Monday, August 31, 2009

यहां भी पहुंचा 'बवाल'

दिल्ली से जयपुर तक भाजपा के अन्दरूनी झगडों की आंच भीलवाडा तक पहुंच गई है। पूर्व सांसद सुभाष बहेडिया को सदस्यता अभियान का जिला प्रभारी बनाए जाने पर पार्टी के कई पदाधिकारियों व निवर्तमान प्रदेश उपाध्यक्ष वीपी सिंह ने बगावती तेवर अपना लिए। भाजपा यहां भी वसुन्धरा राजे खेमे एवं प्रदेश अध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी खेमे में बंटी दिखाई दी।

भाजपा सदस्यता अभियान के प्रदेश संयोजक वासुदेव देवनानी की अध्यक्षता में सोमवार को हुई पार्टी के जिला पदाधिकारियों की बैठक में खेमेबंदी की झलक साफ दिखाई दी। बैठक से वीपी सिंह के उठकर चले जाने के बाद संगठन में बवाल की स्थिति है। अभियान के लिए मण्डल संयोजकों की नियुक्ति में पार्टी संगठन को विश्वास में नहीं लेने का आरोप लगाते हुए सिंह के नेतृत्व में शाम को अलग बैठक हुई।
बैठक में कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों की बात सुनने के बाद सिंह ने सदस्यता अभियान नियुक्ति को लेकर आक्रामक तेवर दिखाए। उन्होंने देवनानी पर ही अविश्वास जताते हुए कहा- 'सदस्यता अभियान में जिला प्रभारियों की नियुक्ति के नाम पर पार्टी की मुखालफत करने वालों को पुरस्कृत किया जा रहा है। मैडम के खिलाफ रहे लोगों को प्रभारी बनाकर आखिर क्या चाहते हैं। सभी जानते हैं कि सुभाष बहेडिया ने लोकसभा चुनाव में यहां के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ माहौल बनाया था'।
जिलाध्यक्ष दामोदर अग्रवाल ने पार्टी अनुशासन की दुहाई देते हुए कहा कि सिंह के माध्यम से कार्यकर्ताओं की बात आगे पहुंचाई जाएगी। बैठक में भाजपा के कई पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने कहा कि किसी भी सूरत में बहेडिया को जिला प्रभारी स्वीकार नहीं करेंगे।
बाल आप्टे से करेंगे शिकायत सिंह के अनुसार वह कार्यकर्ताओं की शिकायतों को एक-दो दिन में सदस्यता अभियान के राष्ट्रीय संयोजक बाल आप्टे के समक्ष रखेंगे। उन्होंने जरूरत पडने पर कार्यकर्ताओं को दिल्ली पहुंचने के लिए तैयार रहने को भी कहा।

आखिरकार बीजेपी ने सीखा सबक

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और बीजेपी में अध्यक्ष पद पर बदलाव के संबंध में संघ द्वारा पूरी तरह से स्पष्ट कर दिए जाने के बाद मंगलवार को हरिद्वार में संघ के शीर्ष नेता पार्टी के भविष्य के बारे में विचार विमर्श करेंगे। लेकिन सूत्रों ने साफ कर दिया है कि पार्टी अध्यक्ष और बीजेपी शासन में देश का प्रधानमंत्री केवल संघ की पृष्ठभूमि से होगा। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष लालकृष्ण आडवाणी को बीजेपी का शीर्ष नेता बताते हुए संघ और बीजेपी नेताओं ने पार्टी में बदलाव की जिम्मेदारी आडवाणी पर डाल दी है। संघ प्रमुख तीन दिन तक बीजेपी नेताओं से विचार विमर्श करने के बाद हरिद्वार पहुंच गए हैं और आडवाणी से भेंट करने के बाद पूर्व संघ प्रमुख केएस सुदर्शन भी हरिद्वार पहुंच गए। बीजेपी में मचे बवाल के बाद पार्टी सूत्रों ने बीजेपी के कर्णधारों को नया पाठ सीखा दिए जाने की बात कही है। जसवंत सिंह और सुधींद्र कुलकर्णी का उल्लेख करते हुए सूत्रों का कहना है कि ऐसे नेताओं को पार्टी ने हर महत्वपूर्ण पद दिया लेकिन अब वे पार्टी की विचारधारा को लेकर ही सवाल खड़ा कर रहे हैं। उनका कहना था कि जसवंत सिंह पार्टी में रह कर जिंदगीभर सांसद रहे और सत्ता में आने पर मंत्री रहे। पार्टी ने उन्हें पूरा सम्मान और महत्व दिया। केवल पार्टी अध्यक्ष और प्रधानमंत्री बनाने को छोड़ कर उन्हें शीर्ष पर रखा। लेकिन अब वह विष वमन कर रहे हैं। इसी प्रकार से सुधींद्र कुलकर्णी ने किया। यदि पार्टी सत्ता में आती तो सुधींद्र प्रधानमंत्री कार्यालय में प्रमुख सचिव के पद पर होते। वही सुधीन्द कुलकर्णी अब ममता बनर्जी की पार्टी में शामिल होकर बीजेपी की विचारधारा से असहमति दर्शा रहे हैं। कुल मिला कर पार्टी ने बाहर से आने वाले नेताओं के प्रति अधिक सावधान रहने की तैयारी शुरू कर दी है। संघ के सुर में सुर मिलाते हुए सूत्रों का कहना था कि बीजेपी के रोजमर्रा के मामले में संघ दखल नहीं देता लेकिन विचार विमर्श तो संघ के साथ चलता है। पार्टी में जो भी आगे के बदलाव होने हैं उनमें आडवाणी की महत्वपूर्ण रहेगी। आडवाणी बीजेपी के शीर्ष नेता हैं और वह सही समय पर उचित निर्णय लेंगे। हरिद्वार में संघ प्रमुख ने भी कहा कि पार्टी में वह अपनी भूमिका खुद तय करेंगे। भविष्य में पार्टी में सब कुछ अच्छा रहेगा। आडवाणी के दिशा निर्देशन में पार्टी अपनी समस्याओं का हल खोज लेगी। गौरतलब है कि पार्टी संविधान के अनुसार राजनाथ सिंह को अध्यक्ष पद पर अगला कार्यकाल नहीं मिल सकता। इसी आधार पर पार्टी प्रवक्ता ने कहा था कि राजनाथ सिंह को अगला कार्यकाल नहीं मिलेगा। दूसरी ओर, संघ द्वारा यह स्पष्ट किए जाने के बाद कि आडवाणी ही आगे के लिए रास्ता बनाएंगे तो राजनाथ सिंह के कार्यकाल की समाप्ति के बाद दिसंबर में ही बदलाव हो सकते हैं। ऐसी भी चर्चा है कि आडवाणी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ सकते हैं तो वह भी नए अध्यक्ष द्वारा पार्टी की कमान संभाले जाने के बाद ही होने की संभावना है।

शरद यादव दूसरी बार बने जेडी (यू)के अध्यक्ष

जनता दल (यू) की राष्ट्रीय परिषद ने शरद यादव को दूसरी बार पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया। पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में शरद यादव को सर्वसम्मति से राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने की घोषणा की गई। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव के निर्वाचन अधिकारी सुभाष चंद श्रीवास्तव ने इस संबंध में औपचारिक घोषणा करते कहा कि उनके अलावा किसी अन्य का नामांकन दाखिल नहीं हुआ। बासठ साल के शरद यादव लोकसभा में बिहार के मधेपुरा का प्रतिनिधित्व करते हैं। अध्यक्ष पद पर पुन: निर्वाचित होने के बाद उन्होंने सूखा और महंगाई की स्थिति से निपटने में यूपीए सरकार पर विफल रहने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि देश में सूखे और महंगाई की समस्या का हल खोजने के लिए तमाम राज्यों के मुख्यमंत्रियों का दो दिन का सम्मेलन बुलाया जाना चाहिए। एक तरह से संपूर्ण उत्तर भारत भयंकर सूखे की चपेट में है। देश में महंगाई आसमान छू रही है। सूखे की समस्या का हल केंद्र और राज्य सरकारों के सहयोग के बगैर निकलना संभव नहीं है। इसके लिए मुख्यमंत्रियों की दो दिन की बैठक होनी चाहिए। देश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के पूरी तरह से चरमरा जाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि यह प्रणाली सूखे की इस विकट स्थिति का मुकाबला करने में सक्षम नहीं है। इस बात पर विस्तार से चर्चा की जानी चाहिए कि इस प्रणाली को मजबूत बना कर सूखा प्रभावित क्षेत्रों में लोगों तक अनाज कैसे पहुंचाया जाए। भ्रष्टाचार को गरीबी का सबसे बड़ा कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि गरीबों और आम आदमी के कल्याण का धन चंद लोगों ने लूट का जरिया बना लिया है। भ्रष्टाचार के खिलाफ मुद्दा गुम हो गया है जिस खिलाफ लोगों को गोलबंद किया जाना चाहिए। बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पार्टी के सीनियर नेता जॉर्ज फर्नांडिस, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रामसुंदर दास, पार्टी की बिहार प्रदेश की इकाई के अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह लल्लन, पार्टी प्रवक्ता शिवानंद तिवारी, महासचिव अरुण कुमार श्रीवास्तव सहित पार्टी के कई सीनियर नेता, सांसद, विधायक और विभिन्न प्रदेशों के अध्यक्ष शामिल हुए।

13 अक्टूबर को महाराष्ट्र, हरियाणा और अरुणाचल में वोटिंग

हरियाणा , महाराष्ट्र और अरुणाचल प्रदेश विधान सभाओं के चुनाव एक ही दिन आगामी 13 अक्टूबर 2009 को होंगे। तीनों राज्यों में वोटों की गिनती 22 अक्टूबर को होगी। तीनों राज्यों में चुनाव आचार संहिता तत्काल प्रभावी हो गई है। आयोग ने केंद्र सरकार व सम्बद्ध राज्य प्रशासनों से कहा है कि वह ऐसी कोई घोषणाएं न करें जो इन राज्यों के मतदाताओं को प्रलोभित करे। महाराष्ट्र विधान सभा का कार्यकाल तीन नवम्बर और अरुणाचल प्रदेश विधान सभा का कार्यकाल 24 अक्टूबर 2009 को पूरा हो रहा है। हरियाणा विधान सभा को राज्यपाल ने राज्य सरकार की सिफारिश पर समय पूर्व गत 21 अगस्त को भंग कर दी थी। आयोग ने तीनों राज्यों के चुनाव एक साथ कराने का फैसला किया है। आयोग ने सभी राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे धर्म स्थलों को चुनाव प्रचार का केंद्र न बनाएं। संयम बरतें और ऐसी कोई बयान बाजी न करें जिससे उन्माद पैदा हो। हरियाणा में विधान सभा भंग होने के बाद छापे गए बड़े- बड़े सरकारी विज्ञापनों के बारे में आयोग की जब प्रतिक्रिया जानी गई तो मुख्य चुनाव आयुक्त नवीन चावला ने कहा कि चुनाव की घोषणा के साथ ही आदर्श चुनाव संहिता लागू हो गई है। अब ऐसी कोई भी ऐसी शिकायत आयोग के सामने आती है तो कार्यवाही की जाएगी। तीनों विधान सभाओं के चुनाव के लिए अधिसूचना 18 सितम्बर को जारी की जाएगी। 25 सितम्बर तक नामांकन पत्र दाखिल होंगे। अगले दिन 26 सितम्बर को नामांकन पत्रों की जांच होगी। नाम 29 सितम्बर तक वापस लिए जा सकेंगे। नवीन चावला ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें के इस्तेमाल को लेकर उठे विवाद को दरकिनार करते हुए कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें पूरी तरह से फूल प्रूफ हैं। इन्हें लेकर किसी तरह का संशय किया जाना उचित नहीं। आयोग इनके इस्तेमाल को लेकर पूरी तरह से संतुष्ट है। तीनों विधान सभा चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों से ही वोट डाले जाएंगे।

राजे बीमार, वेंकैया से मिले दुष्यन्त

जयपुर/नई दिल्ली। प्रतिपक्ष के नेता पद पर विवाद को लेकर आलाकमान से बातचीत के लिए दिल्ली गर्ई वसुन्धरा राजे सोमवार को अस्वस्थ हो गई। तेज वायरल बुखार के कारण वे पार्टी के वरिष्ठ नेता वेंकैया नायडू से दोपहर में अपनी तय मुलाकात नहीं कर पार्ई।

अधिकृत सूत्रों के अनुसार उनके सांसद पुत्र दुष्यन्त सिंह, वेंकैया से उनके घर पर मिले और राजे के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी दी। राजे के चिकित्सक डॉ. सुधीर भण्डारी ने उन्हें एक सप्ताह के आराम की सलाह दी है।
भण्डारी आज राजे की तबियत बिगडने पर जयपुर से दिल्ली गए। राजे के प्रवक्ता ने बताया कि तेज बुखार व लीवर में सूजन के कारण उनकी रविवार रात अचानक तबियत बिगडी।
डॉ. भण्डारी ने बताया कि राजे 27 अगस्त से ही बीमार थीं। उन्हें वायरल और जोडों में दर्द की शिकायत थी। उन्हें जयपुर में आराम की सलाह दिए जाने के बावजूद उन्होंने सडक मार्ग से जयपुर से दिल्ली यात्रा की, जिसकी वजह से उनकी तबियत ज्यादा खराब हो गई। उन्होंने बताया कि राजे की खून की जांच में इन्फेक्शन पाए गए हैं।
स्वस्थ होने पर होगी मुलाकातसमाचार एजेंसी ने भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद के हवाले से खबर दी है कि वसुन्धरा के स्वस्थ होते ही उनकी वेंकैया से जल्द मुलाकात होगी। प्रसाद ने कहा कि राजे राजस्थान में लोकप्रिय नेता हैं और पार्टी की सम्मानित नेता बनी रहेंगी। वे राजस्थान की राजनीति का महत्वपूर्ण केन्द्र बिंदु हैं और पार्टी उनके अनुभवों व लोकप्रियता का लाभ उठाएगी।
राजे के प्रतिपक्ष के नेता का पद छोडने के समय के बारे में पूछने पर प्रसाद ने कहा कि वे स्वयं कह चुकी हैं कि वह पार्टी से भावनात्मक लगाव रखती हैं और पार्टी आलाकमान का हर निर्देश मानेंगी।
माथुर गए दिल्लीपूर्व प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश माथुर आज शाम को सडक मार्ग से दिल्ली जाने के तय कार्यक्रम के बजाय दोपहर में अचानक हवाई मार्ग से दिल्ली चले गए। उनके निकटवर्ती सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह व वरिष्ठ नेता वेंकैया नायडू के बुलावे पर माथुर को अचानक जाना पडा। दिल्ली में वे दोनों नेताओं से मुलाकात करेंगे।
भाजपा में हलचल जारीहरिद्वार/नई दिल्ली। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को हरिद्वार में कहा कि लालकृष्ण आडवाणी व राजनाथ सिंह पार्टी में अपनी भूमिका खुद तलाशेंगे। उधर भाजपा ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसवन्त सिंह की जगह संसद की लोकलेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष पद पर अपने नए नेता को बिठाने के लिए कोशिशें शुरू कर दी हैं। इस मामले को लेकर जहां आडवाणी ने लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार से, तो सुषमा स्वराज ने जसवन्त सिंह से मुलाकात की।

Saturday, August 29, 2009

मंगला देश को समर्पित

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शनिवार को बाडमेर के सांचौर बेसिन में नागाणा स्थित मंगला प्रोसेसिंग टर्मिनल के पेट्रोलियम ब्लॉक राष्ट्र को समर्पित किया। क्रूड आयल एक्सप्लोर मशीन का बटन दबाकर प्रधानमंत्री ने उत्पादन प्रक्रिया का आधिकारिक शुभारंभ किया। बॉम्बे हाई के बाद देश का दूसरे बडे ऑयल फील्ड के साथ ही राजस्थान देश के तेल उत्पादक राज्यों की कतार में शामिल हो गया है। मनमोहन सिंह शनिवार सुबह विशेष विमान से दिल्ली से बाडमेर के उत्तरलाई एयरपोर्ट पहुंचे और इससे पहले वह हेलिकॉप्टर के जरिए रामसर गए। वहां उन्होंने सोनिया चैनल में हरित राजस्थान के तहत पौधारोपण के बाद और नरेगा के काम का निरीक्षण किया। इस मौके पर प्रधानमंत्री के साथ केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवडा, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पेट्रोलियम राज्य मंत्री जतिन प्रसाद सहित केयर्न इंडिया के सीईओ व एमडी राहुल धीव मौजूद थे।
केयर्न इंडिया की प्रदर्शनी कहां से कहां तकसमारोह स्थल पर केयर्न इंडिया की ओर से एक्सपीरियंस सेंटर बनाया गया है। इसमें क्रूड आयल एक्सप्लोर करने के काम में आने वाली हीट इसोलेटेड आयल पाइपलाइन का डेमो, क्रूड आयल के सैंपल, लोडिंग ट्रक का डेमो रखा गया है। इनके जरिए आयल निकालने व आयल ट्रक में डालने की प्रक्रिया को लोगों को समझाया जाएगा। केयर्न इंडिया के निदेशक रिक बोट लोगों को इस संबंध में प्रजेंटेशन देंगे।
आठ कुओं से निकलेगा तेलशुरूआती तौर पर मंगला क्षेत्र के आठ कुओं से रोजाना 30 हजार बैरल तेल निकाला जाएगा और इसे ट्रकों के जरिए बंदरगाह भेजा जाएगा। हिन्दुस्तान के सबसे बडे जमीनी तेल भण्डार से पूरी क्षमता से तेल निकलने पर देश का आयात कम होने से सालाना 6.8 अरब डॉलर की बचत हो सकेगी।


