Friday, March 27, 2009

जदयू साम्प्रदायिक नहीं-लेफ्ट

साम्प्रदायिकता के पैमाने पर मप्र., गुजरात, छत्तीसगढ की आपेक्षाकृत बिहार सरकार को अधिक अंक देकर प्रकाश कारत ने एक तरह से साफ कर दिया कि भाजपा का सबसे पुराना मित्रदल जद-यू उनकी नजर में साम्प्रदायिक नहीं है। बदलते राजनीतिक समीकरणों में वाम-जद-यू के बीच बढ रही नजदीकी की परतें धीरे-धीरे खुलने लगी हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का वरूण गांधी के प्रति हमलावर होना, शरद यादव का लेफ्ट के स्विस बैंक मुद्दे पर साथ खडे होने की घटनाओं को अब सारी स्थितियों से जोडकर देखा जाने लगा है। लोकसभा चुनाव में कभी भी कुछ भी हो सकता है। शरद भी मानते हैं कि चुनाव के वक्त पार्टियों का तथा पार्टी नेताओं का आना-जाना प्रक्रिया का हिस्सा है। क्या यही मिजाज जद-यू भी अपना सकता हैक् इसका शरद ने जिस कूटनीतिक अंदाज में जवाब दिया उससे भविष्य में कुछ भी हो सकने की संभावनाएं बढ जाती हैं। शरद का कहना है कि अभी हम राजग में हैं। भविष्य पर उन्होंने पत्ता नहीं खोला। लेकिन इतना जरूर कहा कि उनके दल की धर्मनिरपेक्षता पर सवाल नहीं उठना बडी बात है। वामदल और जद-यू के बीच राजनीतिक खिचडी पकने की अभी तक छनकर आ रही बातों में अब दम दिखने लगा है। शुक्रवार को माकपा महासचिव प्रकाश कारत ने साम्प्रदायिकता के मामले में भाजपा शासित राज्यों मप्र., छत्तीसगढ, गुजरात को कठघरे में खडा करते हुए बिहार सरकार को जिस तरह से क्लीन चिट दी है उससे भविष्य में कुछ नया खेल होने की संभावनाएं दिखने लगी हैं। आडवाणी को प्रेसिडेंसियल सिंड्रोम हो गया है। यह चुटकी माकपा महासचिव कारत ने लालकृष्ण आडवाणी की मनमोहन सिंह को बहस के लिए दी गई चुनौती पर ली। आडवाणी पर हमले का लेफ्ट कोई भी मौका नहीं छोडता। पत्रकार वार्ता में कारत से जब यह सवाल किया गया तो उन्होंने तपाक से कहा कि आडवाणी को पता होना चाहिए कि यहां लोकसभा चुनाव हो रहा है और भारत में अभी ऎसी व्यवस्था कायम नहीं हुई है। स्विस बैंक के खातेदारों के नाम उजागर करने की लेफ्ट की मांग पर जद (यू) भी साथ आ गया है। माकपा ने एक माह पूर्व इस मामले को उठाते हुए केन्द्र सरकार से यूनाइटेड देशों की तरह स्विस बैंक में जमा भारतीय धन का ब्योरा और जमा करने वालों को नाम सामने लाने की मांग की थी। शुक्रवार को शरद यादव की तरफ से वही मांग उठाए जाने से मामला गरमा सकता है। शरद ने बताया कि इस समय स्विस बैंक में सबसे अधिक धन भारतीयों का है। उनके अनुसार 27 लाख 8 हजार करोड का कालाधन बैंक में जमा है जिसे लाकर जनता के हित में लगाना चाहिए।

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