सबको साथ लेकर चलने व काम का सम्मान करने के बड़े दावों के साथ भाजपा की कमान संभालने वाले नितिन गडकरी को पहले ही मोर्चे पर जोर का झटका लगा है। उन्होंने दो दिन पहले अपनी जो टीम घोषित की, उसे लेकर बिहार से महाराष्ट्र और कर्नाटक से उत्तराखंड तक असंतोष मुखर है। बिहार की उपेक्षा व महाराष्ट्र को प्रमुखता देने का विवाद गहराने के बाद बिहार के दो प्रमुख नेताओं - राधामोहन सिंह व नंदकिशोर यादव - को जल्द ही टीम में शामिल करने की घोषणा कर दी जाएगी। दक्षिण की नाराजगी दबाने के लिए इंद्रसेन रेड्डी को भी शामिल किया जाएगा। पिछले कुछ समय से लगातार घमासान झेल रही भाजपा में करीब तीन माह से शांति थी। नेता चुपचाप गडकरी की टीम का इंतजार कर रहे थे। टीम सामने आते ही पार्टी में मनभेद व मतभेद फिर से गहरा गए हैं। टीम में सबसे ज्यादा 28 नेता महाराष्ट्र से हैं। इसके बावजूद लोकसभा में उप नेता गोपीनाथ मुंडे अपने समर्थकों के छूट जाने से खफा हैं। मुबंई से वाणी त्रिपाठी व साइना एनसी को लेना, लेकिन पूनम महाजन का न होना केंद्रीय नेताओं को भी अखरा है। केंद्रीय कार्यालय के प्रमुख श्याम जाजू का नाम भी टीम से नदारद है। नई टीम से मराठी व बिहारी का विवाद गहराया है। बिहार के नेता महाराष्ट्र को ज्यादा तरजीह देने का सवाल उठा ही रहे हैं, बिहार में विधानसभा चुनाव के बावजूद वहां के नेताओं को कम महत्व देने का सवाल भी खड़ा कर रहे हैं। प्रदेश राजग के अध्यक्ष नंदकिशोर यादव व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राधामोहन सिंह टीम में नहीं हैं, जबकि दिल्ली व उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष कार्यकारिणी में हैं। सूत्रों के अनुसार यह विवाद उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद गडकरी बिहार से इन दोनों नेताओं के साथ-साथ चद्रंमोहन राय और आंध्र प्रदेश से इंद्रसेन रेड्डी को कार्यकारिणी में शामिल करने जा रहे हैं। नई टीम में रविशंकर प्रसाद को महासचिव के साथ मुख्य प्रवक्ता बनाया जाना बाकी प्रवक्ताओं को रास नहीं आया है। पिछली टीम में प्रसाद के साथ राजीव प्रताप रूडी व प्रकाश जावडेकर भी प्रवक्ता थे, लेकिन नई टीम में वे प्रसाद के जूनियर हैं। शाहनवाज हुसैन राजग सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। वह इस बार महासचिव पद के दावेदार थे। उन्हें प्रवक्ता बनाया गया है। वह यह जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं बताए जाते हैं। सूत्रों के अनुसार रामलाल व विनय सहस्त्रबुद्धे से अपनी नाराजगी जताते हुए शाहनवाज ने खुद को प्रवक्ता पद से मुक्त रखने की मांग की है। नाराजगी के चलते ही वह दिल्ली में होने के बावजूद विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज व अरूण जेटली की पत्रकार वार्ता से दूर रहे और गुरूवार को पटना में महंगाई के विरोध में आयोजित रैली में भाग लेने भी नहीं गए। रूडी भी इन दोनों कार्यक्रमों में नहीं दिखे। बिहार के वरिष्ठ नेता सी.पी. ठाकुर भी पदाधिकारी न बनाए जाने से नाराज है। बिहारी बाबू व पूर्व केंद्रीय मंत्री शत्रुघ्न सिन्हा ने तो दो टूक कह भी दिया है कि गडकरी की टीम में कई नेताओं की उपेक्षा हुई है। उन्होंने इस बारे में यशवंत सिन्हा का नाम भी लिया है। नई दिल्ली में पूर्व अध्यक्ष हर्षवद्र्धन और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खंडूड़ी भी गडकरी की टीम में पदाधिकारी न बनाए जाने से खफा हैं। राज्य में अपने समकक्ष भगत सिंह कोश्यारी को उपाध्यक्ष बनाए जाने से खंडूड़ी का दर्द बढ़ा है।
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