भाजपा खुद तय करे अपना रास्ता

अन्दरूनी कलह से जूझ रही भाजपा के मामलों में किसी तरह का दखल देने से साफ इनकार करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने शुक्रवार को साफ कहा कि भाजपा को अपने भविष्य की दशा-दिशा खुद तय करनी होगी। आडवाणी की जगह नए नेता को लाने के सवाल को टालते हुए भागवत ने कहा कि नेतृत्व का मुद्दा भाजपा को ही हल करना होगा। यदि पार्टी को जरूरत है तो वह हमसे सलाह ले सकती है। उन्होंने विश्वासपूर्वक कहा कि भाजपा का पतन नहीं होगा और पार्टी राख से भी खडी हो जाएगी।
केशव कुंज स्थित आरएसएस मुख्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरूण शौरी के इस वक्तव्य पर कि आरएसएस को पार्टी की बागडोर हाथ में ले लेनी चाहिए, पर संघ प्रमुख ने कहा, 'अरूण शौरी अत्यंत प्रतिष्ठित और वरिष्ठ बुद्धिजीवी हैं, भागवत ने कहा कि दूसरों के बारे में उनके कथन पर वे टिप्पणी नहीं करेंगे, लेकिन संघ का यही रूख रहा है कि पार्टी जरूरत पडने पर हमसे सलाह ले सकती है।'
जल्दी ही सब कुछ ठीक हो जाएगाभागवत बोले-देश में लाखों कार्यकर्ता हैं, जो पार्टी के लिए तपस्या कर रहे हैं। इसी वजह से पार्टी का कभी पतन नहीं होगा। मुझे पूरा भरोसा है कि सब कुछ ठीक हो जाएगा। भाजपा स्वायत्त और स्वतंत्र पार्टी है। पार्टी की पहंुच देश भर में है और यह मौजूदा संकट से उबर जाएगी। उन्होंने बताया कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष से उन्होंने कहा है कि पार्टी मौजूदा परिस्थितियों पर विचार करे और वह एकमत होकर चले।
पूछें तो पचास नाम बता देंगेयह पूछने पर कि भाजपा का अगला नेता कौन होगा। और सुझाव मांगने पर क्या कोई एक नाम सुझाएंगे। भागवत ने कहा कि किसे आगे लाना है यह तय करना पार्टी का काम है, संघ का नहीं। उन्होंने कहा कि अगर संघ से नेता का नाम सुझाने के लिए कहा गया तो वह पार्टी को पचास नाम बताएंगे लेकिन एक नाम तय उसे ही तय करना होगा।
नेता की उम्र भी पार्टी तय करेयह पूछे जाने पर कि अब भाजपा में अटल-आडवाणी की भूमिका कौन निभाएगा और उसकी उम्र क्या होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नेता और उसकी उम्र पार्टी को ही तय करनी होगी। भागवत ने कहा कि उम्र के बारे में वे पहले ही एक टीवी इन्टरव्यू में अपनी राय व्यक्त कर चुके हैं। भागवत ने शिमला में भाजपा की चिन्तन बैठक से पहले इन्टरव्यू में कहा था कि आदर्श उम्र 55 से साठ साल के बीच हो सकती है। उन्होंने यह भी संकेत दिया था कि सत्तर की उम्र के बाद रिटायर हो जाना चाहिए।
किताब पढेंगे तो राय देंगेभाजपा से निष्कासित नेता जसवन्त सिंह की पुस्तक 'जिन्ना: इण्डिया-पार्टीशन, इण्डिपेन्डेन्स' के बारे में आरएसएस प्रमुख ने कहा कि समय न मिल पाने के कारण उन्होंने यह पुस्तक अभी नहीं पढी है। उन्होंने वादा किया कि वे मोहम्मद अली जिन्ना की तारीफ करने वाली इस किताब को जरूर पढेंगे और उसके बाद उस पर अपनी राय देंगे।
कांग्रेस ने प्रेस कान्फ्रेंस रद्द कीनई दिल्ली। सर संघ चालक मोहन भागवत के संवाददाता सम्मेलन पर कांग्रेस ने सधी हुई प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि संघ ने भी स्वीकार कर लिया है कि भाजपा का पतन हो चुका है। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि बाकी मुद्दों पर वह कोई प्रतिक्रिया नहीं देगी। यह उनका अंदरूनी मामला है। कांग्रेस ने शुक्रवार को अपने नियमित संवाददाता सम्मेलन को स्थगित कर रखा था। समझा जा रहा है कि कांग्रेस भी भागवत के संवाददाता सम्मेलन पर नजर लगाए हुए थी।
भाजपा में राजनीतिक सरगर्मी तेजनई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के दिल्ली पहुंचने के बाद भाजपा में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। भागवत की भाजपा के अंदरूनी मामलों में दखल न करने की टिप्पणी के बीच पार्टी के सुषमा स्वराज, अरूण जेटली, वेंकैया नायडू और अनंत कुमार ने संघ प्रमुख से मुलाकात की। ये चारों नेता आडवाणी के करीब माने जाते हैं। इस बीच खबर है कि आडवाणी भी शनिवार को भागवत से मुलाकात करेंगे। सबसे पहले संघ मुख्यालय सुषमा स्वराज पहुंची।
उसके बाद नायडू और अनंत पहुंचे, सबसे अंत में जेटली पहुंचे। भागवत के साथ चारों नेताओं की करीब दो घण्टे तक चर्चा हुई। वहां से ये चारों नेता एक ही गाडी में आडवाणी के घर पहुंचे और उनसे चर्चा की। संघ सूत्रों ने बताया कि इन चारों नेताओं ने संघ प्रमुख को यह समझाने का भरसक प्रयास किया कि आडवाणी को लेकर पार्टी के भीतर कोई संकट नहीं है। शुक्रवार देर शाम भा जपा प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने भी आडवाणी के पक्ष के बयान जारी कर कहा कि पार्टी आडवाणी के साथ है।

संघ ने दिखाए तेवर, बीजेपी में बदलाव के फॉर्म्युले पर माथापच्ची

बीजेपी में रोज़-रोज़ की जूतम पैजार के बाद पार्टी में बदलाव की कमान परोक्ष रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने खुद संभाल ली है। संघ के सभी शीर्ष नेता एक साथ दिल्ली में मौजूद हैं और इस बार वे हर हाल में बीजेपी के संकट को सुलझाना चाहते हैं। शुक्रावर को संघ के सरसंघचालक मोहन राव भागवत ने बीजेपी में बदलाव के लिए सार्वजनिक रूप से तीन संदेश दिए। पहला, लालकृष्ण आडवाणी को विपक्ष के नेता पद से इस्तीफा देना होगा। दूसरा, पार्टी अध्यक्ष पद से दिसंबर में राजनाथ सिंह की विदाई हो जाएगी। तीसरा, पार्टी के सभी फैसलों में आडवाणी और राजनाथ सिंह की संयुक्त भूमिका रहेगी। संघ ने बीजेपी में बदलाव के लिए इस बार दबाव बढ़ाकर इन दोनों नेताओं के सामने कोई विकल्प नहीं छोड़ा है। साथ ही यह संकेत भी दे दिया है कि बीजेपी पर संघ की पकड़ ढीली नहीं हुई है।
इधर, संघ के नए तेवर से बीजेपी में हड़कंप मच गया है। भागवत ने पार्टी की दूसरी पंक्ति के चारों प्रमुख नेताओं अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, वेंकैया नायडू व अनंत कुमार को बुलाकर झंडेवालान में उनसे दो घंटे से ज्यादा लंबी चर्चा की। बताया जा रहा है कि इस बैठक में बीजेपी में नए नेतृत्व को सामने लाने पर चर्चा हुई। इसके बाद ये चारों नेता ने एक साथ आडवाणी के घर पहुंचे और सारी स्थिति पर विचार-विमर्श किया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अभी तक जिस फॉर्म्युले पर बीजेपी बढ़ रही है उसके मुताबिक सुषमा स्वराज आडवाणी की जगह विपक्ष की नेता, राजनाथ की जगह अरुण जेटली पार्टी अध्यक्ष और जेटली की जगह वेंकैया नायडू राज्यसभा में विपक्ष की नेता बन सकते हैं। आडवाणी आज भागवत से मिलने वाले हैं और पूरी संभावना है कि इस बैठक में वह उनके सामने इस फॉर्म्युले को पेश करेंगे। अगर, संघ प्रमुख इस पर मुहर लगा देते हैं, तो इसे अमल में लाया जाएगा। पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह पहले ही संघ प्रमुख से मिलकर अपनी सफाई दे चुके हैं।NBT

कांग्रेस नहीं छोड़ेगी एनसीपी का हाथ

कांग्रेस ने महाराष्ट्र में एनसीपी के साथ अपने दस साल पुराने रिश्ते को बनाए रखने का संकेत देते हुए कहा है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच तालमेल होने में कोई समस्या नहीं आएगी। गौरतलब है कि अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र के कुछ कांग्रेस नेता एनसीपी से तालमेल के पक्ष में नहीं हैं। चुनाव पूर्व सर्वे के लिए दिल्ली से महाराष्ट्र गए कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि विधानसभा क्षेत्रों के नए परिसीमन और लोकसभा चुनावों के नतीजों के बाद कांग्रेस को वहां 180 से 200 सीटों पर अपना दावा करना चाहिए। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने इस पर कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा है कि हम 122 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। पिछली बार 2004 के समझौते में एनसीपी को 121 और कांग्रेस को 167 सीटें मिली थीं। वहां कुल 288 सीटें हैं। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि केन्द्र में हम पांच साल से और महाराष्ट्र में दस साल से एनसीपी के साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं। अभी चुनाव घोषित नहीं हुए हैं। समय आने पर सब ठीक हो जाएगा। हाल के लोकसभा चुनावों में महाराष्ट्र की 48 सीटों में से कांग्रेस 26 पर लड़कर 17 पर जीती थी, जबकि समझौते में एनसीपी को मिली 22 सीटों में से वह केवल 8 सीटें ही जीत सकी थी। कांग्रेस इसे महाराष्ट्र में अपने बढ़े हुए जनाधार के रूप में प्रचारित कर रही है। जबकि एनसीपी का कहना है कि लोकसभा और विधानसभा में मुद्दे अलग होते हैं। 2004 के चुनाव में उसका प्रदर्शन कांग्रेस से अच्छा रहा था। कांग्रेस 167 पर लड़कर 69 सीटों पर चुनाव जीती थी और एनसीपी 121 पर लड़कर 71 सीटें जीती थी।

Friday, August 28, 2009

जसवंत पहुंचे सुप्रीम कोर्ट...कहा किताब पर से प्रतिबंध हटाओ

नई दिल्ली. पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने भाजपा के खिलाफ एक और सियासी चाल चलते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। जसवंत सिंह ने अपनी किताब को गुजरात में प्रतिबंधित किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है। जिसकी सुनवाई सोमवार को हो सकती है।पिछले दिनों शिमला में भाजपा की चिंतन बैठक के दौरान ही गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने आनन-फानन में अपने राज्य में जसवंत की किताब को प्रतिबंधित कर दिया था। इसके पीछे तर्क यह दिया गया कि पुस्तक में लेखक ने लौहपुरुष सरदार पटेल के बारे में अनर्गल बातें कही गई हैं। प्रतिबंध के बाद जसवंत सिंह ने कहा था कि यह किताब पर प्रतिबंध नहीं बल्कि सोच पर प्रतिबंध है।गुजरात में पहले ही किताब को प्रतिबंधित किए जाने के बाद हाईकोर्ट में एक याचिका पहले ही दायर की जा चुकी है। यह याचिका नवनिर्माण आंदोलन के नेता मनीषी जानी व मशहूर लेखक प्रकाश शाह ने दायर की हुई है। याचिका में गुजरात सरकार के आदेश को रद्द करने की मांग की है। याचिका में कहा गया कि पुस्तक को प्रतिबंधित करने के बारे में 19 अगस्त को राज्य सरकार की ओर से अधिसूचना गैरकानूनी व असंवैधानिक है। यह लोगों की पढ़ने-लिखने की स्वतंत्रता पर प्रहार है और 1973 के संशोधित सीआरपीसी की धारा 96 के प्रावधानों के खिलाफ है।

वसुंधरा का इस्तीफे से इनकार

राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष वसुंधरा राजे ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है। सूत्रों के अनुसार वसुंधरा ने पार्टी अलाकमान को ठेंगा दिखाते हुए दो टूक शब्दों में कहा है कि जब तक उनकी मांगे नहीं मान ली जातीं वो दिल्ली जाकर आलाकमान को इस्तीफा नहीं सौंपेंगी। भाजपा आलाकमान ने वसुुंधरा को इस्तीफा देने के लिए 30 अगस्त तक का अल्टीमेटम दिया है।
उल्लेखनीय है कि पार्टी आलाकमान ने पिछले दिनों वसुंधरा को नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफा देने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद प्रदेश भाजपा में घमासान मच गया था। वसुंधरा समर्थन विधायकों ने दिल्ली जाकर पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह से मुलाकात की थी और कहा था कि वसुंधरा को उन्होंने पांच साल के लिए नेता चुना है। विधायकों का कहना है कि वसुंधरा के अलावा उन्हें कोई और नेता मंजूर नहीं है। बताया जा रहा है कि वसुंधरा को 58 विधायक और चार सांसदों का समर्थन प्राप्त है।
इस बीच लोकसभा में विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने वसुंधरा राजे को दिल्ली बुलाया था। वसुंधरा 22 अगस्त को दिल्ली जाकर आडवाणी और राजनाथ सिंह से मुलाकात भी की थी। सूत्रों के अनुसार वसुंधरा ने राजनाथ सिंह के सामने इस्तीफे के लिए तीन शर्ते रखी थीं। वसुंधरा अपना उत्तराधिकारी खुद चुनना चाहती हैं। इसके साथ ही उन्होंने पार्टी से निकाले गए दो समर्थक विधायकों को दोबारा पार्टी में शामिल करने और अपने लिए केन्द्रीय नेतृत्व में अहम भूमिका की मांग भी की है।

भाजपा ने दिया धरना

चौमूं। यहां तहसील कार्यालय के सामने गुरूवार को 11 बजे भाजपा कार्यकताओं ने नाबालिगों का खून निकालने के प्रकरण को लेकर धरना किया। इसके बाद आमसभा आयोजित हुई। इस मौके पर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी ने कहा कि नाबालिग छात्रों का खून निकालकर विधायक भगवान सहाय सैनी ने उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड किया है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुभाष महरिया ने मामले की निष्पक्ष जांच नहीं होने पर ईट का जबाव पत्थर से देने की चेतावनी दी। विराट नगर विधायक फ ूलचन्द भिण्डा, पूर्व विधायक रामलाल शर्मा, नगर अध्यक्ष बाबूलाल पंवार अशोक विजयवर्गीय, पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष दिनेश चतुर्वेदी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इसके बाद प्रदेशाध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी ने खून निकालने के मामले में निष्पक्ष जांच व दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग को लेकर उपखण्ड अघिकारी श्रवण कुमार बुनकर को ज्ञापन दिया। इस मौके पर पार्षद कालूराम जाट, नगर भाजयुमो अध्यक्ष सुनील अग्रवाल, पार्षद रामावतार कुलदीप, पार्षद राजेन्द्र पारीक, पार्षद बजरंग लाल सोनी, पार्षद मदन लाल अग्रवाल सहित कई लोग उपस्थित थे।

परमाणु प्रतिरोध क्षमता का बचाव

पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने गुरूवार को भारत की परमाणु प्रतिरोध क्षमता का बचाव किया है। दूसरी ओर पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्र ने पूर्व परमाणु वैज्ञानिक के. संथानम के वर्ष 1998 के पोखरण परमाणु परीक्षणों की विफलता के दावे को खारिज कर दिया है। देश के परमाणु कार्यक्रम की निगरानी करने वाले कलाम ने कहा कि वर्ष 1998 में थर्मोन्यूक्लियर डिवाइस का परीक्षण पूरी तरह सफल रहा था। उल्लेखनीय है कि पोखरण में दूसरे परमाणु परीक्षणों में समन्वयक की भूमिका निभाने वाले के. संथानम ने दावा किया था कि वे परीक्षण पूरी तरह सफल नहीं थे। कलाम ने बताया कि परीक्षण के बाद परिणामों की दो आधारों पर विस्तृत समीक्षा की गई थी। पहला, विस्फोट स्थल के आसपास लगे भकंप संबंध उपकरण और दूसरा, परीक्षण के बाद घटनास्थल से रेडियोएक्टिव पदार्थो के नमूनों का संग्रहण। उन्होंने कहा कि परियोजना दल द्वारा स्थापित आंकडों के मुताबिक परीक्षण सफल रहा था। परीक्षण के कुछ महीनों बाद कलाम ने कहा था कि परीक्षण से 45 किलोटन ऊर्जा पैदा हुई थी। संथानम के उद्घाटने के बारे में पूछे जाने पर ब्रजेश ने कहा, प्रश्न यह है कि हम उन पर विश्वास करें या उनके बॉस (कलाम) परक् उन्होंने कहा, संथानम देश को गुमराह कर रहे हैं। ऎसा इसलिए है कि वह शायद व्यापक परमाणु परीक्षण निषेध संधि (सीटीबीटी) के विरोध में हैं। इससे पहले रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के पूर्व शीर्ष अधिकारी एवं 1998 के परमाणु परीक्षण के समन्वयक रहे के. संथानम के परीक्षण के सुरक्षा के लिहाज से विफल रहने के दावे पर गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने हैरानी जताई। चिदंबरम ने गुरूवार को मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की बैठक के बाद पत्रकारों से कहा कि वह एक अखबार में प्रकाशित इस रिपोर्ट को देखकर अचरज में पड गए कि पोखरण में हुइ दि्वतीय परमाणु परीक्षण इच्छित नतीजे पाने में नाकाम रहे थे। उन्होंने कहा, मैंने यह रिपोर्ट देखी है। मैं हैरान हूं। सरकार इसका पता लगाएगी।

यशवंत के खिलाफ कार्रवाई नहीं

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने फिलहाल वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने का फैसला किया है। सूत्रों के अनुसार आडवाणी को लेकर यशवंत सिंह के बयानों पर पार्टी अभी कोई कार्रवाई नहीं करेगी। माना जा रहा है कि अंदरूनी कलह में फंसी भाजपा यशवंत सिन्हा के खिलाफ कार्रवाई कर कोई नया बखेडा खडा नहीं करना चाहती।
उल्लेखनीय है कि कल यशवंत सिन्हा ने पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्र के उस बयान का समर्थन किया था, जिसमें मिश्र ने कहा था कि कंधार मामले में लालकृष्ण आडवाणी को सब पता था। मिश्र ने गुरूवार को दावा किया कि विमान को छोडने के बदले तीन आतंककारियों को रिहा करने और जसवन्त सिंह के कंधार जाने के फैसले आडवाणी की मौजूदगी में लिए गए थे। उन्होंने यह भी बताया कि आतंककारियों ने यात्रियों की रिहाई के लिए 20 करोड डॉलर भी मांगे थे।
पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने भी कहा था कि सुरक्षा मामलों की केबिनेट समिति की बैठक में आडवाणी मौजूद थे। इसके साथ ही यशवंत सिन्हा ने जसवंत सिंह का समर्थन भी किया था। उन्होंने जसवंत की किताब पर पाबंदी को अनुचित करार देते हुए कहा था कि भाजपा किसी के विचारों पर प्रतिबंध नहीं लगा सकती।

कांग्रेसी विघायक पर पानी चोरी करने का मुकदमा

सरवाड की सिविल अदालत के न्यायाघीश घूकलराम कस्वां ने केकडी के कांग्रेसी विघायक रघु शर्मा पर पानी चोरी के आरोप में सरवाड पुलिस को मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए है। शर्मा पर बीसलपुर परियोजना की पाइप लाइन से अपने पेट्रोल पम्प पर अवैघ कनेक्शन लेकर पानी चुराने का आरोप है। इस्तगासे में कहा गया कि जहां एक और ग्रामीण फ्लोराइड युक्त पानी पीने को मजबूर है। वहीं शर्मा ने पद का दुरूपयोग कर पेयजल की बर्बादी की है। इस बारे में विघायक शर्मा ने कहा यह उनकी छवि बिगाडने की साजिश है। वे न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते है। उन्होंने कहा कि पहले भी विघानसभा के पूर्व सत्र के दौरान उनके अनुरोघ पर जलदाय विभाग ने मामले की जांच करवाई थी।

Monday, August 24, 2009

भय ग्रस्त भाजपा अब आगे तो नहीं बढ़ पाएगीः जसवंत

भाजपा से हाल में निष्कासित वरिष्ठ राजनीतिज्ञ जसवंत सिंह ने पार्टी को ‘असहिष्णु’ और ‘भय व अविश्वास से ग्रस्त’ बताया है। उन्होंने कहा है कि वे जिन्ना व देश के बंटवारे पर लिखी गई अपनी किताब पर रोक लगाने के गुजरात सरकार के फैसले के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।

उन्होंने कहा, ‘मैं हर हालत में इस पाबंदी का विरोध करूंगा। पहले मेरी किताब पर रोक लगाना और फिर उसकी कॉपियां जलाना, ये कुछ बड़े सवाल हैं। मैं मानता हूं कि इस तरह की गतिविधियों का विरोध करना हर नागरिक का कर्तव्य है।’

ऐसी उम्मीद न थी : जसवंत ने कहा कि किताब की रिलीज पर हंगामे की आशंका उन्हें पहले से थी। लेकिन, उन्हें पार्टी से निकाले जाने की उम्मीद नहीं थी। वे बोले कि अटल बिहारी वाजपेयी के सक्रिय राजनीति से दूर होने के बाद भाजपा असहिष्णु हो गई है।

पहले भी जताया विरोध : उन्होंने बताया कि वे पहले भी कई बातों पर पार्टी के विचारों से असहमति जता चुके हैं। इनमें महाराष्ट्र में शिवसेना से हाथ मिलाना व लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा जैसे मुद्दे शामिल हैं। लेकिन, पहले कभी भी उन्हें अपनी बात रखने से रोका नहीं गया। सभी मामलों पर पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में खुलकर बातचीत हुई। जैसे ही उन्हें लगा कि मुद्दों पर उनके पास बहुमत नहीं है, उन्होंने पार्टी के फैसले को स्वीकारने में देरी नहीं की।

गुजरे दौर की बात : जसवंत के मुताबिक, यह उस गुजरे हुए दौर की बात है जब भाजपा में लोकतांत्रिक तरीके से काम हुआ करता था। अटल बिहारी वाजपेयी के साथ आडवाणी भी उन दिनों उनके विरोध को बर्दाश्त कर लेते थे। जसवंत ने बताया कि वे संघ से ताल्लुक नहीं रखते और न ही कभी उसकी शाखाओं में उपस्थित रहे। मगर, कभी किसी ने उन्हें इसके लिए टोका नहीं।

दूसरी पंक्ति जिम्मेदार : उन्होंने बिना किसी की ओर इशारा किए संकेत दिए कि पार्टी में दूसरी पंक्ति के नेता ही उनकी वर्तमान हालत के लिए जिम्मेदार हैं। वे बोले, ‘दूसरी पंक्ति के नेताओं की असहनशीलता के चलते उन नियमों की धज्जियां उड़ रही हैं, जिनके बिना लोकतांत्रिक ढांचा काम नहीं कर सकता।’

बिखराव की स्थिति : उन्होंने कहा कि नेतृत्व के भयग्रस्त होने से भाजपा में बिखराव की स्थिति है। नेता एक-दूसरे से डरते तो हैं ही, उन्हें पार्टी के नेताओं पर विश्वास भी नहीं है। पहले यह बात कांग्रेस के लिए कही जाती थी, लेकिन अब भाजपा ही इस तरह की समस्याओं की शिकार है। जसवंत ने कहा कि इस तरह की पार्टी को कोई कैसे आगे बढ़ा सकता है?

