Monday, March 22, 2010

अमेरिकी दौरे में सरेंडर न करें पीएम : बीजेपी

बीजेपी ने पाकिस्तान की ओर अमेरिकी झुकाव की तरफ यूपीए सरकार का ध्यान खींच
ा है और उम्मीद जताई है कि अप्रैल में होने वाले वॉशिंगटन शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की यात्रा शरम-अल-शेख जैसे शर्मनाक समर्पण का उदाहरण नहीं बनेगी। बीजेपी ने पाकिस्तान के साथ भारत जैसी अमेरिकी डील पर भी गंभीर चिंता जताई और कहा कि अमेरिका पाकिस्तान को आतंकवाद से ग्रस्त भारत के समकक्ष ही रख रहा है। जबकि अमेरिका मानता रहा है कि पाकिस्तान बिना भरोसे का ऐटमी देश है, जो परमाणु प्रसार का अगुआ है और नॉन स्टेट ऐक्टरों द्वारा एटमी हथियारों का चोरी छिपे निर्यात करता है। संघ के मुखपत्र पांचजन्य के पूर्व संपादक तरुण विजय ने बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बनने के बाद पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भारत के वास्तविक भय को दूर करने के लिए कोई कदम उठाए बिना अमेरिका ने पाकिस्तान को खुले हाथ से धन बांटने में कोई कमी नहीं की है। भारत को शंका है कि अमेरिकी धन को आतंकवादी गुट भारत विरोधी गतिविधियों में इस्तेमाल कर रहे हैं। प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका पर्दे के पीछे पाकिस्तान के साथ सक्रिय है। पिछले दशक में अमेरिका ने तालिबान और अल कायदा से लड़ने के लिए पाकिस्तानी सेना को सीधे 12 अरब डॉलर दिए। ऐसे में ओबामा प्रशासन को सुनिश्चित करना चाहिए कि ये डॉलर उन आतंकवादी हाथों में न पड़ें, जो भारत के विरुद्ध सक्रिय हैं। अमेरिका भारत को आश्वस्त करे कि वह इस्लामाबाद को दी जा रही अपनी सहायता को सख्ती से मॉनिटर कर रहा है। प्रवक्ता तरुण विजय ने आरोप लगाया कि अमेरिका ने भारत के विरुद्ध आतंकवादी गुटों को पाकिस्तान के समर्थन पर तो कोई चिंता नहीं व्यक्त की, जबकि पश्चिमी मोर्चे पर ही सारा ध्यान केंद्रित रखा। आतंक के खिलाफ अमेरिका का यह दोगलापन वास्तव में भारत को पाकिस्तान आधारित और समथिर्त आतंकवादी गुटों के समक्ष कमजोर बना रहा है लेकिन यह भारत की लड़ाई है। ओबामा अपने देश के राष्ट्रपति हैं और अमेरिकी हितों का भारत को पिछलग्गू नहीं बनना चाहिए। प्रस्तावित सिविल लिबर्टी फॉर न्यूक्लियर डैमेज बिल एक अन्य उदाहरण है जिसमें भारत में शासन करने वाली पार्टी अमेरिकी दबाव में भारत के हितों के विरुद्ध काम कर रही है।


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