मध्यप्रदेश के सहकारिता मंत्री गौरीशंकर बिसेन की जुबान की फिसलन का असर दिल्ली तक आ पहुंचा है। केन्द्रीय नेतृत्व भी अचरज में है कि लाख समझाइश के बाद भी बिसेन जुबान पर काबू क्यों नहीं कर पा रहे। भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह को बिसेन और सतना जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष कमलाकर चतुर्वेदी के विवाद की जब असल कहानी पता चली तो वह भी भौंचक रह गए। हालांकि इसकी भनक उन्हें थी, लेकिन मामला इतना गंभीर होगा उन्हें अंदाजा नहीं था। सिंह के इस मुद्दे को खुद देखने के संकेत से बिसेन की कुर्सी पर खतरा बढ़ गया है। सूत्रों के अनुसार बिसेन-कमलाकर मामले पर शुक्रवार को अखिल भारतीय ब्राह्मण महासंघ के अध्यक्ष मांगेराम शर्मा राजनाथ सिंह से मिले। इनकी शिकायत थी कि मुख्यमंत्री के साथ हुई बैठक में सुलह के बाद भी बिसेन आदत से बाज नहीं आ रहे। वह लगातार ऎसी बातें कर रहे हैं जिससे पूरा समाज अपमानित महसूस कर रहा है।सूत्रों ने बताया कि शिकायत सुनते ही सिंह ने कमलाकर से फोन पर बात की। उन्होंने कमलाकर से सारा घटनाक्रम जाना और उसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी फोन पर बात की। इस मुद्दे को भोपाल में निपटाने की हो रही कोशिश के बीच विवाद दिल्ली पहुंचने से इसके और तूल पकड़ने की संभावना बढ़ गई है। दरअसल दो खेमों के बीच का विवाद ने जातिगत राजनीति का रूप ले लिया है। बिसेन के अपशब्द कहने को लेकर मप्र में शुरू हुए विरोध-प्रदर्शन से राज्य सरकार के साथ केन्द्रीय नेतृत्व के माथे पर भी बल पैदा हो गया है। यह मामला राजनाथ सिंह के साथ भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी तक पहुंचाए जाने से मामला अब नया मोड़ ले सकता है। हालांकि राज्य का संगठन और सरकार इस मामले को मप्र में ही खत्म करने के इरादे से सुलह का काम कर रहे थे, लेकिन बिसेन की फिसलती जुबान के चलते मामला राज्य के हाथ से निकलकर अब केन्द्रीय नेतृत्व के पास आ गया है।भाजपा अध्यक्ष इस मामले को जितनी गंभीरता से ले रहे हैं उससे लगने लगा है कि बिसेन अब मंत्रिमंडल में ज्यादा दिन के मेहमान नहीं हैं।
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