकी आवाज में टेप कैसेट भी बजाया जाता है। जोशी सुबह से दोपहर एक बजे तक और शाम को चार बजे से रात तक सघन जनसंपर्क कर रहे हैं। कैलाश जोशी बागली विधानसभा से आठ बार विधायक रह चुके हैं। भोपाल संसदीय सीट से वे एक बार सांसद चुने गए। जोशी 23 जून 1977 से 18 जनवरी 1978 तक मुख्यमंत्री रहे। जोशी के पुत्र व हाटपिपल्या से विधायक दीपक जोशी की भी ख्वाहिश है कि उनके पिता अपने अंतिम चुनाव में भरपूर कामयाबी हासिल करें। इसके लिए वे भी पूरी तरह जुटे हुए हैं और प्रचार में सहयोग कर रहे हैं। पिता और कार्यकर्ताओं के बीच वे सेतु बन गए हैं।

अमर के बयानों से नाराज है रालोद

समाजवादी पार्टी के नेता अमर सिंह के बयान से राष्ट्रीय लोकदल के नेता नाराज हो गए हैैं। इसके पीछे सपा के राष्ट्रीय महासचिव अमर सिंह का वह बयान है जिसमें उन्होंने कहा है कि मथुरा लोकसभा सीट पर चौधरी अजीत सिंह के पुत्र जयन्त चौधरी को हराने के लिए पार्टी ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है। उल्लेखनीय है कि समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल मिलकर चुनाव लड चुके हैं। अमर सिंह के बयान पर रालोद के राष्ट्रीय महासचिव और विधान परिष्ाद सदस्य मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि यादव को चौ. चरण सिंह के उपकारों को नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने कहा कि वषग् 1980 में जब मुलायम सिंह चुनाव हार गये थे तो चौ. चरण सिंह ने उन्हें प्रदेश लोकदल का अध्यक्ष और विधान परिषद में प्रतिपक्ष का नेता भी बनाया था।अजीत सिंह ने मुलायम को मुख्यमंत्री बनाने में मदद की थी। अब अमर सिंह जिस तरह के बयान दे रहे हैं उनसे रालोद के नेताओं और कार्यकर्ताओं को तकलीफ हुई है। चौहान ने कहा कि सपा और बसपा मिले हुए हैं इसलिए सपा ने बसपा को लाभ पहुंचाने के लिए मथुरा सीट पर अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है। इसी तरह वाराणसी से भाजपा विधायक अजय राय को तोडकर वाराणसी लोकसभा सीट से खडा किया है इससे भी बसपा को लाभ होगा। मुजफरनगर और गाजियाबाद में भी इसी तरह से सपा की चालें चल रही हैं और वहां प्रत्याशी नहीं खडे किए जा रहे हैं। सपा और बसपा के शासन में भ्रष्टाचार और अपराधीकरण को बढावा दिया है।

हिमाचल की वादियों में पडा था पहला वोट

हिमाचल प्रदेश में चिन्नी तहसील के निवासियों ने आजाद भारत के इतिहास में सबसे पहले मतदान किया था। यहां के मतदाताओं को जनवरी 1952 में हुए देश के पहले आम चुनाव से तीन महीने पहले ही वोट डालने का अवसर मिल गया था क्योंकि इसके बाद सर्दियों की बर्फबारी के कारण यह घाटी शेष दुनिया से कट जाया करती थी।चिन्नी तहसील के गांवों का नाता तिब्बत के पंचेम लामा से था। चुनाव रिकार्डो से पता चलता है कि चिन्नी के ग्रामीणों ने इस मतदान को उत्सव की तरह मनाया था। सन 1952 के चुनावों की रिपोर्टो से यह भी पता चला है कि पहले आम चुनाव में जनता और राजनीतिज्ञ दोनों ने ही अमन और कानून के पालन की प्रवृत्ति का परिचय दिया था। दिलचस्प मामले सामने आएपहले आम चुनाव में मतदान प्रक्रिया से जुडे 1250 मामले सामने आए थे और इनमें भी 100 मामले ऎसे थे जिनमें मतदान बूथ के आसपास प्रचार करने के दिलचस्प मामले थे। इन मामलों में गायों पर पार्टी का चुनाव चिन्ह पेंट कर उन्हें मतदान केंद्रों के आसपास छोड दिया गया था। इस आम चुनाव में फर्जी मतदान के 817 मामले तथा मतपत्र बाहर लेकर 106 मामले सामने आए थे। इन चुनावों में कांग्रेस ने 489 संसदीय सीटों में से 364 सीटें जीत लीं और राज्य विधानसभाओं की 3280 सीटों में से 2247 सीटों पर विजय हासिल की।



वासनिक के लौटते ही शेष सीटों का फैसला

राजस्थान की बची हुई सात सीटों पर जातिगत आधार पर प्रत्याशियों का चयन कांग्रेस के लिए आसान नहीं दिख रहा। बची सीटों में से दो आरक्षित हैं, बाकी पांच में से पार्टी को अभी कम से कम दो पर जाट, एक मुस्लिम, एक पर यादव को टिकट देना है। केंद्रीय मंत्री नमोनारायण मीणा के टिकट का फैसला और राज्य में कांग्रेस को समर्थन दे रहे किरोडीलाल मीणा को भी इन्हीं सीटों पर संतुष्ट करना है। सूत्रों की मानें तो अब इन सभी सीटों का फैसला कांग्रेस अध्यक्ष पर छोड दिया गया है। प्रदेश प्रभारी पार्टी महासचिव मुकुल वासनिक के दिल्ली से बाहर होने के चलते घोषणा में देरी हो रही है।वासनिक को पार्टी ने इस बार महाराष्ट्र के रामटेक सुरक्षित से मैदान में उतारा है। टिकट मिलते ही वे अपने चुनाव क्षेत्र में रवाना हो गए। ऎसे संकेत हैं कि वे शुक्रवार तक वापस आएंगे।उनके आने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष उनके साथ विचार विमर्श कर नामों को हरी झंडी दे देंगी। राजस्थान की दौसा, सवाईमाधोपुर -टोंक, कोटा, जयपुर ग्रामीण, सीकर, चूरू और करौली-धौलपुर का फैसला किया जाना है। जो संकेत मिल रहे हैं उनके अनुसार जाटों का दावा सीकर, चूरू और जयपुर ग्रामीण पर है। जाटों को नाराज करने का खतरा पार्टी लेने के मूड में नहीं है।ऎसा माना जा रहा है कि इनमें से दो पर जाट प्रत्याशियों को टिकट मिल सकता है। किरोडीलाल मीणा के साथ बात नहीं बनती है तो सवाईमाधोपुर से फिर किसी मुस्लिम को मौका दिया जा सकता है वरना फिर अन्यत्र सीट पर एडजस्ट किया जाएगा। इनमें सीकर का नाम लिया जा रहा है। दौसा से नमोनारायण मीणा के नाम की ही चर्चा है।तीन ब्राह्मणों को टिकट दिए जाने के बाद कोटा से किसी नए चेहरे को मौका दिए जाने के संकेत हैं। धौलपुर- करौली का फैसला भी मीणा के साथ जुडा है। बात बनती है तो ठीक वरना यहां से खिलाडी बैरवा का नाम रेस में सबसे आगे चल रहा है। यादव समुदाय के लिए जयपुर ग्रामीण ही सीट बच पा रही है। जाटों के दावे के साथ इस सीट पर मौजूदा सांसद करण सिंह यादव भी दावा कर रहे हैं। उनके समर्थन में यादव महासभा ने नेताओं से मिल उनकी पैरवी भी की है। पार्टी के सामने दो दुविधाएं हैं, एक तो मीणा को संतुष्ट करने की, दूसरी किस जाति को कहां फिट करे।

