Wednesday, March 17, 2010

बीजेपी में अब रूठने-मनाने का दौर शुरू

बीजेपी की नई कार्यकारिणी को घोषणा को 24 घंटे भी नहीं बीते कि
पार्टी में रूठने-मनाने का दौर शुरू हो गया है। अंदरूनी सूत्रों से आ रही जानकारी के अनुसार सबसे पहले पार्टी से रूठने वालों में यूपी के बीजेपा नेता हैं। पार्टी में यूपी नेताओं के खुले विरोध के बाद वरुण गांधी को सचिव बनाने से यूपी का यह तबका बुरी तरह चेत गया है। मिली जानकारी के अनुसार यूपी बीजेपी के नेता इस बात से और खफा है कि वरुण गांधी को हर महीने में 10 दिन यूपी के विभिन्न इलाकों में जाने को भी कहा गया है। संभावना जताई जा रही है कि देर-सवेर यूपी की पूरी जिम्मेदारी वरुण गांधी के कंधों पर आ सकती है। वैसै वरुण की गडकरी टीम में शामिल करने की जोरदार पैरवी बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह की ओर से की गई थी। राजनाथ वरुण के साथ-साथ अपने बेटे पंकज सिंह को भी यूपी के युवा नेतृत्व के रूप में उभारना चाहते हैं। वैसे भी वरुण गांधी और पंकज सिंह काफी पटती है।
फिर रूठने वालों में नंबर आता है सह सरकार्यवाहक सुरेश सोनी का। सुरेश सोनी के कुछ चेहते नेताओं के गडकरी की टीम में जगह न मिलने के कारण वह पार्टी आलाकमान से रुष्ट हो गए हैं। चूंकि सुरेश सोनी बीजेपी और संघ में एक बड़े गुट का प्रतिनिधित्व करते हैं, ऐसे में उनका रूठना पार्टी के लिए घातक हो सकता है। इसी को मद्देनजर रखते हुए मंगलवार रात को पार्टी महासचिव राम लाल और बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष बाल आप्टे ने सुरेश सोनी से मुलाकात की। करीब दो से तीन घंटे तक चली इस मुलाकात में सुरेश सोनी को पूरी तरह आश्वस्त किया गया है कि उनके चेहते नेताओं के कहीं न कहीं जरूर फिट कर दिया जाएगा। सुरेश सोनी की नारजगी इसलिए भी बढ़ी थी, क्योंकि कार्यकारिणी से एक पहले यानी सोमवार रात को दिल्ली के सफदरजंग स्थित एक फार्म हाउस में उनकी बीजेपी प्रेजिडेंट नितिन गडकरी से हुई मीटिंग में उन्होंने अपने कुछ लोगों की सिफारिश की थी, जिस पर नानुकर करने के बाद गडकरी सीधे नागपुर पहुंच गए और संघ प्रमुख से अपनी बात मनवाने में सफल हुए। सोनी के बाद पार्टी से रूठने वालों नें शाहनवाज हुसैन प्रमुख है। पार्टी में महासचिव पद के ललालित हुसैन को सिर्फ सचिव पद ही संतोष करना पड़ा है। सूत्रों के अनुसार शाहनवाज को बीजेपी तो अहम जिम्मेदारी देना चाहती थी, लेकिन वह आरएसएस का शिकार बने। संघ प्रमुख के साफ तौर पर हुसैन को बीजेपी के लिए अनुपयोगी करार देते हुए उन्हें पार्टी और मुसलमानों के बीच एक निष्फल सेतु बताया था। पार्टी से नाराज लोगों की गिनती अभी दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जाएगी। मध्यप्रदेश बीजेपी से राज्यसभा पहुंचे अनिल दवे, बिजनसमैन ए.अग्रवाल आदि भी पार्टी कार्यकारिणी का हिस्सा न बनने के कारण काफी निराश हुए हैं। वैसे पूर्व उपाध्यक्ष बाल आप्टे भी इस बार कार्यकारिणी से बाहर है, लेकिन उनके समर्थकों का कहना है कि उन्होंने संघ प्रमुख के उस बयान का समर्थन किया है कि पार्टी की बागडोर अब यंग ब्रिगेड के हाथ हो। बाल आप्टे वैसे भी पहले से बीजेपी में अपने अलग और स्पष्ट निर्णयों के चलते जाने जाते हैं।

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