भाजपा ने शिमला में होने वाली अपनी चिंतन बैठक को दो दिन के लिए टाल दिया है। अब यह 17 से 19 के बजाय 19 से 21 अगस्त को होगी। पार्टी ने तारीख आगे बढ़ाने के साथ एजेंडे में भी थोड़ा बदलाव किया है। बैठक में सिर्फ लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार की समीक्षा ही नहीं की जाएगी बल्कि आगे की रणनीति भी तैयार होगी। वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने स्पष्ट किया कि चिंतन बैठक सिर्फ हार की समीक्षा पर ही केंद्रित नहीं होगी। भविष्य में पार्टी को मजबूत बनाने का खाका भी खींचा जाएगा। उन्होंने बताया कि बंगाल और केरल जैसे राज्यों में अभी तक भाजपा अपना खाता नहीं खोल पाई है। शिमला में मिल-बैठकर सोचेंगे कि इन राज्यों में कमल कैसे खिलाया जाए। चिंतन बैठक में भाजपा और संघ के 25 वरिष्ठ नेता शामिल होंगे।इससे पूर्व भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने बताया कि शुक्रवार सुबह शीर्ष नेता लालकृष्ण आडवाणी के आवास पर हुई कोर ग्रुप की बैठक में चिंतन बैठक को आगे बढ़ाने का निर्णय किया गया। इसकी वजह बताते राजनाथ ने कहा कि 17 अगस्त को आंतरिक सुरक्षा पर विचार-विमर्श के लिए प्रधानमंत्री ने दिल्ली में मुख्यमंत्रियों की अहम बैठक बुलाई है जबकि 18 अगस्त को कर्नाटक और उत्तर प्रदेश विधानसभाओं के उपचुनाव हैं।प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बुलावे पर भाजपा शासित राज्यों गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री भी दिल्ली आएंगे जिससे चिंतन बैठक के लिए उनका 17 को शिमला पहुंचना कठिन हो जाता जबकि उपचुनाव की तैयारी भी प्रभावित होती। मुख्यमंत्रियों की व्यस्तता और उपचुनावों को ध्यान में रखकर चिंतन बैठक को दो दिन के लिए टालना बेहतर समझा गया।कोर गु्रप की बैठक में उन नामों पर भी मुहर लगाई गई जिन्हें चिंतन बैठक के लिए शिमला आमंत्रित किया जाना है। इस बीच सूत्रों ने बताया कि चिंतन बैठक हो जाए तो गनीमत समझिए। पार्टी के अंदर इसके औचित्य को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। एक धड़े का मानना है कि समीक्षा के दौरान जवाबदेही भी तय होगी जिससे फिर घमासान खड़ा होगा। इसके विपरीत चिंतन बैठक पर जोर देने वाले खेमे का तर्क है कि हार के कारण जाने बिना भविष्य की तैयारी मुमकिन नहीं। पहले यह बैठक महाराष्ट्र के ठाणे में 17 से 19 अगस्त को होनी थी, लेकिन राज्य भाजपा के विरोध के चलते इसे शिमला में करने का फैसला करना पड़ा। महाराष्ट्र में कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। भाजपा की राज्य इकाई चिंतन बैठक में घमासान की आशंका से चिंतित हो गई। उसे लगा कि यदि लोकसभा चुनाव में हार की समीक्षा के दौरान बड़े नेताओं ने एक दूसरे पर दोषारोपण किया और गलती से भी अंदर की बात मीडिया में लीक हो गईं तो विधानसभा चुनाव में पार्टी के नतीजे प्रभावित हो सकते हैं।
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