Thursday, April 29, 2010

झमेले से छूट कांग्रेस में जाएंगी खुशबू

शादी से पहले सेक्स पर दिए अपने बयानों पर सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद
तमिल ऐक्ट्रेस खुशबू अब राजनीति की ओर कदम बढ़ाने की सोच रही हैं। वह कांग्रेस जॉइन कर सकती हैं। खुशबू इस समय लंदन में छुट्टियां मना रही हैं। उन्होंने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को फोन पर बताया कि वह कांग्रेस जॉइन करना चाहती हैं। खुशबू ने बताया कि अगर उन्हें कांग्रेस की तरफ से न्योता मिलता है, तो वह इसे सहज स्वीकार कर लेंगी। खुशबू ने कहा कि वह कांग्रेस की बहुत बड़ी प्रशंसक हैं। क्या कांग्रेस की तरफ से उन्हें कोई सिग्नल मिला है, पर खुशबू ने कहा कि वह इस पर अभी कॉमेंट नहीं करेंगी। उन्होंने कहा कि वह कुछ दिन में चेन्नै लौट रही हैं, इसके बाद मैं सभी सवालों के जवाब दूंगी। उधर, तमिलनाडु कांग्रेस कमिटी के प्रेजिडेंट केबी थंगकाबालू से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'यदि वह कांग्रेस में आना चाहती हैं, तो उनका स्वागत है। जो कोई भी सोनिया जी की लीडरशिप को स्वीकार करना चाहता है, कांग्रेस में उसका स्वागत है। ' गौरतलब है कि शादी से पहले सेक्स वाले खुशबू के बयान पर खूब बवाल हुआ था। उनके खिलाफ 22 केस दर्ज किए गए थे। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस साउथ इंडियन एक्ट्रेस पर दर्ज सभी क्रिमिनल केसों को रद्द कर दिया था।

विधायकों पर नजर

दिल्ली में अब विधायकों के आचरण की निगरानी विधानसभा की कमिटी करेगी। दिल्ली
विधानसभा के स्पीकर डॉ.
योगानंद शास्त्री
ने पहली
बार आचरण
कमिटी का
गठन किया
है। इस
तरह की
कमिटी अभी
राज्यसभा के लिए है लेकिन
दिल्ली पहला
ऐसा राज्य
है, जिसने
इस तरह
की कमिटी
का गठन
किया है।
इसके अलावा
स्पीकर ने
विधानसभा की अन्य कमिटियों के
गठन का
भी ऐलान
किया।

स्पीकर ने
बताया कि
राज्यसभा की तरह ही यह
कमिटी विधायकों
के लिए
कोड ऑफ
कंडक्ट तैयार
करेगी। इसके
अलावा विधायकों
के सदन
के भीतर
और बाहर
उनके कार्यकलापों
पर भी
नजर रखेगी।
अगर कोई
सदस्य आचरण
के उल्लंघन
का दोषी
पाया जाता
है तो
यह आवश्यक
सिफारिशें भी करेगी। नौ सदस्यों
वाली इस
कमिटी का
चेयरमैन राजेंद्र
नगर से
कांग्रेस विधायक रमाकांत गोस्वामी को
बनाया गया
है।

विधानसभा सूत्रों का कहना है
कि कुछ
समय पहले
एक विधायक
के खिलाफ
लगे आरोपों
के बाद
इस तरह
की कमिटी
के गठन
का फैसला
किया है।
वैसे इसके
गठन की
सिफारिश जनरल
परपज कमिटी
ने 31 मार्च
को दी
अपनी रिपोर्ट
में की
थी। स्पीकर
ने बताया
कि सत्ताधारी
पार्टी के
चीफ विप
ने दो
और कमिटियों
के गठन
का भी
अनुरोध किया
है। इसमें
एक अल्पसंख्यक
कल्याण कमिटी
और दूसरी
अन्य पिछड़ा
वर्ग कल्याण
कमिटी बनाने
को कहा
गया है।
इन कमिटियों
का गठन
जल्द किया
जाएगा।

स्पीकर ने
बताया कि
आचरण कमिटी
में डॉ.
नरेंद्रनाथ, मुकेश शर्मा, बरखा सिंह,
हरिशंकर गुप्ता,
डॉ. हर्षवर्धन,
ओ.पी.
बब्बर, रविंद्रनाथ
बंसल और
आसिफ मोहम्मद
खान को
सदस्य बनाया
गया है।
इसके अलावा
विशेषाधिकार कमिटी का चेयरमैन डॉ.
नरेंद्र नाथ,
सरकारी आश्वासन
कमिटी का
चेयरमैन हरशरण
सिंह बल्ली,
एससी/एसटी
एंड ओबीसी
वेलफेयर कमिटी
का चेयरमैन
मालाराम गंगवाल,
महिला एवं
बाल कल्याण
कमिटी का
चेयरपर्सन बरखा सिंह, पर्यावरण कमिटी
का चेयरमैन
हरिशंकर गुप्ता,
विधायकों के वेतन भत्ते तय
करने वाली
कमिटी का
चेयरमैन कंवर
करण सिंह,
पब्लिक अकाउंट
कमिटी का
चेयरमैन प्रहलाद
सिंह साहनी
और सरकारी
उपक्रम कमिटी
का चेयरमैन
बलराम तंवर
को बनाया
गया है।





बीजेपी सरकार बनाए, तो हम सपोर्ट करेंगेः जेएमएम

झारखण्ड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के अध्यक्ष और झारखण्ड के मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के बेटे हेमंत सरेन ने कहा है कि उनकी पार्टी बीजेपी की नेतृत्व में सरकार बनने की स्थिति में उसे समर्थन देने को तैयार है। हेमंत ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'बीजेपी को नई सरकार के गठन की प्रक्रिया की शुरुआत करनी चाहिए।' उन्होंने कहा, 'जेएमएम चाहती है कि राज्य में जारी राजनीतिक संकट जल्द से जल्द खत्म हो। इसी को ध्यान में रखते हुए पार्टी के विधायकों ने बीजेपी से झारखंड में नई
सरकार बनाने की गुजारिश की है। अगर बीजेपी सरकार बनाने का मन बनाती है, तो सीएम शिबू सोरेन इस्तीफा देने के लिए तैयार है। ऐसी सूरत में हम बीजेपी को समर्थने देने के लिए तैयार हैं।' हालांकि हेमंत सोरेन ने बीजेपी से आग्रह किया कि वह किसी आदिवासी के नेतृत्व में ही सरकार का गठन करे। सोरेन के इस प्रस्ताव पर बीजेपी ने अभी कुछ नहीं कहा है, पर सूत्रों का कहना है कि पार्टी की संसदीय बोर्ड की बैठक में इस मामले पर विचार-विमर्श के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा।

सपा-राजद का बहिर्गमन

लोकसभा में गुरूवार को सरकारी नौकरियों में मुसलमानों आरक्षण के मसले पर समाजवादी पार्टी (सपा) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सदस्यों ने बहिर्गमन किया।राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने पूछा कि क्या सरकार विभिन्न सरकारी क्षेत्रों में मुसलमानों को समानुपातिक प्रतिनिधित्व देने की कोई योजना बना रही है? इसके जवाब में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि वह इस प्रश्न का जवाब नहीं दे सकते क्योंकि यह सूचीबद्ध नहीं है।इस लालू ने कहा कि सरकार ''मुस्लिम विरोधी'' है। उन्होंने मंत्री से इसका उचित उत्तर देने की मांग की। लोकसभाध्यक्ष मीरा कुमार ने कहा कि वह नोटिस दे सकते है और सदन में इस पर चर्चा हो सकती है।

Thursday, April 22, 2010

गडकरी अब करेंगे भाजपा का असली ऑपरेशन

नई दिल्ली । महंगाई विरोधी रैली की सफलता से उत्साहित भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी अब भाजपा के असली ऑपरेशन में जुटेंगे। गडकरी के नेतृत्व में रैली में जिस तरह की नई पंरपराएं दिखीं उससे साफ हो गया है कि पहले पार्टी, बाद में कोई और। रैली में किसी एक नेता के पक्ष में नारे भी नहीं लगे। नारे लगे तो सिर्फ भाजपा के। मंच भाजपा के झंडे से सजा था। बीच में कमल का फूल था। मंच के दाएं-बाएं भाजपा के वैचारिक प्ररेणास्रोत श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पं.दीनदयाल उपाध्याय के बड़े कट आउट यह संदेश दे रहे थे कि पार्टी मौजूदा किसी एक नेता के चेहरे या प्रभुत्व से नहीं चलेगी। अटल बिहारी वाजपेयी का एक बड़ा कविता लिखा चित्र मंच के पीछे लगा था। एक नई परंपरा यह भी दिखी कि रैली का समापन भाजपा अध्यक्ष के भाषण से हुआ। वर्ना आमतौर पर भाजपा के कार्यक्रमों का समापन पार्टी के वरिष्ठ नेता के संबोधन से होता रहा है। मसलन, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सबसे अंत में भाषण करते थे और वाजपेयी से पहले आडवाणी और आडवाणी से पहले भाजपा अध्यक्ष का भाषण। यही क्रम रहता था। पर इस बार क्रम बदला। वरिष्ठ नेता आडवाणी का भाषण गडकरी से पहले करवा दिया गया। इस चूक को सुषमा स्वराज ने महसूस भी किया। वैसे,गडकरी के राज में मंच संचालन का काम किसी एक या दो व्यक्ति के हाथ में नहीं रहा। रामलाल मैदान पर विजय गोयल के साथ-साथ महासचिव अनंत कुमार और धर्मेंद्र प्रधान ने भी संचालन किया। जंतर मंतर पर यह काम महासचिव थावर चंद गहलोत के जिम्मे रहा। गडकरी ने रैली के काम का बंटवारा इस तरह किया कि कोई एक नेता मंच पर हावी नहीं हो पाए। असल में रैली की सफलता के लिए गडकरी ने पूरी कमान अपने हाथ में ले रखी थी। रैली के बारे में गडकरी ने राज्यवार रिपोर्ट तैयार करवाई है। इस रिपोर्ट के आधार पर ही गडकरी अब भाजपा का असली ऑपरेशन करेंगे। सबसे पहले उनके निशाने पर मध्य प्रदेश,उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, छत्तीसगढ़, राजस्थान जैसे बड़े सूबे हैं। इन राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष को लेकर घमासान मचा है । गडकरी अध्यक्ष का फैसला करेंगे। रैली से पहले और बाद में इन राज्यों के कई नेता और कार्यकर्ता गडकरी को अपना योगदान बताने में व्यस्त रहे। दूसरा महत्वपूर्ण काम गडकरी को अपने नवगठित केंद्रीय पदाधिकारियों के बीच कामकाज का बंटवारा करना है राज्यों का प्रभार बांटना है। युवा और महिला मोर्चा सहित विभिन्न मोर्चा के अध्यक्षों का भी ऐलान करना है। सफल मानी जा रही इस रैली ने गडकरी को नई ताकत दी है।