''आडवाणी को अभी तक भुलाया नहीं''

भाजपा आलाकमान की लाख कोशिशों के बावजूद पार्टी में जारी घमासान थमने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है। जिन्ना प्रकरण को लेकर जसवंत सिंह को पार्टी से निकाले जाने के बाद उम्मीद की जा रही थी कि पार्टी के नेता अनुशासन के चाबुक की फटकार सुनकर चुप हो जाएंगे लेकिन अब पूर्व विनिवेश मंत्री अरूण शौरी ने भाजपा और पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह पर हमला बोल दिया है। उन्होंने न्यूज चैनल एनडीटीवी से बातचीत में भाजपा को कटी पतंग बताते हुए राजनाथ सिंह को ''एलिस इन ब्लंडरलैंड'' करार दिया है। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से अपील की कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को हटाकर कमान अपने हाथों में ले। अरूण शौरी ने यह भी कहा कि पार्टी का नेतृत्व राज्यों से लिया जाए। अरूण शौरी के बयान को भाजपा ने अनुशासनहीनता करार देते हुए कार्रवाई करने के संकेत दिए हैं। भाजपा नेता राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि यह बयान देकर अरूण शौरी ने अपने खिलाफ कार्रवाई को न्यौता दे दिया है। पत्रकार से नेता बने अरूण शौरी को भाजपा का गंभीर और विचारक चेहरा माना जाता है। वह वाजपेयी सरकार में कामयाब मंत्री रहे और अपना दामन उजला रखा। शौरी ने साफगोई का अपना पत्रकारीय गुण राजनीति में भी नहीं छोड़ा। वह अखबारों में लिखते रहते हैं, जो इन दिनों पार्टी के लिए परेशानी का सबब बनने लगा है। भाजपा की हार के बाद सच का सामना करने की मांग उठाने वाली तिकड़ी में जसवंत और यशवंत सिन्हा के साथ वह भी शामिल थे।


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने जिन्ना प्रेम के लिए भाजपा से निष्कासित नेता जसवंत सिंह की जहाँ जमकर खबर ली है, वहीं यह भी जता दिया है कि 2005 में पाकिस्तान के संस्थापक को 'सेक्युलर' बताने वाले लालकृष्ण आडवाणी के आचरण को उसने अभी भुलाया नहीं है।संघ ने जसवंत सिंह या उनकी पुस्तक का नाम लिए बिना कहा कि भारतीय जनमानस में जिन्ना को 'दुष्टात्मा से महात्मा' साबित करने के प्रयास हो रहे हैं, लेकिन केवल समय ही बताएगा कि ये कोशिशें कहाँ तक कामयाब होती हैं।पाकिस्तान यात्रा के दौरान आडवाणी द्वारा जिन्ना को 'सेक्युलर' बताए जाने पर भी परोक्ष प्रहार करते हुए संघ के मुखपत्र 'आर्गनाइजर' के संपादकीय में कहा गया कि यह शोध का विषय होगा कि जिन्ना की प्रारंभिक राजनीति सेक्युलर थी या पाकिस्तान के गठन के बाद उनके एक भाषण में अल्पसंख्यकों की ओर हमदर्दी का हाथ बढ़ाने मात्र से वे पाकिस्तान के हिन्दुओं प्रति उदार हो गए।गौरतलब है कि 2005 में पाकिस्तान यात्रा के दौरान आडवाणी ने जिन्ना के संविधान सभा में दिए इस भाषण का हवाले से ही उन्हें सेक्युलर घोषित कर दिया था, जिसकी कीमत उन्हें भारत आने पर भाजपा के अध्यक्ष पद से हट कर चुकानी पड़ी।संपादकीय में कहीं भी सरदार पटेल का नाम नहीं लिया गया और जिन्ना की इस बात के लिए आलोचना की गई कि उन्होंने हमेशा गाँधीजी, पंडित जवाहरलाल नेहरू और मौलाना आजाद के लिए अभद्र और गाली-गलौच वाली भाषा का प्रयोग कर इन नेताओं का अपमान किया। कुंठित जिन्ना ने कांग्रेस को हिन्दू पार्टी, गाँधी, नेहरू और अन्य कांग्रेसी नेताओं को हिन्दू नेता तथा मौलाना आजाद को 'हिन्दुओं का गुलाम' बताकर हमेशा उनका तिरस्कार किया।

शौरी शहीद होना चाहते हैं : भाजपा

भारतीय जनता पार्टी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ ङ्क्षसह के खिलाफ वरिष्ठ नेता अरूण शौरी की आपत्तिजनक टिप्पणी को अत्यंत गंभीरता से लेते हुये आज उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का संकेत देते हुये कहा कि शौरी शहीद होना चाहते हैं। भाजपा प्रवक्ता राजीव प्रताप रूडी ने शौरी द्वारा एक निजी टीवी चैनल को दिये साक्षात्कार में राजनाथ ङ्क्षसह को कल्पनालोक में जीने वाला कहने और उनके खिलाफ कई प्रतिकूल टिप्पणी करने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा, शौरी शहीद होना चाहते हैं। हम उन्हें लोकप्रिय होने का मौका देंगे। इस बीच भाजपा सूत्रों ने बताया कि शौरी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है और पार्टी से निकाला भी जा सकता है। सूत्रों ने कहा कि शौरी की राज्यसभा की सदस्यता समाप्त हो रही है और वह खुद भी उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होने का अंदेशा व्यक्त कर रहे हैं।

''शीर्ष स्तर से भाजपा का कायाकल्प करना होगा''

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरूण शौरी ने पार्टी और पार्टी नेतृत्व पर निशाना साधते हुए सोमवार को कहा कि मौजूदा नेतृत्व से भाजपा का भला नहीं होगा। इसके लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को आगे आकर चाबुक चलाना होगा और पूरी पार्टी का कायाकल्प करना होगा। वह भी नीचे के स्तर से नहीं बल्कि शीर्ष स्तर से।शौरी ने देर शाम पत्रकारों से चर्चा में कहा, ''पार्टी का पुनर्गठन करने की आवश्यकता है। नीचे से ऐसा करने में 25 साल लग जाएंगे। इसलिए शीर्ष स्तर पर यह पुनर्गठन करना होगा।''उन्होंने कहा, ''पार्टी का कायाकल्प करना होगा। यह वर्तमान नेतृत्व से नहीं होगा। मौजूदा नेतृत्व तो म्यूचुअल प्रोजेक्टिंग और प्रोटेक्टिंग सोसाइटी बन गई है। आरएसएस को चाबुक चलाना होगा।''यह पूछे जाने पर कि क्या आडवाणी को अपना पद छोड़ देना चाहिए। इसके जवाब में शौरी ने कहा, ''एक आदमी के हटने से बिल्कुल कुछ नहीं होगा। एक दो नहीं सारी की सारी टॉप लीडरशीप को हटाना होगा। राज्यों से मेहनती और ईमानदार नेताओं को चुनकर सामने लाना होगा।''उन्होंने कहा, ''मुझ पर कार्रवाई की बात की जा रही है। पार्टी नेतृत्व उठाए गए मुद्दों व समस्याओं को नहीं देख रहा है। वह कार्रवाई की बात कर रहा है। ... तो कर लो कार्रवाई। मैं आज नहीं पिछले तीन वर्षों से कह रहा हूं। आरएसएस और भाजपा के शीर्ष नेताओं तक के सामने मैंने पार्टी हित में मुद्दे उठाए। लेकिन कुछ नहीं हुआ। जब कोई विकल्प नहीं रहा तभी मैं बोल रहा हूं।''भाजपा से निकाले गए पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह के निष्कासन के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ''किताब पढ़े बिना उन्हें निष्कासित कर दिया गया। यह तो कमाल है। यह निर्मित नाराजगी थी। पुस्तक का उत्तर पुस्तक होता है। ऐसी कार्रवाई का कोई फायदा नहीं।''शौरी ने कहा कि भाजपा में कुछ लोग हैं जो छह पत्रकारों के जरिए प्रेस में हम सबके खिलाफ पिछले पांच साल से ''स्टोरी प्लांट'' करवा रहे हैं। अपनी इन बातों के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई करने की पार्टी नेतृत्व को चुनौती देते हुए उन्होंने कहा कि ये लोग अपने कृत्यों से ''हम्टी डम्टी'' बनना चाहते हैं। अगर ऐसा ही है तो मुझे आशंका है कि मेरे या किसी के भी खिलाफ कार्रवाई करने का आपने पहले से ही मन बना लिया है। किसी तरह की अनुशासनहीनता नहीं करने का दावा करते हुए शौरी ने कहा, पार्टी के मामलों में मैंने अनुशासन के दायरे में काम किया है। मैंने पार्टी अध्यक्ष को पत्र लिखा। मैंने उसमें लिखा कि मैं इस पत्र की प्रति किसी और को नहीं भेज रहा हूं। लेकिन उन्होंने कहा कि यह अनुशासनहीनता है। उन्होंने कहा कि कई बार मामले उठाने के बाद भी जब दिखा कि कोई कार्रवाई करने की बजाए उन बातों को प्रेस में लीक किया जा रहा है तब उन्होंने पत्र लिखा। शौरी ने कहा, अंत में मैं आपको (पार्टी के वरिष्ठ नेताओं) पत्र लिख रहा हूं... किसी भी अखबार में मेरे लिखे पत्र प्रकाशित नहीं हुए हैं।शौरी ने कहा कि बी सी खंडूरी और वसुंधरा राजे जैसे नेताओं को चुनाव में हार की जवाबदेही के निर्धारण के तहत इस्तीफा देने को कहा जा रहा है लेकिन ''पार्टी का शीर्ष नेतृत्व'' इस्तीफा नहीं देगा क्योंकि उन्होंने जिम्मेदारी स्वीकार कर ली है। जब उनसे पूछा गया कि क्या आडवाणी को पार्टी छोड़ देना चाहिए तो उन्होंने कहा कि एक नेता को हटाया जाना पर्याप्त नहीं है। शौरी ने कहा कि मेरा सुझाव ''झटका'' (एक बार साफ करना) से है ''हलाल''(धीरे-धीरे मारने) से नहीं। एक दो लोगों को हटाने से काम नहीं चलेगा... सारे के सारे को हटाया जाए। वर्तमान नेतृत्व से स्थिति में बदलाव की उम्मीद नहीं की जा सकती है...पार्टी में आमूलचूल बदलाव की जरूरत है।

अकादमियों को सशक्त बनाया जाएगा : गहलोत

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि राज्य अकादमियों को सशक्त बनाया जाएगा तथा सरकार साहित्यकारों के हर सुख दुख में भागीदार रहेगी।गहलोत आज यहां के के बिडला फाउंडेशन द्वारा साहित्यकार नंद भारद्वाज बिहारी पुरस्कार समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि साहित्यकारों का हमेशा से महत्व रहा है तथा राजाओं के जमाने में भी इनका महत्व रहा था। ये जो राय देते थे उसका बहुत महत्व रहता था। उन्होंने कहा कि आज भी छपे हुए शब्दों पर लोग विश्वास करते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में उर्दू, राजस्थानी, साहित्य, ब्रजभाषा आदि कई अकादमियां हैं। इन अकादमियों का मकसद प्रतिभाओं को आगे लाना हैं। उन्होंने कहा कि सरकार यह प्रयास करेगी कि ये अकादमियां सशक्त बने तथा साहित्यकारों का सरकार में भी महत्व रहेगा और सरकार उनके हर सुखदुख में उनके साथ खड़ी रहेगी।

Friday, August 21, 2009

आलाकमान से मोहलत मांगने दिल्ली पहंचीं वसुंधरा

दिग्गज नेता जसवंत सिंह पर अनुशासन का डंडा चलने के बाद बीजेपी में इसका असर दिखने लगा है। इस्तीफा मांगे जाने पर पहले पार्टी नेतृत्व को आंखें दिखा चुकीं राजस्थान की पूर्व मुखंयमंत्री वसुंधरा राजे दिल्ली पहुंच चुकी हैं और पार्टी नेता लालकृष्ण आडवाणी व राजनाथ सिंह से मिलने के लिए समय मांगा है। बताया जा रहा है कि जसवंत सिंह का हश्र देखकर वसुंधरा ने राजस्थान विधायक दल के नेता पद से अपना इस्तीफा चुपचाप शिमला भेज दिया था और वह आलाकमान से विधानसभा के आगामी सत्र तक पद पर बने रहने की अनुमति चाहती हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक शुक्रवार शाम को दिल्ली पहुंची वसुंधरा ने राजनाथ और आडवाणी से मुलाकात के लिए समय मांगा है। मुलाकात के दौरान बीजेपी के शीर्ष नेता वसुंधरा राजे की बात सुनने के साथ ही उनके रवैये के लिए उनकी क्लास भी लेगा। सूत्रों के अनुसार वसुंधरा आगामी सत्र तक पद पर बने रहने की अनुमति चाहती हैं। चूंकि पार्टी आलाकमान ने पहले भी इस मामले पर जल्दबाजी नहीं की थी, इसलिए संभावना है कि वसुंधरा को कुछ दिन की मोहलत मिल जाए। बीजेपी की सीनियर नेता सुषमा स्वराज शिमला में पहले ही कह चुकी हैं कि वसुंधरा को इस्तीफा देना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड में लोकसभा चुनावों में पार्टी के एक भी सीट जीत पाने में विफल रहने पर वहां के मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी से भी इस्तीफा देने के लिए कहा गया था। NBT


'हक की लडाई लडो'

बहरोड में नेता प्रतिपक्ष वसुंधरा राजे ने कार्यकर्ताओं से कहा है कि वे अपने हक की लडाई लडने के लिए तैयार रहें। वे शुक्रवार को दिल्ली जाते समय अलवर जिले के बहरोड मिड-वे पर अल्प विश्राम के लिए रूकी थी। यहां भाजपा कार्यकर्ताओं ने उनका स्वागत किया। पार्टी में चल रहे अंतर्द्वüद्व के बीच विधायक जसवंत यादव व भाजपा के ज्यादातर पदाधिकारी एवं विधायकों ने स्वागत कार्यक्रम से दूरी बनाए रखी।

यहां उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में राज्य में बिजली, पानी, चारा संकट और महंगाई पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के आठ माह के शासन में राज्य की जनता परेशान हो गई है। इस दौरान उन्होंने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की उपलब्धि गिनाई और कहा कि उनकी सरकार के दौरान राज्य में बिजली-पानी की कोई समस्या नहीं आई। अटल सरकार के समय राज्य में 32 लाख टन गेहूं आया।
उन्होंने उपस्थित लोगों से हक की लडाई लडने तथा राज्य को नंबर एक बनाने का आह्वान किया। स्वागत के दौरान एक महिला ने वसुंधरा राजे को हाथ का पंखा भेंट किया। अपने संबोधन में उन्होंने बार-बार कहा कि पंखा ले लो इसकी जरूरत पडेगी। विधायक दिगम्बर सिंह, राजेन्द्र राठौड, डॉ. रोहिताश्व कुमार शर्मा, ओम बिडला भी उनके साथ थे। भीड व धक्का मुक्की के बीच स्वागत समारोह में लोगों की जेबें कट गई तथा मोबाइल पार हो गए।
बानसूर। जयपुर से दिल्ली जाते समय पूर्व मुख्यमंत्री वसुधंरा राजे का बानसूर विधायक डॉ. रोहिताश्व शर्मा के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने कोटपूतली में स्वागत किया। इस मौके पर जिलामंत्री रघुवीर चौधरी, प्रधान कान्ता शर्मा, ओमप्रकाश गोयल, देवीसिंह शेखावत, शशी मिश्रा, अशोक पंसारी, बालकृष्ण पुरोहित, अनिल मीणा, राधेश्याम शर्मा, सहित सैकडो कार्यकर्ता मौजूद थे।
भिवाडी। भाजपा युवा मोर्चा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य संदीप यादव के नेतृत्व में भाजपा कार्यकर्ताओं ने नेता प्रतिपक्ष वसंुधरा राजे का हाइवे पर स्वागत किया। इस अवसर पर रोजगार प्रकोष्ठ जिला अध्यक्ष जयप्रकाश यादव, पाष्ाüद सुरेन्द्र भिदूडी, सरपंच जगत सिहं, दयाराम गूर्जर, बलराज दायमा, प्रीतम दायमा आदि मौजूद थे।

