Tuesday, June 30, 2009

बाबरी विध्वंस के लिए फांसी चढ़ने को तैयार हूं: उमा

विवादास्पद बाबरी ढांचे के विध्वंस मामले में लिब्रहान आयोग की जांच रिपोर्ट आने के बाद भारतीय जन शक्ति पार्टी (बीजेएस)की अध्यक्ष उमा भारती ने कहा है कि वह इसकी जिम्मेदारी लेने को तैयार हैं। उन्होंने अपने घर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि एक अच्छे सेनापति की तरह वह बाबरी ढांचा को ढहाने की जिम्मेदारी लेने को तैयार हैं और इसके लिए उन्हें फांसी भी हो जाए तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं है। अपने गठन के करीब 17 साल बाद लिब्रहान आयोग द्वारा मंगलवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पेश की गई जांच रिपोर्ट को लेकर उन्होंने कहा कि इसे मुसलमानों को खुश करने के लिए लाया गया है, जबकि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली में कांग्रेस नेताओं के इशारे पर 20 हजार सिखों को जिंदा जलाने वाले अपराधी अब तक यूपीए सरकार को नहीं मिल पाए। लेकिन इसके जरिए वे हम लोगों को शरारतन अपराधी सिद्ध करना चाहते हैं। उमा ने कहा कि 6 दिसंबर 1992 को तत्कालीन नरसिंहराव सरकार द्वारा शिलान्यास स्थल पर कोई कारसेवा शुरू नहीं करने का आदेश जारी करने के बाद वहां मौजूद 5 लाख से अधिक लोगों के हुजूम को नियंत्रित करना किसी के वश में नहीं था। हालांकि हम सबने विवादित ढांचा नहीं तोड़ने की अपील की, इसके बावजूद जो हुआ अचानक हुआ। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वर्ष 1992 में एक से 7 दिसंबर तक वह अयोध्या में ही थीं और 6 दिसंबर को सारा दिन घटनास्थल के पास बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेताओं व दुनिया भर के मीडिया के साथ मौजूद थीं। उन्होंने कहा कि वह विवादास्पद ढांचे के विध्वंस के लिए क्षमा नहीं मांगेंगी और उन्होंने बीजेपी नेताओं से भी अपील की कि वे इसके लिए क्षमा नहीं मांगे क्योंकि अयोध्या में उस दिन हमने ही लोगों को आमंत्रित किया था और हमारे आह्वान पर पहुंची भीड़ ने जो किया उसकी जिम्मेदारी हमें लेना चाहिए।

अन्नाद्रमुक विधायक सदन से बेदखल

श्रीलंकाई तमिल मुद्दे पर एक बार फिर मंगलवार को सदन में हंगामा करने का प्रयास करने वाले प्रतिपक्षी दलों के विधायकों को सदन की कार्रवाई में बाधा डालने के कारण विधानसभा अध्यक्ष आर. आवुडैअप्पन ने सदन से बेदखल कर दिया। उन्हे बाहर निकाल दिए जाने के बाद अन्नाद्रमुक के सहयोगी दलों पीएमके और एमडीएमके के विधायकों ने विधानसभा से वाकआउट कर दिया। प्रशनकाल समाप्त होने के तत्काल बाद सभी अन्नाद्रमुक विधायक श्रीलंकाई तमिलों की सुरक्षा में सरकार को विफल बताते हुए नारेबाजी करते हुए खड़े हो गए। उन्होंने इस विफलता के लिए अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में श्रीलंका के खिलाफ मामला दर्ज करवाने के साथ-साथ राज्य सरकार और मुख्यमंत्री करूणानिघि की बर्खास्तगी की मांग की।उनकी लगातार चल रही नारेबाजी के बीच मुख्यमंत्री करूणानिघि ने हस्तक्षेप करते हुए विधानसभा अध्यक्ष से उन्हें सदन से निष्कासित करने की मांग करते हुए कहा कि विपक्षी दल के विधायक विधानसभा की कार्रवाई को बाघित कर रहे हैं। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष आर. आवुडैअप्पन ने विधानसभा के वार्ड एवं वॉच कर्मचारियों को अन्नाद्रमुक के विधायकों को सदन से बाहर करने का आदेश दिया। कर्मचारियों ने सदन में प्रवेश कर अन्नाद्रमुक विधायकों को जबरदस्ती सदन से बाहर निकाल दिया। उनकी बर्खास्तगी और श्रीलंकाई तमिलों के मुद्दे पर विपक्षी दलों को बोलने का अवसर न देने के लिए विधानसभा अध्यक्ष की निंदा करते हुए पीएमके और एमडीएमके विधायकों ने भी सदन से वाकआउट कर दिया। इन सबके बीच विधानसभा अध्यक्ष ने अन्नाद्रमुक विधायक एस.वी.शेखर जो अपनी पार्टी के विधायकों के साथ नारेबाजी का हिस्सा नहीं बनें, को विशेष ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के दौरान बोलने की विशेष्ा अनुमति दे दी। शेखर ने इस दौरान कई मुद्दे उठाए।

आरोप की होगी जांच

एक केन्द्रीय मंत्री पर मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश आर.रघुपति के आरोप से सकते में आई केन्द्र सरकार ने मामले की जांच कराने की घोषणा की है। भाजपा ने घेरे में आए मंत्री को हटाने की मांग कर डाली है। न्यायाधीश रघुपति ने आरोप लगाया था कि उक्त मंत्री ने फर्जी मार्कशीट के मामले में आरोपी को जमानत देने के लिए फोन करके दबाव डाला था।केन्द्रीय विधि मंत्री वीरप्पा मोइली ने मंगलवार को पत्रकारों से कहा कि कि वे इस मामले की जांच कराएंगे। उसके बाद ही वे कोई बात कहेंगे। हालांकि, उन्होंने कहा कि आमतौर पर न्यायालयीन प्रक्रिया या किसी न्यायाधीश की प्रतिक्रिया के बारे में दखल नहीं देती। इन मामलों को देखना न्यायपालिका का ही काम है।उधर भाजपा ने मंत्री का इस्तीफा मांगने में देर नहीं लगाई। पार्टी प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के आरोप बेहद गम्भीर हैं। प्रधानमंत्री को इन आरोपों की जांच करानी चाहिए और दोषी मंत्री को हटाकर उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।यह आरोप लगायामद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश आर. रघुपति ने सोमवार को अदालत में कहा था कि फर्जी अंकपत्र से जुड़े एक मामले में एक केन्द्रीय मंत्री ने उन पर दबाव बनाने की कोशिश की। मंत्री ने सिफारिश की थी कि इस मामले में आरोपी बनाए गए मेडिकल छात्र और उसके डॉक्टर पिता को अग्रिम जमानत दे दी जाए। हालांकि, न्यायाधीश ने मंत्री का नाम उजागर नहीं किया था।यह है मामला मामला पुडुचेरी के अरूबादाई वीडु मेडिकल कॉलेज के छात्र एस.किरूबा श्रीधर और उसके डॉक्टर पिता सी.कृष्णमूर्ति से जुड़ा है। सीबीआई ने इन दोनों के खिलाफ दलाल और पॉण्डिचेरी विश्वविद्यालय के एक अधिकारी की मदद से असली उत्तर पुस्तिका बदलवा कर अंक बढ़वाने का मामला दर्ज किया है।

रिपोर्ट सामने आए, दोषियों को सजा मिले : माया

करीब साढ़े सोलह साल बाद जिन्न बोतल से बाहर है। लिबरहान कमिशन की रिपोर्ट आने से एक बार फिर अयोध्या के विवादित स्थल के साथ ही लालकृष्ण आडवाणी का नाम भी सुर्खियों में आ गया है। विपक्षी दलों के प्रहार के बाद भी बीजेपी के दिग्गज इसे फिर से राम मंदिर के स्वाभिमान से जोड़कर माहौल को अपने हक में मोड़ने की कोशिश करेंगे। इस बीच, यूपी की मुख्यमंत्री मायावती ने कमिशन की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने और दोषियों को दंड दिलाने की मांग करते हुए अल्पसंख्यकों को यह भी याद दिलाया है कि उस समय लखनऊ में बीजेपी और दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी। मायावती ने भी नई रणनीति के तहत बीजेपी के साथ कांग्रेस को पूरी तरह लपेटने में कोई गुरेज नहीं किया। लिबरहान कमिशन की रिपोर्ट आते ही मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि अयोध्या के विवादित ढांचे को ध्वस्त करने की जांच के नाम पर गठित लिबरहान कमिशन की रिपोर्ट आने में इतनी देरी समझ से परे है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट सार्वजनिक हो। दोषियों को दंड मिले। इसमें कोई दो-राय नहीं कि संघ परिवार इस मुद्दे को अब अपने हक में घुमाने का पूरा इंतजाम करेगी। लालकृष्ण आडवाणी की यूपी में अब रोजाना 10 बैठकें लगाने की तैयारी भी शुरू की जा रही है। कमिशन की जद में आए मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, अशोक सिंघल और अन्य दिग्गजों के दौरे भी लगाने की कवायद शुरू हो गई है। इसे सीधे लिबरहान कमिशन से जोड़कर देखा जा सकता है। जिसका असर इंडिया के अंदर स्वाभाविक रूप से पड़ना है। बीजेपी अपने दिग्गजों को हीरो के रूप में पेश करके उसका लाभ आगामी यूपी के असेंबली इलेक्शन में उठाना चाहती है। रिपोर्ट आने के बाद बीजेपी और संघ परिवार के तटस्थ लोगों का मानना है कि इस मसले पर जितना ज्यादा हंगामा मचेगा, उतना ही बीजेपी को लाभ मिलेगा तथा आडवाणी का ग्राफ फिर से ऊंचाई की ओर जा सकता है। बशतेर् खुद आडवाणी या इसी कद के कोई नेता से चूक न हो जाय। संयोग से कल्याण सिंह और मुरली मनोहर जोशी भी लोकसभा के लिए चुने जा चुके हैं और ऐसे में कल्याण सिंह का अगला रोल ही आडवाणी के राजनीतिक ग्राफ को ऊपर-नीचे कर सकता है। कमिशन की रिपोर्ट के बाद अयोध्या की सुरक्षा और तगड़ी कर दी गई है। साथ ही अयोध्या का नाम फिर देश-विदेश की निगाह में आ गया है।

कांग्रेस हुई हमलावर

लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट पेश होते ही कांग्रेस ने भाजपा पर हमलावर तेवर अपना लिए हैं। दिग्विजय सिंह ने एक धक्का और दो नारे के तब लगाए गए नारे का हवाला देते हुए लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और विनय कटियार को कठघरे में खड़ा किया, वहीं मनीष तिवारी ने दो टूक कह दिया कि सरकार आयोग की सिफारिश के आधार पर कार्रवाई तय करने में कोई कोताही नहीं बरतेगी। आयोग की रिपोर्ट पेश होते ही राजनीति गरमा गई है। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि यह सबको मालूम है कि आडवाणी, जोशी, उमा और कटियार जैसे महत्वपूर्ण नेता मस्जिद गिराने के समय घटनास्थल पर मौजूद थे। ध्वस्त करने वाले दस्ते को वह लोग नारा लगाकर उकसा भी रहे थे। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि आयोग की रिपोर्ट देखने के बाद सरकार तय करेगी कि उनमें किस पर कार्रवाई की जानी चाहिए।

लिब्राहन रिपोर्ट पर भाजपा बोली "जय श्रीराम"

बाबरी ढांचा विध्वंस मामले की जांच के लिए गठित लिब्राहन आयोग ने सत्रह साल बाद अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी। इस मामले में नेता प्रतिपक्ष लालकृष्ण आडवाणी और वरिष्ठ सांसद मुरली मनोहर जोशी समेत भाजपा के कई धुरंधर और पूर्व संघ प्रमुख सुदर्शन भी आरोपी हैं, इसलिए पूरे संघ परिवार के लिए यह रिपोर्ट और इसके पेश करने का समय काफी महत्वपूर्ण है। लोकसभा चुनाव में हार के बाद आंतरिक कलह से बिखरती भाजपा के लिए यह रिपोर्ट एक और मुसीबत बन सकती है। यही कारण है कि विपक्षी पार्टी ने कुछ बोलने से पहले रिपोर्ट देख लेने की बात कही। इसी के साथ केंद्र को घेरने की रणनीति के तहत फिर जय श्री राम का नारा बुलंद करते हुए मांग की कि देश के करोड़ों हिन्दुओं की इच्छा है कि अब आयोध्या में भव्य मंदिर का निर्माण हो जाना चाहिए।भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह और संघ नेता राम माधव ने अलग-अलग प्रतिक्रियाओं में समान बातें कहीं। दोनों का कहना था कि लिब्राहन आयोग की रिपोर्ट अभी सार्वजनिक नहीं हुई है। इसे देखने के बाद ही निष्कर्षो पर बात की जा सकेगी लेकिन जहां तक इस मामले में आरोपी बनाए गए आडवाणी, जोशी अथवा सुदर्शन की पेशी और आयोग को सहयोग देने का सवाल है तो इन लोगों ने अपनी ओर से कोई कमी नहीं रहने दी।अलबत्ता राजनाथ ने रिपोर्ट पेश करने में लगे सत्रह साल की अवधि को बहुत लंबा बताया तो राम माधव ने बहरी आयोग का हवाला देते हुए कहा कि 1993 में उसने बाबरी ढांचा विध्वंस में संघ परिवार की भूमिका नकार दी थी। माधव ने यह भी कहा कि बाबरी ढांचे का विध्वंस भीड़ ने किया था इसके लिए किसी व्यक्ति को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।बाद में, भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने नियमित प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि लिब्राहन आयोग ने भाजपा के जिन नेताओं को भी बुलाया वे पेश हुए और उसे पूरा सहयोग दिया। आडवाणी तब उपप्रधानमंत्री थे लेकिन आयोग के सामने पेश हुए और पूरे सप्ताह भर उनकी गवाही हुई। इसी तरह पूर्व केंद्रीय मंत्री जोशी हर बार बुलाने पर आयोग के समक्ष हाजिर हुए। इन लोगों ने विस्तार से अपना पक्ष रखते हुए आयोग को बताया कि उन्होंने इस बात की पूरी कोशिश की थी कि बाबरी ढांचा ढहाया न जा सके लेकिन भीड़ ने अनसुना कर दिया। सब कुछ रिपोर्ट में दर्ज है। भाजपा की मांग है कि सरकार इस पर कार्रवाई रिपोर्ट जल्द तैयार कर इसे संसद में पेश करे ताकि व्यापक बहस हो सके। उसकी यह अपेक्षा भी है कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण किया जाए। रविशंकर ने लगे हाथ भाजपा पर दोहरेपन का आरोप मढ़ने वाले कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह को खरी-खोटी भी सुनाई। कहा, रिपोर्ट संसद में रखने से पहले ही साजिश शुरू हो गई। इस बीच एक बड़े भाजपा नेता ने टिप्पणी की कि पार्टी पहले से मुसीबतों में घिरी हुई है। ऎसे में यह रिपोर्ट आ गई। खैर, अच्छा है कि सभी मुसीबतों से एक साथ पार हो जाएंगे।

Monday, June 29, 2009

मायावती के खिलाफ चार्जशीट शीघ्र

आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ सीबीआई शीघ्र ही चार्ज शीट दाखिल करेगी। सीबीआई ने इस सिलसिले में ज्यादातर औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं। सीबीआई को इस मामले में शुरूआत में ही काफी दस्तावेज मिले थे, जो आय से अघिक सम्पत्ति का आरोप साबित करने के लिए पर्याप्त हैं। एजेन्सी ने जांच में पाया है कि आयकर विभाग में 05-06, 06-07 में मायावती द्वारा घोषित आय और वास्तविक आय में अन्तर रहा है। वष्ाü 2005 में मायावती ने अपनी आय 1.59 करोड़ घोषित की थी जबकि आयकर विभाग को उनकी आय 4.34 करोड़ मिली है। यही हाल 06-07 का रहा। मायावती ने इस अवधि में 2.45 करोड़ रूपए पर आयकर अदा किया जबकि उस समय उनकी वास्तविक आय 22 करोड़ रूपए थी।

कर्नाटक में नए राज्यपाल भारद्वाज ने ली शपथ

केन्द्र सरकार में विधि एवं न्याय मंत्री रह चुके वरिष्ठ कानून विशेषज्ञ हंसराज भारद्वाज ने सोमवार को यहां राज्य के सोलहवें राज्यपाल के तौर पर राजभवन में पदभार ग्रहण कियाराजभवन के ग्लास हाउस में आयोजित एक सादे समारोह में कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पी.डी. दिनकरन ने भारद्वाज को पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई। विधानसभा अध्यक्ष जगदीश शेट्टर, समारोह में मुख्यमंत्री बी.एस. येडि्डयूरप्पा, उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगी, कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, विधान परिषद के सभापति वीरण्णा मत्तिकट्टी के अलावा राज्य सरकार व राजभवन के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। केन्द्र में यूपीए सरकार के पुन: सत्ता में आने पर कर्नाटक सहित देश के कई राज्यों के राज्यपाल बदले गए हैं। पिछले 21 माह से कर्नाटक के राज्यपाल रहे रामेश्वर ठाकुर को मध्यप्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया है। ठाकुर ने रविवार को ही पदभार छोड़ा था उनके चले जाने के बाद खाली हुए पद पर भारद्वाज को शपथ दिलाई गई।इससे पहले मुख्यमंत्री बी.एस. येडि्डयूरप्पा, विधानसभाध्यक्ष जगदीश शेट्टर सहित कई मंत्रियों ने बियाल हवाईअड्डे पर जाकर उनकी अगवानी की। नेहरू-गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले भारद्वाज सर्वो“ा न्यायालय के वकील रह चुके हैं। वे विधि, न्याय व संसदीय कार्य राज्यमंत्री, योजना मंत्री एवं पिछली मनमोहन सिंह सरकार में विधि व न्याय मंत्री रहे। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के करीबी व बोफोर्स घोटाले के प्रमुख आरोपी ओटावियो क्वात्रोची के दो बैंक खातों पर लगी रोक हटाने, नवीन चावला के खिलाफ पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एन. गोपालस्वामी द्वारा की गई शिकायत को लेकर विवादास्पद बयानबाजी करने के कारण वे लगातार सुर्खियों में रहे। कांग्रेस आलाकमान ने पिछले लोसभा चुनाव में उनको टिकट नहीं दिया ना ही मंत्रिमंडल में ही उनको शामिल किया गया। लेकिन निष्ठावान कांग्रेसियों की उपेक्षा नहीं करने की बात ध्यान में रखकर उनको कर्नाटक का राज्यपाल नियुक्त कर दिया गया।बहरहाल, कानून के विशेषज्ञ व तेजतर्रार नेता कहलाने वाले हंसराज भारद्वाज की कर्नाटक के राज्यपाल पद पर नियुक्त को प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में येडि्डयूरप्पा सरकार की नकेल कसने की यूपीए सरकार की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।