''गुमशुदा'' मंत्री को लेकर हंगामा

रसायन और उर्वरक मंत्री एम अलागिरी की संसद में लगातार गैर मौजूदगी को लेकर लेाकसभा में आज भाजपा समेत समूचे विपक्ष ने भारी आपत्ति जताई और इस मुद्दे को लेकर उनकी द्रमुक सदस्यों से तीखी नोंकझोंक भी हुई। हालांकि सदन के नेता तथा वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने यह कहकर सदस्यों को शांत करने का प्रयास किया कि मंत्री इस समय देश से बाहर हैं और इसलिए आज सदन में नहीं आए। विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने मंत्री की अनुपस्थिति पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह ऐसे मंत्री हैं जिनका चेहरा आज तक सांसदों ने तो क्या अध्यक्ष तक ने नहीं देखा है। उन्होंने कहा कि ऐसा सुनने में आया है कि उन्होंने आज तक कैबिनेट की किसी बैठक तक में हिस्सा नहंी लिया है। उन्होंने कहा कि संसद का सत्र चालू होने पर मंत्रियों का पहला दायित्व संसद के प्रति होता है, उसके बाद कोई दूसरा दायित्व आता है। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष की अनुमति से ही मंत्री सदन से गैर हाजिर हो सकते हैं। उन्होंने सरकार से जानना चाहा कि यह ''गुमशुदा'' मंत्री कहां छुपे हैं।इससे पूर्व सदन के नेता प्रणव मुखर्जी ने सदस्यों को शांत करने का प्रयास करते हुए कहा कि संबंधित मंत्री देश से बाहर हैं और संसदीय नियमों के अनुसार मंत्री की गैर मौजूदगी में राज्य मंत्री जवाब देने के लिए अधिकृत हैं। उन्होंने कहा कि सदस्य प्रश्नकाल चलने दें और वे यह मामला बाद में भी उठा सकते हैं। सदन में आज प्रश्नकाल में अलागिरी के मंत्रालय से संबंधित प्रश्न पूछे जाने थे और उनके अनुपस्थित रहने पर भाजपा सहित अनेक दलों के सदस्यों ने कड़ी आपत्ति जताई।लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान जब रसायन और उर्वरक मंत्रालय से संबंधित पूरक प्रश्न का अलागिरी के स्थान पर राज्य मंत्री जवाब देने खड़े हुए तो भाजपा के वरिष्ठ सदस्य यशवंत सिन्हा ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्हीं की पार्टी के हरेन पांडया ने कहा कि मंत्री बिना आसन की अनुमति के सदन से गैर हाजिर हैं और यह आसन का अपमान है। निर्दलीय दिग्विजय सिंह ने कहा कि सांसदों ने आज तक मंत्री का चेहरा तक नहीं देखा है इस पर स्पीकर मीरा कुमार ने कहा कि उन्होंने राज्य मंत्री को जवाब देने के लिए अधिकृत किया है। लेकिन सदस्य शांत नहीं हुए और प्रश्नकाल की समाप्ति तक इस मुद्दे को लेकर विपक्ष तथा द्रमुक सदस्यों के बीच नोंकझोंक होती रही।

''मोदी के कारनामों को वसुंधरा उजागर करे''

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज आईपीएल आयुक्त ललित मोदी और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर प्रहार करते हुए कहा कि वसुंधरा राजे को सार्वजनिक और राजनीतिक जीवन में बने रहने के लिए प्रदेशहित में उन तथ्यों का खुलासा करना चाहिए जिसकी वजह से राजस्थान क्रिकेट संघ के तत्कालीन अध्यक्ष मोदी का समर्थन करने के लिए अधिकारियों पर बेजा दबाव डाला गया। उन्होंने कहा कि ऐसे कौन से कारण थे कि तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा को मोदी को क्रिकेट में स्थापित करने के लिए क्रिकेट कानून को बदलने का अध्यादेश लाकर कानून बनाना पड़ा और इन्हें सार्वजनिक करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मोदी राजस्थान का पैसा कहां ले गए, इसका खुलासा वसुंधरा को करना चाहिए। गहलोत ने कहा कि वसुंधरा से उस दौरान यदि चूक हुई है तो उसे जनहित में मंजूर करना चाहिए। गहलोत ने आज यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि तत्कालीन भाजपा सरकार के कार्यकाल में मुख्यमंत्री के सिविल लाइंस स्थित सरकारी आवास के पते से दस्तावेजों के पंजीकरण किए गए। वरिष्ठ अधिकारियों को मोदी से मिलने के लिए जयपुर, दिल्ली, मुम्बई समेत देश के अन्य कई बड़े होटलों में मिलने के लिए भेजा गया। उन्होंने कहा कि हमने उसी समय वसुंधरा राजे को आगाह किया था लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। गहलोत ने कहा कि तत्कालीन भाजपा सरकार के कार्यकाल की जांच के लिए गठित न्यायमूर्ति माथुर आयोग का काम यदि आगे बढ़ता तो कई बातें सामने आती। वसुंधरा और मोदी ने उस वक्त क्या-क्या तमाशे किए हंै, पूरा प्रदेश, देश जानता है। उन्होंने कहा कि मोदी से मिलने के लिए वरिष्ठ अधिकारी ही नहीं मंत्रियों को मोदी के कमरे के बाहर घंटों इंतजार करना पड़ता था। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री को प्रदेश हित और स्वंय को राजनीतिक तथा सार्वजनिक जीवन में बने रहने के लिए उन बातों का खुलासा करना चाहिए जिसकी वजह से उन्होंने मोदी को भरपूर समर्थन दिया। उन्होंने कहा कि मोदी मुम्बई में बैठकर लेनदेन के हिसाब का मिलान करते थे, यदि कहीं कमी पाई जाती तो काम रोक दिए जाते थे। उन्होंने कहा कि राजस्थान के तत्कालीन नगरीय एवं स्वायत शासन मंत्री प्रताप सिंह सिंघवी और राजस्थान आवासन मंडल के तत्कालीन अध्यक्ष अजय पाल सिंह के मामले पूरे देश के सामने है जिनके निर्माण कार्य मोदी के इशारे पर रोक दिए गए और बाद में उन्हें फिर अनुमति दे दी गई। गहलोत ने कहा कि तत्कालीन भाजपा सरकार के कार्यकाल में प्रमुख विपक्षी पार्टी कांगे्रस और मीडिया मोदी के तमाशों और अधिकारियों के साथ की जाने वाली अशोभनीय घटनाओं को लगातार सामने लेकर आता रहा, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री ने उनकी (मोदी की) हरकतों को रोकना पसंद नहीं किया। गहलोत ने जोर देकर कहा कि ये काम वसुंधरा राजे की शह के बिना संभव नहीं थे। उन्होंने कहा कि अब जब देश भर में आईपीएल आयुक्त मोदी को लेकर शोर मचा हुआ है, ऐसे समय में वसुंधरा राजे मौन क्यों हैं, उन्हें इस बात का खुलासा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मेरी चिन्ता है कि जिस सुनियोजित ढंग से मोदी के माध्यम से राजस्थान का पैसा बाहर गया, उसका खुलासा उन्हें करना चाहिए।

