मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अधिकारियों से कहा है कि राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी अधिनियम (नरेगा) को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने की दिशा में वह कठोर कदम उठाने में नही हिचके । उन्होंने कहा कि नरेगा में किसी भी कीमत पर भ्रष्टाचार बर्दाश्त नही किया जायेगा ।अपने शासनकाल में आज यहां द्वितीय कलेक्टर कान्फ्रेंस में प्रारम्भिक संबोधन में गहलोत ने कहा कि यदि नरेगा के क्रियान्वयन की प्रणाली में भ्रष्टाचार घर कर गया तो गांव गरीब और मजदूरों के कल्याण के लिए आरंभ इस योजना का उद्देश्य ही पूरा नहीं हो पाएगा ।उन्होने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में नरेगा के क्रियान्वयन में राजस्थान के देश भर में अग्रणी रहने का खूब प्रचार किया गया । स्वयं वह भी एक सीमा तक इसे सफल मान रहे थे। लेकिन नई सरकार के सामने नरेगा में भ्रष्टाचार की शिकायते आने लगी है ।मुख्यमंत्री ने कहा कि नरेगा में सभी जरूरतमंद लोगों को काम मिलने और समय पर भुगतान को सुनिश्चित किया जाना चाहिए ।उन्होने अधिकारियों से नरेगा संबंधी दिशा निर्देशों ''गाइड लाइन' में स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप ङ्क्षबदुओं को शामिल करने के सुझाव भी आमंत्रित किए । मुख्यमंत्री ने नरेगा योजना के क्रियान्वयन के सामाजिक अंकेक्षण की व्यवस्था पर भी ध्यान देने को कहा ।मुख्यमंत्री ने 'हरित राजस्थान' की कल्पना को योजनाबद्ध ढंग से साकार करने के लिए सभी जिला कलक्टरों, वन विभाग और जिला परिषदों के अधिकारियों को पूरी योग्यता, निष्ठा, तत्परता एवं कार्यकुशलता से जुटने का आव्हान किया ।उन्होंने कहा कि इस अभियान को नरेगा से जोड़ा गया है इसलिए संसाधनों की कमी नहीं आएगी । मुख्य बात यही है कि प्रदेश के हालात को बदलने के लिए सकारात्मक सोच के साथ हम सभी इस दिशा मे आगे बढ़े ।मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के कुल क्षेत्रफल का दस प्रतिशत हिस्सा राजस्थान मे हैं राज्य का ७० फीसदी हिस्सा रेगिस्तानी है और मात्र एक फीसदी जल उपलब्ध है इसलिए पानी के विकट हालात पर ङ्क्षचतन मनन के साथ जल संग्रहण संरक्षण बचत एवं सदुपयोग का प्रेरणास्पद माहौल बनाने की जरूरत है
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