Tuesday, March 30, 2010

कांग्रेस बॉलिवुड ऐक्टर अमिताभ बच्चन और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को बख्शने के मूड

बॉलिवुड सुपरस्टार अमिताभ बच्चन और समाजवादी पार्टी से निष्कासित नेता अमर सिंह फिर एक साथ एक मंच
पर दिखे। इस तरह दोनों ने अपने बीच खटास पैदा होने की अटकलों पर विराम लगाने की कोशिश की। हाल ही में अमर सिंह जया बच्चन को मुलायम सिंह की समाजवादी पार्टी में रहने पर नाखुशी जताई थी। यह भी कहा था कि जया को मुलायम की पार्टी छोड़कर मेरे साथ आ जाना चाहिए। गुजरात का ब्रैंड ऐंबैसडर बनने से उठे विवाद पर बिग बी का बचाव करते हुए अमर सिंह ने कहा कि अमिताभ यह कैसे बता सकते हैं कि गुजरात दंगों का दोषी कौन है। 2002 के दंगों के बारे में फैसला सुप्रीम कोर्ट को करना है। गौरतलब है कि कांग्रेस ने सोमवार को अमिताभ की आलोचना करते हुए कहा था कि अगर उनमें हिम्मत है तो वह बताएं कि गुजरात दंगों का दोषी कौन है। अमर सिंह ने अमिताभ की सेक्युलर इमेज पर संदेह करने वालों को भी आड़े हाथ लिया।
बिग बी की तारीफ में कसीदे पढ़ते हुए अमर सिंह ने कहा कि अमिताभ की धर्मनिरपेक्षता संदेह से परे है क्योंकि वह अपने पिता हरिवंश राय बच्चन की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। अमिताभ एक ऐक्टर हैं, एक ग्लोबल आइकन हैं, वह देशों और राष्ट्रों की भौगोलिक और सांस्कृतिक सीमाओं से ऊपर उठ गए हैं। वह महाराष्ट्र, बंगाल, यूपी और यहां तक कि मिस्त्र समेत पूरी दुनिया के हैं। वह अपनी आलोचनाओं से नहीं डरते और पूरी शालीनता के साथ जवाब देते हैं। वह एकला चलो रे.. में विश्वास रखते हैं। पुणे के एक इंस्टिट्यूट में एक स्टूडियो का उद्घाटन करने आए अमिताभ से जब स्टूडेंट्स ने पूछा कि वह अपनी आलोचनाओं को किस तरह देखते हैं, तो बिग बी का कहना था कि जिंदगी के लिए आलोचना जरूरी है। हम गलतियों से सीखते हैं। मैं आलोचनाओं को अच्छी भावनाओं से लेता हूं और उनसे सीखने का प्रयास करता हूं।

कांग्रेस की नजर में मोदी और दाऊद एक जैसे

कांग्रेस बॉलिवुड ऐक्टर अमिताभ बच्चन और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को बख्शने के मूड
में नहीं दिख रही है। बीजेपी के आरोपों का जवाब देते हुए कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी की तुलना अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से कर डाली। बीजेपी प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि अमिताभ को गुजरात का ब्रैंड ऐंबैसडर बनने की वजह से निशाना बनाया जा रहा है, जबकि उनके पार्टी जॉइन करने का सवाल ही नहीं है। उन्होंने कहा कि अमिताभ गुजरात के ब्रैंड ऐंबैसडर बने हैं पाकिस्तान के नहीं।
इसके जवाब में कांग्रेस ने कहा कि मोदी ने जांच टीम के सामने पेश होकर किसी पर कोई एहसान नहीं किया है। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि अगर कोई राजधर्म नहीं निभाता है तो वह राज दंड का भागी होता है। तिवारी ने पूछा, अगर दाऊद को भारतीय कोर्ट में पेश किया जाएगा तो बीजेपी यह मानेगी कि अंडरवर्ल्ड डॉन ने एहसान किया है? उन्होंने कहा कि बीजेपी बचकाना व्यवहार कर रही है। मोदी का राजधर्म है लोगों की रक्षा करना, जो उन्होंने सन् 2002 में नहीं किया। दूसरी तरफ बीजेपी ने कांग्रेस प्रवक्ता के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है। गुजरात की बीजेपी इकाई के नेता जयनारायण व्यास ने कहा कि तिवारी का मानसिक संतुलन बिगड़ गया है।

Monday, March 29, 2010

वरुण बोले, माया राज में बहुत हुआ 'सम्मान'

बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव और पीलीभीत के सांसद वरुण गांधी ने कहा कि मैं राजनीति में चुनाव जीत
ने या सत्ता हासिल करने के लिए नहीं, बल्कि अपने लोगों के सम्मान की रक्षा करने आया हूं। वरुण ने सहारनपुर में एक विशाल रैली में उत्तर प्रदेश सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यह दुर्भाग्य की बात है कि प्रतापगढ़ में मात्र 20 रुपये, मामूली कपडे़, कुछ मिठाई और बर्तन के लिए 65 लोगों की मौत हो जाती है। लेकिन पांच करोड़ और 10 करोड़ की माला पहनने वाली मायावती के पास उन गरीबों को देने के लिए मुआवजे की राशि तक का इंतजाम नहीं है। वरुण ने कहा, 'इस मंच से मैं मायावती के खिलाफ नहीं बोलूंगा, क्योंकि चुनाव में उन्होंने मुझे बहुत प्यार और सम्मान दिया था। हमारा समय आने पर उन्हें उससे ज्यादा प्यार और सम्मान दिया जाएगा।'
बीजेपी सांसद ने कहा कि हमारे ऊपर आज यह जिम्मेदारी है कि हम अमीरों के बजाय आम परिवारों के नौजवानों को उनका सम्मान दिलाएं। उन्होंने सलाह दी कि यदि नौजवानों को लंबे समय के लिए कर्ज दिया जाए तो वह विभिन्न व्यवसायों को अपना कर अपने सपनों को सफल कर सकते हैं। गांधी ने किसानों का पक्ष लेते हुए कहा कि कपडे़ और अन्य सामान का व्यापार करने वाला व्यापारी जब स्वयं सामान का रेट तय करता है तो किसान को भी उसकी फसल का रेट खुद तय करने का अधिकार दिया जाना चाहिए। उन्होंने गोहत्या को साम्प्रदायिक पाप और कानूनी जुर्म मानते हुए कहा कि गोहत्या केवल हिन्दुओं से जुड़ा मामला नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय मुद्दा है।

सोनिया फिर बनीं एनएसी अध्यक्ष

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक बार फिर नैशनल अडवायजरी काउंसिल(एनएसी) का अध्यक्ष बनाया गया है। यूपीए सरकार ने सोमवार शाम इसका ऐलान किया। चार साल पहले लाभ के पद को लेकर उठे विवाद के बाद सोनिया ने न केवल एनएसी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था बल्कि लोकसभा सदस्यता से भी इस्तीफा देकर रायबरेली से दोबारा चुनाव लड़ा था। एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि सोनिया का दर्जा कैबिनेट मंत्री का होगा और उनकी नियुक्ति तत्काल प्रभाव से लागू होगी। एनएसी के बाकी सदस्यों को सोनिया नियुक्त करेंगी। सोनिया को कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त होगा। यूपीए सरकार की वापसी के बाद से ही सोनिया को एनएसी अध्यक्ष बनाए जाने के लिए राजी करने की कोशिश हो रही थी, मगर वह इसके लिए तैयार नहीं थीं। 2004 में एनएसी का घटन खुद सोनिया की पहल पर ही हुआ था। इसका उद्देश्य सरकार और लोगों के बीच एक पुल की तरह काम करना था। मगर विवाद हो जाने के बाद दोबारा सोनिया को राजी करना काफी मुश्किल साबित हुआ।

बढेंगे मंत्री व विधायकों के वेतन-भत्ते

जयपुर। मंत्री और विधायकों के वेतन-भत्तों में जल्दी ही बढोतरी हो सकती है। संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल इस सिलसिले में भाजपा विधायक दल के उप नेता घनश्याम तिवाडी और माकपा व निर्दलीय विधायकों से राय मशविरा कर सरकार को सुझाव देंगे।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोमवार को विधानसभा में विनियोग व वित्त विधेयकों पर हुई चर्चा के जवाब में भाजपा विधायक दल के उप नेता घनश्याम तिवाडी व अन्य विधायकों की मांग का जिक्र करते हुए माना कि वास्तव में सांसद, विधायकों की स्थिति नाजुक है।
इनसे मिलने वाले आगंतुकों के सत्कार से लेकर दौरे में भी पैसा खर्च होता है। पिछले सत्र में भी एक विधेयक तैयार किया गया था, लेकिन सहमति नहीं बन पाने की वजह से पेश नहीं किया जा सका। गहलोत ने सदस्यों को आश्वस्त किया कि वे चाहेंगे तो इसी सत्र में विधेयक ले आएंगे। बढोतरी इस तरह की जाएगी कि जनता को भी तर्कसंगत लगे। धारीवाल इस बारे में सब पक्षों से सलाह करेंगे।

Friday, March 26, 2010

मोदी से नजदीकियों पर नाराजगी : कांग्रेस

मुंबई के बांद्रा-वर्ली सी ङ्क्षलक के समारोह में अभिनेता अमिताभ बच्चन की उपस्थिति से गरमायी राजनीति के बीच कांग्रेस ने आज साफ किया कि उसे कलाकार अमिताभ से कोई नाराजगी नहीं है लेकिन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी नजदीकी कार्यकर्ताओं को पसंद नहीं आ रही है।कांग्रेस के महासचिव और मीडिया विभाग के प्रमुख जनार्दन द्विवेदी ने आज यहां संवाददाताओं से कहा कि पार्टी को बच्चन से कोई व्यक्तिगत शिकायत नहीं है और न ही हमें कलाकार अमिताभ से कोई नाराजगी है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से बच्चन की मोदी से जिस तरह की नजदीकियां बढ़ी हैं उससे पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं में नाराजगी है।