राज्यमंत्री ने निर्वाचन क्षैत्र का लिया जायजा

खेल राज्यमंत्री मांगीलाल गरासिया ने कहा कि सरकार ने भीषण गर्मी के दौर में रोजगार, पानी और मवेशी के लिए चारे की पुख्ता व्यवस्था की है तथा अकाल के कारण एक भी पशुधन को मरने नहीं दिया जायेगा ।गरासिया ने गुरूवार को बडग़ांव पंचायत समिति क्षेत्र के बडग़ांव, थूर, लोयरा, रामा, ईसवाल एवं कविता ग्राम पंचायतों के डेढ दर्जन गांवों का दौरा कर अकाल के कारण पेयजल की व्यवस्था तथा रोजगार संबंधी व्यवस्था का जायजा लिया।उन्होंने कहा कि शताब्दी के इस भीषण अकाल से जलस्रोतों एवं कुंओं का जलस्तर नीचे जा रहा है जिससे अनेक हैण्डपंप, ट्यूबवैल और कुएंसूख गये हंै ऐसी स्थिति में तत्काल पेयजल व्यवस्था का समाधान टैंकरों से जलापूर्ति कर की जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रशासन को अधिक से अधिक टैंकरों की स्वीकृति प्रदान करने के निर्देश दे दिये है तथा वे स्वयं जगह-जगह जाकर स्थिति का जायजा ले रहे हैं।उन्होंने जलदाय विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि क्षेत्र की ग्राम पंचायत स्तर पर हैण्डपंप मिस्त्री को साधन सुविधाएं उपलब्ध करवाकर तत्काल हैण्डपंप दुरूस्त करवाये जायें ताकि आम जनता को राहत मिल सके। इस दौरान गरासिया ने बडग़ांव में जनसमस्याएं सुनी तथा मौके पर ही अधिकारियों को समाधान के निर्देश दिये। उन्होंने राउमावि का निरीक्षण कर चारदीवारी एवं मरम्मत कार्य शीघ्र करवाने के यूआईटी को निर्देश दिये। उन्होंने श्मशान भूमि पर अवैध अतिक्रमण हटाने के लिये तहसीलदार गिर्वा को निर्देश दिये। राज्यमंत्री गरासिया के साथ बडग़ांव प्रधान जमनालाल मोड, उप प्रधान मीरा पालीवाल, पूर्व उप सरपंच भुवनेश व्यास हेमन्त श्रीमाली, उप सरपंच नरेन्द्र शर्मा, वार्ड पंच गोपाल बम्ब, देवीलाल सुथार, भरत सालवी, संजय शर्मा, रूपा देवी सुथार एवं पुष्पा सुथार सहित कई कार्यकर्ता मौजूद थे।

संगठन मंत्रियों की लगी क्लास

नई दिल्ली। भाजपा के प्रांतीय संगठन महामंत्रियों एवं सह संगठन मंत्रियों को सुस्त पडे पार्टी कार्यकर्ताओं में चुस्ती-फुर्ती लाने के साथ राज्यों में खेमेबंदी और आंतरिक कलह खत्म कर सभी धडों में एका लाने की जिम्मेदारी सौप गई है। गुरूवार को हुई अहम बैठक में देशभर से आए संगठन मंत्रियों के समक्ष भाजपा का भविष्य सुधारने का नया रोडमैप पेश किया गया।
इस बैठक में पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल, राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री सौदान सिंह, बी. सतीश तथा पूर्व उपाध्यक्ष बाल आप्टे ने बारी-बारी से क्लास लेकर सभी को अपने दायित्व का निर्वहन बेहतर तरीके से करने की सीख दी। बैठक में देशभर से आए करीब 35 संगठन तथा सह संगठन मंत्री शामिल हुए जिन्होंने राज्यवार पार्टी की स्थिति की रिपोर्ट पेश की। बैठक में कई विषयों पर चर्चा हुई।

महंगाई के लिए केन्द्र जिम्मेदार

नई दिल्ली। महंगाई को लेकर निश्चित सी लग रही संप्रग सरकार को रैली के माध्यम से भाजपा ने पहली बार गंभीर चुनौती पेश की है। रैली में उमडा जनसैलाब इस बात का संकेत था कि भविष्य में महंगाई सरकार के लिए मुसीबत बन सकती है। रैली में भाजपा के सभी बडे नेताओं ने एक स्वर से महंगाई के लिए पूरी तरह से संप्रग सरकार की गलत आर्थिक नीतियों और भ्रष्ट प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया।
नेताओं ने महंगाई के खिलाफ आंदोलन को गांव, गली, कूचे तक पहुंचाने के साथ-साथ सरकार को उखाड फेंकने का आह्वान किया। इस रैली के जरिए पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी खेमेबंदी के कारण हताश भाजपा कार्यकर्ताüओं में जान फूंकने में कामयाब रहे, वहीं यह अहसास भी करा गए कि उन्हें हल्के से नहीं लिया जाए।
सरकार विफल भाजपा संसदीय दल के अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि रैली में भारी भीड इस बात का संकेत है कि महंगाई से लोग कितने परेशान हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्र की सरकार महंगाई को रोकने में पूरी तरह विफल हुई है।
वरना गद्दी छोड दोलोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि सरकार महंगाई के लिए प्राकृतिक आपदा, किसानों को अधिक समर्थन मूल्य और विश्व की मंदी को जिम्मेदार ठहरा रही है, लेकिन सरकार की गलत नीतियां व महाघोटाले मुख्य वजह हैं। यह रैली सरकार को जगाने के लिए आयोजित की गई है। उन्होंने नारा दिया-महंगाई रोक दो, वरना गद्दी छोड दो।
यह भी कहा गडकरी ने
* सरकार का यह कहना कि वायदा बाजार के जरिए किसानों को उनकी उपज के उचित दाम दिलाने में मदद मिल रही है, पूरी तरह गलत है। वायदा बाजार में चार लाख 50 हजार करोड रूपए के सौदे हुए और डिलिवरी मात्र चार हजार 500 करोड रूपए की हुई। वायदा बाजार से केवल सट्टेबाजों, पूंजीपतियों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को फायदा पहुंचाया जा रहा है। * अब किसानों के घर में फसल आई हैं तो जिंसों के दाम नीचे आ रहे हैं, किंतु जब किसान अपनी फसल को बेच लेंगे तो भाव फिर से ऊबाल खाने लगेंगे।
राजस्थान का भी रैला रैली में राजस्थान से भी बडी संख्या में कार्यकर्ता व पार्टी समर्थक पहुंचे। दिल्ली आने वाले भाजपा कार्यकर्ताओं में राजस्थान की हिस्सेदारी लगभग 35 हजार बताई गई। पार्टी के अधिकतर नेता और कार्यकर्ताü पगडियों में अलग ही नजर आ रहे थे।

Wednesday, April 21, 2010

बीजेपी गानों के जरिए बताएगी महंगाई का सच

में महंगाई के विरोध में संसद चलो रैली के बाद बीजेपी इस अभियान को जारी रखेगी। यह अभियान जारी रहेगा महंगाई की हकीकत खोलने वाले गानों की सीडी के जरिए। बीजेपी के निवेशक प्रकोष्ठ ने महंगाई की सचाई को खोलते हुए गानों की सीडी तैयार की है। इन गानों में बताया गया है कि महंगाई की बढ़ने की वजह केंद सरकार बेशक उत्पादन में कमी, डिमांड में तेजी के साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ती कीमतें जिम्मेदार हैं। इकोनॉमी स्लो डाउन ने भी महंगाई बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है, मगर सचाई एकदम इससे जुदा है।
बीजेपी के निवेशक प्रकोष्ठ द्वारा बनाई गई इस सीडी में गानों के केंद सरकार के इन कारणों को मात्र बहाना बताया गया है। गानों में कहा गया है कि महंगाई बढ़ने की प्रमुख वजह जमाखोरी, सत्ताधारी पक्ष के नेताओं का बाजार शक्तियों (व्यापारियों) को फायदा पहुंचाने के लिए बाजार में वस्तुओं की सप्लाई कम करने की छूट देना और नीतियां ऐसी बनाना, जिससे कृत्रिम डिमांड का हौव्वा बन गया। इससे कीमतें खुद बढ़ गई।
सीडी के गानों में यह भी कहा गया है कि यूपीए के विश्वविख्यात अर्थशास्त्री मंत्री वक्त रहते आयात और भंडारण कोटा कम करने जैसे कदम उठा लेते हैं तो कीमतों में रेकार्ड तोड़ तेजी नहीं आती। सीडी में सबसे अधिक फल, सब्जियों, दाल और आटे के दामों में तेजी के साथ चीनी के दाम में तेजी के कारणों को विस्तार से बखान किया गया है। गानों में कहा गया है कि कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए यूपीए सरकार के मंत्रियों ने करोड़ों लोगों के मुंह से निवाला छीन लिया। यह यूपीए सरकार की नीतियों का ही परिणाम है कि देश में गरीब लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है।
बीजेपी के निवेशक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक अरुण सिंह ने एनबीटी से बातचीत में कहा कि दिल्ली में महंगाई के खिलाफ रैली तो इस अभियान की शुरुआत है। हम चाहते हैं कि आम लोग महंगाई को लेकर जागरूक बने। उन्हें इस बात की सचाई का ज्ञान हो कि आखिर महंगाई क्यों बढ़ रही है। अरुण सिंह के अनुसार देश में अनाज या खाद्य उत्पादों की आंशिक किल्लत को माना जा सकता है कि मगर किल्लत इतना अधिक नहीं है कि आश्वयक वस्तुओं की कीमतें इतनी बढ़ जाए। उन्होंने कहा कि बाजार नीतियां कितनी लचर है कि इसका पता खाद्य वस्तुओं की थोक और रिटेल कीमतों को देखकर चलता है। आखिर सरकार क्या रही है। क्यों नहीं वे इस अंतर को कम करती।

