नई दिल्ली । महंगाई विरोधी रैली की सफलता से उत्साहित भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी अब भाजपा के असली ऑपरेशन में जुटेंगे। गडकरी के नेतृत्व में रैली में जिस तरह की नई पंरपराएं दिखीं उससे साफ हो गया है कि पहले पार्टी, बाद में कोई और। रैली में किसी एक नेता के पक्ष में नारे भी नहीं लगे। नारे लगे तो सिर्फ भाजपा के। मंच भाजपा के झंडे से सजा था। बीच में कमल का फूल था। मंच के दाएं-बाएं भाजपा के वैचारिक प्ररेणास्रोत श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पं.दीनदयाल उपाध्याय के बड़े कट आउट यह संदेश दे रहे थे कि पार्टी मौजूदा किसी एक नेता के चेहरे या प्रभुत्व से नहीं चलेगी। अटल बिहारी वाजपेयी का एक बड़ा कविता लिखा चित्र मंच के पीछे लगा था। एक नई परंपरा यह भी दिखी कि रैली का समापन भाजपा अध्यक्ष के भाषण से हुआ। वर्ना आमतौर पर भाजपा के कार्यक्रमों का समापन पार्टी के वरिष्ठ नेता के संबोधन से होता रहा है। मसलन, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सबसे अंत में भाषण करते थे और वाजपेयी से पहले आडवाणी और आडवाणी से पहले भाजपा अध्यक्ष का भाषण। यही क्रम रहता था। पर इस बार क्रम बदला। वरिष्ठ नेता आडवाणी का भाषण गडकरी से पहले करवा दिया गया। इस चूक को सुषमा स्वराज ने महसूस भी किया। वैसे,गडकरी के राज में मंच संचालन का काम किसी एक या दो व्यक्ति के हाथ में नहीं रहा। रामलाल मैदान पर विजय गोयल के साथ-साथ महासचिव अनंत कुमार और धर्मेंद्र प्रधान ने भी संचालन किया। जंतर मंतर पर यह काम महासचिव थावर चंद गहलोत के जिम्मे रहा। गडकरी ने रैली के काम का बंटवारा इस तरह किया कि कोई एक नेता मंच पर हावी नहीं हो पाए। असल में रैली की सफलता के लिए गडकरी ने पूरी कमान अपने हाथ में ले रखी थी। रैली के बारे में गडकरी ने राज्यवार रिपोर्ट तैयार करवाई है। इस रिपोर्ट के आधार पर ही गडकरी अब भाजपा का असली ऑपरेशन करेंगे। सबसे पहले उनके निशाने पर मध्य प्रदेश,उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, छत्तीसगढ़, राजस्थान जैसे बड़े सूबे हैं। इन राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष को लेकर घमासान मचा है । गडकरी अध्यक्ष का फैसला करेंगे। रैली से पहले और बाद में इन राज्यों के कई नेता और कार्यकर्ता गडकरी को अपना योगदान बताने में व्यस्त रहे। दूसरा महत्वपूर्ण काम गडकरी को अपने नवगठित केंद्रीय पदाधिकारियों के बीच कामकाज का बंटवारा करना है राज्यों का प्रभार बांटना है। युवा और महिला मोर्चा सहित विभिन्न मोर्चा के अध्यक्षों का भी ऐलान करना है। सफल मानी जा रही इस रैली ने गडकरी को नई ताकत दी है।
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