राहुल गांधी द्वारा सामंतवादी विशेषणों को लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताए जाने के बाद कांग्रेस ने अपने सभी नेताओं से कहा है कि वे अपने नाम के साथ महाराजा, राजा, कुंवर, रानी, महारानी, बेगम जैसी सामंतवादी पदवियां और विशेषण नहीं लगाएं। एक सवाल के जवाब में कांग्रेस मीडिया प्रभारी जनार्दन द्विवेदी ने कहा कि पार्टी के आधिकारिक रिकॉर्ड्स से इस तरह की सामंती मानसिकता वाले विशेषणों को हटा दिया जाएगा। कांग्रेस में कई बड़े नेताओं को राजा साहब, महाराज, बेगम साहिबा कहा जाता है। यूपी में दलित समुदाय में अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिशों में लगी कांग्रेस खुद को सामंतवादी चरित्र से परे दिखाना चाहती है। द्विवेदी ने कहा कि हर कांग्रेसी को आम नागरिक की तरह ही अपना नाम लिखना चाहिए। पिछले साल अप्रैल में अपनी छत्तीसगढ़ यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने इस संवाददाता से बात करते हुए युवराज शब्द को सामंती मानसिकता का परिचायक बताते हुए कहा था कि यह लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। हाल ही में राजस्थान सरकार ने बाकायदा सर्कुलर जारी करके मीडिया को ऐसे सामंती पद नामों से परहेज करने के लिए कहा है। इसी 13 जून को जारी सर्कुलर में मीडिया को याद दिलाया गया है कि देसी रियासतों के शासकों को दी गई मान्यता बहुत पहले ही समाप्त कर दी गई है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पहल पर निकाले इस परिपत्र को 'महारानी' वसुंधरा राजे के खिलाफ माना जा रहा है। निवर्तमान मुख्यमंत्री वसुंधरा को राजस्थान में महारानी कहा जाता है। उनकी माताजी विजया राजे सिंधिया को बीजेपी राजमाता कहती रही हैं। राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने कहा है कि भारत के गणराज्य बनने और रजवाड़ों के एकीकरण के बाद कोई भी व्यक्ति महाराजा नहीं रहा और न ही कोई भौगोलिक क्षेत्र रियासत। मगर देश की राजधानी दिल्ली में कांग्रेस की राज्य सरकार ने देश के बड़े नेता रहे माधवराव सिंधिया की स्मृति में एक सड़क का नामकरण श्रीमंत माधवराव सिंधिया के नाम से किया है। इसी तरह एनडीए के शासनकाल में ग्वालियर के हवाईअड्डे का नाम राजमाता विजया राजे सिंधिया रखा गया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस की राज्य और केंद्र सरकारें इन सरकारी मामलों में क्या पहल करती हैं।
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