नेताजी से सपोर्ट मांग रहे हैं बच्चे

बाल मजदूरी से मुक्त कराए गए बच्चे सांसदों से मिलकर राइट टु एजुकेशन के सही तर ीके से कार्यान्वयन की पैरवी कर रहे हैं। उनकी इस मुहिम को बॉलिवुड स्टार्स का भी सपोर्ट मिल रहा है। 'वन गोल, एजुकेशन फॉर ऑल' नारे के साथ चलाई जा रही इस मुहिम का मकसद पॉलिसी मेकर्स को एजुकेशन सिस्टम की खामियों से रू-ब-रू कराना है। साथ ही, राइट टु एजुकेशन के बारे में जागरूकता बढ़ाना भी है।
कई संगठनों के साथ मिलकर नैशनल कोएलिशन फॉर एजुकेशन ने यह पूरा हफ्ता (19- 25 अप्रैल) यानी ग्लोबल ऐक्शन वीक, राइट टु एजुकेशन के सही इंप्लिमेंटेशन के नाम किया है। इसके तहत एजुकेशन डिपार्टमेंट के राज्य और जिले स्तर के अधिकारियों को सरकारी प्राइमरी स्कूलों में आमंत्रित किया जा रहा है, ताकि वे उन स्कूलों में शिक्षा के स्तर के बारे में जान सकें। बच्चे सांसदों और विधायकों के पास जाकर उनसे शुरुआती शिक्षा का निजीकरण रोकने और एजुकेशन में जीडीपी का 6 फीसदी खर्च करने के लिए सहयोग मांग रहे हैं।
कुछ समय पहले तक बाल मजदूरी में फंसे 18 साल के कालू की सांस्कृतिक टोली जब नालंदा के सांसद कौशलेंद्र कुमार से मिली, तो सांसद ने कहा कि महज कानून बनाकर हर बच्चे की शिक्षा सुनिश्चित नहीं की जा सकती, इसके लिए और प्रयास करने होंगे। कालू ने नेताजी से पूछा कि अगर किसी बच्चे को कोई सरकारी स्कूल में दाखिल नहीं देता, तो वे किसके पास शिकायत लेकर जाएं? इस पर नेताजी ने भरोसा दिलाया कि हम संसद में मंत्री जी से यह सवाल पूछेंगे। 15 साल के कामिल के साथ उनकी टोली यूपी के सलेमपुर से सांसद रामशंकर राजभर से मिली। रामशंकर ने कहा कि अगर केंद्र सरकार को इस कानून का कार्यान्वयन सुनिश्चित करना है, तो अंशदान की राशि का अनुपात 85:15 ही रखना पड़ेगा क्योंकि राज्य सरकारों के पास इतना धन नहीं है कि वे इसे लागू कर पाएं।
बॉलिवुड स्टार डायना हेडन, अध्ययन सुमन, नीतू चंद्रा, सिंगर ऊषा उत्थप और लव आजकल फेम डायरेक्टर इम्तियाज अली भी 'वन गोल, एजुकेशन फॉर ऑल' मुहिम को सपोर्ट कर रहे हैं। इम्तियाज अली ने कहा कि देश के विकास के लिए शिक्षा ही एकमात्र माध्यम है। इसलिए मैं इस मुहिम के साथ हूं। नैशनल कोएलिशन फॉर एजुकेशन के संयोजक रमाकांत राय ने कहा कि इस कैंपेन का मकसद हर नागरिक तक पहुंचना है। हर एक साइन का मतलब होगा कि वह बच्चों के अधिकारों को लेकर प्रतिबद्ध हैं।

फारूख ने मोदी से पल्ला झाड़ा

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) संचालन परिषद के सदस्य फारूख अब्दुल्ला ने आईपीएल कमिश्नर ललित मोदी का बचाव करने की बात से इनकार करते हुए कहा कि मैं कौन होता हूं, किसी का बचाव करने वाला। अगर उन्होंने गलती की है तो उन्हें सजा मिलनी चाहिए।यह पूछने पर कि क्या मौजूदा विवाद के चलते मोदी को पद से हटा दिया जाना चाहिए, अब्दुल्ला ने कहा कि उन्हें हटाने का सवाल अभी पैदा नहीं होता। पहले यह तो मालूम होने दीजिए कि गलती कहां हुई है।आईपीएल से जुड़े विवाद में किसी भी तरह की अटकलें नहीं लगाने का आग्रह करते हुए उन्होंने कहा कि दूसरे लोगों की तरह मैं खुद भी सच्चाई जानना चाहता हूं। उन्हें (मोदी को) अपनी बात रखने दीजिए। मुझे इस मामले न घसीटा जाए।संसद परिसर में संवाददाताओं से बातचीत में आईपीएल विवाद पर सीधे तौर पर कोई टिप्पणी करने से बचते हुए केंद्रीय खेल मंत्री एमएस गिल ने कहा कि खेलों के संचालन और प्रशासन में पारदर्शिता सुनिश्चित की जानी चाहिए और खेलों के संचालन में पारदर्शिता होनी चाहिए।पूर्व क्रिकेटर और भाजपा सांसद कीर्ति आजाद ने कहा कि लोग कह रहे हैं कि आईपीएल खराब है लेकिन मेरा मानना है कि क्रिकेट खराब नहीं है बल्कि उसे चलाने वाले खराब हो सकते हैं। ऐसे लोगों को हटाया जाना चाहिए।ललित मोदी का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि अगर क्रिकेट से जुड़े मामलों में शीर्ष पद पर ऐसे लोग रहेंगे जिनका वास्ता खेल से न होकर, राजनीति या किसी अन्य क्षेत्र से हो तो इस तरह के विवाद पैदा होंगे।उन्होंने कहा कि देश के सभी क्रिकेट संघों में राजनेताओं का दबदबा है। इसे खत्म किया जाना चाहिए और सियासी लोगों के बजाय क्रिकेटरों को तरजीह दी जानी चाहिए।आजाद ने कहा कि क्रिकेट संघों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पद पर भी किसी क्रिकेट खिलाड़ी को ही होना चाहिए वरना लोग पैसा बनाते रहेंगे।

सत्ता पक्ष ने ही सिब्बल को ''हूट'' किया

लोकसभा में बुधवार को विपक्ष के साथ ही सत्ता पक्ष के सदस्यों ने केंद्रीय विद्यालयों में दाखिलों में सांसदों का दो सीटों का कोटा बहाल करने की पुरजोर मांग की। इस मुद्दे को लेकर सदन में उस समय अजीबोगरीब स्थिति उत्पन्न हो गई जब सत्ता पक्ष के सदस्यों ने ही मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल को ''हूट'' किया।सदन में प्रश्नकाल के दौरान सदस्यों ने केंद्रीय विद्यालयों में सांसदों को दो सीटों पर दाखिले की सिफारिश करने संबंधी कोटे को बहाल किए जाने की मांग की।सिब्बल ने अपने जवाब में कहा कि जांच में पाया गया कि केंद्रीय विद्यालयों में निर्धारित कोटे से अधिक दाखिले हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह केंद्रीय विद्यालय केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, सार्वजनिक उपक्रमों और निगमों के कर्मचारियों के बच्चों को शिक्षा मुहैया कराने के लिए स्थापित किए गए थे।सिब्बल ने कहा कि जांच में पाया गया कि इन कर्मचारियों के बच्चों के तो दाखिले हो नहीं रहे हैं लेकिन सिफारिशों के आधार पर अन्य वर्गों के बच्चों के दाखिले हो रहे हैं।उनके इतना कहते ही न केवल विपक्ष बल्कि सत्ता पक्ष के सदस्यों तक ने भारी शोरशराबा किया और सांसद कोटे को बहाल करने की पुरजोर मांग करने लगे। सदस्यों के शोरशराबे के कारण सिब्बल अपना जवाब पूरा नहीं कर पाए।प्रश्नकाल समाप्त होने के बाद भी कांग्रेसी सदस्यों सहित राजद और जद-यू आदि के सदस्य अपना रोष जताते रहे और संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल तथा कुछ अन्य वरिष्ठ कांग्रेसी सदस्य, आक्रोशित सदस्यों को शांत करने का प्रयास करते देखे गए।कुछ देर बाद सिब्बल जब सदन से बाहर जाने लगे तो इन सदस्यों ने ''हू हू'' की आवाज निकालकर बकायदा उन्हें ''हूट'' किया।सदन में प्रश्नकाल के दौरान मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ने सदस्यों के पूरक, अनुपूरक प्रश्नों का जवाब देते हुए बताया कि राजग सरकार के शासनकाल में तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री मुरली मनोहर जोशी ने एक हजार सीटों का कोटा अपने पास रखा था और हर सांसद को दो सीटों का कोटा मिला था लेकिन संप्रग सरकार के सत्ता संभालने के बाद केंद्रीय मंत्री के कोटे का 1,200 कर दिया गया।

