Sunday, May 31, 2009
''अटल के जमाने की समरसता नहीं रही
मुख्यमंत्री का चायपान पर पहुंचा विपक्ष
विधानसभा चुनाव शिवसेना-भाजपा साथ लड़ेंगे
नजारा काफी बदला बदला
आपदा पीडितों के गुस्से का शिकार बुद्धदेव भट्टाचार्य
रामसुन्दर दास जद-यू संसदीय दल के नेता
आडवाणी भाजपा संसदीय दल के नेता
Saturday, May 30, 2009
डायन प्रथा हमारी संस्कृति का अपमान : किरण
राष्ट्रपति अभिभाषण को मंजूरी
भाजपा के कारण राजग हारा : जद (यू)
संसदीय सचिव को पीटा
प्रत्येक जिले में लगेंगे रोजगार मेले : श्रम मंत्री
Friday, May 29, 2009
भारतीयों पर हमले से मनमोहन चिंतित ऑस्ट्रेलियाई को किया आगाह
उप्र में विस की 12 सीट पर उपचुनाव जल्द
समानीकरण में बरतें पारदर्शिता
कोलकाता लौटे पांच मंत्री
सपा के प्रदेश सचिव पार्टी से निष्कासित
सोनिया जल्द बनाएंगी अपनी नयी टीम
भाजपा को एजेंडा बदलना होगा-ब्रजेश मिश्र
Thursday, May 28, 2009
स्वागत के साथ शिक्षा मंत्री को बताई समस्याएं
राहुल की दाडी की चर्चा
मंदी में बहुत उम्मीद नहीं रखें-ममता
सरकार से रिश्ते बनाने में जुटे नीतीश
अनुभव व युवा ऊर्जा का मिश्रण : मनमोहन
मंत्रिमंडल का विस्तारः शपथ समारोह जारी
पानी का मोल समझना होगा : अशोक गहलोत
राज्य सरकार पर भरोसा नहीं : ममता बनर्जी
विकास यात्रा पर निकलेंगे नीतीश कुमार
पुलिस प्रशासन में व्यापक फेरबदल
लाव-लश्कर के साथ रेल भवन पहुंचेंगी ममता बनर्जी
मंदी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को संकट से उबारना प्राथमिकता : प्रणव मुखर्जी
Tuesday, May 26, 2009
भाजपा को बचायेंगे या निपटायेंगे नरेन्द्र मोदी
मंत्रिमंडल विस्तार कल
जहानाबाद से प्रारंभ धन्यवाद यात्रा
आपदा प्रबंधन में सरकार विफल-ममता
मसौदा प्रस्ताव श्रीलंकाई तमिलों के हित में नहीं
आडवाणी की वेबसाइट बदली
चेतना का प्रवाह और जागरूकता दोनों ही जरूरी : सीपी जोशी
केन्द्रीय मंत्री सीपी जोशी ने कहा कि भूमंडलीयकरण के इस दौर में समन्वय की चेतना का प्रवाह और जागरूकता दोनों ही जरूरी हैं। दिल्ली में मंगलवार को उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी द्वारा किए गए द ट्रांजीशन टू ए ग्लोबल कांसीयशनेस पुस्तक के लोकार्पण समारोह में बोलते हुए उन्होंने सुझाव दिया कि इलेक्ट्रानिक मीडिया को अपना कोड ऑफ कंडक्ट बनाना चाहिए कि कौन विजुअल आम जनता के बीच में जाना चाहिए और कौन सा नहीं। विएना के गुरूद्वारा में हुई हिंसात्मक घटना पर चिंता प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि इस प्रकार की घटनाएं लोकतांत्रिक देशों के लिए चुनौती हैं। इन घटनाओं को कवर करने के दौरान इलेक्ट्रानिक मीडिया को इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि समाज में हिंसा व उत्तेजना का वातावरण न बनाएं। विएना घटना के बाद पंजाब में हुआ बवाल इस बात का प्रमाण है। उपराष्ट्रपति अंसारी ने कहा कि ग्लोबल कांसीयशनेस शब्द में एक प्रकार की अंब्रेला टर्म है, जो कई प्रश्न खडे करती है लेकिन अगर ग्लोबल कांसीयशनेस तैयार होती है तो जागरूकता का क्षितिज बढता है। उन्होंने कहा कि भूमण्डलीकरण का अर्थ बाजार से लेकर मनुष्य के भाग्य तक जुड गया है। दु:ख की बात यह है कि भूमण्डलीकरण को संकुचित तरीके से देखा जा रहा है।