नहीं झुके सरकार-भाजपा

भाजपा का मत है कि भारत ने अब तक राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखकर इन मसलों पर जो मजबूती दिखाई है उसे आगे भी जारी रखे अन्यथा कड़े विरोध का सामना करना होगा। पार्टी प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर के अनुसार, भाजपा डब्लूटीओ में सरकार के हर कदम पर नजर रखेगी।कृषि सब्सिडी में कटौती के लिए अमरीका की ओर से लगातार पड़ते दबाव का जिक्र करते जावडेकर ने कहा कि सरकार को किसी सूरत में घुटने नहीं टेकने चाहिए। यह मुद्दा तेरह करोड़ किसानों की रोजी-रोटी से जुड़ा हुआ है। खुद अपने किसानों को आठ बिलियन डालर तक की भारी सब्सिडी देने वाला अमरीका समान स्तर सुनिश्चित किए बगैर भारतीय बाजार में प्रवेश की खूली छूट चाहता है। आने वाले दिनों में उसकी योजना अपने किसानों की सब्सिडी में इजाफा कर 15 बिलियन डालर तक करने की है। सरकार को चाहिए कि वह दो-टूक कहे कि अमरीका की यह स्थिति अस्वीकार्य है और आगे भी मंजूर नहीं किया जा सकता। अगर सरकार उसके दबाव में झुक जाती है तो भारतीय कृषि क्षेत्र को स्थायी नुकसान होगा और ज्यादा बड़ी संख्या में किसान आत्महत्या के लिए मजबूर हो जाएंगे।अटल बिहारी वाजपेयी नीत राजग सरकार के वाणिज्य मंत्री अरूण जेटली रहे हों या फिर पिछली सरकार के कांग्रेसी वाणिज्य मंत्री कमलनाथ, दोनों ने अपने कार्यकाल में राष्ट्रीय महत्व के इन मुद्दों के बारे में विश्व मंच पर कोई समझौता नहीं किया। तत्कालीन सरकारों के इस मजबूत रूख को सभी राजनीतिक दलों का समर्थन भी मिला लेकिन, मौजूदा वाणिज्य मंत्री इसे बातचीत की प्रगति में व्यवधान के रूप में पेश कर रहे हैं जो उचित नहीं। भाजपा चेतावनी देती है कि सरकार सर्वानुमति की पहले वाली स्थिति से हटी तो संसद के अंदर और बाहर आक्रोश झेलना पड़ेगा।

नहीं झुके सरकार-भाजपा

भाजपा का मत है कि भारत ने अब तक राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखकर इन मसलों पर जो मजबूती दिखाई है उसे आगे भी जारी रखे अन्यथा कड़े विरोध का सामना करना होगा। पार्टी प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर के अनुसार, भाजपा डब्लूटीओ में सरकार के हर कदम पर नजर रखेगी।कृषि सब्सिडी में कटौती के लिए अमरीका की ओर से लगातार पड़ते दबाव का जिक्र करते जावडेकर ने कहा कि सरकार को किसी सूरत में घुटने नहीं टेकने चाहिए। यह मुद्दा तेरह करोड़ किसानों की रोजी-रोटी से जुड़ा हुआ है। खुद अपने किसानों को आठ बिलियन डालर तक की भारी सब्सिडी देने वाला अमरीका समान स्तर सुनिश्चित किए बगैर भारतीय बाजार में प्रवेश की खूली छूट चाहता है। आने वाले दिनों में उसकी योजना अपने किसानों की सब्सिडी में इजाफा कर 15 बिलियन डालर तक करने की है। सरकार को चाहिए कि वह दो-टूक कहे कि अमरीका की यह स्थिति अस्वीकार्य है और आगे भी मंजूर नहीं किया जा सकता। अगर सरकार उसके दबाव में झुक जाती है तो भारतीय कृषि क्षेत्र को स्थायी नुकसान होगा और ज्यादा बड़ी संख्या में किसान आत्महत्या के लिए मजबूर हो जाएंगे।अटल बिहारी वाजपेयी नीत राजग सरकार के वाणिज्य मंत्री अरूण जेटली रहे हों या फिर पिछली सरकार के कांग्रेसी वाणिज्य मंत्री कमलनाथ, दोनों ने अपने कार्यकाल में राष्ट्रीय महत्व के इन मुद्दों के बारे में विश्व मंच पर कोई समझौता नहीं किया। तत्कालीन सरकारों के इस मजबूत रूख को सभी राजनीतिक दलों का समर्थन भी मिला लेकिन, मौजूदा वाणिज्य मंत्री इसे बातचीत की प्रगति में व्यवधान के रूप में पेश कर रहे हैं जो उचित नहीं। भाजपा चेतावनी देती है कि सरकार सर्वानुमति की पहले वाली स्थिति से हटी तो संसद के अंदर और बाहर आक्रोश झेलना पड़ेगा।

भाजपा विधायक निलंबित

सर्वदलीय बैठक में भाग नहीं लेने से नाराज विपक्षी भाजपा सदस्यों को विधानसभा में हंगामा किए जाने के कारण एक दिन के निलम्बन का दण्ड भोगना पड़ा। बैठक में कांग्रेस और बसपा विधायकोंके साथ-साथ दिल्ली जल बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे, जबकि भाजपा सदस्यों ने बैठक में भाग नहीं लिया।साथ नहीं चाहती सरकार-विपक्षमुख्यमंत्री दीक्षित ने इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर सरकार का समर्थन नहीं करने को लेकर विपक्ष की आलोचना की। उन्होंने कहा कि वे केवल सरकार की आलोचना करना जानते हैं। वे कोई समाधान नहीं चाहते। जबकि विपक्ष का कहना था कि उन्हें बैठक का बुलावा नहीं भेजा गया था। उनका आरोप था कि असल में सरकार विपक्ष को साथ लेकर नहीं चलना चाहती। भाजपा ने केंद्र सरकार को सलाह दी है कि वह विश्व व्यापार संगठन (डब्लूटीओ) में कृषि सब्सिडी में कटौती के मुद्दे पर अपने पुराने रूख पर कायम रहे और अमरीकी दबाव के आगे कतई न झुके। उसने आगाह किया है कि इस बार अमरीका समेत तमाम विकसित देश कृषि सब्सिडी के अलावा जलवायु परिवर्तन की स्थिति, फिसाइल मेटिरियल कटऑफ ट्रीटी और सीटीबीटी के संबंध में भारत को अपना रवैया बदलने के लिए भारी दबाव डालेंगे।

पानी बहाया तो लगेगा जुर्माना-शीला

राजधानी में पानी के गंभीर संकट के लिए खराब प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराते हुए दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने बर्बादी करने वालों पर जुर्माना लगाने का ऎलान किया है। इस बीच मानसून ने दिल्ली से बिल्कुल सटे इलाकों में दस्तक देकर दिल्लीवासियों, स्थानीय प्रशासन और सरकार में राहत की उम्मीद जगा दी है।सोमवार को दिल्ली के जल संकट के लिए सर्वदलीय बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा कि पानी की कोई कमी नहीं है लेकिन वितरण और प्रबंधन की समस्या के कारण परेशानी हो रही है। उन्होंने जल बोर्ड के अधिकारियों को पानी की बर्बादी पर निगरानी रखने की ताकीद की।सक्रियता बढ़ाएं अधिकारीमुख्यमंत्री ने कहा कि पानी के रिसाव को रोका जाए और पाइपलाइन की मरम्मत समेत देखभाल के अन्य कार्यो में सक्रियता बढ़ाई जाए। उन्होंने जनता को भरोसा दिलाया कि जल संबंधी परियोजनाओं के लिए धन की कमी नहीं रहेगी। इसके साथ उन्होंने वित्त मंत्री एके वालिया से जल संयंत्रों के लिए जल्द से जल्द कोष जारी करने के लिए कहा।

एमएनएस चीफ राज ठाकरे कोर्ट से मिली जमानत

बॉम्बे हाई कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के चीफ राज ठाकरे ने सोमवार को कल्याण की अदालत के सामने सरेंडर किया। बाद में कोर्ट ने उन्हें 1 लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी। उन्होंने 2008 में हुए दंगों से जुड़े मामले में सरेंडर किया, जिसमें रेलवे भर्ती बोर्ड की परीक्षा में शामिल होने आए उत्तर भारतीयों पर हमला किया गया था। सरेंडर के समय राज ठाकरे की पत्नी भी उनके साथ थीं। राज के वकील सयाजी नागरे ने बताया कि अदालत के सामने खुद को पेश करने के बाद उन्होंने एक आवेदन देकर कहा कि वह सरेंडर कर रहे हैं। बाद में राज ठाकरे ने जमानत के लिए आवेदन किया। कोर्ट ने उन्हें 1 लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी। हाई कोर्ट ने गत 16 जून को इसी मामले में निचली
अदालत द्वारा ठाकरे को दी गई अग्रिम जमानत को रद्द कर दिया था। हाई कोर्ट ने उनसे जून तक संबद्ध अदालत के सामने सरेंडर करने को कहा था। राज को दी गई अंतरिम अग्रिम जमानत के खिलाफ राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में अपील की थी। जस्टिस रेखा सुंदरबलदोता ने उल्लेख किया कि इस अवसर पर ठाकरे को हिरासत में रखकर पूछताछ की आवश्यकता नहीं है। राज्य सरकार के उस दावे को हाई कोर्ट ने बरकरार रखा, जिसमें कहा गया था कि कल्याण की सत्र अदालत द्वारा राज को अग्रिम जमानत देना बेकार हो चुका है क्योंकि उन्हें रेलवे पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। हाई कोर्ट ने इसके बाद राज को निचली अदालत से मिली अंतरिम राहत को निरस्त कर दिया।

बुतों पर करोड़ों का खर्चा शर्मनाक : चिदंबरम

केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने कहा है कि उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती द्वारा अपने बुतों पर करोड़ों रुपये का खर्च शर्मनाक है। उन्होंने पूछा- माया हाथी और अपने बुत स्थापित कराने में एक हजार करोड़ रुपये खर्च कर रही हैं, क्या इससे शर्मनाक कुछ हो सकता है? अपने शिवगंगा निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं का धन्यवाद व्यक्त करने के लिए आयोजित एक बैठक को संबोधित करते हुए रविवार रात गृहमंत्री ने कहा- प्रदेश में बुत किस इस्तेमाल के हैं। एक हजार करोड़ रुपयों से हजारों लोगों की गरीबी मिटाने मूलभूत सुविधाएं और शिक्षा मुहैया कराने में मदद मिल सकती थी।
यह उल्लेख करते हुए कि देश के लोगों ने जाति की राजनीति को खारिज कर दिया है। चिदंबरम ने कहा कि यह बिहार उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के मामले में भी सच है। 20 साल से चला आ रहा जातिगत प्रभाव खत्म हो गया है। उन्होंने कहा- जातिवाद की राजनीति कर रहे मुलायम सिंह जैसे लोगों को खारिज कर दिया गया। वहां लोगों ने जाति से हटकर सोचा और कांग्रेस को चुना जो जाति की राजनीति से ऊपर है और लोगों के लिए काम करती है।

Sunday, June 28, 2009

बचेंगे नहीं हार के जिम्मेदार

भोपाल। भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल का भोपाल दौरा प्रदेश भाजपा के धुरंधरों की जान सांसत में डाल गया। रामलाल ने लोकसभा चुनावों में प्रदेश में घटी पार्टी की साख और सीटों के लिए जिम्मेदार तय करने के संकेत दिए हैं और साथ ही इस ओर इशारा भी किया है कि हार के जिम्मेदार बच नहीं पाएंगे।पार्टी की दो दिवसीय प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक में भाग लेने के लिए रविवार को भोपाल पहुंचे रामलाल ने बैठक का उद्घाटन करने के बाद प्रदेश पदाधिकारियों से अलग-अलग भेंट की। उन्होंने हारे हुए दिग्गज नेताओं और पार्टी के पदाधिकारियों से "वन-टू-वन" बात भी की। हारे हुए नेताओं में पूर्व सांसद व प्रदेश उपाध्यक्ष चन्द्रमणि त्रिपाठी, प्रदेश महामंत्री नन्दकुमार सिंह चौहान व फग्गन सिंह कुलस्ते, मुकाम सिंह किराड़े, डॉ. लक्ष्मीनारायण पाण्डे शामिल हैं।रामलाल का कहना है कि वे आगामी दिनों में होने वाले संगठनात्मक चुनावों व सदस्यता अभियान से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के लिए आए थे, लेकिन सूत्रों का कहना है कि उन्होंने एक-एक पदाधिकारी से हार के कारणों व टिकट वितरण समेत चुनाव प्रबंधन से जुड़े कई मसलों पर बात की। आएंगे मिश्र और मुण्डे संवाददाताओं ने बातचीत के दौरान रामलाल से जब पूछा तो उन्होंने कहा कि प्रदेश के नतीजों के बारे में जो कुछ प्रदेश नेतृत्व ने मन्थन किया है, उसके अलावा भी केन्द्र से दो राष्ट्रीय नेता कलराज मिश्र व गोपीनाथ मुण्डे जुलाई के पहले पखवाड़े में मप्र आएंगे, और नेताओं से चर्चा करेंगे। लोकसभा चुनाव में कुछ नेताओं को रिपीट नहीं करने की जानकारी प्रदेश नेतृत्व द्वारा दिल्ली को दिए जाने के सवाल पर रामलाल ने कहा कि चर्चा की बहुत सारी बातों में यह भी शामिल था।इसकी समीक्षा की जा रही है। भाजपा में धर्मनिरपेक्षता का चेहरा सामने लाने की बातें उठ रही हैं, इस सवाल पर वे बोेले कि भारत पहले से ही धर्मनिरपेक्ष है। जो दल अपने आपको धर्मनिरपेक्ष साबित करने में जुटे हैं, उन पर ही संदेह होता है। चुनाव के दौरान अन्य दलों के नेताओं का भाजपा में आना पार्टी हित में रहा या नहीं, इस पर रामलाल ने कहा कि नया प्रयोग है। देखते हैं आगे क्या किया जाएगा। किसने क्या कहा"सदस्यता अभियान समेत कई अन्य बिन्दुओं पर बात की है। हार पर पहले ही बात हो चुकी है। इसके अलावा कोई टिप्पणी नहीं करूंगा।"- फग्गन सिंह कुलस्ते, प्रदेश महामंत्री व चुनाव हारे पूर्व सांसद"पूर्व सांसद छतरसिंह दरबार व जगदीश मुवैल के क्षेत्रों में पार्टी को हार मिली है। दरबार के लुनेरा सेक्टर में जहां 34 सौ वोट मिलते थे वहां 900 वोट का गडडा रहा। हार में निश्चित रूप से कमियां रहीं।"- मुकाम सिंह किराड़े, चुनाव हारे उम्मीदवार"पार्टी में जो कुछ चल रहा है वह ठीक नहीं है। मैं उसमें भागीदार नहीं। कुछ लोगों ने तो पार्टी .की प्राथमिक सदस्यता छोड़ने तक का सुझाव दे डाला है लेकिन जब तक जिन्दा हूं, पार्टी की सेवा करता रहूंगा। जहां तक कुछ चर्चा का सवाल है तो दिल्ली और प्रदेश के फोरम पर जब तक वे अपनी बात नहीं रख देते, मीडिया में नहीं बोलेंगे।"- डॉ. लक्ष्मीनारायण पाण्डे, पूर्व सांसद व चुनाव हारे उम्मीदवार

न्यायपालिका को पारदर्शी बनाने की जरूरत-पाटील

राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील ने न्यायिक व्यवस्था में सुधार के लिए न्यायपालिका को पारदर्शी, प्रभावी और जनोन्मुखी बनाने पर जोर दिया है। मुम्बई के निकट उत्तान में महाराष्ट्र न्यायिक अकादमी (एमजेए) का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रपति ने शनिवार को यह बात कही।उन्होंने कहा कि न्यायपçालका के संस्थागत पहलुओं को मजबूत करने के लिए कई मौजूदा और पुराने हो चुके कानूनों में संशोधन की भी आवश्यकता है।न्यायपालिका को जनोन्मुखी बनाने के लिए सरकार, विधायिका और न्यायपालिका को मिलकर संयुक्त रूप से काम करना होगा। उन्होंने कहा कि लोग संस्थाओं के कार्यो व उसके फैसलों पर लगातार निगरानी रखे हुए हैं। न्यायपालिका पर उन्हें बहुत भरोसा है और वे इसका बहुत सम्मान करते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि न्यायपालिका भी लोगों की उम्मीदों पर खरी उतरे।

करमुक्त रहेगा कॉलिवुड"

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री डॉ. एम. करूणानिधि ने रविवार को घोषणा की कि तमिल फिल्म उद्योग को मनोरंजन कर में दी जाने वाली छूट आगे भी जारी रहेगी। अपने उपन्यास "सुरूलीमलै" पर आधारित फिल्म "नी इंड्री नान इल्लै" के लांच के अवसर पर उन्होंने कहा कि मनोरंजन कर में छूट दिए जाने की वजह से 50 करोड़ रूपए की वाçष्ाüक आय कम हो जाने के बावजूद फिल्म उद्योग के हित को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार इस छूट को जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है। उल्लेखनीय है कि हाल ही मनोरंजन कर में छूट देने के निर्णय पर पुनर्विचार करने की अपील करते हुए स्थानीय निकायों के प्रतिनिघियों ने मुख्यमंत्री करूणानिघि से मुलाकात की थी क्योंकि सरकार के इस फैसले से उन्हें भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उनकी इस अपील पर गौर करने के लिए राज्य सरकार ने एक समिति का गठन भी किया था। इसी बीच, लोकसभा चुनावों के दौरान कुछ फिल्म निर्देशकों ने द्रमुक सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। रविवार को कॉलिवुड को करमुक्त ही रखने की घोषणा के साथ-साथ उन सभी फिल्म निर्माताओं के द्रमुक विरोधी बयानों का जवाब देते हुए करूणानिघि ने कहा कि उन्हें किसी के बयान से कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन उन्हें विश्वास है कि उनकी सरकार के खिलाफ खड़े होने वाले निर्देशक भी जल्द ही उनके पास आएंगे। "नी इंड्री नान इल्लै" फिल्म की कहानी, पटकथा और संवाद खुद करूणानिघि ने लिखी हैं जबकि इलवेनिल के निर्देशन में बनी इस फिल्म का निर्माण अरूमुगनेरी मुरूगेशन ने किया है। मुरूगेशन ने कहा कि उनकी पिछली फिल्म "उलियन ओसै" की तरह इस फिल्म से होने वाली आय भी वे नाडिगर संगम के गरीब वरिष्ठ कलाकारों को समर्पित कर देंगे। समारोह में अभिनेता कमल हसन, वरिष्ठ अदाकारा मनोरमा, निर्माता एवीएम सरवणन, एफईएफएसआई अध्यक्ष वी.सी. गुगनाथन और अभिनेता विवेक भी उपस्थित थे।