कांग्रेस ने भाजपा पर हमले तेज कर दिए

आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस ने भाजपा पर हमले तेज कर दिए हैं। कांग्रेस के निशाने पर भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार लालकृष्ण आडवाणी और उसकी साम्प्रदायिक नीति है। इसके साथ ही पत्रकारों की तरफ से सवाल दागे जाने के बाद वरूण गांधी छाए रहते हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी भले ही वरूण पर सीधे बोलने से बच रहे हैं लेकिन पार्टी को सवाल पूछे जाने पर बोलना ही पड रहा है।कांग्रेस की तरफ से लोकसभा चुनाव के लिए बुधवार को प्रवक्ता के रूप में अश्वनि कुमार ने मोर्चा संभाला। कुमार ने आते ही पार्टी के घोषणा पत्र को लेकर भाजपा की तरफ से उठाए सवालों पर भाजपा की नीतियों की जमकर आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि ये शक्तियां देश को बांटने का काम कर रही हैं। भाजपा के पास कोई मुद्दा नहीं इसलिए वह चुनाव को साम्प्रदायिक रंग देने में लगी है। इसके बाद पत्रकारों ने वरूण को लेकर कई सवाल कर दिए। कांग्रेस अपनी तरफ से गिरफ्तारी की मांग से बची। कांग्रेस ने कहा कि अदालत अपना काम कर रही है। जहां तक चुनाव आयोग का सवाल है तो उस पर किसी प्रकार की अंगुली नहीं उठाई जा सकती है। संवाददाता सम्मेलन में वरूण को लेकर जिस तरह से सवाल दागे गए उससे कांग्रेस परेशानी में दिखी, हालांकि कांग्रेस ने अपनी तरफ से यही जताने की कोशिश की कि भाजपा का बांटने का एजेंडा चुनाव में नहीं चल पाएगा।

Tuesday, March 24, 2009

मनमोहन सिंह सटोरियों के हॉट फेवरिट

कौन-सी पार्टी केंद्र में आएगी, कौन-सा नेता प्रधानमंत्री के आसन पर बैठेगा और कौन-सा नेता चुनाव जीतेगा, ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जिन्हें लेकर सट्टेबाजी तेजी पकड़ रही है। फिलहाल बाजार में जो भाव चल रहा है, उसके मुताबिक यूपीए और मनमोहन सिंह सटोरियों के हॉट फेवरिट बने हुए है और इन दोनों का भाव सबसे मजबूत चल रहा है। जहां तक केंद्र में सरकार बनाने की बात है, तो यूपीए का भाव इस वक्त 2 से 2.50 रुपये के बीच चल रहा है। इसकी तुलना में एनडीए का भाव फिलहाल 4 से 4.50 रुपये के आसपास है। थर्ड फ्रंट इन दोनों से काफी पीछे है। उसका भाव 8 से 8.50 रुपये के बीच ही है। बता दें कि जिस कैंडिडेट या पार्टी का कम भाव लगता है, वह उतना ही ज्यादा मजबूत होता है। सटोरियों की नजर में पीएम की दौड़ में फिलहाल मनमोहन सिंह सबसे आगे हैं। उन पर सटोरियों ने 1.50 रुपये का दांव लगा रखा है। एनडीए के पीएम उम्मीदवार लाल कृष्ण आडवाणी पर दांव 5 रुपये का लग रहा है। थर्ड फ्रंट में मायावती पर 10 रुपये का दांव लग रहा है। इस सूची में शरद पवार भी थे, मगर पीएम की दौड़ में खुद को अलग करने के बाद उन पर दांव लगना बंद हो गया है। उनका भाव करीब 8 रुपये का था। सटोरियों के अनुसार 'भाव' राजनीतिक घटनाक्रम के साथ बदलते रहते हैं। एनडीए के कुछ घटक दलों द्वारा इससे किनारा कर लेने से एनडीए के दाम काफी गिर गए थे, लेकिन अब इसमें कुछ तेजी आ रही है। वरुण गांधी मामले के बाद हिंदुत्व के नाम पर बीजेपी का आक्रामक रुख सामने आया है। अगर बीजेपी इसे और भुनाएगी तो इसके दाम में और मजबूती आ सकती है। सटोरियों के अनुसार, इससे बीजेपी के पक्ष में हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण में इजाफा हो सकता है। भाव के मामले में यूपीए और एनडीए में इतना फासला क्यों? सटोरियों का कहना है कि आज की तारीख तक यूपीए गठबंधन, एनडीए से बेहतर है। बेशक लालू और अमर सिंह ने कांग्रेस के साथ गठबंधन को पूरी तरह सफल करार नहीं दिया है, लेकिन फिर भी इसे असफल नहीं कहा जा सकता। उधर एनडीए के साथ ऐसी बात नहीं है। जिन पार्टियों ने उसे छोड़ दिया है, उनके चुनाव परिणाम के बाद भी लौटने की संभावनाएं कम हैं। यही वजह है कि एनडीए को लेकर बाजार पसोपेश में है। एक सटोरिये ने बताया कि बाजार की स्थिति हर दिन बदलती रहती है। हो सकता है, कल एनडीए या थर्ड फ्रंट के पक्ष में कोई शानदार राजनीतिक समीकरण बन जाए। ऐसी स्थिति में एनडीए और आडवाणी या फिर थर्ड फ्रंट की स्थिति बाजार में मजबूत होने लगेगी। सट्टेबाजी का नेटवर्क शेयर बाजार के नेटवर्क जैसा हो चुका है। जिस तरह ब्रोकरों के जरिए शेयरों के दाम लगाये जाते हैं, उन्हें खरीदा और बेचा जाता है, उसी तरह चुनाव परिणाम को लेकर सट्टेबाजी का कारोबार किया जाता है। कारोबार करने के लिए सबके कोड तय कर लिए जाते हैं। सटोरिये अपने पैसे तो सट्टेबाजी में लगाते ही हैं, आम आदमी को भी इसमें जोड़ते हैं। खास बात यह होती है कि अगर आपका दांव ठीक लग गया, तो ठीक नहीं तो सारी रकम चली जाएगी।

