जयपुर। विधानसभा में बुधवार को गृहमंत्री शांति धारीवाल और भाजपा विधायक हनुमान बेनीवाल के बीच हुई तनातनी के बाद जोरदार हंगामा हुआ। सदन की कार्यवाही तीन बार स्थगित हुई, बेनीवल को सत्र की शेष अवधि के लिए सदन से निलम्बित कर दिया गया और हंगामे के बीच ही पेयजल और सिंचाई की अनुदान मांगें बिना चर्चा के पारित हो गई।
यूं शुरू हुआ मामलाशून्यकाल में हनुमान बेनीवाल ने अपने स्थगन प्रस्ताव पर बोलते हुए कहा कि सरकार शराब संस्कृति को बढावा दे रही है और शराब ठेकेदारों के 55 करोड रूपए माफ कर दिए गए हैं। इसके बाद उन्होंने भ्रष्टाचार का एक आरोप भी लगाया। संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने उत्तेजित हो कर आपत्ति करते हुए कहा कि प्रतिपक्ष के विधायक रोज बिना नोटिस इस तरह के आरोप लगा रहे हैं। यह अच्छी बात नहीं है। इस पर रोक लगनी चाहिए। इस पर बेनीवाल भी उत्तेजित हो गए और बोले कि गृहमंत्री उन्हें डराने की कोशिश कर रहे हैं।
लेकिन वे चुने हुए विधायक हैं और किसी से डरेंगे नहीं। उन्हें सरकार ने जिता कर नहीं भेजा है। इस पर धारीवाल ने कहा कि वे भी किसी से डरते नहीं हैं और इस तरह भाषा सुनने के आदी नहीं है। इतना सुनते ही बेनीवाल उत्तेजित हो कर वैल में आ गए और कुछ बोलने लगे। प्रतिपक्ष के सदस्यों ने उन्हें समझाने की कोशिश भी की, लेकिन वे नहीं माने।
इस पर सत्ता पक्ष के सदस्य अपने स्थान छोड कर वैल के किनारे आ गए और बेनीवाल को सदन से बाहर करने की मांग करने लगे। इनमें कई मंत्री भी शामिल थे। करीब 20 मिनट तक हंगामा चलता रहा। तीन बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पडी। स्थिति काबू में आई तो सभापति सुरेन्द्र जाडावत ने कहा कि सदन चलाने की जिम्मेदारी दोनों पक्षों की है, इसलिए दोनों पक्ष अपने विधायकों को समझाएं।
जलदाय मंत्री को घेराकरीब 3.40 बजे जब सदन फिर जुडा, तो हंगामा फिर हुआ और हंगामे के बीच ही हनुमान बेनीवाल को सत्र की शेष अवधि के लिए निलम्बित करने का प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित हो गया। इस प्रस्ताव पर प्रतिपक्ष ने मत विभाजन की मांग भी की। इस बीच प्रतिपक्ष के सदस्य वैल में आ गए। सभापति जब मांगें पारित कराने लगे, तो प्रतिपक्ष के सदस्य जलदाय मंत्री महिपाल मदेरणा को घेरने लगे।
सदन में धक्का-मुक्की की स्थिति बन गई। गृहमंत्री शांति धारीवाल को लगा कि प्रतिपक्ष के सदस्य मंत्री से कागज छीन सकते हैं, इसलिए वे स्वयं मदेरणा के पास आ गए। इस बीच सदन में सुरक्षा कर्मी भी आ गए और मंत्री तथा सभापति को घेर कर खडे हो गए। अनुदान मांगे हंगामे के बीच ही पारित हो गर्ई। इस पर भी प्रतिपक्ष ने मत विभाजन की मांग की, लेकिन सभापति ने सदन की कार्रवाई गुरूवार तक के लिए स्थगित कर दी।
तिवाडी ने गलत मानासदन शांत हुआ तो भाजपा के उपनेता घनश्याम तिवाडी ने कहा, जो हुआ गलत हुआ। बिना आधार न तो आरोप लगने चाहिए और न ही इस तरह वैल में आना चाहिए। मामला कुछ शांत होने लगा था, इसी बीच सरकारी मुख्य सचेतक वीरेन्द्र बेनीवाल हनुमान बेनीवाल को सत्र की शेष अवधि से निलम्बित करने का प्रस्ताव ले आए, तो हंगामा फिर शुरू हो गया। प्रतिपक्ष के सदस्य वैल में आ कर नारेबाजी करने लगे और सभापति ने सदन की कार्यवाही एक घण्टे के लिए स्थगित कर दी। इसके बाद सदन की कार्यवाही लगातार तीन बार डेढ घण्टे के लिए स्थगित हुई।
-मेरा निलम्बन अलोकतांत्रिक है। मैंने किसी का नाम लेकर आरोप नहीं लगाया। गृह मंत्री ने असंसदीय भाषा का प्रयोग किया। भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलता रहूंगा। -हनुमान बेनीवाल, निलम्बित विधायक
विपक्ष आक्रामक मूड मेंजयपुर। भाजपा ने अपने विधायक हनुमान बेनीवाल के निलम्बन के बाद आक्रामक रूख अख्तियार कर लिया है। विपक्ष ने गुरूवार को प्रश्नकाल से ही यह मुद्दा उठाने की रणनीति तैयार की है। बुधवार को सदन की बैठक स्थगित होने के बाद भाजपा विधायक दल की बैठक उपनेता घनश्याम तिवाडी की अध्यक्षता में हुई। इसमें बेनीवाल के निलम्बन के खिलाफ लडाई लडने का निर्णय हुआ और गृह मंत्री शांति धारीवाल की निंदा की गई। गुरूवार को सदन की बैठक से पहले भाजपा विधायक दल की बैठक फिर होगी। इसमें व्यूहरचना को अंतिम रूप दिया जाएगा।
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