मायावती की रैली में मधु मक्खियों की 'घुसपैठ' के बाद अब यह मामला बड़े ने

मुंबई हमले के षडय़ंत्रकारी हेडली के मामले में भारतीय जनता पार्टी ने केंद्र सरकार को राजधर्म का पालन करने की सलाह दी है। पार्टी प्रवक्ता तरुण विजय ने गुरुवार को संप्रग सरकार को आगाह किया कि वह अपनी शक्ति दिखाए और अमेरिका से हेडली के प्रत्यर्पण की मांग करे। उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के उस बयान पर भी आपत्ति जताई जिसमें उन्होंने पाकिस्तान के संघर्ष को अपना संघर्ष बताया है। उन्होंने पूछा कि क्या भारत के खिलाफ पाकिस्तान का आतंकी युद्ध भी अमेरिका का युद्ध है। उनके मुताबिक, अगर ऐसा नहीं है तो फिर आतंकवाद को शह दे रहे पाकिस्तान में अमेरिका को अपना दोस्त कैसे दिखता है।

राहुल गांधी के लिए मधुमक्खियां हटाईं

मायावती की रैली में मधु मक्खियों की 'घुसपैठ' के बाद अब यह मामला बड़े ने
ताओं की मीटिंग में सिक्युरिटी के साथ जुड़ गया लगता है। शुरुआत राहुल गांधी से हो गई है। सुलतानपुर में शुक्रवार को राहुल की मीटिंग से पहले मधुमक्खियों, ततैयों और भिरड़ आदि के छत्तों का सफाया करा दिया बताते हैं। 15 मार्च को लखनऊ में यूपी की सीएम मायावती की रैली में मधुमक्खियों के झुंड के झुंड आ गए थे। बीएसपी की तरफ से इसे विरोधियों की साजिश करार दिया गया था। यह भी कहा गया था कि यह तो मायावती मधुमक्खियों की भिनभिनाहट के बावजूद विचलित नहीं हुईं, वरना वहां भगदड़ मच जाती। मधुमक्खियों की घुसपैठ के इस मामले की जांच यूपी के डीआईजी रैंक के एक अफसर कर रहे हैं और अभी तक जांच में साजिश जैसी बात सामने नहीं आई है।
बहरहाल, खबरें हैं कि मायावती की उस रैली से सबक लिया जा रहा है। प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिजन की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी)ने राहुल गांधी के आज के सुलतानपुर दौरे से पहले बाकी चीजों पर ध्यान देने के अलावा मधुमक्खी आदि के छत्तों को हटवाने की हर संभव कोशिश कराई है। नई दिल्ली में एसपीजी के एक अफसर ने पुष्टि करते हुए कहा कि सुरक्षा के लिहाज से सभी चीजों पर ध्यान दिया जाता है। वहां यदि छत्ते हैं, तो उन्हें हटवाने की हर संभव कोशिश होनी चाहिए। राहुल गांधी यूपी में अमेठी से सांसद हैं। अमेठी लोकसभा क्षेत्र, सुलतानपुर जिले का एक हिस्सा है। राहुल सुलतानपुर पहुंच चुके हैं। वहां उन्हें आज डेवलपमेंट ऑफिसर के दफ्तर में मीटिंग अटैंड करनी है। उनके इलाके में चल रहे विकास कार्यों की भी इस मीटिंग में समीक्षा की जानी है। उनकी सुरक्षा के लिए अडवांस में गई एसपीजी टीम ने उस डेवलपमेंट अफसर के दफ्तर की बाहरी दीवारों और पेड़ों पर कई छत्ते देखे थे, जिन्हें तुड़वा दिया गया। इसके बाद आग और धुएं का इंतजाम भी कराया गया, ताकि मक्खियां आदि फिर से न आएं।

गुर्जर आरक्षण : वार्ता को तैयार बैंसला

गाजीपुर में तीन दिन के महापडाव के बाद अब गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति ने सरकार से वार्ता के लिए हामी भर दी है। माना जा रहा है कि वार्ता के लिए कर्नल किरोडी सिंह बैंसला और कर्नल हरप्रसाद सहित पांच सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल शाम तक जयपुर आ सकता है। इधर गुर्जर समाज के जयपुर कूच की संभावना को देखते हुए दौसा, सवाईमाधेापुर, टोंक सहित विभिन्न जिलों में कडी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। मुख्य मार्गो पर नाकाबंदी कर आने-जाने वालों से पूछताछ की जा रही है। गौरतलब है कि आरक्षण के लिए संघर्ष समिति ने 26 मार्च को प्रदेश भर से जयपुर कूच का आह्वान किया हुआ है। महवा संवाददाता के अनुसार, गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति संयोजक कर्नल किरोडीसिंह बैसला ने गुरूवार रात को कहा कि वे सरकार से वार्ता को तैयार हैं लेकिन मुद्दा नहीं छोडेंगे। सरकार की ओर से मुख्य सचिव ने फोन कर वार्ता की पेशकश की है। इसके लिए दौसा सहित राज्य के सभी जिलों के गुर्जर समाज व अन्य रेबारी, बंजारा, गाडिया लुहार के सरदारों से सामूहिक मंत्रणा की जा रही है। वार्ता के लिए जल्द निर्णय कर प्रतिनिधिमंडल चुना जाएगा लेकिन समाज व प्रतिनिधिमंडल वार्ता के लिए तभी तैयार होगा जब सरकार उनके हक व पांच प्रतिशत आरक्षण देने की बात करेगी। उन्होंने कहा कि समाज का प्रमुख ध्येय नौकरियों से संबंधित है। नौकरियों के बिना विधेयक का कोई मतलब नहीं। सरकार हाइकोर्ट का निर्णय आने तक उनके हिस्से की नौकरियां रख कर उनका हक दिलाये। उन्होंने कहा कि वार्ता सफल नहीं होने की स्थिति में शांतिपूर्ण जयपुर कूच किया जाएगा। हाइकोर्ट के निर्णय के बारे में उन्होंने कहा कि वे न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते है लेकिन न्यायालय 62 वर्षो से पिछडी जातियों की ओर ध्यान देकर समाज को उनका हक दिलवाए तो आंदोलन व धारा 144 की कोई जरूरत ही नहीं पडेगी। संघर्ष समिति उपाध्यक्ष कैप्टन हरप्रसाद तंवर ने कहा कि गहलोत सरकार पूर्व की सरकार के विधेयक में खामी बताकर समाज को गुमराह कर उससे दुश्मनी निकाल रही है। इस अवसर पर डॉ. रूपसिंह गुर्जर, लीलाधर गुर्जर, कैप्टन जगराम, महेंद्रसिंह खेडला, श्रीराम बयाना, लाखन दौसा, हरिशंकर देवलेन, एडवोकेट भंवरसिंह, टीकमसिंह पावटा, धर्मजीतसिंह, गजेंद्र खटाना, सूबेदार भरतसिंह, ज्ञानसिंह भोपर सहित समाज के अनेक लोग मौजूद थे।मीणा समाज का समर्थन
दौसा संवाददाता के अनुसार मीणा समाज ने गुर्जर आरक्षण आंदोलन का समर्थन किया है। सांसद किरोडीलाल मीणा के भतीजे और महवा के प्रधान राजेन्द्र मीणा मिडवे पर बैंसला का स्वागत भी करेंगे।अतिरिक्त बल महवा भेजा
दौसा जिला प्रशासन सुरक्षा व्यवस्था को लेकर काफी गंभीर है। गुर्जर समाज के जवान जो पुलिस व आरएसी मे थे, उन्हे रात को महवा भेज दिया गया है। वहीं, जिला कलेक्टर ने सभी पटवारी व तहसीलदारों को अपने गांव -ढाणी में नजर रखने के निर्देश दिए हैं। पुलिस व प्रशासन हर संभावित çस्थ्ति को लेकर कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रयत्नशील हैं। खुफि या तंत्र भी पल-पल की खबर उच्चाघिकारी को दे रहा है लेकिन आज कितनी भीड होगी उसका आंकलन कर पाने की विफलता के चलते वह भी संशय में है। जिले की सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए गये हैं। यहां तीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक व आधे दर्जन उपाधीक्षक स्तर के अधिकारी और पुलिस जवान तैनात किए गए हैं। साथ ही करीब डेढ दर्जन से अघिक पुलिस निरीक्षक नियुक्त किए गए हैं। आरएसी की छह कंपनी व करीब 550 पुलिस जवानों पर क्षेत्र की निगरानी की जिम्मेदारी होगी।

Thursday, March 25, 2010

मैंने कभी पद नहीं मांगा-शत्रुघ्न

नई दिल्ली। भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी की टीम पर उंगली उठा रहे अभिनेता और नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा है कि वह पद पाने के लिए नहीं, बल्कि पार्टी के कल्याण के लिए ऎसा कर रहे हैं।
शॉटगन और बिहारी बाबू के नाम से मशहूर सिन्हा ने कहा कि मैंने अपने लिए कभी किसी पद या ओहदे की मांग नहीं की। जहां तक किसने क्या पाया का सवाल है तो, मैं इतना ही कह सकता हूं कि मैंने कद पाया है। शत्रुघन से पूछा गया था कि पदाधिकारियों की घोषणा में पार्टी नेतृत्व ने उनके प्रति सर्द रवैया क्यों अपनायाक् सिन्हा यहां अपने बेटे लव सिन्हा की पहली फिल्म 'सदियां' के प्रोत्साहन के लिए आए थे।
दिलचस्प बात यह है कि हेमा मालिनी को भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने अपने पदाधिकारियों की टीम में शामिल करते हुए उपाध्यक्ष बनाया है। अपनी बात पर कायम रहते हुए उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि अपनी चिंताएं रख कर मैंने कोई लक्ष्मण रेखा पार की है।
मैंने जो कुछ कहा पार्टी की भलाई के लिए कहा है। पटना साहिब से भाजपा के इस सांसद ने यह कह कर पार्टी में गहमा गहमी पैदा कर दी है कि भाजपा की नई टीम 'पुरानी बोतल में नई शराब' है और इसमें में काबिल लोगों को नजरअंदाज किया गया है।

भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी की टीम पर उंगली उठा रहे अभिनेता और बिहारी बाबू के नाम से मशहूर शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा है कि वह पद पाने के लिए नहीं, बल्कि पार्टी के कल्याण के लिए ऎसा कर रहे हैं। जहां तक किसने क्या पाया का सवाल है तो, मैं इतना ही कह सकता हूं कि मैंने कद पाया है।

Monday, March 22, 2010

अब साइकल से संसद आ सकेंगे सांसद

कुछ सांसद साइकल से संसद आना चाहते हैं और संसद सिक्युरिटी उन्हें इसकी इजाजत देने को तैयार ह
ै। यह कदम राजनीतिज्ञों के ट्रांसपोर्ट सिस्टम को नया आयाम दे सकता है। सुरक्षा अधिकारियों की राय है कि फोर वीलर के लिए बने सिस्टम को साइकल के अनुरूप तैयार करने में बहुत मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी। सूत्रों ने कहा कि साइकल को अंदर आने की इजाजत देने के पहले सिक्युरिटी स्टाफ को सिर्फ सांसदों की पहचान करनी पड़ेगी। अधिकारी साइकलों के लिए पार्किंग स्लॉट की तलाश कर रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि सांसद के लिए रजिस्टर्ड कार की पहचान के लिए दिया जाने वाला 'आरएफ टैग' साइकल के मामले में लागू हो, यह जरूरी नहीं है। साइकलों की सुरक्षा जांच की जा सकती है। साइक्लिंग का यह अनुभव भले ही कुछ सांसदों के लिए नया हो, लेकिन इससे क्लाइमेट चेंज के बारे में जागरूकता तो पैदा होगी ही। हाल में कुछ सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार से इस बारे में अनुरोध किया था। लोकसभा अध्यक्ष को यह आइडिया पसंद आया और उन्होंने इस पर तुरंत कार्रवाई का आदेश दिया। उन्होंने टीओआई से कहा कि अभी कुछ सांसद ही इसके लिए आगे आए हैं, लेकिन यह असरदार होगा। हालांकि यह प्रतीकात्मक है, लेकिन जागरूकता बढ़ाने में प्रतीक बड़ी भूमिका निभाते हैं। कटक से बीजेडी के सांसद भ्रतृहरि माहताब ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि सांसद हफ्ते में कम से कम एक दिन संसद आएंगे।

अमेरिकी दौरे में सरेंडर न करें पीएम : बीजेपी

बीजेपी ने पाकिस्तान की ओर अमेरिकी झुकाव की तरफ यूपीए सरकार का ध्यान खींच
ा है और उम्मीद जताई है कि अप्रैल में होने वाले वॉशिंगटन शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की यात्रा शरम-अल-शेख जैसे शर्मनाक समर्पण का उदाहरण नहीं बनेगी। बीजेपी ने पाकिस्तान के साथ भारत जैसी अमेरिकी डील पर भी गंभीर चिंता जताई और कहा कि अमेरिका पाकिस्तान को आतंकवाद से ग्रस्त भारत के समकक्ष ही रख रहा है। जबकि अमेरिका मानता रहा है कि पाकिस्तान बिना भरोसे का ऐटमी देश है, जो परमाणु प्रसार का अगुआ है और नॉन स्टेट ऐक्टरों द्वारा एटमी हथियारों का चोरी छिपे निर्यात करता है। संघ के मुखपत्र पांचजन्य के पूर्व संपादक तरुण विजय ने बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बनने के बाद पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भारत के वास्तविक भय को दूर करने के लिए कोई कदम उठाए बिना अमेरिका ने पाकिस्तान को खुले हाथ से धन बांटने में कोई कमी नहीं की है। भारत को शंका है कि अमेरिकी धन को आतंकवादी गुट भारत विरोधी गतिविधियों में इस्तेमाल कर रहे हैं। प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका पर्दे के पीछे पाकिस्तान के साथ सक्रिय है। पिछले दशक में अमेरिका ने तालिबान और अल कायदा से लड़ने के लिए पाकिस्तानी सेना को सीधे 12 अरब डॉलर दिए। ऐसे में ओबामा प्रशासन को सुनिश्चित करना चाहिए कि ये डॉलर उन आतंकवादी हाथों में न पड़ें, जो भारत के विरुद्ध सक्रिय हैं। अमेरिका भारत को आश्वस्त करे कि वह इस्लामाबाद को दी जा रही अपनी सहायता को सख्ती से मॉनिटर कर रहा है। प्रवक्ता तरुण विजय ने आरोप लगाया कि अमेरिका ने भारत के विरुद्ध आतंकवादी गुटों को पाकिस्तान के समर्थन पर तो कोई चिंता नहीं व्यक्त की, जबकि पश्चिमी मोर्चे पर ही सारा ध्यान केंद्रित रखा। आतंक के खिलाफ अमेरिका का यह दोगलापन वास्तव में भारत को पाकिस्तान आधारित और समथिर्त आतंकवादी गुटों के समक्ष कमजोर बना रहा है लेकिन यह भारत की लड़ाई है। ओबामा अपने देश के राष्ट्रपति हैं और अमेरिकी हितों का भारत को पिछलग्गू नहीं बनना चाहिए। प्रस्तावित सिविल लिबर्टी फॉर न्यूक्लियर डैमेज बिल एक अन्य उदाहरण है जिसमें भारत में शासन करने वाली पार्टी अमेरिकी दबाव में भारत के हितों के विरुद्ध काम कर रही है।


माया हमारी जीती जागती देवी हैं : बीएसपी

कहने वाले चाहे कहते रहें, मगर बीएसपी का कहना है कि हमारी नेता मायावती 'जीती-जागती देवी
' हैं और हम अपनी पार्टी सुप्रीमो को सोने और चांदी से तौलते रहेंगे। प्रदेश बीएसपी अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने यहां पंचायती राज विभाग के कर्मचारियों के सम्मेलन में कहा कि पार्टी उन्हें नोटों की माला से सम्मानित करती रहेगी। इस प्रकरण में माया पर निशाना साधने वाले विपक्षी दलों पर पलटवार करते हुए मौर्य ने कहा कि जब देश के मंदिरों में करोड़ों रुपयों का चढ़ावा चढ़ाया जाता है, तो उस समय कोई जवाब तलब नहीं करता। जब मंदिरों में बेहिसाब पैसे दान किए जाते हैं तो हमारी पार्टी अपनी जीवित देवी को चढ़ाए गए पैसों का हिसाब क्यों दे? उन्होंने कहा कि बीएसपी कार्यकर्ता अपनी आय से पैसे इकट्ठा करते हैं और उसे अपनी देवी पर चढ़ाते हैं, तो मीडिया और राजनीति में बैठे मनुवादियों को यह नागवार गुजरता है। चूंकि यूपी में विपक्षी पार्टियां कमजोर हो गई हैं, इसलिए ये लोग एक दलित की बेटी को माला पहनते देखना नहीं पचा सकते।

मोदी की पेशी पर रूख साफ करें

अहमदाबाद। गुजरात हाईकोर्ट ने 2002 के दंगों की जांच कर रहे नानावटी आयोग से एक अप्रेल तक उसे यह बताने को कहा है कि वह इस मामले में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को पूछताछ के लिए बुलाएगा या नहीं।
मुख्य न्यायाधीश एस.जे. मुखोपाध्याय और न्यायाधीश अकील कुरैशी की खण्डपीठ ने गुजरात सरकार के वकील से एक अप्रेल तक आयोग से यह पता करने को कहा है कि आयोग ने सितम्बर 2009 के अपने आदेश में मोदी और अन्य को नहीं बुलाने का जो फैसला किया था वह अंतिम फैसला था या फिर अस्थायी।
गैर सरकारी संगठन जनसंघर्ष मंच (जेएसएम) की याचिका की सुनवाई करते हुए खण्डपीठ ने सरकारी वकील को यह आदेश दिया। मंच वर्ष 2002 के दंगे के पीडितों का प्रतिनिधित्व कर रहा है।
आयोग का कहना हैआयोग ने पिछले ही महीने न्यायालय को अपनी जांच की स्थिति से अवगत कराया था। आयोग ने अपनी चिटी में कहा था कि उसने इकटा हुए सभी साक्ष्यों और रिकॉर्ड किए गए बयानों का विश्लेषण पूरा कर लिया है और अब वह रिपोर्ट लिखने वाला है। आयोग के अनुसार उसने 27 फरवरी, 2002 और 31 मई, 2002 के बीच के 4145 मामलों की जांच की।
एसआईटी ने नहीं बुलाया'गांधीनगर । मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एसआईटी के समक्ष उपस्थित होने के मुद्दे को लेकर सोमवार को जनता के नाम खुले पत्र में कहा कि उन्हें पूछताछ के लिए एसआईटी ने नहीं बुलाया। गत रविवार तक एसआईटी के समक्ष पेश होने के सन्दर्भ में न तो उन्हें कोई समन मिला और ना ही कोई नोटिस मिला है। इतना ही नहीं, बल्कि इस सन्दर्भ में प्रकाशित समाचारों को उन्हें बदनाम करने की साजिश बताते हुए कहा कि इस प्रकार की झूठ फैलाने के मुद्दे की गंभीरता के साथ जांच कराए जाने की जरूरत है।
मोदी ने बयान में कहा कि पिछले आठ वर्षो से उन पर तरह-तरह के आरोप लगाने का फैशन हो गया है। वर्ष 2002 की गोधरा त्रासदी के बाद वे विधानसभा गृह के अलावा सार्वजनिक रूप से अनेक बार कह चुके हैं कि देश का संविधान व कानून सबसे ऊपर है। कोई भी नागरिक यदि मुख्यमंत्री भी है तो वह भी कानून की पालना से परे नहीं है। वे इसे स“ाी भावना के साथ निभाते आए हैं।