सपा के पुराने साथी मायावती के साथ

उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री और बसपा प्रमुख मायावती समाजवादी पार्टी को उसी के गढ में ही मात देने की तैयारी में जुटी हैं। इसके लिए बसपा ने सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के पुराने साथियों को उनके खिलाफ ही चुनावी मैदान में उतार दिया है। सपा के गढ माने जाने वाले इटावा, मैनपुरी और फर्रूखाबाद में बसपा ने इस बार कभी सपा में रहे नेताओं का प्रत्याशी बनाया है।हालांकि, सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव भारतीय जनता पार्टी छोडकर आए कल्याण सिंह के सहारे एटा, मैनपुरी, कन्नौज, बदायूं और फर्रूखाबाद क्षेत्र में पिछडा वर्ग के वोट जुटाने की जुगत में लगे हैं। इन क्षेत्रों में चौथे चरण में आगामी सात मई को चुनाव होना है जिसकी अधिसूचना आगामी 11 अप्रेल को जारी होगी। मैनपुरी से यादव के खिलाफ बसपा ने विनय शाक्य को मैदान में उतारा है जो कभी सपा में थे। मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्रित्वकाल में विधानसभा अध्यक्ष के पद तक पहुंचने वाले और बाद में राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता बने धनीराम वर्मा भी बसपा में शामिल हो गए है। बसपा ने उनके पुत्र महेश चन्द्र वर्मा को कन्नौज सीट से यादव के पुत्र अखिलेश यादव के खिलाफ चुनाव में उतार दिया है। एटा सीट से कल्याण सिंह निर्दलीय प्रत्याशी होंगे और उन्हें सपा का समर्थन होगा लेकिन बसपा ने उनके सामने भी सपा के बागी सांसद देवेन्द्र यादव को उम्मीदवार बनाया है।बसपा प्रमुख मायावती ने कभी मुलायम सिंह यादव के खास रहे नरेश अग्रवाल को सपा के चन्द्र भूषण सिंह के खिलाफ मैदान में उतारा है। मलिहाबाद सीट से सपा के विधायक गौरी शंकर को मायावती ने इटावा (सुरक्षित) सीट से प्रत्याशी बनाया है। गौरी शंकर भी सपा अध्यक्ष के काफी करीबी रहे हैं। कभी मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे आपराधिक पृष्ठभूमि वाले डी.पी.यादव बदायूं सीट से बसपा प्रत्याशी हैं। आपराधिक रिकार्ड वाले मुलायम के एक और करीबी अरूण शंकर शुक्ला इस बार बसपा के टिकट पर सपा उम्मीदवार दीपक कुमार को उन्नाव सीट से चुनौती दे रहे हैं।

आडवाणी के जीतने पर सुनहरे कल का वादा

फौलादी बाजू, अटल इरादे, दिल में गूंजे देशराग। मजबूत नेता निर्णायक सरकार के नारे को इस गीत से पंच देकर टीम आडवाणी मतदाता के बुझे दिल में उम्मीद की किरण जगाएगी। जल्द ही कांग्रेस के जय हो और धिनक-धिन धाक-हाथ जैसे हिट गानों के मुकाबले सधे-सटीक और चुटीले बोल वाले भाजपाई कमर्शियल टीवी पर गूंजने लगेंगे। कहीं कोई कसर न रह जाए इसके लिए पार्टी रणनीतिकारों ने टीवी कमर्शियल को रूपसिंह राठौड और शान जैसे लोकप्रिय गायकों की आवाज में रिकार्ड कराया है। तीन थीमों को केंद्र में रखकर तैयार किए गए इस प्रचार अभियान में केंद्र की संप्रग सरकार की नाकामियों का ब्योरा और उस पर हमला तो है ही, अटल की छाया में बढते आडवाणी के जीतने पर सुनहरे कल का वादा भी है।मतदाता की नब्ज पहचानने के लिए भाजपा ने जितने भी सर्वे कराए सत्ता विरोधी लहर सामने आई। साथ ही मनमोहन सरकार के पांच साल के कामकाज को लेकर भारी निराशा भी दिखाई दी।बस इसे ही पकडकर भाजपा ने सुनहरे कल को थीम बना लिया और तय किया गया कि कुछ ऎसी बात कही जाए जिसमें निराशा का अंधेरा छांटने और बेहतर भविष्य के लिए उम्मीद जगाने का माद्दा हो। माथाप“ाी के बाद गीत के बोल कुछ इस प्रकार बनाए गए-दिशाएं नहीं अब दिशा चाहिए, हवाएं नहीं अब हवा चाहिए, दर्द नहीं खुशियों की झनकार चाहिए, हर चेहरा मुस्कुराए ऎसी सरकार चाहिए, निडर नेता चुनेंगे हम- फैसलों में जिसके हो दम।दूसरी थीम कांग्रेसी सरकार की नाकामियों को हाइलाइट कर उनका समाधान सुझाना रखा गया। इसके लिए जो कमर्शियल बना उसके बोल हैं-उम्मीद सो गई है जगाए चलो, कुछ ख्वाब खो गए हैं पा जाए चलो, जो सोचा था वो देश है खो गया-ढूंढ लाए चलो, निडर नेता चुनेंगे हम फैसलों में जिसके हो दम। चुनाव प्रबंधन टीम के प्रमुख सदस्य सिद्धार्थ नाथ सिंह के अनुसार, तीसरी थीम टीम आडवाणी पर केंद्रित है।

सरकार के फैसले मैडम लेती हैं : वेंकैया

प्रधानमंत्री पद पर राजग के उम्मीदवार लालकृष्ण आडवाणी और मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा पर हमले के साथ चुनावी घोषणापत्र जारी कर कांग्रेस ने जुबानी जंग भी छेड दी। पलटवार करने में भाजपा ने भी देर न की। रैली में भाग लेने मथुरा गए आडवाणी और राजनाथ वहां बरसे तो यहां पूर्व पार्टी अध्यक्ष वेंकैया नायडू ने मोर्चा संभाला। आडवाणी पर हमले को संप्रग सरकार की पांच साल की नाकामियों और वादाखिलाफी की ओर से जनता का ध्यान बंटाने की कोशिश करार देते हुए वेंकैया ने कहा कि कांग्रेस का घोषणापत्र बहुत बडा मजाक है। सोनिया गांधी के इशारों पर नाचने वाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की हताशा आज खुलकर सामने आ गई।पूरा देश जानता है कि प्रधानमंत्री सिर्फ दिखावटी हैं, सरकार के फैसले मैडम लेती हैं। भले कांग्रेस उन्हें मजबूत प्रधानमंत्री के रूप में पेश करे किन्तु वह अब तक के सबसे कमजोर प्रधानमंत्री रहे हैं। मनमोहन के हमलों का सिलसिलेवार जवाब देते हुए वेंकैया ने कहा कि बडी अजीब बात है- पूरा देश यह जानना चाह रहा है कि उससे किए वादों का क्या हुआ और प्रधानमंत्री 1992 के बाबरी विध्वंस का रोना लेकर बैठ गए। उन्हें भूख-गरीबी-बेरोजगारी से त्रस्त आम जनता की सुध नहीं। उनकी नाक के नीचे दिल्ली में कर्ज के बोझ से परेशान पूरा परिवार आत्महत्या के लिए मजबूर हो गया। इससे साबित होता है कि संप्रग सरकार जनता का दुख बांटने में विफल रही है।

Monday, March 23, 2009

राम जन्म भूमि मन्दिर निर्माण के लिए आर-पार की लडाई

अखिल भारतीय स्तर पर गठित धर्म रक्षा मंच के प्रधान संयोजक ज्ञानदास ने यहां सोमवार को कहा कि अयोध्या में राम जन्म भूमि मन्दिर निर्माण के लिए आर-पार की लडाई लडी जाएगी। उन्होंने कहा कि मन्दिर निर्माण को कोई रोक नहीं पाएगा।पीलीभीत लोकसभा सीट से भाजपा के प्रत्याशी वरूण गांधी के कथित भडकीले बयान के मामले में उन्होंने कहा कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं कहा है और उन्हें संतों की ओर से आशीर्वाद दिया गया है।अयोध्या स्थित हनुमान गढी के महन्त और अखाडा परिष्ाद के अध्यक्ष ज्ञानदास अन्य संतों के साथ सोमवार को धर्म रक्षा मंच यात्रा के साथ लखनऊ पहुंचे थे।

