पूर्व मंत्री कालूलाल गुर्जर का आरोप है कि आरक्षण संबंधी विधेयक को मंजूरी देने में देरी करके राज्यपाल शीलेन्द्र सिंह ने राजनीति की है। कांग्रेस को लाभ पहुंचाने के लिए ऎसा किया गया। जबकि आरक्षण की नींव पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने रखी थी। गुर्जर ने सिंह को राज्यपाल पद से हटाने की मांग की।
रविवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में गुर्जर ने कहा कि राज्यपाल सिंह ने उनके साथ धोखा किया। यदि वे एक साल पहले आरक्षण विधेयक पर हस्ताक्षर कर देते तो समाज के कई लोग इसका फायदा उठा सकते थे। इसमें हुई देरी के कारण भर्तियों के दौरान कई लोग वंचित रह गए। उन्होंने कहा कि राज्यपाल को ही जब कानूनी राय लेने में एक साल का समय लगेगा तो आम लोगों की क्या स्थिति होगी। गुर्जर ने कहा कि विधेयक को नवीं अनुसूची में डलवाने के लिए वे पूरी कोशिश करेंगे। संवाददाता सम्मेलन में भीलवाडा से शांतिलाल गुर्जर, अजमेर से किशन गुर्जर, गोपाल कसाणा, रामा गुर्जर आदि भी मौजूद थे।
आंतरिक रूप से साथगुर्जर ने दावा किया कि भाजपा शासन में हुए गुर्जर आंदोलन के दौरान आंतरिक रूप से वे गुर्जरों के साथ थे। उनकी सरकार होने के कारण वे खुलकर सामने नहीं आ सके। उनके बेटे ने किसी के उकसाने पर ही उन पर आरोप लगाए होंगे। उनके परिवार में आज भी कोई मतभेद नहीं है।
रविवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में गुर्जर ने कहा कि राज्यपाल सिंह ने उनके साथ धोखा किया। यदि वे एक साल पहले आरक्षण विधेयक पर हस्ताक्षर कर देते तो समाज के कई लोग इसका फायदा उठा सकते थे। इसमें हुई देरी के कारण भर्तियों के दौरान कई लोग वंचित रह गए। उन्होंने कहा कि राज्यपाल को ही जब कानूनी राय लेने में एक साल का समय लगेगा तो आम लोगों की क्या स्थिति होगी। गुर्जर ने कहा कि विधेयक को नवीं अनुसूची में डलवाने के लिए वे पूरी कोशिश करेंगे। संवाददाता सम्मेलन में भीलवाडा से शांतिलाल गुर्जर, अजमेर से किशन गुर्जर, गोपाल कसाणा, रामा गुर्जर आदि भी मौजूद थे।
आंतरिक रूप से साथगुर्जर ने दावा किया कि भाजपा शासन में हुए गुर्जर आंदोलन के दौरान आंतरिक रूप से वे गुर्जरों के साथ थे। उनकी सरकार होने के कारण वे खुलकर सामने नहीं आ सके। उनके बेटे ने किसी के उकसाने पर ही उन पर आरोप लगाए होंगे। उनके परिवार में आज भी कोई मतभेद नहीं है।
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