सरकार को उखाड़ फेंकने की हुंकार

भाजपा अध्यक्ष बनने के बाद राजधानी में पहली सार्वजनिक रैली में नितिन गडकरी ने देश में बढ़ती महंगाई के लिए कांग्र्रेस नीत संप्रग सरकार की गलत नीतियों को जिम्मेदार ठहराते हुए आज लोगों से इस सरकार को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया। महंगाई के मुद्दे पर संसद की तरफ कूच करने के आह्वान वाली इस रैली को गडकरी के शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा था और इसके लिए महीने भर से तैयारियां की जा रही थी। इस रैली में भाजपा का सर्वोच्च नेतृत्व मौजूद था जिसमें गडकरी के अलावा पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज, राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरूण जेटली, पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह, मुरली मनोहर जोशी, तथा एम वेंकैया नायडू के अलावा कुछ भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्रियों समेत प्रमुख पदाधिकारी शामिल थे। रैली में हालांकि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदीयुरप्पा उपस्थित नहीं थे। खचाखच भरे रामलीला मैदान में चिलचिलाती धूप के बीच भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने केंद्र में सत्तारूढ़ संप्रग सरकार पर चावल, दाल आटा, चीनी, डीजल, पेट्रोल, उर्वरक जैसी आवश्यक वस्तुओं की कीमतोंं में वृद्धि के लिए निशाना साधा। केंद्र सरकार पर जोरदार हमला बोलते हुए गडकरी ने कहा, अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली सरकार की गलत नीतियों के कारण महंगाई में वृद्धि हो रही है। संबोधन समाप्त करने के बाद भीषण गर्मी के कारण गडकरी को चक्कर आ गया। हालांकि पास खड़े नेताओं ने उन्हें तुरंत संभाल लिया। गडकरी ने कहा, मेरे पास 25 देशों की महंगाई के आंकड़े हैं इन देशों में मुद्रास्फीति की दर दो प्रतिशत है जबकि भारत में यह 11 प्रतिशत है। सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह ने लोगों के विश्वास को तोड़ा है। कांग्रेस पर कड़ा प्रहार करते हुए उन्होंने कहा कांग्रेस का कोई माई का लाल मेरे सवाल का जवाब नहीं दे सकता है। रामलीला मैदान में रैली को संबोधित करने के बाद भाजपा नेता संसद की ओर बढ़े लेकिन उन्हें कुछ दूरी तय करने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। अभी तक भाजपा के किसी सार्वजनिक समारोह को आडवाणी सबसे अंत में संबोधित करते रहे थे लेकिन इस रैली में आडवाणी का संबोधन गडकरी से पहले था। आडवाणी ने कहा, 'देश भर की जनता कमरतोड़ महंगाई से त्रस्त होकर दिल्ली आई है। कांग्रेस की गलत नीतियों के कारण गरीब और गरीब होता जा रहा है जबकि अमीर और अमीर हो रहा है। आज गरीब की थाली में दाल, सब्जी नदारद है। इसका कारण कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार है। उन्होंने कहा कि इस रैली के बाद सरकार जनता की चेतावनी को समझे और भ्रष्टाचार एवं कुप्रबंधन पर लगाम लगाए अन्यथा परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे। कीमतों में वृद्धि के लिए गेहूं, चीनी, चावल, दाल महाघोटाला को जिम्मेदार ठहराते हुए लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि इस बेखबर और सोई सरकार को जगाने के लिए भाजपा महत्वपूर्ण भूमिका निभाने को तैयार है। सुषमा ने कहा,'सरकार चेत जाए और जनता के दुख दर्द को समझे अन्यथा जनता सरकार को गद्दी से हटा देगी। राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरूण जेटली ने कहा ''यह सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है। चाहे आतंकवाद और माओवादियों से निपटने का मामला हो या आम लोगों की खुशहाली सुनिश्चित करने की बात। महंगाई को कम करने के मोर्चे पर तो सरकार पूरी तरह से विफल हो गई है।

भाजपा नेता जेपी शर्मा की सड़क हादसे में मृत्यु

भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष एवं नगरपालिका राजसमंद के पार्षद तथा भवन निर्माण समिति के अध्यक्ष जे.पी. शर्मा व उनके भतीजे चेतन शर्मा का बुधवार सुबह अजमेर जिले के नसीराबाद के पास हुई सड़क दुर्घटना में निधन हो गया। इस दुर्घटना में जे.पी. शर्मा की पत्नी व बच्चे घायल हो गए। भाजपा नेता जेपी शर्मा एवं उनके भतीजे के निधन का समाचार मिलते ही शहर में शोक की लहर छा गई और परिचित व रिश्तेदार हतप्रभ रह गए। पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि बुधवार सुबह भाजपा नेता जेपी शर्मा (42), उनकी पत्नी श्रीमती प्रीति (40), पुत्र जयेश (17), पुत्री आस्था (16) और भतीजा चेतन शर्मा पुत्र दिनेश शर्मा (18) बुधवार सुबह करीब पौने पांच बजे राजसमंद से कार द्वारा जयपुर के लिए रवाना हुए। सुबह करीब आठ बजे नसीराबाद के समीप सामने आ रहे एक ट्रोले ने गलत दिशा में साइड ले ली जिससे कार अनियंत्रित होकर ट्रोले में जा घुसी। दुर्घटना में जेपी शर्मा व चेतन शर्मा की मौके पर ही मृत्यु हो गई जबकि शर्मा की पत्नी व बच्चे घायल हो गए। सूचना मिलने पर नसीराबाद थाना पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर घायलों को किशनगढ़ चिकित्सालय पहुंचाया। इधर शहर में जेपी शर्मा व उनके भतीजे के निधन की खबर मिलते ही परिचित एवं रिश्तेदार हतप्रभ रह गए वहीं शहर में शोक की लहर छा गई। सूचना मिलने पर शर्मा के मित्र प्रमोद मोदी, विजय शर्मा सहित अन्य परिजन किशनगढ़ के लिए रवाना हो गए जहां पुलिस ने अन्य आवश्यक कार्रवाई के उपरांत शव सौंपा। शाम करीब साढ़े चार बजे जैसे ही भाजपा नेता जेपी शर्मा एवं उनके भतीजे का शव कांकरोली स्थित उनके निवास स्थान पर लाए तो परिजनों विलाप कर उठे। शर्मा का शव देखकर यहां मौजूद परिचित, राजनैतिक मित्र एवं स्वयंसेवी संगठनों के कार्यकर्ताओं की भी रूलाई फूट पड़ी। शाम करीब छह बजे अंतिम संस्कार किया गया जिसमें भाजपा सहित राजनैतिक पार्टियों के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता तथा शहर के हर समाज के लोग सम्मलित हुए। समाजसेवा में भी अग्रसर थे शर्मा : भाजपा नेता एवं पार्षद जेपी शर्मा राजनीति के मंझे हुए नेता के साथ-साथ समाजसेवा की भावना से भी ओतप्रोत थे। मेडिकल व्यवसायी होने के बावजूद शहर की प्रमुख समस्याओं एवं जरूरतमंदों की सहायता के लिए हरसंभव प्रयास करते रहे। भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष नारायण शर्मा के पुत्र जेपी शर्मा नगरपालिका राजसमंद में लगातार दूसरी बार पार्षद निर्वाचित हुए थे। जेपी शर्मा के भतीजे चेतन शर्मा अजमेर विद्युत वितरण निगम शाखा कांकरोली के सहायक अभियंता दिनेश शर्मा के पुत्र है। नगरपालिका में छाया सन्नाटा : पार्षद एवं भवन निर्माण समिति के अध्यक्ष जयप्रकाश शर्मा के निधन की खबर मिलते ही पालिका मेें सन्नाटा छा गया। पालिका अध्यक्ष अशोक रांका, उपाध्यक्ष सत्यप्रकाश काबरा, पालिका प्रतिपक्ष नेता चुन्नीलाल पंचौली, पालिका आयुक्त नारायण सिंह सांदू एवं पार्षदों ने दुख व्यक्त किया। बाद में यहां शोकसभा का आयोजन कर दो मिनट का मौन रख कर उन्हें श्रद्धांजली अर्पित की। वक्ताओं ने शर्मा को सुलझे विचारों के ऊर्जावान नेता बताया। उन्होंने कहा कि जन-जन में पार्षद के रूप में अपनी कार्यशैली से लोकप्रिय थे। शोकसभा के उपरांत दिवगंत आत्मा के सम्मान में पालिका कार्यालय में अवकाश कर दिया गया।भाजपाइयों में शोक की लहर : भाजपा नेता शर्मा के निधन पर भाजपा राष्ट्रीय सचिव व राजसमंद विधायक किरण माहेश्वरी ने गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि शर्मा के निधन से पूरा क्षेत्र आहत है। जिलाध्यक्ष नंदलाल सिंघवी, महामंत्री महेश पालीवाल, पूर्व जिला प्रमुख हरिओम सिंह राठौड़, भीम विधायक हरिसिंह रावत, राजसमंद प्रधान देऊबाई खटीक, प्रवक्ता किशोर गुर्जर आदि ने शर्मा के निधन पर शोक प्रकट किया। मुस्लिम समाज ने दी श्रद्धांजलि : इंतजामिया कमेटी मुस्लिम समाज कांकरोली के सचिव खलील डायर ने कमेटी की ओर से पार्षद शर्मा के निधन पर गहरा शोक प्रकट किया। उन्होंने कहा कि शर्मा के निधन से शहर को अपूरणीय क्षति हुई है कमेटी व सारा मुस्लिम समाज ने संवेदना प्रकट की। श्रमजीवी पत्रकार परिषद ने व्यक्त की संवेदना : भाजपा नेता शर्मा के निधन पर राजस्थान श्रमजीवी पत्रका संघ के ललित चोरडिया, मुबारिक शुक्रिया ने शोक प्रकट किया। उन्होंने कहा कि जनहित के सजग प्रहरी एवं ऊर्जावान नेता के निधन से शहर को अपूरणियक्षति हुई है।

Wednesday, April 14, 2010

जरा सोच समझकर बोलें गडकरी: गोविंदाचार्य

बीजेपी के पूर्व महासचिव के. एन. गोविंदाचार्य ने बीजेपी क
े राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी को पत्र लिख कर आगाह किया है कि पार्टी की आंतरिक गुटबाजी और गड़बड़ियों का उन्हें शिकार न बनाया जाए। उन्होंने कहा कि इससे मेरी छवि को नुकसान पहुंचता है। जनमानस में मेरे बारे में भ्रम पैदा होता है और मेरे काम में भी रुकावट पैदा होती है। वह और उनकी पार्टी के पदाधिकारी मेरे बारे में बीजेपी के प्रति मेरी अरुचि देखते हुए टिप्पणी करना बंद कर दें। एक समाचार पत्र में प्रकाशित गडकरी के इंटरव्यू का जिक्र करते हुए गोविंदाचार्य ने अपने पत्र में गडकरी को अपनी वाणी पर संयम रखने की भी सलाह दी है। उन्होंने लिखा है कि उन्हें (गडकरी को) अपनी वाणी पर संयम रखना चाहिए जिससे उनकी छवि अनर्गल बोलने वाले सतही एवं अक्षम नेता की न बने। पार्टी के प्रति अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए गोविंदाचार्य ने कहा है कि मैं न तो पार्टी से निष्कासित किया गया हूं और न ही मैंने पार्टी से इस्तीफा दिया है। मैंने 9 सितंबर 2000 को अध्ययन अवकाश लिया था। 2003 में बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता का पुन: नवीकरण नहीं कराया था। अत: मैंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से खुद को मुक्त कर लिया था। उन्हें (गडकरी को) और उनकी पार्टी (बीजेपी) के पदाधिकारियों को बयान या इंटरव्यू देने से पहले मेरी विशिष्ट स्थिति का ज्ञान होना चाहिए और वाणी संयम करना चाहिए। गोविंदाचार्य ने यह भी लिखा है कि मैं संघ का स्वयंसेवक हूं और बौद्घिक, रचनात्मक और आंदोलनात्मक तरीकों से देश हित में सक्रिय हूं। बीजेपी की दशा और दिशा के संबंध में मेरा अपना आकलन है। पिछले 10 साल से मैं दर्जन बार कह चुका हूं कि मैं पार्टी या सत्ता का हिस्सा नहीं बनूंगा। लेकिन मेरे कार्य का राजनीति पर प्रभाव पड़ेगा।

