Tuesday, March 2, 2010

गृह मंत्रालय के 'ऑपरेशन' की चिदंबरम योजना

नई दिल्ली। अमेरिकी तर्ज पर भारत की आंतरिक सुरक्षा को चाक चौबंद बनाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने अपने मंत्रालय के 'ऑपरेशन' की योजना बना ली है। चिदंबरम ने गृह मंत्रालय के पुनर्गठन के लिए जो योजना बनाई है उसके क्रियान्वयन होते ही जहां राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) की ताकत कम होगी। वहीं खुफिया एजेंसी आईबी के भी कई अधिकार छिन जाएंगे। आतंकवाद और नक्सली समस्या सहित देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बने तत्वों का मुकाबला करने के लिए नेशनल काउंटर टेरेरिज्म सेंटर (एनसीटीसी) नया शक्तिशाली केंद्र होगा। यह तब होगा जब चिदंबरम की इस महत्वाकांक्षी योजना को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह स्वीकार करेंगे। फिलहाल चिदंबरम ने गेंद प्रधानमंत्री के पाले में डाल दी है। चिदंबरम का एनसीटीसी का प्रस्ताव अमेरिका से खासा प्रभावित है। अमेरिका ने अपने यहां विमानों से हुए आतंकी हमले के बाद खुफिया सूचनाएं एकत्र करने और आतंकी हमले की चेतावनी देने के लिए एनसीटीसी और डिमार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्युरिटी का गठन किया था। इस बदलाव से अमेरिका के सुरक्षा तंत्र पर व्यापक असर हुआ है। अमेरिका की खुफिया और दूसरी सुरक्षा एजेंसियां बेहतर ढंग से आतंकवाद और दूसरे खतरों का मुकाबला कर पा रही हैं। मुंबई पर हुए आतंकवादी हमले के बाद गृह मंत्रालय की कमान संभालने वाले चिदंबरम की योजना भी कुछ अमेरिकी तर्ज पर है। इस योजना के क्रियान्वयन के लिए चिदंबरम गृह मंत्रालय के कामकाज का नए सिरे से बंटवारा चाहते हैं। वह मंत्रालय के उन तमाम विभागों को अलग कर देना चाहते हैं जिनका आंतरिक सुरक्षा से कोई लेना देना नहीं है। मसलन- भाषा, स्वतंत्रता सेनानियों के कल्याणर्थ योजना और जनगणना जैसे काम भी गृह मंत्रालय करता है।उनकी रणनीति है कि जिस प्रकार से आतंकवाद और नक्सलवाद की समस्या नए रूप और नई चुनौतियों में सामने आ रही है उसके मुकाबले के लिए अब गृह मंत्रालय के कामकाज में भी व्यापक फेरबदल की जरूरत है। एनसीटीसी के गठन का प्रस्ताव चिदंबरम की इस रणनीति से निकली नई योजना है। एनसीटीसी हर तरह के आतंक का मुकाबला करेगा। बात चाहे जम्मू-कश्मीर में सीमापार से संचालित हो रहे आतंकवाद की हो या फिर माओवादी हिंसा की या फिर मामला उड़ीसा में पिछले दिनों हुए धार्मिक उन्माद का हो। एनसीटीसी के मुख्य रूप से तीन काम होंगे। एक आतंकी हमलों को रोकना, जांच करना और जवाबी कार्रवाई करना। इसका प्रभारी पुलिस या सेना का कोई अधिकारी होगा। एनसीटीसी गृह मंत्रालय का सबसे शक्तिशाली अंग होगा।एनसीटीसी के गठन से सबसे ज्यादा नुकसान आईबी को होगा, क्योंकि अभी तक आतंकवाद जैसी समस्या का मुकाबला एक तरह से आईबी पर निर्भर करता है इस बदलाव के बाद पूरी कमान एनसीटीसी के हाथ में दी जाएगी। एनसीटीसी की जरूरत इसलिए भी महसूस हो रही है, क्योंकि आतंकी संगठनों और माओवादियों के बीच सांठगांठ की खबरें भी सामने आ रही हैं। कानून व्यवस्था का मामला राज्य के अधीन है। लिहाजा बिना राज्य की अनुमति के केंद्र की कोई भी सुरक्षा एजेंसी सीधे ऐसे मामलों में दखल नहीं दे सकती। चिदंबरम आंतरिक सुरक्षा के लिए इसे सबसे बड़ी बाधा मानते हैं, लिहाजा एनसीटीसी के जरिए चिदंबरम गृह मंत्रालय और देश की आतंरिक सुरक्षा की चाल-ढाल बदलना चाहते हैं।

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