बैनरों की चमक-दमक है और न ही नारों की गूंज

उतरप्रदेश में लोकसभा चुनाव का प्रचार चुनाव आयोग के अंकुशों के चलते न तो झण्डे, बैनरों की चमक-दमक है और न ही नारों की गूंज सुनाई देती है। प्रदेश में पांच चरणों के तहत लोकसभा चुनाव के पहले चरण की अघिसूचना सोमवार को जारी किए जाने तक भी यही माहौल था। समाचार माध्यमों को यदि न देखा जाए तो पता ही नहीं चलता कि चुनाव प्रक्रिया किस तरह से आगे बढ रही है।अलबत्ता बसपा नेता मायावती ने रविवार को देवरिया में चुनाव सभा को सम्बोघित कर अपने अभियान का श्री गणेश किया और केन्द्र की सत्ता पाने पर यूपी का विशेष्ा विकास करने एवं अलग पूर्वांचल व बुन्देलखण्ड राज्य गठित करने का वादा किया। उधर सपा नेता मुलायम सिंह यादव ने सोमवार को मैनपुरी में चुनाव कार्यालय का उद्घाटन करने के बाद विशाल सभा को सम्बोघित करते हुए यूपी में 45 लोकसभा सीटों का लक्ष्य घोçष्ात किया।जनसम्पर्क पर ज्यादा जोरराजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग की बंदिशों की यथासम्भव अनुपालना करते हुए जनसम्पर्क पर ही अघिक जोर दिया है और यह त्योहारी शैली में किया जा रहा है। हाल में बीते पर्व होली का भी चुनावी जनसम्पर्क के लिए भरपूर इस्तेमाल किया गया। यह सिलसिला अभी जारी है। दलों के प्रत्याशी और उनके समर्थक होली मिलन समारोह में अपना प्रचार भी कर रहे हैं। कांग्रेस के आम कार्यकर्ताओं ने समाजवादी पार्टी के साथ सीट बंटवारे का विरोध किया था। लेकिन कांग्रेस नेतृत्व यह मान रहा था कि प्रदेश में पार्टी का संगठनात्मक ढांचा चुनाव लडने के लिए मजबूत नहीं है। अब सपा से समझौता न होने की स्थिति में पार्टी को मजबूत प्रत्याशी नहीं मिल रहे हैं। भाजपा भी कमोबेश इसी हालत का शिकार है। इन सभी दलों के मजबूत नेता बसपा में शामिल हो गए हैं और ज्यादातर टिकट भी पा गए हैं।

पूनम को लेकर धींगामश्ती शुरू

साहिब सिंह के बेटे प्रवेश को टिकट न देने से मचा बवाल अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि महाराष्ट्र भाजपा में प्रमोद महाजन की बेटी पूनम को लेकर धींगामश्ती शुरू हो गई। उत्तर-पूर्वी मुंबई पर महाजन की बिटिया का स्वाभाविक दावा बता रहे फूफा गोपीनाथ मुंडे और पार्टी सांसद किरीट सोमैया के पीछे खडे प्रदेश अध्यक्ष नितिन गडकरी आमने-सामने खडे हो गए हैं। खींचतान का नतीजा यह रहा कि सोमवार को घंटों बैठ कर भी केंद्रीय चुनाव समिति इसका निपटारा नहीं कर सकी। राज्य की नौ सीटों के नाम तय हो गए जबकि उत्तर-पूर्वी मुंबई पर फैसला रोक लिया गया है। उत्तर प्रदेश की चार सीटों की सूची जारी की गई जिसमें अमेठी और रायबरेली भी शामिल है। रोचक बात यह है कि कांग्रेस अध्यक्ष और युवराज के मुकाबले भाजपा ने नौसिखियों प्रदीप सिंह और आर.बी. सिंह को उतारा है। ये ऎसे नाम हैं जिन्हें खुद पार्टी के लोग ही अच्छी तरह नहीं जानते।तीसरी बैठक में भी नहीं आए जेटली पार्टी के चुनावी प्रबंधन को संभाल रहे महासचिव अरूण जेटली ने लगातार तीसरी केंद्रीय चुनाव समिति का बहिष्कार किया। हालांकि वे भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह से सुबह मिलकर पार्टी के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए गुजरात के लिए निकले लेकिन अंदर की खबर यह है कि सुधांशु मित्तल की नियुक्ति का पेंच अब भी फंसा हुआ है। ऊपरी तौर पर दोनों दिग्गजों में सुलह करा दी गई है पर मुद्दा और विरोध दोनों जस के तस हैं।देर तक बैठे रहे आडवाणी-राजनाथ: केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक समाप्त होने के बाद लालकृष्ण आडवाणी, राजनाथ सिंह, अनंत कुमार और संगठन महासचिव रामलाल देर तक बैठे विचार-विमर्श करते रहे। सूत्रों के अनुसार, उनकी बातचीत का मुद्दा वरूण गांधी पर आगे की रणनीति से लेकर पूनम महाजन को लेकर खडा विवाद भी हो सकता है। चुनाव प्रचार में व्यस्त होने के कारण सुषमा स्वराज, मुरली मनोहर जोशी, शाहनवाज हुसैन भी बैठक में शामिल नहीं हो सके।

चुनाव आयोग की सलाह नामंजूर

लोकसभा चुनाव में वरूण गांधी को उम्मीदवार नहीं बनाने की चुनाव आयोग की सलाह को सीधे तौर पर नामंजूर करते हुए पीलीभीत से उनकी उम्मीदवारी कायम रखने का ऎलान कर भाजपा ने साफ संकेत दे दिया कि वह वरूण से साथ है। वरूण को लेकर पार्टी के शीर्ष नेताओं की लालकृष्ण आडवाणी के निवास पर चली लम्बी मंत्रणा के बाद पार्टी ने यह फैसला लिया। वरूण के लिए निर्वाचन आयोग के मशविरे को नकारते हुए भाजपा महासचिव अरूण जेटली ने दो टूक कहा कि आयोग सेंसर कर सकता है, लेकिन दबाव और सुझाव का अधिकार उसके पास नहीं है। उन्होंने कहा कि आयोग को यह सुझाव देने से पहले चुनाव मैदान में खडे दागी प्रत्याशियों के बारे में भी सोचना चाहिए। जेटली ने कहा, वरूण के खिलाफ चल रही जांच पूरी होने से पहले आयोग कोई राय नहीं दे सकता। वरूण के भाषण को लेकर प्रियंका गांधी की टिप्पणी को पारिवारिक मामला बताते हुए जेटली ने कहा यह कहने से पहले सोचना चाहिए कि पारिवार से बडा देश है। वरूण पर आयोग का शिकंजा कसते ही भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व के माथे पर बल पड गया। उनके भाषण से पल्ला झाड चुकी पार्टी को लगने लगा कि यदि अब भी कोई कदम नहीं उठाया गया तो मामला हाथ से चला जाएगा। भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह और अरूण जेटली आडवाणी के निवास पहुंचे।आपसी विचार-विमर्श के बाद भाजपा को वरूण के साथ खडे रहने में ही भलाई दिखी। पार्टी की राय लेकर बलवीर पुंज वरूण के घर पहुंचे। उसके बाद सारी तस्वीर साफ हो गई। पंुज ने कहा कि लोकतंत्र में यह अधिकार राजनीतिक दलों का है कि वे अपने उम्मीदवारों का चयन करें और इस बारे में सलाह देना आयोग का काम नहीं है।उन्होंने कहा कि भाजपा चुनाव आयोग की सिफारिश को स्वीकार नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि यह पार्टी का सामूहिक फैसला है। भाजपा ने यह सवाल भी उठाया कि विवादास्पद सीडी सही है या नहीं इसे आयोग कैसे तय कर सकता है। उसने कहा कि सीडी असली है या उसके साथ छेडछाड की गई यह तो अपराध विशेषज्ञ ही तय कर सकते हैं।