माया की मूर्ति दुनिया की सबसे बदसूरत मूर्तियों में

उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री और बीएसपी सुप्रीमो मायावती की एक मूर्ति दुनिया की सबसे बदसूरत
मूर्तियों की लिस्ट में शामिल की गई है। अमेरिका से प्रकाशित होने वाली एक मैगजीन ने दुनिया की सबसे बदसूरत मूर्तियों की लिस्ट छापी है। इस लिस्ट में मायावती की एक मूर्ति छठे स्थान पर रखी गई है। इस मूर्ति में मायावती के बगल में बीएसपी के संस्थापक कांशीराम और पीछे बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की मूर्तियां भी हैं। दुनिया की सबसे बदसूरत मूर्तियों के नाम से जारी इस लिस्ट के उपशीर्षक में लिखा गया है - निकृष्ट कला और स्तरहीन राजनीति का मिलन होता है। मैगजीन की इस लिस्ट में मायावती की मूर्ति को शामिल किए जाने के बाबत जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के फाइन आर्ट्स एजुकेशन और स्कल्पटर डिपार्टमेंट के हेड ऑफ डिपार्टमेंट प्रफेसर एम. जी. किदवई ने कहा मायावती की मूर्ति बदसूरत है तो इसमें मायावती का क्या कसूर है? मूर्ति तो मायावती ने नहीं बनायी। और जहां तक मायावती की खूबसूरती का सवाल है तो वह दिखने में काफी अच्छी हैं।
जेएनयू के प्रफेसर एम. एन. ठाकुर ने कहा कि अमेरिका के लोगों को हर चीज मापने की बीमारी है। वह हर चीज को मापते हैं। उन्होंने कहा कि मैं इसे मापने की बीमारी कहता हूं। 11 सबसे बदसूरत मूर्तियों में छठे स्थान पर रखी गई मायावती की मूर्ति के बारे में पत्रिका लिखती है - लीडर: भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री कुमारी मायावती को दलितों के अधिकार के लिए काम करने वाले के तौर पर जाना जाता है लेकिन मायावती की लोकप्रिय छवि को पिछले साल उस वक्त धक्का लगा जब भारत के सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें लोक निधि से 42 करोड़ 50 लाख अमेरिकी डॉलर (करीब 18.86 अरब रुपये) खर्च कर खुद की और दूसरे लोकप्रिय दलितों की मूर्तियों के निर्माण के लिए फटकार लगाई। इस बारे में प्रफेसर ठाकुर ने कहा कि लोक निधि के नाम पर पैसे की बर्बादी को जायज़ नहीं ठहराया जा सकता लेकिन इस काम में वह अकेली नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मूर्तियों की यह सूची उनके एलीटिस्ट नजरिये को दिखाती है। मायावती की मूर्तियों की आलोचना का आधार दूसरे मानदंडों पर हो सकता है लेकिन उसे सबसे बदसूरत बताना नस्लवाद का उदाहरण कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि मायावती जहां से ताल्लुक रखती हैं वह तबका पहली बार सत्ता में आया है और उस तबके के लिए प्रतीकों की राजनीति जरूरी है। सबसे बदसूरत प्रतिमाओं की लिस्ट में पहले स्थान पर सेनेगल की एक मूर्ति को रखा गया है जिसका इस हफ्ते ही अनावरण किया गया है। करीब 160 फुट ऊंची इस मूर्ति में एक पुरुष, महिला और एक बच्चा ज्वालामुखी से निकल रहे हैं। दूसरी सबसे खराब प्रतिमा जॉर्जिया के गोरी शहर में स्टालिन चौराहे पर स्टालिन की मूर्ति को माना गया है। पत्रिका के मुताबिक, 20वीं सदी का सबसे बड़ा जनसंहारक आज भी यहां गर्व से खड़ा है।

राहुल आंबेडकर को माला नहीं पहना सकते

बीएसपी सुप्रीमो मायावती को उनके गढ़ उत्तर प्रदेश में चुनौती देने की कांग्रेस की राह उतनी
आसान नहीं है। राहुल गांधी के रास्ते में मुश्किल खड़ी करते हुए मायावती ने बुधवार को राहुल को बाबा साहब आंबेडकर की मूर्ति पर माला पहनाने की इजाजत देने से इनकार कर दिया है। प्रशासन ने यहां सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए कांग्रेस के कार्यक्रम और बाबा साहेब आंबेडकर की मूर्ति को माला पहनाने की इजाजत नहीं दी। डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती के मौके पर यहां दो अलग-अलग मैदानों पर बीएसपी और कांग्रेस के कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। बीएसपी जिस मैदान में सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक कार्यक्रम आयोजित कर रही है वहां बाबा साहेब की प्रतिमा है, लेकिन एक दूसरे मैदान पर कांग्रेस ने भी 10 बजे से 2 बजे तक एक कार्यक्रम का आयोजन किया है।
कांग्रेस ने उसी मैदान में बाबा साहब की प्रतिमा पर माला पहनाने की इजाजत मांगी थी, जहां बुधवार को बीएसपी का कार्यक्रम है, लिहाजा प्रशासन ने कांग्रेस को इसकी इजाजत देने से इनकार कर दिया और कहा कि बीएसपी के कार्यक्रम के बाद कांग्रेस को माल्यार्पण की इजाजत दी जा सकती है। कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रमोद तिवारी का आरोप है कि इस कार्यक्रम के संयोजक एवं फैजाबाद के सांसद निर्मल खत्री द्वारा अनुमति मांगे जाने के बावजूद प्रशासन ने अनुमति देने से इनकार कर दिया। वहीं आंबेडकर नगर के डीएम कुंवर विक्रम सिंह ने कहा कि उन्होंने कार्यक्रम के लिए अनुमति देने से मना नहीं किया लेकिन सुरक्षा कारणों से जब तक बीएसपी का कार्यक्रम चलेगा, तब तक दूसरे कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी जा सकती।

Tuesday, April 13, 2010

राहुल पर गडकरी के कॉमेंट को भाव नहीं देना चाहती कांग्रेस

पूर्व बीजेपी नेता गोविंदाचार्य द्वारा बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी को जबान संभालकर बोलने की
सलाह देने के बाद कांग्रेस ने भी गडकरी को हल्का नेता बताते हुए उनकी राहुल पर की गई टिप्पणी को महत्व देने से इनकार कर दिया है। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि हम प्रमुख विपक्षी दल के अध्यक्ष का सम्मान करते हैं। मगर गडकरी वह राजनीतिक मैच्योरिटी हासिल नहीं कर पाए हैं कि उनकी टिप्पणी पर कॉमेंट किया जाए। मनीष से गडकरी के उस बयान के बारे में पूछा गया था जिसमें गडकरी ने कहा था कि राहुल इन्फ्रास्ट्रक्चर (ढांचागत मुद्दों) के बारे में कुछ नहीं जानते। मनीष ने कहा कि गडकरी आरएसएस के एक्सटेंशन बोर्ड हैं। वे बीजेपी के दूसरे दर्जे के नेता हैं, जिनके जरिए संघ बीजेपी पर नियंत्रण की कोशिश कर रहा है। उनके बयान पर टिप्पणी करने का कोई अर्थ नहीं है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि गडकरी बीजेपी में जगह मजबूत करने के लिए ऐसी अनावश्यक बयानबाजी कर रहे हैं। बीजेपी के तमाम बड़े नेता उन्हें स्वाभाविक नेता के तौर पर स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। इस वजह से वे राहुल पर हमला करके पार्टी में महत्व पाना चाहते हैं।

महिला आरक्षण पर मुंडे की मांग खारिज

महिला आरक्षण विधेयक पर वरिष्ठ नेता गोपीनाथ मुंडे के विचारों को सिरे से खारिज करते हुए भाजपा ने आज कहा कि पार्टी विधेयक पर अपने पूर्व के रूख पर कायम है और लोकसभा इसे अपना समर्थन देगी।भाजपा प्रवक्ता निर्मला सीतारमण ने यहां संवाददाताओं से कहा, महिला आरक्षण विधेयक पर पार्टी का आधिकारिक रूख स्पष्ट है। विधेयक को राज्यसभा में जिस रूप में पास किया गया है, उस रूप में हम लोकसभा में इसका समर्थन करने को तत्पर है। इसमें कोई बदलाव नहीं आया है। उन्होंने कहा कि मुंडे ने भी स्पष्ट कर दिया है कि वह इस विषय पर पार्टी के रूख के साथ है। यह पूछे जाने पर कि क्या इस विषय पर मीडिया में अपनी बात रखने पर मुंडे के खिलाफ कोई कार्रवाई की जा सकती है, भाजपा प्रवक्ता ने कहा, इस विषय पर किसी तरह के अनुशासन का उल्लंघन नहीं हुआ है और यह बात यहीं समाप्त हो जाती है।