पंचाट के फैसले पर प्रतिबद्ध कर्नाटक

मुख्यमंत्री बी.एस.येडि्डयूरप्पा ने कहा कि राज्य में कावेरी नदी पर बने जलाशयों में जलस्तर घटने के बावजूद कर्नाटक कावेरी पंचाट के अंतरिम फैसले में तय मात्रा के अनुसार पानी छोड़ना जारी रखेगा।भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का स्वागत करने रामनगरम पहुंचे मुख्यमंत्री ने डाक बंगले में संवाददाताओं के साथ बातचीत में कहा कि राज्य में अच्छी बारिश होने के संकेत मिल रहे हैं। जलाशयों में पानी की अच्छी आवक होने पर तमिलनाडु के लिए कावेरी पानी छोड़ने में कोई दिक्कत पेश नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि जलाशयों के भर जाने से बिजली का उत्पादन अच्छा होगा और राज्य में बिजली की समस्या भी हल हो जाएगी।विकास को मिलेगी गति एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मंत्रियों व अधिकारियों के साथ हुई चिंतन मंथन बैठक में राज्य के सर्वागीण विकास के मसलों पर विस्तार से चर्चा की गई। बैठक में अधिकारियों ने भी सक्रियता पूर्वक भाग लेकर विकास कार्यक्रमों के त्वरित क्रियान्वयन के बारे में अपनी राय व्यक्त की। इन सुझावों के आधार पर सरकार विकास की गति को तेज करेगी। उन्होंने कहा कि राज्य के सभी जिला प्रभारी मंत्री भी अपने-अपने जिलों में जाकर विकास कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के संबंध में स्थानीय अधिकारियों के साथ मंथन बैठकें करेंगे। मंथन बैठक की आलोचना करने वाले विपक्षी नेताओं पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा कि विपक्षी नेता केवल आलोचना करने तक ही सीमित हैं। राज्य के विकास में रचनात्मक सहयोग देने की उनकी कोई मंशा नहीं है।सियासी सवाल नहीं-आडवाणीरविवार सुबह 9.30 बजे रिसार्ट में नाश्ता करने के बाद रवाना होने से पहले आडवाणी ने संवाददाताओं के साथ बातचीत में कहा कि कोड़गू में छह दिन का प्रवास उनके लिए यादगार रहा और विश्राम के बाद वे खुद को बहुत तरोताजा महसूस कर रहे हैं। कोड़गू के लोगों व रिसॉर्ट् केस्टाफ को आतिथ्य के लिए धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा कि छह दिनों में मिले अतिथि सत्कार से वे अभिभूत हैं और इसे भुला नहीं सकेंगे। राजनीति की सारी उठापटक को भुलाकर विश्राम करने में यहां का वातावरण बहुत मददगार रहा। बातचीत शुरू करने से पहले ही संवाददाताओं के सामने राजनीतिक सवाल नहीं पूछने की शर्त लगा देने के कारण इस बारे में कोई सवाल- जवाब नहीं हुए।

बजट में शिक्षा की बल्ले-बल्ले

संप्रग सरकार की दूसरी पारी में आगामी छह जुलाई को पेश होने वाले आम बजट में शिक्षा क्षेत्र के लिए चालू वित्त वर्ष में भारी वृद्धि का अनुमान है। सरकार के गत अंतरिम बजट में अनुमानित 34 हजार पांच सौ करोड़ के मुकाबले इस बार यह राशि पचास हजार करोड़ हो सकती है। यह वर्ष 2005-06 के मुकाबले पांच गुना अघिक होगी।मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक केन्द्रीय मंत्री कपिल सिब्बल द्वारा पिछले दिनों शिक्षा क्षेत्र में विस्तार और बड़े पैमाने पर नई योजनाओं की घोषणा से इसके संकेत मिल गए हैं। मंत्रालय के इस साल के लक्ष्य मे देश मे दो नई आईआईटी, चार नए प्रबंधन संस्थान और बारह नए केन्द्रीय विवि में अकादमिक सत्र प्रारंभ करने के साथ सौ नए मॉडल कालेज, दस नए एनआईटी, सरकारी व पीपीपी मॉडल के जरिए छह हजार मॉडल स्कूल, सौ महिला छात्रावास समेत कई अन्य नई योजनाएं शामिल हैं।सूत्रों के अनुसार उच्चत्तर शिक्षा के मद में मंत्रालय साढ़े आठ हजार करोड़ रूपए खर्च करेगा। इनमें दो नई आईआईटी व चार नए आईआईएम के अलावा एनआईटी, मॉडल कालेज और केन्द्रीय विवि के मद में बड़ी राशि खर्च होगी। सरकार इसके साथ कई कालेजों को विवि में अपग्रेड करने को लेकर भी अपनी प्रस्तावित योजना को अंजाम दे सकती है। इसके अलावा अल्पसंख्यकों विशेषकर शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े मुसलमानों को मौजूदा शिक्षा पद्धति से जोड़ने के साथ सरकारी स्कूलों व कालेजों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के लिए मेधावी छात्रवृत्ति योजना की भी घोषणा की जाएगी। इसके तहत 18 से 25 आयु वर्ग के क्रिमीलेयर से मुक्त बारहवीं पास छात्र-छात्राओं को स्नातक अध्ययन के पहले तीन वर्षो के लिए दस हजार रूपए जबकि इसके बाद बीस हजार रूपए सालाना दिए जाएंगे। संप्रग सरकार देश में कुशल मानव संसाधनों की बढ़ती जरूरतों एवं पिछड़े वर्ग के बड़ी संख्या मे बेरोजगार बच्चों को रोजगार उपलब्ध कराने एवं उन्हें आत्मनिर्भर करने के उद्देश्य से योग्यतापरक पाठयक्रम को स्कूली शिक्षा से ही अमल में लाएगी। इसके तहत सरकार का 2012 तक तीस करोड़ और 2022 तक पचास करोड़ कुशल मानव संसाधन तैयार करने का लक्ष्य है। इस मद में भी सरकार बड़ी राशि आवंटित करने जा रही है।

देश में सूखे जैसी स्थिति नहीं

मानसून में विलम्ब और इस बार बारिश कम होने के अंदेशे के बीच केन्द्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने रविवार को कहा कि मानसून में देरी के बावजूद देश में सूखे जैसी स्थिति नहीं है।पवार ने एक समाचार चैनल से कहा कि मानसून में देरी से होने वाले नुकसान को जुलाई और अगस्त में होने वाली बारिश से पूरा कर लिया जाएगा। कीमतों में उछाल की खबरों को नकारते हुए कृषि मंत्री का कहना था कि पिछले साल की तुलना में इस साल सरकार ने खाद्यान की ज्यादा खरीद की है। उन्होंने दावा किया कि सूखे के हालात बनने पर उनसे निपटने के लिए सरकार ने पूरी तैयारी की है।

Friday, June 26, 2009

लालबत्ती के लिए एक साथ आए सभी एमएलए

विधानसभा में किसी लोकहित के मुद्दे पर कांग्रेस और बीजेपी के सदस्य भले ही एकमत न हों, लेकिन कार पर लालबत्ती लगाने के मामले में सदन के दोनों पक्षों के विधायक लामबंद हो गए। ये विधायक तभी चुप हुए जब स्पीकर ने व्यवस्था देते हुए सरकार से इस मामले पर गंभीरता से विचार करने को कहा। बीजेपी के साहब सिंह चौहान ने विशेष उल्लेख के दौरान सदन में यह मामला उठाया। उन्होंने कहा कि जब एसएचओ, एसडीएम और डिप्टी कमिश्नर को कार पर लालबत्ती लगाने का अधिकार है तो विधायक को क्यों नहीं। उन्होंने कहा कि प्रोटोकॉल में विधायकों का दर्जा चीफ सेक्रटरी से ऊपर होता है। चीफ सेक्रटरी पुलिस कमिश्नर की कॉन्फिडेशल रिपोर्ट (सीआर) लिखते हैं और उनकी कार में भी लालबत्ती लग सकती है, तो हमारी कार में क्यों नहीं। उन्होंने कहा कि विधायक को भी कई बार आपात स्थिति में जल्दी पहुंचना होता है। सदन में पहुंचने में अगर देर होती है तो इसे विधायक के विशेषाधिकारों का उल्लंघन माना जाना चाहिए। ऐसे में भीड़ और ट्रैफिक से निकलने के लिए लालबत्ती लगाने की इजाजत विधायक को भी मिलनी चाहिए। महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि साहब सिंह चौहान की इस मांग का न सिर्फ बीजेपी बल्कि सत्तापक्ष के विधायकों ने भी जोरदार समर्थन किया। इन विधायकों का भी कहना था कि जब भी विधायक अपनी कार पर लालबत्ती लगाते हैं तो कई बार उसके खिलाफ खबरें छपती हैं। इस वजह से विधायकों को कार पर लालबत्ती लगाने की इजाजत दी जाए। इन विधायकों का यह भी तर्क है कि इसके लिए कोई बिल लाने की जरूरत ही नहीं है, बल्कि एक आदेश के जरिए ही यह संभव हो सकता है। इस मांग के समर्थन में विधायक खड़े होकर बोलते रहे और स्पीकर से व्यवस्था देने की मांग करते रहे। अंत में स्पीकर ने सरकार से विधायकों की इस मांग पर गंभीरता से विचार करने को कहा। बीआरटी में भी मिले प्राथमिकता : विशेष उल्लेख के दौरान ही बीजेपी के रमेश बिधूड़ी ने कहा कि बीआरटी कॉरिडोर में सिग्नल पर निकलने में 15 मिनट तक लग जाते हैं। ऐसे में इस कॉरिडोर के चार सिग्नल क्रॉस करने में ही लगभग एक घंटा बर्बाद हो जाता है। उनका कहना था कि जब बस लेन में पुलिस और दूसरे अफसरों की गाड़ियों को निकलने की इजाजत मिलती है, तो फिर विधायकों को यह छूट क्यों नहीं दी जाती। उन्होंने मांग की कि बीआरटी कॉरिडोर में विधायकों को भी बस लेन से अपनी कार ले जाने की छूट मिलनी चाहिए। शुक्रवार को विशेष उल्लेख के दौरान 21 सदस्यों ने अपने-अपने मामले उठाए। हालांकि कायदे से 10 विधायक ही अपनी बात रख सकते हैं लेकिन स्पीकर ने शुक्रवार को 21 विधायकों को अपनी बात रखने की इजाजत दी।

मुख्यमंत्री का विपक्ष पर पलटवार

मुख्यमंत्री बी.एस.येडि्डयूरप्पा ने मंत्रियों की चिंतन मंथन बैठक के बारे में विपक्षी दलों की आलोचनाओं पर पलटवार करते हुए कहा कि मंत्री व वरिष्ठ अधिकारी तफरीह करने नहीं वरन राज्य के विकास को दृष्टिगत रखकर शांत वातावरण में खुलकर चर्चा करने के लिए रिजोर्ट्स में बैठक में भाग लेने जा रहे हैं।शुक्रवार को यहां विधानसौधा में पूर्व सांसद सरोजिनी महिषी के साथ मुलाकात करने के बाद मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं के साथ बातचीत में विपक्षी नेताओं पर बरसते हुए कहा कि लगता है विपक्षी नेताओं के पास टीका टिप्पणी करने के अलावा कोई काम नहीं है। विपक्षी नेता बिना सोचे समझे हर मसले पर टीका टिप्पणी करते रहते हैं। शायद ऎसा कोई मसला नहीं होगा जिस पर विपक्ष का रूख सकारात्मक रहा हो।रिजॉर्ट्स में जाकर बैठक करने पर विपक्षी नेताओं की टीका टिप्पणियों का लोगों पर क्या असर होगा शायद इसका अनुमान इन नेताओं को नहीं है। बैठक में हम किसी अन्य को नहीं बल्कि मंत्रियों व अधिकारियों के साथ विकास से जुड़े मसलों पर चर्चा करने जा रहे हैं। पहले भी ऎसी ही बैठकें हो चुकी हैं और हमने भी बुलाई है। इसे विशेष तूल देने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि जनता के हित में यह बैठक होने जा रही है। इससे पहले मुख्यमंत्री ने महिषी द्वारा आंजनापुरा मेंं स्थापित कर्नाटक तकनीकी शिक्षण संघ को भूखंड देने की मांग पर सकारात्मक कदम उठाने का भरोसा दिलाया।

जुबान की कड़वाहट दिल्ली तक पहुंची

मध्यप्रदेश के सहकारिता मंत्री गौरीशंकर बिसेन की जुबान की फिसलन का असर दिल्ली तक आ पहुंचा है। केन्द्रीय नेतृत्व भी अचरज में है कि लाख समझाइश के बाद भी बिसेन जुबान पर काबू क्यों नहीं कर पा रहे। भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह को बिसेन और सतना जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष कमलाकर चतुर्वेदी के विवाद की जब असल कहानी पता चली तो वह भी भौंचक रह गए। हालांकि इसकी भनक उन्हें थी, लेकिन मामला इतना गंभीर होगा उन्हें अंदाजा नहीं था। सिंह के इस मुद्दे को खुद देखने के संकेत से बिसेन की कुर्सी पर खतरा बढ़ गया है। सूत्रों के अनुसार बिसेन-कमलाकर मामले पर शुक्रवार को अखिल भारतीय ब्राह्मण महासंघ के अध्यक्ष मांगेराम शर्मा राजनाथ सिंह से मिले। इनकी शिकायत थी कि मुख्यमंत्री के साथ हुई बैठक में सुलह के बाद भी बिसेन आदत से बाज नहीं आ रहे। वह लगातार ऎसी बातें कर रहे हैं जिससे पूरा समाज अपमानित महसूस कर रहा है।सूत्रों ने बताया कि शिकायत सुनते ही सिंह ने कमलाकर से फोन पर बात की। उन्होंने कमलाकर से सारा घटनाक्रम जाना और उसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी फोन पर बात की। इस मुद्दे को भोपाल में निपटाने की हो रही कोशिश के बीच विवाद दिल्ली पहुंचने से इसके और तूल पकड़ने की संभावना बढ़ गई है। दरअसल दो खेमों के बीच का विवाद ने जातिगत राजनीति का रूप ले लिया है। बिसेन के अपशब्द कहने को लेकर मप्र में शुरू हुए विरोध-प्रदर्शन से राज्य सरकार के साथ केन्द्रीय नेतृत्व के माथे पर भी बल पैदा हो गया है। यह मामला राजनाथ सिंह के साथ भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी तक पहुंचाए जाने से मामला अब नया मोड़ ले सकता है। हालांकि राज्य का संगठन और सरकार इस मामले को मप्र में ही खत्म करने के इरादे से सुलह का काम कर रहे थे, लेकिन बिसेन की फिसलती जुबान के चलते मामला राज्य के हाथ से निकलकर अब केन्द्रीय नेतृत्व के पास आ गया है।भाजपा अध्यक्ष इस मामले को जितनी गंभीरता से ले रहे हैं उससे लगने लगा है कि बिसेन अब मंत्रिमंडल में ज्यादा दिन के मेहमान नहीं हैं।

रैगिंग रोकने के लिए राष्ट्रपति की पहल

राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील ने रैगिंग रोकने की दिशा में पहल करते हुए देश भर के राज्यपालों को पत्र लिखा है। नए शिक्षा सत्र के शुरू होने से ऎन पहले राष्ट्रपति ने पिछले दिनों कुछ कालेजों में हुई रैगिंग की घटनाओं पर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने राज्यपालों से अपील की है कि वे शिक्षा क्षेत्र के माथे पर लगे रैगिंग के कलंक को मिटाने में मदद करें। उन्होंने राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में अपने प्रतिनिधियों को लिखे पत्र में शैक्षणिक संस्थाओं के नियामक तंत्र की समीक्षा करने के साथ यह पता लगाने को भी कहा है कि क्या रैगिंग रोकने के लिए कानूनन कोई विश्वसनीय ढांचा बनाया जा सकता है। मानव संसाधन एवं विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने गुरूवार को ही रैगिंग के खिलाफ कानून बनाने की सिफारिश की थी। इसके बाद शुक्रवार को राष्ट्रपति ने राज्यपालों को पत्र भेजा।पत्र में उन्होंने लिखा है कि रैगिंग की रोकथाम शिक्षण संस्थाओं के प्रबंधन और शिक्षकों की पहली जिम्मेदारी है लेकिन माता-पिता और अभिभावकों को भी अपने बच्चों को उचित सलाह देनी चाहिए। उन्हें समझाना चाहिए कि वे अपने कनिष्ठ सहपाठियों के साथ अच्छा व्यवहार करें। उन्होंने राज्यपालों और उपराज्यपालों से यह भी कहा है कि रैगिंग पर अंकुश लगाने के लिए वे अपने अनुभव, जानकारी और सूचनाओं का इस्तेमाल करें। गैर सरकारी संगठनों से भी इस मुहिम में आगे आने की बात कहते हुए राष्ट्रपति ने लिखा है कि उनका सहयोग रैगिंग के खिलाफ जागरूकता पैदा करने और पीडितों के दु:ख को कम करने में मददगार होगा।

पूर्व मुख्यमंत्री माथुर को कांग्रेस ने दी श्रृध्दांजलि

असम के राज्यपाल शिवचरण माथुर के निधन पर उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि देश के लिए उनकी सेवा को सदैव याद किया जाएगा। उधर माथुर के निधन की खबर सुनते ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी फोर्टिज अस्पताल पहुंची, उनके पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। सोनिया गांधी माथुर के परिजनों से मिली तथा उन्हें ढांढस बंधाया। इस मौके पर केन्द्रीय मंत्री मुकुल वासनिक, असम के मुख्यमंत्री तरूण गोगाई भी साथ थे। उपराष्ट्रपति ने अपने शोक संदेश में माथुर के ईमानदार व्यक्तित्व का उल्लेख किया और कहा कि सार्वजनिक जीवन में उन्होंने गरीबों, दलितों के उत्थान का जो काम किया है उस नीति पर चलते हुए यह क्रम आगे भी जारी रहेगा। राजस्थान संस्था संघ के अध्यक्ष जय नारायण खंडेलवाल, टी.के. जैन, के.बी. लाल एवं राजस्थान रत्नाकर के अध्यक्ष राजेन्द्र गुप्ता ने भी माथुर को श्रद्धांजलि अर्पित की। राजस्थान के पूर्व मंत्री माधोसिंह दीवान ने भी फोर्टिस अस्पताल पहुंच पार्थिव शरीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेसी नेता शिवचरण माथुर के निधन पर जिला कांग्रेस कमेटी राजसमन्द की ओर से श्रृध्दांजलि सभा आयोजित की गई। कांग्रेस जिलाध्यक्ष एवं जिला प्रमुख नारायण सिंह भाटी ने माथुर के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए अपूर्ण क्षति बताया। भाटी ने कहा कि माथुर पार्टी के प्रति वफादार एवं कुशल प्रशासक भी रहे। जिला कांग्रेस कार्यालय पर आयोजित श्रध्दांजलि सभा में वरिष्ठ जिला उपाध्यक्ष एवं नगर पार्षद प्रदीप पालीवाल, नगर कांग्रेस अध्यक्ष गोविन्द सनाढय, जिला महामंत्री गोकुल अहीर, ब्लॉक कांग्रेस रेलमगरा के उपाध्यक्ष शक्तिसिंह, पीपली आचार्यान इकाई अध्यक्ष मगनीराम कुमावत, रेलमगरा युवक कांग्रेंस ब्लॉक अध्यक्ष प्रकाश चौधरी, भंवरलाल देसान्तरी, ओम प्रकाश अग्रवाल, ललित पालीवाल, रमेश कुमावत, रतनलाल माली, प्रभुलाल कुमावत, ओबीसी प्रकोष्ठ रेलमगरा अध्यक्ष उदयलाल अहीर सहित सैकडाें कार्यकर्ता उपस्थित थे।
इस अवसर पर दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत आत्मा की शांति व परिवार जनाें को दुख सहन करन की कामना की।
युवक कांग्रेस के जिला प्रवक्ता प्रमोद पालीवाल ने भी शिवचरण माथुर के निधन पर शोक व्यक्त किया है।

