लखनऊ में माया की महारैली के दौरान मंडराने व
ाली मधुमक्खियों ने तो वहां मौजूद लोगों को बख्श दिया लेकिन उत्तर प्रदेश के एक वरिष्ठ अफसर को सीएम के गुस्से का डंक लग ही गया। गुरुवार को मायावती ने राज्य के प्रधान सचिव और बेहद प्रभावशाली सीनियर आईएएस विजय शंकर पांडे को रैली के बाद हुए दुष्प्रचार की सजा दे डाली। पांडे को स्वास्थ्य विभाग में ट्रांसफर कर दिया गया है। विजय शंकर पांडे को बीएसपी के ब्राह्मण नेता एस. सी. मिश्रा का करीबी माना जाता है लेकिन यह कनेक्शन भी उन्हें मायावती के गुस्से से नहीं बचा पाया। पांडे की जगह, एक वक्त पर माया के चहेते रहे, आईएएस अफसर शैलेश कृष्ण ने ली है। पांडे के ट्रांसफर से यूपी के तमाम नौकरशाह सकते में हैं। दरअसल, 1979 बैच के आईएएस अफसर विजय शंकर पांडे को दो साल पहले यह पद मिला था और वह अपने आप में एक सत्ता केंद्र बन गए थे। मायावती की सोशल इंजीनियरिंग को अमली जामा पहनाने में पांडे की अहम भूमिका रही है। पांडे के जाने के बाद मुख्यमंत्री के सेक्रेटरेट में सिर्फ एक ब्राह्मण आईएएस अफसर बचा है। उधर, मायावती की रैली की दौरान मधुमक्खियां मंडराने के मामले में डीआईजी राजीव कृष्ण ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, शुरुआती जांच में संकेत मिले हैं कि कुछ लोगों ने रैली में बाधा डालने के लिए जानबूझकर आग लगाकर मधुमक्खियां भड़काईं। इस मामले में आंबेडकर यूनिवर्सिटी के वीसी से पूछताछ की गई है और आशियाना थाने में दो अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। गौरतलब है कि मायावती ने भी आशंका जताई थी कि किसी ने मधुमक्खियों को जान-बूझकर भड़काने की कोशिश की है।
डीआईजी कृष्ण की रिपोर्ट में बताया गया है कि भीमराव आंबेडकर यूनिवर्सिटी कैंपस में लगे मधुमक्खियों के छत्ते के पास आग लगाने से मधुमक्खियां भड़की थीं। आशियाना नगर पुलिस स्टेशन में धारा-435 (नुकसान पहुंचाने के लिए आग लगाना) और धारा-285 (किसी सार्वजनिक स्थान पर बाधा डालना) के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई। डीआईजी ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है क्योंकि मधुमक्खियों के हमले की हालत में रैली में भगदड़ मच सकती थी, जिससे ढेरों लोगों की जान जा सकती थी। इस मामले में विशेषज्ञों की राय भी ली जा रही है। पुलिस आगे इस बात की जांच कर रही है कि मधुमक्खियों को भड़काने के लिए आग किसने लगाई और इसके पीछे उसका क्या मकसद था। गौरतलब है कि 15 मार्च को आयोजित बीएसपी की रैली में जब मायावती संबोधित कर रही थीं, तभी मधुमक्खियों का झुंड मंच के चारों ओर मंडराने लगा था। इससे सीएम सहित सभी के लिए खतरा पैदा हो गया था। मायावती की रैली में मधुमक्खी आने पर पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाने को कांग्रेस ने एक मजाक बताया है। कांग्रेस के यूपी के इंचार्ज महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा कि यह एक विचित्र स्थिति है कि मुख्यमंत्री ने मधुमक्खियों को आने को एक साजिश बताते हुए प्रशासन से इसकी रिपोर्ट दर्ज करवाई है। उन्होंने कहा कि इससे ज्यादा हास्यास्पद बात क्या हो सकती है कि एक मुख्यमंत्री मधुमक्खियों के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाए। दिग्विजय ने कहा कि यह बताता है कि मायावती किस स्तर की राजनीति कर रही हैं।
