Wednesday, June 24, 2009

प्रतिपक्ष का दो बार वाकआउट

तमिलनाडु विधानसभा में शुक्रवार को राज्य के कृषि मंत्री वीरपांडि एस. आरूमुगम द्वारा कही गई कहावतों का प्रभाव सोमवार को भी विधानसभा में नजर आया। उन कहावतों और बालू उत्खनन मामले में अपनी राय रखने का अवसर नहीं मिलने से नाराज विपक्ष के सदस्यों ने सोमवार को विधानसभा से दो बार वाकआउट किया। बालू उत्खनन के मसले पर कांग्रेस विधायक दल के नेता डी. सुदर्शनम की भी लोक निर्माण मंत्री दुरै मुरूगन से बहस हो गई। सोमवार को विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही अध्यक्ष आर. आवुडैअप्पन ने कहा कि शुक्रवार को कृषि मंत्री ने कहावतों का सामान्य रूप में प्रयोग किया था, लेकिन वे अन्नाद्रमुक के लिए नहीं कहीं गई थी। उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को इन कहावतों को विधानसभा के रिकार्ड से हटा दिए जाने की मांग उठी थी और विधानसभा अध्यक्ष ने इस मामले में अपना निर्णय सोमवार तक के लिए सुरक्षित रख लिया था। विधानसभा में पूर्व में भी इस प्रकार की कहावतों को रिकार्ड में लिए जाने की बात कहते हुए जब आवुडैअप्पन ने कृषिमंत्री के वक्तव्यों को रिकार्ड से हटाने से इनकार कर दिया तो अन्नाद्रमुक के सदस्यों ने इसका विरोध किया और सदन से वाकआउट कर दिया। इसके कुछ देर बाद राज्य के लोक निर्माण मंत्री दुरै मुरूगन ने अपने विभाग के अनुदान की मांगों पर विचार-विमर्श के दौरान बताया कि राज्य में बालू की तस्करी को रोकने के लिए राज्य सरकार कड़ी कार्रवाई कर रही है। उनके इस बयान पर आपत्ति जताते हुए सुदर्शनम ने कहा कि तमिलनाडु से अवैध तरीके से केरल और कर्नाटक में बालू से भरी हजारों लॉरियां जाती हैं। सर्वदलीय बैठक में बालू उत्खनन रोकने की कड़ी आवश्यकता जताए जाने के बावजूद इस मामले में अब तक कोई बड़ा कदम नहीं उठाया है।अब तक सदन में अन्य विधायकों के साथ लौट चुके विपक्षी दल के नेता ओ. पन्नीरसेल्वम ने कहा कि सत्तारूढ़ दल लोगों के रूपए लूटने में मशगूल है। पन्नीरसेल्वम के अनुसार अन्नाद्रमुक के शासनकाल में बालू उत्खनन को रोकने के लिए कड़े नियम बनाए गए थे, लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है और खुद द्रमुक कार्यकर्ता ही इस काम में लगकर करोड़ों रूपए कमा रहे हैं। इस मामले में जब अन्नाद्रमुक के विधायकों ने लोक निर्माण मंत्री से स्पष्टीकरण की मांग की तो विधानसभाध्यक्ष ने यह कहते हुए अनुमति देने से इनकार कर दिया कि सदन को कम समय में दो और विभागों के अनुदान की मांगों पर विचार करना है। इस बात का विरोध करते हुए अन्नाद्रमुक विधायकों ने एक बार फिर विधानसभा से वॉकआउट कर दिया। इस बार उनके साथ उनके सहयोगी दलों पीएमके, एमडीएमके, माकपा और भाकपा के विधायक भी थे। स्टालिन ने पेश किए कई बिलराज्य के उप-मुख्यमंत्री एवं स्थानीय प्रशासन मंत्री एम.के. स्टालिन ने सोमवार को विधानसभा सत्र के दौरान नए कानून बनाने के लिए कई बिल पेश किए। चेन्नई मेट्रो के लिए योजना आयोग के गठन और उस आयोग के सुझावों के क्रियान्वयन के लिए स्टालिन ने तमिलनाडु मेट्रो योजना आयोग अघिनियम बिल पेश किया। इस दौरान नगरपालिकाओं के न्यायाघिकार क्षेत्र में फर्मो के संपत्ति कर के नियमितिकरण के अघिनियम में संशोधन का प्रस्ताव भी प्रस्तुत किया गया।




इस महीने मप्र के राजभवन में अपना कार्यकाल समाप्त होने के बाद वरिष्ठ नेता बलराम जाखड़ शायद ही दोबारा राज्यपाल बन पाएं। साथ ही उनके कांग्रेस संगठन में पहुंच पाने की संभावना भी कम ही है।कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक जाखड़ हालांकि पिछलों काफी दिनों से संगठन में जगह बनाने के लिए दिल्ली के राजनैतिक गलियारों में अपने मित्रों के जरिए प्रयास करते रहे हैं, लेकिन पार्टी को वह अब तक इसके लिए मना नहीं पाए हैं। इसका फिलहाल एक ही कारण है और वह है संगठन को लेकर राहुल गांधी का युवा फॉर्मूला। राहुल नहीं चाहते कि संगठन में अगले महीने होने वाले फेरबदल में पुराने लोगों को ही समायोजित कर नौजवानों के रास्ते बंद कर दिए जाएं। जाहिर है-इस खांचे में जाखड़ या उनकी पीढ़ी के नेता फिट नहीं बैठते। हां राजस्थान और पंजाब में कांग्रेस से जुड़े उनके दोनों पुत्रों में से किसी को संगठन में जगह देकर उनकी भरपाई की जा सकती है।आलाकमान की ओर से संगठन के दरवाजे उनके लिए बंद होने के बाद उनके करीबी राज्यपाल के रूप में उन्हें एक और कार्यकाल दिए जाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन इसकी संभावना भी कम है। उन्हें दोबारा राज्यपाल बनाया भी गया, तो किसी छोटे राज्य में भेजा जा सकता है। पार्टी फिलहाल शिवराज पाटिल और हंसराज भारद्वाज को प्रमुख राज्यों के राजभवन में भेजने पर विचार कर रही है। शुरू में अर्जुन सिंह को भी राज्यपाल बनाने की अटकलें चल रही थीं, लेकिन आलाकमान ने उन्हें तो पूरी तरह से हाशिए पर धकेलने का मन लिया है। हालांकि वह खुद भी राज्यपाल बनने के बहुत ज्यादा इच्छुक नहीं हैं। शिवराज पाटिल को मप्र क ा राज्यपाल बनाए जाने पर भी विचार चल रहा है।


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