Thursday, June 25, 2009

विपक्ष घेरेगा सरकार को

विधानमंडल के मानसून सत्र के दौरान विपक्ष राज्य सरकार को घेरने की रणनीति पर चलेगा। इस बार राज्य की विधि व्यवस्था और विशेष राज्य के मसले पर विपक्षी विधायक कहीं अधिक मुखर होंगे।आगामी शुक्रवार से बुलाए गए विधानमंडल के मानसून सत्र के दौरान विपक्षी दल लूट, हत्या, अपहरण जैसी बढ़ रही आपराधिक घटनाओं पर सरकार को घेरेंगे। मुख्य विपक्षी दल राजद के मुख्य सचेतक रामचंद्र पूर्वे ने बताया कि इस बार कानून व्यवस्था की बिगड़ी हुई स्थिति पर सरकार बुरी तरह घिर जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार के कामकाज की पारदर्शिता भी अहम मुद्दा है। तीन वर्षो के कार्यकाल में कई आयोग बने, लेकिन किसी भी आयोग की रिपोर्ट विधानसभा में नहीं रखी गई। नवनियुक्त शिक्षकों के मुद्दे को भी विपक्ष विधानसभा में उठाएगा।कांग्रेस विधायक दल नेता अशोक कुमार कहते हैं कि पार्टी के विधायक सूबे को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की मांग पर सरकार की नीयत का खुलासा करेंगे। सूबे की सरकार इस मसले पर राजनीति कर रही है। लोजपा ने भी सूबे में बढ़े अपराध को विधानमंडल के आगामी सत्र में प्रमुखता से उठाने का मन बनाया है। लोजपा विधायक दल नेता महेश्वर सिंह के मुताबिक सरकार इस मुद्दे पर बुरी तरह घिरी है। इधर, वामपंथी दल बीपीएल सूची में गड़बड़ी तथा क्रय केन्द्रों पर किसानों की उपेक्षा को मुद्दा बनाने की तैयारी में हैं। भाकपा (माले) के राज्य सचिव नन्दकिशोर प्रसाद ने बताया कि सरकार इन सुझावों का जवाब दे पाने में नाकाम रहेगी।

बसपा ने पहले ही बो दिए बगावत के बीज

लखनऊ पश्चिम विधानसभा सीट के उपचुनाव की लड़ाई में बसपा ने पहले ही बगावत के बीज बो दिए हैं। इस कारण इस सीट के उपचुनाव में बसपा की जीत संदिग्ध हो गई है। बसपा में चुनावी तैयारियां सभी से पहले कर लेने की अपनी रणनीति के तहत इस सीट से नीरज बोरा को प्रत्याशी घोçष्ात किया था। लेकिन हाल में नीरज बोरा को बदलकर व्यापारी नेता अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मण्डल के राष्ट्रीय अध्यक्ष संदीप बंसल को प्रत्याशी घोçष्ात कर दिया है। इस फेरबदल से क्षेत्र में बगावत के हालात बन गए हैैं। प्रत्याशी बदले जाने पर बोरा समर्थकों ने बसपा नेता और वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी और नगर विकास मंत्री नकुल दुबे के सामने विरोध प्रदर्शन भी किया था। व्यापारी नेता होने के कारण बसपा संदीप बंसल पर दाव लगाने जा रही है, लेकिन लखनऊ शहर में नीरज बोरा और उनके पिता डी.पी. बोरा की पकड़ भी कम नहीं हैं। डीपी बोरा इससे पहले कांग्रेस में थे और बाद में जब वष्ाü 2007 में प्रदेश में बसपा सत्तारूढ़ हुई तो वे इस पार्टी में शामिल हो गए। लगातार सक्रिय रहकर बोरा परिवार शहर के व्यापारी समुदाय समेत सभी वगाेंü पर पकड़ बनाए हुए हैं। नीरज बोरा को वष्ाü 2007 के विधानसभा चुनाव में भी बसपा ने लखनऊ पश्चिम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाया था। लेकिन वे हार गये थे। बसपा फिर एक बार इस सीट की लड़ाई नीरज बोरा के माध्यम से लड़ना चाहती थी लेकिन सम्भवत: पिछले चुनाव परिणामो को देखते हुए बोरा के बजाए संदीप बंसल को प्रत्याशी तय किया गया। संदीप बंसल बसपा में विधानसभा चुनाव से पहले ही आ गये थे और इससे पहले वे भाजपा में थे। उन्होने विधानसभा या विधान परिष्ाद में स्थान पाने के लिए ही भाजपा छोड़ी थी। समझा जाता है कि बसपा ने उनकी दावेदारी को भी समझा है और अपनी जरूरत पर भी ध्यान दिया है। उल्लेखनीय है कि लखनऊ लोकसभा सीट से भाजपा के नेता लालजी टण्डन के चुने जाने के बाद लखनऊ पश्चिम विधानसभा सीट रिक्त हुई है। भाजपा इस सीट को अपने पास बनाए रखना चाहती है। भाजपा में प्रत्याशी चयन को लेकर बड़ी कश्मकश चल रही है। प्रत्याशी के तौर पर लालजी टण्डन के ही पुत्र आशुतोष्ा टण्डन उर्फ गोपाल टण्डन का नाम चल रहा है, लेकिन भाजपा के अन्य दावेदार विरोध कर रहे हैं। अभी चुनावी तिथि तय नहीं की गई है। तिथि आने तक भाजपा का फैसला कुछ भी हो सकता है। लखनऊ पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में लखनऊ के चौक चौपटिया ठाकुरगंज, विकासनगर, महानगर, अलीगंज आदि क्षेत्र आते हैं। इस बीच, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने इस सीट से जहीर भैया नाम के एक युवक को प्रत्याशी तय किया है। पार्टी इस चुनाव में कांग्रेस से समर्थन की मांग कर रही है।

वरूण गांधी की संघ नेताओं से गुप्त वार्ता

अपने विवादित भाषण के कारण सुर्खियों में आए भारतीय जनता पार्टी के युवा सांसद वरूण गांधी ने पार्टी के ही कुछ नेताओं द्वारा की जा रही उनकी आलोचना के बीच आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेताओं से मुलाकात की। गांधी ने संघ के नेताओं से उत्तर प्रदेश में पार्टी का ग्राफ बढ़ाने पर भी विचार विमर्श किया। संघ मुख्यालय पर करीब एक घंटे क्षेत्रीय प्रचारक अशोक बेरी से हुई उनकी मुलाकात के दौरान भाजपा का कोई नेता मौजूद नहीं था। बैठक पूरी तरह गुप्त रखी गई थी।बेरी और संघ के कुछ अन्य नेताओं से मिलने के बाद गांधी दिल्ली चले गए। भाजपा सूत्रों के मुताबिक गांधी ने बेरी से अपने विवादित भाषण के संबंध में चल रहे मुकदमें के बारे में भी बात की। उन्होंने 2012 में उत्तर प्रदेश विधानसभा के होने वाले चुनाव मिशन 2012 के सम्बन्ध में भी कुछ सुझाव दिए। भाजपा के प्रदेश प्रेस सचिव हीरो वाजपेयी ने बताया कि वरूण गांधी आज सुबह सरस्वती शिशु मन्दिर निरालानगर पहुंचे और संघ नेताओं से मिले।उनका कहना था कि गांधी की यह व्यक्तिगत यात्रा थी लेकिन उनकी संघ नेताओं से राजनीतिक चर्चा भी हुई होगी। पार्टी के एक वर्ग द्वारा गांधी को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की मांग उठ रही है, ऎसे में उनकी संघ नेताओं से मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है।

संघ की अहम बैठक टली, अब मुंबई में

भाजपा को लेकर गुरूवाुर को यहां होने वाली संघ की महत्वपूर्ण बैठक टल गई, लेकिन एक छोटी बैठक जरूर हुई जिसमें भाजपा के संगठन महामंत्री रामलाल, संघ के सह-सरकार्यवाह सुरेश सोनी व कुछ अन्य संगठन से जुड़े लोग शामिल हुए। सूत्रों के अनुसार यह वे लोग हैं जो भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह के करीबी माने जाते हैं और चांदीवाला में उनके मिलने का मकसद उस गोपनीय बैठक की काट था जो राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पहले दिन भाजपा उपाध्यक्ष बाल आप्टे के घर सम्पन्न हुई थी।आप्टे की बैठक में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की पृष्ठभूमि के तमाम नेता शामिल हुए।पत्रिका ने इसका खुलासा किया था जिसके बाद संघ के अंदर बड़ा बवाल मच गया। इस पर कड़ा ऎतराज जताया गया कि बगैर किसी को सूचित किए अथवा पूर्व योजना के इस तरह की बैठक क्यों बुलाई गई। इसके कथित एजेंडे को लेकर भी विवाद पैदा हुआ। सूत्रों के अनुसार इसे हार के बाद घमासान से दो-चार भाजपा संगठन पर गुट विशेष के कब्जे की तैयारी के रूप में लिया गया। यह भी तय हुआ कि संघ की बड़ी बैठक अब जुलाई के पहले सप्ताह में दिल्ली के बजाय मुंबई में की जाए। इतना ही नहीं ऊपर के पांच प्रमुख लोगों के अलावा संघ परिवार के 25 से 35 कद्दावर लोग भाग लेकर आगे की दशा-दिशा तय करें। इस बात की कोशिश की जाए कि अंदर की बात सार्वजनिक न हो सके।

सीपीएम का साथ देने की कोशिश न करें

लालगढ़ के मुद्दे पर केन्द्रीय रेलमंत्री व तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी केन्द्र सरकार को अपने ट्रेक में रखकर चलना चाहती हैं। इसके लिए उन्होंने गुरूवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इशारा दे दिया कि लालगढ़ मामले पर सीपीएम का साथ देने की कोशिश न करें पीएम। लालगढ़ के मुद्दे पर बंगाल सरकार को और दबाव में लाने की कोशिश में ममता बनर्जी जुटी हुई हैं। कोलकाता से लेकर दिल्ली तक जिस तरह की राजनीतिक कवायद चल रही है उससे साफ संकेत मिलते है कि ममता इस मामले को इतने हल्के में नहीं निपटने देगी। सूत्रों के अनुसार ममता लालगढ़ मामलें को केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में उठाने वाली थी, लेकिन प्रधानमंत्री की पहल पर वहां यह मुद्दा नहीं उठ पाया। सूत्रों ने बताया कि सात रेसकोर्स पर गुरूवार शाम को जब प्रधानमंत्री के साथ रेल बजट पर चर्चा के लिए पहुंची तो वहां उन्होंने लालगढ़ का मामला छेड़ दिया। माओवादियों पर पाबंदी लगाने को लेकर केन्द्र और राज्य सरकार के बीच चल रही रस्साकसी से खुद को दूर रखते हुए ममता ने केन्द्र को मशविरा दिया कि वह माकपा सरकार पर नरम रूख नहीं रखे क्योंकि लालगढ़ में जिस तरह के हालात बने हैं उसके लिए राज्य सरकार ही जिम्मेदार है। ममता ने प्रधानमंत्री को लालगढ़ की स्थिति रिपोर्ट दी जिसमें बताया गया कि वहां 40 हजार लोग शिविरों में पड़े हुए हैं उसके लिए किसी तरह की व्यवस्था भी राज्य सरकार नहीं कर रही है। लालगढ़ में आज भी दहशत है, लोग सहमे हुए हैं ऎसे में वहां शांति वापस लाने के ठोस प्रयास होने चाहिए।

माथुर की अन्त्येष्टि आज

असम के राज्यपाल एवं राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर की शुक्रवार को राजकीय सम्मान के साथ अन्त्येष्टि जयपुर स्थित लालकोठी श्मशान घाट पर की जायेगी।स्व. माथुर का पार्थिव शरीर उनके श्याम नगर स्थित निवास से प्रदेश कांग्रेस कार्यालय प्रात: 10 बजे ले जाया जायेगा जहां उन्हें श्रद्घासुमन अर्पित किये जायेंगे। इसके बाद प्रात: 11.30 बजे लालकोठी श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जायेगा।माथुर के निधन का समाचार सुनने के तुरन्त बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जयपुर में स्व. माथुर के श्याम नगर स्थित मकान पर गये और उनके शोकाकुल सुपुत्र प्रदीप माथुर एवं बड़े दामाद आर.पी.उदावत एवं छोटे दामाद विष्णु माथुर से मिले एवं उन्हें ढांढ़स बंधाया।इस अवसर पर मुख्यमंत्री के साथ केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री डॉ. सी.पी.जोशी एवं राज्य के वन मंत्री रामलाल जाट भी मौजूद थे।

मुख्यमंत्री ने पौधारोपण किया

राजसमन्द। मुख्यमंत्राी अशोक गहलोत ने गुरूवार को राजसमंद जिले की देवगढ़ पंचायत समिति की विजयपुरा ग्राम पंचायत में आयोजित पंचायत समिति स्तरीय रोजगार गारंटी मेले के दौरान हरित राजस्थान अभियान के तहत नीम का पौधा लगाया।
उन्होंने इस अभियान के तहत अधिकाधिक पौधे लगाने का आव्हान किया। इस मौके पर राजसमन्द सांसद गोपालसिंह शेखावत, भीम विधायक हरिसिंह रावत, कुम्भलगढ विधायक गणेश सिंह परमार, जिला प्रमुख नारायणंसिह भाटी, भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्राालय की सचिव श्रीमती रीटा शर्मा, आंध्रप्रदेश राज्य के ग्रामीण विकास सचिव केराजू, जिला कलक्टर ओंकार सिंह (राजसमन्द), आनन्द कुमार (उदयपुर), रोहित कुमार (नागौर), कलक्टर धौलपुर पूर्णचन्द्र किशन, केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्राी के निजी सचिव राजीव सिंह ठाकुर सहित पंचायत राज विभाग के आला अधिकारी, जन प्रतिनिधि एवं विशाल आमजन उपस्थित थे।

नरेगा में भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं होगा -- मुख्यमंत्री

राजसमन्द। मुख्यमंत्राी अशोक गहलोत ने कहा है कि राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारन्टी कार्यक्रम में किसी भी सूरत में भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा उन्होंने कहा कि नरेगा योजना सरकार की प्राथमिकता है, इसमें सामाजिक अंकेक्षण हर स्तर पर सुनिश्चित किया जाएगा। योजना पारदर्शी रहे तथा इसमें कार्यो का क्रियान्वयन गुणवत्तापूर्ण हो, यह सरकार का संकल्प है मुख्यमंत्राी ने प्रदेश को आये दिन अकाल का सामना करना पडता है एसे में नरेगा के माध्यम से विकास की गति तेज होगी। जहां प्रदेश को अकाल से मुकाबला करने के लिए मात्रा 250 करोड रूपया मिलता था वही गत तीन वर्षो में प्रदेश को 8 हजार 400 करोड रूपया मिला है। उन्होंने नरेगा योजना में हर स्तर पर पारदर्शिता एवं जवाबदेही की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि इसके सफल क्रियान्वयन में सभी को भी भागीदारी निभानी होगी । उन्हाेंननरेगा योजना की मार्गदर्शिका में संशोधन की जरूरत बताते हुए कहा कि इसमें व्यक्तिगत लाभ की योजनाओं को भी सम्मिलित किया जाना चाहिए।
देश भर में पानी के लगातार गिरते जल स्तर पर चिंता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्राी ने कहा कि इससे निजात पाने के लिए हरित राजस्थान का नारा देकर सभी का आह्वान किया है कि सभी अधिक से अधिक वृक्षारोपण करें। वृक्षारोपण कार्य हर गांव-कस्बे एवं ढाणी में हो, इसमें स्वयंसेवी संगठन भी आगे आ रहे है। इससे पर्यावरण में सुधार होगा, वही वर्षा की अनुकुलता बनेगी।
मुख्यमंत्राी ने पानी बचाओं-बिजली बचाओं -सबको पढाओं का नारा देते हुए सभी आह्वान किया तथा कहा कि प्रत्येक व्यक्ति जब तक इसके प्रति सजग नहीं होगा तब तक योजनाओं का लाभ सही मायनें में लोगों को नहीं मिल पाएगा।
उन्होंने कहा कि सरकार ने अपने घोषणा पत्रा में जो वादे किए है उसे जन अंकाक्षाओं के अनुरूप पूरा करने का प्रयास रहेगा। उन्हाेंने शुद्ध के लिए युद्ध कार्यक्रम के संबंध में कहा कि मिलावटखोरी एवं कालाबाजारी करने वाले समाज के दुश्मन है। इस अभियान को सफल बनाने में सभी का सहयोग अपेक्षित है
समारोह में केन्द्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज मंत्राी डॉसीपीज़ोशी ने कहा कि गांव के गरीब को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराकर उनकी विकास में भागीदारी सुनिश्चित किए जाने के प्रयास किए जा रहे है। उन्होंने कहा कि इससे गांव के गरीब में आमूलचूल परिवर्तन आएगा। उन्होंने पंचायत राज की मजबूती के लिए कहा कि प्राथमिक शिक्षा, ग्रामीण स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास तथा नरेगा इसमें सम्मिलित किया जाए। उन्हाेंने यह पहल राजस्थान से करने की बात कही ।
इस अवसर पर राज्य के पंचायत राज मंत्राी भरतसिंह ने कहा कि नरेगा में जिन श्रमिकों ने 100 दिवसीय रोजगार पूर्ण कर लिया है उन्हें अधिक दिनों का रोजगार देने की आवश्यकता जताई। उन्हाेंने कहा कि इस योजना में जो भी कमियॉ रही है, उन्हें सरकार दूर करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने भारत सरकार से आग्रह किया कि योजना के तहत पोस्ट ऑफिस को मिलने वाली राशि सहकारिता विभाग को मिले। जिससे मिनि बैंक स्थापित करेगें और नरेगा के भुगतान को साथ साथ उचित मूल्य दुकानों के माध्यम से पैसा समय पर मिलेगा और आम लोगों को राहत मिलेगी। उन्होने नरेगा में व्यक्तिगत लाभ की योजनाओं को भी सम्मिलित करने की आवश्यकता बताई।
प्रांरभ में ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज सचिव राजेन्द्र भाणावत ने कहा कि रोजगार गारन्टी योजना में कानूनी प्रावधानों की जानकारी सभी को हो और उसकी पालना भी की जाएं। जिससे योजना सफलतापूर्वक अपने उद्देश्यों में सफल हो सके। उन्होंने कहा कि योजना में जो भी कमियॉ सामने आ रही है जिन्हें दूर करने का प्रयास किया जा रहे है आने वाले समय में राजस्थान योजना संचालन में भारत भर में अपनी अलग पहचान कायम कर सकेगा।
अन्त में मजदूर किसान शक्ति संगठन की अरूणा राय ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे मेले भारतभर में लगें ताकि आम लोगों को इसके कानूनी पहलुओं और इसके लाभ की जानकारी मिल सके।
इस अवसर पर राजसमन्द सांसद गोपालसिंह शेखावत, भीम विधायक हरिसिंह रावत, कुम्भलगढ विधायक गणेश सिंह परमार, जिला प्रमुख नारायणंसिह भाटी, भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्राालय की सचिव श्रीमती रीटा शर्मा, आंध्रप्रदेश राज्य के ग्रामीण विकास सचिव केराजू, जिला कलक्टर ओंकार सिंह (राजसमन्द), आनन्द कुमार (उदयपुर), रोहित कुमार (नागौर), कलक्टर धौलपुर पूर्णचन्द्र किशन, केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्राी के निजी सचिव राजीव सिंह ठाकुर सहित पंचायत राज विभाग के आला अधिकारी, जन प्रतिनिधि एवं विशाल आमजन उपस्थित थे।
महिला मिस्त्राीयों को प्रमाण पत्रा सौंपे:- योजना में अटुट विश्वास कर पहली बार मिस्त्राी बनी आठ महिलाओं को केन्द्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज मंत्राी डॉ0सी0पी0जोशी एवं भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्राालय की सचिव श्रीमती रीटा शर्मा ने प्रमाण पत्रा दिए।
मुख्यमंत्राी की अगवानी:- मुख्यमंत्राी अशोक गहलोत के गुरूवार को सांय 340 बजे विजयपुरा स्थित हैलीपेड पहुंचेने पर सांसद गोपाल सिह शैखावत, भीम विधायक हरिसिंह रावत, कुम्भलगढ गणेश सिंह परमार, पूर्व विधायक लक्ष्मणसिंह रावत, पूर्व जिला प्रमुख बंसत रावत, पूर्व प्रधान भीम निर्मला देवी, पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष देवगढ दामोदर नराणिया, सामाजिक कार्यकर्ता गुणसागर कर्नावट, जिला कलक्टर ओंकार सिंह, जिला पुलिस अधीक्षक नितिनदीप सहित अनेक जनप्रतिनिधि एवं प्रशासनिक अधिकारियों ने अगवानी की।