ाली मधुमक्खियों ने तो वहां मौजूद लोगों को बख्श दिया लेकिन उत्तर प्रदेश के एक वरिष्ठ अफसर को सीएम के गुस्से का डंक लग ही गया। गुरुवार को मायावती ने राज्य के प्रधान सचिव और बेहद प्रभावशाली सीनियर आईएएस विजय शंकर पांडे को रैली के बाद हुए दुष्प्रचार की सजा दे डाली। पांडे को स्वास्थ्य विभाग में ट्रांसफर कर दिया गया है। विजय शंकर पांडे को बीएसपी के ब्राह्मण नेता एस. सी. मिश्रा का करीबी माना जाता है लेकिन यह कनेक्शन भी उन्हें मायावती के गुस्से से नहीं बचा पाया। पांडे की जगह, एक वक्त पर माया के चहेते रहे, आईएएस अफसर शैलेश कृष्ण ने ली है। पांडे के ट्रांसफर से यूपी के तमाम नौकरशाह सकते में हैं। दरअसल, 1979 बैच के आईएएस अफसर विजय शंकर पांडे को दो साल पहले यह पद मिला था और वह अपने आप में एक सत्ता केंद्र बन गए थे। मायावती की सोशल इंजीनियरिंग को अमली जामा पहनाने में पांडे की अहम भूमिका रही है। पांडे के जाने के बाद मुख्यमंत्री के सेक्रेटरेट में सिर्फ एक ब्राह्मण आईएएस अफसर बचा है। उधर, मायावती की रैली की दौरान मधुमक्खियां मंडराने के मामले में डीआईजी राजीव कृष्ण ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, शुरुआती जांच में संकेत मिले हैं कि कुछ लोगों ने रैली में बाधा डालने के लिए जानबूझकर आग लगाकर मधुमक्खियां भड़काईं। इस मामले में आंबेडकर यूनिवर्सिटी के वीसी से पूछताछ की गई है और आशियाना थाने में दो अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। गौरतलब है कि मायावती ने भी आशंका जताई थी कि किसी ने मधुमक्खियों को जान-बूझकर भड़काने की कोशिश की है।
डीआईजी कृष्ण की रिपोर्ट में बताया गया है कि भीमराव आंबेडकर यूनिवर्सिटी कैंपस में लगे मधुमक्खियों के छत्ते के पास आग लगाने से मधुमक्खियां भड़की थीं। आशियाना नगर पुलिस स्टेशन में धारा-435 (नुकसान पहुंचाने के लिए आग लगाना) और धारा-285 (किसी सार्वजनिक स्थान पर बाधा डालना) के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई। डीआईजी ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है क्योंकि मधुमक्खियों के हमले की हालत में रैली में भगदड़ मच सकती थी, जिससे ढेरों लोगों की जान जा सकती थी। इस मामले में विशेषज्ञों की राय भी ली जा रही है। पुलिस आगे इस बात की जांच कर रही है कि मधुमक्खियों को भड़काने के लिए आग किसने लगाई और इसके पीछे उसका क्या मकसद था। गौरतलब है कि 15 मार्च को आयोजित बीएसपी की रैली में जब मायावती संबोधित कर रही थीं, तभी मधुमक्खियों का झुंड मंच के चारों ओर मंडराने लगा था। इससे सीएम सहित सभी के लिए खतरा पैदा हो गया था। मायावती की रैली में मधुमक्खी आने पर पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाने को कांग्रेस ने एक मजाक बताया है। कांग्रेस के यूपी के इंचार्ज महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा कि यह एक विचित्र स्थिति है कि मुख्यमंत्री ने मधुमक्खियों को आने को एक साजिश बताते हुए प्रशासन से इसकी रिपोर्ट दर्ज करवाई है। उन्होंने कहा कि इससे ज्यादा हास्यास्पद बात क्या हो सकती है कि एक मुख्यमंत्री मधुमक्खियों के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाए। दिग्विजय ने कहा कि यह बताता है कि मायावती किस स्तर की राजनीति कर रही हैं।
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