फिर बदल सकते हैं नाम

शिक्षा संकुल और स्वर्ण जयंती पाठशालाओं से राजीव गांधी के नाम हटाने के पूर्व भाजपा सरकार के कार्य को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजीव गांधी का अपमान और सामंती व तानाशाही सोच का परिचायक बताया। राज्य सरकार शिक्षा संकुल का नाम राजीव गांधी पर करने या संकुल के भीतर राजीव गांधी सर्किल बनाने और पाठशालाओं का नाम पूर्ववत करने के प्रस्ताव पर कार्यवाही कर रही है। यह संकेत राजस्थान शिक्षक कांग्रेस के शुक्रवार को यहां आयोजित सम्मेलन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दिया। सम्मेलन में कई मंत्री व विधायक भी शामिल हुए।
उन्होंने शुरू की परम्परागहलोत ने कहा कि 1998 में हम शिक्षा के क्षेत्र में पिछडे हुए थे। कांग्रेस सरकार ने राजीव गांधी स्वर्ण जयंती पाठशालाएं खोलीं। महापुरूषों के नाम पर शिक्षण संस्थाएं बनती हैं, लेकिन उनका नाम कभी बदला नहीं जाता। पिछली सरकार ने नाम बदलने की परम्परा शुरू कर दी। शिक्षा संकुल का शिलान्यास किया गया तो पत्थर राजीव गांधी के नाम का लगा। उद्घाटन भी उनके नाम पर ही हुआ।
पूर्व भाजपा सरकार ने डॉ. राधाकृष्णन जैसी हस्ती को राजनीति में घसीटा और सामंतवादी व तानाशाही रवैया अपनाते हुए संकुल का नाम बदल दिया। मुख्यमंत्री ने शिक्षा संकुल का नाम बदलने, संकुल में राजीव गांधी सर्किल बनाने और 20 अगस्त को शिक्षा दिवस मनाने की संगठन की मांगों पर कहा कि इस बारे में सरकार कार्यवाही कर रही है। कार्यक्रम में राज्य भर से आए शिक्षकों को केन्द्रीय भूतल परिवहन राज्य मंत्री महादेव सिंह खण्डेला, पूर्व उपमुख्यमंत्री कमला, परिवहन मंत्री बृजकिशोर शर्मा, राज्य मंत्री रामकिशोर सैनी, मांगी लाल गरासिया, विधायक प्रताप सिंह खाचरियावास, भगवान सहाय सैनी व नसीम अख्तर ने भी सम्बोधित किया। संगठन के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. पी.सी. व्यास ने कार्यक्रम के उद्देश्य बताए। इससे पूर्व रामनिवास बाग से शिक्षक रैली के रूप में कार्यक्रम स्थल चौगान स्टेडियम पहुंचे।

बैरंग लौटे तीन विधेयक

केन्द्र सरकार ने राज्य की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय पूर्वानुमति के लिए भेजे तीन विधेयकों को इस टिप्पणी के साथ बैरंग लौटा दिया है कि इनके लिए उसकी मंजूरी की आवश्यकता ही नहीं थी। जानकार सूत्रों के अनुसार केन्द्र से लौटे विधेयकों के भविष्य पर अब मौजूदा सरकार फैसला करेगी और इन्हें मंत्रिमण्डल के समक्ष भी रखा जा सकता है। इनमें संगठित अपराधों को रोकने के लिए तैयार चर्चित विधेयक 'रकोका' भी शामिल है।
जयपुर में आतंककारी हमलों के बाद पिछले साल तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने इस विधेयक को कानून बताकर केन्द्र सरकार पर इसे जानबूझकर अटकाने का आरोप लगाया था। राज्य सरकार ने यह विधेयक पूर्वानुमति के लिए केन्द्र सरकार के पास 25 जनवरी 06 को भेजा था। इसी तरह अपार्टमेंट ऑनरशिप के लिए 23 जनवरी 08 को राजस्थान अपार्टमेंट ऑनरशिप एक्ट का प्रारूप भेजा। राजस्थान स्टाम्प संशोधन विधेयक भी 20 फरवरी 08 से केन्द्र सरकार के पास विचाराधीन था। केन्द्र सरकार ने इन तीनों विधेयकों को लौटा दिया है।
क्या है इन विधेयकों में
रकोका संगठित अपराधों को रोकने के लिए इस विधेयक का प्रारूप बना। इसे महाराष्ट्र के 'मकोका' की तर्ज पर तैयार किया गया था।
अपार्टमेंट ऑनरशिप विधेयकफ्लेट्स में दीवार, छत और कॉमन जगह से सम्बन्धित विवादों को समाप्त करने के लिए यह विधेयक लाया गया। महाराष्ट्र, तमिलनाडू, दिल्ली में इस तरह के कानून बने हुए हैं।
स्टाम्प संशोधन विधेयकराजस्थान स्टाम्प संशोधन विधेयक में भूमि रजिस्ट्री मामलों में अपील सम्बन्धी प्रावधान हैं।
धर्म स्वातं˜य विधेयक भी लौटा दिया थाइससे पहले राष्ट्रपति ने उनके पास लम्बित धर्म स्वातं˜य विधेयक भी यह कहते हुए राज्य सरकार को लौटा दिया था कि इस पर नई सरकार अपना मंतव्य स्पष्ट करे। हालांकि यह विधेयक राज्य विधानसभा से पारित होने के बाद राज्यपाल ने राष्ट्रपति को भेजा था। इस विधेयक पर राज्य सरकार ने अभी राष्ट्रपति भवन को अपने मंतव्य से अवगत नहीं करवाया है।
'केन्द्र सरकार से लौटे तीनों विधेयकों का परीक्षण करवाया जा रहा है कि बिना पूर्वानुमति की आवश्यकता के उन्हें दिल्ली क्यों भेजा गया। दिल्ली भेजना कानूनी आवश्यकता नहीं थी तो यह पिछली भाजपा सरकार के कामकाज की अगम्भीरता की बानगी है। मुझे लगता है कि पिछली सरकार की अपार्टमेंट ओनरशिप जैसे कानून लाने की मंशा ही नहीं थी, इसलिए टालने के लिए इसे दिल्ली भेज दिया गया।'- शांति धारीवाल, विधि मंत्री

विधानसभा सत्र 27 से

राज्य विधानसभा का संक्षिप्त सत्र 27 अगस्त से पुन: शुरू होगा। राज्य सरकार के आग्रह पर विधानसभा सचिवालय ने 27 अगस्त को सदन की बैठक बुलाई है। अधिकृत सूत्रों के अनुसार इससे पहले 26 अगस्त को सदन की कार्य सलाहकार समिति (बीएसी) की बैठक होगी, जिसमें कार्य सूची पर चर्चा होगी। यह सत्र एक-दो दिन का होगा। संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने बताया कि इस सत्र में नगरपालिका विधेयक, पंचायती राज संशोधन विधेयक, कोर्ट फीस संशोधन विधेयक पारित करवाए जाएंगे।
इसके अलावा संसद में पिछले दिनों पारित संसदीय व राज्य विधानमण्डलों के निर्वाचन क्षेत्रों में अजा-जजा को आरक्षण सम्बन्धी संविधान संशोधन की पुष्टि के लिए संकल्प भी पारित किया जाएगा। गौरतलब है कि सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के बीच टकराव के हालात के कारण विधानसभा का बजट सत्र पिछली 28 जुलाई को स्थगित कर दिया गया था। सत्ता पक्ष के रवैये को लेकर प्रतिपक्षी भाजपा ने अभी तक सदन की कार्यवाही व समितियों का बहिष्कार कर रखा है।

आडवाणी की खातिर झूठ बोला जसवंत ने

पार्टी से निकाले जाने के बाद लगता है, जसवंत सिंह पूरा बदला ले लेना चाहते हैं। उन्होंने पार्टी की 'पोल' खोलनी शुरू कर दी है। उनका निशाना खासतौर पर लाल कृष्ण आडवाणी दिखाई दे रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हें दुख है कि जिन्ना मुद्दे पर आडवाणी ने उनका साथ नहीं दिया। जिन्ना पर बयान देने पर आडवाणी भी मुसीबत में थे और तब जसवंत सिंह ने उनका साथ दिया था। एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में जसवंत सिंह ने कहा है कि उन्होंने चुनाव अभियान के दौरान कंधार प्रकरण पर आडवाणी का पक्ष लिया था। जसवंत ने कहा कि मैंने यह कहकर आडवाणी का बचाव किया था कि जब मैं आतंकवादियों को लेकर कंधार जा रहा था, तो आडवाणी इस बारे में आडवाणी कुछ नहीं जानते थे। जसवंत ने कहा कि दरअसल आडवाणी पैसेंजरों की रिहाई के एवज में आतंकवादियों को छोड़े जाने के फैसले से अवगत थे। वे जानते थे कि मैं आतंकवादियों को लेकर कंधार जा रहा हूं।

Thursday, August 20, 2009

'आरएसएस पर पटेल ने ही लगाई थी पाबंदी'

जिन्ना के जिन्न को जिंदा करने की सजा में बीजेपी से बेआबरू होकर निकाले जाने के अगले दिन जसवंत सिंह ने बीजेपी के आला नेताओं को याद दिलाया है कि वह सरदार पटेल ही थे, जिन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर सबसे पहले प्रतिबंध लगाया था। जसवंत सिंह को उनकी किताब- 'जिन्ना : भारत, विभाजन, आजादी' में जिन्ना को विभाजन के दोष के लिए बरी करने और जवाहरलाल नेहरू के साथ सरदार वल्लभ भाई पटेल पर उंगली उठाने के लिए बुधवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से बर्खास्त कर दिया गया। आरएसएस द्वारा जसवंत सिंह के विचारों को खारिज किए जाने के बाद पार्टी ने खुद को उससे अलग कर लिया था। पार्टी से निष्कासित किए जाने के बाद भी जसवंत सिंह ने लोकसभा का सदस्य बने रहने की घोषणा की है और संसद की लोक लेखा समिति का अध्यक्ष बने रहने का फैसला भविष्य पर छोड़ दिया है। बीजेपी के संसदीय बोर्ड के सदस्य के नाते पाटीर् की चिंतन बैठक में भाग लेने शिमला गए और पार्टी से निष्कासित होने पर उस बैठक में भाग लिए बगैर वापस दिल्ली लौटने पर जसवंत ने यहां संवाददाताओं से कहा कि मुझे नहीं मालूम की बीजेपी किस आस्था की बात कर रही है, जबकि सरदार पटेल ही वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया। उन्होंने कहा कि मुझे मालूम नहीं कि मैंने मूल आस्था के किस अंश को छेड़ा है।
गौरतलब है कि बीजेपी महासचिव अरुण जेटली ने शिमला में कहा कि सिंह ने अपनी पुस्तक में जिन्ना और सरदार पटेल के बारे में जो कुछ कहा है, वह बीजेपी की विचारधारा और आस्था के एकदम विपरीत है और गंभीर अनुशासनहीनता है। जसवंत सिंह ने कहा कि मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि मैंने पार्टी का कौन सा अनुशासन तोड़ा है और पार्टी की किस विचारधारा का उल्लंघन किया है। उनका कहना था कि आडवाणी के जिन्ना प्रकरण में पार्टी ने कोई प्रस्ताव पारित नहीं किया था। वह केवल नेताओं का बयान था। उन्होंने कहा कि उन्होंने जिन्ना के तौर-तरीकों और लगातार बदलते रुख के बारे में लिखा है जिसका परिणाम देश का विभाजन हुआ था। इसके लिए जितना ब्रिटिश जिम्मेदार थे, उतना ही कांग्रेस के नेता भी जिम्मेदार रहे। उन्होंने याद दिलाया कि आडवाणी के जिन्ना प्रकरण के दौरान वह आडवाणी के साथ खड़े थे। यह सही नहीं है कि उन्होंने कुछ नहीं कहा। उन्होंने कहा कि सभी जानते हैं कि मेरे आरएसएस से संबंध नहीं हैं और मैं कभी आरएसएस का सदस्य नहीं रहा। गुजरात में बीजेपी सरकार द्वारा उनकी किताब पर प्रतिबंध लगाए जाने की आलोचना करते हुए जसवंत ने कहा कि यह किताब पर नहीं, बल्कि सोच पर प्रतिबंध है। सबको व्यक्तिगत रूप से और मिलकर इस बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने इससे असहमति जाहिर की कि उन्हें किताब लिखने से पहले सार्वजनिक जीवन से मुक्ति ले लेनी चाहिए थी। उनका कहना था कि जवाहरलाल नेहरू, मौलाना आजाद, विंस्टन चर्चिल जैसे नेताओं ने सक्रिय राजनीति में रहते हुए ही लिखा। जसवंत ने बताया कि उन्होंने किताब लिखने के बारे में आडवाणी और राजनाथ सिंह को जानकारी दी थी तो उन्होंने कहा था कि वह विधानसभा और लोकसभा चुनावों के समाप्त होने तक इंतजार करें। उन्होंने स्पष्ट करने की कोशिश की कि सरदार पटेल के बारे में उन्होंने जो कुछ लिखा वह अंदाज से नहीं, बल्कि प्रकाशित तथ्यों के आधार पर लिखा है। संसद में बने रहने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वह निर्दलीय सदस्य के तौर पर लोकसभा में बैठेंगे। वह किसी अन्य पार्टी में शामिल नहीं होंगे। लोकसभा अध्यक्ष द्वारा उन्हें जो सीट आवंटित की जाएगी, उस सीट पर वह बैठेंगे। उन्होंने कहा कि बीजेपी के कोर ग्रुप को लिखे अपने पत्र को वह 22 अगस्त को सार्वजनिक करेंगे।

जसवंत की किताब पर बैन सही : कांग्रेस

कांग्रेस ने जसवंत सिंह की किताब पर गुजरात में प्रतिबंध लगाने को उचित ठहराया है। जबकि सीपीआई ने प्रतिबंध का विरोध करते हुए कहा है कि यह अलोकतांत्रिक है और दर्शाता है कि बीजेपी में गैर-आरएसएस विचारों को किस तरह दबाने की कोशिश की जाती है। गुजरात प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सिद्धार्थ पटेल ने कहा कि सरदार पटेल हर गुजराती के मन में एक विशेष छवि रखते हैं। जसवंत सिंह की किताब गुजरातियों के साथ पूरे देश के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाती है। इसके खिलाफ देश भर में कड़ी कार्रवाई होना चाहिए। कांग्रेस ने कहा कि लेकिन जिन्ना के बारे में बीजेपी के ये विचार कोई नई बात नहीं हैं। बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी जसवंत से पहले जिन्ना की शान में कसीदे पढ़ चुके हैं।

करणी सेना ने जताया विरोध

पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसवंत सिंह व राजेन्द्र राठौड को भाजपा से निकाले जाने पर श्रीराजपूत करणी सेना ने विरोध जताया है। सेना के जिलाध्यक्ष सूरजभान सिंह चैनपुरा ने बताया कि जसवंत सिंह का पूरा जीवन भाजपा को संवारने में लगा रहा।
अंत समय में उन्हें अपमानित करके निकाल दिया गया है। इसको लेकर करणी सेना गांव-गांव में जाकर समाज को जागृत करेगी। सीकर। इसी तरह प्रताप फाउण्डेशन ने भी भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से हटाए जाने पर विरोध जताया है। फाउण्डेशन के जिला संयोजक धर्मेन्द्र सिंह नाथावत ने बताया कि इससे राजपूत समाज में आकोश व्याप्त है।

भदेल ने मांगे तीस लाख

विधायक अनिता भदेल ने जवाहरलाल नेहरू शहरी नवीनीकरण योजना के तहत पांच स्कूल भवनों की मरम्मत के लिए स्वीकृत तीस लाख रूपए की राशि कल्याणीपुरा स्कूल भवननिर्माण के लिए देने की मांग की है।
जेएनयूआरएम के तहत स्वीकृत यह राशि अंदरकोट, बडगांव, गुलाबबाडी, कल्याणीपुरा और रामगंज स्थित कच्ची बस्तियों के स्कूली भवनों पर खर्च की जानी है। भदेल ने संभागीय आयुक्त अतुल शर्मा को पत्र लिखकर कहा है कि बेसिक सर्विस आफ अरबन पुअर के तहत स्वीकृत यह राशि सभी स्कूलों पर खर्च होने से आवश्यकताएं पूरी नहींं हो पाएंगी और स्कूल भवनों का भी ढंग से कायाकल्प नहीं हो पाएगा।
इसलिए यह पूरी राशि कल्याणीपुरा उच्च माध्यमिक विद्यालय के भवन निर्माण पर खर्च की जानी चाहिए। फिलहाल इस स्कूल के पास अपना भवन नहींं है और यह दूसरे स्कूली भवन में संचालित हो रहा है। भदेल का मानना है कि इस राशि से स्कूल भवन बन जाने से कच्ची बस्ती एवं ग्रामीण परिवारों के लिए इस एक मात्र स्कूल में छह से 12 तक की कक्षा के छात्र-छात्राओं को बेहतर शैक्षिक और खेलकूद का वातावरण मिलेगा।

विधायकों के मनोनयन को हरी झण्डी

विधानसभा अध्यक्ष दीपेन्द्रसिंह शेखावत ने मिड-डे-मील से सम्बन्धित राज्यस्तरीय एवं जिला स्तरीय समितियों में विधायकों के मनोनयन को हरी झण्डी दे दी है। राज्य सरकार ने विधायकों के मनोनयन के लिए अध्यक्ष से अनुमति मांगी थी।
मनोनयन के आदेश जल्दी ही जारी होंगे। अधिकृत सूत्रों ने बताया कि राज्यस्तरीय समिति में जनसम्पर्क राज्य मंत्री अशोक बैरवा, विधायक राव राजेन्द्रसिंह तथा श्रीमती जाहिदा को मनोनीत किया जा रहा है। जिला स्तरीय समिति में दो-दो विधायकों को लगाया जा रहा है। जयपुर जिला स्तरीय समिति में विधायक राव राजेन्द्रसिंह व प्रतापसिंह खाचरियावास को शामिल किया गया है।
निरीक्षण अभियान : मिड-डे-मील परियोजना के प्रभावी क्रियान्वयन व भोजन की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए निरीक्षण अभियान चलाया जाएगा। यह निर्णय मिड-डे-मील आयुक्त पवन गोयल की अध्यक्षता में दस जिलों के इससे जुडे अघिकारियों की बैठक में किया गया।

अफसरों पर भडके शासन सचिव

टीकाकरण व परिवार नियोजन के लक्ष्यों के मामले में संभाग को फिसड्डी बताते हुए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख शासन सचिव आर.के.मीणा ने गुरूवार को आयोजित रिव्यू बैठक में नाकामियां गिनाना शुरू किया तो संभाग के स्वास्थ्य की बागडोर थामे अधिकारी बगलें झांकते नजर आए। मीणा ने यहां कलक्ट्रेट सभागार में हुई समीक्षा बैठक में संभाग के स्वास्थ्य पर चिंता जाहिर की। बैठक में अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति पर लगे स्टाफ को मूल स्थानों पर भेजने तथा रात के समय सम्बन्धित केन्द्र के स्टाफ का ठहराव सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए।