Wednesday, June 24, 2009

संघ ने वरूण की पीठ थपथपाई

उग्र ''हिंदुत्व'' को लेकर भाजपा के भीतर व बाहर हमले झेल रहे वरूण गांधी के लिए बुधवार राहत लेकर आया। लखनऊ स्थित आरएसएस कार्यालय में वरिष्ठ संघ पदाधिकारियों ने वैचारिक जज्बे के लिए उनकी पीठ थपथपाई। वरूण ने क्षेत्र प्रचारक अशोक बेरी और अवध प्रांत प्रचारक कृपा शंकर सहित कई पदाधिकारियों से मुलाकात की। पीलीभीत में भड़काऊ भाषण देने के मामले में प्रशासन द्वारा आरोप पत्र दाखिल करने की तैयारी के बीच आरएसएस नेतृत्व वरूण से वार्ता करके उनकी मानसिक मजबूती व संगठन कार्य में रूचि का जायजा लेना चाहता था। वरूण को इसी मकसद से लखनऊ बुलाया गया था। आरएसएस कार्यालय में संघ पदाधिकारियों के साथ उनकी वार्ता भी इन्हीं बिंदुओं पर केंद्रित रही। दरअसल, अगले माह मेरठ में आरएसएस के प्रांत प्रचारकों की वार्षिक बैठक होने जा रही है। इसमें संघ के अलावा भाजपा सहित उसके सभी अनुषंगिक संगठनों के भी प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। संघ नेतृत्व इसमें वरूण को लेकर गहराई से विचार करना चाहता है। उस समय वरूण निजी कारणों से विदेश में होंगे। लिहाजा इससे पहले ही संघ ने उनका मन टटोलना जरूरी समझा। सूत्रों के मुताबिक भाजपा का नजरिया कुछ भी हो, लेकिन आरएसएस वरूण को कांग्रेस के राहुल कार्ड का उपयुक्त जवाब मानता है। राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश के अगले विधानसभा चुनाव को लेकर जैसी रूचि दिखाई है, उसे देखते हुए संघ वरूण को आगे लाने के पक्ष में है।

बेहतर आशियाना चाहते हैं नए सांसद

पंद्रहवीं लोकसभा के लिए चुन कर आए साढ़े तीन सौ से अधिक नए सदस्य अपने लिए सुंदर आशियानों का इंतजार कर रहे हैं। सदन की आवास समिति इनके लिए राष्ट्रीय राजधानी के लुटियन जोन में इंतजाम करने में लगी है। अगले हफ्ता-दस दिन में इन नए सदस्यों को मकान आवंटित करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। लोकसभा की आवास समिति के अध्यक्ष जय प्रकाश अग्रवाल ने बताया कि नए सदस्यों को हफ्ता दस दिन में मकान आवंटित करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। आवास समिति की सोमवार को पहली बैठक हुई थी जिसमें सदस्यों को मकान आवंटित करने के बारे में पात्रता तय की गई। लोकसभा सचिवालय के सूत्रों के मुताबिक पंद्रहवीं लोकसभा में तकरीबन 365 नए सदस्य चुनकर आए हैं। इनमें से 43 या तो मंत्री बन गए हैं या पहले से राज्यसभा सदस्य रहे हैं और राज्यसभा की ओर से आवंटित मकान में रह रहे हैं। बाकी बचे 323 सदस्यों को मकान आवंटित किया जाना है। सूत्रों ने कहा कि पूर्व सदस्यों को 17 जून तक मकान खाली करने का नोटिस दिया गया था। अनेक पूर्व सदस्यों ने मकान खाली कर दिए हैं और बाकी लोग मकान खाली करने की प्रक्रिया में हैं। चुनाव जीतकर आए नए सदस्यों को लोकसभा की ओर से राज्यों के अतिथि गृहों और होटलों में अस्थाई रूप से ठहराया गया है। सदस्यों को मकान आवंटित करने का काम लोकसभा की आवास समिति देखती है। 15वीं लोकसभा के पहले सत्र के समापन के दिन लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार द्वारा 12 सदस्यीय आवास समिति का गठन किया गया और दिल्ली से चुनकर आए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जय प्रकाश अग्रवाल को इसका अध्यक्ष बनाया गया है। आमतौर पर आवास समिति द्वारा आवंटन का जो मानदंड अपनाया जाता है उसके मुताबिक पूर्व केन्द्रीय मंत्री, लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष, पूर्व राज्यपाल और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री में से कोई दो पदों पर रहे सदस्यों को टाइप-आठ श्रेणी के बंगले आवंटित होते हैं। इसी प्रकार पूर्व केंद्रीय मंत्री, पूर्व अध्यक्ष लोकसभा, पूर्व राज्यपाल, पूर्व मुख्यमंत्री और पांच बार या इससे ज्यादा समय तक सांसद रहे सदस्यों को टाइप-सात के बंगले आवंटित होते हैं। राज्यों के पूर्व उप मुख्यमंत्री, राज्य सभा के पूर्व उपसभापति, लोकसभा के पूर्व उपाध्यक्ष, चार बार सांसद रहे, केन्द्र में राज्य मंत्री रहे, राज्य विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष, राज्य में कैबिनेट मंत्री रहे, तीन बार से सांसद रहे और सदन में कम कम से दस सदस्यों वाले राष्ट्रीय दलों के नेता को टाइप-पांच या छह के बंगले अथवा एमएस फ्लैट आवंटित किए जाते हैं। पहली बार चुन कर आए लोकसभा सदस्यों को साउथ एवेन्यू, नार्थ एवन्यू या मीना बाग में फ्लैट मिलता है। लोकसभा के 543 निर्वाचित सदस्यों में से सदस्यों को मकान आवंटित करने का काम लोकसभा की आवास समिति देखती है जबकि मंत्रियों को बंगले केन्द्रीय पूल से संपदा निदेशालय द्वारा आवंटित किए जाते हैं।

गौर चक्रवर्ती को पुलिस हिरासत

भाकपा (माओवादी) संगठन के प्रवक्ता गौर नारायण चक्रवर्ती को बुधवार को बैंकशाल कोर्ट में पेश किया गया। अदालत ने उन्हें 6 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया। पुलिस उनसे पूछताछ कर रही है। गौर चक्रवर्ती पर अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट की धारा 20 तथा भा.द.वि. की धारा 120, 121,121 ए, 122, 123 तथा 124 के तहत मामला दर्ज किया गया है।गौरतलब है कि केन्द्र सरकार ने भाकपा (माओवादी) को प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया है। इधर बंगाल सरकार ने भी उक्त संगठन पर पाबंदी लागू करने की घोषणा कर दी है। कोलकाता पुलिस की विशेष शाखा (एसबी) ने गत मंगलवार को चक्रवर्ती को पार्क स्ट्रीट इलाके से गिरफ्तार किया था। उस समय वे एक बांग्ला टेलीविजन चैनल को साक्षात्कार दे कर निकल रहे थे। पेशी के दौरान चक्रवर्ती के समर्थकों ने कोर्ट के गेट के बाहर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी उनकी रिहाई की मांग कर रहे थे। बाद में लोगों ने सरकार के खिलाफ भी नारेबाजी की। सुरक्षा के थे कड़े इंतजाम : अदालत परिसर में पुलिस की पर्याप्त व्यवस्था थी। पूरे अदालत परिसर में पुलिस तैनात थी। प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने गेट पर ही रोक लिया। सहयोगी संगठनों पर भी गिरेगी गाज : अब सहयोगी संगठनों पर भी गाज गिरने की संभावना बढ़ गई है। कोलकाता पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि माओवादियों के सहयोगी संगठनों के बारे में पता लगाया जा रहा है। उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।


राज्यपाल डॉ. बलराम जाखड़ फिलहाल रिटायर नहीं होने वाले हैं। उन्होंने कहा कि दूसरा मौका मिलना, न मिलना अलग बात है, लेकिन रिटायर होने का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने कहा कि आगे मौका नहीं मिला तो फिर से खेती करेंगे। प्रदेश की कानून व्यवस्था हो या फिर सरकार का काम-काज, राज्यपाल ने बेबाक टिप्पणी की। राजधानी की मौजूदा कानून व्यवस्था को लेकर भी डॉ. जाखड़ ने कहा कि इसमें सुधार की बहुत जरूरत है।इस बाबत समय-समय पर राज्य सरकार को एलर्ट भी किया है और केन्द्र सरकार को अवगत भी कराया।डॉ. जाखड़ राजनीतिक सवालों का जवाब देने से बचते रहे, पर यह जरूर कहा कि अभी संवैधानिक जिम्मेदारी से मुक्त होते ही न सिर्फ हर सवाल का जवाब दूंगा बल्कि कांग्रेस सहित अन्य दलों का आकलन भी करूंगा। राजनीति पर फिर खुलकर बात होगी। कार्यकाल पूरा करने के सवाल पर उन्होंने अपने कार्य से संतुष्टि जताई। बोले, केन्द्र ने जो जिम्मेदारी दी, उसे पूरी ईमानदारी से निभाया है।दोपहर बाद बदला माहौलमहामहिम ने आम दिनों की तरह बुधवार को भी लोगों से भेंट की। सुबह तक तो सब कुछ ठीक-ठाक था, दोपहर में राजभवन को सूचना मिली कि प्रदेश के नए राज्यपाल रामेश्वर ठाकुर होंगे। इसके बाद राजभवन का माहौल भी कुछ बदला-बदला सा हो गया।


उच्च शिक्षा का ढांचा बदलने की तैयारी

देश में उच्च शिक्षा की बदहाली और उसे पटरी पर लाने में इस क्षेत्र की नियामक संस्थाओं की नाकामी को देखते हुए केन्द्र सरकार ने प्रो. यशपाल समिति की सिफारिशों पर सौ दिन के भीतर अमल शुरू करने का फैसला किया है। समिति ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) समेत सभी संस्थाओं को भंग करके उच्च और व्यावसायिक शिक्षा को राष्ट्रीय उच्च शिक्षा एवं शोध आयोग की परिधि में लाने को कहा है। केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने बुधवार को प्रख्यात शिक्षाविद से रिपोर्ट ग्र्रहण करने के बाद ऎलान किया कि सुधार इंतजार नहीं कर सकते और देश में उच्च शिक्षा ढांचे के पुनर्गठन के लिए इन सिफारिशों पर 100 दिन के भीतर अमल शुरू कर दिया जाएगा। कोशिश की जाएगी कि सिफारिशें सर्वसम्मति से लागू हो। प्रो. यशपाल ने बताया कि समूचे उच्च शिक्षा क्षेत्र के इस शीर्ष निकाय को भी चुनाव आयोग के समान संवैधानिक दर्जा हासिल होगा।समिति ने विश्वविद्यालयों को स्वायत्तता देने व आईआईटी व आईआईएम को विश्वविद्यालय के रूप में विकसित करने की सिफारिश की है। "उच्च शिक्षा का पुनरूद्धार एवं कायाकल्प" नामक इस रिपोर्ट में दिए गए सुझावों को महत्वपूर्ण बताते हुए सिब्बल ने उम्मीद जताई कि देश भी इन्हें मंजूर करेगा। हम इस पर आमराय बनाने की दिशा में कदम उठाएंगे। सरकार ने 2008 में प्रो.यशपाल की अध्यक्षता में समिति का गठन किया था। ये है सिफारिशें* यूजीसी, एमसीआई, एआईसीटीई भंग हों* इनकी जगह संवैधानिक दर्जे वाला शीर्ष निकाय राष्ट्रीय उच्च शिक्षा एवं शोध आयोग बने * इसके अध्यक्ष, सदस्यों का चयन पीएम, नेता प्रतिपक्ष व मुख्य न्यायाधीश की समिति करे* यह उच्च शिक्षा संस्थानों को सहूलियतें देने के साथ उनके कामकाज पर नजर रखे* भंग की गई संस्थाओं के स्टाफ को अन्य जगह समायोजित किया जाएगा* विश्वविद्यालयों को पूर्ण स्वायत्तता दी जाए* वे स्व नियंत्रित निकाय की तरह काम करेंगे* चिकित्सा व इंजीनिरियरिंग पाठ्यक्रमों समेत सभी पाठ्यक्रम खुद बनाएं व संचालन करें* समस्त अकादमिक जिम्मेदारियां निभाएंगे* डीम्ड विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कड़ा अंकुश लगाने की सलाह* विदेशी विश्वविद्यालय खोलने के बारे में सावधानी बरतेंंये हैं खामियां * उच्च शिक्षा में बिखराव आ गया* संस्थाओं व विषयगत बदलावों के बीच दूरी * प्रक्रियागत जटिलताएं और नौकरशाही हावी होने से शिक्षा में नए रूझान और प्रगति नहीं

सरकार बनने के बाद भी कांग्रेसी पार्षद एकजुट नहीं

नगर परिषद बोर्ड में प्रतिपक्ष की भूमिका निभाने वाले कांग्रेसी पार्षदों में राज्य व केन्द्र में अपनी सरकार बनने के बावजूद भी जोश भरता नजर नहीं आ रहा है। मंगलवार को इसका ताजा नमूना देखने को मिला।शहर में हुए अतिक्रमण एवं अवैध निर्माण जैसे संवेदनशील मुद्दे को लेकर मंगलवार को प्रतिपक्ष नेता के.के. शर्मा के नेतृत्व में कांग्रेसी पार्षद आयुक्त रामजीलाल मीणा से मिलने पहुंचे। मगर इसे प्रतिपक्ष की आपसी खींचतान कहें या फिर जोश की कमी का परिणाम कि परिषद में कांग्रेस के ११ पार्षद है उसमें से भी आज केवल ३ पार्षद प्रतिपक्ष नेता के साथ परिषद आयुक्त के पास पहुंचने का समय निकाल पाए ।यहां उल्लेखनीय है कि पिछले करीब ८ वर्षों में ऐसा कोई मौका देखने को नहीं मिला जिसमें प्रतिपक्ष पार्षद एकजुट व जोश लिए नजर आए हो ।उस दौरान यह माना जा रहा था कि राज्य में भाजपा की सरकार होने के कारण कांग्रेसी पार्षदों में जोश नजर नहीं आ पा रहा है मगर अब जब राज्य व केन्द्र में कांग्रेस की सरकार बन चुकी है उसके बावजूद प्रतिपक्ष खेमा उसी हाल में है।इससे साफ होता है कि प्रतिपक्ष खेमे में कहीं न कहीं जोश के साथ-साथ आपसी सामंजस्य की भी कमी है। इसी कमी के चलते अब तक आयोजित प्रतिपक्ष की कई पत्रकार वार्ताओं में भी ऐसा मौका देखने को नहीं मिला जिसमें सभी ११ पार्षद एक साथ नजर आए होंआयुक्त ने दो टूक शब्दों में दिया जवाब :- अतिक्रमण एवं अवैध निर्माण पर कार्यवाही की मांग को लेकर आयुक्त कक्ष में पहुंचे कांग्रेसी पार्षदों को आयुक्त रामजीलाल मीणा ने दो टूक शब्दों में कह दिया कि जांच कमेटी ने जो रिपोर्ट दी वह रिपोर्ट ही आधी अधूरी है जिसके आधार पर कार्यवाही करना संभव नहीं है। रही बात पार्किंग स्थलों के दुरूपयोग की तो इस मामले में जरूर शीघ्र ही प्रभावी कार्यवाही आरंभ कर दी जाएगी।

प्रतिपक्ष का दो बार वाकआउट

तमिलनाडु विधानसभा में शुक्रवार को राज्य के कृषि मंत्री वीरपांडि एस. आरूमुगम द्वारा कही गई कहावतों का प्रभाव सोमवार को भी विधानसभा में नजर आया। उन कहावतों और बालू उत्खनन मामले में अपनी राय रखने का अवसर नहीं मिलने से नाराज विपक्ष के सदस्यों ने सोमवार को विधानसभा से दो बार वाकआउट किया। बालू उत्खनन के मसले पर कांग्रेस विधायक दल के नेता डी. सुदर्शनम की भी लोक निर्माण मंत्री दुरै मुरूगन से बहस हो गई। सोमवार को विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही अध्यक्ष आर. आवुडैअप्पन ने कहा कि शुक्रवार को कृषि मंत्री ने कहावतों का सामान्य रूप में प्रयोग किया था, लेकिन वे अन्नाद्रमुक के लिए नहीं कहीं गई थी। उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को इन कहावतों को विधानसभा के रिकार्ड से हटा दिए जाने की मांग उठी थी और विधानसभा अध्यक्ष ने इस मामले में अपना निर्णय सोमवार तक के लिए सुरक्षित रख लिया था। विधानसभा में पूर्व में भी इस प्रकार की कहावतों को रिकार्ड में लिए जाने की बात कहते हुए जब आवुडैअप्पन ने कृषिमंत्री के वक्तव्यों को रिकार्ड से हटाने से इनकार कर दिया तो अन्नाद्रमुक के सदस्यों ने इसका विरोध किया और सदन से वाकआउट कर दिया। इसके कुछ देर बाद राज्य के लोक निर्माण मंत्री दुरै मुरूगन ने अपने विभाग के अनुदान की मांगों पर विचार-विमर्श के दौरान बताया कि राज्य में बालू की तस्करी को रोकने के लिए राज्य सरकार कड़ी कार्रवाई कर रही है। उनके इस बयान पर आपत्ति जताते हुए सुदर्शनम ने कहा कि तमिलनाडु से अवैध तरीके से केरल और कर्नाटक में बालू से भरी हजारों लॉरियां जाती हैं। सर्वदलीय बैठक में बालू उत्खनन रोकने की कड़ी आवश्यकता जताए जाने के बावजूद इस मामले में अब तक कोई बड़ा कदम नहीं उठाया है।अब तक सदन में अन्य विधायकों के साथ लौट चुके विपक्षी दल के नेता ओ. पन्नीरसेल्वम ने कहा कि सत्तारूढ़ दल लोगों के रूपए लूटने में मशगूल है। पन्नीरसेल्वम के अनुसार अन्नाद्रमुक के शासनकाल में बालू उत्खनन को रोकने के लिए कड़े नियम बनाए गए थे, लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है और खुद द्रमुक कार्यकर्ता ही इस काम में लगकर करोड़ों रूपए कमा रहे हैं। इस मामले में जब अन्नाद्रमुक के विधायकों ने लोक निर्माण मंत्री से स्पष्टीकरण की मांग की तो विधानसभाध्यक्ष ने यह कहते हुए अनुमति देने से इनकार कर दिया कि सदन को कम समय में दो और विभागों के अनुदान की मांगों पर विचार करना है। इस बात का विरोध करते हुए अन्नाद्रमुक विधायकों ने एक बार फिर विधानसभा से वॉकआउट कर दिया। इस बार उनके साथ उनके सहयोगी दलों पीएमके, एमडीएमके, माकपा और भाकपा के विधायक भी थे। स्टालिन ने पेश किए कई बिलराज्य के उप-मुख्यमंत्री एवं स्थानीय प्रशासन मंत्री एम.के. स्टालिन ने सोमवार को विधानसभा सत्र के दौरान नए कानून बनाने के लिए कई बिल पेश किए। चेन्नई मेट्रो के लिए योजना आयोग के गठन और उस आयोग के सुझावों के क्रियान्वयन के लिए स्टालिन ने तमिलनाडु मेट्रो योजना आयोग अघिनियम बिल पेश किया। इस दौरान नगरपालिकाओं के न्यायाघिकार क्षेत्र में फर्मो के संपत्ति कर के नियमितिकरण के अघिनियम में संशोधन का प्रस्ताव भी प्रस्तुत किया गया।




