महिला आरक्षण विधेयक पर छाए विवाद के बीच भारतीय स्त्रीशक्ति संगठन ने द्विवसदस्यीय प्रणाली का फार्मूला देकर मामले को नया मोड़ दे दिया है। संगठन का कहना है कि आजादी के बाद महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी के प्रति रही उदासीनता को समाप्त करने के लिए 33 प्रतिशत का आरक्षण पर्याप्त नहीं है। इसके लिए सरकार को समुचित विकास और जनसंख्या को आधार बनाकर निर्णय लेना चाहिए और उसका सही रास्ता एक सीट से महिला और पुरूष को प्रतिनिधि के रूप में चुनकर ही निकाला जा सकता है। मंगलवार को पत्रकारवार्ता में संगठन अध्यक्ष मेधा नानिवडेकर ने कहा कि महिला आरक्षण आज की जरूरत है। आजादी के बाद राजनीतिक क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी जितनी होनी चाहिए उतनी नहीं हो पाई है। उन्होंने कहा कि देश की जनसंख्या के हिसाब एक लोकसभा क्षेत्र की जनसंख्या करीब 20 लाख है जो दूसरे देशों की तुलना में बहुत अधिक है। उनका कहना है कि जनसंख्या के अनुपात को देखते हुए लोकसभा सीटों को बढ़ाया जाना चाहिए। इसके लिए उन्होंने हर सीट पर महिला-पुरूष प्रतिनिधि बनाए जाने का फार्मूला सुझाया है। उनका कहना है कि सरकार यदि इस फार्मूले पर चले तो महिलाओं को बराबर की हिस्सेदारी मिलेगी और क्षेत्र के विकास में भी इजाफा होगा। इस मौके पर महासचिव नयना सहस्त्रबुद्ध एवं संगठन सचिव उर्मिला आप्टे भी मौजूद रहीं।
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