लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जहां कई सीटों पर पूरी उदासीनता दिखाई तो कई सीटों पर अपने ही प्रत्याशी की खिलाफत की। इसका नतीजा रहा कि पार्टी विधानसभा चुनाव में सत्ता खोने के बाद लोकसभा चुनाव में भी चार सीटों पर ही सिमट गई।लोकसभा चुनाव नतीजों के एक माह बाद बुधवार को भाजपा ने हार की समीक्षा की। प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश माथुर की अध्यक्षता में करीब तीन घंटे चली बैठक में प्रदेश महामंत्री मदनलाल सैनी, श्रीकिशन सोनगरा तथा रामपाल जाट मौजूद थे। प्रदेश संगठन महामंत्री प्रकाश चंद्र जयपुर से बाहर होने के कारण बैठक में नहीं पहुंचे।बैठक के बाद प्रदेशाध्यक्ष माथुर ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, संसदीय क्षेत्रों का दौरा करके आए सभी महामंत्रियों ने लिखित रिपोर्ट सौंप दी है। उन्होंने स्वीकार किया कि कई जगह कार्यकर्ताओं में सुस्ती रही। कई प्रत्याशियों को लेकर पसंद-नापसंद का झगडा चला और अनुशासनहीनता के प्रकरण भी सामने आए हैं। उन्होंने इन सीटों का नाम खुलासा नहीं किया। एक सवाल के जवाब में माथुर ने कहा कि प्रत्याशियों का चयन मिल-जुलकर किया गया और टिकटों के वितरण पर पार्टी को कोई अफसोस नहीं है। उनका मानना है कि विधानसभा की तुलना में बसपा के चार फीसदी तथा अन्य छह फीसदी वोट कांग्रेस के पाले में चले गए, जिसका खमियाजा भाजपा को उठाना पडा।मिल-बैठ कर करेंगे बात: उन्होंने बताया कि जल्दी ही प्रतिपक्ष की नेता वसुंधरा राजे तथा प्रदेश महामंत्रियों की मौजूदगी में रिपोर्ट पर चर्चा की जाएगी। प्रयास किया जाएगा कि इस बैठक में पार्टी के केन्द्रीय नेता भी मौजूद रहें। इस्तीफा मंजूर नहीं: सवालों के जवाब में माथुर ने कहा कि उनका त्यागपत्र अभी मंजूर नहीं हुआ है। उन्हें आलाकमान जो भी निर्देश देगा, उसकी पालना करेंगे। पिलानिया पर टिप्पणी नहीं: माथुर ने राज्यसभा में पार्टी के सदस्य ज्ञानप्रकाश पिलानिया द्वारा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राजस्थान का गांधी बताए जाने पर कोई टिप्पणी नहीं की। उनका कहना था कि पिलानिया जातिगत फोरम पर बोले हैं, इसलिए टिप्पणी किया जाना जरूरी नहीं है।
No comments:
Post a Comment