इस महीने मप्र के राजभवन में अपना कार्यकाल समाप्त होने के बाद वरिष्ठ नेता बलराम जाखड़ शायद ही दोबारा राज्यपाल बन पाएं। साथ ही उनके कांग्रेस संगठन में पहुंच पाने की संभावना भी कम ही है।कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक जाखड़ हालांकि पिछलों काफी दिनों से संगठन में जगह बनाने के लिए दिल्ली के राजनैतिक गलियारों में अपने मित्रों के जरिए प्रयास करते रहे हैं, लेकिन पार्टी को वह अब तक इसके लिए मना नहीं पाए हैं। इसका फिलहाल एक ही कारण है और वह है संगठन को लेकर राहुल गांधी का युवा फॉर्मूला। राहुल नहीं चाहते कि संगठन में अगले महीने होने वाले फेरबदल में पुराने लोगों को ही समायोजित कर नौजवानों के रास्ते बंद कर दिए जाएं। जाहिर है-इस खांचे में जाखड़ या उनकी पीढ़ी के नेता फिट नहीं बैठते। हां राजस्थान और पंजाब में कांग्रेस से जुड़े उनके दोनों पुत्रों में से किसी को संगठन में जगह देकर उनकी भरपाई की जा सकती है।आलाकमान की ओर से संगठन के दरवाजे उनके लिए बंद होने के बाद उनके करीबी राज्यपाल के रूप में उन्हें एक और कार्यकाल दिए जाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन इसकी संभावना भी कम है। उन्हें दोबारा राज्यपाल बनाया भी गया, तो किसी छोटे राज्य में भेजा जा सकता है। पार्टी फिलहाल शिवराज पाटिल और हंसराज भारद्वाज को प्रमुख राज्यों के राजभवन में भेजने पर विचार कर रही है। शुरू में अर्जुन सिंह को भी राज्यपाल बनाने की अटकलें चल रही थीं, लेकिन आलाकमान ने उन्हें तो पूरी तरह से हाशिए पर धकेलने का मन लिया है। हालांकि वह खुद भी राज्यपाल बनने के बहुत ज्यादा इच्छुक नहीं हैं। शिवराज पाटिल को मप्र क ा राज्यपाल बनाए जाने पर भी विचार चल रहा है।


कोड़गू की वादियों में आडवाणी

गत लोकसभा चुनाव में हार के रंज तथा उसके बाद पार्टी के अंदरूनी झंझावत से वेदना झेल रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष लालकृष्ण आडवाणी मंगलवार को शांति की तलाश में सपरिवार प्रदेश के कोड़गू जिले की हसीन वादियों में आराम फरमाने आ गए। मायूसी व बिखराव से पार्टी को बाहर निकालने के लिए देशव्यापी दौरे की तैयारी कर रहे आडवाणी प्राकृतिक सौंदर्य व हरीतिमा से आच्छादित कोड़गू की वादियों में सात दिन तक सियासत से दूर रहकर खुद को तरोताजा व नई ऊर्जा से लबरेज करेंगे।यहां बेंगलूरू हवाई अaे पर पहंुचने पर मुख्यमंत्री बी.एस. येडि्डयूरप्पा ने आडवाणी का स्वागत किया। हवाईअड्डे पर मुख्यमंत्री येडि्डयूरप्पा व सांसद अनंत कुमार के साथ संक्षिप्त वार्तालाप के बाद वे हेलीकाप्टर से कोड़गू के लिए रवाना हो गए। सूत्रों का कहना है कि आडवाणी सात दिन कोड़गू के एक रिसार्ट में ठहरेंगे।लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी के चुनाव प्रचार कार्य में लगातार दो माह तक व्यस्त रहे अस्सी वर्षीय आडवाणी को विश्राम की शख्त जरूरत थी। लोकसभा चुनाव में पार्टी की जीत के लिए अथक प्रयास करने वाले वयोवृद्ध नेता आडवाणी को अपेक्षा के मुताबिक चुनाव परिणाम नहीं मिलने का मलाल है। चुनाव के बाद पार्टी की राष्ट््रीय इकाई में चल रही उठापटक, एक दूसरे की खिंचाई से भी वे खिन्न बताए जाते हैं। हाल में दिल्ली में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में वरिष्ठ नेताओं के बीच चले आरोप-प्रत्यारोपों से आडवाणी को आहत महसूस कर रहे थे।बैठक के अंतिम दिन उन्होंने पार्टी संगठन में नए प्राण फूंकने के लिए देशव्यापी दौरा करने की घोषणा की थी। समझा जाता है कि आने वाले दिनों में पार्टी के कामकाज में व्यस्त होने से पहले आडवाणी तरोताजा होना चाहते हैं।

वरूण पर मुकदमे की मंजूरी मांगी

पीलीभीत से भाजपा सांसद वरूण गांधी के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस ने प्रदेश सरकार से अनुमति मांगी है। पीलीभीत के पुलिस अधीक्षक प्रकाश डी. ने मंगलवार को कहा कि अनुमति मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।इससे पहले अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) बृजलाल ने बताया था कि गांधी के खिलाफ समुदाय विशेष के प्रति नफरत फैलाने के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 153-ए के तहत मुकदमा चलाने के लिए अनुमति मांगी गई है। वरूण पर लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार के दौरान विवादित भाषण देने का आरोप है।

द्विसदस्यीय प्रणाली की पैरवी

महिला आरक्षण विधेयक पर छाए विवाद के बीच भारतीय स्त्रीशक्ति संगठन ने द्विवसदस्यीय प्रणाली का फार्मूला देकर मामले को नया मोड़ दे दिया है। संगठन का कहना है कि आजादी के बाद महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी के प्रति रही उदासीनता को समाप्त करने के लिए 33 प्रतिशत का आरक्षण पर्याप्त नहीं है। इसके लिए सरकार को समुचित विकास और जनसंख्या को आधार बनाकर निर्णय लेना चाहिए और उसका सही रास्ता एक सीट से महिला और पुरूष को प्रतिनिधि के रूप में चुनकर ही निकाला जा सकता है। मंगलवार को पत्रकारवार्ता में संगठन अध्यक्ष मेधा नानिवडेकर ने कहा कि महिला आरक्षण आज की जरूरत है। आजादी के बाद राजनीतिक क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी जितनी होनी चाहिए उतनी नहीं हो पाई है। उन्होंने कहा कि देश की जनसंख्या के हिसाब एक लोकसभा क्षेत्र की जनसंख्या करीब 20 लाख है जो दूसरे देशों की तुलना में बहुत अधिक है। उनका कहना है कि जनसंख्या के अनुपात को देखते हुए लोकसभा सीटों को बढ़ाया जाना चाहिए। इसके लिए उन्होंने हर सीट पर महिला-पुरूष प्रतिनिधि बनाए जाने का फार्मूला सुझाया है। उनका कहना है कि सरकार यदि इस फार्मूले पर चले तो महिलाओं को बराबर की हिस्सेदारी मिलेगी और क्षेत्र के विकास में भी इजाफा होगा। इस मौके पर महासचिव नयना सहस्त्रबुद्ध एवं संगठन सचिव उर्मिला आप्टे भी मौजूद रहीं।

Tuesday, June 23, 2009

पार्टी में ही वरूण उपेक्षित

अपने कथित मुस्लिम विरोधी भाषण को लोकसभा चुनाव में भाजपा की हार के मुख्य कारणों में गिने जाने से परेशान वरूण गांधी ने पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में स्वयं को एकदम उपेक्षित पाया। बैठक में केवल उनकी मां मेनका गांधी ही उनका बचाव करतीं दिखीं और अधिकतर लोग उनसे कन्नी काटते नजर आए। वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी तक ने पार्टी के दो मुस्लिम नेताओं मुख्तार अब्बास नकवी और शाहनवाज हुसैन द्वारा वरूण पर किए गए प्रहारों का समर्थन सा करते हुए अपने ''मार्गदर्शन संबोधन'' में पार्टीजनों को आगाह किया कि वे हिन्दुत्व की मुस्लिम विरोधी संकीर्ण व्याख्या नहीं करें। माना जा रहा है आडवाणी ने यह बयान देकर वरूण के भाषण से स्वयं को अलग करने का प्रयास किया है। दिलचस्प बात यह रही कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के ऐन समय हैदराबाद की अपराध जांच प्रयोगशाला ने वरूण के कथित भड़काऊ भाषणों की सीडी की सत्यता के बारे में अपनी रिपोर्ट पीलीभीत प्रशासन को सौंप दी। कहा जाता है कि रिपोर्ट में इस सीडी को सही बताया गया है, जबकि वरूण का दावा है कि ''राजनीतिक साजिश'' के तहत सीडी से छेड़-छाड़ की गई है। नकवी और हुसैन ही नहीं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और महाराष्ट्र भाजपा के शीर्ष नेता गोपीनाथ मुंडे ने भी बैठक में बेटे के बचाव में मेनका द्वारा कथित रूप से दिए गए इस बयान का विरोध किया कि मुसलमान भाजपा को वोट नहीं देते। इन तीनों नेताओं ने कहा कि पार्टी द्वारा यह रूख अपनाना घातक होगा कि एक खास समुदाय ने भाजपा को वोट नहीं दिया इसलिए उसे नजरअंदाज किया जा सकता है।यही नहीं राष्ट्रीय कार्यकारिणी में अपनाए गए राजनीति प्र्रस्ताव में भी वरूण के कथित मुस्लिम विरोधी विचारों से पार्टी को अलग दिखाने का प्रयास किया गया है। इसमें कहा गया, मजहबी राज्य या किसी भी प्रकार की कट्टरता हमारे मूल्यों के प्रतिकूल है। हिन्दू धर्म अथवा हिन्दुत्व को पूजा आचार व्यवहार या अतिवादी संकीर्णता के दायरों में नहीं देखा समझा जा सकता है और न ही इसे इस प्रकार से प्रकट करने की आवश्यकता है।प्रस्ताव में हिन्दुत्व को ''समावेशी अवधारणा'' बताते हुए कहा गया कि इसमें सभी के प्रति समान व्यवहार का विचार सन्निहित है चाहे वे किसी भी धर्म के हों। बैठक में मेनका ने तर्क दिया था कि मुस्लिम भाजपा के मुख्य वोट बैंक नहीं हैं इसलिए यह दोष नहीं लगाया जा सकता कि वरूण के भाषणों के कारण भाजपा को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है।वरूण गांधी दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पहले दिन शनिवार को तो बैठक में आए लेकिन संभवत: अपने प्रति उपेक्षा के आभास के चलते दूसरे दिन अनुपस्थित रहे।

सिन्हा ने दिखाए तीखे तेवर

पार्टी में हाशिए पर खड़े किए गए यशवंत सिन्हा ने दिल्ली पहुंचकर अपने तीखे तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। सिन्हा ने दो टूक कहा कि उन्होंने जीवन में कभी पद मांगा नहीं, छोड़ा ही है। अपने इस्तीफे और कार्यकारिणी की खबरों के लीक होने पर उन्होंने पार्टी नेतृत्व पर सवाल खड़े किए। सिन्हा ने साफ किया कि उन्होंने किसी व्यक्ति विशेष को निशाना नहीं बनाया था, लेकिन लोकसभा चुनाव में हार की जवाबदेही तय करने, पार्टी में कामराज योजना लागू करने के अपने मुद्दों पर पूरी तरह कायम हैं। भाजपा कार्यकारिणी में मचा घमासान अभी शांत भी नहीं हुआ था कि लोकसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे चुके यशवंत सिन्हा ने दिल्ली पहुंचते ही मोर्चा खोल दिया है। सिन्हा ने कहा कि वे अपने इस्तीफे में उठाए गए सभी मुद्दों पर वे कायम हैं और उन्हें आशा है कि चिंतन बैठक में उन पर पार्टी चर्चा भी करेगी। भाजपा नेता ने कहा कि हार की जिम्मेदारी सामूहिक है और सभी को उसे लेना चाहिए। उन्होंने खुद इस्तीफा दिया है। उन्हें उसके मंजूर होने का कोई अफसोस भी नहीं है। उन्हें मालूम थी कि वह मंजूर ही होगा। लेकिन उन्हें उसके मंजूर होने की खबर मीडिया से ही मिली। अभी तक पार्टी ने उनको सूचना नहीं दी है। इससे उनकी इस्तीफा मंजूर होने की निराशा भी झलकी। हालांकि उन्होंने पूरे जोर से कहा कि उन्होंने कभी पद की राजनीति नहीं की। वीपी सिंह सरकार में उन्हें राज्यमंत्री बनने की पेशकश की थी, लेकिन वे राष्ट्रपति भवन से वापस लौट आए थे। सिन्हा ने कहा कि उन्होंने जीवन भर संघर्ष किया है और आगे भी करेंगे। जो लोग उन्हें हवाई नेता कहते हैं वे गलतफहमी में हैं। वे तीसरी बार लोकसभा में चुनकर आए हैं और जब चाहें तब दिल्ली में दस हजार लोग खड़े कर सकते हैं। सिन्हा नौकरशाह रहते हुए डीटीसी के चेयरमेन रहे थे और सार्वजनिक जीवन में आने के बाद उसकी यूनियन के नेता भी रहे। अब वे फिर से डीटीसी के मजदूरों के लिए जमीन पर उतरने जा रहे हैं। झारखंड में जद (यू) के साथ गठबंधन के सवाल पर उन्होंने कहा कि दोनों तरफ कुछ समस्याएं है। इन्हें गंभीरता लेना चाहिए और बैठकर बात करनी होगी। उन्होंने दो टूक कहा कि सभी को गठबंधन धर्म के अनुसार चलना पड़ेगा।

''संप्रग से समर्थन वापस लेना जायज''

माकपा महासचिव प्रकाश करात ने कहा कि पार्टी की दृढ़ राय है कि परमाणु करार मुद्दे पर संप्रग सरकार से समर्थन वापस लेना सही था। माकपा ने पश्चिम बंगाल में सरकार, पंचायतों और नगरपालिकाओं के कामकाज के तरीकों में खामी की बात भी स्वीकारी। पार्टी संगठन में गलत प्रवृत्ति, पार्टी नेतृत्व में एकता का अभाव और केरल के पूर्व मंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले को केरल में माकपा की पराजय का कारण माना गया।

''राजस्थान को विशेष दर्जा मिले''

भौगोलिक क्षेत्रफल एवं प्रति व्यक्ति आय के आधार पर केन्द्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी ३०.५ प्रतिशत से बढ़ाकर ४० प्रतिशत करने और राजस्थान की विषम परिस्थिति को देखते हुये विशेष दर्जा देने का अनुरोध किया है।आयोग के अध्यक्ष डा.विजय एल केलकर तथा सदस्यों के साथ राज्य सरकार के प्रतिनिधियों की बैठक में गहलोत ने कहा कि १९७१ की जनगणना की अपेक्षा २००१ की जनगणना के आधार पर राज्यों के मध्य उनके कर हिस्से का निर्धारण होना चाहिये।उन्होंने राज्य की विषम भौगोलिक, सामाजिक एवं आॢथक स्थिति के मद्देनजर प्रदेश को विशेष दर्जा देकर जनता के साथ पूरा न्याय करने का आग्रह किया। उन्होंने वित्त आयोग को बताया कि आम जनता तक सेवाओं और सुविधाओं को पहुंचाने के लिए अन्य राज्यों की तुलना में राजस्थान में अधिक लागत आती है।मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले साठ सालों में कमोबेश ५५ वर्ष तक राज्य में अकाल एवं सूखे की स्थिति को देखते हुए पेयजल के लिए राज्य को विशेष दर्जा मिलना चाहिये। राज्य पेयजल की दृष्टि से गंभीर संकट के दौर से गुजर रहा है। राज्य के २३७ में से मात्र ३२ ब्लॉक ही सुरक्षित बचे है तथा भूजल का दोहन लगभग १३७ प्रतिशत है। यह उत्तर प्रदेश से दुगना है।राजस्थान में शीतलहर एवं पाले के कारण फसलों को हुए नुकसान की चर्चा करते हुए गहलोत ने राष्ट्रीय आपदा राहत कोष से सहायता आरंभ करने की जरूरत बताई। उन्होंने आपदा राहत कोष के तहत दी जाने वाली सहायता में केन्द्र एवं राज्य सरकार के हिस्से के मौजूदा अनुपात को ७५-२५ प्रतिशत से बढ़ाकर ९०-१० प्रतिशत किये जाने की मांग की।आयोग के अध्यक्ष डा. विजय केलकर ने वित्तीय व्यवस्था में सुधार के लिए राज्य सरकार के कार्यों की सराहना की और कहा कि राजस्व एवं वित्तीय घाटे को कम करने के प्रयास किये जाने चाहिए।उन्होंने राज्य सरकार के ज्ञापन में महत्वपूर्ण मुद्दों के संदर्भ में विचार करने का भरोसा दिलाया।

अब तक 34 संगठन प्रतिबंधित

देश में लश्करे तैयबा, लिबरेशन टाइगर्स आफ तमिल ईलम (लिट्टे) और सिमी समेत कुल 34 संगठनों पर इस समय प्रतिबंध लगा हुआ है। यह कानून पूरे देश में लागू होगा। हालांकि अलग-अलग राज्यों को संगठन पर प्रतिबंध के लिए अलग-अलग अधिसूचना जारी करनी पड़ेगी।

केन्द्र सरकार ने भाकपा (माओवादी) को आतंककारी संगठन करार देते हुए सोमवार को उस पर प्रतिबंध लगाने का ऎलान कर दिया। पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ वाम मोर्चे ने प्रतिबंध लगाए जाने का विरोध किया है। भाकपा (माओवादी) के नेतृत्व में ही लालगढ़ में आदिवासियों ने पुलिस और प्रशासन के खिलाफ हथियार उठाकर कई गांवों पर कब्जा कर रखा है।ये हैं भाकपा(माओवादी)केन्द्रीय गृहमंत्री चिदम्बरम ने बताया कि दरअसल भाकपा (माओवादी) दो संगठनों भाकपा (माक्र्सवादी-लेनिनवादी) और एमसीसी का विलय करके बनाया गया है। कुछ स्थानों पर दोनों संगठन अभी भी अपने अलग-अलग रूपों में चल रहे हैं। वैसे दोनों संगठन पहले ही आंतकवादी संगठन के तौर पर सूचीबद्ध हैं। उन्होंने एक बार फिर पश्चिम बंगाल सरकार को भाकपा (माओवादी) पर राज्य में प्रतिबंध की पुष्टि करने की सलाह दी।उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य भी रोक पर विचार करने का संकेत दे चुके हैं। आतंककारी संगठन की श्रेणी में डालाकेन्द्रीय गृहमंत्री पी. चिदम्बरम ने कहा कि दरअसल यह संगठन प्रतिबंधित ही था, लेकिन इस बारे में कुछ भ्रम की स्थिति बनी हुई थी। इसीलिए सरकार ने इसे अवैध गतिविधियां (निरोधक) कानून की धारा दो के तहत आतंककारी संगठन की श्रेणी में डाल दिया है। आन्ध्र, मप्र व छत्तीसगढ़ में इसे पहले से ही गैरकानूनी संगठन करार दिया जा चुका है। माकपा महासचिव प्रकाश कारत ने भी रोक लगाए जाने का विरोध करते हुए कहा कि प्रतिबंध लगाने से कोई समाधान नहीं निकलेगा, क्योंकि प्रतिबंधित होने पर माओवादी भूमिगत होकर गतिविधियां चलाने लगेंगे। कारत ने कहा कि प्रतिबंध माओवादी हिंसा का समाधान नहीं है, बल्कि इससे राजनीतिक एवं वैचारिक तौर पर निपटा जाना चाहिए।