बीपीएल के लिए ऑनलाइन सिस्टमगरीबी रेखा से नीचे जीवन व्यापन करने वाले (बीपीएल) मरीजों के लिए सरकार ऑनलाइन सिस्टम शुरू करने जा रही है। इस व्यवस्था के बाद मरीज को अस्पताल में अपनी पहचान साबित करने और सुविधा लेने के लिए मशक्कत नहीं करनी पडेगी। प्राथमिक तौर पर शहर और गांव के सामुदायिक स्वास्थ्य के न्द्रों पर इसकी शुरूआत होगी।
दाईयों को संस्थागत प्रसव की अनुमतिबैठक में संस्थागत प्रसव का मुद्दा छाया रहा। मीणा ने संस्थागत प्रसव को बढावा देने के लिए विशेष मॉनिटरिंग करने के साथ गांवों में दाईयों को भी संस्थागत प्रसव करवाने के लिए अनुमति दी है। दाईयों को प्रत्येक प्रसव पर दो सौ रूपए दिए जाएंगे।
स्वाइन फ्लू का खास प्रभाव नहींस्वाइन फ्लू के सम्बन्ध में मीणा ने कहा कि राज्य में अभी यह इतना प्रभावी नहीं है। लोगों को सामान्य खांसी-जुकाम होने या बुखार होने से घबराना नहीं चाहिए। प्रभारी चिकित्सकों के लिए 24 अगस्त को जयपुर में सुरक्षित उपचार का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। बैठक में संभागीय आयुक्त जेपी चंदेलिया, जिला कलक्टर नवीन महाजन, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के निदेशक डॉ. ओपी गुप्ता सहित विभाग के कई आला-अधिकारी शामिल हुए।
आखिर कब बनेगी एबीएनबीसी संभाग के सबसे बडे मातृ एवं अस्पताल (उम्मेद) में स्वीकृति के बावजूद एफिनिटी बेसड् न्यू बोर्न केयर यूनिट की दिशा में कोई कदम नहीं उठाए जाने पर मीणा ने रोष जाहिर किया। मीणा ने बताया कि यहां स्वीकृति, बजट व स्टाफ के आवंटन के बावजूद यूनिट खोले जाने में ढिलाई बरती जा रही है।
हालात असन्तोषजनक'मुख्यमंत्री बीपीएल योजना को छोडकर अन्य सभी मामलों में यहां के हालात असंतोषजनक हैं। मैंने हालात सुधारने की हिदायत दी है।' - आर.के.मीणा, प्रमुख शासन सचिव, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग

60 विधायकों, 4 सांसदों का साथ

नेता प्रतिपक्ष पद को लेकर खींचतान के बीच वसुन्धरा राजे के इस पद पर बने रहने के समर्थन में 60 विधायकों और चार सांसदों के होने की बात सामने आई है। इन विधायकों और सांसदों ने अपने समर्थन के पत्र वसुन्धरा राजे को भेजे हैं। वसुन्धरा राजे के नजदीकी सूत्रों का दावा है कि प्रदेश के 60 विधायकों और सांसदों ने उनके नेता प्रतिपक्ष पद पर बने रहने का समर्थन किया है और वे चाहते हैं कि राजे यह पद नहीं छोडें। नाम न छापने की शर्त पर इनमें से कुछ विधायकों ने कहा कि विधायकों का ही नहीं जनता का समर्थन भी मिल रहा है।
दो विधायकों के निलम्बन से भी रोषइन विधायकों में विधायक दल के सचेतक राजेन्द्र राठौड और विधायक ज्ञानदेव आहूजा को निलम्बित किए जाने पर भी रोष है। इनका कहना है कि जब सब कुछ सही हो रहा था, तो इन्हें निलम्बित करने की जरूरत नहीं थी। उधर राजेन्द्र राठौड के कुछ समर्थक गुरूवार को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी से मिले।
कानून भी साथराजे का समर्थन कर रहे इन विधायकों को पार्टी निकाल भी देती है, तो वे भाजपा के ही सदस्य माने जाएंगे, क्योंकि संविधान के दसवें अनुच्छेद के अनुसार सदस्य जिस पार्टी से चुनाव जीतता है, वही पार्टी उसके पूरे सदस्यताकाल में रहती है। सुप्रीम कोर्ट भी ऎसा निर्णय दे चुका है और इसने असम्बद्ध सदस्य को कानून सम्मत नहीं माना है। राजे के पास चूंकि अधिक सदस्यों का समर्थन है, इसलिए वे प्रतिपक्ष की नेता बनी रह सकती हैं।
संगठन सक्रिय करने में जुटे चतुर्वेदीप्रदेश भाजपा में चल रही खींचतान के बीच प्रदेश अध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी संगठन को सक्रिय करने में जुट गए हैं। उन्होंने युवा मोर्चा को सदस्यता अभियान पर ध्यान देने और महिला मोर्चा को महंगाई व कानून व्यवस्था पर आंदोलन करने को कहा है। वे सदस्यता अभियान की मॉनिटरिंग भी कर रहे हैं। पार्टी में प्रदेश स्तर पर चल रही खींचतान की ओर ध्यान न देने की नसीहत चतुर्वेदी पहले ही कार्यकर्ताओं को दे चुके हैं। गुरूवार को चतुर्वेदी ने महिला मोर्चा और युवा मोर्चा के पदाधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक के बाद युवा मोर्चा ने 18 से 25 वर्ष के मतदाताओं को जोडने के लिए 22 से 29 अगस्त तक विशेष सदस्यता अभियान चलाने की घोषणा की।

Wednesday, August 19, 2009

सरकार ने भी कहा और बढ़ेगी महंगाई

सरकार ने भी यह मान लिया है कि आधा भारत सूखे का सामना कर रहा है और ऐसे में महंगाई पर लगाम लगाना मुश्किल है। कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा कि दाल, चीनी और चावल का उत्पादन लक्ष्य से काफी कम हुआ है। उन्होंने कहा कि सूखे के कारण चावल के उत्पादन में 10 पर्सेंट से ज्यादा की कम आने की आशंका है। ऐसे में चावल के दाम में तेजी आ सकती है। मगर इससे घबराने की बात नहीं है। सरकार अपने खाद्यान्न भंडार से चावल की राशन सप्लाई बढ़ाएगी ताकि गरीब आदमी को तर्कसंगत कीमत पर चावल मिल सके। गौरतलब है कि बरसात में कमी से इस बार खरीफ सीजन में 57 लाख हेक्टेयर में धान की खेती नहीं हो पाई। इस कारण खरीफ सीजन में चावल के उत्पादन में 1 करोड़ टन की कमी होना तय है। पिछले साल यानी 2008-09 में चावल का उत्पादन 991 करोड़ टन हुआ था। यह घरेलू डिमांड के लिए पर्याप्त है। सरकार ने फैसला किया है कि गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को कम कीमत पर खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए सरकार राज्यों को 11.52 करोड़ रुपये की सब्सिडी के तौर पर देगी। इससे पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार ने राज्यों के खाद्य मंत्रियों को संबोधित करते हुए कहा कि खरीफ सीजन में चावल का उत्पादन घटा है। ऐसे में खुले बाजार में इसमें तेजी आ सकती है। मगर अब यह केंद्र और राज्य सरकारों का दायित्व है कि वह किस तरह से इस तेजी को थाम सकते हैं। केंद्र सरकार से महंगाई को थामने के लिए योजना बनाई है, मगर यह पूरी तरह से राज्यों पर निर्भर करेगा कि वे किस तरह से इस योजना को अमल में लाते हैं। सूत्रों के अनुसार केंद्र राज्यों के लिए अपना खाद्यान्न भंडार खोलने के लिए तैयार है, मगर इससे पहले वे उनकी तरफ से लिखित में यह चाहता है कि वहां पर विभिन्न वस्तुओं की डिमांड और सप्लाई की क्या स्थिति है। राज्य सरकारों ने बाजार शक्तियों (खुदरा व्यापारियों) को नियंत्रण में रखने के लिए क्या योजना बनाई है। सबसे अहम बात राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना होगा कि जो खाद्यान्न केंद्र से राज्यों को दिया जा रहा है, वह आम आदमी खासकर गरीब आदमी तक पहुंचे। इधर कृषि सचिव टी. नंद कुमार के अनुसार मौजूदा समय में 209 जिले सूखे से प्रभावित हैं। वर्षा सामान्य से 27 फीसदी कम हुई है।

'नरेगा में भ्रष्टाचार चरम पर'

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधराराजे ने कहा कि कांग्रेस राज में राष्ट्रीय ग्र्रामीण रोजगार गारंटी योजना आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी हुई है। इस योजना का जरूरतमंदों को लाभ नहीं मिल रहा, बल्कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इसे निजी कमाई का जरिया बना लिया है। नरेगा में भ्रष्टाचार फैलने की बात केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री सी.पी. जोशी ने भी स्वीकार की है। नरेगा में जनता को 365 दिन काम मिलना चाहिए। बोरावड में बुधवार को यहां पत्रकारों से बातचीत में राजे ने राज्य सरकार को आडे हाथों लिया। वे परबतसर एवं बोरावड-मकराना आई थीं।
सोलह घंटे बिजली कटौतीराजे ने कहा कि जनता बिजली-पानी को तरस गई है। हमारी सरकार ने 20 से 22 घंटे बिजली सप्लाई दी, लेकिन कांग्रेस के राज में 16 घंटे से भी अधिक बिजली कटौती हो रही है। किसानों को सिंचाई के लिए बिजली नहीं मिल रही है। प्रदेश की जनता को पीने का पानी नसीब नहीं है। कांग्रेस सरकार योजनाएं खत्म कर रही हैं। अकाल के चलते हालत अभी से बिगडने लगे हैं।
जनता उनके साथइससे पूर्व परबतसर में राजे ने कहा कि जनता उनके साथ है। प्रदेश में पार्टी संगठन को उन्होंने खून से सींचा है। भाजपा का जनाधार बढा है। सत्ता व पार्टी संगठन में पद आते-जाते रहते हैं। जनता से बढकर कोई नहीं है भाजपा हाइकमान की ओर से बुधवार को सांसद जसवंतसिंह को निलम्बन करने के सवाल पर उन्होंने चुप्पी साध ली।
बंद कमरे में गुप्त मंत्रणापूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर पर चल रहे घटना क्रम को लेकर विधायक किनसरिया से बंद कमरे में गुप्त मंत्रणा की।
राजे ने दी सांत्वनापरबतसर विधायक किनसरिया के पिता के निधन एवं मकराना प्रधान श्रीराम भींचर के भाई के निधन पर राजे ने सांत्वना दी।

भूखण्ड पर हुई धोखाधडी पर उचित कार्रवाई

भूखण्ड के लिए भूमाफिया के चंगुल में फंसे लोगों को राहत देने के लिए आखिर राज्य सरकार की नींद टूट ही गई। भूखण्ड दिलाने के नाम पर हुई धोखाधडी पर उचित कार्रवाई पर विचार के लिए सरकार ने एक बैठक बुलाई है। सहकारिता विभाग ने दोहरे पट्टों और फर्जी आवंटन के शिकार लोगों को उनकी जमीन पर काबिज कराने के लिए तैयारी कर ली है। सहकारिता मंत्री परसादी लाल मीणा स्वीकार किया कि दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
क्या आप मानते हैं कि जयपुर में भूखण्डों के आवंटन में फर्जीवाडा चल रहा हैफर्जीवाडा है, लेकिन यह बडे स्तर पर नहीं है।
फर्जीवाडा रोकने के लिए सरकार ने क्या प्रयास किएसरकार इस मसले पर गंभीर है। हमने विभाग में अलग से विशेष प्रकोष्ठ का गठन कर दिया।
फर्जीवाडे को जड से खत्म करने की भी कोई योजना हैमैं स्वयं इस प्रकोष्ठ को देख रहा हूं।
गृह निर्माण समितियों के वर्तमान उपनियमों में संशोधन का प्रस्ताव है क्यावर्तमान उपनियम काफी हैं। संशोधन का इरादा नहीं है।
क्या दोषियों को सजा मिलेगीदोषी कोई भी, कितना भी बडा रसूख वाला हो, उसे कठघरे में लाया जाएगा और सजा दी जाएगी।

पूर्व राज्यमंत्री भवानी जोशी गिरफ्तार

बहुचर्चित राजराजेश्वर मंदिर विवाद बुधवार को एक बार फिर गरमा गया। मंदिर परिसर में लगे पोस्टर को कथित तौर पर फाडने के विरोध में कुछ लोगों ने सुबह दूसरे पक्ष के कुशलबाग पैलेस पर पथराव कर दो वाहनों में तोडफोड की।
फिर मुख्य मार्ग पर पूर्व राज्यमंत्री भवानी जोशी के नेतृत्व में जाम लगा दिया। इधर,पुलिस ने पूरे मामले में दोनों पक्षों की ओर से परस्पर मुकदमे दर्ज कर पूर्व राज्यमंत्री जोशी सहित 23 अन्य लोगों को गिरफ्तार किया है। बाद में सभी को संबंधित न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जमानत पर रिहा किया गया।

जसवन्त सिंह को ले डूबे जिन्ना

अपनी नई किताब में जिन्ना की तारीफ करने के बाद से अलग-थलग पड गए वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसवन्त सिंह को आखिरकार पार्टी ने बुधवार को निष्कासित कर दिया। अचानक निष्कासन की सूचना मिलने के बाद आंखों में आंसू लिए जसवन्त सिंह ने आश्चर्य जताया कि कभी वे पार्टी के लिए हनुमान हुआ करते थे, तो आज रावण कैसे हो गए। उन्होंने सफाई का मौका दिए बगैर एक किताब के आधार पर निकाले जाने और निजी रूप से फैसले के बारे में सूचना नहीं देने पर दु:ख जताया। लोकसभा चुनाव पर हार के कारणों पर चिन्तन के लिए शिमला में आज से शुरू तीन दिवसीय बैठक के दौरान पार्टी संसदीय बोर्ड ने सिंह के निष्कासन का फैसला किया। एक दिन पहले ही बयान देकर जसवन्त की पुस्तक 'जिन्ना-इण्डिया, पार्टीशन, इण्डिपेण्डेन्स' में व्यक्त विचारों से पार्टी को अलग बता चुके अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने पत्रकारों को बताया कि संसदीय बोर्ड ने जसवन्त की पार्टी की प्राथमिक सदस्यता समाप्त करने का फैसला किया है।
आंखें भर आईनिष्कासन के बाद संवाददाता सम्मेलन में जसवन्त की आंखें भरी और गला रूंधा हुआ था। उन्होंने कहा कि 30 साल के जुडाव के दौरान पार्टी ने जो दायित्व सौंपा, उसे अपनी क्षमतानुसार निभाया है। सिंह ने कहा कि सेना से इस्तीफा देने के कारण उन्हें पेन्शन भी नहीं मिलती। उन्होंने कहा कि उनका राजनीतिक जीवन समाप्त नहीं हुआ है और सांसद के रूप में सक्रिय बने रहेंगे, लेकिन वह निष्कासन को वापस लेने अथवा पुनर्विचार की अपील नहीं करेंगे। सिंह ने कहा कि केवल किताब लिखने पर कार्रवाई का यह चलन जारी रहा तो किसी राजनीतिक दल अथवा संगठन में पढना, लिखना, चिन्तन, सोच-विचार बन्द हो जाएगा। जसवन्त ने कहा कि पांच वर्षों के अनुसन्धान और शोध के बाद उन्होंने यह किताब लिखी है. इसलिए इस पर उन्हें बिल्कुल भी खेद नहीं है।
आडवाणी का जिन्ना प्रसंगजून 2005 में पाकिस्तान यात्रा के दौरान जिन्ना की तारीफ करने पर वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण को भी पार्टी के भीतर आलोचना का शिकार होना पडा था। संघ की नाराजगी के कारण 2005 के अन्त तक उन्हें भाजपा अध्यक्ष पद छोडना पडा और राजनाथ सिंह पार्टी प्रमुख बने।
बैठक में न आने को कहाराजनाथ सिंह ने बताया कि उन्होंने खुद फोन करके पूर्व केन्द्रीय मंत्री को बैठक में नहीं आने को कहा था और संसदीय दल की बैठक के बाद निष्कासन के फैसले की जानकारी भी दी। वे बैठक में भाग लेने के लिए मंगलवार को शिमला पहुंच गए थे, लेकिन बैठक से दूर रहे।

गुजरात में किताब पर पाबंदी से भडके जसवंत

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से निष्कासित जसवंत सिंह ने गुजरात में अपनी किताब 'जिन्ना-इंडिया, पार्टिशन, इंडिपेंडेन्स' पर प्रतिबंध को किताब पर नहीं बल्कि विचारों पर पाबंदी करार दिया है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसवंत सिंह ने आज गुजरात सरकार की कडी आलोचना करते हुए कहा कि किताब पर लगे प्रतिबंध से वो काफी आहत हुए हैं।
संवाददाताओं से बातचीत के दौरान जसवंत सिंह ने कहा कि 'गुजरात सरकार ने सिर्फ किताब को नहीं बल्कि विचारों को प्रतिबंधित किया है।' उन्होंने मोदी सरकार के इस कदम की तुलना सलमान रूशदी के विवादस्पद पुस्तक पर पूर्व में लगे प्रतिबंध से की है। इस्लाम पर विवादास्पद अंश को लेकर रूशदी की पुस्तक 'सैटनिक वर्सेस' पर भी इसी तरह पाबंदी लगा दी गई थी।
गुजरात की नरेन्द्र मोदी सरकार ने कल देर रात पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना पर लिखी जसवंत सिंह की किताब पर प्रतिबंध लगा दिया। गुजरात सरकार के अनुसार जसवंत सिंह ने अपनी किताब में देश के पहले प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है। उल्लेखनीय है कि जसवंत सिंह ने अपनी किताब में जिन्ना की तारीफ करते हुए उन्हें महान भारतीय बताया है। जसवंत सिंह ने जिन्ना को धर्मनिरपेक्ष करार देते हुए कहा है कि भारत-पाकिस्तान बंटवारे के लिए जिन्ना नहीं बल्कि जवाहर लाल नेहरू जिम्मेदार हैं। किताब में सरदार वल्लभ भाई पटेल की भूमिका पर भी सवाल खडे किए गए हैं।

Tuesday, August 18, 2009

पूर्व विधायक की विधवा भीख मांगने को मजबूर

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी रहे पूर्व विधायक सूरज लाल गुप्ता की 80 वर्षीय विधवा प्रेमा देवी को पेट भरने के लिए गोंडा की सड़कों पर भीख मांगना पड़ रहा है। बेटे द्वारा घर से निकाल दिए जाने के बाद प्रेमा देवी दर-दर की ठोकरें खा रही हैं। जिला महिला अस्पताल में पत्रकारों ने उन्हें भीख मांगते हुए देखा। प्रेमा देवी ने पत्रकारों से कहा कि उनका बेटा उनसे कोई संबंध नहीं रखना चाहता है। उसने उन्हें घर से निकाल दिया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2007 में पति की मौत के बाद उनके बेटे का व्यवहार अचानक बदल गया। कुछ समय पहले पुश्तैनी घर बेचने का जब उन्होंने विरोध किया तो उसने (बेटे) ने उन्हें (प्रेमा देवी) घर से चले जाने को कहा। प्रेमा देवी की पुनर्वास के लिए पत्रकारों ने जिला प्रशासन से संपर्क किया। गोंडा के अपर जिलाधिकारी सुखलाल भारती ने बताया कि उन्हें इस बात पर आश्चर्य हुआ कि विधायक की विधवा सड़कों पर भीख मांग रही हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं। पीड़िता की हर संभव मदद की जाएगी। जिले के मुख्य विकास अधिकारी रामदास ने कहा कि यह चिंता का विषय है। प्रशासन पीड़िता की मदद के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय से संपर्क करेगा। प्रेमा देवी के पति सूरज लाल गुप्ता बलरामपुर लोकसभा सीट से सांसद रहे अटल बिहारी बाजपेई के बहुत करीबी थे। वह बलरामपुर की उतरौली विधानसभा सीट से दो बार विधायक चुने गए थे।