Saturday, March 20, 2010

सरकार और विपक्ष में समझौता

जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दखल के बाद राजस्थान विधानसभा में पिछले तीन दिनों से चल रहा गतिरोध आज सुबह समाप्त हो गया। गहलोत ने पहले प्रतिपक्ष के कार्यवाहक नेता घनश्याम तिवाडी से बातचीत की और सहमति बनने के बाद दूध पिलाकर उनका आमरण अनशन तुडवाया। इसी के साथ विधानसभा में चल रहा विपक्ष का धरना एवं इसे लेकर भाजपा द्वारा किया गया राज्यव्यापी आंदोलन भी समाप्त हो गया।
गहलोत और तिवाडी के बीच हुई समझौता वार्ता में यह सहमति हुई कि दोनो निलम्बित विधायकों हनुमान बेनीवाल और राजेन्द्र सिंह राठौड का निलम्बन वापस ले लिया जाएगा तथा प्रदेश में पानी की स्थिति दुबारा से चर्चा होगी।
गौरतलब है कि शुक्रवार को सदन में सुरक्षा प्रहरियों और भाजपा विधायकों के बीच धक्का-मुक्की और चार विधायकों के चोट लगने के बाद घनश्याम तिवाडी आमरण अनशन पर बैठ गए थे। गुरूवार तक तीन मांगों पर अडे प्रतिपक्ष ने शुक्रवार के हंगामे के बाद गृहमंत्री के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी जोड ली। तिवाडी के साथ 11 अन्य विधायक भी क्रमिक अनशन पर थे।

गोवा में कांग्रेस नीत सरकार पर संकट

गोवा में कांग्रेस नीत तीन साल पुरानी गठबंधन सरकार की स्थिरता खतरे में दिख रही है। एमजीपी के एक विधायक को मंत्रिमंडल से हटाने की मुख्यमंत्री दिगंबर कामत की योजना के मद्देनजर सात विधायकों ने वित्त विधेयक का समर्थन नहीं करने का फैसला किया है। जी 7 नाम का समूह बनाने के लिए साथ आए इन विधायकों ने कहा है कि सरकार को विधानसभा में वित्त विधेयक पर उनके समर्थन पर विचार नहीं करना चाहिए। गौरतलब है कि विधानसभा का बजट सत्र 22 मार्च से शुरू हो रहा है। इन विधायकों में से पांच ने आज सुबह सचिवालय में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में हिस्सा नहीं लिया। ये पांचों राज्य सरकार में मंत्री हैं। जी 7 में राकांपा के तीन, महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के दो, यूनाइटेड गोवन्स डेमोक्रेटिकपार्टी का एक और एक निर्दलीय विधायक शामिल है। उनका समर्थन सरकार के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है। 40 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 18 विधायक हैं।

गडकरी को पहले ही कदम में लगा झटका

सबको साथ लेकर चलने व काम का सम्मान करने के बड़े दावों के साथ भाजपा की कमान संभालने वाले नितिन गडकरी को पहले ही मोर्चे पर जोर का झटका लगा है। उन्होंने दो दिन पहले अपनी जो टीम घोषित की, उसे लेकर बिहार से महाराष्ट्र और कर्नाटक से उत्तराखंड तक असंतोष मुखर है। बिहार की उपेक्षा व महाराष्ट्र को प्रमुखता देने का विवाद गहराने के बाद बिहार के दो प्रमुख नेताओं - राधामोहन सिंह व नंदकिशोर यादव - को जल्द ही टीम में शामिल करने की घोषणा कर दी जाएगी। दक्षिण की नाराजगी दबाने के लिए इंद्रसेन रेड्डी को भी शामिल किया जाएगा। पिछले कुछ समय से लगातार घमासान झेल रही भाजपा में करीब तीन माह से शांति थी। नेता चुपचाप गडकरी की टीम का इंतजार कर रहे थे। टीम सामने आते ही पार्टी में मनभेद व मतभेद फिर से गहरा गए हैं। टीम में सबसे ज्यादा 28 नेता महाराष्ट्र से हैं। इसके बावजूद लोकसभा में उप नेता गोपीनाथ मुंडे अपने समर्थकों के छूट जाने से खफा हैं। मुबंई से वाणी त्रिपाठी व साइना एनसी को लेना, लेकिन पूनम महाजन का न होना केंद्रीय नेताओं को भी अखरा है। केंद्रीय कार्यालय के प्रमुख श्याम जाजू का नाम भी टीम से नदारद है। नई टीम से मराठी व बिहारी का विवाद गहराया है। बिहार के नेता महाराष्ट्र को ज्यादा तरजीह देने का सवाल उठा ही रहे हैं, बिहार में विधानसभा चुनाव के बावजूद वहां के नेताओं को कम महत्व देने का सवाल भी खड़ा कर रहे हैं। प्रदेश राजग के अध्यक्ष नंदकिशोर यादव व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राधामोहन सिंह टीम में नहीं हैं, जबकि दिल्ली व उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष कार्यकारिणी में हैं। सूत्रों के अनुसार यह विवाद उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद गडकरी बिहार से इन दोनों नेताओं के साथ-साथ चद्रंमोहन राय और आंध्र प्रदेश से इंद्रसेन रेड्डी को कार्यकारिणी में शामिल करने जा रहे हैं। नई टीम में रविशंकर प्रसाद को महासचिव के साथ मुख्य प्रवक्ता बनाया जाना बाकी प्रवक्ताओं को रास नहीं आया है। पिछली टीम में प्रसाद के साथ राजीव प्रताप रूडी व प्रकाश जावडेकर भी प्रवक्ता थे, लेकिन नई टीम में वे प्रसाद के जूनियर हैं। शाहनवाज हुसैन राजग सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। वह इस बार महासचिव पद के दावेदार थे। उन्हें प्रवक्ता बनाया गया है। वह यह जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं बताए जाते हैं। सूत्रों के अनुसार रामलाल व विनय सहस्त्रबुद्धे से अपनी नाराजगी जताते हुए शाहनवाज ने खुद को प्रवक्ता पद से मुक्त रखने की मांग की है। नाराजगी के चलते ही वह दिल्ली में होने के बावजूद विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज व अरूण जेटली की पत्रकार वार्ता से दूर रहे और गुरूवार को पटना में महंगाई के विरोध में आयोजित रैली में भाग लेने भी नहीं गए। रूडी भी इन दोनों कार्यक्रमों में नहीं दिखे। बिहार के वरिष्ठ नेता सी.पी. ठाकुर भी पदाधिकारी न बनाए जाने से नाराज है। बिहारी बाबू व पूर्व केंद्रीय मंत्री शत्रुघ्न सिन्हा ने तो दो टूक कह भी दिया है कि गडकरी की टीम में कई नेताओं की उपेक्षा हुई है। उन्होंने इस बारे में यशवंत सिन्हा का नाम भी लिया है। नई दिल्ली में पूर्व अध्यक्ष हर्षवद्र्धन और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खंडूड़ी भी गडकरी की टीम में पदाधिकारी न बनाए जाने से खफा हैं। राज्य में अपने समकक्ष भगत सिंह कोश्यारी को उपाध्यक्ष बनाए जाने से खंडूड़ी का दर्द बढ़ा है।

भाजपा में असंतोष के स्वर गूंजना जारी

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी द्वारा अपनी नयी टीम की घोषणा करने के तीन दिन बाद भी पार्टी में असंतोष के स्वर गूंज रहे हैं। जाने माने फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा के बाद पूर्व केन्द्रीय मंत्री सी पी ठाकुर ने भी आज नयी कार्यकारिणी को 'असंतुलित' बताया है।डा. ठाकुर ने कहा कि प्रतिभावान कार्यकर्ताओं को नयी कार्यकारिणी में स्थान दिया जाना चाहिये था और इसका अभाव नयी टीम में दिखायी दे रहा है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष के अंत में बिहार में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए बिहार को समूचित प्रतिनिधित्व दिये जाने की अपेक्षा थी । उल्लेखनीय है कि कल पटना साहिब से पार्टी सांसद सिन्हा ने नयी कार्यकारिणी को 'नयी बोतल में पुरानी शराब' करार देतु हुए कहा है कि नयी टीम में पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा को कोई अहमियत नहीं दी गई है ।दूसरी ओर बिहार के ही सांसद पूर्व केन्द्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन भी नयी कार्यकारिणी पर नाराज है और बताया जा रहा है कि उन्होंने पार्टी प्रवक्ता बनने से इन्कार कर दिया है और लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज द्वारा आज यहां आयोजित नये प्रवक्ताओं की बैठक में हुसैन 'अस्वस्थ' होने के कारण शामिल नहीं हुए तो दूसरे प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार दिल्ली से बाहर चले जाने से शामिल नहीं हुए थे।उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भुवनचन्द्र खंडूरी ने नयी कार्यकारिणी पर अपनी नाराजगी जाहिर की है और कहा कि वह इस संबंध में गडकरी से बातचीत करेंगे।प्रवक्ता राजीव प्रताप रूडी ने यहां नियमित प्रेस ब्रीङ्क्षफग में कहा है कि गडकरी ने सभी नेताओं को निर्देश दिये हैं कि नयी टीम को लेकर किसी को जो कुछ कहना है, वह सीधे उनसे बात कर सकते है लेकिन सीधे मीडिया में नहीं जाना चाहिये।

