Friday, August 21, 2009

बैरंग लौटे तीन विधेयक

केन्द्र सरकार ने राज्य की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय पूर्वानुमति के लिए भेजे तीन विधेयकों को इस टिप्पणी के साथ बैरंग लौटा दिया है कि इनके लिए उसकी मंजूरी की आवश्यकता ही नहीं थी। जानकार सूत्रों के अनुसार केन्द्र से लौटे विधेयकों के भविष्य पर अब मौजूदा सरकार फैसला करेगी और इन्हें मंत्रिमण्डल के समक्ष भी रखा जा सकता है। इनमें संगठित अपराधों को रोकने के लिए तैयार चर्चित विधेयक 'रकोका' भी शामिल है।
जयपुर में आतंककारी हमलों के बाद पिछले साल तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने इस विधेयक को कानून बताकर केन्द्र सरकार पर इसे जानबूझकर अटकाने का आरोप लगाया था। राज्य सरकार ने यह विधेयक पूर्वानुमति के लिए केन्द्र सरकार के पास 25 जनवरी 06 को भेजा था। इसी तरह अपार्टमेंट ऑनरशिप के लिए 23 जनवरी 08 को राजस्थान अपार्टमेंट ऑनरशिप एक्ट का प्रारूप भेजा। राजस्थान स्टाम्प संशोधन विधेयक भी 20 फरवरी 08 से केन्द्र सरकार के पास विचाराधीन था। केन्द्र सरकार ने इन तीनों विधेयकों को लौटा दिया है।
क्या है इन विधेयकों में
रकोका संगठित अपराधों को रोकने के लिए इस विधेयक का प्रारूप बना। इसे महाराष्ट्र के 'मकोका' की तर्ज पर तैयार किया गया था।
अपार्टमेंट ऑनरशिप विधेयकफ्लेट्स में दीवार, छत और कॉमन जगह से सम्बन्धित विवादों को समाप्त करने के लिए यह विधेयक लाया गया। महाराष्ट्र, तमिलनाडू, दिल्ली में इस तरह के कानून बने हुए हैं।
स्टाम्प संशोधन विधेयकराजस्थान स्टाम्प संशोधन विधेयक में भूमि रजिस्ट्री मामलों में अपील सम्बन्धी प्रावधान हैं।
धर्म स्वातं˜य विधेयक भी लौटा दिया थाइससे पहले राष्ट्रपति ने उनके पास लम्बित धर्म स्वातं˜य विधेयक भी यह कहते हुए राज्य सरकार को लौटा दिया था कि इस पर नई सरकार अपना मंतव्य स्पष्ट करे। हालांकि यह विधेयक राज्य विधानसभा से पारित होने के बाद राज्यपाल ने राष्ट्रपति को भेजा था। इस विधेयक पर राज्य सरकार ने अभी राष्ट्रपति भवन को अपने मंतव्य से अवगत नहीं करवाया है।
'केन्द्र सरकार से लौटे तीनों विधेयकों का परीक्षण करवाया जा रहा है कि बिना पूर्वानुमति की आवश्यकता के उन्हें दिल्ली क्यों भेजा गया। दिल्ली भेजना कानूनी आवश्यकता नहीं थी तो यह पिछली भाजपा सरकार के कामकाज की अगम्भीरता की बानगी है। मुझे लगता है कि पिछली सरकार की अपार्टमेंट ओनरशिप जैसे कानून लाने की मंशा ही नहीं थी, इसलिए टालने के लिए इसे दिल्ली भेज दिया गया।'- शांति धारीवाल, विधि मंत्री

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