कायम रहेगा विधायकों का दबदबा

कांग्रेस प्रत्याशी सचिन पायलट ने जिले के सभी विधायकों तथा हारे हुए प्रत्याशियों को भरोसा दिलाया है कि वे चुनाव जीतने के बाद विधायकों के क्षेत्र और कामकाज में दखल नहीं देंगे। बदले में सभी ने उन्हें चुनाव जिताने का भरोसा दिलाया। पायलट ने सोमवार को जयपुर में विधायक नाथूराम सिनोदिया के निवास पर लोकसभा क्षेत्र के विधानसभा प्रतिनिधियों से मुलाकात की। उन्होंने अपना परिचय देते हुए कहा कि कांग्रेस आलाकमान ने मुझे प्रत्याशी बनाया है। मुझे आप सब लोगों का सहयोग चाहिए। पायलट ने सभी को आश्वस्त किया कि मैं राजनीतिक दुर्भावना से काम करने नहीं आया।विधायकों को पूरी तरजीह मिलेगी। किसी तरह की दखलंदाजी नहीं होगी। कांग्रेस का लक्ष्य सभी 25 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करना है। इसके लिए हमें जुटना होगा। बदले में सभी लोगों ने विश्वास दिलाया कि वे लोकसभा चुनाव में सहयोग करेंगे। बैठक में विधायक सिनोदिया, नसीम अख्तर इंसाफ, दूदू से बाबू लाल नागर, रघु शर्मा, महेंद्र सिंह गुर्जर तथा अजमेर शहर की दोनों सीटों से प्रत्याशी डॉ. श्रीगोपाल बाहेती तथा डॉ. राजकुमार जयपाल उपस्थित थे।हो गए गिले-शिकवे दूरविधायक निवास पर बैठक के बाद आठों लोग शासन सचिवालय में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिलने पहुंचे। गहलोत ने पूछा, सब मिल लिए। हो गए गिले शिकवे दूर। सभी ने मुस्कुराते हुए कहा कि गिले शिकवे थे ही नहीं। हम सब साथ हैं। पायलट को चुनाव जिताकर भेजेंगे। रामचंद्र नहीं आए बैठक में विधानसभा प्रतिनिधियों की बैठक में मसूदा से प्रत्याशी रहे डेयरी अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी गैरहाजिर थे। देहात कांग्रेस अध्यक्ष नाथू राम सिनोदिया ने बताया कि मैंने उन्हें बुलवाया। उनके घर संदेश भेजा। विधायक रघु शर्मा ने भी उन्हें फोन किया। दूसरी ओर चौधरी ने कहा कि मुझे बैठक के बारे में कोई जानकारी नहीं है। सूत्रों के अनुसार चौधरी को बुलाने के कारण संसदीय सचिव ब्रrादेव कुमावत को बैठक में नहीं बुलाया गया था। हालांकि कुमावत पहले ही पायलट के पक्ष में समर्थन दे चुके हैं। भाजपा किसे उतारेगी!कांग्रेसियों की मुलाकात में भाजपा की ओर से संभावित प्रत्याशियों पर भी चर्चा हुई। कांग्रेसियों का मानना है कि भाजपा पूर्व मंत्री सांवर लाल जाट, भाजपा के प्रदेश महामंत्री रामपाल जाट या जगदीप धनखड को उतार सकती है। पार्टी प्रचार की रणनीति प्रत्याशी सामने आने के बाद तय होगी। सिनोदिया होंगे चुनाव प्रभारी कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव की रणनीति तैयार कर ली है। इसके लिए विधानसभा क्षेत्रवार तैयारी भी हो रही है। किशनगढ विधायक नाथूराम सिनोदिया वरिष्ठ होने के नाते चुनाव अभियान के प्रभारी होंगे। आठों विधानसभा क्षेत्रों में संबंधित विधायक या प्रत्याशी को कमान सौंपी जाएगी।



लोकसभा चुनाव में वरूण गांधी को उम्मीदवार नहीं बनाने की चुनाव आयोग की सलाह को सीधे तौर पर नामंजूर करते हुए पीलीभीत से उनकी उम्मीदवारी कायम रखने का ऎलान कर भाजपा ने साफ संकेत दे दिया कि वह वरूण से साथ है। वरूण को लेकर पार्टी के शीर्ष नेताओं की लालकृष्ण आडवाणी के निवास पर चली लम्बी मंत्रणा के बाद पार्टी ने यह फैसला लिया। वरूण के लिए निर्वाचन आयोग के मशविरे को नकारते हुए भाजपा महासचिव अरूण जेटली ने दो टूक कहा कि आयोग सेंसर कर सकता है, लेकिन दबाव और सुझाव का अधिकार उसके पास नहीं है। उन्होंने कहा कि आयोग को यह सुझाव देने से पहले चुनाव मैदान में खडे दागी प्रत्याशियों के बारे में भी सोचना चाहिए। जेटली ने कहा, वरूण के खिलाफ चल रही जांच पूरी होने से पहले आयोग कोई राय नहीं दे सकता। वरूण के भाषण को लेकर प्रियंका गांधी की टिप्पणी को पारिवारिक मामला बताते हुए जेटली ने कहा यह कहने से पहले सोचना चाहिए कि पारिवार से बडा देश है। वरूण पर आयोग का शिकंजा कसते ही भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व के माथे पर बल पड गया। उनके भाषण से पल्ला झाड चुकी पार्टी को लगने लगा कि यदि अब भी कोई कदम नहीं उठाया गया तो मामला हाथ से चला जाएगा। भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह और अरूण जेटली आडवाणी के निवास पहुंचे।आपसी विचार-विमर्श के बाद भाजपा को वरूण के साथ खडे रहने में ही भलाई दिखी। पार्टी की राय लेकर बलवीर पुंज वरूण के घर पहुंचे। उसके बाद सारी तस्वीर साफ हो गई। पंुज ने कहा कि लोकतंत्र में यह अधिकार राजनीतिक दलों का है कि वे अपने उम्मीदवारों का चयन करें और इस बारे में सलाह देना आयोग का काम नहीं है।उन्होंने कहा कि भाजपा चुनाव आयोग की सिफारिश को स्वीकार नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि यह पार्टी का सामूहिक फैसला है। भाजपा ने यह सवाल भी उठाया कि विवादास्पद सीडी सही है या नहीं इसे आयोग कैसे तय कर सकता है। उसने कहा कि सीडी असली है या उसके साथ छेडछाड की गई यह तो अपराध विशेषज्ञ ही तय कर सकते हैं।