Thursday, March 18, 2010

रैली में मधुमक्खियां, अफसर को डंक

लखनऊ में माया की महारैली के दौरान मंडराने व
ाली मधुमक्खियों ने तो वहां मौजूद लोगों को बख्श दिया लेकिन उत्तर प्रदेश के एक वरिष्ठ अफसर को सीएम के गुस्से का डंक लग ही गया। गुरुवार को मायावती ने राज्य के प्रधान सचिव और बेहद प्रभावशाली सीनियर आईएएस विजय शंकर पांडे को रैली के बाद हुए दुष्प्रचार की सजा दे डाली। पांडे को स्वास्थ्य विभाग में ट्रांसफर कर दिया गया है। विजय शंकर पांडे को बीएसपी के ब्राह्मण नेता एस. सी. मिश्रा का करीबी माना जाता है लेकिन यह कनेक्शन भी उन्हें मायावती के गुस्से से नहीं बचा पाया। पांडे की जगह, एक वक्त पर माया के चहेते रहे, आईएएस अफसर शैलेश कृष्ण ने ली है। पांडे के ट्रांसफर से यूपी के तमाम नौकरशाह सकते में हैं। दरअसल, 1979 बैच के आईएएस अफसर विजय शंकर पांडे को दो साल पहले यह पद मिला था और वह अपने आप में एक सत्ता केंद्र बन गए थे। मायावती की सोशल इंजीनियरिंग को अमली जामा पहनाने में पांडे की अहम भूमिका रही है। पांडे के जाने के बाद मुख्यमंत्री के सेक्रेटरेट में सिर्फ एक ब्राह्मण आईएएस अफसर बचा है। उधर, मायावती की रैली की दौरान मधुमक्खियां मंडराने के मामले में डीआईजी राजीव कृष्ण ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, शुरुआती जांच में संकेत मिले हैं कि कुछ लोगों ने रैली में बाधा डालने के लिए जानबूझकर आग लगाकर मधुमक्खियां भड़काईं। इस मामले में आंबेडकर यूनिवर्सिटी के वीसी से पूछताछ की गई है और आशियाना थाने में दो अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। गौरतलब है कि मायावती ने भी आशंका जताई थी कि किसी ने मधुमक्खियों को जान-बूझकर भड़काने की कोशिश की है।
डीआईजी कृष्ण की रिपोर्ट में बताया गया है कि भीमराव आंबेडकर यूनिवर्सिटी कैंपस में लगे मधुमक्खियों के छत्ते के पास आग लगाने से मधुमक्खियां भड़की थीं। आशियाना नगर पुलिस स्टेशन में धारा-435 (नुकसान पहुंचाने के लिए आग लगाना) और धारा-285 (किसी सार्वजनिक स्थान पर बाधा डालना) के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई। डीआईजी ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है क्योंकि मधुमक्खियों के हमले की हालत में रैली में भगदड़ मच सकती थी, जिससे ढेरों लोगों की जान जा सकती थी। इस मामले में विशेषज्ञों की राय भी ली जा रही है। पुलिस आगे इस बात की जांच कर रही है कि मधुमक्खियों को भड़काने के लिए आग किसने लगाई और इसके पीछे उसका क्या मकसद था। गौरतलब है कि 15 मार्च को आयोजित बीएसपी की रैली में जब मायावती संबोधित कर रही थीं, तभी मधुमक्खियों का झुंड मंच के चारों ओर मंडराने लगा था। इससे सीएम सहित सभी के लिए खतरा पैदा हो गया था। मायावती की रैली में मधुमक्खी आने पर पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाने को कांग्रेस ने एक मजाक बताया है। कांग्रेस के यूपी के इंचार्ज महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा कि यह एक विचित्र स्थिति है कि मुख्यमंत्री ने मधुमक्खियों को आने को एक साजिश बताते हुए प्रशासन से इसकी रिपोर्ट दर्ज करवाई है। उन्होंने कहा कि इससे ज्यादा हास्यास्पद बात क्या हो सकती है कि एक मुख्यमंत्री मधुमक्खियों के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाए। दिग्विजय ने कहा कि यह बताता है कि मायावती किस स्तर की राजनीति कर रही हैं।

विधानसभा शर्मसार

जयपुर। विधायक हनुमान बेनीवाल के निलम्बन के दूसरे दिन गुरूवार को भाजपा विधायक दल के सचेतक राजेन्द्र राठौड को एक साल के लिए विधानसभा से निलम्बित कर दिया गया। आसन के निर्देश पर जब राठौड विधानसभा से बाहर नहीं गए, तो सुरक्षा कर्मियों को सदन के भीतर बुलाया गया। इस पर विपक्षी विधायकों और सुरक्षा कर्मियों के बीच खूब धक्का-मुक्की और हाथापाई हुई। विपक्षी विधायक टेबलों पर चढ गए और मार्शल व जवानों से जोर-आजमाइश कर राठौड को सदन से बाहर नहीं जाने दिया। 11 मिनट तक जोरदार हंगामा चला और इसी बीच सभापति ने कामकाज निपटाकर कार्यवाही शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी। इससे पहले भी सदन चार बार स्थगित हुआ। बैठक स्थगित होने के बाद विपक्षी विधायक राठौड को लेकर सदन के भीतर ही बेमियादी धरने पर बैठ गए। भाजपा विधायकों के साथ माकपा विधायकों ने सदन में ही रात गुजारी। इधर भाजपा ने सवेरे गृहमंत्री शांति धारीवाल के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पेश किया। प्रस्ताव में कहा गया कि धारीवाल ने बेनीवाल से अपशब्द कहे। विधानसभा अध्यक्ष दीपेन्द्र सिंह शेखावत ने प्रस्ताव पर व्यवस्था नहीं दी।
जवानों को जडे थप्पड महिला विधायकों ने काटा मार्शल व जवान सदन के भीतर आ गए, तो भाजपा के सदस्य राठौड को चारों तरफ से घेर कर खडे हो गए। सुरक्षा कर्मियों तथा भाजपा विधायकों के बीच जम कर खींचतान हुई। कई विधायकों ने जवानों के थप्पड भी मार दिए। जसवंत यादव व हेमसिंह भडाना को ऎसा करते हुए देखा गया। महिला विधायकों ने कई जवानों के हाथ पर काट खाया।
गृहमंत्री शांति धारीवाल के खिलाफ नारेबाजी करते हुए भाजपा विधायक टेबलों पर चढ गए। हंगामा होता रहा पर विधायकों ने मोर्चाबंदी कर जवानों को राठौड तक नहीं पहुंचने दिया। इसी दौरान अध्यक्ष शेखावत आसन से चले गए और सभापति जाडावत ने खान, वन व उद्योग विभाग की अनुदान मांगें बिना चर्चा पारित करा दीं।
सुबह से ही हंगामाप्रश्नकाल शुरू होने पर जैसे ही अध्यक्ष ने प्रश्नकर्ता रघु शर्मा का नाम पुकारा, राठौड ने नियम एवं प्रक्रिया के नियम 119 के तहत धारीवाल के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पर बहस की मांग की। इससे सत्ता पक्ष भी उत्तेजित हो गया। विपक्ष वैल में आ गया और नारेबाजी करने लगा। छह मिनट बाद ही कार्यवाही स्थगित हो गई, इसके बाद चार बार बैठक स्थगित की गई।

किरण का गर्मजोशी से स्वागत

राजसमंद। विधायक किरण माहेश्वरी के भाजपा की राष्ट्रीय सचिव बनने के बाद गुरूवार को पहली बार राजसमन्द आगमन पर भाजपा पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने गर्मजोशी से स्वागत किया।
इस दौरान आतिशबाजी भी की गई। किरण के बडारडा पहुंचने पर बडारडा व पीपरडा बस स्टैण्ड पर कार्यकर्ताओं ने फूलमालाओं, इकलाई पहना ढोल-नगाडों से जोरदार स्वागत किया। यहां से उन्हें खुली जीप में सवार कर आगे-आगे दुपहिया वाहन रैली के रूप में राजनगर फव्वारा चौक तक लाया गया जहां भाजपा नगर मण्डल ने जोरदार स्वागत किया। काफिला दाणी चबूतरा, कलालवाटी, किशोर नगर, आवरामाता मन्दिर, जलचक्की, कांकरोली बस स्टेण्ड, मुख्य चौपाटी, मुखर्जी चौराहा पहंुचा। पूरे मार्ग में लोगों ने उत्साह से स्वागत किया। रास्ते में किरण ने चारभुजा मन्दिर, राठासेण माता मन्दिर पर दर्शन किए तथा मुखर्जी चौराहा पर डा. श्यामाप्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया।
रैली में प्रधान देऊबाई, पूर्व पालिकाध्यक्ष जगदीश पालीवाल, दिनेश पालीवाल, नगर अध्यक्ष प्रवीण नन्दवाना, पालिका उपाध्यक्ष सत्यप्रकाश काबरा, सत्यदेवसिंह चारण, डूंगरसिंह कर्णावट, पूर्व मण्डल अध्यक्ष सत्यनारायण पूर्बिया, प्रवक्ता किशोर गुर्जर, श्याम सुन्दर पुरोहित, छोगालाल गुर्जर सहित कई पदाधिकारी व कार्यकर्ता सम्मिलित थे। किरण प्रभु श्री द्वारिकाधीश के दर्शन कर गणगौर महोत्सव के तहत मन्दिर से प्रारम्भ चून्दडी गणगौर की सवारी में सम्मिलित हुई।