ईरान पर नए प्रतिबंध लाभकारी नहीं होंगे: प्रधानमंत्री

ईरान पर नए प्रतिबंध लगाए जाने को लेकर पश्चिमी देशों की मुहिम के बीच भारत ने अमेरिका को साफ कर दिया है कि यदि तेहरान परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) के तहत अपनी जिम्मेदारियों के प्रति दृढ़ रहेगा, तो ऐसे में उस पर प्रतिबंध लगाना लाभकारी नहीं होगा। ईरान का परमाणु मुद्दा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के बीच रविवार को ब्लेयर हाउस में हुई बातचीत के दौरान उठाया गया। विदेश सचिव निरुपमा राव ने दोनों नेताओं की बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि नेताओं के बीच चर्चा न्यूयॉर्क में जारी उस बातचीत के जिक्र के साथ शुरू हुई, जिसमें कहा गया था कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ईरानी परमाणु मुद्दे से निपटने के लिए कोई प्रस्ताव पारित कर सकता है। राव ने कहा, "इसलिए ओबामा ने प्रधानमंत्री सिंह को उन चर्चाओं के बारे में बताया। हमारे प्रधामंत्री ने इस संदर्भ में भारत के रुख को बहुत स्पष्ट कर दिया।"राव ने कहा, "आप उस सच के बारे में जानते हैं कि हमने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि एनपीटी के सदस्य के नाते परमाणु मुद्दे पर ईरान को कुछ खास जिम्मेदारियां निभानी हैं।"प्रतिबंध के मुद्दे पर मनमोहन सिंह ने ओबामा से कहा कि प्रतिबंधों से चूंकि आम जनता प्रभावित होती है, लिहाजा इसका हमेशा प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

Tuesday, April 6, 2010

विधायक के घर आग लगाई, भाई झुलसा

उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले की महसी विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के विधायक सुरेश्व
र सिंह के घर को मंगलवार तड़के कुछ बदमाशों ने फूंक दिया। उन्होंने आग किसी ज्वलनशील पदार्थ की मदद से लगाई। घटना में विधायक के भाई बुरी तरह से झुलस गए हैं। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। एसपी और लखनऊ से आई फरेंसिक एक्सपर्ट्स की टीम ने मौके का मुआयना किया है। बीजेपी विधायक सुरेश्वर सिंह ने बताया है कि शहर के काजीपुरा मोहल्ला स्थित उनके आवास पर सड़क से लगे कमरे में उनके भाई दिनेश्वर सिंह सो रहे थे। मंगलवार सुबह करीब 4:30 बजे कुछ लोगों ने ज्वलनशील पदार्थ छिड़कर कमरे में आग लगा दी। आगजनी की घटना में उनके भाई बुरी तरह से झुलस गए हैं। एसपी लालजी शुक्ल ने मौके का दौरा करने के बाद बताया कि मामले की जांच चल रही है और लखनऊ स्थित फरेंसिक साइंस लैब की टीम बुला ली गई है। विधायक ने बताया कि इससे पहले भी 6 फरवरी की शाम दो मोटरसाइकल सवारों ने उनके मकान में आग लगा दी थी। उसके बाद से उन्हें और उनके परिजनों को जान से मार डालने, बम से उड़ा देने की धमकी दी जा रही है। उन्हें धमकी भरे कई पत्र मिल चुके हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव (गृह), डीजीपी, विधानसभा स्पीकर को सूचित करने के बावजूद सरकार व प्रशासन ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया है। इस वजह से बदमाशों के हौसले बुलंद हो गए हैं।

अब साइकल से संसद आएंगे लोकसभा सदस्य

दौसा से लोकसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा 15 अप्रैल से शुरू हो रहे संसद सत्र में शामिल होने साइकल से आएंगे। लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने उनके इस आग्रह को मंजूरी दे दी है। लोकसभा के महासचिव पी.डी.टी. आचार्य ने बताया कि पिछले महीने कुछ सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष से मिलकर संसद आने के लिए इको फ्रेंडली वाहन की अपील की थी। बीजेपी के राजीव प्रताप रूडी, बीजेडी के भर्तहरि महताब और कांग्रेस के संदीप दीक्षित साइकल से संसद आने के इच्छुक हैं। लेकिन केवल मीणा ने इस बारे में लोकसभा अध्यक्ष को लिखित आवेदन दिया था।

बीएसपी के गढ़ में राहुल की सेंधमारी

कांग्रेस ने आंबेडकर नगर रैली में महात्मा गांधी की तस्वीर के साथ भीमराव आंबेडकर की फोटो लगाकर बी
एसपी के वोट बैंक को लुभाने की कोशिश की है। यही नहीं, कांग्रेस अब बाबू जगजीवन राम के नए अवतार को भी कैश कराने की कोशिश में हैं। रैली में राहुल गांधी पर फोकस किया गया है। दिल्ली से फैजाबाद-आंबेडकर नगर जाने वाली कैफियत एक्सप्रेस में लगाए गए पोस्टरों से यह साफ पता चलता है कि कांग्रेस लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार के पिता जगजीवन राम के नाम, स्मृति को भी अपने हक में भुनाने की कोशिश में है। पोस्टरों में आधुनिक भारत के निर्माता जवाहरलाल नेहरू से लेकर लाल बहादुर शास्त्री, मौलाना अबुल कलाम आजाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल और इंदिरा गांधी-राजीव गांधी के चित्रों के साथ नारे भी लिखे हुए हैं। इससे साफ है कि राहुल कोई मौका नहीं चूकेंगे। पोस्टरों में जिस तरीके से बाबू जगजीवन राम को तरजीह दी गई है, उससे यही अहसास हो रहा है कि इसका सीधा असर यूपी-बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में पड़ सकता है। बाबू जगजीवन राम का नाम आज भी दलित वर्ग में सम्मान के साथ लिया जाता है। राहुल के दलित प्रेम को लेकर पहले ही मायावती की भवें तनी हुई हैं। डॉ. आंबेडकर की जयंती पर कांग्रेस का इस तरह से रथयात्रा-रैली करके दलितों के बीच घुलना-मिलना राहुल की रणनीति का मुख्य हिस्सा माना जा रहा है। मायावती की बीएसपी इसी दिन महिला बिल के खिलाफ हर जिले में पर्दाफाश रैली कर रही है। कांग्रेस के सीनियर लीडर निर्मल खत्री जो फैजाबाद के सांसद भी हैं, इस मुहिम को अंजाम देने दिल्ली से फैजाबाद आ चुके हैं।

Monday, April 5, 2010

यूपी में पहले ही असेंबली चुनाव के आसार

विपक्ष को लगने लगा है कि मायावती सरकार यूपी असेंबली के चुनाव समय से पहले
करवा सकती हैं। इसी रणनीति को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी बीएसपी के गढ़ आंबेडकरनगर से कांग्रेस यात्रा शुरू कर रहे हैं। समाजवादी पार्टी भी साइकल रैली और विभिन्न सम्मेलनों में सक्रिय होती जा रही है। प्रदेश अध्यक्ष बदलने की कवायद में जुटी बीजेपी असेंबली इलेक्शन को ध्यान में रखकर ही गांवों से लेकर शहरों तक हस्ताक्षर अभियान चला रही है और 21 अप्रैल को दिल्ली में रैली करने जा रही है। यूपी में विधानसभा चुनाव 2012 में होने हैं। लेकिन एसपी के नैशनल प्रेजिडेंट मुलायम सिंह यादव व कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी का मानना है कि यूपी में समय से पहले असेंबली के चुनाव हो सकते हैं। डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती 14 अप्रैल को यूपी में हाथी और हाथ की सियासी जंग देखने को मिलेगी। इसका गवाह बनेगा जिला आंबेडकर नगर। राहुल गांधी यहां से दलितों को पार्टी से जोड़ने के लिए कांग्रेस यात्रा शुरू करेंगे। बीएसपी इस दिन यूपी भर में महिला आरक्षण बिल के स्वरूप के विरोध में सभी जिला मुख्यालयों पर पर्दाफाश रैली करेगी। आंबेडकर नगर से मुख्यमंत्री मायावती खुद दो बार सांसद व एकबार विधायक रह चुकी हैं। कांग्रेस असेंबली चुनाव को ध्यान में रखते हुए यूपी के दलितों व आम जनता को कांग्रेस से जोड़ने के लिए यात्रा शुरू कर रही है। जबकि बीएसपी का प्रदर्शन दलित वोट बैंक को बचाए रखने व कांग्रेसी अभियान को फीका करने के लिए होगा। चंद दिन पहले कांग्रेस को रैली के लिए जगह देने के मामले में यूपी सरकार से कांग्रेसियों में तनातनी चल रही थी और आंबेडकर नगर प्रशासन ने राहुल की रैली के लिए हवाईपट्टी के बगल में पुलिस रिपोर्ट की आड़ लेकर जगह देने से मना कर दिया था। इसे कांग्रेसियों ने मुद्दा बना लिया था। लेकिन यूपी सरकार के इशारे पर जिला प्रशासन ने आनन-फानन में रैली के लिए जगह दी। बीएसपी ने रैली के लिए पार्टी के सभी सांसदों, विधायकों, विधान परिषद सदस्यों व संयोजकों को जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन के दौरान अधिक से अधिक भीड़ जमा करने के निर्देश दिए हैं। वहीं, कांग्रेस भी राहुल की रैली को सफल बनाने के लिए पूरा जोर लगा रही है। इस जिले में दोनों पार्टियों के बीच पोस्टर वॉर का नजारा अभी से दिखने लगा है। एसपी सुप्रीमो मुलायम सिंह चिलचिलाती गर्मी में चुनावी गर्मी की हवा मिलाने की तैयारी में हैं। वर्कर कॉन्फ्रेंस और साइकल रैली इसी कड़ी का अहम हिस्सा है। मोर्चा खुद मुलायम ने संभाला है। उनके दोनों पदाधिकारी भाई रामगोपाल यादव व शिवपाल सिंह यादव और सांसद पुत्र अखिलेश यादव इस काम में अपनी ताकत झोंक रहे हैं। इस कॉन्फ्रेंस व रैली से दो संदेश दिए जा रहे हैं। पहला, यूपी में असेंबली इलेक्शन अगले साल हो सकते हैं और वर्कर तैयार रहें। दूसरा, पार्टी अब जमीन से जुड़े वर्करों को ही वरीयता देगी और गगन पर चलने वालों को एक-एक करके किनारे किया जा रहा है।