अलग-अलग स्थाना पर स्वागत चर्चा का विषय बना

राजसमन्द। राजसमन्द संसदीय क्षेत्र के कांग्रेस प्रत्याशी गोपालसिंह शेखावत का सोमवार को दो अलग - अलग स्थानाें पर स्वागत चर्चा का विषय बन गया वहीं कांग्रेस संगठन में एक दूसरे से चल रही दूरियां साफ नजर आयी।
पार्टी संगठन के पदाधिकारियाें ने कांग्रेस के जिला कार्यालय पर शेखावत का स्वागत किया जहां कमोबेश पार्टी के सभी पदाधिकारी उपस्थित थे वहीं तारिक मार्बल पर आयोजित स्वागत समारोह में जिला कार्यालय पर मौजूद पदाधिकारी नजर नहीं आए जिससे वो एकतरफा स्वागत समारोह बनकर रह गया।

कांग्रेस प्रत्याशी शेखावत का स्वागत

राजसमन्द। राजसमन्द लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी गोपालसिंह शेखावत का सोमवार को नेशनल हाइवे आठ पर स्थित कांग्रेस कार्यालय पर जिला कांग्रेस अध्यक्ष एवं जिला प्रमुख नारायणसिंह भाटी के नेतृत्व में जिला कार्यकारिणी, ब्लॉक कार्यकारिणी, पंचायत समिति सदस्य, जिला परिषद सदस्य, पंच, सरपंच, नगर पार्षद सहित सैकडाें कांग्रेस कार्यकर्ताआें ने फूल मालाआें से स्वागत किया। जिला कांग्रेस मीडिया अध्यक्ष हरिवल्लभ पालीवाल ने बताया कि पार्टी द्वारा नियुक्त प्रत्याशी इडावा को समस्त कार्यकर्ताआें ने भारी मताें से जीत दिलाने का आश्वासन दिया। इस अवसर पर आयोजित स्वागत समारोह में जिला कांग्रेस वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रदीप पालीवाल, प्रधान गणेशलाल भील, पूर्व प्रधान शांतिलाल कोठारी, पूर्व प्रधान गुणसागर कर्णावट, जिला कांग्रेस सदस्य हरिसिंह राठौड, संगठन मंत्री गोकुल अहिर, पार्षद मांगीलाल टांक, रवि गर्ग, दीपचन्द गाडरी, पूर्व सेवादल अध्यक्ष दिनेश पुरी गोस्वामी, सेवादल ब्लॉक मुख्य संगठक गोविन्द नारायण पालीवाल, भाणा सरपंच, हीरालाल कुमावत, मादडी हरिराम गुर्जर, युवक कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष महेश सेन, प्रफुलसिंह चन्द्रावत, हरिसिंह कुमावत सहित सैंकडाें कार्यकर्ता उपस्थित थे।

Sunday, March 22, 2009

उम्मीदवार नहीं वरूण

चुनाव आयोग ने भाजपा के नेता वरूण गांधी उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में दिए गए भाषण के सांप्रदायिक लहजे पर उन्हें चुनाव नियमों के उल्लंघन का दोषी ठहराया है। चुनाव आयोग ने भाजपा से कहा कि वरुण को पीलीभीत संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार नहीं बनाया जाए।इस मामले में सुप्रसिद्ध संविधान विशेषज्ञ शांति भूषण और पीलीभीत से कांग्रेस के उम्मीदवार वी एम सिंह ने भाजपा नेता वरुण गांधी के मुस्लिम विरोधी भड़काउ भाषण के चलते उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाने के भाजपा को चुनाव आयोग की ओर से दी गई सलाह का स्वागत किया है।दूसरी तरफ पूर्व चुनाव आयोग के प्रमुख जीवीजी कृष्णमूर्ति ने कहा कि इस तरह की कार्रवाई चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता।

कांग्रेस से पल्ला झाड़ा

कांग्रेस के तीखे तेवर से नाराज राष्ट्रीय जनता दल और लोक जनशक्ति पार्टी ने उसे दरकिनार करते हुए बिहार में सभी 40 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया है। राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने आज यहां संवाददाताओं से कहा पक उनका दल औरंगाबाद , सासाराम और मधुबनी से भी अपने उम्मीदवार खड़ा करेगा। श्री प्रसाद ने कहा पक झारखंड में भी राजद और लोजपा पमल कर चुनाव लड़ेंगे। इस राज्य में राजद ने चार और लोजपा ने पांच लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करने का फ़ैसला पकया है। पबहार में फ़तुहा पवधानसभा सीट के उपचुनाव में लोजपा का प्रत्याशी खड़ा होगा। पबहार में पहले हुई सहमपत के अनुसार राजद को 25 और लोजपा को 12 सीटों पर चुनाव लड़ना था। इन दोनों ने कांग्रेस के पलए तीन सीटें छोड़ी थीं। मौजूदा लोकसभा में ये तीनों सीटें औरंगाबाद, सासाराम और मधुबनी कांग्रेस के पास हैं। अपनी उपेक्षा से नाराज कांग्रेस ने राज्य में 37 सीटों पर चुनाव लडने की घोषणा कर दी। उसने जैसे को तैसा की रणनीपत अपनाते हुए दो सीटें श्री प्रसाद और एक लोजपा प्रमुख रामपवलास पासवान के पलए छोड़ने का फ़ैसला पकया। लालू प्रसाद ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा पक वह प्यास लगने पर कुआं खोदना चाहती है। सके नेता ज्यादा से ज्यादा सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ेकर चुनावों के समय जनाधार बढ़ने की बात कर रहे हैं। राजद प्रमुख ने कहा पक उन्होंने कांग्रेस के साथ सीटों के तालमेल के पलए आपखरी समय तक कोपशश की। कांग्रेस के पलए राजद अपने कोटे से एक अपतपरक्त सीट छोडने को तैयार था। तीन -चार सीटों पर दोस्ताना मुकाबले से भी उन्हें एतराज नहीं था, मगर कांग्रेस इसके पलए तैयार नहीं हुई। झारखंड के पलए हुई सहमपत के तहत चतरा, पलामू, राजमहल और कोडरमा से राजद अपने उम्मीदवार खडे करेगा। धनबाद, गोड्डा, जमशेदपुर, हजारीबाग और चाईबासा से लोजपा के उम्मीदवार चुनाव लडेंगे।

हम फिर बनायेंगे सरकार : लालू

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने कहा कि हम एक बार फिर सरकार बनायेंगे। उन्होंने दावा किया कि केंद्र में अगली सरकार यूपीए की ही बनेगी। बिहार में सीट बंटवारे के मसले पर कांग्रेस की आलोचना करने के अगले ही दिन उन्होंने अपने सुर में नरमी लाते हुए कहा कि कोई भी पार्टी अपने दम पर सरकार नहीं बना सकती है। उन्होंने कहा कि राजद ने बिहार में कांग्रेस को चार सीटें देने की पेशकश की थी। लालू प्रसाद ने कहा कि राजद और लोजपा मिल कर बिहार की सभी 40 सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करेगी। उन्होंने औरंगाबाद, सासाराम व मधुबनी में भी अपने प्रत्याशी खड़ा करने का ऐलान किया। तीसरे मोरचे से साफ तौर पर पल्ला झाड़ते हुए उन्होंने कि इस मोरचे से उनका कोई लेना-देना नहीं है।