Wednesday, March 17, 2010

गृहमंत्री शांति धारीवाल और भाजपा विधायक हनुमान बेनीवाल के बीच हुई तनातनी

जयपुर। विधानसभा में बुधवार को गृहमंत्री शांति धारीवाल और भाजपा विधायक हनुमान बेनीवाल के बीच हुई तनातनी के बाद जोरदार हंगामा हुआ। सदन की कार्यवाही तीन बार स्थगित हुई, बेनीवल को सत्र की शेष अवधि के लिए सदन से निलम्बित कर दिया गया और हंगामे के बीच ही पेयजल और सिंचाई की अनुदान मांगें बिना चर्चा के पारित हो गई।
यूं शुरू हुआ मामलाशून्यकाल में हनुमान बेनीवाल ने अपने स्थगन प्रस्ताव पर बोलते हुए कहा कि सरकार शराब संस्कृति को बढावा दे रही है और शराब ठेकेदारों के 55 करोड रूपए माफ कर दिए गए हैं। इसके बाद उन्होंने भ्रष्टाचार का एक आरोप भी लगाया। संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने उत्तेजित हो कर आपत्ति करते हुए कहा कि प्रतिपक्ष के विधायक रोज बिना नोटिस इस तरह के आरोप लगा रहे हैं। यह अच्छी बात नहीं है। इस पर रोक लगनी चाहिए। इस पर बेनीवाल भी उत्तेजित हो गए और बोले कि गृहमंत्री उन्हें डराने की कोशिश कर रहे हैं।
लेकिन वे चुने हुए विधायक हैं और किसी से डरेंगे नहीं। उन्हें सरकार ने जिता कर नहीं भेजा है। इस पर धारीवाल ने कहा कि वे भी किसी से डरते नहीं हैं और इस तरह भाषा सुनने के आदी नहीं है। इतना सुनते ही बेनीवाल उत्तेजित हो कर वैल में आ गए और कुछ बोलने लगे। प्रतिपक्ष के सदस्यों ने उन्हें समझाने की कोशिश भी की, लेकिन वे नहीं माने।
इस पर सत्ता पक्ष के सदस्य अपने स्थान छोड कर वैल के किनारे आ गए और बेनीवाल को सदन से बाहर करने की मांग करने लगे। इनमें कई मंत्री भी शामिल थे। करीब 20 मिनट तक हंगामा चलता रहा। तीन बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पडी। स्थिति काबू में आई तो सभापति सुरेन्द्र जाडावत ने कहा कि सदन चलाने की जिम्मेदारी दोनों पक्षों की है, इसलिए दोनों पक्ष अपने विधायकों को समझाएं।
जलदाय मंत्री को घेराकरीब 3.40 बजे जब सदन फिर जुडा, तो हंगामा फिर हुआ और हंगामे के बीच ही हनुमान बेनीवाल को सत्र की शेष अवधि के लिए निलम्बित करने का प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित हो गया। इस प्रस्ताव पर प्रतिपक्ष ने मत विभाजन की मांग भी की। इस बीच प्रतिपक्ष के सदस्य वैल में आ गए। सभापति जब मांगें पारित कराने लगे, तो प्रतिपक्ष के सदस्य जलदाय मंत्री महिपाल मदेरणा को घेरने लगे।
सदन में धक्का-मुक्की की स्थिति बन गई। गृहमंत्री शांति धारीवाल को लगा कि प्रतिपक्ष के सदस्य मंत्री से कागज छीन सकते हैं, इसलिए वे स्वयं मदेरणा के पास आ गए। इस बीच सदन में सुरक्षा कर्मी भी आ गए और मंत्री तथा सभापति को घेर कर खडे हो गए। अनुदान मांगे हंगामे के बीच ही पारित हो गर्ई। इस पर भी प्रतिपक्ष ने मत विभाजन की मांग की, लेकिन सभापति ने सदन की कार्रवाई गुरूवार तक के लिए स्थगित कर दी।
तिवाडी ने गलत मानासदन शांत हुआ तो भाजपा के उपनेता घनश्याम तिवाडी ने कहा, जो हुआ गलत हुआ। बिना आधार न तो आरोप लगने चाहिए और न ही इस तरह वैल में आना चाहिए। मामला कुछ शांत होने लगा था, इसी बीच सरकारी मुख्य सचेतक वीरेन्द्र बेनीवाल हनुमान बेनीवाल को सत्र की शेष अवधि से निलम्बित करने का प्रस्ताव ले आए, तो हंगामा फिर शुरू हो गया। प्रतिपक्ष के सदस्य वैल में आ कर नारेबाजी करने लगे और सभापति ने सदन की कार्यवाही एक घण्टे के लिए स्थगित कर दी। इसके बाद सदन की कार्यवाही लगातार तीन बार डेढ घण्टे के लिए स्थगित हुई।
-मेरा निलम्बन अलोकतांत्रिक है। मैंने किसी का नाम लेकर आरोप नहीं लगाया। गृह मंत्री ने असंसदीय भाषा का प्रयोग किया। भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलता रहूंगा। -हनुमान बेनीवाल, निलम्बित विधायक
विपक्ष आक्रामक मूड मेंजयपुर। भाजपा ने अपने विधायक हनुमान बेनीवाल के निलम्बन के बाद आक्रामक रूख अख्तियार कर लिया है। विपक्ष ने गुरूवार को प्रश्नकाल से ही यह मुद्दा उठाने की रणनीति तैयार की है। बुधवार को सदन की बैठक स्थगित होने के बाद भाजपा विधायक दल की बैठक उपनेता घनश्याम तिवाडी की अध्यक्षता में हुई। इसमें बेनीवाल के निलम्बन के खिलाफ लडाई लडने का निर्णय हुआ और गृह मंत्री शांति धारीवाल की निंदा की गई। गुरूवार को सदन की बैठक से पहले भाजपा विधायक दल की बैठक फिर होगी। इसमें व्यूहरचना को अंतिम रूप दिया जाएगा।

महिला को जलाने वाला सपा विधायक फरार

उत्तर प्रदेश में एक और मधुमिता कांड दोहराए जाने का प्रयास किया गया है। महाराजगंज सदर क्षेत्र से समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक श्रीपति आजाद के खिलाफ कथित तौर पर एक महिला को जलाकर मारने की कोशिश करने का मुकदमा दर्ज किया गया है। हालांकि, विधायक जी मुकदमा दायर होने के बाद से ही गायब हैं। माना जा रहा है कि वो नेपाल भाग गए हैं। महाराजगंज जिला नेपाल की सीमा से सटा हुआ है। महाराजगंज कोतवाली (शहर) के प्रभारी सुरेश चौहान ने बताया कि श्रीपति आजाद पर आरोप है कि उन्होंने मंगलवार रात अपने विधानसभा क्षेत्र के गांव रामपुर बुजुर्ग में एक विधवा को उसके ही घर में मिट्टी का तेल छिडकर जलाकर मारने का प्रयास किया। गंभीर रूप से झुलसी विधवा महिला को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी हालत नाजुक बनी हुई है। चौहान ने कहा कि पीडिता के बेटे की शिकायत पर मंगलवार देर रात विधायक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। फिलहाल विधायक का पता नहीं चल पा रहा है।उल्लेखनीय है कि यूपी के बाहुबली नेता अमरमणि त्रिपाठी और उभरती हुई कवि मधुमिता शुक्ला के बीच भी काफी नजदीकियां थी पर बाद में उसकी हत्या हो गई। मधुमिता के परिजनों ने अमरमणि पर हत्या करने का आरोप लगाया था। इस मामले में वो फिलहाल जेल में हैं।

18 लाख के नोटों की माला पहनीं

तमाम आलोचनाओं को दरकिनार करते हुए यूपी की मुख्यमंत्री मायावती ने बुधवार को फिर नोटों की माला प
हनी। बुधवार को पार्टी की बैठक में मायावती को कार्यकर्ताओं ने 18 लाख के नोटों की माला पहनाई। इस बार की माला में 100 और 500 को नोट शामिल थे। बैठक में बीएसपी के वरिष्ठ नेता नसीमुद्दीन सिद्दकी ने कहा कि अब मायावती को सिर्फ नोटों की ही माला पहनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि माला बनाने के लिए हमारे जमीनी कार्यकर्ताओं ने थोड़ा थोड़ा पैसा एकत्र किया है। गौरतलब है कि 15 मार्च को लखनऊ में मायावती ने बीएसपी की महारैली में करीब 5 करोड़ की माला पहनी थी।

नारायण दत्त तिवारी को झटका

आंध्र प्रदेश के पूर्व राज्यपाल नारायण दत्त तिवारी को झटका देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने बुध
वार को उनके आग्रह को खारिज कर दिया और उस व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई का फैसला किया जिसने खुद को तिवारी का बेटा बताया है। जस्टिस विक्रमजीत सेन की अध्यक्षता वाली बेंच ने 84 वर्षीय कांग्रेस नेता के उस आग्रह को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने मामले को इस आधार पर खारिज करने की अपील की थी कि याचिकाकर्ता ने पैदा होने के 31 साल बाद याचिका दायर की। कोर्ट ने सिंगल बेंच के उस फैसले को दरकिनार कर दिया जिसमें लॉ ग्रैजुएट रोहित शेखर द्वारा दायर पितृत्ववाद को इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि यह स्वीकार योग्य नहीं है।
बेंच ने मामले से जुड़े सभी पक्षों को निर्देश दिया कि वे 7 अप्रैल को एकल न्यायाधीश के समक्ष पेश हों जब मामले में गुण दोष के आधार पर सुनवाई होगी। तिवारी को उस समय आंध्र प्रदेश के राज्यपाल का पद छोड़ना पड़ा था जब उन्हें एक स्टिंग ऑपरेशन में कथित तौर पर तीन महिलाओं के साथ आपत्तिजनक स्थिति में दिखाया गया।

