Monday, August 31, 2009

आखिरकार बीजेपी ने सीखा सबक

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और बीजेपी में अध्यक्ष पद पर बदलाव के संबंध में संघ द्वारा पूरी तरह से स्पष्ट कर दिए जाने के बाद मंगलवार को हरिद्वार में संघ के शीर्ष नेता पार्टी के भविष्य के बारे में विचार विमर्श करेंगे। लेकिन सूत्रों ने साफ कर दिया है कि पार्टी अध्यक्ष और बीजेपी शासन में देश का प्रधानमंत्री केवल संघ की पृष्ठभूमि से होगा। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष लालकृष्ण आडवाणी को बीजेपी का शीर्ष नेता बताते हुए संघ और बीजेपी नेताओं ने पार्टी में बदलाव की जिम्मेदारी आडवाणी पर डाल दी है। संघ प्रमुख तीन दिन तक बीजेपी नेताओं से विचार विमर्श करने के बाद हरिद्वार पहुंच गए हैं और आडवाणी से भेंट करने के बाद पूर्व संघ प्रमुख केएस सुदर्शन भी हरिद्वार पहुंच गए। बीजेपी में मचे बवाल के बाद पार्टी सूत्रों ने बीजेपी के कर्णधारों को नया पाठ सीखा दिए जाने की बात कही है। जसवंत सिंह और सुधींद्र कुलकर्णी का उल्लेख करते हुए सूत्रों का कहना है कि ऐसे नेताओं को पार्टी ने हर महत्वपूर्ण पद दिया लेकिन अब वे पार्टी की विचारधारा को लेकर ही सवाल खड़ा कर रहे हैं। उनका कहना था कि जसवंत सिंह पार्टी में रह कर जिंदगीभर सांसद रहे और सत्ता में आने पर मंत्री रहे। पार्टी ने उन्हें पूरा सम्मान और महत्व दिया। केवल पार्टी अध्यक्ष और प्रधानमंत्री बनाने को छोड़ कर उन्हें शीर्ष पर रखा। लेकिन अब वह विष वमन कर रहे हैं। इसी प्रकार से सुधींद्र कुलकर्णी ने किया। यदि पार्टी सत्ता में आती तो सुधींद्र प्रधानमंत्री कार्यालय में प्रमुख सचिव के पद पर होते। वही सुधीन्द कुलकर्णी अब ममता बनर्जी की पार्टी में शामिल होकर बीजेपी की विचारधारा से असहमति दर्शा रहे हैं। कुल मिला कर पार्टी ने बाहर से आने वाले नेताओं के प्रति अधिक सावधान रहने की तैयारी शुरू कर दी है। संघ के सुर में सुर मिलाते हुए सूत्रों का कहना था कि बीजेपी के रोजमर्रा के मामले में संघ दखल नहीं देता लेकिन विचार विमर्श तो संघ के साथ चलता है। पार्टी में जो भी आगे के बदलाव होने हैं उनमें आडवाणी की महत्वपूर्ण रहेगी। आडवाणी बीजेपी के शीर्ष नेता हैं और वह सही समय पर उचित निर्णय लेंगे। हरिद्वार में संघ प्रमुख ने भी कहा कि पार्टी में वह अपनी भूमिका खुद तय करेंगे। भविष्य में पार्टी में सब कुछ अच्छा रहेगा। आडवाणी के दिशा निर्देशन में पार्टी अपनी समस्याओं का हल खोज लेगी। गौरतलब है कि पार्टी संविधान के अनुसार राजनाथ सिंह को अध्यक्ष पद पर अगला कार्यकाल नहीं मिल सकता। इसी आधार पर पार्टी प्रवक्ता ने कहा था कि राजनाथ सिंह को अगला कार्यकाल नहीं मिलेगा। दूसरी ओर, संघ द्वारा यह स्पष्ट किए जाने के बाद कि आडवाणी ही आगे के लिए रास्ता बनाएंगे तो राजनाथ सिंह के कार्यकाल की समाप्ति के बाद दिसंबर में ही बदलाव हो सकते हैं। ऐसी भी चर्चा है कि आडवाणी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ सकते हैं तो वह भी नए अध्यक्ष द्वारा पार्टी की कमान संभाले जाने के बाद ही होने की संभावना है।

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