Monday, May 25, 2009
खासी मशक्कत करनी पड़ रही है यूपी के नामों पर
खासी मशक्कत करनी पड़ रही है यूपी के नामों पर
मध्यप्रदेश से लेकर दिल्ली तक लॉबिंग
भाकियू के हरपाल गुट का धरना
इंतजार कर रहे हैं जोशी व सांसद
सुरक्षा के लिए वह नई पारी में नए तरीके की लडाई
तय नहीं हो सके मंत्री व विभाग
यह तय नहीं हो सका कि कहां से कितने मंत्री और किसे क्या विभाग दिया जाएक् प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से मंगलवार को विस्तार की घोषणा तो की गई, लेकिन हालात दिखाई नहीं दे रहे हैं। विस्तार के संबंध में देर शाम तक न तो प्रधानमंत्री कार्यालय और ना ही राष्ट्रपति भवन के सूत्र विस्तार के बारे में कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं थे। उनका कहना था कि जैसे ही उन्हे आदेश मिलेगा उस हिसाब से तैयारी कर देंगे। सोमवार को मंत्रिमंडल विस्तार और विभागों को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल और वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के बीच दिन भर बैठकें चलती रही। कांग्रेस के सामने द्रमुक के सात मंत्रियों को उनकी पसंद के विभाग सौंपे जाने के साथ दूसरे बडे सहयोगी तृणमूल को भी 5 और विभाग देने हैं। सपं्रग में शामिल घटक दल भी मंत्रालय की उम्मीद लगाए हैं।नेशनल कांफे्रंस तो गठन के समय शामिल न किए जाने से नाराजगी जता चुकाहै। केरल कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा, एआईएमआईएम समेत अन्य छोटे दल भी मंत्रालय पर नजर लगाए हुए हैं। कुल मिलाकर 15 से 17 मंत्रालय सहयोगियों को देने होंगे। सहयोगियों के चलते गत 22 तारीख को शपथ लेने वाले आधे से ज्यादा मंत्री अभी विभागों की बाट देख रहे हैं। उस दिन प्रधानमंत्री समेत 19 मंत्रियों ने शपथ ली थी। इसके साथ राज्यवार प्रतिनिधित्व देने का भी कांग्रेस पर भारी दबाव है। कांग्रेस अध्यक्ष के राज्य उत्तर प्रदेश से ही आधा दर्जन सांसद कैबिनेट की उम्मीद पाले हुए हैं। राजस्थान से भी तीन से चार मंत्री बनाए जाने हैं। हरियाणा, पंजाब व उत्तराखंड जैसे राज्यों से भी कई दिग्गज उम्मीद लगाए हुए हैं। कांग्रेस तय नही कर पा रही है कि अभी किन राज्यों को महत्व दिया जाए। पिछली सरकार में उत्तराखंड, छत्तीसगढ जैसे छोेटे राज्यों की उपेक्षा की गई थी। कांग्रेस अध्यक्ष इस बार सभी राज्यों को मौका देने के मूड में है। इसलिए माना जा रहा है कि विस्तार एक दिन के लिए टल भी सकता है या एक और विस्तार बाद में किया जाए।
Sunday, May 24, 2009
राजनीतिक करिअर खत्म तो नहीं हो गया अर्जुन सिंह का
नेतृत्व परिवर्तन की आस में बेठे कई भाजपा नेताओं के मंसूबे ढेर
चुनाव प्रचार के दौरान ही भाजपा के वरिष्ठ नेता पीएम इन वेटिंग लालकूष्ण आडवाणी ने घोषणा की थी कि यदि प्रधानमंत्री नहीं बन सके तो राजनीति से संन्यास ले लेंगे और इसी अनुरूप उन्होने परिणामों के बाद लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता का पद संभालने से भी इंकार कर दिया। भाजपा में अभी ऐसा कोई अन्य नेता नहीं है जिसे आडवाणी के उत्तराधीकारी के रूप में सर्व सम्मति से स्वीकारा जा सके। इसलिए उनका पद संभालने के लिए कई नेताआें के दिल में हिलोरे उठने लगे। आपसी फूट रोकने के लिए सभी नेताओं ने आडवाणी से अपना फैसला बदलने का आग्रह किया और लोह पुरूष पिघल गए तथा अपना निर्णय बदल कर पद संभालना मंजूर कर लिया।