भाजपा की काट करेंगे जाट

भाजपा आलाकमान ने यदि पश्चिमी दिल्ली से प्रत्याशी बदलने पर विचार नहीं किया और प्रवेश वर्मा को उम्मीदवार नहीं बनाया तो जाट समुदाय लोकसभा चुनाव में पार्टी का बहिष्कार करेगा। प्रवेश वर्मा के समर्थन में रविवार को द्वारका सेक्टर-10 में हुई जाटों की महापंचायत में यह फैसला लिया गया। इस महापंचायत में दिल्ली के 350 गांवों के ग्रामीण शामिल हुए। महापंचायत में यह भी चर्चा रही कि यदि प्रवेश को भाजपा से टिकट नहीं मिलता है तो वह निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। हालांकि प्रवेश ने इससे इनकार कर दिया। उधर, प्रवेश के समर्थन में भाजपा ने 12 पार्षदों और दो विधायकों के इस्तीफा देने की भी खबर है। दिवंगत भाजपा नेता साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा पश्चिमी दिल्ली संसदीय सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे। पार्टी ने उन्हें टिकट देने का आश्वासन भी दिया था लेकिन टिकट बंटवारे में उनका नाम काट दिया गया और उनकी जगह जगदीश मुखी को टिकट दे दिया गया। पार्टी के इस कदम से प्रवेश वर्मा काफी निराश हैं और उनके समर्थकों में भी काफी गुस्सा है। समर्थकों ने लालकृष्ण आडवाणी के घर प्रदर्शन भी किया था लेकिन पार्टी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। इससे गुस्साए जाट समुदाय ने रविवार को महापंचायत बुलाई और भाजपा को अपना फैसला बदलने के लिए 27 मार्च तक का समय दिया है। महापंचायत सुबह लगभग 10 शुरू हुई और दोपहार एक बजे तक चली। इसमें 11 सदस्य समिति बनाने पर सहमति बनी, जिसमें सभी खापों के प्रधान शामिल होंगे। यह समिति पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी सहित पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह और अन्य नेताओं से मुकालात कर निर्णय बदलने का दबाव डालेगी। यदि भाजपा निर्णय नहीं बदलती है तो 27 मार्च के बाद दोबारा महापंचायत हो सकती है।उधर, ऐसी अटकलें भी तेज हैं कि प्रवेश वर्मा निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि प्रवेश वर्मा का कहना है कि वह पार्टी का विरोध नहीं कर रहे हैं, सिर्फ अपनी बात रखना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वह पिछले दो वर्षों से पश्चिमी दिल्ली संसदीय क्षेत्र में कार्य कर रहे है। ऐन मौके पर पार्टी ने उनसे दक्षिण दिल्ली सीट से चुनाव लड़ने को कहा था, जबकि उनका कहना था कि वहां से उसे चुनाव लड़ाया जाए तो वहां से कार्य कर रहा है अथवा चुनाव जीत सकता है। वहीं, प्रवेश के समर्थन में भाजपा के 12 पार्षदों ने महापंचायत की अध्यक्षता कर रहे उदय सिंह को अपने इस्तीफे सौंपते हुए उन्हें यह अधिकार दिया कि यदि भाजपा नेतृत्व अपना फैसला नहीं बदलता है तो उनके इस्तीफे मेयर आरती मेहरा को सौंप दिए जाएं। निगम पार्षद कुलदीप डागर ने स्वीकार किया कि उन्होंने इस्तीफा दिया है। उनके अलावा पार्षद मास्टर आजाद सिंह, राजेश गहलोट, राकेश कुमार, राजपाल नंबरदार, मोहन सिंह मोना, सुशीला देवी, ईश्वर सिंह छिकारा, नारायण ंिसंह, जय भगवान सिंह यादव सहित अन्य 12 पार्षदों ने भी त्यागपत्र दिया है। उधर, रिठाला से भाजपा विधायक कुलवंत राणा और मुंडका से विधायक मनोज शौकीन के भी इस्तीफे सौंपने की खबर थी लेकिन दोनों ने इसका खंडन कर दिया।

कल्याण के भाजपा छोड़ने से दोहरी हानि

साध्वी उमाभारती एक बार फिर अपने पुराने दल भारतीय जनता पार्टी को मजूबत करने के लिए रविवार को लखनऊ आ रही हैं। भाजपा के कद्दावर नेता रहे कल्याण सिंह के पार्टी छोड़ने से हुई क्षति की भरपाई के लिए पार्टी उमा को उत्तर प्रदेश में प्रचार अभियान में उतारने की योजना बना रही है।पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि उमा का समर्थन भाजपा को कल्याण से ज्यादा लाभ पहुंचाएगा। वैसे तो उमा ने भाजपा में वापसी की अधिकृत घोषणा नहीं की है परन्तु वह पहले ही दिल्ली में लालकृष्ण आडवाणी से मुलाकात कर अपने समर्थन और भाजपा के लिए प्रचार का वादा कर चुकी है। इसके साथ ही भाजपा छोड़ने के बाद उमा के करीबी रहे प्रह्लाद पटेल रविवार को भोपाल में फिर भाजपा में शामिल हो गये।उमा रविवार को लखनऊ पहुंचने के बाद पहले मेयर दिनेश शर्मा के आवास पर जाएंगी। दोपहर में प्रेस क्लब में संवाददाताओं से बातचीत करने के बाद वह अयोध्या के लिए रवाना होंगी जहां पर रामलला के दर्शन करने और साधु-संतों से आशीर्वाद लेने के बाद नई राजनीतिक पारी की शुरूआत करेंगी। भाजपा नेतृत्व ने उमा का उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तराखंड तथा दिल्ली में प्रचार के लिए उपयोग करने का निर्णय लिया है। इसके लिए उमाभारती को भाजपा द्वारा हेलीकाप्टर भी मुहैया कराया जाएगा।ज्ञातव्य हो कि उमा ने वर्ष 2003 में लालकृष्ण आडवाणी पर भेदभाव का आरोप लगाकर भाजपा छोड़ दी और भारतीय जनशक्ति पार्टी का गठन किया। मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री होने के कारण पार्टी को वहां के साथ ही उससे सटे उत्तर प्रदेश में भी भारी नुकसान की आशंका थी। इधर कल्याण के भाजपा छोड़ने से पार्टी के लिए दोहरी हानि हो रही थी।