बीजेपी में अब रूठने-मनाने का दौर शुरू

बीजेपी की नई कार्यकारिणी को घोषणा को 24 घंटे भी नहीं बीते कि
पार्टी में रूठने-मनाने का दौर शुरू हो गया है। अंदरूनी सूत्रों से आ रही जानकारी के अनुसार सबसे पहले पार्टी से रूठने वालों में यूपी के बीजेपा नेता हैं। पार्टी में यूपी नेताओं के खुले विरोध के बाद वरुण गांधी को सचिव बनाने से यूपी का यह तबका बुरी तरह चेत गया है। मिली जानकारी के अनुसार यूपी बीजेपी के नेता इस बात से और खफा है कि वरुण गांधी को हर महीने में 10 दिन यूपी के विभिन्न इलाकों में जाने को भी कहा गया है। संभावना जताई जा रही है कि देर-सवेर यूपी की पूरी जिम्मेदारी वरुण गांधी के कंधों पर आ सकती है। वैसै वरुण की गडकरी टीम में शामिल करने की जोरदार पैरवी बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह की ओर से की गई थी। राजनाथ वरुण के साथ-साथ अपने बेटे पंकज सिंह को भी यूपी के युवा नेतृत्व के रूप में उभारना चाहते हैं। वैसे भी वरुण गांधी और पंकज सिंह काफी पटती है।
फिर रूठने वालों में नंबर आता है सह सरकार्यवाहक सुरेश सोनी का। सुरेश सोनी के कुछ चेहते नेताओं के गडकरी की टीम में जगह न मिलने के कारण वह पार्टी आलाकमान से रुष्ट हो गए हैं। चूंकि सुरेश सोनी बीजेपी और संघ में एक बड़े गुट का प्रतिनिधित्व करते हैं, ऐसे में उनका रूठना पार्टी के लिए घातक हो सकता है। इसी को मद्देनजर रखते हुए मंगलवार रात को पार्टी महासचिव राम लाल और बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष बाल आप्टे ने सुरेश सोनी से मुलाकात की। करीब दो से तीन घंटे तक चली इस मुलाकात में सुरेश सोनी को पूरी तरह आश्वस्त किया गया है कि उनके चेहते नेताओं के कहीं न कहीं जरूर फिट कर दिया जाएगा। सुरेश सोनी की नारजगी इसलिए भी बढ़ी थी, क्योंकि कार्यकारिणी से एक पहले यानी सोमवार रात को दिल्ली के सफदरजंग स्थित एक फार्म हाउस में उनकी बीजेपी प्रेजिडेंट नितिन गडकरी से हुई मीटिंग में उन्होंने अपने कुछ लोगों की सिफारिश की थी, जिस पर नानुकर करने के बाद गडकरी सीधे नागपुर पहुंच गए और संघ प्रमुख से अपनी बात मनवाने में सफल हुए। सोनी के बाद पार्टी से रूठने वालों नें शाहनवाज हुसैन प्रमुख है। पार्टी में महासचिव पद के ललालित हुसैन को सिर्फ सचिव पद ही संतोष करना पड़ा है। सूत्रों के अनुसार शाहनवाज को बीजेपी तो अहम जिम्मेदारी देना चाहती थी, लेकिन वह आरएसएस का शिकार बने। संघ प्रमुख के साफ तौर पर हुसैन को बीजेपी के लिए अनुपयोगी करार देते हुए उन्हें पार्टी और मुसलमानों के बीच एक निष्फल सेतु बताया था। पार्टी से नाराज लोगों की गिनती अभी दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जाएगी। मध्यप्रदेश बीजेपी से राज्यसभा पहुंचे अनिल दवे, बिजनसमैन ए.अग्रवाल आदि भी पार्टी कार्यकारिणी का हिस्सा न बनने के कारण काफी निराश हुए हैं। वैसे पूर्व उपाध्यक्ष बाल आप्टे भी इस बार कार्यकारिणी से बाहर है, लेकिन उनके समर्थकों का कहना है कि उन्होंने संघ प्रमुख के उस बयान का समर्थन किया है कि पार्टी की बागडोर अब यंग ब्रिगेड के हाथ हो। बाल आप्टे वैसे भी पहले से बीजेपी में अपने अलग और स्पष्ट निर्णयों के चलते जाने जाते हैं।

Wednesday, March 10, 2010

बिल का विरोध नहीं किया

केन्द्रीय रेल मंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने महिला आरक्षण विधेयक पर यू-टर्न लेते हुए कहा है कि उनकी पार्टी ने कभी भी इस बिल का विरोध नहीं किया।
ममता ने बुधवार को राज्यसभा की भी एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित किए जाने का सवाल उठाया। ममता ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि 'राज्यसभा में महिलाओं के लिए 33 फीसदी का आरक्षण क्यों नहीं होना चाहिएक्' उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी महिला आरक्षण विधेयक का सैद्धांतिक रूप से समर्थन करती है। राज्यसभा में मंगलवार को इस विधेयक पर हुए मतदान में तृणमूल के हिस्सा न लेने पर ममता ने कहा कि 'हमें मतदान की सूचना नहीं दी गई थी।' उल्लेखनीय है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी के आरक्षण के प्रावधान वाला विधेयक मंगलवार को राज्यसभा में भारी बहुमत से पारित किया गया था। अब इसे 16 मार्च से पहले लोकसभा में पेश किए जाने की संभावना है।

साधु यादव कांग्रेस से निलंबित

लोकसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से नाता तोडकर कांग्रेस का दामन थामने वाले लालू यादव के साले साधु यादव को महिला आरक्षण बिल का विरोध महंगा पडा है। कांग्रेस ने साधु यादव को पार्टी से सस्पेंड कर दिया है। बिहार कांग्रेस अध्यक्ष ने साधु यादव को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न उन्हें पार्टी से निकाल दिया जाए।
उल्लेखनीय है कि साधु यादव ने महिला आरक्षण बिल का विरोध करते हुए कहा था कि यदि यह बिल पास होता है तो वो अपने साथियों से साथ कांग्रेस से नाता तोड लेंगे। कांग्रेस ने साधु यादव के इस बयान को गंभीरता से लेते हुए उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का फैसला किया है।

सांसदों के निलंबन पर हंगामा

महिला आरक्षण बिल पर विरोध के दौरान राज्यसभा में गैर संसदीय अचारण अपनाते हुए सभापति हामिद अंसारी के साथ हाथापाई करने के कारण निलंबित हुए सातों सांसदों का निलंबन वापस हो सकता है। समाजवादी पार्टी (सपा), राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने सांसदों का निलंबन वापस लेने की मांग की है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने भी निलंबन वापसी का प्रस्ताव लाए जाने का समर्थन किया है। यदि ये सांसद हामिद अंसारी से माफी मांग लेते हैं तो इन सांसदों का निलंबन वापस हो सकता है।
इससे पहले राज्यसभा से निष्कासित पार्टी के सांसदों का निलंबन वापस लेने के मांग करते हुए सपा और राजद ने आज सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर दिया। सपा नेता रामगोपाल यादव ने सुबह 11 बजे राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होने के बाद सभापति हामिद अंसारी से सांसदों का निलंबन वापस लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि जब तक सांसदों का निलंबन वापस नहीं ले लिया जाता, तब तक उनकी पार्टी संसद का बहिष्कार करेगी। सपा के बाद राजद सांसदों ने भी राज्यसभा से वॉकआउट कर दिया। सपा व राजद सांसद कल राज्यसभा में मार्शल बुलाए जाने और उनके सांसदों को जबरन निकाले जाने से भी नाराज हैं।
'माफी नहीं मागूंगा'वहीं, निलंबित सांसद कमाल अख्तर और नंदकिशोर यादव ने दो टूक शब्दों में कहा है कि माफी मांगने का सवाल ही नहीं उठता है। उन्होंने कहा कि 'हमारा निलंबन वापस हो या नहीं, पर हम माफी नहीं मांगेंगे।' कमाल अख्तर ने कहा कि जिस तरह से उन्हें मार्शल बुलाकर उन्हें सदन से बाहर निकाला गया उसके लिए सरकार को उनसे माफी मांगनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि सोमवार को महिला आरक्षण बिल का विरोध कर रहे सपा और राजद सांसदों ने सदन की मर्यादा को ताक पर रखते हुए सभापति हामिद अंसारी से बिल की प्रतियां छीनकर फाड दी थी। संसद को शर्मसार करने वाले इस गैर संसदीय व्यवहार के लिए सपा, राजद और जदयू के सात सांसदों को कल राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया था।

