एनसीपी द्वारा कई बार इस खबर का खंडन किए जाने के बावजूद कि वह कांग्रेस में विलीन नहीं होगी, फिर एक बार उसके विलय के बारे में जोरदार अटकलें लगाई जा रही हैं। उसका प्रमुख कारण कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह और महाराष्ट्र के गृह मंत्री जयंत पाटील हैं। इन नेताओं के बीच सांगली के रेस्ट हाउस में रविवार को हुई गुफ्तगू के बाद इन अटकलों को हवा मिली है। बताया जा रहा है कि शरद पवार के विश्वसनीय माने जाने वाले जयंत पाटील ने विलय के पक्ष में मत दिया। इस घटना के एक दिन पहले सांगली के एक आयोजन में सिंह ने कहा था कि जिस मुद्दे के लिए शरद पवार ने एनसीपी की स्थापना की वह खत्म हो गया है। इसलिए कांग्रेस के साथ विलय के बारे में पवार को निर्णय करना चाहिए। सिंह को पवार का मित्र माना जाता हैं । उनकी तरफ से हुई इस टिप्पणी के कई अर्थ लगाए जा रहे हैं। यह कहा जा रहा है कि खुद पवार अब कांग्रेस के ज्यादा निकट चले गए है। वह भी विलय में ही समझदारी देख रहे हैं। पर उनके साथ रहे समर्थक नेताओं के भविष्य की चिंता के कारण पवार दो टूक निर्णय नहीं कर पा रहे हैं। वैसे भी नए दलबदल कानून से विलय में कानूनी समस्याएं खड़ी हो सकती हैं। यही वजह है कि एनसीपी को फिलहाल आर-पार का निर्णय करने की जरूरत महसूस नहीं हो रही है। ज्यादातर सदस्य विधानसभा के चुनाव के बाद इस बारे में निर्णय की अपेक्षा कर रहे हैं। दिग्विजय सिंह राज्य के आठ जिलों का राजनीतिक जायजा लेने के लिए महाराष्ट्र का दौरा कर रहे हैं। रविवार को वह सांगली में थे। सांगली में जयंत पाटील की सिंह से मुलाकात की खबर से एनसीपी के प्रदेशाध्यक्ष आर. आर. पाटील तमतमा गए हैं। पार्टी जनों से अनौपचारिक बातचीत में उन्होंने कहा कि प्रदेशाध्यक्ष के अलावा सभी लोग टिप्पणी या मत देते फिर रहे हैं। इसी बात को लेकर तथा कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ने के बारे में उसके धीमे चलो रवैये से परेशान एनसीपी में तनाव फैल गया है।
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