बाहरी बर्दाश्त नहीं

टोंक-सवाईमाधोपुर संसदीय सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरूद्दीन को प्रत्याशी बनाए जाने की अटकलों के साथ ही यहां कांग्रेसियों में विरोध के स्वर तीखे हो गए। जिला कांग्रेस की ओर से शनिवार को छाबडा कैम्पस में प्रेसवार्ता में जिला पदाघिकारियों ने स्थानीय की वकालत कर बाहरी को टिकट देने का विरोध किया। जिलाध्यक्ष डॉ. अनवर हुसैन ने कहा कि कांग्रेस टिकट के लिए स्थानीय लोगों ने भी आवेदन किए हैं। उनमें से किसी भी जाति के व्यक्ति को टिकट देने पर कार्यकर्ता व जनता साथ है। एक सवाल के जवाब में कहा कि वे पार्टी के निर्णय का विरोध तो नहीं करेंगे लेकिन थोपे हुए प्रत्याशी से कांग्रेस का जीतना मुश्किल होगा। हालाकि उन्होंने स्वीकार किया कि पूर्व कप्तान को टिकट देने का पार्टी हाईकमान की ओर से आदेश नहीं मिला है। कांग्रेस जिला उपाध्यक्ष विनोद शंकर पारीक व सिराज रसूल जेदी ने कहा कि सवाईमाधोपुर को चारागाह बनने नहीं दिया जाएगा। ब्लॉक अध्यक्ष देवपाल मीणा ने कहा कि बाहरी को टिकट देने पर खुलकर विरोध किया जाएगा। कार्यकर्ता भी काम नहीं करेंगे। प्रेसवार्ता में मौजूद पंचायत समिति सदस्य डॉ. मुमताज अहमद, जिला महामंत्री हरिमोहन शर्मा, चन्द्रप्रकाश छाबडा, उपाध्यक्ष जमील अहमद, महामंत्री खालिक रंगरेज, कांग्रेस श्रम प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष सतीश श्रीवास्तव समेत कार्यकर्ताओं ने बाहरी व्यक्ति को टिकट देने पर विरोध करने व पार्टी हाईकमान से स्थानीय को टिकट देने की मांग की।

राजकोट से चुनाव लडेंगी अमीषा पटेल

बॉलीवुड अभिनेत्री अमीषा पटेल गुजरात के राजकोट से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की टिकट पर लोकसभा चुनाव लडेंगी। गुजरात प्रदेश राकांपा अध्यक्ष जयंत पटेल ने कहा, शुक्रवार को उन्होंने अमीषा को फोन कर उनसे पूछा की क्या वह चुनाव लडेंगी जिसके लिए वह तुरंत तैयार हो गई। जयंत ने कहा, मैं अमीषा के परिवार को वर्षो से जानता हूं और विश्वास के साथ कह सकता हूं कि वह सौराष्ट्र क्षेत्र में राकांपा को जीत दिलाने की स्थिति में होंगी।

उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार चरम पर-सपा

समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने यहां शनिवार को बैठक में प्रस्ताव पारित कर कहा है कि उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार चरम पर है। राजनीतिक विरोघियों के खिलाफ गुण्डा, गैंगेस्टर और अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण अघिनियम के फर्जी मुकदमें थोप कर उन्हें जेलों में डाला जा रहा है। प्रस्ताव में कहा गया है कि इस हालत के मद्देनजर इन कानूनों की समीक्षा की जरूरत है। इस राजनीतिक प्रस्ताव में कहा गया है कि एक ओर राजनीतिक विरोघियों के साथ ऎसा सलूक किया जा रहा है तो दूसरी ओर अपराघियों को पुलिस संरक्षण दिया जा रहा है। छात्रों का दमन भी इसी तरह किया गया। प्रस्ताव में पार्टी ने कहा कि साम्प्रदायिक शक्तियों की तरह ही जातिवादी शक्तियां भी खतरनाक होती है इसलिए इस लोकसभा चुनाव में जातिवादी शक्तियों का पूरी तरह से सफाया करने का संकल्प किया गया है। राष्ट्रीय सवालों पर समाजवादी पार्टी सहयोगी दलों के विचारों का आदर करेगी, लेकिन यह देखना जरूरी होगा कि प्रदेश की सत्ता पर काबिज पार्टी अपने प्रत्याशियों से किस तरह धन वसूली कर रही है। आखिर में यह पैसा जनता की जेब से ही वसूला जा रहा है। प्रस्ताव में भारतीय जनता पार्टी को देश तोडा और कांग्रेस को महंगाई जैसी समस्या का समाधान निकाल पाने में नाकाम बताया गया और जनता से फैसला किया गया कि लोकसभा चुनाव में अपने विवेक से फैसला करे। पार्टी के कार्यकर्ताओं से अपील की गई है कि वे टिकट न मिलने से निराश न हो और सभी शिकायतें भुलाकर पार्टी के प्रत्याशियों को जिताये ताकि आने वाले समय जनता के सरोकार पूरे किया जा सके। प्रस्ताव में कांग्रेस के रूख की आलोचना करते हुए कहा गया है कि उसने हमारी जीती हुई लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं फिर भी समाजवादी पार्टी मित्रभाव से चुनाव लडकर गठबन्धन के रिश्ते को बनाए रखेगी।

लाडली लक्ष्मी योजना लागू की जाएगी

प्रधानमंत्री पद के लिए राजग के उम्मीदवार लालकृष्ण आडवाणी ने बेटी को बोझ न समझने की अपील करते हुए वादा किया कि केंद्र में उनकी सरकार बनी तो मध्य प्रदेश की तर्ज पर पूरे देश में लाडली लक्ष्मी योजना लागू की जाएगी। सामाजिक सुरक्षा वाली इस योजना के तहत बेटी पैदा होते ही सरकार उसके नाम बचत प्रमाणपत्र खरीदती है और, ऎसा इंतजाम किया जाता है ताकि अठारह वर्ष की आयु होने तक युवती के नाम लगभग एक लाख अठारह हजार रूपये जमा हो जाएं। आडवाणी शनिवार को दिल्ली के व्यापारी सतीश जैन के परिवार से मिलने गए जिसने गत18 मार्च को गरीबी से छुटकारा पाने के लिए सामूहिक आत्महत्या की कोशिश की थी। जैन दंपत्ति की पांच बेटियां हैं। चंद्र नगर निवासी पैंतालिस वर्षीय जैन व्यवसायी हैं किंतु बीमारी के कारण वे परिवार का भरण-पोषण करने में असमर्थ हो गए थे। उनकी पत्नी सरिता सिलाई-कढाई का काम कर सात सदस्यों वाले परिवार का पेट किसी तरह पाल रही थीं। कर्ज का बोझ बढता जा रहा था जिससे तंग होकर पूरे परिवार ने मौत को गले लगाने का निर्णय किया। सतीश-सरिता ने खुद भी जहरीला पदार्थ खाया और पांचों बेटियों को भी खिला दिया लेकिन, किसी तरह सबको बचा लिया गया। राजधानी में इस दर्दनाक हादसे ने भाजपा नेता को हिलाकर रख दिया और, वे उनका दुख बांटने के लिए उनसे मिलने पहुंचे। आडवाणी ने अफसोस जताते हुए कहा कि संप्रग सरकार के राज में कर्ज के कारण किसानों की आत्महत्या की खबरें लगातार मिलती रहीं किंतु दिल्ली में एक परिवार इसके लिए मजबूर होगा यह कल्पना से परे की बात है। उन्होंने आरक्षण नीति के बारे में कहा कि इसीलिए भाजपा सभी वर्ग के गरीबों को आरक्षण देने पर जोर देती रही है। सतीश जैन परिवार के मामले ने पार्टी की सोच को पुख्ता किया है। पीडित परिवार के घर भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर और सुधींद्र कुलकर्णी भी गए थे।