करीब दो साल बाद यह कामयाबी मिली

बीजेपी ने बेंगलुरु नगर निगम के चुनाव में पहली बार कब्जा जमाया है। साउथ में बीजेपी की पहली स
रकार बनने के करीब दो साल बाद यह कामयाबी मिली है। वृहत बेंगलुरु महानगर पालिका की 198 सीटों में 192 के जो नतीजे सामने आए हैं, उनमें बीजेपी को 110 सीटें मिली हैं। कांग्रेस को 68 और देवेगौड़ा की जेडी (एस) को 14 सीटें मिली हैं। जीत से उत्साहित मुख्यमंत्री बी. एस. येदयुरप्पा ने शहर का इन्फ्रास्ट्रक्चर बेहतर बनाने के लिए अगले तीन साल में 22,500 करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया। पिछले साल के आखिर में येदयुरप्पा के खिलाफ कुछ विधायकों ने बगावत कर दी थी। कांग्रेस ने हार के लिए कम वोटिंग की वजह बताई है। चुनाव में 44 पर्सेंट लोगों ने वोट डाले थे।


लेकिन पार्षद बेचारे गरीब...

सैलरी और भत्तों के मामले में दिल्ली नगर निगम के 272 पार्षद खासे गरीब हैं। सैलरी के नाम पर पार्षदों को निगम की एक बैठक के लिए मात्र 300 रुपये भत्ता दिया जाता है। लैंडलाइन फोन के बिल के अलावा उनके मोबाइल फोन में हर माह एक हजार रुपये का टॉक टाइम डाला जाता है। सूत्र बताते हैं कि पिछले तीन माह से एमसीडी पार्षदों को उनका यह दुर्लभ वेतन भी नहीं मिल रहा है। वैसे पार्षदों को लैपटॉप तो मिला है लेकिन उसके साथ न तो प्रिंटर है और न ही इंटरनेट की सुविधा। जिस पार्षद को लैपटॉप चलाना नहीं आता, वह उसके घर की शोभा बढ़ा रहा है, क्योंकि उन्हें ऑपरेट करने के लिए कर्मचारी नहीं मिलता है। पिछले साल मेयर डॉ. कंवरसेन ने इस बाबत उपराज्यपाल तेजेंद्र खन्ना को पार्षदों का दुखड़ा सुनाया था और बताया महंगाई के इस दौर में पार्षदों को कुछ न मिलना उनके साथ अन्याय करना है। उन्होंने महामहिम को जानकारी दी थी कि पार्षद को लोगों चिट्ठी आदि लिखवाने के लिए ही हर माह करीब 15 हजार रुपये खर्च हो जाते हैं। इतना ही नहीं शादी और अन्य कार्यक्रमों में पार्षद को गिफ्ट देना होता है। गुजारिश की थी कि पार्षदों का वेतन कम से कम 30 हजार रुपये हो जाए तो उन्हें कई 'परेशानियों' से निजात मिल सकती है। बताते हैं कि उपराज्यपाल निवास से मेयर को आश्वासन तो मिला लेकिन सैलरी आदि नहीं मिले।

विधायकों को एक लाख का पैकेज!

दिल्ली सरकार के कैबिनेट ने अगर इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी तो दिल्ली के वि धायकों का हर महीने का वेतन और भत्ता तीन गुना बढ़कर एक लाख रुपये से भी ज्यादा हो जाएगा। इतना ही नहीं पर्सनल स्टाफ भी मिलेगा और जब वे देश भ्रमण पर जाएंगे तो परिवार के साथ अपना असिस्टेंट भी ले जा सकेंगे। विधायकों को मेट्रो ट्रेन के लिए भी पास की सुविधा दी जा रही है। इस बढ़ोतरी के बाद विधायकों का वेतन सांसदों से भी ज्यादा हो जाएगा। दिल्ली सरकार के प्रिंसिपल सेक्रेटरी (लॉ, जस्टिस व विधायकी मामले) एम. एल. मेहता ने इस बाबत एक लंबा चौड़ा सीक्रेट नोट तैयार किया है, जिसमें विधायकों के वेतन-भत्ते के अलावा और सहूलियतों को इफरात में बढ़ाया गया है। चूंकि यह सरकारी नोट है, इसलिए उम्मीद की जा रही है दिल्ली सरकार की आगामी कैबिनेट की किसी भी बैठक में इसे मंजूरी मिल ही जाएगी। प्रिंसिपल सेक्रेटरी ने एक सरकारी कमिटी का हवाला देते हुए कहा है कि दिल्ली के विधायक अलग-अलग बैठकों और अपने क्षेत्र की समस्याओं को सुलझाने में इतने व्यस्त हैं कि उन्हें कोई काम-धंधा करने का समय नहीं मिलता, ऐसे में गुजर बसर करने के लिए उनके वेतन, विभिन्न भत्तों व सुविधाओं में बढ़ोतरी कर दी जाए। नोट में कहा गया है कि उनका वेतन प्रतिमाह 6000 से बढ़ाकर 10,000 और विधानसभा सत्र के दौरान दैनिक भत्ता 500 से बढ़ाकर 1000 रुपये कर दिया जाए। इ तना ही नहीं विधानसभा क्षेत्र का भत्ता भी प्रतिमाह 8,000 से बढ़ाकर 25,000 और वाहन भत्ता 4000 प्रतिमाह से बढ़ाकर 300 लीटर पेट्रोल प्रतिमाह कर दिया जाए। विधायकों को अभी तक यात्रा सुविधा के नाम पर साल में एक बार देश भ्रमण के लिए अपने परिवार समेत 35 हजार रुपये का खर्च दिया जाता है। अब इसमें जबर्दस्त बढ़ोतरी की जा रही है। अब भविष्य में विधायकों को एक साल में देश भ्रमण के लिए हवाई, रेल या सड़क मार्ग का तो पूरा भत्ता मिलेगा ही साथ ही इस यात्रा में वे अपने परिवार के साथ एक पर्सनल असिस्टेंट भी ले जा सकेंगे। साथ ही उन्हें दिल्ली मेट्रो में सफर करने के लिए हर माह एक हजार रुपये भी दिए जाएंगे। बिजली और पानी के इस्तेमाल में भी अब उन्हें खासी सुविधा रहेगी क्योंकि इस मद में प्रतिमाह खर्च 2000 रुपये से बढ़ाकर 1000 यूनिट बिजली किया जा रहा है, साथ ही 5000 लीटर पानी हर माह मुफ्त मिलेगा । सरकारी नोट में मुख्यमंत्री व मंत्रियों के वेतन भत्ते आदि में भी अलग से बढ़ोतरी की जा रही है। सांसदों का प्रतिमाह मानेदय करीब 42 हजार है जबकि अभी तक विधायकों को वेतन व भत्ते के रूप में करीब 32 हजार रुपये दिए जा रहे हैं। जबकि मुख्यमंत्री व मंत्रियों के लिए यह रकम करीब 45 हजार रुपये है। इस बढ़ोतरी से अब विधायकों का वेतन सांसदों से भी ज्यादा हो जाएगा।

कोटे के भीतर कोटा कतई मंजूर नहीं: बीजेपी

बीजेपी ने महिला आरक्षण विधेयक में के भीतर कोटा को पूरी तरह अस्वीकार्य बताते हुए कहा कि वह
ऐसे किसी प्रस्ताव को समर्थन देने के लिए तैयार है जिसमें महिलाओं को 33 प्रतिशत टिकट देने का दायित्व राजनीति दलों पर डाला जाए। लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने के संबंधी विधेयक पर आम सहमति बनाने के लिए सरकार द्वारा बुलाई गई बैठक के बाद विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा, 'बीजेपी विधेयक पर आम राय बनाने के पक्ष में है लेकिन इसके लिए वह कोटा के भीतर कोटा के पूर्णत: खिलाफ है।' उन्होंने कहा, हालांकि पार्टी पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एम. एस. गिल के उस प्रस्ताव का समर्थन करने के तैयार है जिसमें यह राजनीति दलों पर निर्भर होगा कि वे कम से कम 33 प्रतिशत टिकट महिलाओं का दें। भाजपा प्रवक्ता राम नाथ कोविंद ने कहा कि पार्टी महिला आरक्षण विधेयक को अमलीजामा पहनाने के लिए सरकार के आम सहमति बनाने के प्रयासों का समर्थन करती है लेकिन हम सदन में मार्शल के इस्तेमाल के खिलाफ हैं। कुछ दलों की ओर से विधेयक में कोटे के अंदर कोटा दिए जाने की मांग पर पार्टी के रुख के बारे में पूछे जाने पर बीजेपी प्रवक्ता ने कहा अभी तक सरकार की ओर से विधेयक में अल्पसंख्यकों और दलितों के लिए कोटा निर्धारित किए जाने के बारे में कोई प्रस्ताव नहीं आया है। इस विषय पर सामने आने पर विचार किया जाए।