प्रदेश में नया आरक्षण विधेयक लागू करने के बारे में मुख्य सचिव कुशलसिंह की अध्यक्षता में गठित समिति ने अपना काम पूरा कर लिया है। जानकार सूत्रों ने बताया कि नई आरक्षण व्यवस्था लागू करने के लिए अघिसूचनाओं का मसौदा तैयार हो रहा है। आरक्षण के लाभ के लिए आर्थिक पिछडा वर्ग (ईबीसी) की आय सीमा का अन्तिम फैसला मुख्यमंत्री अशोक गहलोत करेंगे।
राज्यपाल एस.के. सिंह ने एक साल के इन्तजार के बाद 30 जुलाई को आरक्षण विधेयक को मंजूरी दी थी और अगले ही दिन सरकार ने इसे कानून के रूप में अघिसूचित कर दिया। इसे लागू करने के बारे में प्रक्रिया व अन्य तैयारियों के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति गठित की गई, जिसे एक माह में अपना काम पूरा करना था। समिति ने दो बैठकें कर अपना काम पूरा कर लिया है।
ईबीसी में जातियां नहींसूत्रों के अनुसार मुख्य सचिव की समिति के निर्णय के तहत आरक्षण अघिसूचनाओं में ईबीसी के लिए जातियों की कोई सूची नहीं होगी। अजा-जजा-बीसी व एसबीसी के अलावा वे सभी जातियां जो अनारक्षित हैं, वे ईबीसी मानी जाएंगी। ईबीसी का लाभ उस आय सीमा तक मिलेगा जिसे सरकार तय करेगी।
ईबीसी आय सीमा पर फैसला शीर्ष स्तर परसूत्रों के अनुसार समिति के सामने प्रमुख विचारणीय बिन्दु ईबीसी लाभ के लिए आय सीमा तय करना था, लेकिन यह फैसला समिति ने मुख्यमंत्री पर छोड दिया। पूर्ववर्ती सरकार के समय न्यायाधीश शशिकान्त शर्मा की अध्यक्षता वाले राज्य ईबीसी आयोग ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में इसके लिए डेढ लाख रूपए की सालाना आय सीमा की सिफारिश की थी। इस पर तत्कालीन वसुन्धरा सरकार ने मंत्रिमण्डल में ढाई लाख रूपए सालाना आय वाले परिवार को इस आरक्षण के दायरे में लाने का फैसला किया था। सूत्रों के अनुसार समिति ने मंत्रिमण्डल के इस फैसले को नहीं छेडते हुए मुख्यमंत्री पर निर्णय छोडा है। वे चाहें तो इसे यथावत रखें, या पुन: मंत्रिमण्डल में विचार के लिए ले जा सकते हैं।
ये थे समिति मेंमुख्य सचिव कुशलसिंह-अध्यक्ष, प्रमुख वित्त सचिव सी.के. मैथ्यू, प्रमुख सामाजिक आघिकारिता सचिव मालोविका पंवार, प्रमुख पंचायती राज सचिव जी.एस. संधु, प्रमुख कार्मिक सचिव खेमराज, प्रमुख विघि सचिव एस.एस. कोठारी, विशिष्ट सामाजिक आघिकारिता सचिव आर. वेंकटेश्वरन।
राज्यपाल एस.के. सिंह ने एक साल के इन्तजार के बाद 30 जुलाई को आरक्षण विधेयक को मंजूरी दी थी और अगले ही दिन सरकार ने इसे कानून के रूप में अघिसूचित कर दिया। इसे लागू करने के बारे में प्रक्रिया व अन्य तैयारियों के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति गठित की गई, जिसे एक माह में अपना काम पूरा करना था। समिति ने दो बैठकें कर अपना काम पूरा कर लिया है।
ईबीसी में जातियां नहींसूत्रों के अनुसार मुख्य सचिव की समिति के निर्णय के तहत आरक्षण अघिसूचनाओं में ईबीसी के लिए जातियों की कोई सूची नहीं होगी। अजा-जजा-बीसी व एसबीसी के अलावा वे सभी जातियां जो अनारक्षित हैं, वे ईबीसी मानी जाएंगी। ईबीसी का लाभ उस आय सीमा तक मिलेगा जिसे सरकार तय करेगी।
ईबीसी आय सीमा पर फैसला शीर्ष स्तर परसूत्रों के अनुसार समिति के सामने प्रमुख विचारणीय बिन्दु ईबीसी लाभ के लिए आय सीमा तय करना था, लेकिन यह फैसला समिति ने मुख्यमंत्री पर छोड दिया। पूर्ववर्ती सरकार के समय न्यायाधीश शशिकान्त शर्मा की अध्यक्षता वाले राज्य ईबीसी आयोग ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में इसके लिए डेढ लाख रूपए की सालाना आय सीमा की सिफारिश की थी। इस पर तत्कालीन वसुन्धरा सरकार ने मंत्रिमण्डल में ढाई लाख रूपए सालाना आय वाले परिवार को इस आरक्षण के दायरे में लाने का फैसला किया था। सूत्रों के अनुसार समिति ने मंत्रिमण्डल के इस फैसले को नहीं छेडते हुए मुख्यमंत्री पर निर्णय छोडा है। वे चाहें तो इसे यथावत रखें, या पुन: मंत्रिमण्डल में विचार के लिए ले जा सकते हैं।
ये थे समिति मेंमुख्य सचिव कुशलसिंह-अध्यक्ष, प्रमुख वित्त सचिव सी.के. मैथ्यू, प्रमुख सामाजिक आघिकारिता सचिव मालोविका पंवार, प्रमुख पंचायती राज सचिव जी.एस. संधु, प्रमुख कार्मिक सचिव खेमराज, प्रमुख विघि सचिव एस.एस. कोठारी, विशिष्ट सामाजिक आघिकारिता सचिव आर. वेंकटेश्वरन।
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