Saturday, May 23, 2009

गंभीर आत्ममंथन का समय

अखबार के संपादक बलदेवभाई शर्मा ने अपने हस्ताक्षर से लिखे विशेष संपादकीय में कहा है कि चुनाव परिणामों की चेतावनी और चुनौतियां यदि किसी के लिए सबसे ज्यादा गंभीर रूप से उभरकर आई है तो वह है भाजपा और भाजपा के लिए यह गंभीर आत्ममंथन का समय है। चुनाव में हार-जीत एक सहज प्रक्रिया है। हार निराशा का कारण नहीं बननी चाहिए। उस पर आत्ममंथन तथा आत्मशोधन कर प्रगति के पथ पर आगे बढना ही अभीष्ट है।जनभावनाएं साथ संघ ने कहा है कि जनभावनाओं के अपने साथ होने और पिछले कई चुनावों में भाजपा की जनस्वीकार्यता लगातार बढने के बावजूद पार्टी जनता की पहली पसंद क्यों नहीं बन सकी यह एक गंभीर प्रश्न है।

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