आडवाणी के फैसले से विभिन्न्न रायाें के प्रांतीय नेताआें को भारी राहत मिलेगी। प्राय: हर पार्टी में कोई भी चुनाव हारने के बाद महत्वकांक्षी नेता स्थापित नेतृत्व पर आक्रमण कर उसे पद से हटवाने की मांग करते ही हैं ओर राजस्थान भाजपा में भी यही हुआ। अब सवाल यह है कि क्या राजस्थान में वसुंधरा राजे को विपक्ष की नेता व ओमप्रकाश माथुर को प्रदेश अध्यक्ष से हटाया जा सकता है? उन्हें हटाने के बाद ऐसा कौन नेता है जो अगले चुनावाें में खोई हुई सत्ता वापस दिलाने की क्षमता रखता हो। यूं तो प्रदेश में हरिशंकर भाभडा,ललित किशोर चतुर्वेदी, भंवरलाल शर्मा जैसे दिग्गज भैरोसिह शेखावत के मंत्रिमंडल में रह उनके उत्तराधिकारी के रूप में माने जाते थे। किंतु शेखावत के उप राष्ट्रपति बनने के बाद पार्टी के राष्ट्रीय नेताओ ने इन में से किसी को भी प्रदेश की बागडोर नहीं सौंपी और वसुंधरा राजे को नेतृत्व सौंपा। जिन्होने अपने दम पर भाजपा को स्पष्ट बहुमत दिला सत्ता हासिल की। पांच साल में कई नेताआें के मन में यह बात आई कि उनको प्रदेश का नेतृत्व मिल जाए तो वे सीएम बन सकते हैं। इनमें एक ओमप्रकाश माथुर है जो गुजरात के प्रभारी थे तब नरेन्द्र मोदी की सत्ता वापसी में खुद ही योग्यता का दम भरने लगे। मोदी के कारण उन्हें वसुंधरा को पूछे बिना प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया। आपसी संदेह के कारण विधानसभा चुनावाें में दोनो की पटरी नहीं बैठी और चुनाव हार गए लोकसभा चुनावाें में भी यही हस्र हुआ तो दोनो को हटाने की मांग उठ गई। पार्टी आलाकमान के पास अभी वसुंधरा राजे जैसा कोई सशक्त नेतृत्व नहीं है। वह अकेली नेता है जिसके प्रति सम्पूर्ण प्रदेश में कार्यकर्ताओ का रूझान देखा जा सकता है। उनकी तुलना में ओमप्रकाश माथुर काफी पीछे हैं। किन्तु उन्हें गुजरात के मुख्यमंत्री नेरन्द्र मोदी का वृहदहस्त प्राप्त होने से उन्हें राष्ट्रीय नेता छेडने की स्थिति में नहीं है वैसे भी जब आडवाणी ने ही संन्यास की अपनी घोषणा को नजरअंदाज कर विपक्ष का नेता बनना स्वीकार कर लिया तो अब वे प्रादेशिक नेतृत्व को बदलने की स्थिति में नहीं है। उत्तराखंड में मुख्यमंत्री को हटाने की मांग भी इसीलिए खारिज कर दी गई। अगले पांच साल विपक्ष में रहकर कांग्रेस सरकार का मुकाबला करने के लिए वसुंधरा के अलावा कोई नेता दिखाई नहीं देता। क्याेंकि कांग्रेस ने उन पर जो भ्रष्टाचार के आरोप लगाए उनका सामना व जवाब देने का काम वहीं कर सकते। लोकसभा चुनावाें में कांग्रेस राहुल गांधी के युवा शक्ति को अधिक तवाो देने के कारण यादा समर्थन हासिल कर सके। इसकी तुलना में भाजपा हरिशंकर भाभडा, ललित किशोर चतुर्वेदी, भंवरलाल शर्मा या रामदास अग्रवाल जैसे नेताआें को आगे कर प्रदेश में वोट बैंक नहीं बढा सकती। यदि इनमें इतनी क्षमता होती तो पार्टी