Sunday, June 21, 2009

सत्य के मार्ग पर चलने से समस्याओं का स्वत: समाधान : गहलोत

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि सत्य के मार्ग पर चलने से सभी समस्याओं के स्थायी समाधान के साथ शांति और अंहिसा से देश एवं समाज के विकास के मार्ग को प्रशस्त किया जा सकता है।गहलोत ने आज नागौर जिले के लाडनूं स्थित जैन विश्व भारती परिसर में तेरापंथ सम्प्रदाय के आचार्य महाप्रज्ञ के ९०वें जन्मदिवस पर आयोजित समारोह में कहा कि मन वचन और कर्म से किसी का भी दिल नहीं दुखाना चाहिए।उन्होंने कहा कि दस साल की आयु में जैन मुनि की दीक्षा लेने वाले आचार्य महाप्रज्ञ ने अंहिसा दर्शन को लेकर ८० साल तक देशभर में लंबी यात्राएं करके जो मार्गदर्शन दिया है उससे प्रेरणा पाकर भावी पीढ़ी आगे बढ़ेगी। ऐसे बहुत कम लोग मिलते है जो जीवनपंर्यत त्याग एवं तपस्या के बल पर युवा पीढ़ी को नयी रोशनी का मार्ग दिखाते है।आचार्य महाप्रज्ञ के दीर्घ एवं स्वस्थ जीवन की मंगल कामना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि महापुरूषों, संत महात्माओं एवं औलियाओं के जीवन दर्शन के प्रताप से देश तरक्की कर रहा है। इन संतों ने हमेशा शांति, प्रेम और अंहिसा का संदेश दिया है जिससे लोगों को अच्छे संस्कार मिले है। उन्होंने कहा कि हम सभी धर्मों का समान रूप से आदर करें।मुख्यमंत्री ने आतंकवाद, अलगाववाद एवं नक्सली ताकतों की ङ्क्षनदा करते हुए कहा कि इनके इरादों को नेस्ताबूद करके राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता को बनाये रखने के साथ हम देश में आपसी भाईचारा और अमन चैन कायम कर सकेंगे।गहलोत ने कहा कि धर्म और जाति के नाम पर होने वाले दंगों को सख्ती से रोकना होगा। समर्पण एवं प्रतिबद्वता की भावना से सबको मिलकर एकता और भाईचारे का संदेश देने की पहल करनी होगी। हमें यह संदेश गांव-गांव, ढाणी-ढाणी एवं जन-जन तक पहुंचाना है।उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने भगवान महावीर के अंहिसा के सिद्धांत को अपना हथियार बनाकर अंग्रेजों को भारत से भगाया। इस बात का लोहा आज सभी मानते है।आचार्य महाप्रज्ञ ने कहा कि धर्म में आध्यात्म और नैतिकता का प्रार्दुभाव है। इसलिए धर्म के नाम पर धोखा नहीं दिया जाना चाहिए।धर्म में वह शक्ति है जो बड़े-बड़े को धर्म का एहसास कराकर नतमस्तक करा देती है। इसलिए अंहकार से दूर रहकर धर्म को जोडऩे वालों का सम्मान करें।जन्मदिन के महत्व को प्रतिपादित करते हुए उन्होंने कहा कि व्यक्ति आत्मावलोकन करके अतीत को देखें और भविष्य के लिए आगे बढऩे का संकल्प लें। आचार्य महाप्रज्ञ ने धर्म की आस्था को अधिक प्रबल बनाने और अंहिसा का संकल्प लेने का आह्वान किया।युवाचार्य महाश्रमण ने तेरापंथ के २५० वर्ष के इतिहास का उल्लेख किया और कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ पहले आचार्य है जो ९० वर्ष की आयु पूर्ण करने के बाद भी हमें प्रेरणा दे रहे है। उन्होंने मेगा हाईवे से जैन विश्व भारती तक सड़क निर्माण की मांग की।

राज ठाकरे ने पार्टी में बदलाव का मन बनाया

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने आगामी विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी की महिला और मजदूर ईकाई को भंग कर दिया है।पार्टी के प्रवक्ता नितिन सरदेसाई ने कहा, इस बारे में शनिवार शाम को आदेश जारी किया गया। नई टीम की घोषणा शीघ्र की जाएगी।उन्होंने कहा कि राज्य में अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर यह पार्टी को चुस्त दुरूस्त करने की कोशिश है।सरदेसाई ने उन खबरों को खारिज किया जिसमें कहा गया था कि मनसेकेंद्रीय समिति के सदस्यों को हटा दिया गया है। उन्होंने इसे अफवाह करार दिया।

नकवी-शाहनवाज से उलझीं मेनका

भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के अंतिम दिन रविवार को भी पार्टी नेताओं के कलह खुलकर सामने आ गए। भड़काऊ भाषण के मामले में सीडी की फॉरेन्सिक रिपोर्ट में वरूण गांधी की ही आवाज की पुष्टि होने के बाद खुली बहस के दौरान जब शाहनवाज हुसैन कार्यकारिणी में बोल रहे थे तो मेनका गांधी ने उन्हें टोका। बताया जा रहा है कि इस पर शाहनवाज हुसैन और मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि हमें अपनी बात रखने दीजिए। उन्होंने मेनका गांधी से कहा कि जब आप बोल रही थीं, तो हमने आपको नहीं रोका था। इससे पहले मेनका गांधी ने शनिवार को कहा था कि मुसलमान भाजपा को वोट नहीं देते, इसलिए जो नेता यह कह रहे हैं कि भाजपा वरूण गांधी के चलते हारी वे गलत हैं। मेनका के इस बयान का रविवार को कई नेताओं ने विरोध किया। खुली बहस के दौरान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी और महाराष्ट्र से भाजपा के नेता गोपीनाथ मुंडे ने कहा कि ऐसा कोई स्टैंड नहीं लिया सकता कि किसी खास समुदाय का वोट उसके लिए महत्वपूर्ण नहीं है। मुंडे ने कहा कि महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव मुस्लिम वोट पार्टी के लिए अहम साबित हो सकते हैं। वरूण को खुली बहस से दूर रखा गया।

अब नई पारी की तैयारी

भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी लोकसभा चुनाव में मिली हार से निराश हैं, लेकिन हताश नहीं। उनका मानना है कि भाजपा आज भी भारतीय राजनीति की बडी ताकत है और कांग्रेस का एकमात्र विकल्प। इसके उलट तीसरे-चौथे मोर्चे का सफाया हो गया है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी के समापन भाषण में उन्होंने घोर पराजय के भाव से पार्टी को उबारते हुए भरोसा जताया कि भाजपा एक दिन फिर वापस आएगी। साथ ही ऎलान किया की आने वाले महीनों में वे खुद पूरे देश का दौरा करेंगे।हर प्रदेश में जाएंगे और हार से निराश कार्यकर्ताओं को आगे के लिए तैयार करेंगे। स्पष्ट है कि आडवाणी भाजपा में अपनी नई पारी के लिए कमर कस चुके हैं। हालांकि उन्होंने युवाओं को पार्टी में आगे लाने की बात भी दोहराई। जेटली का बचावपिछले कई दिनों से जिस तरह हार का ठीकरा चुनाव प्रबंधक और रणनीतिकार अरूण जेटली के सिर फोडा जा रहा था, उसे देखते हुए उम्मीद थी कि आडवाणी अवश्य बचाव करेंगे। अपरोक्ष तौर पर ऎसा हुआ भी। आडवाणी ने रविवार को अपने मार्गदर्शन की शुरूआत राज्यसभा-लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाए गए जेटली और सुषमा स्वराज व अन्य को बधाई देकर की।चुनाव अभियान पर उन्होंने कहा कि केन्द्र और राज्यों में जिन लोगों ने इसे चलाने में अथक मेहनत की है, उनके वे दिल से आभारी हैं। यह और बात है कि भरपूर निष्ठा-समर्पण से की गई कोशिशों के बावजूद चुनाव परिणाम आशा के अनुकूल नहीं रहे। नाकामी पर टिप्पणी अच्छी बात,अनुशासन तोडना ठीक नहींरणनीति व चुनाव प्रबंधन पर कमियां निकालने वालों के बारे में कहा कि सहयोगियों ने नाकामी पर अपनी टिप्पणियां की हैं और विश्लेषण भी हुए हैं। इस समीक्षा का मकसद किसी पर दोषारोपण नहीं है, बल्कि पार्टी को मजबूत बनाने की सही समझ विकसित करना है। इसका कार्यकर्ताओं में संदेश भी अच्छा जाएगा कि पार्टी के अंदर आंतरिक लोकतंत्र कायम है। इसके बाद, जोर का झटका धीरे से देते आडवाणी ने कहा कि खुलकर बोलना अच्छा है, लेकिन पार्टी अनुशासन तोडना ठीक नहीं। आलोचना करने वाले अपनी बात सार्वजनिक न करें।कमर कस लें, राजस्थान में भी डटकर काम करेंजल्द ही महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखण्ड में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इनमें से कम से कम दो राज्यों में पार्टी की सरकार बनाने की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। राजस्थान समेत उन राज्यों में ज्यादा डटकर काम करना होगा जहां पार्टी की मजबूत पकड थी, लेकिन अब वह हाशिए पर चली गई है। हिन्दुत्व से पीछे नहीं हटेंगेहिंदुत्व की विचारधारा और संघ-भाजपा सम्बंधों पर तमाम अटकलें खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि इसमें कोई भ्रम ही नहीं। पार्टी अपनी लाइन से पीछे नहीं हटेगी। मेनका से भिडे नकवी-शाहनवाज : मेनका गांधी शनिवार से अपने बेटे वरूण गांधी के कट्टर हिंदुत्व का बचाव करती रहीं। उन्होंने भाजपा के मुस्लिम सांसदों शाहनवाज हुसैन और मुख्तार अब्बास नकवी को उन्होंने आडे हाथों भी लिया। रविवार को पारित किए गए राजनीतिक प्रस्ताव पर शाहनवाज बोलने के लिए उठे, तो उन्होंने फिर अल्पसंख्यकों को भी साथ लेकर चलने के सुझाव पर जोर दिया। मेनका को यह बात अच्छी नहीं लगी और उन्होंने शाहनवाज को टोक दिया। इस पर नकवी खडे हुए और तमतमाकर बोले कि आप बैठ जाएं। जितना कुछ कहना था कल आपको मौका मिला और आपने कहा भी। अब दूसरों के बोलने दीजिए। नोक-झोंक बढती देख राजनाथ ने मेनका को बैठने के लिए कहा। मेनका के लिए स्थिति तब और खराब हो गई जब शिवराज सिंह चौहान, सुशील मोदी और गोपीनाथ मुंडे के बाद खुद आडवाणी ने शाहनवाज और नकवी के सुझाव पर मुहर लगा दी।

कांग्रेस का शक्ति प्रदर्शन

राज्य में पिछले लोकसभा में मिली हार की मायूसी को दरकिनार करते हुए कांग्रेस ने आगामी बृहद बेंगलूरू महानगर पालिका के चुनाव में सत्तारूढ भाजपा के साथ दो-दो हाथ करने के लिए चुनावी शंखनाद किया। पार्टी के सभी नेताओं ने भाजपा को जमकर निशाना बनाया।शहर के नेशनल कालेज मैदान में केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल विदेश मंत्री एस.एम. कृष्णा, श्रम मंत्री मल्लिकार्जुन खरगे, विधि मंत्री वीरप्पा मोइली, रेल राज्य मंत्री के.एच. मुनियप्पा, विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष नेता सिद्धरामय्या व राज्य सभा के उपसभापति के. रहमान खान का अभिनंदन किया गया। इन नेताओं ने सत्तारूढ भाजपा पर जनता की अपेक्षाओं के मुताबिक काम नहीं करने व सत्ता का दुरूपयोग करने का आरोप लगाया और इस सरकार को सत्ता से उखाड फेंकने के लिए कार्यकर्ताओं से एकजुट होकर प्रयास करने का आह्वान किया।कांग्रेस के नेताओं ने आरोप लगाया कि सत्ता में आए सालभर से अधिक समय बीत जाने के बावजूद यह सरकार भी विपक्षी विधायकों को लुभाने में लगी है और विकास पर ध्यान लेने के बजाय मंत्री व विधायक धन एकत्रित करने में लगे हैं। विदेश मंत्री कृष्णा ने आरोप लगाया कि निवेश आकर्षित नहीं कर पाने के कारण राज्य में बेरोजगारी की समस्या निरंतर बढ रही है। निहत्थे किसानों पर गोलियां चलवाने वाली यह सरकार किसानों की हमदर्दी बटोरने की कोशिश कर रही है। मंत्रिमंडल के सदस्यों ने ही मुख्यमंत्री येडि्डयूरप्पा के नेतृत्व पर सवालिया निशान लगाए हैं। भाजपा में आज तालमेल व संगठन की कमजोरियां साफ नजर आ रही है। इस सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए विपक्ष को रणनीति बनाने की जरूरत नहीं है क्योंकि अपने अंतविर्रोधों के कारण पांच साल का कार्यकाल पूरा करने से पहले ही इस सरकार का स्वत: ही पतन हो जाएगा। पार्टी के अधिसंख्य नेताओं ने आगामी बीबीएमपी के चुनाव से पासा पलटने के लिए कार्यकर्ताओं को कमर कस लेने का आ±वान किया। समूचे अभिनंदन समारोह के दौरान कांग्रेस के नेताओं ने भाजपा को निशाना बनाया और बीबीएमपी के चुनावों से कांग्रेस की जीत का सिलसिला फिर से शुरू करने पर बल दिया। अभिनंदन समारोह में पार्टी के वरिष्ठ नेता सी.के. जाफर शरीफ, एम.वी. राजशेखरन, रामलिंगा रेड्डी, रोशन बेग, टी.बी. जयचन्द्रा, एम.पी. प्रकाश, एच.के. पाटिल, टी. जॉन, कागोडु तिम्मप्पा, सी.एम. इब्राहीम, रानी सतीश, एस. बंगारप्पा, एन. धरमसिंह जैसे प्रमुख नेताओं के अलावा राच्य के विभिन्न जिलों से आए नेता व कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।

योग्यता आधारित शिक्षा का ढांचा

शिक्षा में निजी भागीदारी के हिमायती नए मानव संसाधन एवं विकास मंत्री कपिल सिब्बल सार्वजनिक-जन भागीदारी (पीपीपी) मॉडल वाले ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के लिए प्रस्तावित संस्थानों को हरी झण्डी देकर अपनी कार्ययोजना की शुरूआत करेंगे। इनमें 20 भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईआईटी), छह सौ पॉलीटेक्निक और 3500 मॉडल स्कूल शामिल हैं।मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार संप्रग सरकार की सौ दिन की कार्ययोजना के तहत एचआरडी की ओर से इस सप्ताह अपनी प्राथमिकताओं को सार्वजनिक करने के आसार हैं। मंत्रालय ने इस सम्बंध में अपना परिपत्र तैयार कर लिया है। सिब्बल भी चार दिवसीय विदेश दौरे से लौट आए हैं। ऎसे में आम बजट के पूर्व इसी सप्ताह सौ दिवसीय एक्टिविटी प्लान के अलावा एचआरडी को अगली कैबिनेट के लिए अपना मसौदा भेजने के साथ-साथ वित्त मंत्री के बजट भाषण को लेकर मंत्रालय का एजेंडा भेजना है।योग्यता आधारित शिक्षा का ढांचासूत्रों के मुताबिक मंत्रालय की प्राथमिकताओं में शिक्षा की गुणवत्ता पर जोर के साथ व्यावसायिक शिक्षा को प्रोत्साहन और योग्यता आधारित बुनियादी शिक्षा का ढांचा तैयार करने पर केन्द्रित होगा। मंत्रालय का कार्यभार सम्भालने के तत्काल बाद देश के सभी हाल में दर्जा प्राप्त नए मानद (डीम्ड) विवि की समीक्षा, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के औचित्य को लेकर विशिष्ठ कमेटी की रिपोर्ट पर पुनर्विचार करने की घोषणा कर उच्च शिक्षा का पुनर्गठन करने की मंशा जाहिर करने वाले सिब्बल इसके साथ पूर्ववर्ती सरकार की सभी प्रस्तावित योजना को प्राथमिकता से पूरी करने का प्रयास करेंगे।आईआईटी-आईआईएम होंगे शामिलमंत्रालय की प्राथमिकताओं में उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में 15 नए केन्द्रीय विवि नए आईआईटी और आईआईएम के साथ 10 राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान और देशभर के पॉलीटेक्निक कालेजों को महिला छात्रावास उपलब्ध कराना भी शामिल होगा। इसके अलावा विदेशी शिक्षा संस्थान विधेयक, शिक्षा का अधिकार और दूरस्थ शिक्षा परिषद का मसला एजेंडे में होगा।मंत्रालय को चालू वित्त वर्ष के लिए नई योजना को अंजाम देने हेतु सरकार की ओर से अतिरिक्त दो हजार करोड का प्रावधान किया गया है।

Saturday, June 20, 2009

सीडी से नहीं हुई छेड़छाड़, आवाज वरुण की ही?

