Friday, June 26, 2009

लालबत्ती के लिए एक साथ आए सभी एमएलए

विधानसभा में किसी लोकहित के मुद्दे पर कांग्रेस और बीजेपी के सदस्य भले ही एकमत न हों, लेकिन कार पर लालबत्ती लगाने के मामले में सदन के दोनों पक्षों के विधायक लामबंद हो गए। ये विधायक तभी चुप हुए जब स्पीकर ने व्यवस्था देते हुए सरकार से इस मामले पर गंभीरता से विचार करने को कहा। बीजेपी के साहब सिंह चौहान ने विशेष उल्लेख के दौरान सदन में यह मामला उठाया। उन्होंने कहा कि जब एसएचओ, एसडीएम और डिप्टी कमिश्नर को कार पर लालबत्ती लगाने का अधिकार है तो विधायक को क्यों नहीं। उन्होंने कहा कि प्रोटोकॉल में विधायकों का दर्जा चीफ सेक्रटरी से ऊपर होता है। चीफ सेक्रटरी पुलिस कमिश्नर की कॉन्फिडेशल रिपोर्ट (सीआर) लिखते हैं और उनकी कार में भी लालबत्ती लग सकती है, तो हमारी कार में क्यों नहीं। उन्होंने कहा कि विधायक को भी कई बार आपात स्थिति में जल्दी पहुंचना होता है। सदन में पहुंचने में अगर देर होती है तो इसे विधायक के विशेषाधिकारों का उल्लंघन माना जाना चाहिए। ऐसे में भीड़ और ट्रैफिक से निकलने के लिए लालबत्ती लगाने की इजाजत विधायक को भी मिलनी चाहिए। महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि साहब सिंह चौहान की इस मांग का न सिर्फ बीजेपी बल्कि सत्तापक्ष के विधायकों ने भी जोरदार समर्थन किया। इन विधायकों का भी कहना था कि जब भी विधायक अपनी कार पर लालबत्ती लगाते हैं तो कई बार उसके खिलाफ खबरें छपती हैं। इस वजह से विधायकों को कार पर लालबत्ती लगाने की इजाजत दी जाए। इन विधायकों का यह भी तर्क है कि इसके लिए कोई बिल लाने की जरूरत ही नहीं है, बल्कि एक आदेश के जरिए ही यह संभव हो सकता है। इस मांग के समर्थन में विधायक खड़े होकर बोलते रहे और स्पीकर से व्यवस्था देने की मांग करते रहे। अंत में स्पीकर ने सरकार से विधायकों की इस मांग पर गंभीरता से विचार करने को कहा। बीआरटी में भी मिले प्राथमिकता : विशेष उल्लेख के दौरान ही बीजेपी के रमेश बिधूड़ी ने कहा कि बीआरटी कॉरिडोर में सिग्नल पर निकलने में 15 मिनट तक लग जाते हैं। ऐसे में इस कॉरिडोर के चार सिग्नल क्रॉस करने में ही लगभग एक घंटा बर्बाद हो जाता है। उनका कहना था कि जब बस लेन में पुलिस और दूसरे अफसरों की गाड़ियों को निकलने की इजाजत मिलती है, तो फिर विधायकों को यह छूट क्यों नहीं दी जाती। उन्होंने मांग की कि बीआरटी कॉरिडोर में विधायकों को भी बस लेन से अपनी कार ले जाने की छूट मिलनी चाहिए। शुक्रवार को विशेष उल्लेख के दौरान 21 सदस्यों ने अपने-अपने मामले उठाए। हालांकि कायदे से 10 विधायक ही अपनी बात रख सकते हैं लेकिन स्पीकर ने शुक्रवार को 21 विधायकों को अपनी बात रखने की इजाजत दी।

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