किसानों की कर्ज माफी और नहीं

कमजोर मानसून के कारण देश भर में सूखे के हालात ने केन्द्र सरकार की नींद उडा दी है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने खुद देश में सूखे की स्थिति की बात कबूल की है, वहीं कृषि मंत्री शरद पवार का कहना है कि देश का आधा हिस्सा सूखा प्रभावित है। इस बीच वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी का कहना है कि किसानों के कर्ज माफ करने की कोई योजना नहीं है। प्रधानमंत्री ने सोमवार को आंतरिक सुरक्षा पर राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक के दौरान सूखे के हालात पर विशेष चर्चा के दौरान कहा देश में सूखे के हालात की बात स्वीकारी।

आंकलन नहींसूखे के हालात के बावजूद केन्द्र सरकार का कहना है कि किसानों के कर्ज माफी की योजना नहीं है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने मंगलवार को कहा कि सरकार ने अभी तक सूखे के अर्थव्यवस्था व किसानों पर प्रभाव का आंकलन नहीं किया है।
भयंकर सूखा देखा हैकृषि मंत्री शरद पवार ने स्वीकार किया कि देश का आधा हिस्सा सूखा प्रभावित है। हालांकि उन्होंने दावा किया है कि उन्होंने अपने जीवन में इससे भी भयंकर सूखे के हालत देख चुके हैं।
कांग्र्रेस कार्यसमिति आज बैठेगीनई दिल्ली। देश में सूखे की स्थिति पर विचार के लिए कांग्रेस कार्यसमिति की बुधवार को प्रस्तावित बैठक से पहले आज पार्टी महासचिव स्थिति रिपोर्ट तैयार करने में व्यस्त रहे। कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि पार्टी सूखे के साथ जरूरी चीजों की आसमान छूती कीमतों से खासतौर से चिन्तित है और दस जनपथ से संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के लिए सख्त निर्देश जारी होने की सम्भावना है।

मेरा सोनिया से कोई मतभेद नहीं : लालू

आरजेडी प्रमुख लालू यादव ने कांग्रेस प्रेजिडेंट सोनिया गांधी से किसी भी तरह के मतभेद से इनकार किया है। चार महीने के अंतराल में सोनिया से हुई मुलाकात के बाद लालू ने कहा, मतभेद की सभी बातें गलत हैं। जब कोई लड़ाई ही नहीं है तो फिर समझौते का सवाल कहां उठता है। मेरे मन में उनके लिए बहुत सम्मान है और हमेशा रहेगा। यूपीए से समर्थन वापसी की संभावना पर लालू का कहना था, समर्थन वापसी से समस्याएं नहीं सुलझतीं। मेरा मिशन समर्थन वापस लेना नहीं है। मैं यहां बिहार के सूखे पर विचार करने आया हूं।

जसवन्त की फजीहत

अपनी पुस्तक 'जिन्ना-इण्डिया, पार्टीशन, इण्डिपेन्डेन्स' में पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना को महान बताने पर पूर्व विदेश व वित्त मंत्री जसवन्त सिंह भाजपा में अलग-थलग पड गए हैं। पार्टी प्रमुख राजनाथ सिंह ने मंगलवार को साफ कहा कि जसवंत सिंह का वक्तव्य पार्टी की विचारधारा के खिलाफ है।
विचारधारा के खिलाफराजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा, 'जसवन्त सिंह के व्यक्त विचारों से भाजपा अपने को पूर्णत: अलग करती है। पुस्तक में व्यक्त विचार किसी भी रूप में भाजपा के दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व नहीं करते।' उन्होंने कहा कि भारत विभाजन वाले कालखण्ड में उत्पन्न अस्थिरता और करोडों लोगों के बेघरबार होने के दु:खद घटनाक्रम में जिन्ना की भूमिका जगजाहिर है। सरदार वल्लभभाई पटेल ने उस चुनौती भरे नाजुक दौर में देश की एकता और अखण्डता को सुदृढ करने में एक ऎतिहासिक भूमिका निभाई।
भाजपा पर बरसे ठाकरे इस बीच शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने मुखपत्र सामना में कहा है कि जिन्ना को धर्मनिरपेक्ष बताना उन लोगों का अपमान है, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना खून बहाया। पहले आडवाणी और अब जसवन्त सिंह भी इस भ्रम को बढावा दे रहे हैं। ठाकरे ने सम्पादकीय में पूछा है कि जिसने मुसलमानों के लिए अलग देश की मांग की वह धर्मनिरपेक्ष कैसे हो सकता है। लगता है भाजपा में खुद को जिन्ना का अनुयायी दिखाने के लिए प्रतिस्पर्धा हो रही है।

बीजेपी के सामने जलते सवाल

बीजेपी के सीनियर नेता शिमला की वादियों में बुधवार से तीन दिन तक
आत्मनिरीक्षण करेंगे। वे सोचेंगे कि अपने सहयोगी दलों के साथ पार्टी पिछले लोकसभा चुनावों में इतनी सीटें क्यों नहीं ला सकी कि लालकृष्ण आडवाणी देश के प्रधानमंत्री बन सके। राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष वसुंधरा राजे और उनके समर्थकों के बागी तेवरों और बीजेपी के सीनियर नेता जसवंत सिंह की पुस्तक में मुहम्मद अली जिन्ना और सरदार वल्लभ भाई पटेल पर की गई टिप्पणियों से उठ रहे बवंडर के माहौल में यह बैठक होगी। पार्टी आलाकमान ने वसुंधरा राजे से इस्तीफा मांगे जाने और जसवंत सिंह की जिन्ना और पटेल पर की गई टिप्पणियों से बन रहे माहौल को संभालने की पूरी कोशिश की है। वसुंधरा के मामले में आलाकमान ने कह दिया कि त्यागपत्र के मामले में कोई समयसीमा नहीं बांधी गई है और जसवंत सिंह की किताब में जिन्ना और पटेल की टिप्पणियों पर चिंतन बैठक की पूर्व संध्या पर पार्टी ने खुद को अलग कर लिया। हालांकि पार्टी की हार के बाद सवाल खड़े करने वाले सीनियर नेताओं में से यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी को चिंतन बैठक से दूर रखने में आलाकमान सफल रहे हैं लेकिन जसवंत सिंह उन 25 नेताओं में शामिल हैं जो इस बैठक में भाग ले रहे हैं। जसवंत सिंह ने पार्टी के मुख्य चुनाव प्रबंधक अरुण जेटली को राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने पर अप्रसन्नता प्रकट करते हुए चुनावों में बीजेपी की हार के बाद प्रदर्शन और पुरस्कार में संबंध बैठाने का सवाल खड़ा किया था। हालांकि संकेत इस प्रकार के मिल रहे हैं कि पार्टी आलाकमान चिंतन बैठक के दौरान 'बीती ताहे बिसार के, आगे की सुध ले' की तर्ज पर आने वाले विधानसभा चुनावों में पार्टी की चुनावी रणनीति को चर्चा का केंद्र बनाने की कोशिश करे। लेकिन जसवंत सिंह के रुख से लगता है कि वह पार्टी नेताओं के लिए कुछ असहज सवाल फिर से खड़े करने की कोशिश करें। बैठक में भाग लेने वाले नेताओं में पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह, लालकृष्ण आडवाणी, संसद के दोनों सदनों के प्रतिपक्ष के नेता-सुषमा स्वराज और अरुण शौरी, चुनावों में खराब प्रदर्शन के कारणों का पता लगाने की जिम्मेदारी वहन करने वाले बाल आप्टे आदि शामिल हैं। दिल्ली से पार्टी के राष्ट्रीय सचिव विजय गोयल को ही बैठक में शामिल किया गया है। चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन के कारणों का पता लगाने के लिए बाल आप्टे समिति का गठन किया गया था जिसने विभिन्न राज्यों की पार्टी की इकाइयों से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर अपनी रिपोर्ट तैयार की है। उस रिपोर्ट पर विचार किया जा सकता है। हरियाणा और महाराष्ट्र में होने वाले चुनावों को ध्यान में रख कर भी आगे की रणनीति तैयार की जा सकती है। नई दिल्ली में सत्ता में आने के लिए पार्टी की चिंता देश के दक्षिणी राज्यों में मतदाता का समर्थन प्राप्त करना है। आडवाणी भी दक्षिण भारत में अपना आधार मजबूत करने पर जोर दे चुके हैं। उन्होंने स्वीकार किया है कि देश के दक्षिणी हिस्सों की 145 लोकसभा सीटों पर प्रतिनिधित्व के मामले में बीजेपी फिलहाल शून्य है। वैसे पार्टी के नेता चिंतन बैठक के शुरू होने से पहले ही शंका प्रकट कर रहे हैं कि इस बैठक से कुछ खास हासिल होने वाला नहीं है। 2004 के चुनावों की हार के बाद भी पार्टी सबक नहीं सीख सकी तो तीन दिन की बैठक में क्या हो सकता है। आम चुनावों में अभी पांच साल का समय शेष है और विधानसभा चुनावों में हार जीत के कारण राज्यवार ही हो सकते हैं। इसलिए भिन्न राज्यों में एक रणनीति काम करने वाली नहीं है। NBT

ग्रामसभा मजाक बन कर रह गई

पंचायतीराज एवं ग्रामीण विकास मंत्री भरत सिंह ने कहा कि ग्रामसभा मजाक बन कर रह गई है। ना तो लोगों को ग्रामसभा पर विश्वास है और ना ही सरपंच में आस्था। यही कारण है कि लोग ग्रामसभा में नहीं आते।
सिंह मंगलवार को सेंटर फॉर सोशल डवलपमेंट (सीएसडी) की ओर से आयोजित 'पर्यावरण और जनजातीय अधिकार' विषयक कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित कर रहे थे। सिंह ने कहा कि हमारी व्यवस्था ऎसी है कि जिसको वास्तविक लाभ मिलना चाहिए, उसे नहीं मिलता। बीच में ही कोई और उसका फायदा उठा लेता है। जैसे कि बीपीएल का लाभ वास्तविक गरीब की बजाय अन्य लोग उठा रहे हैं। इसी प्रकार जनजातीय कानून का फायदा वास्तविक लोगों को नहीं मिल पाता।
उन्होंने बिगडते पर्यावरण पर कहा कि एक बार नष्ट होने के बाद जंगल फिर से नहीं लगाया जा सकता। इसके लिए चिंतन की आवश्यकता है। क्योंकि पर्यावरण बिगडने से परिस्थितियां बिगडेंगी। कार्यक्रम के अध्यक्ष मुख्य वन संरक्षक पी.एस. सोमशेखर ने कहा कि वन संरक्षण कानून में अगर मानवीय पक्ष का ध्यान रखा जाता तो जनजातीय कानून की आवश्यकता नहीं पडती। उन्होंने वन संरक्षण कानून और जनजातीय कानून पर विचार व्यक्त किए। सीएसडी के अध्यक्ष पी.सी. हाडिया ने स्वागत भाषण दिया और निदेशक मंजू राय ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यशाला में विभिन्न गैर सरकारी स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि एवं शोधछात्र शामिल हुए।

Monday, August 17, 2009

कांग्रेस से विलय पर एनसीपी में तनाव

एनसीपी द्वारा कई बार इस खबर का खंडन किए जाने के बावजूद कि वह कांग्रेस में विलीन नहीं होगी, फिर एक बार उसके विलय के बारे में जोरदार अटकलें लगाई जा रही हैं। उसका प्रमुख कारण कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह और महाराष्ट्र के गृह मंत्री जयंत पाटील हैं। इन नेताओं के बीच सांगली के रेस्ट हाउस में रविवार को हुई गुफ्तगू के बाद इन अटकलों को हवा मिली है। बताया जा रहा है कि शरद पवार के विश्वसनीय माने जाने वाले जयंत पाटील ने विलय के पक्ष में मत दिया। इस घटना के एक दिन पहले सांगली के एक आयोजन में सिंह ने कहा था कि जिस मुद्दे के लिए शरद पवार ने एनसीपी की स्थापना की वह खत्म हो गया है। इसलिए कांग्रेस के साथ विलय के बारे में पवार को निर्णय करना चाहिए। सिंह को पवार का मित्र माना जाता हैं । उनकी तरफ से हुई इस टिप्पणी के कई अर्थ लगाए जा रहे हैं। यह कहा जा रहा है कि खुद पवार अब कांग्रेस के ज्यादा निकट चले गए है। वह भी विलय में ही समझदारी देख रहे हैं। पर उनके साथ रहे समर्थक नेताओं के भविष्य की चिंता के कारण पवार दो टूक निर्णय नहीं कर पा रहे हैं। वैसे भी नए दलबदल कानून से विलय में कानूनी समस्याएं खड़ी हो सकती हैं। यही वजह है कि एनसीपी को फिलहाल आर-पार का निर्णय करने की जरूरत महसूस नहीं हो रही है। ज्यादातर सदस्य विधानसभा के चुनाव के बाद इस बारे में निर्णय की अपेक्षा कर रहे हैं। दिग्विजय सिंह राज्य के आठ जिलों का राजनीतिक जायजा लेने के लिए महाराष्ट्र का दौरा कर रहे हैं। रविवार को वह सांगली में थे। सांगली में जयंत पाटील की सिंह से मुलाकात की खबर से एनसीपी के प्रदेशाध्यक्ष आर. आर. पाटील तमतमा गए हैं। पार्टी जनों से अनौपचारिक बातचीत में उन्होंने कहा कि प्रदेशाध्यक्ष के अलावा सभी लोग टिप्पणी या मत देते फिर रहे हैं। इसी बात को लेकर तथा कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ने के बारे में उसके धीमे चलो रवैये से परेशान एनसीपी में तनाव फैल गया है।

केंद्र व राज्य सरकार विफल

भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी ने केंद्र सरकार को महंगाई और राज्य सरकार को बिजली आपूर्ति को लेकर विफल करार दिया है। सोमवार को यहां एल आर बाल्याण की अध्यक्षता में हुई पार्टी की बैठक में केंद्र व राज्य सरकार की जनविरोधी नीतियों की आलोचना की गई।
बैठक में निर्णय किया गया कि सितम्बर माह के दूसरे सप्ताह में तहसील मुख्यालयों पर प्रदर्शन, धरना और आमसभा की जाएगी। जिसके तहत 14 सितम्बर को तिजारा, अलवर शहर में 15, रामगढ में 16 तथा गोविंदगढ में 17 सितम्बर को कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। दूसरे चरण में 16 नवम्बर को जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया जाएगा, जिसमें दो हजार मजदूरों के शामिल होने का लक्ष्य रखा गया है।
बैठक में पार्टी की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य तारासिंह ने कहा कि सरकार सिर्फ पूंजीपतियों के हित साधने में लगी हुई है। देश में 12 लाख श्रमिकों की छंटनी की जा चुकी है, जो लगातार जारी है। बैठक में पूर्व विधायक रतिराम यादव, पूर्व नगर पालिकाध्यक्ष कमलेश सैनी, राजकुमार बख्शी, हीरालाल तथा नगेंद्र जैन शामिल हुए।

राज्य में आतंकवाद निरोधक स्कूल बने

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दिल्ली में आयोजित आंतरिक सुरक्षा सम्मेलन में केन्द्र सरकार से मांग की है कि प्रस्तावित 20 काउंटर इंटेलीजेंस यूनिट, एन.एस.जी. हब, सी.आर.पी.एफ. का ग्रुप सेन्टर एवं आतंकवाद निरोधक एक स्कूल राज्य में स्थापित किया जाए।
उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग में भर्ती से रोक हटा ली गई है। पांच हजार कांस्टेबलों और 480 उप निरीक्षकों की भर्ती का काम शुरू किया गया है। प्रदेश के संवेदनशील स्थानों एवं आइकॉनिक स्थलों की सुरक्षा के लिए राजस्थान संवेदनशील प्रतिष्ठान सुरक्षा (विनियमन) बिल, 2009 लाया जा रहा है। इस कानून के बनने के अंतराल में कार्यपालिकीय आदेश जारी किए गए हैं।
राज्य विशेष शाखा में ऎसे प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए एक विशेष प्रकोष्ठ भी बनाया गया है। ख्वाजा शरीफ की दरगाह एवं श्रीनाथ जी मंदिर की सुरक्षा सुदृढ करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी स्वीकृत किए गए हैं। राज्य में हर जिला मुख्यालय पर 'स्पेशल इंटरवेशन यूनिट' और राज्य इंटेलिजेंस के लिए 'पृथक केडर' बनाने का प्रस्ताव विचाराधीन है। एन.एस.जी. की तर्ज पर चार त्वरित कार्रवाई दल बनाए गए हैं। इन्हें जयपुर, जोधपुर एवं अजमेर में तैनात किया गया है। राज्य में ऎसे नौ दल बनाए जाएंगे। सम्मेलन में राजस्थान की मुख्य सचिव कुशल सिंह, प्रमुख गृह सचिव एस.एन. थानवी, पुलिस महानिदेशक हरीश चंद्र मीणा, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्रीमत पांडे, दिल्ली में राज्य के प्रमुख आवासीय आयुक्त डॉं. पी.के. आनंद, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक कपिल गर्ग आदि ने भी भाग लिया।
महंगाई, सूखे की स्थिति पर निगाह रखें सीएमनई दिल्ली। केन्द्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने सूखे और महंगाई पर काबू पाने के लिए शुरू की गई योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन पर जोर देते हुए मुख्यमंत्रियों से व्यक्तिगत रूप से इनकी निगरानी करने की अपील की है। पवार ने खडी फसलों को बचाने के लिए राज्यों से तुरन्त कदम उठाने के लिए भी कहा। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में सूखे और महंगाई पर मुख्यमंत्रियों के साथ सम्पन्न विशेष सत्र में पवार ने खाद्यान्न और चीनी की जमाखोरी रोकने के लिए राज्यों से आवश्यक उपभोक्ता वस्तु अधिनियम के तहत कार्रवाई करने और जरूरत पडने पर तत्काल सहायता कार्य चलाने के साथ पेयजल और चारे की व्यवस्था करने को भी कहा है।
हां, बोझ बढा हैपवार ने कहा कि कमजोर मानसून के कारण दाल, सब्जियों और चीनी के दाम बढने से आम जनता पर बोझ बढा है। केन्द्र सरकार कच्ची और रिफाइण्ड चीनी के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति पहले ही दे चुकी है। दालों के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति मार्च 2010 तक बढाई जा चुकी है।
200 दिन का रोजगार देने की मांगनई दिल्ली। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सूखा प्रभावित प्रदेश के अभावग्रस्त जिलों में नरेगा के अन्तर्गत 100 दिन की बजाय 200 दिन रोजगार उपलब्ध कराने की मांग की है। सूखे की स्थिति पर चर्चा के लिए मुख्यमंत्रियों की बैठक में गहलोत ने कहा कि सूखा प्रभावित क्षेत्रों में जरूरतमन्द लोगों को नरेगा के तहत उपलब्ध 100 दिन के रोजगार के उनके कानूनी अधिकार को प्रभावित किए बिना आपदा राहत कोष (सीआरएफ) के अंतर्गत अलग से अकाल राहत कार्य खोलने की अनुमति दी जानी चाहिए।

प्रधानमंत्री इस महीने के अन्त में आएंगे बाडमेर

प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह इस महीने के अन्त में बाडमेर में मंगला प्रोसेसिंग टर्मिनल नागाणा में तेल उत्पादन प्रक्रिया का विधिवत उद्घाटन करेंगे। इस मौके पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी मौजूद रहेंगे। उधर, केन्द्र सरकार ने तेल खरीदने वाली कम्पनियों की सुविधा के लिए गुजरात में तीन डिलीवरी प्वाइंट और घोषित किए हैं। ये डिलीवरी प्वाइंट टैंकरों से जाने वाले तेल के लिए हैं।
डॉ. सिंह के दौरे के लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं। टर्मिनल के पास ही हेलीपेड का निर्माण किया जा रहा है। केन्द्रीय सचिवों की उच्च अधिकार प्राप्त समिति के सोमवार को किए गए निर्णयानुसार मंगलौर रिफाइनरी व पेट्रोकेमिकल्स फिलहाल कांडला, एचपीसीएल व इण्डियन ऑयल भोगत, रधनपुर व विरमगाम से तेल की डिलीवरी लेंगी। पाइप लाइन के लिए पहले ही सलाया में डिलीवरी प्वाइंट घोषित किया जा चुका है।