चुनाव प्रचार के दौरान वरुण गांधी द्वारा दिए गए कथिन भड़काऊ भाषण की सीडी की फरेंसिक जांच में पाया गया है कि इसमें वरुण की ही आवाज है। यूपी पुलिस के सूत्रों के मुताबिक जांच में पाया गया कि सीडी से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। फॉरेंसिक साइंस लैब, हैदराबाद ने रिपोर्ट पीलीभीत के जिलाधिकारी को सौंप दी है। वरुण ने यह भाषण 8 मार्च को पीलीभीत में दिया था। इस मामले में वरुण के खिलाफ पीलीभीत में 6 एफआईआर दर्ज किए गए हैं। अभी जमानत पर बाहर हैं। वरुण ने जब सीडी से छेड़छाड़ का आरोप लगाया था, तब उनसे उनकी आवाज का सैंपल देने के लिए भी कहा गया था लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया था। इस बीच, वरुण गांधी की मां मेनका गांधी ने कहा है कि फॉरेंसिक रिपोर्ट एकतरफा है, हम इसके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेंगे।
सीडी में वरुण की आवाज की पुष्टि के बाद बीजेपी में नए सिरे से बवाल मच सकता है। दो दिन पहले ही बीजेपी के मुस्लिम नेता मुख्तार अब्बास नकवी और शाहनवाज हुसैन इस मसले पर बीजेपी नेतृत्व को कठघरे में खड़ा कर चुके हैं। इन दोनों नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह से सवाल किया था कि उन्हें एटा जेल में जाकर वरुण गांधी से मुलाकात करने की क्या जरूरत थी। इन दोनों नेताओं के अलावा पार्टी का एक गुट मानता है कि लोकसभा चुनावों में पार्टी की हार के लिए वरुण का भड़काऊ भाषण काफी हद तक जिम्मेदार है। अब जबकि दिल्ली में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक चल रही है, यह मुद्दा गरमाने के पूरे आसार हैं।

नेता नहीं, कार्यकर्ता के रूप में चाहता हूं सम्मान

उदयपुर गांधी ग्राउण्ड में जनसभा को संबोधित करते हुए डा. सी. पी. जोशी ने खुले मन से कहा कि मैं नेता नहीं, कार्यकर्ता के रूप में अपना सम्मान चाहता हूं ।डा. जोशी ने कहा कि आज मेरा सम्मान अधूरा है तथा यह सम्मान पूरा तब होगा जब पंचायती राज व पालिका चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों को विजय बनाकर उनका इसी ग्राउण्ड में सम्मान समारोह आयोजित होगा।सी. पी. जोशी ने कहा कि सम्मान किसी व्यक्ति का नहीं होता, सम्मान तो कार्यकर्ता का होता है। कार्यकर्ता को सर्वोपरी बताते हुए उन्होंने कहा कि व्यक्ति विधायक, मंत्री-संत्री बन जाए यह बड़ी बात नहीं है, मगर अच्छा कार्यकर्ता बनना कठिन काम है।जोशी ने कार्यकर्ता के सम्मान को कभी कम नहीं होने देने का वादा करते हुए कहा कि सभी एकजुट होकर पार्टी को और मजबूत बनाने का प्रयास जारी रखे ।सोनिया गांधी के त्याग का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी प्रधानमंत्री पद का त्याग कर मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री नहीं बनाती तो हम दुबारा चुनाव नहीं जीत पाते । इसलिए सभी को ध्यान रखना चाहिए सफलता का मूलमंत्र त्याग है ।स्वागत में उमड़ा कार्यकर्ताओं का रैलाउदयपुर । केन्द्रीय केबिनेट मंत्री बनने के बाद शनिवार को प्रथम बार उदयपुर आगमन पर डा. सी. पी. जोशी के स्वागत में मानो कार्यकर्ताओं के उत्साह का ज्वार उमड़ पड़ा हो ।केन्द्रीय केबिनेट मंत्री बन प्रदेश व खासकर मेवाड़ का नाम रोशन करने वाले डा. सी. पी. जोशी के आज मेवाड़ की धरा (उदयपुर) पर कदम रखते ही गर्मजोशी से उनके स्वागत का ऐसा सिलसिला शुरू हुआ जो रूकने का नाम नहीं ले रहा था तेजतर्रार एवं कार्यकर्ता की भावना को सिर आंखों पर रखने वाले डा. सी. पी. जोशी के स्वागत के रूप में कार्यकर्ताओं ने यह दिखा दिया कि जो कार्यकर्ताओं की भावना का सम्मान करेगा उसे कार्यकर्ता भी अपने माथे का सिरमोर बनाये रखने में कहीं पीछे नहीं रहेगा।डा. जोशी के स्वागत के लिए इस कदर कार्यकर्ताओं का सैलाब उमड़ पड़ा कि जहां-जहां से जोशी का स्वागत जुलूस निकला वहां-वहां लोग सोचने को मजबूर हो गए कि यह स्वागत जुलृस है जा जन रैला । इस रैले में शामिल कार्यकर्ताओं को न तो कहीं तपती धूप की चिन्ता थी नही प्यास थी । यदि कुछ याद था तो वह सिर्फ और सिर्फ मेवाड़ के नेता का स्वागत ।इस अभूतपूर्व स्वागत ने डा. सी. पी. जोशी के कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष बन पहली बार उदयपुर आगमन पर हुए स्वागत को भी फीका कर दिया।

''गांव-गरीब के विकास से ही होगा भारत निर्माण

केन्द्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री डा. सी. पी. जोशी ने देश के समग्र विकास पर जोर देते हुए कहा है कि हमें गांव-गरीब का विकास करना है तभी सही मायने में भारत निर्माण की कल्पना साकार हो सकेगी।केन्द्रीय केबिनेट मंत्री बनने के बाद शनिवार को पहली बार उदयपुर आए डा. सी. पी. जोशी ने अपने अभूतपूर्व स्वागत के पश्चात यहां गांधी ग्राउण्ड में जनसभा को संबोधित करते हुए यह बात कही ।सी. पी. जोशी ने कहा कि गांव-गरीब का विकास कर हमें नए भारत का निर्माण करना है। इसके लिए पैसे की कहीं कोई कमी नहीं आने दी जाएगी।जोशी ने कहा कि गांव-गरीब का विकास तभी संभव हो पाएगा जब विकास की योजना के लिए आने वाले पैसे का सदुपयोग हो तथा वह सही हाथों में पहुंच पाएगा। इसके लिए सभी को सकारात्मक सोच पैदा करनी पड़ेगी।डा. जोशी ने जनता से भी आह्वान किया कि वे ऐसा वार्ड पंच, सरपंच, प्रधान चुने जो गांव-गरीब का विकास कर सके।आदिवासी क्षेत्रों के समग्र विकास पर बल देते हुए ग्रामीण विकास एवं पंचायती राजमंत्री डा. सी. पी. जोशी ने आदिवासियों का जीवन स्तर ऊंचा लठाने के लिए नए सिरे से नीतियां बनाने पर जोर देते हुए कहा कि ५ साल में आदिवासियों के कच्चे मकान की जगह पक्के मकान बन गए तो दिल को बड़ा सकून मिलेगा।नरेगा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास होगा कि अभी हमें २५० करोड़ मिल रहे है वे बढ़कर ४०० करोड़ हो जाए ।सभा को राज्य के जनजाति विकास मंत्री महेन्द्रजीत सिंह मालवीय, खेलमंत्री मांगीलाल गरासिया, सांसद रघुवीर मीणा, विधायक सज्जन कटारा, उदयलाल आंजना, सुरेन्द्र सिंह जाडावत, जिलाध्यक्ष डा. मधुसूदन शर्मा (शहर), छगनलाल जैन (देहात), कैलाश व्यास (भीलवाड़ा) ने भी संबोधित किया। संचालन विरेन्द्र वैष्णव ने किया। इस अवसर पर सांसद ताराचन्द भगोरा, गोपाल सिंह, विधायक पुष्कर डांगी, गजेन्द्र सिंह शक्तावत, दयाराम परमार, नगराज मीणा, गणेश सिंह परमार, जिला प्रमुख केवल चन्द लबाना सहित कई जनप्रतिनिधि, पार्टी पदाधिकारी व गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

अपने विधायकों को संभालना

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय कपडा मंत्री शंकरसिंह वाघेला ने मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी का नाम लिए बगैर चेतावनी दी है, "अब तुम अपने विधायकों को संभाल लेना।" वाघेला ने खजुराहो कांड दोहराने की चेतावनी भी दी है।वाघेला शनिवार को खेडा जिले के फागवेल स्थित भाथीजी मंदिर के नवनिर्माण के लिए आयोजित यज्ञ में नारियल चढाने के बाद विशाल सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे। नारियल के चढावे के साथ ही वाघेला ने मोदी के खिलाफ बिगुल बजा दिया। उन्होंने घोषणा की कि अब वे हाथ पे हाथ धरे नहीं बैठे रहेंगे। वे गुजरात की राजनीति में सक्रिय होंगे। सात से ज्यादा विधायक सम्पर्क मेंहाल ही में सम्पन्न लोकसभा चुनाव में वाघेला पंचमहाल सीट से हार गए थे। उन्होंने उनकी हार के लिए भाजपा खासकर मोदी की साजिश को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में हार के बाद अब वे गुजरात की राजनीति में फिर सक्रिय होने जा रहे हैं। चुनाव में हार का यह मतलब नहीं है कि वे चुपचाप बैठ जाएंगे। वाघेला ने दावा किया कि भाजपा के 7 से अधिक विधायक उनके सम्पर्क में हैं। ऎसे में मोदी का नाम लिए बगैर उन्हें सावधान करते हुए वाघेला ने भाजपा विधायकों को संभाल के रखने और खजुराहो कांड दोहराने की चेतावनी भी दी।कानून-व्यवस्था चौपटमोदी के धुर विरोधी माने जाने वाले वाघेला ने राज्य सरकार को आडे हाथ लेते हुए कहा कि गुजरात में कानून-व्यवस्था चौपट हो चुकी है। मां-बहनें सुरक्षित नहीं हैं। सूरत-राजकोट में गैंगरेप की घटनाएं इसका प्रमाण हैं। उन्होंने गत चुनाव में भाजपा की ओर से लालकृष्ण आडवाणी को वेटिंग इन पीएम घोषित किए जाने पर व्यंग्य कसते हुए कहा कि प्रधानमंत्री पद रेलवे की कोई सीट नहीं है।


माओवादियों पर बरसा संघ

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने लालगढ में माओवादियों के खिलाफ पश्चिम बंगाल की वाममोर्चा सरकार के सशस्त्र अभियान का समर्थन किया है। संघ ने माओवादियों को देश का दुश्मन करार देते हुए कहा कि उन्हें कुचल देना चाहिए। संघ के मुखपत्र आर्गेनाइजर ने छत्तीसगढ के पुलिस महानिदेशक विश्व रंगन को उद्धृत करते हुए कहा है कि माओवादी राज्य के प्रशासनिक तंत्र का मनोबल तोडना चाहते हैं ताकि वे नक्सली हिंसा को रोकने में पूरी तरह अक्षम हो जाएं।

माथुर खिसके, वसुंधरा नदारद

राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पहले दिन तमाम राज्यों के भाजपा अध्यक्षों ने हार-जीत का लेखा जोखा रखा लेकिन राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष रिपोर्टिग शुरू होने से पहले सभास्थल से रवाना हो गए। उन्होंने तर्क दिया कि वे अपना इस्तीफा सौंप चुके हैं इसलिए उनके रहने का कोई मतलब नहीं जबकि नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया को पूरे दिन निगाहें तलाशती रह गई लेकिन वे न दिखीं। पता चला कि वे विदेश में हैं लेकिन यहां नहीं आएंगी इस बारे में अधिकृत सूचना राज्य या केंद्र स्तर पर किसी के पास न थी। इतना ही नहीं चुनाव के संचालक रहे राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष भी गैरमौजूद थे। माथुर के चले जाने के बाद संगठन सचिव प्रकाश चंद्र ने हार के कारणों के साथ रिपोर्ट पेश की। सूत्रों के अनुसार, संगठन सचिव ने यह कहकर निराशाजनक परिणामों का गम हल्का करने की कोशिश की कि विधानसभा चुनाव के मुकाबले पार्टी के मत प्रतिशत में बढोतरी हुई है। बावजूद इसके पराजय मिली जिसकी एक बडी वजह बसपा के वोट बैंक का कांग्रेस के खाते में चले जाना भी है। हार के तीन मुख्य बिंदु गिनाते प्रकाशचंद्र ने बताया कि लोकसभा चुनाव में पार्टी ने सात सांसदों को दोबारा मैदान में उतारा। यह गलत फैसला था क्योंकि क्षेत्र में इन सांसदों के खिलाफ हवा बह रही थी। कई सीटें परिसीमन के बाद बदले समीकरणों के कारण पार्टी के हाथ से निकल गई जबकि तीसरी वजह कार्यकर्ताओं में व्याप्त निराशा थी। विधानसभा चुनाव में मात खा चुके कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जा सके जिस कारण वे पूरे मन से नहीं जुटे।नतीजा उल्टा हो गया। पिछली बार चार सीटों पर सिमटी कांग्रेस ने अबकि बीस सीटें जीत लीं जबकि भाजपा 21 से खिसकर तीन पर पहुंच गई और एक सीट निर्दलीय की झोली में चली गई। कार्यकारिणी में प्रकाशचंद्र के अलावा राजस्थान भाजपा से गुलाब कटारिया, घनश्याम तिवाडी, कैलाश मेघवाल, किरण माहेश्वरी, जसकौर मीणा और मानवेंद्र सिंह शामिल हुए। मध्य प्रदेश की रिपोर्टिग नरेंद्र सिंह तोमर, गुजरात की पुरूषोत्तम रूपाला, दिल्ली की ओमप्रकाश कोहली, उत्तर प्रदेश की रामरमापति त्रिपाठी और उत्तराखंड की ब“ाी सिंह रावत ने की। तोमर ने कुछ सीटें हाथ से निकल जाने के बारे में सफाई दी कि प्रत्याशियों का अति आत्मविश्वास उन्हें ले डूबा। इसके अलावा हारी हुई सीटों में अधिकांश एससी-एसटी थीं जहां गोंडवाना पार्टी और बसपा फैक्टर भी कांग्रेस का मददगार साबित हुआ। रूपाला ने अच्छी बातें कहीं जबकि कोहली ने कहा मनमोहन सिंह को सिंह इस किंग के रूप में पेश करने से सिख भाजपा से दूर चले गए। जबर्दस्त खींचतान झेल रहे उत्तराखंड अध्यक्ष रावत ने सुझाव दिया कि बिहार फार्मूले की तर्ज पर गुप्त मतदान कराकर राज्य में मुख्यमंत्री का विवाद निपटाया जाए।

नहीं होगा संशोधन

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्र सरकार एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं। गुजकोका लौटाने के फैसले से खफा मोदी ने संशोधन मानने से सीधे इनकार कर दिया है। उन्होंने दो टूक लहजे में कहा, विधेयक मकोका जैसा है। केन्द्र ने उसे वापस करने के लिए बदलाव का बहाना लिया है। शनिवार को दिल्ली में कदम रखते ही मोदी ने पहला प्रहार केंद्र पर किया। गुजरात संगठित अपराध नियंत्रण कानून (गुजकोका) को पांच साल दबाकर रखने के बाद उसमें संशोधन का सुझाव दिए जाने पर आश्चर्य प्रकट करते हुए बोले कि केन्द्र को तीन आपत्ति ढूंढने में इतने साल लग गए। मोदी ने गुजकोका विधेयक को सही ठहराया और कहा कि वह महाराष्ट्र के मकोका की तरह ही है, लेकिन सरकार की मंशा ठीक नहीं होने के कारण उसे कानून का रूप देने में अडचन पैदा की जा रही है। उन्होंने केन्द्र सरकार के सुझाए गए संशोधन को यह कहते हुए मानने से इनकार कर दिया कि उसमें बदलाव कर दिए जाने से वह दंतविहीन और नखविहीन हो जाएगा। मोदी ने कहा कि आवश्यकता पडने पर गुजरात सरकार गुजकोका विधेयक को राज्य विधानसभा में फिर पेश करेगी। गुजकोका विधेयक को राज्य विधानसभा ने संगठित अपराध से निपटने के बारे में केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के आधार पर तैयार किया था। मालूम हो कि शुक्रवार को केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 2004 से लंबित गुजकोका विधेयक में खामी बताते हुए उसे वापस लौटाने की सिफारिश करने का फैसला लिया है।

Friday, June 19, 2009

कोश्यारी ने इस्तीफा वापस लिया

बुधवार को राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने वाले बीजेपी के उत्तराखंड से वरिष्ठ नेता भगत सिंह कोश्यारी ने पार्टी नेतृत्व के निर्देश पर शुक्रवार अपना इस्तीफा वापस ले लिया। कोश्यारी ने इस्तीफा वापस लेने के लिए उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी से मुलाकात की। उनके साथ बीजेपी उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी भी थे। नकवी ने संवाददाताओं को बताया कि कोश्यारी ने उप राष्ट्रपति से मुलाकात कर उन्हें अपना इस्तीफा वापस लेने के फैसले से अवगत कराया और आग्रह किया कि वह उनका इस्तीफा वापस कर दें। अंसारी ने परंपरा के अनुरूप कोश्यारी को मुलाकात के लिए बुलाया था। किसी सांसद का इस्तीफा राज्यसभा के सभापति के साथ बैठक के बाद ही मंजूर किया जाता है। कोश्यारी और भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह के बीच हुई बैठक में सिंह ने कोश्यारी को इस्तीफा वापस लेने के लिए राजी कर लिया था। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भुवनचंद खंडूरी को हटाने का दबाव बनाने के लिए कोश्यारी ने बुधवार को राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।

घुमाकर नहीं, सीधे आऊंगा राजनीति में: आदित्य ठाकरे

उनका विषय है राजनीति विज्ञान, फिर भी आदित्य ठाकरे का दावा है कि वे राजनेताओं के लाडलों वाला ड्रीम शेयर नहीं करते। बल्कि अपने एनजीओ 'ड्रीम वी शेयर' को वे छात्र आंदोलन से जोड़ने का वादा करते हैं। पर लोग हैं कि उनके इस कदम को हर तरह से विधानसभा चुनाव से पहले युवाओं को शिवसेना की तरफ खींचने के प्रयासों से ही जोड़कर देख रहे हैं। पहले कविताएं लिखकर और फिर पिता शिवसेना कार्याध्यक्ष उद्धव ठाकरे के साथ चुनावी सभाओं में जाकर वे पहले ही दर्शा चुके हैं कि लाइमलाइट उन्हें पसंद है। महज 19 साल की उम्र में वे जिस बेबाकी से मीडिया से बात करते दिखे, इससे भी साफ होता है कि वे पूरी तैयारी से मैदान में उतरे हैं। हां मैं बड़ा हो गया हूं। कॉलिज में (सेंट जेवियर्स) आ गया हूं तो बाल भी बड़े रख लिए हैं, दाढ़ी भी आ गई है। कुछ कविताएं लिखी हैं तो कुछ अधूरी पड़ी हैं। अलबम तो पता नहीं कब आएगा। एक दिन मैं अल्टामाउंट रोड से बांद्रा जा रहा था कि ट्रैफिक में बुरी तरह फंस गया। उसी वक्त लगा कि यह दिक्कत तो हर मुम्बईकर झेल रहा है। ऐसी ही और भी समस्याएं हैं। दोस्तों से चर्चा की, तो सबने माना कि शहर में समस्याएं हैं और यहां रहना है, तो हमें ही इसका ख्याल भी रखना होगा। शायना जी से इस बारे में बात हुई, तो उन्होंने भी हां कर दी। और अब हम 'आई लव मुम्बई' के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। मैं कुछ कहना नहीं चाहता। बस युवाओं से आग्रह करूंगा कि अपने बिजी शेड्यूल से थोड़ा वक्त निकालकर शहर के लिए कुछ करें। ग्लोबल वार्मिंग और शंघाई जैसी बड़ी बातें करने के बजाय खुद पेड़ लगाएं, शहर को साफ रखें और ट्रैफिक नियमों का पालन करें। बातें छोटी हैं, पर इसी से शहर बेहतर होगा। वे सब सपोर्टिव हैं। उनके गाइडंस से ही हमने कॉलिज स्टूडंट्स के बीच जाकर सेमिनार किए और इस मुहिम से जोड़ना शुरू किया। प्लीज इसमें राजनीति को मत देखिए। मुझे राजनीति में आना होगा, तो सीधे आऊंगा। मुझे छिपकर या बाईपास से आने की क्या जरूरत है! पता नहीं। माता-पिता कहते हैं कि यह क्षेत्र संघर्ष का है, अगर आना है तो सोच-समझकर आना। अभी तो 19 साल का हूं। शहर के लिए कुछ करना चाहता हूं। आगे क्या करूंगा अभी सोचा नहीं है।