Tuesday, March 2, 2010

डीजल के दाम पर झुक सकती है सरकार

नई दिल्ली। पेट्रोल व डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी पर अपने ही सहयोगियों के दवाब व विपक्षी तेवरों को देखते हुए सरकार ने पीछे हटने के संकेत दिए हैं। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने बजट में पेट्रोलियम उत्पादों पर सीमा शुल्क एवं उत्पाद शुल्क में वृद्धि करने का प्रस्ताव किया था। इसके तत्काल बाद पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ गए। बजट पेश करने के बाद मुखर्जी ने साफ कहा था कि शुल्क वृद्धि का प्रस्ताव वापस नहीं लिया जाएगा। पर अब उनके तेवर ढीले पड़ते नजर आ रहे हैं। वह कह रहे हैं, हम इस मुद्दे पर अपने सहयोगी दलों से बातचीत कर रहे हैं। गठबंधन सरकार में ऐसे विचार आते हैं और उन्हें लोकतांत्रिक तरीके से सुलझाया जाता है। माना जा रहा है कि सरकार की इस सोच के पीछे संसद का गणित और पश्चिम बंगाल का आने वाला विधानसभा चुनाव है। दरअसल सरकार की इस रोलबैक मुद्रा के पीछे द्रमुक व तृणमूल कांग्रेस की लामबंदी सबसे अहम है। सूत्रों के मुताबिक सरकार कम से कम इस मामले को लेकर तृणमूल प्रमुख व रेल मंत्री ममता बनर्जी को कतई नाराज नहीं करना चाहती है। उसकी नजर अगले साल विधानसभा चुनाव में ममता से मिल कर पश्चिम बंगाल में वामपंथियों को हटा कर अपने गठबंधन की सरकार बनाने पर है। हालांकि ममता से कांग्रेस के कई प्रमुख नेता खासे नाराज हैं। ममता ने बजट पेश होने से पहले हुई कैबिनेट की बैठक में खाद सबसिडी को लेकर भारी बवाल किया था। उस समय द्रमुक ने भी उनके सुर में सुर मिलाया था। इस बार भी द्रमुक मूल्य वृद्धि वापसी की मांग कर रही है। लेकिन सूत्रों के अनुसार सरकार की कोशिश है कि पेट्रोल की मूल्य वृद्धि जस की तस रखी जाए और डीजल के मामले में पीछे हटा जाए।

नए और पुराने चेहरों के फेर में फंसे गडकरी

नई दिल्ली। टीम गडकरी को लेकर भाजपा में जोड़तोड़ तेज हो गई है । होली के बाद किसी भी दिन भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी अपनी टीम का ऐलान कर सकते हैं। कई पुराने चेहरों को टीम में जगह नहीं मिलेगी । उनकी टीम में आधे से ज्यादा नए चेहरों को स्थान मिलना तय है । भाजपा सूत्रों की मानें तो करीब 60 फीसदी नए चेहरों के साथ गडकरी अपनी टीम गठित करेंगे। इसके लिए गडकरी लालकृष्ण आडवाणी सहित भाजपा के लगभग सभी वरिष्ठ नेताओं से विचार विमर्श कर चुके हैं। गडकरी ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में अपने शुभचिंतकों से भी इस बारे में चर्चा कर भावी टीम का खाका लगभग तैयार कर लिया है। गडकरी की टीम में युवाओं और महिलाओं को विशेष रूप से अधिक स्थान मिलेगा। भाजपा संगठन में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण लागू कर यूपीए सरकार पर भी महिला आरक्षण विधेयक के लिए दबाव बना रही है।गडकरी की टीम के लिए पार्टी के संगठन महासचिव रामलाल और भाजपा उपाध्यक्ष बाल आप्टे ने देश भर से कार्यकर्ताओं और नेताओं की सूची तैयार कर अध्यक्ष गडकरी को सौंप दी है। गडकरी ने रामलाल को युवा और नए चेहरों की खोज का काम सौंपा था। आप्टे ने भी इस बारे में अपना सहयोग दिया है। सूत्रों के अनुसार टीम गडकरी को लेकर जितने मुंह उतने नाम पेश किए गए हैं। चूंकि टीम में आधे से ज्यादा नए चेहरे और महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने की योजना है इसलिए नामों को लेकर अटकलों का बाजार अधिक गर्म है । पीढ़ीगत बदलाव के दौर से गुजर रही भाजपा में नए चेहरों को लेकर जैसी उथल-पुथल मची है उसके चलते भी टीम गडकरी की तस्वीर साफ नहीं हो पा रही है । पार्टी संविधान में संशोधन के बाद पार्टी में पदाधिकारियों और कार्यकारिणी सदस्यों की संख्या बढ़ गई है। इसलिए भी पार्टी को ऐसे नेताओं और कार्यकर्ताओं की जरूरत है जो राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी का चेहरा बन सकें। गडकरी के सामने बड़ी समस्या पदों के बंटवारे की भी है। संभावित नए लोगों के रूप में जिन लोगों के नाम टीम गडकरी के लिए सूची में शामिल बताए जा रहे हैं उनमें वसुंधरा राजे, श्रीपद नाइक या मनोहर पारिकर में से एक, हर्ष वर्धन, अनीता आर्य, आरती मेहरा, नरेंद्र सिंह तोमर या कैलाश विजयवर्गीय,अनुराग ठाकुर,नवजोत सिंह सिद्धू, वरूण गांधी, साइना एनसी, पूनम महाजन, शोभा करंदलाजे, वाणी त्रिपाठी, शाहनवाज हुसैन, हरेन पाठक, अर्जुन मुंडा, संतोष गंगवार, मुरली धर राव, तरूण विजय, अमित ठाकर, जयकिशन रेड्डी आदि शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार बाल आप्टे इस बार उपाध्यक्ष भी बनना नहीं चाहते। वह नए चेहरे को मौका देने के पक्ष में हैं।

गृह मंत्रालय के 'ऑपरेशन' की चिदंबरम योजना

नई दिल्ली। अमेरिकी तर्ज पर भारत की आंतरिक सुरक्षा को चाक चौबंद बनाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने अपने मंत्रालय के 'ऑपरेशन' की योजना बना ली है। चिदंबरम ने गृह मंत्रालय के पुनर्गठन के लिए जो योजना बनाई है उसके क्रियान्वयन होते ही जहां राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) की ताकत कम होगी। वहीं खुफिया एजेंसी आईबी के भी कई अधिकार छिन जाएंगे। आतंकवाद और नक्सली समस्या सहित देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बने तत्वों का मुकाबला करने के लिए नेशनल काउंटर टेरेरिज्म सेंटर (एनसीटीसी) नया शक्तिशाली केंद्र होगा। यह तब होगा जब चिदंबरम की इस महत्वाकांक्षी योजना को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह स्वीकार करेंगे। फिलहाल चिदंबरम ने गेंद प्रधानमंत्री के पाले में डाल दी है। चिदंबरम का एनसीटीसी का प्रस्ताव अमेरिका से खासा प्रभावित है। अमेरिका ने अपने यहां विमानों से हुए आतंकी हमले के बाद खुफिया सूचनाएं एकत्र करने और आतंकी हमले की चेतावनी देने के लिए एनसीटीसी और डिमार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्युरिटी का गठन किया था। इस बदलाव से अमेरिका के सुरक्षा तंत्र पर व्यापक असर हुआ है। अमेरिका की खुफिया और दूसरी सुरक्षा एजेंसियां बेहतर ढंग से आतंकवाद और दूसरे खतरों का मुकाबला कर पा रही हैं। मुंबई पर हुए आतंकवादी हमले के बाद गृह मंत्रालय की कमान संभालने वाले चिदंबरम की योजना भी कुछ अमेरिकी तर्ज पर है। इस योजना के क्रियान्वयन के लिए चिदंबरम गृह मंत्रालय के कामकाज का नए सिरे से बंटवारा चाहते हैं। वह मंत्रालय के उन तमाम विभागों को अलग कर देना चाहते हैं जिनका आंतरिक सुरक्षा से कोई लेना देना नहीं है। मसलन- भाषा, स्वतंत्रता सेनानियों के कल्याणर्थ योजना और जनगणना जैसे काम भी गृह मंत्रालय करता है।उनकी रणनीति है कि जिस प्रकार से आतंकवाद और नक्सलवाद की समस्या नए रूप और नई चुनौतियों में सामने आ रही है उसके मुकाबले के लिए अब गृह मंत्रालय के कामकाज में भी व्यापक फेरबदल की जरूरत है। एनसीटीसी के गठन का प्रस्ताव चिदंबरम की इस रणनीति से निकली नई योजना है। एनसीटीसी हर तरह के आतंक का मुकाबला करेगा। बात चाहे जम्मू-कश्मीर में सीमापार से संचालित हो रहे आतंकवाद की हो या फिर माओवादी हिंसा की या फिर मामला उड़ीसा में पिछले दिनों हुए धार्मिक उन्माद का हो। एनसीटीसी के मुख्य रूप से तीन काम होंगे। एक आतंकी हमलों को रोकना, जांच करना और जवाबी कार्रवाई करना। इसका प्रभारी पुलिस या सेना का कोई अधिकारी होगा। एनसीटीसी गृह मंत्रालय का सबसे शक्तिशाली अंग होगा।एनसीटीसी के गठन से सबसे ज्यादा नुकसान आईबी को होगा, क्योंकि अभी तक आतंकवाद जैसी समस्या का मुकाबला एक तरह से आईबी पर निर्भर करता है इस बदलाव के बाद पूरी कमान एनसीटीसी के हाथ में दी जाएगी। एनसीटीसी की जरूरत इसलिए भी महसूस हो रही है, क्योंकि आतंकी संगठनों और माओवादियों के बीच सांठगांठ की खबरें भी सामने आ रही हैं। कानून व्यवस्था का मामला राज्य के अधीन है। लिहाजा बिना राज्य की अनुमति के केंद्र की कोई भी सुरक्षा एजेंसी सीधे ऐसे मामलों में दखल नहीं दे सकती। चिदंबरम आंतरिक सुरक्षा के लिए इसे सबसे बड़ी बाधा मानते हैं, लिहाजा एनसीटीसी के जरिए चिदंबरम गृह मंत्रालय और देश की आतंरिक सुरक्षा की चाल-ढाल बदलना चाहते हैं।