कांग्रेस ने आंबेडकर नगर रैली में महात्मा गांधी की तस्वीर के साथ भीमराव आंबेडकर की फोटो लगाकर बी
एसपी के वोट बैंक को लुभाने की कोशिश की है। यही नहीं, कांग्रेस अब बाबू जगजीवन राम के नए अवतार को भी कैश कराने की कोशिश में हैं। रैली में राहुल गांधी पर फोकस किया गया है। दिल्ली से फैजाबाद-आंबेडकर नगर जाने वाली कैफियत एक्सप्रेस में लगाए गए पोस्टरों से यह साफ पता चलता है कि कांग्रेस लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार के पिता जगजीवन राम के नाम, स्मृति को भी अपने हक में भुनाने की कोशिश में है। पोस्टरों में आधुनिक भारत के निर्माता जवाहरलाल नेहरू से लेकर लाल बहादुर शास्त्री, मौलाना अबुल कलाम आजाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल और इंदिरा गांधी-राजीव गांधी के चित्रों के साथ नारे भी लिखे हुए हैं। इससे साफ है कि राहुल कोई मौका नहीं चूकेंगे। पोस्टरों में जिस तरीके से बाबू जगजीवन राम को तरजीह दी गई है, उससे यही अहसास हो रहा है कि इसका सीधा असर यूपी-बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में पड़ सकता है। बाबू जगजीवन राम का नाम आज भी दलित वर्ग में सम्मान के साथ लिया जाता है। राहुल के दलित प्रेम को लेकर पहले ही मायावती की भवें तनी हुई हैं। डॉ. आंबेडकर की जयंती पर कांग्रेस का इस तरह से रथयात्रा-रैली करके दलितों के बीच घुलना-मिलना राहुल की रणनीति का मुख्य हिस्सा माना जा रहा है। मायावती की बीएसपी इसी दिन महिला बिल के खिलाफ हर जिले में पर्दाफाश रैली कर रही है। कांग्रेस के सीनियर लीडर निर्मल खत्री जो फैजाबाद के सांसद भी हैं, इस मुहिम को अंजाम देने दिल्ली से फैजाबाद आ चुके हैं।
एसपी के वोट बैंक को लुभाने की कोशिश की है। यही नहीं, कांग्रेस अब बाबू जगजीवन राम के नए अवतार को भी कैश कराने की कोशिश में हैं। रैली में राहुल गांधी पर फोकस किया गया है। दिल्ली से फैजाबाद-आंबेडकर नगर जाने वाली कैफियत एक्सप्रेस में लगाए गए पोस्टरों से यह साफ पता चलता है कि कांग्रेस लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार के पिता जगजीवन राम के नाम, स्मृति को भी अपने हक में भुनाने की कोशिश में है। पोस्टरों में आधुनिक भारत के निर्माता जवाहरलाल नेहरू से लेकर लाल बहादुर शास्त्री, मौलाना अबुल कलाम आजाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल और इंदिरा गांधी-राजीव गांधी के चित्रों के साथ नारे भी लिखे हुए हैं। इससे साफ है कि राहुल कोई मौका नहीं चूकेंगे। पोस्टरों में जिस तरीके से बाबू जगजीवन राम को तरजीह दी गई है, उससे यही अहसास हो रहा है कि इसका सीधा असर यूपी-बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में पड़ सकता है। बाबू जगजीवन राम का नाम आज भी दलित वर्ग में सम्मान के साथ लिया जाता है। राहुल के दलित प्रेम को लेकर पहले ही मायावती की भवें तनी हुई हैं। डॉ. आंबेडकर की जयंती पर कांग्रेस का इस तरह से रथयात्रा-रैली करके दलितों के बीच घुलना-मिलना राहुल की रणनीति का मुख्य हिस्सा माना जा रहा है। मायावती की बीएसपी इसी दिन महिला बिल के खिलाफ हर जिले में पर्दाफाश रैली कर रही है। कांग्रेस के सीनियर लीडर निर्मल खत्री जो फैजाबाद के सांसद भी हैं, इस मुहिम को अंजाम देने दिल्ली से फैजाबाद आ चुके हैं।
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