जिन्ना के भूत से सहमी बीजेपी, सुषमा ने जताया ऐतराज

जिन्ना के भूत का भय बीजेपी को किस कदर सता रहा है, इस बात का अंदाजा इसी से लगता है कि आज जिन्ना पर पार्टी के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह द्वारा लिखी गई किताब 'जिन्ना-इंडिया, पार्टिशन, इंडिपेंडेंस' के लोकार्पण कार्यक्रम से सभी वरिष्ट बीजेपी नेता अनुपस्थिति रहे। इतना ही नहीं, सुषमा स्वराज ने तो इस किताब के कंटेंट को पार्टी की बुनियादी विचारधारा के खिलाफ करार दिया। पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह समेत पार्टी के कई वरिष्ठ नेता आज दिल्ली में मौजूद थे, लेकिन इनमें से किसी ने भी उस कार्यक्रम में जाने की जहमत नहीं उठाई । कारण स्पष्ट है कि पार्टी एक बार आडवाणी के जिन्ना प्रेम पर संघ का कड़ा रुख देख चुकी है और अब कोई भी नेता संघ की नापसंदगी के साथ चलना नहीं चाहता है।
दिल्चस्प बात तो यह है कि इस कार्यक्रम में विशेष रूप से आमंत्रित अरुण शौरी भी नहीं पहुंचे, जो आजकल बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व की बखिया उधेड़ने में जुटे हुए हैं। उनका शिरकत न करना भी यह दर्शाता है कि जिन्ना पर संघ के कड़े एतराज के खिलाफ कोई भी नेता नहीं जाना जाता है। वैसे जसवंत की इस किताब पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए लोकसभा में बीजेपी की उपनेता सुषमा स्वराज ने नवभारतटाइम्स डॉट कॉम से बात करते हुए स्पष्ट किया कि जिन्ना को महिमामंडित करना और सरदार पटेल का अपमान करनी बीजेपी की बुनियादी विचारधारा के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि वह निजी तौर पर इस पुस्तक के कंटेंट से सहमत नहीं हैं।

फिर हमले का खतरा

सीमापार आतंक को मौजूदा दौर की प्रमुख चुनौती करार देते हुए सोमवार को प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने चेतावनी दी कि पाकिस्तान में सक्रिय आतंककारी गुट भारत पर ताजा हमले की साजिश रच रहे हैं। आंतरिक सुरक्षा पर मुख्यमंत्रियों की बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले साल नवम्बर में मुम्बई में हुए आतंककारी हमलों के बाद उठाए गए कदमों के बावजूद हमें ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। सरकार को इस बात की पुख्ता जानकारी है कि पाक में मौजूद आतंककारी देश पर नए हमले की साजिश रच रहे हैं।
उन्होंने जम्मू-कश्मीर में हालात सुधरने की बात तो कही, लेकिन कहा कि हाल के समय में घुसपैठ में बढोतरी भी देखी गई है। घुसपैठिए पहले से ज्यादा तैयार तथा अत्याधुनिक उपकरणों से लैस हैं। आतंककारी और अलगाववादी गतिविधियों को हवा देने की साजिश की जा रही है। नक्सली हिंसा पर डॉ. सिंह का कहना था कि संकेत हैं कि वे और भी जबरदस्त कार्रवाई की फिराक में हैं।
ये भी चिन्ता की वजह-पूर्वोत्तर की ज्यादातर हिंसक घटनाएं असम और मणिपुर में। इनमें से करीब 30 प्रतिशत मणिपुर में ही।-महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों को साम्प्रदायिक शान्ति बनाए रखने के लिए विशेष तौर पर चौकस रहने की जरूरत।-बेशक राज्यों के पास संसाधनों की कमी है, लेकिन उन्हें केन्द्र की सीमाओं को भी ध्यान में रखना होगा।
प्रदेश को 'ए' श्रेणी के राज्यों में शामिल करेंमुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सीमावर्ती राज्य होने के नाते और आतंक की बढी हुई चुनौती को देखते हुए राजस्थान को 'ए' श्रेणी के राज्यों में शामिल करने तथा पुलिस बलों के आधुनिकीकरण को शत-प्रतिशत सहायता देने की केन्द्र से मांग की है। आंतरिक सुरक्षा पर मुख्यमंत्रियों की बैठक में गहलोत ने कहा कि वर्तमान में राजस्थान 'बी' श्रेणी में आता है। भौगोलिक स्थिति को देखते हुए प्रदेश को 'ए' श्रेणी में रखा जाना चाहिए। उन्होंने एनएसजी का हब जोधपुर में स्थापित करने व केन्द्र के प्रस्तावित 20 काउण्टर इमरजेंसी एवं आतंक निरोधक स्कूलों में से एक राज्य में खोलने का आग्रह किया।
राज्यों ने पुलिस को मजबूत नहीं कियासम्मेलन में केन्द्रीय गृहमंत्री पी. चिदम्बरम ने पुलिस बल को मजबूत बनाने और खुफिया सूचनाओं में साझेदारी के लिए राज्यों की ओर से पर्याप्त प्रयास नहीं करने पर असंतोष प्रकट किया। हमने राज्य सरकारों को एक प्रश्नावली देकर कई मुद्दों पर जानकारी मांगी थी, पर राज्यों की प्रतिक्रिया संतोषजनक नहीं थी। कई राज्य सरकारों ने अभी तक न तो पुलिस स्थापना बोर्डो को स्थापित किया है और न ही अन्य निर्देशों को पूरा किया है। गृह मंत्री ने राज्यों से एनएसजी और सीआईएसएफ की तर्ज पर विशेष बलों के गठन का भी आग्रह किया।
समुद्र से घुसपैठ नाकाम, 9 दबोचेभुज/अहमदाबाद। बीएसएफ ने गुजरात से सटे कोरी क्रीक इलाके से 9 पाक नागरिकों को गिरफ्तार करके घुसपैठ की कोशिश नाकाम कर दी है। इनमें छह मछुआरे और तीन संदिग्ध लोग हैं। इनसे पूछताछ की जा रही है। उल्लेखनीय है कि पिछले साल 26 नवम्बर को मुम्बई पर हमला करने वाले आतंककारी भी समुद्र के रास्ते से ही भारत में घुसे थे।

राष्ट्रीय ध्वज का अपमान का मामला दर्ज

कोटकासिम पुलिस थाने में राष्ट्रीय ध्वज के अपमान करने का मामला दर्ज हुआ। थाना पुलिस ने बताया कि जौडिया गांव स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक लालसिंह के खिलाफ राष्ट्रीय गौरव का अपमान निवारण अधिनियम के अन्र्तगत मामला दर्ज किया गया है।
उल्लेखनीय है कि इस विद्यालय में 15 अगस्त को सुबह आठ बजे राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया था। जो कि रविवार शाम पांच बजे तक उतारा नहीं गया। ग्रामीणों की शिकायत पर पुलिस मौके पर पहुंची। तब तक ग्रामीणों ने ध्वज उतार लिया।

तिरंगा फहराकर शहीदों को किया नमन

हरियाणा के राज्यपाल जगनाथ पहाडि़या ने रोहतक में स्वतंत्रता दिवस पर झंडा फहराया और परेड की सलामी ली। मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सोनीपत और हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रघुवीर सिंह कादियान ने भिवानी में राष्ट्रीय ध्वज फहराया। राज्यपाल बनने के बाद पहली बार हरियाणा में ध्वजारोहण करने के बाद उन्होंने हरियाणा वासियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं दीं। उन्होंने देश को आजादी दिलाने वाले देशभक्तों व शहीदों को नमन करते हुए कहा कि शहीदों, देशभक्तों, स्वतंत्रता सेनानियों व राष्ट्रीय नेताओं के बलिदान को यह राष्ट्र कभी नहीं भुला सकता, क्योंकि इन लोगों ने देश की एकता व अखंडता के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। समारोह में मुख्य सचिव धर्मवीर और डीजीपी रंजीव दलाल विशेष तौर पर उपस्थित थे। उन्होंने उल्लेखनीय योगदान देने के लिए 22 लोगों को सम्मानित किया। मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सोनीपत में सलामी लेने और ध्वजारोहण के बाद युवाओं से आग्रह किया कि वे समय के अनुरूप शिक्षा ग्रहण करें और नैतिक गुणों को आत्मसात करने के लिए राष्ट्र और प्रदेश के नवनिर्माण में अपनी रचनात्मक भूमिका निभाएं। इससे पहले उन्होंने शहीद स्मारक पर जाकर उन शहीदों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा, इस प्रदेश के वीर शहादत देने में हमेशा आगे रहे हैं और आज भी भारतीय सेनाओं में हर दसवां जवान हरियाणा प्रदेश का रहने वाला है और जो देश की सीमाओं के सजग प्रहरी बनकर हमारी मातृभूमि की रक्षा कर रहे हैं। डीजीपी सीआईडी पी. वी. राठी भी इस अवसर पर उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता सेनानियों का और उनकी वीरांगनाओं को शाल देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर रेडक्रॉस सोसाइटी की ओर से 5 एम्ब्युलंस शुरू की गई। इसके अलावा 25 ट्राई साइकलें, 25 हीयरिंग एड, 5 वीलचेअर, 25 सेट बैसाखी तथा 5 सिलाई मशीनें भी वितरित की गईं। हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रघुवीर सिंह कादियान ने भिवानी में ध्वजारोहण किया और परेड की सलामी ली। उन्होंने संबोधित करते हुए कहा, हमें उन महान शहीदों व स्वतंत्रता सेनानियों को कभी नहीं भूलना चाहिए जिनके त्याग और बलिदान की बदौलत हम आज आजादी की खुली हवा में सांस ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि चौ. रणबीर सिंह हुड्डा, पंडित नेकी राम शर्मा, बनारसी दास गुप्ता जैसे आजादी के परवानों ने अपना सारा जीवन राष्ट्र को समर्पित कर दिया।

राहत कार्य शुरू हो जाएंगे : हरजीराम बुरडक

कृषि एवं पशुपालन मंत्री हरजीराम बुरडक ने कहा है कि दो जिलों को छोड शेष सभी जिलों में अकाल की स्थिति है और जल्दी ही राहत कार्य शुरू हो जाएंगे। किसानों को बिजली नहीं मिलने के मुद्दे पर बुरडक ने साफ कहा है कि बिजली है ही नहीं तो देंगे कहां से।
वे शनिवार को सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेशभर में महज दो जिलों की गिरदावरी ठीक आ रही है जबकि शेष 31 जिलों में अकाल जैसे हालात है। इन सभी जिलों से इसी महीने गिरदावरी रिपोर्ट आ जाएगी। इसके बाद प्रदेशभर में अकाल राहत कार्य भी शुरू हो जाएंगे।
चारे का संकट हैबुरडक ने माना कि प्रदेश में अचानक चारा कम होने से गोधन संकट में है। चारे का मूल्य करीब साढे चार सौ रूपए क्विंटल तक पहुंचने से गोशालाएं भी संकट में है। उन्होंने कहा कि पंजाब और हरियाणा से पहले चारा आता था लेकिन अब वहां से भी चारा आना बंद हो गया है, उल्टा वो राजस्थान से लेकर जा रहे हैं। उन्होंने अन्य राज्यों को चारा बेचने से रोक लगाने पर विचार का आश्वासन दिया। विभिन्न गो शालाओं ने भी बुरडक को इस मामले में ज्ञापन दिया।
बिजली संकट पर घिरे मंत्रीप्रदेश में लगातार बिजली संकट के चलते जीएसएस पर हो रहे कब्जों पर मंत्री कुछ बोलने को तैयार नहीं थे। बार बार सवाल होने पर उन्होंने कहा कि बिजली है ही नहीं तो देंगे कहां से। बिजली को जमा तो रख नहीं सकते। जितनी मिल रही है उतनी दे रहे हैं।

नया आरक्षण लागू करने की तैयारी

प्रदेश में नया आरक्षण विधेयक लागू करने के बारे में मुख्य सचिव कुशलसिंह की अध्यक्षता में गठित समिति ने अपना काम पूरा कर लिया है। जानकार सूत्रों ने बताया कि नई आरक्षण व्यवस्था लागू करने के लिए अघिसूचनाओं का मसौदा तैयार हो रहा है। आरक्षण के लाभ के लिए आर्थिक पिछडा वर्ग (ईबीसी) की आय सीमा का अन्तिम फैसला मुख्यमंत्री अशोक गहलोत करेंगे।
राज्यपाल एस.के. सिंह ने एक साल के इन्तजार के बाद 30 जुलाई को आरक्षण विधेयक को मंजूरी दी थी और अगले ही दिन सरकार ने इसे कानून के रूप में अघिसूचित कर दिया। इसे लागू करने के बारे में प्रक्रिया व अन्य तैयारियों के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति गठित की गई, जिसे एक माह में अपना काम पूरा करना था। समिति ने दो बैठकें कर अपना काम पूरा कर लिया है।
ईबीसी में जातियां नहींसूत्रों के अनुसार मुख्य सचिव की समिति के निर्णय के तहत आरक्षण अघिसूचनाओं में ईबीसी के लिए जातियों की कोई सूची नहीं होगी। अजा-जजा-बीसी व एसबीसी के अलावा वे सभी जातियां जो अनारक्षित हैं, वे ईबीसी मानी जाएंगी। ईबीसी का लाभ उस आय सीमा तक मिलेगा जिसे सरकार तय करेगी।
ईबीसी आय सीमा पर फैसला शीर्ष स्तर परसूत्रों के अनुसार समिति के सामने प्रमुख विचारणीय बिन्दु ईबीसी लाभ के लिए आय सीमा तय करना था, लेकिन यह फैसला समिति ने मुख्यमंत्री पर छोड दिया। पूर्ववर्ती सरकार के समय न्यायाधीश शशिकान्त शर्मा की अध्यक्षता वाले राज्य ईबीसी आयोग ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में इसके लिए डेढ लाख रूपए की सालाना आय सीमा की सिफारिश की थी। इस पर तत्कालीन वसुन्धरा सरकार ने मंत्रिमण्डल में ढाई लाख रूपए सालाना आय वाले परिवार को इस आरक्षण के दायरे में लाने का फैसला किया था। सूत्रों के अनुसार समिति ने मंत्रिमण्डल के इस फैसले को नहीं छेडते हुए मुख्यमंत्री पर निर्णय छोडा है। वे चाहें तो इसे यथावत रखें, या पुन: मंत्रिमण्डल में विचार के लिए ले जा सकते हैं।
ये थे समिति मेंमुख्य सचिव कुशलसिंह-अध्यक्ष, प्रमुख वित्त सचिव सी.के. मैथ्यू, प्रमुख सामाजिक आघिकारिता सचिव मालोविका पंवार, प्रमुख पंचायती राज सचिव जी.एस. संधु, प्रमुख कार्मिक सचिव खेमराज, प्रमुख विघि सचिव एस.एस. कोठारी, विशिष्ट सामाजिक आघिकारिता सचिव आर. वेंकटेश्वरन।

भाजपा में रस्साकशी थमती नजर आ रही

भाजपा में चल रही रस्साकशी फिलहाल थमती नजर आ रही है। वसुंधरा के तेवरों में नरमी आई है, तो केंद्रीय नेतृत्व ने भी राजे को पद छोडने के लिए कुछ समय की मोहलत दे दी है। सूत्रों के अनुसार विधानसभा के विशेष सत्र के बाद वसुंधरा राजे नेता प्रतिपक्ष के पद से त्यागपत्र देंगी लेकिन इसके बाद भी नए नेता प्रतिपक्ष की घोषणा कुछ समय टाली जा सकती है। इस मामले में सोमवार शाम को वसुंधरा राजे के दिल्ली जाने की संभावना है।
केंद्रीय नेतृत्व ने पिछले दिनों प्रतिपक्ष की नेता वसुंधरा राजे को नेता प्रतिपक्ष के पद से हटाने का निर्णय किया था। इसके बाद भाजपा विधायकों ने वसुंधरा राजे को लेकर लॉबिंग शुरू करते हुए दिल्ली जाकर राष्ट्रीय अध्यक्ष के सामने परेड की। इस घटनाक्रम से सख्त हुए केंद्रीय नेतृत्व ने राजे को पद से हटने के लिए स्पष्ट तौर पर कह दिया था। केंद्रीय रूख को देखते हुए वसुंधरा राजे और समर्थकों के तेवरों में भी नरमी आई और संसदीय बोर्ड के निर्णय का सम्मान करने की बात कही जाने लगी। केंद्र ने भी वसुंधरा के नरम रूख के बाद पद छोडने का समय वसुंधरा राजे पर छोड दिया था। सूत्रों के अनुसार , वसुंधरा राजे अगस्त में बुलाए जाने वाले विधानसभा सत्र के बाद नेता प्रतिपक्ष से त्यागपत्र दे सकती हैं।
पद रहेगा खाली
सूत्रों के अनुसार वसुंधरा राजे के नेता प्रतिपक्ष पद से त्याग पत्र देने के बाद पार्टी कुछ समय के लिए नए नेता प्रतिपक्ष की घोषणा को टाल सकती है। इसके बाद भी नए नेता प्रतिपक्ष के चयन में वसुंधरा राजे की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी और राजे की सहमति से ही नए नेता प्रतिपक्ष की घोषणा होगी।
चतुर्वेदी का कद घटा
नेता प्रतिपक्ष और पार्टी में खुलकर सामने आई गुटबाजी से नए प्रदेशाध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी की प्रतिष्ठा कम हुई है। प्रदेशाध्यक्ष चतुर्वेदी खुद पर गुटबाजी को रोकने में असफल होने का दाग लगा बैठे हैं। इस पूरे घटनाक्रम में प्रदेशाध्यक्ष की छवि एक कमजोर अध्यक्ष के रूप में उभरी है।

चिदंबरम ने टिकिट खरीदकर आम लोगों की तरह देखा मैच

यहां वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप देखने के लिए टिकिट खरीद रहे दर्शक अपनी लाइन में गृह मंत्री पी. चिदंबरम को खड़े देखकर चौंक गए। चिदंबरम ने अपने पैसों से काउंटर से टिकिट खरीदा और दर्शक गैलरी में बैठकर मैच का फाइनल देखा। इस तरह उन्होंने यह मेसिज देने की कोशिश की कि चैंपियनशिप को आतंकवादियों से कोई खतरा नहीं है। गौरतलब है कि इंग्लैंड की टीम यहां आतंकवादी खतरे की आशंका को वजह बताकर वापस लौट गई थी। चिदंबरम कमर्शल फ्लाइट से हैदराबाद पहुंचे और अपनी प्राइवट कार में बैठकर गोचिवाउली स्टेडियम आए। उन्होंने एक हजार रुपये का टिकिट खरीदा और आम दर्शकों के बीच बैठकर मैच का लुत्फ लेने लगे। इसी बीच आयोजकों की नजर उन पर पड़ी। आयोजकों ने उनसे आग्रह किया कि वह मैन्स चैंपियन चीन के लिन दैन को पुरस्कार दें। बाद में, उन्होंने वीआईपी गैलरी में बैठकर मिक्स्ड डबल्स और विमिंस डबल्स मैच देखे। चिदंबरम ने कहा कि मेरे द्वारा बयान जारी किए जाने के बावजूद इंग्लैंड की टीम द्वारा लश्कर के हमले का खतरा बताकर लौट जाने के बाद से ही मैं अंदर ही अंदर जल रहा था। इसीलिए मैं यहां आया।

