यूपी में लोकसभा चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं ने एकजुट होकर समाजवादी पार्टी और उसके नेता मुलायम सिंह यादव को हराया। कल्याण सिंह से मुलायम की दोस्ती के विरोध में आम मुस्लिम ने यह तय किया था कि समाजवादी पार्टी के मुस्लिम प्रत्याशियों को किसी हालत में नहीं जीतने देना है। इसी का परिणाम रहा कि समाजवादी पार्टी के किसी भी मुस्लिम प्रत्याशी को सफलता नहीं मिल पाई। हालत यह रही कि अलीगढ से खडे किए गए सपा के मुस्लिम प्रत्याशी को हराने के लिए सहसवान से मुस्लिम टोली भेजी गई और उसने अपना काम किया। इस तरह मुस्लिम ने यह साबित कर दिया कि कल्याण सिंह से दोस्ती के चलते समाजवादी पार्टी को फायदे के बजाय नुकसान अघिक हुआ है। पिछली बार समाजवादी पार्टी के 7 मुस्लिम सांसद का चुनाव जीते थे, लेकिन इस बार एक भी मुस्लिम प्रत्याशी नहीं जीता जबकि उसने दस मुस्लिम प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे थे। मुस्लिम ने अपनी ही कीमत पर कल्याण सिंह और मुलायम सिंह की दोस्ती का विरोध किया। बहुजन समाज पार्टी से भी मुस्लिम बहुत खुश नहीं था। वह यह मानता रहा है कि बसपा नेता मायावती ने भाजपा के साथ मिलकर तीन बार सरकार चलाई और आगे भी वे भाजपा के साथ जा सकती हैं। यही कारण रहा कि यूपी में मुस्लिम सांसद पिछले बार के 11 से घटकर 7 रह गए। बसपा ने सबसे ज्यादा 14 मुस्लिम प्रत्याशी उतारे थे, जिनमें से 4 प्रत्याशी जीते। उधर कांग्रेस ने 9 मुस्लिम प्रत्याशी उतारे थे जिनमें से तीन प्रत्याशी जीते। सपा के पास पिछली बार 7 मुस्लिम सांसद थे, लेकिन इस बार एक भी नहीं जीता। भाजपा ने रामपुर से एक मात्र मुस्लिम प्रत्याशी के रूप में अपने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी को उतारा था, लेकिन वे नहीं जीत पाए। मुस्लिम प्रत्याशियों में चार पश्चिमी यूपी से जीते हैं। जिनमें कैराना से बसपा की तबस्सुम हसन, मुजफ्फरनगर से कादिर राणा और सम्भल से शफीकुर्रहमान वर्क जीते हैं। सीतापुर से बसपा की कैसरजहां जीती हैं। मुरादाबाद से कांग्रेस के मो. अजहरूद्दीन पर लखीमपुरखीरी से जफर अली नकवी चुनाव जीते। मध्य यूपी की फरूर्खाबाद सीट से कांग्रेस के सलमान खुर्शीद जीते। पूर्वांचल समेत बाकी किसी इलाके से कोई मुस्लिम प्रत्याशी नहीं जीता। आजमगढ, गाजीपुर, वाराणसी, श्रावस्ती, घोसी, सुल्तानपुर के मुस्लिम प्रत्याशी दूसरे नम्बर पर रहे। मुलायम सिंह ने कल्याण सिंह से दोस्ती के बदले भले ही इटावा मैनपुरी, कन्नौज, फिरोजाबाद जैसी अपनी सीटें निकालने में मदद हासिल की हो, लेकिन कल्याण फैक्टर उतना लाभकारी नहीं रहा, जितना कि घाटे का सौदा रहा। कल्याण सिंह के प्रभाव वाले क्षेत्रों में पीलीभीत, शाहजहांपुर, आंवला, बदायूं, बुलन्दशहर, सम्भल, मैनपुरी, इटावा, एटा, फरूर्खाबाद, कन्नौज, फिरोजाबाद, हाथरस, अलीगढ, फतेहपुर सीकरी, उन्नाव, हरदोई, मिश्रिख, बरेली, रामपुर माने जाते हैं। इनमें से मुलायम को बुलन्दशहर, मैनपुरी, इटावा कन्नौज, फिरोजाबाद, हरदोई और रामपुर में ही सकारात्मक कल्याण फैक्टर का लाभ मिला है। हालांकि परिणामों के बाद भी मुलायम सिंह कह रहे हैं कि कल्याण सिंह के साथ दोस्ती बरकरार रहेगी।
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