मुझे सरकार चलानी है और मुझे इस बात की भी चिंता करनी है कि सरकार असरदार हो। यह बात प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने डीएमके बॉस एम. करुणानिधि ने गुरुवार को देर शाम कही। आमतौर पर बेहद शालीन रहने वाले मनमोहन सिंह के ये कड़े शब्द डीएमके की मलाईदार मंत्रालयों की मांगों के सामने कांग्रेस के न झुकने के रुख की ओर ही संकेत करते हैं। प्रधानमंत्री के संदेश को करुणानिधि की बेटी और केंद्र में अहम मंत्रालय की दावेदार कनिमोझी ने तमिल में तर्जुमा कर अपने पिता को सुनाया। संदेश की तासीर घाघ राजनेता करुणानिधि को समझ में आ गई। मौके की नजाकत को भांपते हुए अपने प्रशंसकों-समर्थकों के बीच कलिंजर के नाम से मशहूर करुणानिधि ने अपने सांसदों के साथ शुक्रवार को 10.10 बजे चेन्नै जाने वाली सुबह की फ्लाइट पकड़कर जाने की योजना पर अमल करने का फैसला किया। पद और गोपनीयता की शपथ लिए जाने के बाद शुक्रवार शाम प्रधानमंत्री ने यह साफ कर दिया कि महत्वपूर्ण मंत्रालय कांग्रेस अपने पास रखेगी। पीएम ने कहा, हमें डीएमके द्वारा कैबिनेट बर्थ के लिए प्रस्तावित टी.आर.बालू और ए. राजा के नामों पर कोई ऐतराज नहीं है। यह किसी व्यक्ति विशेष का मसला नहीं हम आधारभूत ढांचे पर जोर देना चाहते हैं, इसलिए कुछ मंत्रालयों को लेकर फेरबदल की जा रही है। बुनियादी ढांचों से जुड़े मंत्रालयों को लेकर कांग्रेस के कड़े रुख को देखते हुए यह साफ था कि डीएमके या तो कांग्रेस की शर्त पर मंत्रिमंडल में रहे या फिर बाहर। प्रधानमंत्री से जब पूछा गया कि इस तरह के टकराव से कहीं कांग्रेस और डीएमके के रिश्ते तो नहीं खराब होंगे, पीएम ने कहा कि यह दौर बीत जाएगा। मुझे मालूम है कि वह वापस आएंगे।
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