चिदंबरम ने टिकिट खरीदकर आम लोगों की तरह देखा मैच

यहां वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप देखने के लिए टिकिट खरीद रहे दर्शक अपनी लाइन में गृह मंत्री पी. चिदंबरम को खड़े देखकर चौंक गए। चिदंबरम ने अपने पैसों से काउंटर से टिकिट खरीदा और दर्शक गैलरी में बैठकर मैच का फाइनल देखा। इस तरह उन्होंने यह मेसिज देने की कोशिश की कि चैंपियनशिप को आतंकवादियों से कोई खतरा नहीं है। गौरतलब है कि इंग्लैंड की टीम यहां आतंकवादी खतरे की आशंका को वजह बताकर वापस लौट गई थी। चिदंबरम कमर्शल फ्लाइट से हैदराबाद पहुंचे और अपनी प्राइवट कार में बैठकर गोचिवाउली स्टेडियम आए। उन्होंने एक हजार रुपये का टिकिट खरीदा और आम दर्शकों के बीच बैठकर मैच का लुत्फ लेने लगे। इसी बीच आयोजकों की नजर उन पर पड़ी। आयोजकों ने उनसे आग्रह किया कि वह मैन्स चैंपियन चीन के लिन दैन को पुरस्कार दें। बाद में, उन्होंने वीआईपी गैलरी में बैठकर मिक्स्ड डबल्स और विमिंस डबल्स मैच देखे। चिदंबरम ने कहा कि मेरे द्वारा बयान जारी किए जाने के बावजूद इंग्लैंड की टीम द्वारा लश्कर के हमले का खतरा बताकर लौट जाने के बाद से ही मैं अंदर ही अंदर जल रहा था। इसीलिए मैं यहां आया।

Friday, August 14, 2009

प्रधानमंत्री ने लाल किले पर फहराया तिरंगा

आजादी की 62वीं सालगिरह पर डॉ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लाल किला पर तिरंगा फहराया। मनमोहन सिंह ने छठी बार तिरंगा फहराया। पीएम ने देश वासियों को स्वतंत्रा दिवस की ढ़ेर सारी शुभकामनाए देते हुए कहा कि हम उनके भरोसे को पूरा करने का हरसंभव प्रयास करेगें। देश को विकास के रास्ते पर ले जाएंगे। आजादी के 62वीं सालगिरह के अवसर पर लाल किले के ग्राउंड में प्रमुख नेताओं के अलावा आला अफसर और कुछ गणमान्य लोग उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि विकास का पूरा लाभ समाज के हर तबके को मिलेगा। विकास दर 9 प्रतिशत लाना हमारी प्राथमिकता है। मानसून की वजह से देश में पड़े सूखे पर पीएम ने किसानों को आश्वासन भी दिया। उन्होंने कहा कि हम किसानों की हरसंभव मदद करेंगे।

सारस्वत ने भाजपा छोडी

भारतीय जनता पार्टी शैक्षिक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष प्रो. बी.पी. सारस्वत ने शुक्रवार को पद एवं प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। सारस्वत ने पार्टी की कलह और नेताओं के गिरते स्तर से व्यथित होकर यह कदम उठाया।
सारस्वत ने अपना इस्तीफा प्रदेश अध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी को भिजवा दिया है। इस्तीफे में कहा गया है कि पिछले कुछ समय से पार्टी की गुटबाजी जिस तरह से सडक पर आई, उसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी। राष्ट्रीय एवं प्रांतीय नेताओं के अहम के कारण पार्टी अपनी मूल दिशा, चाल एवं चरित्र से भटक कर चौराहे पर आ गई। आम कार्यकर्ता अपने आपको ठगा महसूस कर रहा है। पार्टी के नेताओं को प्रदेश के विकास और जनता की कोई चिंता नहीं है।
अनुशासन शब्द पार्टी के शब्दकोष से निकल गया है। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान पार्टी के ही कुछ लोग अपनी महिला नेताओं के चरित्र हनन का प्रयास करते हैं। इससे चने खाकर पार्टी बनाने वाले श्यामा प्रसाद मुखर्जी और दीनदयाल उपाध्याय की आत्मा रो रही है। गौरतलब है कि सारस्वत को पूर्व प्रदेश अध्यक्ष महेश शर्मा का करीबी माना जाता है।

'किसानों को नहीं होने देंगे तकलीफ'

कृषि एवं पशु पालन मंत्री हरजी राम बुडरक ने कहा कि अभी बारिश की उम्मीद जिन्दा है। एक सप्ताह में अगर बारिश हो जाती है, तो राज्य में अकाल के हालात नहीं रहेंगे। अन्यथा 80 फीसदी फसलों में खराबा हो सकता है। उन्होंने आश्वस्त किया कि राज्य सरकार काश्तकारों को कोई तकलीफ नहीं होने देगी व हर संभव मदद करेगी।
शुक्रवार को सर्किट हाउस में विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने केन्द्र को प्रस्ताव भेजे हैं, जिससे अकाल प्रभावित काश्तकारों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए मदद की जा सके। उन्होंने स्वीकार किया कि अकाल के हालात से राज्य में खाद्यान्न का तो संकट नहीं होगा। चारे और पानी का संकट हो जाएगा। सरकार इन विकट स्थितियों का मुकाबला करेगी। इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। काश्तकारों को कृषि ऋणों की किश्तों में राहत तथा अन्य सहयोग किया जाएगा।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि चारे के संकट से निजात के लिए सिंचित क्षेत्र में चारे की बुवाई पर प्रोत्साहन योजना पर काम किया जाएगा। राज्य सरकार जैविक कृषि के विकास के प्रोत्साहन की योजना पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि बिजली-पानी को लेकर धरना प्रदर्शन किए जा रहे हैं। बिजली संकट का कारण बारिश नहीं होना है। सरकार इस संकट से उबरने का प्रयास कर रही है। राज्य सरकार अनुदान पर डीजल पंप उपलब्ध करवाने की योजना पर काम कर रही है। इसके अलावा सरकार सिंचित क्षेत्र में मुफ्त चारे के बीज उपलब्ध करवाने, नरेगा में 200 दिन का रोजगार देने के प्रस्तावों को भी लागू करवाने के प्रयास में है।

छठी बार सम्बोधित करेंगे मनमोहन

आजादी की 62वीं सालगिरह पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह शनिवार को लगातार छठी बार देश को सम्बोधित करेंगे। इधर, जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम में होने वाले राज्य स्तरीय स्वाधीनता दिवस समारोह में सुबह 9.05 बजे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ध्वजारोहण करेंगे।

इस अवसर पर उत्कृष्ट सेवाओं के लिए विभिन्न विभागों के अधिकारियों-कर्मचारियों को सम्मानित किया जाएगा। राज्य में आतंककारी घटना की आशंकाओं के चलते कडी सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं।

दिल्ली से जयपुर तक जोर-आजमाइश जारी

वसुन्धरा राजे को प्रतिपक्ष का नेता पद छोडने के निर्देश के बाद राजस्थान भाजपा का 'महाभारत' शुक्रवार को जन्माष्टमी पर दिल्ली की सडकों तक पहुंच गया। वसुन्धरा को नेता पद पर बनाए रखने की मांग पर पार्टी के 54 विधायक व सभी चार लोकसभा सांसदों ने दिल्ली में राजनाथ सिंह के सामने परेड कर ताकत दिखाई। विधायकों ने साफ कह दिया कि उनकी नेता वसुन्धरा राजे हैं और उन्हें हटाया जाना पार्टी के लिए घातक साबित होगा। राजनाथ ने विधायकों को सुना और उनसे ज्ञापन तो लिया, लेकिन यह कह कर अपनी तल्खी भी जताई कि उन सब को दिल्ली आने की जरूरत नहीं थी। उम्मीद लेकर ये विधायक वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के निवास पर भी गए, लेकिन बाहर ही बैठे रहना पडा। अन्दर आडवाणी व राजनाथ चर्चा करते रहे और एक घण्टे तक बुलावा नहीं आने पर विधायक राजस्थान हाउस लौट आए।
एक बार खबर आई कि आडवाणी ने साढे तीन बजे मिलने का समय दे दिया है, लेकिन बाद में वह भी खारिज हो गया तो विधायकों ने कुछ नाराजगी दिखाई। विधायकों ने जयपुर लौटने से पहले दो बार राजस्थान हाउस में बैठकें कीं जिनमें दोहराया गया कि वसुन्धरा ही उनकी नेता हैं और उन्हें हटाना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
विधायक दिल्ली से जयपुर के रास्ते में ही थे कि शाम को प्रदेशाध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी ने जयपुर में पुष्टि कर दी कि वसुन्धरा से 10 अगस्त को ही इस्तीफा मांग लिया गया था। जानकार सूत्रों के अनुसार वसुन्धरा को 18 अगस्त तक इस्तीफा देने का समय दिया गया है। अगले दिन से शिमला में भाजपा की राष्ट्रीय चिन्तन बैठक शुरू होगी।
वसुन्धरा को पद छोडने के निर्देश-अरूणजयपुर। भाजपा नेतृत्व ने वसुन्धरा राजे को प्रतिपक्ष का नेता पद छोडने के निर्देश दिए हैं। एक दिन पहले ऎसी किसी चर्चा या कारण को नकारने वाले प्रदेशाध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी ने शुक्रवार शाम इसकी पुष्टि की और बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने उन्हें यह जानकारी अधिकृत रूप से जारी करने को कहा है। चतुर्वेदी का कहना है कि राजे को केन्द्रीय नेतृत्व ने दस अगस्त को ही पद छोडने के लिए कह दिया था।
चतुर्वेदी ने कहा कि संगठन में दायित्व परिवर्तन स्वाभाविक प्रक्रिया है। वसुंधरा राजे का संगठन में किसी और रूप में उपयोग किया जाएगा। राजे को हटाने पहले विधायकों की राय जानने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ऎसा हमेशा जरूरी नहीं है। यह संगठन तय करता है कि किसे क्या जिम्मेदारी दी जाए।
उन्होंने कहा कि विधायकों ने दिल्ली जाकर पार्टी नेतृत्व को अपनी बात कह दी है, लेकिन इसे आगे बढाना उचित नहीं है। पार्टी का निर्णय सबको मानना चाहिए। राजे समर्थक विधायकों की शनिवार को बैठक बुलाने की खबरों पर पर चतुर्वेदी ने कहा कि विधायकों की अभी कोई अधिकृत बैठक नहीं बुलाई गई है। यह उन्हें बताया भी जा रहा है, जो कोई अधिकृत बैठक होगी तो सूचना दी जाएगी।
इतने लोग क्यों आए हैं...आप इतने लोग क्यों आएं हैं, चार-पांच लोगों का ही आना बहुत था। नेता प्रतिपक्ष को लेकर एक-दो दिन से जो मीडिया में आ रहा है, वह ठीक नहीं है, मैं किसी का विरोधी नहीं हूं, मैं अकेला कोई निर्णय भी नहीं करता। निर्णय तो कोरग्रुप के होते हैं।'-राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष (दिल्ली में कहा विधायकों से)
मुझे सूचना नहीं...मुझे ऎसी कोई सूचना नहीं है, 10 तारीख को इस्तीफा देने जैसी कोई बात नहीं हुई। पार्टी में जो कुछ हो रहा है, उसका मुझे बहुत दुख है।'-वसुन्धरा राजे, नेता प्रतिपक्ष

Wednesday, August 12, 2009

मुख्यमंत्री ने दिए अकाल के संकेत

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश के अधिकांश जिलों में औसत से कम वर्षा होने पर चिन्ता जताते हुए अकाल की स्थिति के संकेत दिए हैं। वे बुधवार शाम खेमारू गांव में पौधरोपण कार्यक्रम के बाद जन सभा को सम्बोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने सीधे तौर पर तो प्रदेश में अकाल के हालात उत्पन्न होने का खुलासा नहीं किया, लेकिन लोगों से अभी से अकाल जैसी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहने की अपील की। गहलोत ने प्रदेश में बरसात नहीं होने, बिजली नहीं मिलने, पेयजल की समस्या, पशुधन के लिए चारे की व्यवस्था करने, महंगाई की मार, मंदी का दौर आदि समस्याओं का उल्लेख किया। उन्होंने पूर्व में प्रदेश में पडे अकाल के प्रबन्धन स्मरण कराते हुए कहा कि हम इस बार भी बेहतर प्रबन्धन कर लोगों को अकाल के समय में राहत देने का काम करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा उन लोगों को भी चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं है, जिनके नरेगा में सौ दिन का रोजगार पूरा हो गया है। उन्होंने केन्द्र सरकार को इसके लिए लिखा है और जल्द ही आवश्यकता होने पर अतिरिक्त रोजगार दिया जाएगा। गहलोत ने प्रदेश की जनता से बिजली और पेयजल नहीं मिलने की अवस्था में सरकारी सम्पत्ति में तोडफोड नहीं करने की भी अपील की।

निलम्बन के विरोध में भाजपा का धरना

अलवर। विधानसभा से तीन विधायकों के निलम्बन तथा बिजली, पानी किल्लत के साथ बढती महंगाई के विरोध में भारतीय जनता पार्टी की ओर से बुधवार को अलवर के होपसर्कस पर धरना दिया गया। धरने में पार्टी के जिले के सातों विधायक, पूर्व विधायक व पूर्व सांसद, जिलाध्यक्ष सहित जिला पदाधिकारी, प्रदेश कार्यकारी समिति सदस्य, मण्डल अध्यक्ष व महामंत्री, बोर्ड व निगम अध्यक्ष, नगर परिषद व पालिकाओं के अध्यक्ष, पार्षद, सरपंच, प्रधान व जिला परिषद सदस्यों सहित अनेक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।
धरने में सभी वक्ताओं ने विधायकों के निलम्बन को कांग्रेस के इशारे पर की गई कार्रवाई बताया। वक्ताओं ने कहा कि भविष्य में कई विधेयकों को पारित करवाने और राज्यसभा चुनावों को देखते हुए यह षडयंत्र रचा गया है, जो नियम विपरीत है।
धरने में बिजली, पानी किल्लत को लेकर राज्य की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार और वर्तमान गहलोत सरकार के कार्यकाल की तुलना भी की गई। धरने के बाद देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का पुतला जलाया गया तथा राज्यपाल के नाम अतिरिक्त जिला कलक्टर शहर को ज्ञापन दिया गया।

रेवदर विधायक का निर्वाचन वैध

राजस्थान उच्च न्यायालय ने रेवदर विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित भाजपा विधायक जगसीराम के निर्वाचन को चुनौती देने वाली चुनाव याचिका को खारिज कर दिया है। वरिष्ठ न्यायाधीश एन.पी. गुप्ता ने पराजित कांग्रेस प्रत्याशी नीरज डांगी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मरूधर मृदुल द्वारा दायर चुनाव याचिका को पूर्णतया सारहीन करार देते हुए कहा कि इसमें बताए आधारों पर जगसीराम का निर्वाचन रद्द नहीं किया जा सकता।

पराजित प्रत्याशी डांगी की ओर से दायर याचिका में आरोप लगाया गया था कि अप्रार्थी ने अपने नामांकन पत्र में गलत जानकारियां पेश की और नामांकन पत्र में पेश किया गया शपथ पत्र झूठा है। याचिका पर विधायक जगसीराम व चुनाव लडे अन्य सात उम्मीदवारों तथा निर्वाचन अधिकारी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था।विधायक जगसीराम की ओर से अधिवक्ता डॉ. पुष्पेन्द्र सिंह भाटी ने जवाब पेश कर याचिका में लगाए गए आरोपों को सारहीन बताते हुए कहा कि याचिका और इसके साथ पेश किए गए दस्तावेजों से ऎसा प्रथम दृष्टया प्रमाणित नहीं हो रहा कि इस चुनाव याचिका को आगे चलाया जाए। अप्रार्थी ने नामांकन भरने में किसी कानूनी प्रावधान का उल्लंघन नहीं किया है और न ही कोई गलत तथ्य पेश किया है। उनका कहना था कि अप्रार्थी का निर्वाचन पूर्णतया वैध है।

संघ से सोनी जाएंगे शिमला

शिमला में होने वाली भाजपा की चिंतन बैठक में संघ के सह सरकार्यवाह सुरेश सोनी जाएंगेे। हालांकि बैठक में अपना प्रतिनिधि भेजने का फैसला करने में संघ को लम्बी माथापच्ची करनी पड़ी। बैठक में केवल सोनी को भेजकर संघ ने जहां भाजपा की अंदरूनी बैठक में अपनी धमक बरकरार रखने का प्रयास किया है, वहीं इस कदम को उसके भाजपा के कामकाज में दखल नहीं देने के संदेश देने के रूप में भी देखा जा रहा है।संसदीय बोर्ड के सदस्य के नाते पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भी न्योता दिया गया है। हालांकि बैठक में उनके जाने की संभावना न के बराबर है, लेकिन वाजपेयी को लेकर वह कोई नया झमेला खड़ा नहीं करना चाहती। शिमला में 19 से 21 अगस्त तक चलने वाली चिंतन बैठक में संघ की हिस्सेदारी को लेकर कायम ऊहापोह खत्म हो गई है। संघ की तरफ से सुरेश सोनी शामिल होंगे। इस बैठक में संघ की हिस्सेदारी निभाने की बात तय थी, लेकिन संघ जानता था कि बैठक के लिए आसानी से राजी हो जाने पर पार्टी के ऊपर दबाव की उसकी रणनीति कमजोर पड़ सकती है। इसलिए संघ ने बैठक में शामिल होने का पत्ता तब खोला जब भाजपा को इस बात का अहसास हो गया कि बिना संघ के उसकी बैठक अधूरी रह जाएगी। लोकसभा चुनाव में हार के बाद जिस तरह की फजीहत हुई है उससे भाजपा बहुत फंूककर कदम उठा रही है। चिंतन बैठक में उठने वाले सवालों से रूख मोड़ने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की ओर से दी गई केवल हार की समीक्षा नहीं की सफाई ने भले ही पार्टी की एकजुटता का संदेश देने की कोशिश हो, लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेता जिस तरह से बखिया उधेड़ रहे हैं वह सब कुछ ठीक नहीं स्पष्ट करने के लिए काफी है। सूत्रों के अनुसार बैठक में शामिल होने वाले 25 वरिष्ठ नेताओं की सूची तैयार हो गई है। इसमें नेता प्रतिपक्ष आडवाणी, राजनाथ सिंह, जसवंत सिंह, मुरली मनोहर जोशी, बाल आप्टे, रामलाल, सुषमा स्वराज, अरूण जेटली, थावरचंद गहलोत, अनंत कुमार संसदीय बोर्ड सदस्य के नाते बुलाए गए हैं। वहीं गोपीनाथ मुंडे, विनय कटियार और विजय गोयल महामंत्री की हैसियत से जाएंगे। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी, मप्र के शिवराज सिंह चौहान, बी.एस. येडिडूरप्पा, प्रेम कुमार धूमल और रमेश पोखरियाल निशंक के अलावा बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी भी बैठक में जाएंगे।