भाजपा की चिंतन बैठक का एजेंडा द्रोपदी की साड़ी की तरह बढ़ता जा रहा है। पहले तय था कि वरिष्ठ नेता मिल-बैठकर लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार की समीक्षा करेंगे फिर, स्वयं लालकृष्ण आडवाणी ने भविष्य की रणनीति का खाका तैयार करने की बात जोड़ दी। सोमवार को पार्टी प्रवक्ता राजीव प्रताप रूडी ने बताया कि शिमला की तीन दिवसीय बैठक के दौरान कुल बारह सत्र होंगे जिनमें विभिन्न राज्यों की रिपोर्ट पर भी चर्चा होगी।नियमित संवाददाता सम्मेलन के बीच रूडी से चिंतन बैठक के बारे में सवाल पूछा गया जिस पर उन्होंने आडवाणी की बात दोहराते हुए कहा कि हार की समीक्षा के साथ पार्टी को मजबूत बनाने का रास्ता भी तलाशा जाएगा। इस पर चर्चा होगी कि पिछले चुनावों से सबक लेकर कैसे आगे बढ़ा जाए। विभिन्न राज्य इकाइयों से प्रतिवेदन मांगे गए थे जो मिल चुके हैं। प्रतिदिन चार सत्र के हिसाब से फिलहाल बारह सत्रों में बैठक का कार्यक्रम है।इसी बीच राज्यों से भेजी गई रिपोर्ट पर भी विचार होगा। करारी हार के लिए चुनाव प्रबंधन में खामियां गिनाने वाले अरूण शौरी, जसवंत सिंह व यशवंत सिन्हा के शामिल होने पर जारी विवाद संबंधी सवाल को टालते हुए रूडी ने कहा कि सूची तैयार है किन्तु इसकी जानकारी देने के लिए वे अधिकृत नहीं हैं।इस बीच सूत्रों ने बताया कि चिंतन बैठक में भाग लेने के लिए जो कसौटी तैयार की गई है उस पर ये खरे नहीं उतरते। दरअसल, ज्यादा भीड़ न जुटाने का मन बना चुके केंद्रीय नेतृत्व ने तय किया है कि कोर ग्रुप, संसदीय बोर्ड के सदस्य, संसद के दोनों सदनों के नेता व उपनेता प्रतिपक्ष, पार्टी महासचिव, संगठन महामंत्री और सचिव के अलावा मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री ही चिंतन बैठक का हिस्सा होंगे। मंथन के लिए राज्यों की रिपोर्ट कौन पेश करेगा, क्या राज्यों का प्रतिनिधित्व भी होगा? इस पर सूत्रों ने बताया कि अभी तक ऎसी कोई योजना नहीं है। यह जिम्मेदारी संगठन से जुड़े लोग भी निभा सकते हैं।
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