कौन-सी पार्टी केंद्र में आएगी, कौन-सा नेता प्रधानमंत्री के आसन पर बैठेगा और कौन-सा नेता चुनाव जीतेगा, ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जिन्हें लेकर सट्टेबाजी तेजी पकड़ रही है। फिलहाल बाजार में जो भाव चल रहा है, उसके मुताबिक यूपीए और मनमोहन सिंह सटोरियों के हॉट फेवरिट बने हुए है और इन दोनों का भाव सबसे मजबूत चल रहा है। जहां तक केंद्र में सरकार बनाने की बात है, तो यूपीए का भाव इस वक्त 2 से 2.50 रुपये के बीच चल रहा है। इसकी तुलना में एनडीए का भाव फिलहाल 4 से 4.50 रुपये के आसपास है। थर्ड फ्रंट इन दोनों से काफी पीछे है। उसका भाव 8 से 8.50 रुपये के बीच ही है। बता दें कि जिस कैंडिडेट या पार्टी का कम भाव लगता है, वह उतना ही ज्यादा मजबूत होता है। सटोरियों की नजर में पीएम की दौड़ में फिलहाल मनमोहन सिंह सबसे आगे हैं। उन पर सटोरियों ने 1.50 रुपये का दांव लगा रखा है। एनडीए के पीएम उम्मीदवार लाल कृष्ण आडवाणी पर दांव 5 रुपये का लग रहा है। थर्ड फ्रंट में मायावती पर 10 रुपये का दांव लग रहा है। इस सूची में शरद पवार भी थे, मगर पीएम की दौड़ में खुद को अलग करने के बाद उन पर दांव लगना बंद हो गया है। उनका भाव करीब 8 रुपये का था। सटोरियों के अनुसार 'भाव' राजनीतिक घटनाक्रम के साथ बदलते रहते हैं। एनडीए के कुछ घटक दलों द्वारा इससे किनारा कर लेने से एनडीए के दाम काफी गिर गए थे, लेकिन अब इसमें कुछ तेजी आ रही है। वरुण गांधी मामले के बाद हिंदुत्व के नाम पर बीजेपी का आक्रामक रुख सामने आया है। अगर बीजेपी इसे और भुनाएगी तो इसके दाम में और मजबूती आ सकती है। सटोरियों के अनुसार, इससे बीजेपी के पक्ष में हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण में इजाफा हो सकता है। भाव के मामले में यूपीए और एनडीए में इतना फासला क्यों? सटोरियों का कहना है कि आज की तारीख तक यूपीए गठबंधन, एनडीए से बेहतर है। बेशक लालू और अमर सिंह ने कांग्रेस के साथ गठबंधन को पूरी तरह सफल करार नहीं दिया है, लेकिन फिर भी इसे असफल नहीं कहा जा सकता। उधर एनडीए के साथ ऐसी बात नहीं है। जिन पार्टियों ने उसे छोड़ दिया है, उनके चुनाव परिणाम के बाद भी लौटने की संभावनाएं कम हैं। यही वजह है कि एनडीए को लेकर बाजार पसोपेश में है। एक सटोरिये ने बताया कि बाजार की स्थिति हर दिन बदलती रहती है। हो सकता है, कल एनडीए या थर्ड फ्रंट के पक्ष में कोई शानदार राजनीतिक समीकरण बन जाए। ऐसी स्थिति में एनडीए और आडवाणी या फिर थर्ड फ्रंट की स्थिति बाजार में मजबूत होने लगेगी। सट्टेबाजी का नेटवर्क शेयर बाजार के नेटवर्क जैसा हो चुका है। जिस तरह ब्रोकरों के जरिए शेयरों के दाम लगाये जाते हैं, उन्हें खरीदा और बेचा जाता है, उसी तरह चुनाव परिणाम को लेकर सट्टेबाजी का कारोबार किया जाता है। कारोबार करने के लिए सबके कोड तय कर लिए जाते हैं। सटोरिये अपने पैसे तो सट्टेबाजी में लगाते ही हैं, आम आदमी को भी इसमें जोड़ते हैं। खास बात यह होती है कि अगर आपका दांव ठीक लग गया, तो ठीक नहीं तो सारी रकम चली जाएगी।
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