वसुंधरा को केन्द्र से नहीं भेजती। आज प्रदेश नेतृत्व 50 से 60 साल के नेता को सौंपा जाता है तो वह युवा शक्ति को भी आकर्षित कर सकेगा। बुजुर्गों को भी साथ लेकर उनके मार्गदर्शन में सफलता प्राप्त कर सकता है। पूर्र्व उप राष्ट्रपति शेखावत ने लोकसभा चुनावाें से पूर्व अपने दामाद नरपतसिंह राजवी को प्रतिपक्ष का नेता बनवाने के लिए वसुंधरा राजे पर कांगेस द्वारा लगाए भ्रष्टाचार के आरोपाें को उछाला था। लेकिन राजवी में जनता को अपने प्रति बांधे रखने की क्षमता होती तो विधानसभा चुनावाें में उन्हें चित्तोड छोडकर जयपुर नहीं जाना पडता। कैलाश मेघवाल व गुलाबचंद कटारिया भी प्रदेश का नेतृत्व करने की क्षमता रखते हैं। किन्तु उनकी वसुंधरा से पटरी नहीं बैठती। इसलिए जेसा अभी तनाव दिखाई दे रहा वैसा बना रहेगा। भाजपा में अभी राजेन्द्र सिंह राठौड, डॉ सांवरमल जाट, किरण माहेश्वरी, श्रीचन्द्र कृपलानी, रामलाल जाट जैसे चेहरे ही ऐसे है जो वसुंधरा के साथ अपनी सक्रीयता से प्रदेश भर में पुन: संगठन में जान फूंक सकते हैं। हालांकि गुटबाजी में उलझे नेता किरण व कृपलानी को हारे हुए नेताआें की संज्ञा देकर उनके नाम का विरोध करेेंगे लेकिन चुनाव हार कर ही कांगेस भी पुन: सत्ता में लौटी है और वे सभी मंत्री भी वापस जीतकर आए जो हजाराें वोटो से हारे थे। भैरोसिंह शेखावत 93 में श्रीगंगानगर से न सिर्फ विधानसभा चुनाव हारे अपितु तीसरे स्थान पर रहने के बावजूद मुख्यमंत्री बने।
जमीनी सच्चाई से दूर हो गए थे
किसी मंत्री के खिलाफ कार्रवाई नहीं-बसपा
बाला साहेब के अहसान मत भूलो राज-उद्धव
संप्रग सरकार में शामिल होने के लिए मान गए करूणानिधि
Saturday, May 23, 2009
तृणमूल कांग्रेस के छह और सदस्यों को मंत्री पद मिल सकता
मंत्री 5 दिन रहेंगे राज्य में
इस्तीफों पर फैसला कल
गंभीर आत्ममंथन का समय
युवा नेतृत्व को उभारने की आवश्यकता
भाजपा के नवनिर्वाचित सांसदों की बैठक 31 मई को
Friday, May 22, 2009
कांग्रेस और डीएमके के रिश्ते तो खराब नहीं होंगे : मनमोहन
पहली प्राथमिकता मध्यप्रदेश
सपा-बसपा और कांग्रेस में चलेगा शीतयुद्ध
भाजपा संसद सत्र के लिए रणनीति तैयार करने में जुट गई
राज्य हितों पर देंगे विशेष ध्यान-जोशी
सीपी को मंत्री बनाने में गहलोत की महत्वपूर्ण भूमिका रही
चुनाव व्यय लेखे प्रस्तुत नहीं करने पर नोटिस
डॉ सीपी जोशी को केबिनेट मंत्री के रूप में शामिल करने पर हर्ष
आतिशबाजी एवं मिठाई वितरण : जिला कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं नगर पार्षद प्रदीप पालीवाल के नेतृत्व में कार्यकतर्ा्रआें ने कांकरोली चौपाटी पर भव्य आतिशबाजी कर मिठाई वितरीत की। करीब एक घंटे तक आतिशबाजी करने से चौपाटी पर लोगो का हुजुम इकट्ठा हो गया। वहीं गगनभेदी कांग्रेस और सीपी जोशी जिन्दाबाद के नारे लगते रहे। इस अवसर पर नगर अध्यक्ष गोविन्द सनाढय, भगवत सिंह गुर्जर, दिनेश नन्दवाना, दीपक पालीवाल, जयदेव कच्छारा, प्रकाश सोनी, वरिष्ठ नेता एवं व्यापार प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष घनश्याम पालीवाल, अरविन्द नन्दवाना, सत्यनारायण पालीवाल, अख्तर मंसूरी, हकीम चुडीगर आदि उपस्थित थे।